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  • Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 19 जैवविविधता एवं इसका संरक्षण

    Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 19 जैवविविधता एवं इसका संरक्षण

    पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

    बहुचयनात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    किसी पारिस्थितिकीय तंत्र के संतुलन की मापक इकाई है
    (क) प्रजाति
    (ख) जैवविविधता
    (ग) जन्तु विविधता
    (घ) उक्त में से कोई नहीं

    प्रश्न 2.
    विश्व में कृषि सहयोग के हिसाब से भारत कौन से स्थान पर है?
    (क) आठवें
    (ख) नौवें
    (ग) सातवें
    (घ) दसवें

    प्रश्न 3.
    विश्व में कुल कितने जैव विविधता तप्त स्थल (Biodiversity hotspot) हैं?
    (क) 25
    (ख) 20
    (ग) 34
    (घ) 33

    प्रश्न 4.
    भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव कौन सा है?
    (क) गांगेय डॉल्फिन
    (ख) व्हेल
    (ग) स्टार फिश
    (घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

    प्रश्न 5.
    निम्न में से कौन सा जैव विविधता तप्त स्थल (Biodiversity hotspot) भारतीय क्षेत्र में आता है?
    (क) मेडागास्कर के द्वीप समूह
    (ख) पूर्वी मलेशियाई द्वीप समूह
    (ग) इंडो-बर्मा
    (घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

    प्रश्न 6.
    अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस कब मनाया जाता है?
    (क) 21 मई
    (ख) 23 मई
    (ग) 22 मई
    (घ) 24 मई

    प्रश्न 7.
    अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता वर्ष कब मनाया गया?
    (क) 2012
    (ख) 2010
    (ग) 2011
    (घ) 2009

    प्रश्न 8.
    आज लगभग कितनी जन्तु प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं?
    (क) 8000
    (ख) 2000
    (ग) 2800
    (घ) 4000

    प्रश्न 9.
    निम्न में से कौन-सा जीव भ्रामक धारणाओं के कारण ग्रामीणों के द्वारा मारा जाता रहा है?
    (क) गोयरा।
    (ख) गोडावण
    (ग) मेंढक
    (घ) डोडो

    प्रश्न 10.
    1992 में पृथ्वी सम्मेलन कहाँ हुआ था?
    (क) नई दिल्ली
    (ख) पेरिस
    (ग) पर्थ
    (घ) रियो-डि-जिनेरियो

    उत्तरमाला-
    1. (क)
    2. (ग)
    3. (ग)
    4. (क)
    5. (ग)
    6. (ग)
    7. (ख)
    8. (घ)
    9. (क)
    10 (घ)

    अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 11.
    जैवविविधता के तीन स्तर लिखिए।
    उत्तर-

    • प्रजाति विविधता
    • आनुवंशिक विविधता तथा
    • पारिस्थितिक तंत्र विविधता।

    प्रश्न 12.
    वैज्ञानिक पृथ्वी पर पाए जाने वाली कितनी प्रतिशत प्रजातियाँ पहचान पाए हैं?
    उत्तर-
    17 से 20 लाख प्रजातियों को ही पहचान पाये हैं।

    प्रश्न 13.
    जैव विविधता तप्त स्थल (Biodiversity hotspot) क्या होते हैं ?
    उत्तर-
    ऐसे क्षेत्र जहाँ बहुत अधिक जैवविविधता होती है, जैवविविधता तप्त स्थल होते हैं।

    प्रश्न 14.
    भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव कौनसा है?
    उत्तर-
    गांगेय डाल्फिन भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव है।

    प्रश्न 15.
    भारत के जैव विविधता तप्त स्थल (Biodiversity hotspot) के नाम लिखो।
    उत्तर-
    भारत के जैवविविधता तप्त स्थल निम्न प्रकार से हैं-

    • पूर्वी हिमालय
    • पश्चिमी घाट
    • इंडो-बर्मा जैव विविधता तप्त स्थल

    प्रश्न 16.
    दो स्थानबद्ध प्रजातियों के नाम लिखो।
    उत्तर-

    • लेमूर तथा
    • डोडो पक्षी

    प्रश्न 17.
    दो संकटग्रस्ट प्रजातियों के नाम लिखो।
    उत्तर-

    • चीता तथा
    • बघेरा।

    प्रश्न 18.
    भारत का विश्व में जैव विविधता स्तर पर कौनसा स्थान है?
    उत्तर-
    जैवविविधता की दृष्टि से भारत विश्व के 17 वृहद् जैवविविधता वाले देशों में है।

    लघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 19.
    जैवविविधता का अर्थ समझाइये।
    उत्तर-
    जैवविविधता दो शब्दों से मिलकर बना है-जैव अर्थात् जीवन तथा विविधता अर्थात् विभिन्नता। अतः जैवविविधता का अर्थ है पृथ्वी पर पाये जाने वाले जीवधारियों के बीच पाई जाने वाली विभिन्नता । जीवधारियों में पेड़-पौधे तथा जन्तु सभी सम्मिलित हैं अतः जैवविविधता एक व्यापक शब्द है । इसका विस्तार अतिसूक्ष्म लाइकेन से लेकर विशालकाल वृक्ष बरगद तथा रेडवुड, अतिसूक्ष्म जलीय प्लेंकटोन से लेकर विशालकाय व्हेल तथा अतिसूक्ष्म जीवाणुओं से लेकर विशालकाय हाथी तक पाया जाता है।

    प्रश्न 20.
    पूर्वी हिमालय बायोडाइवर्सिटी हॉटस्पॉट में पाए जाने वाली जैव विविधता पर लघु लेख लिखिए।
    उत्तर-
    इसके अन्तर्गत पूर्वी हिमालय को असम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम तथा पश्चिम बंगाल राज्यों का क्षेत्र आता है। हिमालय पर्वत में असीम जैवविविधता है। यहाँ के 7,50,000 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैले हिमालय के जैवविविधता तप्त स्थल क्षेत्र में वनस्पतियों की लगभग 1000 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से 3,160 प्रजातियाँ स्थानबद्ध (endemic) हैं। प्राणियों में 300 प्रजातियाँ स्तनधारी की हैं। जिनमें से 12 प्रजातियाँ स्थानबद्ध व 997 प्रजातियाँ पक्षियों की हैं। इसके अतिरिक्त सरिसृपों, उभयचरों व मछलियों की भी अनेक प्रजातियाँ हैं। यहाँ के प्रमुख जीव हिमालयी तहर, सुनहरा लंगूर, हुलोक गिब्बन, पिग्मी हॉग, उड़न गिलहरी, हिम तेंदुआ, ताकिन, गांगेय डॉल्फिन आदि हैं।

    प्रश्न 21.
    इंडो-बर्मा बायोडाइवर्सिटी हॉटस्पॉट में कौन-कौन से देश सम्मिलित हैं?
    उत्तर-
    उक्त बायोडाइवर्सिटी में उष्णकटिबंधीय पूर्वी एशिया में चीन, भारत, म्यांमार, वियतनाम, थाइलैण्ड, कम्बोडिया तथा मलेशिया देश हैं।

    प्रश्न 22.
    विदेशी प्रजातियों के आक्रमण का जैव-विविधता पर क्या प्रभाव होता है?
    उत्तर-
    यह देखा गया है कि विदेशी प्रजातियों के आने से स्थानीय प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है तथा यह सम्पूर्ण पारिस्थितिक तंत्र में असंतुलन उत्पन्न कर देते हैं। जैसे कुछ पादप प्रजातियों को सौन्दर्गीकरण के लिए हमारे देश में लाया गया, उदा. लैन्टाना तथा जलकुम्भी । वस्तुतः लैन्टाना को अंग्रेज 1807 में भारत लाये तथा इसे कोलकाता के वनस्पति उद्यान में लगाया था किन्तु यह पादप धीरे-धीरे समूचे उपमहाद्वीप में फैल गया। आज यह पौधा स्थानीय जैवविविधता के लिए संकट बना है क्योंकि यह आसपास अन्य पौधों को उगने नहीं देता व न ही इसे जानवर खाते हैं। इसी प्रकार जलकुम्भी को भी ब्राजील से लाया गया जो वर्तमान में भारत के सभी जलस्रोतों में फैल चुकी है।

    जलकुम्भी के अनियंत्रित विस्तार से यह सूर्य के प्रकाश को रोककर जल में विद्यमान सभी पौधों को नष्ट कर देती है तथा अन्य जलीय जीवों को ऑक्सीजन कम मिलने से वे मरने लगते हैं। अमेरिका से आयातित किये गये गेहूं में आई गाजर घास (Partheniuin) भी इसका उदाहरण है। यह 1950 में अमेरिका से आयात किये गये गेहूँ के साथ भारत में आई। गाजर घास विश्व के सबसे खतरनाक खरपतवारों में से एक है। इसे जानवर तक नहीं खाते हैं। इसमें अनेक ऐसे रासायनिक पदार्थ होते हैं जो मानव में एलर्जी रोग उत्पन्न करते हैं। यह भी स्थानीय जैवविविधता के लिये भारी संकट है।

    प्रश्न 23.
    ‘मेंढक की टांगों के निर्यात का जैवविविधता पर प्रतिकूल प्रभाव हुआ है।” इस कथन को समझाइये।
    उत्तर-
    यह एक प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित विदोहन का उदाहरण है। मानव ने व्यावसायिक लाभ के लिए सजीवों का अत्यधिक वे अनियंत्रित दोहन किया है। उदाहरणस्वरूप, यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका में मेंढक की टांगों का उपयोग खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए होता है। भारत सहित अनेक एशियाई देश मेंढक की टाँगों का निर्यात करते हैं। सन् 1983 में भारत ने 3650 मीट्रिक टन मेंढक की टाँगें निर्यात कीं जिसके कारण जंगलों में मेंढक की संख्या कम होती गई तथा ऐसे कीट जिन्हें मेंढक खाते थे, की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हो गई। स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए 1 अप्रैल, 1987 से भारत सरकार को मेंढकों के व्यवसाय पर प्रतिबंध लगाना पड़ा।

    प्रश्न 24.
    जैवविविधता संरक्षण हेतु राष्ट्रीय स्तर पर हुए प्रयासों को लिखिये।।
    उत्तर-
    जैवविविधता पर अन्तर्राष्ट्रीय संधि सी.बी.डी. (Convention on Bio-diversity) के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखकर केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2002 में जैवविविधता एक्ट बनाया गया, जिसके तीन मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार से हैं

    • जैवविविधता का संरक्षण।
    • जैवविविधता को ऐसा उपयोग जिससे यह लम्बे समय तक उपलब्ध रहे ।
    • देश के जैविक संसाधनों के उपयोग से होने वाले लाभों का समान वितरण ताकि यह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँच सके।

    उक्त उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु जैवविविधता एक्ट 2002 में त्रिस्तरीय संगठन का प्रावधान है-राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण, राज्यों में जैवविविधता बोर्ड तथा स्थानीय स्तर पर जैवविविधता प्रबंध समितियाँ।

    भारत में पर्यावरण, वन, जल, वायु एवं जैवविविधता कानूनों को एक ही दायरे में लाने के उद्देश्य से 2 जून, 2010 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण का गठन हुआ। इसका मुख्यालय भोपाल में है। उक्त कानूनों के अन्तर्गत अपील उच्च

    न्यायालय के स्थान पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण में की जायेगी जिससे इनसे सम्बन्धित विवादों का निष्पादन तेजी से होगा।

    प्रश्न 25.
    जैवविविधता संरक्षण के प्रकार लिखिए।
    उत्तर-
    जैवविविधता संरक्षण से तात्पर्य है कि जिनसे जीन्स, प्रजाति, आवास तथा ईको-सिस्टम का संरक्षण हो। जैवविविधता संरक्षण निम्न दो विधियों द्वारा किया जाता है

    1. स्वःस्थाने संरक्षण (In-situ conservation)-ऐसा संरक्षण जो प्राकृतिक आवास में ही मानव द्वारा प्रदत्त अनुरक्षण से किया जाता है, स्वःस्थाने संरक्षण कहलाता है। जिस संकटग्रस्त प्रजाति को संरक्षित करना होता है, उसके अनुसार चयनित प्राकृतिक आवास में ही अनुकूल परिस्थितियाँ एवं सुरक्षा उपलब्ध कराई जाती है। इसके अन्तर्गत जीवमण्डल रिजर्व, राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य तथा संरक्षण रिजर्व आदि की स्थापना की जाती है।
    2. बहिस्थाने संरक्षण (Ex-situ Conservation)-इसमें प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवास से बाहर कृत्रिम आवास में संरक्षण प्रदान किया जाता है। इसके लिए वानस्पतिक उद्यान, बीज बैंक, ऊतक संवर्धन प्रयोगशाला आदि की। स्थापना की जाती है।

    निबन्धात्मक प्रश्न
    प्रश्न 26.
    जैवविविधता के विभिन्न स्तर बताइये।
    उत्तर-
    जैवविविधता के निम्न तीन स्तर होते हैं|

    प्रजाति विविधती Species diversity)-जीवों का इस प्रकार का समूह जिसके सदस्य दिखने के अन्दर एक जैसे हों तथा प्राकृतिक परिवेश में प्रजनन कर सन्तान पैदा करने की क्षमता रखते हों, उसे प्रजाति कहते हैं। किसी क्षेत्र विशेष में उपस्थित जीवों (पौधे व जन्तु) की विभिन्न प्रजातियों की कुल संख्या उस क्षेत्र की प्रजाति विविधता कहलाती है। जैवविविधता का सामान्य अर्थ प्रजाति विविधता से ही लगाया जाता है। यह किसी पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन की मापन इकाई है। सूक्ष्मजीवों की संख्या तथा विविधता पृथ्वी पर पाये। जाने वाले अन्य जीवों की तुलना में कई गुणा अधिक है। केवल 1 ग्राम मृदा में 10 करोड़ जीवाणु तथा पचास हजार तक कवक हो सकती हैं।

    आनुवंशिक विविधता (Genetic diversity)-एक ही प्रजाति के विभिन्न सदस्यों के मध्य आनुवंशिक इकाई जीन (Gene) के कारण पाये जाने वाली भिन्नता आनुवंशिक विविधता कहलाती है। इस प्रकार की विभिन्नता एक प्रजाति के विभिन्न जनसंख्या समूहों के बीच अथवा एक जनसंख्या के विभिन्न सदस्यों के मध्य पाई जाती है।

    विश्व के विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों में एक प्रजाति जैसे चावल या हिरण या मेंढक का विभिन्न गुणों के साथ पाया जाना आनुवंशिक विविधता का ही उदाहरण है। यदि किसी प्रजाति के सदस्यों में अधिक आनुवंशिक विभिन्नता पाई जाती हो तो उसके विलुप्त होने का खतरा उतना ही कम होगा क्योंकि उसमें वातावरण के साथ अनुकूलन करने की क्षमता अधिक होगी। इसी विभिन्नता के फलस्वरूप एक प्रजाति के नये सदस्यों (किस्मों) का जन्म होता है।

    पारिस्थितिक तंत्र विविधता (Ecosystem diversity)-किसी क्षेत्र विशेष के समस्त जीव-जन्तुओं की परस्पर तथा उनके पर्यावरण के विभिन्न अजैविक घटकों में अन्त:क्रियाओं से निर्मित तंत्र पारिस्थितिक तंत्र कहलाता है। इस पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तंत्र पाये जाते हैं, जैसे-घास के मैदान, मरुस्थल, पहाड़, नम भूमि, नदी-घाटी, समुद्र, उष्ण कटिबन्धीय वन इत्यादि। इन पारिस्थितिक तंत्रों की अपनी भौगोलिक व पर्यावरणीय विशेषताएँ होती हैं, जिसके फलस्वरूप वहाँ पर पाये जाने वाले जीव-जन्तुओं व पादपों में भिन्नता होती है। इस विभिन्नता को ही पारिस्थितिक तंत्र की विविधता कहते हैं।

    प्रश्न 27.
    जैवविविधता के तप्त स्थलों के बारे में समझाइये।
    उत्तर-
    ऐसे क्षेत्र जहाँ पर बहुत अधिक जैवविविधता होती है, उन्हें जैवविविधता के तप्त स्थल (Biodiversity hotspot) कहते हैं। इसकी अवधारणा सर्वप्रथम 1988 में नार्मन मेयर्स (Norman Myers) ने दी थी। इस आधार पर 1999 में विश्व के 25 क्षेत्रों को जैवविविधता तप्त स्थल घोषित किया गया। वर्तमान में विश्व में 34 बायोडाइवर्सिटी हॉट स्पॉट हैं। इन क्षेत्रों में विश्व की वनस्पतियों की 50 प्रतिशत स्थानबद्ध (endemic) प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

    किसी भी क्षेत्र को जैवविविधता तप्त स्थल घोषित करने के लिए दो शर्तों का होना आवश्यक है

    उस क्षेत्र में विश्व की कुल स्थानबद्ध प्रजातियों की 0.5 प्रतिशत से अधिक प्रजातियाँ उपस्थित हों। संख्या के दृष्टिकोण से उस स्थान पर कम से कम 1500 स्थानबद्ध प्रजातियाँ होनी चाहिए।

    उस क्षेत्र के मूल आवास का 70 प्रतिशत उजड़ चुका हो अर्थात् मानव गतिविधियों से उस क्षेत्र के अस्तित्व पर संकट गहरा रहा हो।
    इस प्रकार के क्षेत्रों को संरक्षण की तत्काल आवश्यकता होती है इसीलिए इन्हें बायोडाइवर्सिटी हॉटस्पॉट घोषित किया जाता है तथा यहाँ पर व्यापक स्तर पर संरक्षण कार्यक्रम चलाये जाते हैं। घोषित 34 बायोडाइवर्सिटी हॉटस्पॉट का कुल क्षेत्रफल पृथ्वी के कुल क्षेत्रफल का मात्र 2-3 प्रतिशत है। विश्व के कुछ प्रमुख बायोडाइवर्सिटी हॉटस्पॉट-अटलांटिक वन, पूर्वी मलेशियाई द्वीप समूह, दक्षिणपश्चिम चीन के पर्वत, मेडागास्कर के द्वीप समूह, मध्य अमेरिका, कोलम्बिया चोको, मध्य चिली, पूर्वी हिमालय, पश्चिमी घाट, श्रीलंका, इंडो-बर्मा आदि हैं।

    भारत के जैवविविधता तप्त स्थल (Biodiversity hotspots of India)-
    दो तप्त स्थल पूर्वी हिमालय व पश्चिमी घाट पूर्ण रूप से भारत में स्थित हैं। जबकि इंडो-बर्मा तप्त स्थल में कुछ भारतीय भूभाग हैं।

    पूर्वी हिमालय जैवविविधता तप्त स्थल-इसके अन्तर्गत पूर्वी हिमालय का असम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम तथा पश्चिम बंगाल राज्यों का क्षेत्र आता है। हिमाचल पर्वत श्रृंखला पूर्णतः जैवविविधता से संपन्न है। यहाँ वनस्पतियों की 10,000 प्रजातियाँ मिलती हैं, जिनमें से 3,160 प्रजातियाँ स्थानबद्ध हैं। इस क्षेत्र में पाये जाने वाले प्रमुख जीवों के नाम हैं-हिमालय तहर, सुनहरा लंगूर, हुलोक गिब्बन, पिग्मी हॉग, उड़न गिलहरी, हिम तेंदुआ, ताकिन, गांगेय डॉल्फिन आदि। गांगेय डॉल्फिन को 2002 में भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया है।

    पश्चिमी घाट जैवविविधता तप्त स्थल–यह भारत के पश्चिमी तट से लगा हुआ पश्चिमी घाट विश्व का एक प्रमुख जैवविविधता तप्त स्थल है। इसमें केरल राज्य सम्मिलित है। इस क्षेत्र में वनस्पतियों की 5916 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। जिनमें से लगभग 50 प्रतिशत स्थानबद्ध (endemic) हैं। यहाँ पाये जाने वाले मुख्य जीव हैं-मालाबार गन्ध बिलाव, एशियाई हाथी, मालाबार ग्रे लॅर्नबिल, नीलगिरी तहर, मैकाक बन्दर इत्यादि।

    इंडो-बर्मा जैवविविधता तप्त स्थल-यह तप्त स्थल उष्णकटिबंधीय पूर्वी एशिया में चीन, भारत, म्यांमार, वियतनाम, थाइलैण्ड, कम्बोडिया तथा मलेशिया के क्षेत्र में है। यहाँ असंख्य वनस्पतियाँ, स्तनधारी जीव, उभयचर व मछलियों की प्रजातियाँ मिलती हैं।

    प्रश्न 28.
    जैवविविधता के महत्त्व को समझाइये।
    उत्तर-
    जैवविविधता एक प्राकृतिक संसाधन है। इसमें जीवों के जीवन के लिए प्राकृतिक एवं जैविक स्रोत मिलते हैं। इससे ही मानव की आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। जैवविविधता का महत्त्व निम्न प्रकार से है

    (i) आर्थिक महत्त्व-जैवविविधता से ही मानव की आधारभूत आवश्यकताओं भोजन, ईंधन, चारा, इमारती लकड़ी, औद्योगिक कच्चा माल, कपड़ा व मकान प्राप्त होता है। बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जैवविविधता का उपयोग कृषि पैदावार बढ़ाने के साथ-साथ रोगरोधी तथा कीटरोधी फसलों की किस्मों के विकास में किया जा रहा है। उदाहरणार्थ-हरित क्रांति के लिए गेहूं की बौनी किस्मों का विकास जापान के नारीन-10 नामक गेहूं की किस्म से तथा धान की बौनी किस्मों का विकास ताईवान में पायी जाने वाली डी-जियो-रु-जेन नामक धान की प्रजाति से किया गया था। सन् 1970 के दशक में जब एशिया महाद्वीप के क्षेत्र में धान की फसलें ग्रासी स्टन्ट विषाणु से नष्ट हो गई थीं तब पूर्वी उत्तर प्रदेश में 1963 में संग्रहित की गई जंगली धान की प्रजाति ‘ओराइजा निवेरा’ (Oryza nivara) से उक्त रोग के प्रति प्रतिरोधी क्षमता विकसित की गई। यदि यह प्रजाति संरक्षित नहीं की जाती तो हम कल्पना कर सकते हैं कि एशिया महाद्वीप में जहाँ अधिक जनसंख्या धान पर निर्भर है, उसकी क्या हालत होती?

    वर्तमान में जंगली धान के रोगरोधी और कीटरोधी 20 मुख्य जीन्स (genes) का उपयोग धान सुधार कार्यक्रम में हो रहा है। अभी विश्व पेट्रोलियम पदार्थों के सीमित संसाधनों तथा उनके अनियंत्रित दोहन से चिंतित है। ऐसे में जैट्रोपा व करंज नामक पौधों से बायोडीजल प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है।

    (ii) औषधीय महत्त्व (Medicinal Value)-प्राचीन काल से ही पौधों का औषधीय क्षेत्र में विशेष महत्त्व रहा है। आयुर्वेद में तो पौधों से ही प्राप्त औषधियों से इलाज किया जाता है। कुनैन का इलाज सिनकोना पादप की छाल से, सदाबहार विनक्रिस्टीन (Vincristine) तथा विनब्लास्टीन (Vinblastine) पौधों का उपयोग असाध्य रक्त कैंसर (Leukemia), टैक्सस बकाटा वृक्ष की छाल का कैंसर रोग में तथा सर्पगन्धा का उपयोग रक्तचाप के इलाज में किया जाता है। अनेक पौधे जैसेतुलसी, ब्राह्मी, अश्वगंधा, शतावरी, गिन्गो गिलोय आदि पौधों में एड्स (AIDS) रोधी गुण पाये जाते हैं।

    (iii) पर्यावरणीय महत्त्व (Environmental Value)-

    (अ) खाद्य-श्रृंखला का संरक्षण (Conservation of food chain)-
    पारिस्थितिक तंत्र में एक जीव अन्य जीव का भक्षण करते हैं अतः एक प्रजाति किसी अन्य प्रजाति पर निर्भर होती है। यदि तंत्र में एक प्रजाति विलुप्त हो जाये तो खाद्य श्रृंखला का असंतुलन हो जाता है परन्तु जैवविविधता सम्पन्न होने से खाद्य श्रृंखला के वैकल्पिक पथ होते हैं, जिसके कारण खाद्य श्रृंखलायें त्रिस्तर रहती हैं। इसकी कमी अन्य प्रजाति पूर्ण करती है। इस प्रकार खाद्य श्रृंखला का संरक्षण होता है।

    (ब) पोषक चक्र नियंत्रण (Protection of nutrient cycle)-
    जैवविविधता पोषक चक्र को गतिमान रखती है। मिट्टी में विद्यमान जीवाणुओं की विविधता जीवों के मृत भागों को विघटित करके पुनः पौधों को उपलब्ध कराती है। अतः इस प्रकार से यह चक्र गतिमान रहता है।

    (स) पर्यावरण प्रदूषण का निस्तारण (Expeditation of environmental pollutants)-
    अनेक पौधे प्रदूषकों का विघटन व अवशोषण करने की क्षमतायुक्त होते हैं। जैसे सदाबहार पौधे में ट्राइनाइट्रोटोलुईन विस्फोटक का विघटन करने की क्षमता होती है। अनेक जीवाणु जैसे स्यूडोमोनास प्यूटिडा, आर्थोबेक्टर विस्कोसस व साइट्रोबेक्टर प्रजातियों में औद्योगिक अपशिष्ट से भारी धातुओं को हटाने की क्षमता होती है। राइजोपस ओराइजीस कवक में यूरेनियम व थोरियम तथा पेनिसीलियम क्राइसोजीनम में रेडियम जैसे घातक तत्वों को हटाने की क्षमता होती है।

    (iv) सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक महत्त्व (Social, cultural and spiritual value)-मानव व वनस्पति का सम्बन्ध प्राचीन समय से रहा है। आज भी कुछ आदिवासी अपनी सम्पूर्ण आवश्यकतायें पौधों से प्राप्त करते हैं। कुछ पौधे जैसे तुलसी, पीपल, बरगद, केला, आम, आंवला का आज भी हमारी संकृति में विशेष स्थान है। समय-समय पर इनकी पूजा की जाती है। प्राणियों में भी गाय, बछडे, मोर, हंस, चूहा, हाथी, कौए को भी हमारी संस्कृति में महत्त्व है। हमारे देश में ऐसे वन क्षेत्र हैं जिन्हें देववन कहा जाता है, लोग स्वेच्छा से इनका संरक्षण करते हैं।

    विश्व स्तर पर जैवविविधता के इस महत्त्व को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने.. वर्ष 2010 को अन्तर्राष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष के रूप में मनाया। वस्तुतः जैवविविधता प्रकृति का अनुपम उपहार है जो पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अतः हम सभी का कर्तव्य है कि हम जैवविविधता का संरक्षण करें ताकि पृथ्वी पर जीवन अपने विभिन्न रूपों में सदैव मुस्कराता रहे।

    प्रश्न 29.
    उन विभिन्न कारणों की विवेचना करें जो जैवविविधता के ह्रास के लिए उत्तरदायी हैं?
    उत्तर-
    वैसे प्रकृति में जीवों का विलुप्त होना व नई प्रजातियों का पैदा होना एक प्राकृतिक घटना है किन्तु अनेक ऐसे कारण हैं जिससे वर्तमान में जैवविविधता पर संकट उत्पन्न हो गया है। आज लगभग 4000 जन्तु प्रजातियाँ तथा 60,000 वनस्पति प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं। वर्तमान में हम फसलों की 75 प्रतिशत आनुवंशिक विविधता खो चुके हैं। गत वर्षों में भारत से एशियाई चीता, जावाईन गैंडा, हिमालयन क्वेल, पिंक हैडेड डक पूर्ण रूप से विलुप्त हो चुके हैं। जैवविविधता संकट के निम्न कारण हैं

    प्राकृतिक आवासों को नष्ट होना (Habitat loss)-प्रत्येक जीव अपने निश्चित आवास में रहकर जीवनयापन व अपनी संख्या में वृद्धि करता रहता है। बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हम इन प्राकृतिक आवासों को नष्ट कर रहे हैं। वनों की कटाई, वनस्पति के रोग, कृषि भूमि का विस्तार, शहरीकरण, रेल-रोड मार्ग, उद्योग-धंधों की स्थापना के लिए निरन्तर वनों को साफ किया जा रहा है। इस कारण जैवविविधता नष्ट हो रही है तथा जीवों का विलुप्तीकरण बढ़ता जा रहा है।

    प्राकृतिक आवास विखण्डन (Habitat Fragmentation)-वन्य प्राणियों के लिए पूर्व में बड़े-बड़े अविभक्त क्षेत्र विस्तारित थे, परन्तु आज अनेक ऐसे कारण जैसे रेल-रोड मार्ग, गैस पाइप लाइन, नहर, विद्युत लाइन, बाँध, खेत, शहर आदि के कारण इनके प्राकृतिक आवास विखण्डित हो गये हैं। इससे उनके प्राकृतिक क्रियाकलाप बाधित होते हैं तथा ये अपने को इन गतिविधियों से असुरक्षित महसूस करते हैं। अनेक प्राणी वाहनों की चपेट में आने से मर जाते हैं या मानव बस्ती में आ जाने पर मार दिये जाते हैं। दुधवा राष्ट्रीय उद्यान से गुजरने वाली रेलवे लाइन से प्रतिवर्ष अनेक प्राणी दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं।

    जलवायु परिवर्तन (Climate change)-मानव क्रियाकलापों व प्रदूषण के कारण आज पृथ्वी पर ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा काफी बढ़ती जा रही है, इस कारण पृथ्वी का तापक्रम निरन्तर बढ़ता जा रहा है। बढ़ते तापमान के कारण ध्रुवों पर जमा बर्फ पिघलकर समुद्रों के जलस्तर को बढ़ा रहे हैं। इससे समुद्री जैवविविधता तथा समुद्र के आसपास की विविधता को नष्ट होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार यदि पृथ्वी का तापमान 3.5 डिग्री सेन्टीग्रेड बढ़ता है तो विश्व की 70 प्रतिशत प्रजातियों पर विलुप्तता का खतरा हो जायेगा।

    पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution)-पर्यावरण प्रदूषण का दुष्प्रभाव प्राणियों व पौधों पर पड़ता है। औद्योगिक अपशिष्ट से प्रदूषित भूमि व जल में अनेक वनस्पति व जीव नष्ट हो जाते हैं। अत्यधिक वायु प्रदूषण के फलस्वरूप होने वाली तेजाबी वर्षा से भी अनेक सूक्ष्मजीव व वनस्पति नष्ट हो जाती। है। इसी प्रकार कृषि पैदावार बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद व कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से मृदा में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीव विलुप्त हो रहे हैं जिससे भूमि । की उर्वरता भी प्रभावित हो रही है।

    प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित विदोहन (Over exploitation of Natural Resources)-मानव ने व्यावसायिक लाभ हेतु वनस्पति व जीवजन्तुओं का अत्यधिक व अनियंत्रित दोहन किया है जिसके कारण अनेक प्रजातियों का जीवन संकट में पड़ गया है। जैसे कि यूरोप व उत्तरी अमेरिका में मेंढक की टांगों का उपयोग खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। अनेक देशों ने मेंढक की टांगों का निर्यात किया है, जिससे मेंढकों की संख्या कम हो गई है। वे कीट जिन्हें मेंढक खाते हैं, उनकी संख्या में वृद्धि हो गई है। इस कारण भारत ने 1 अप्रेल 1987 से मेंढकों के व्यवसाय पर रोक लगा दी।

    कृषि व वानिकी में व्यावसायिक प्रवृत्ति (Industrial practices in Agriculture and Forestry)-हरित क्रान्ति से पूर्व में किसान अपने खेतों में विभिन्न किस्मों के अनाज, फल, सब्जी आदि उगाते थे तथा विभिन्न नस्लों के पशु रखते थे। परन्तु कम समय में अधिक उत्पादन की लालसा में वर्तमान में किसान उन्नतबीजी कुछ प्रजातियों को ही उगाता है तथा अधिक उत्पादन देने वाले पशु की संकर नस्लों को ही रखते हैं। इस कारण आनुवंशिक जैवविविधता तेजी से नष्ट होती जा रही है। उदाहरणार्थ इण्डोनेशिया में गत 15 वर्षों से 80 प्रतिशत किसान अधिक उत्पादन देने वाली चावल की कुछ संकर किस्में ही उगा रहे हैं जिससे वहां चावल। की लगभग 1500 स्थानीय किस्में विलुप्त हो चुकी हैं। इससे भविष्य में खतरा है। क्योंकि यदि कभी महामारी फैली तो सभी फसलें एक साथ नष्ट हो जायेंगी तथा भूखे मरने की स्थिति बन जाएगी।
    इसी प्रकार पेपर, माचिस, प्लाईवुड व औद्योगिक कच्चे माल के लिए आज प्राकृतिक वनों को नष्ट कर एक ही प्रजाति (Monoculture) के वन उगाए जा रहे हैं जिससे जैवविविधता में निरन्तर कमी आ रही है।

    विदेशी प्रजातियों का आक्रमण (Invasion of Foreign Species)-कभी-कभी विदेशी प्रजातियों के आने से स्थानीय प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है व पारिस्थितिक तंत्र में असंतुलन पैदा हो जाता है। कुछ विदेशी प्रजातियों जैसे लैन्टाना व जलकुम्भी को सौन्दर्यांकरण हेतु भारत में लाया गया। ये प्रजातियाँ शीघ्रता से सम्पूर्ण भारत में फैल गईं व स्थानीय जातियाँ नष्ट होने लग गईं। विदेशी आयातित गेहूँ के साथ हमारे देश में गाजर घास (Parthenium) आई, जिसके कारण समस्या उत्पन्न हो गई। (लघूत्तरात्मक प्रश्न संख्या 22 में भी देखिये) । यही स्थिति वन्य जीवों के साथ भी होती है।

    अंधविश्वास एवं अज्ञानता (Superstition and Ignorance)कभी-कभी अंधविश्वास व अज्ञानता के कारण भी जैवविविधता पर संकट बढ़ जाता है। जैसे मनुष्यों की बोली समझने की भ्रामक अवधारणा के कारण गागरोनी तोते बड़ी संख्या में पकड़े जाने से लुप्त हो गए हैं। यौनवर्द्धक माने जाने वाले गोडावण पक्षी का अधिक संख्या में शिकार होने से यह जाति आज संकटग्रस्त है। इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में यह धारणा है कि गोयरे की सांस जहरीली होती है, इस कारण ग्रामीण गोयरे को देखते ही मारने का प्रयास करते हैं।

    प्रश्न 30.
    जैवविविधता के संरक्षण हेतु हुए प्रयासों पर एक लेख लिखिये।
    उत्तर-
    1968 में विश्व प्राकृतिक संरक्षण संघ (IUCN) ने अध्ययन कर 1972 में ‘रेड डाटा बुक’ का प्रकाशन किया जिसमें लुप्त हो रही जातियों को सूचीबद्ध किया। IUCN ने 1973 में एक कनवेंशन CITES (Convention of international trade in endangered species) आयोजित की जिसमें संकटग्रस्त प्रजातियों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार पर नियंत्रण लगाया। 1992 में ब्राजील के शहर रियो-डि-जिनिरियो में पृथ्वी सम्मेलन हुआ जिसमें सभी देशों में जैवविविधता के संरक्षण हेतु प्रयास को बढ़ावा देने की सहमति बनी।।

    इसे देखकर भारत सरकार ने 2002 में जैवविविधता एक्ट 2002 बनाया। इस एक्ट के अनुसार जैवविविधता का संरक्षण, जैवविविधता का उपयोग इस प्रकार हो कि यह लम्बे समय तक उपलब्ध रहे व इसका समान वितरण सभी में हो। इस एक्ट में त्रिस्तरीय संगठन का प्रावधान है-राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण, राज्यों में जैवविविधता बोर्ड तथा स्थानीय स्तर पर जैवविविधता प्रबंध समितियाँ। भारत में पर्यावरण, वन, जल व वायु जैवविविधता कानूनों को एक दायरे में लाने के उद्देश्य से 2 जून, 2010 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण का गठन हुआ जिसका मुख्यालय भोपाल में है।
    जैवविविधता का संरक्षण निम्न दो प्रकार से किया जाता है

    स्वःस्थाने संरक्षण (In-situ Conservation)-जीवों के विकास एवं वृद्धि के लिए इनके प्राकृतिक आवास ही सर्वाधिक उपयुक्त होते हैं। ऐसा संरक्षण जो प्राकृतिक आवास में ही मानव द्वारा प्रदत्त अनुरक्षण से किया जाता है, स्वःस्थाने (Insitu) संरक्षण कहलाता है। जिस संकटग्रस्त प्रजाति को संरक्षित करना होता है, उसके अनुसार चयनित प्राकृतिक आवास में ही अनुकूल परिस्थितियाँ एवं सुरक्षा उपलब्ध कराई जाती है। इसके तहत जीवमण्डल रिजर्व (Biosphere Reserve), राष्ट्रीय उद्यान (National Parks), अभयारण्य (Wild Life Sancturies) तथा संरक्षण रिजर्व (Conservation Reserve) आदि की स्थापना की जाती है। वर्तमान में भारत में 14 जैवमण्डल रिजर्व, 99 राष्ट्रीय उद्यान तथा 523 वन्यजीव अभयारण्य तथा 47 संरक्षित रिजर्व स्थापित किए जा चुके हैं, जिनमें देश का कुल 1,58,745 वर्ग किमी. क्षेत्र संरक्षित हो चुका है जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 4.83 प्रतिशत है।

    बहिस्थाने संरक्षण (Ex-situ Conservation)-जैवविविधता संरक्षण की इस विधि में संकटग्रस्त पादप व जन्तु प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवास से बाहर कृत्रिम आवास में संरक्षण प्रदान किया जाता है। इसके तहत वनस्पति प्रजातियों के संरक्षण हेतु वानस्पतिक (Botanical) उद्यान, बीज बैंक, उतक संवर्धन प्रयोगशाला (Tissue culture laboratories) आदि की स्थापना की जाती है। वहीं जन्तुओं के संरक्षण हेतु चिड़ियाघर, एक्वेरियम आदि की स्थापना की जाती है। संकटग्रस्त पादपों व जन्तुओं के जननद्रव्यों (Germplasm) अर्थात् बीज, फल, पराग, बीजाणु, शुक्राणु, अण्डाणु आदि का संरक्षण निम्न ताप संरक्षण विधि (Cryopreservation) व मंद वृद्धि कल्चर (Slow Growth Culture) तकनीक से किया जाता है। इसके अलावा संकटग्रस्त पौधों या जन्तुओं के जीन्स (Genes) को अंकुरणक्षम अवस्था में जीन बैंकों (Gene Banks) में सुरक्षित रखा जाता है।

    अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

    वस्तुनिष्ठ प्रश्न
    प्रश्न 1.
    ऐसे क्षेत्र जहाँ बहुत अधिक जैवविविधता पाई जाती है, कहलाते हैं
    (अ) तृप्त स्थल
    (ब) तरस स्थल
    (स) तप्त स्थल
    (द) तृण स्थल

    प्रश्न 2.
    किस वर्ष में विश्व प्राकृतिक संरक्षण संघ का गठन हुआ था?
    (अ) 1958
    (ब) 1968
    (स) 1972
    (द) 2002

    प्रश्न 3.
    वह क्षेत्र जो जैवविविधता से सम्पन्न है, वह है
    (अ) भूमध्य
    (ब) शीतोष्ण
    (स) उप-शीतोष्ण
    (द) उपर्युक्त सभी

    प्रश्न 4.
    केरल राज्य किस जैवविविधता तप्त स्थल का क्षेत्र है?
    (अ) पूर्वी हिमालय
    (ब) पश्चिमी घाट
    (स) इंडो-बर्मा
    (द) उपर्युक्त में से कोई नहीं

    प्रश्न 5.
    रक्त कैंसर के उपचार में उपयोगी पादप है-
    (अ) सर्पगंधा
    (ब) अश्वगंधा
    (स) सदाबहार
    (द) शतावरी

    प्रश्न 6.
    जीवाणु जो औद्योगिक अपशिष्ट से भारी धातुओं को हटाने की क्षमता रखते हैं, वे हैं
    (अ) स्यूडोमोनॉस प्यूटिडा
    (ब) आर्थोबेक्टर विस्कोसस
    (स) साइट्रोबेक्टर
    (द) उपर्युक्त सभी

    प्रश्न 7.
    किस वर्ष पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन हुआ था?
    (अ) 1968
    (ब) 1999
    (स) 2000
    (द) 2002

    प्रश्न 8.
    भारत सरकार ने 2010 में किस अधिकरण का गठन किया?
    (अ) राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण
    (ब) राष्ट्रीय हरित अधिकरण
    (स) विश्व प्राकृतिक संरक्षण प्राधिकरण
    (द) स्थानबद्ध प्रजाति अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार प्राधिकरण

    प्रश्न 9.
    भारत में वर्तमान में कितने राष्ट्रीय उद्यान हैं ?
    (अ) 89
    (ब) 99
    (स) 100
    (द) 105

    प्रश्न 10.
    निम्न में से स्वस्थाने संरक्षण है
    (अ) जीवमण्डल रिजर्व
    (ब) राष्ट्रीय उद्यान
    (स) अभयारण्य
    (द) उपर्युक्त सभी

    उत्तरमाला-
    1. (स)
    2. (ब)
    3. (अ)
    4. (ब)
    5. (स)
    6. (द)
    7. (द)
    8. (ब)
    9. (ब)
    10. (द)।

    अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    प्रजाति किसे कहते हैं ?
    उत्तर-
    जीवों का वह समूह जिसके सदस्य दिखने में एक जैसे हों तथा प्राकृतिक परिवेश में प्रजनन कर संतान पैदा करने की क्षमता रखते हों, उसे प्रजाति कहते हैं।

    प्रश्न 2.
    आनुवंशिक जैवविविधता से क्या तात्पर्य है?
    उत्तर-
    किसी प्रजाति के विभिन्न सदस्यों के बीच जीन के कारण पाई जाने वाली विभिन्नता को आनुवंशिक जैवविविधता कहते हैं।

    प्रश्न 3.
    IUCN द्वारा जीव प्रजातियों को संरक्षण की दृष्टि से कौन-कौनसे संवर्गों में विभक्त किया गया?
    उत्तर-
    IUCN द्वारा जीव प्रजातियों को संरक्षण की दृष्टि से 5 संवर्गों में बांटा गया है-

    1. विलुप्त प्रजातियाँ,
    2. संकटग्रस्त प्रजातियाँ,
    3. अतिसंवेदनशील प्रजातियाँ,
    4. दुर्लभ प्रजातियाँ तथा
    5. अपर्याप्त रूप से ज्ञात प्रजातियाँ।

    प्रश्न 4.
    मानव हेतु जैवविविधता का क्या महत्त्व है?
    उत्तर-
    मनुष्य के लिए जैवविविधता अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। यह न केवल आर्थिक वरन् पर्यावरणीय, सामाजिक, औषधीय तथा अन्य कारणों से भी अत्यन्त आवश्यक है।

    प्रश्न 5.
    स्थानबद्ध प्रजातियाँ किसे कहते हैं?
    उत्तर-
    ऐसी प्रजातियाँ जो एक क्षेत्र विशेष में पाई जाती हैं अर्थात् जिनका वितरण या विस्तार एक सीमित क्षेत्र में होता है, स्थानबद्ध (endemic) प्रजातियाँ कहलाती हैं।

    प्रश्न 6.
    संयुक्त राष्ट्र द्वारा किस तिथि को अन्तर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस घोषित किया गया है?
    उत्तर-
    संयुक्त राष्ट्र द्वारा 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस घोषित किया गया है।

    प्रश्न 7.
    भारत में कौन-कौनसे तप्त स्थल पाये जाते हैं?
    उत्तर-
    विशुद्ध रूप से भारत में दो जैव विविधता तप्त स्थल (Biodiversity hotspot) पाए जाते हैं-पूर्वी हिमालय तथा पश्चिमी घाट। इंडो-बर्मा जैव विविधता. तप्त स्थल कई देशों में फैला है। इसमें कुछ भारतीय क्षेत्र भी सम्मिलित हैं।

    प्रश्न 8.
    जैवविविधता एक्ट, 2002 में क्या प्रावधान किया गया है?
    उत्तर-
    भारत में सन् 2002 में जैवविविधता एक्ट बनाया गया जिसके द्वारा त्रिस्तरीय संगठन (राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण, राज्य जैवविविधता बोर्ड तथा स्थानीय जैव विविधता प्रबन्ध समिति) के निर्माण का प्रावधान किया गया।

    प्रश्न 9.
    पारिस्थितिकीय तंत्र विविधता से क्या आशय है?
    उत्तर-
    भौगोलिक एवं पर्यावरणीय भिन्नताओं के कारण विभिन्न पारिस्थितिकीय तंत्रों में पाए जाने वाले जीव-जन्तुओं की भिन्नता पारिस्थितिकीय तंत्र विविधता कहलाती है।

    प्रश्न 10.
    जैवविविधता के संरक्षण से क्या तात्पर्य है?
    उत्तर-
    जैवविविधता के संरक्षण से तात्पर्य ऐसे प्रयासों से है जिनसे जीन्स, प्रजाति, आवास तथा ईको-सिस्टम का संरक्षण हो।।

    प्रश्न 11.
    NBA का पूर्ण नाम लिखिए।
    उत्तर-
    National Biodiversity Authority (राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण)

    प्रश्न 12.
    CBD का पूरा नाम क्या है?
    उत्तर-
    Convention on Biodiversity (जैवविविधता संधि) ।

    प्रश्न 13.
    CITES का पूरा नाम लिखिए।
    उत्तर-
    Convention on International Trade of Endangered Species (स्थानबद्ध जातियों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की संधि)।।

    प्रश्न 14.
    रेड डाटा बुक का प्रकाशन किसके द्वारा किया गया?
    उत्तर-
    विश्व प्राकृतिक संरक्षण संघ (IUCN : International Union for Conservation of Nature) द्वारा प्रकाशन किया गया।

    प्रश्न 15.
    किस पक्षी का यौनवर्द्धक माने जाने पर अधिक शिकार किया गया?
    उत्तर-
    गोडावण पक्षी का।

    प्रश्न 16.
    जैवविविधता’ की परिभाषा लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18)
    उत्तर-
    जीव-जन्तुओं में पाई जाने वाली विभिन्नता, विषमता तथा पारिस्थितिकीय जटिलता ही जैवविविधता कहलाती है।

    प्रश्न 17.
    विश्व में जैव-विविधता के कुल कितने तप्त स्थल हैं? (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    उत्तर-
    विश्व में कुल 34 जैव-विविधता तप्त स्थल हैं।

    लघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    अंधविश्वास व अज्ञानतावश भी जाति संकट बढ़ा है, किन्हीं उदाहरणों से इसकी पुष्टि कीजिए।
    उत्तर-
    अंधविश्वास व अज्ञानता के कारण जीव जातियों पर विशेष संकट बढ़ा है। उदाहरणार्थ मनुष्यों की बोली समझने की भ्रामक अवधारणा के फलस्वरूप गागरोनी तोते (Gagroni parrots) बड़ी संख्या में पकड़े जाने से प्रायः लुप्त हो गये हैं। यौनवर्द्धक माने जाने वाले गोडावण पक्षी का बड़ी संख्या में शिकार होने से यह जाति आज संकटग्रस्त है। राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में यह भ्रामक धारणा है कि गोयरा की सांस जहरीली होती है। अतः ग्रामीण उसे देखते ही मारने का प्रयास करते हैं।

    प्रश्न 2.
    भारत देश जैवविविधता से समृद्ध देश है, स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर-
    भारत अपनी विशेष भौगोलिक स्थिति के कारण जैवविविधता से समृद्ध देश है। भारत में विश्व की कुल भूमि की मात्र 2.4 प्रतिशत भूमि ही है किन्तु यहाँ पूरे विश्व की जैवविविधता की लगभग 7 से 8 प्रतिशत जैवविविधता पाई जाती है। भारत में विश्व के लगभग सभी प्रकार के पारिस्थितिकीय तंत्र विद्यमान हैं, जैसे घास के मैदान, उष्ण वर्षा वन, शीतोष्ण वन, मैंग्रोव, प्रवाल भित्ति (Coral reefs), नदी-घाटी, द्वीप, मरुस्थल आदि। यही कारण है कि भारत विश्व के 17 वृहद् जैवविविधता वाले देशों में शामिल है।

    प्रश्न 3.
    जैवविविधता तप्त स्थल की अवधारणा किसने दी व तप्त स्थल घोषित करने के लिए क्या शर्ते हैं?
    उत्तर-
    जैवविविधता तप्त स्थल की अवधारणा 1988 में ब्रिटिश पारिस्थितिकविद् नार्मन मेयर्स (Norman Myers) ने प्रस्तुत की थी।
    किसी क्षेत्र को जैवविविधता तप्त स्थल घोषित करने के लिए दो शर्तों का होना आवश्यक है

    • उस क्षेत्र में विश्व की कुल स्थानबद्ध (Endemic) प्रजातियों की 0.5 प्रतिशत से अधिक प्रजातियाँ उपस्थित हों । संख्या के हिसाब से उस स्थान पर कम से कम 1500 स्थानबद्ध प्रजातियाँ होनी चाहिए।
    • उस क्षेत्र के मूल आवास का 70 प्रतिशत उजड़ चुका हो अर्थात् मानव गतिविधियों से उस क्षेत्र के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा हो।
      ऐसे क्षेत्रों को संरक्षण की तत्काल आवश्यकता होती है इसीलिए इन्हें बायोडाइवर्सिटी हॉटस्पॉट घोषित किया जाता है तथा यहाँ व्यापक स्तर पर संरक्षण कार्यक्रम चलाए जाते हैं। विश्व के घोषित 34 बायोडाइवर्सिटी हॉटस्पॉट हैं।

    प्रश्न 4.
    स्थानबद्ध प्रजातियाँ किसे कहते हैं? उदाहरण सहित बताइए।
    उत्तर-
    ऐसी प्रजातियाँ जो एक क्षेत्र विशेष में पाई जाती हैं अर्थात् जिनका वितरण या विस्तार एक सीमित क्षेत्र में होता है स्थानबद्ध (Endemic) प्रजातियाँ कहलाती हैं। उदाहरणार्थ-लेमूर (Lemur) प्राणी मात्र मेडागास्कर द्वीप तक सीमित है। इसी प्रकार मेटासीकोया पादप केवल चीन की एक घाटी में मिलता है। नीलगिरी थार (Nilgiri Thar) तथा मैकाक बंदर (Lion-tailed macaque) भारत के पश्चिमी घाट में ही पाए जाते हैं। अतः किसी स्थान की स्थानबद्धता का यह आशय हुआ कि वहाँ पाई जाने वाली प्रजातियाँ विश्व में अन्य कहीं नहीं पाई जातीं।

    प्रश्न 5.
    किसी प्रजाति के स्थानबद्ध होने का क्या कारण है? समझाइए।
    उत्तर-
    किसी प्रजाति की स्थानबद्धता का मुख्य कारण उस क्षेत्र की जलवायु, भौगोलिक परिस्थितियाँ तथा अन्य प्रजातियों के साथ पारस्परिक संबंध होता है। स्थानबद्ध प्रजातियों के सीमित विस्तार के कारण उनके विलुप्त या संकटग्रस्त होने । की संभावना अधिक होती है। अतः इनके संरक्षण पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता होती है। ‘डोडो’ पक्षी जो मॉरिशस के एक द्वीप की स्थानबद्ध प्रजाति थी, की खोज सर्वप्रथम वर्ष 1658 में हुई थी। किन्तु उस द्वीप पर मानव गतिविधियों के बढ़ने व शिकार के कारण यह पक्षी मात्र 23 वर्षों में विलुप्त हो गया। वर्ष 1681 में इसे अन्तिम बार देखा गया था।

    भारत स्थानबद्ध प्रजातियों से सम्पन्न देश है। भारत के पश्चिमी घाट, उत्तरपूर्वी हिमालय तथा अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में सर्वाधिक स्थानबद्ध प्रजातियाँ मिलती हैं। भारत में जन्तुओं की 17612 प्रजातियों में स्तनधारियों की 44, पक्षियों की 57, सरिसृपों की 187 तथा उभयचरों की 110 प्रजातियाँ हैं। इसके अतिरिक्त पादपों की 5150 स्थानबद्ध प्रजातियाँ भारत में पाई जाती हैं।

    प्रश्न 6.
    जैवविविधता संरक्षण के राष्ट्रीय प्रयासों का वर्णन कीजिये।
    उत्तर-
    जैवविविधता पर अन्तर्राष्ट्रीय संधि के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखकर केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2002 में जैवविविधता एक्ट 2002 बनाया गया। इसके तीन मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार से हैं

    1. जैवविविधता का संरक्षण।।
    2. जैवविविधता का इस प्रकार का उपयोग जिससे यह लम्बे समय तक उपलब्ध रहे।
    3. जैविक संसाधनों के उपयोग से होने वाले लाभों का समान वितरण हो जिससे अधिक से अधिक लोगों तक लाभ पहुँचे।

    जैवविविधता एक्ट में त्रिस्तरीय संगठन का प्रावधान है-राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण, राज्यों में जैवविविधता बोर्ड तथा स्थानीय स्तर पर जैवविविधता प्रबंध समितियाँ। इसी के साथ-साथ पर्यावरण, जल, वायु व जैवविविधता कानूनों को एक ही दायरे में लाने के उद्देश्य से 2 जून, 2010 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण का गठन हुआ है, जिसका मुख्यालय भोपाल में है।

    प्रश्न 7.
    जैव-विविधता किसे कहते हैं ? स्वःस्थाने व बहिःस्थाने संरक्षण को समझाइए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    उत्तर-
    जीव-जन्तुओं में पाए जाने वाली विभिन्नता, विषमता तथा पारिस्थितिकीय जटिलता को जैव-विविधता कहते हैं।
    स्व:स्थाने व बहि:स्थाने संरक्षण के लिए पाठ्यपुस्तक लघूत्तरात्मक प्रश्न संख्या 25 को देखिए।

    प्रश्न 8.
    आनुवंशिक विविधता क्या है? जैव-विविधता संकट के दो कारणों को समझाइए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    उत्तर-
    एक ही प्रजाति के विभिन्न सदस्यों के बीच आनुवंशिक इकाई जीन (gene) के कारण पाई जाने वाली भिन्नता को आनुवंशिक विविधता कहते हैं। जैव विविधता संकट के दो कारणों के लिए पाठ्यपुस्तक के निबन्धात्मक प्रश्न संख्या 29 को देखिए।

    निबन्धात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    IUCN ने विश्व की जीव प्रजातियों को संरक्षण की दृष्टि से कितने संवर्गों में विभाजित किया है? वर्णन कीजिए।
    उत्तर-
    IUCN (International Union for Conservation of Nature) विश्व प्राकृतिक संरक्षण संघ ने चार वर्ष तक विश्व के विभिन्न पादप व प्राणी जातियों का अध्ययन कर 1972 में एक पुस्तक ‘रेड डाटा बुक’ (Red data Book) का प्रकाशन किया। इस पुस्तक में लुप्त हो रही जातियों, उनके आवास तथा वर्तमान में उनकी संख्या को सूचीबद्ध किया गया है।
    IUCN ने विश्व की जीव प्रजातियों को संरक्षण की द्वष्टि से 5 संवर्गों में विभाजित किया है-

    1. विलुप्त प्रजातियाँ (Extinct Species)-ऐसी जातियाँ जो अब विश्व में कहीं भी जीवित अवस्था में नही मिलतीं, विलुप्त प्रजातियाँ कहलाती हैं। उदाहरणार्थ-डोडो पक्षी, डायनासोर, रायनिया पादप आदि।
    2. संकटग्रस्त प्रजातियाँ (Endangered Species)-ऐसी प्रजातियाँ जो विलुप्त होने के कगार पर हैं तथा जिनका संरक्षण नहीं किया गया तो शीघ्र विलुप्त हो जाएंगी, जैसे-चीता, बाघ, बघेरा, जिन्गो बाइलोबा, सर्पगन्धा, गैण्डा आदि।
    3. अतिसंवेदनशील प्रजातियाँ (Vulnerable Species)-ऐसी जातियाँ जिनकी संख्या तेजी से कम हो रही है तथा शीघ्र ही संकटग्रस्त की श्रेणी में आने की आशंका है, जैसे—याक, नीलगिरी लंगूर, लाल पांडा, कोबरा, ब्लैक बग।।
    4. दुर्लभ प्रजातियाँ (Rare Species)-ऐसी जातियाँ जो प्रायः सीमित भौगोलिक क्षेत्र में रह गई हैं या जिनकी संख्या बहुत विरल है, जैसे-लाल भेड़िया, हैनान गिब्बन, ज्ञावान गैंडा।
    5. अपर्याप्त रूप से ज्ञात प्रजातियाँ (Insufficiently known Species)-ऐसी प्रजातियाँ जिनके बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होने से उन्हें उक्त किसी विशिष्ट वर्ग में नहीं रखा जा सकता।

    प्रश्न 2.
    जैवविविधता का औषधीय तथा पर्यावरणीय महत्त्व पर लेख लिखिए।
    उत्तर-

    औषधीय महत्त्व (Medicinal Value)-प्राचीन काल से ही जड़ी-बूटियों का उपयोग अनेक प्रकार की बीमारियों के इलाज में किया जाता रहा है। एक अनुमान के अनुसार आज लगभग 40 प्रतिशत उपलब्ध औषधियों को वनस्पतियों से प्राप्त किया जाता है।
    पृथ्वी पर समय-समय पर कई असाध्य बीमारियाँ आई हैं जिनका इलाज जैवविविधता में ही तलाशा गया है। असाध्य मलेरिया ज्वर का इलाज यकायक ही सिनकोना पादप की छाल में मिल गया। इसी प्रकार सदाबहार विनक्रिस्टीन (Vincristine) तथा विनब्लास्टीन (Vinblastine) पौधों का उपयोग असाध्य रक्त कैसर (Leukemia) के उपचार में होता है।

    टैक्सस बकाटा नामक वृक्ष की छाल का उपयोग कैंसर के इलाज में तथा सर्पगंधा (Rauvolfia serpentina) का उपयोग उच्च रक्तचाप के इलाज में किया जाता है। आज विश्व में महामारी का रूप ले चुके एड्स (AIDS) का इलाज भी जैव विविधता से ही संभव होगा। तुलसी, ब्राह्मी, अश्वगंधा, शतावरी, गिन्गो, गिलोय आदि वनस्पतियों में एड्स रोधी गुण पाए गए हैं।

    पर्यावरणीय महत्त्व (Environmental Value)

    (अ) खाद्य-श्रृंखला का संरक्षण-
    हम जानते हैं कि खाद्य-श्रृंखला में एक जाति दूसरी जाति का भक्षण करती है अर्थात् प्रत्येक प्रजाति किसी दूसरी प्रजाति पर निर्भर रहती है। अतः किसी भी एक प्रजाति के विलुप्त होने से पूरी खाद्य-श्रृंखला के खत्म होने का खतरा रहता है। किन्तु जैवविविधता समृद्ध है तो उसमें विभिन्न खाद्यश्रृंखलाएँ होंगी जिनसे खाद्य जाल (Food web) बनता है। किसी खाद्य-श्रृंखला में किसी एक प्रजाति के कम होने पर खाद्य जाल की अन्य प्रजाति उसकी कमी को पूरा कर खाद्य-श्रृंखला संरक्षण कर सकती है।

    (ब) पोषक चक्र नियंत्रण-
    जैव विविधता पोषक चक्र गतिमान रखने में सहायक होती है। मिट्टी की सूक्ष्मजीवी विविधता पौधों व जीवों के मृत भागों को विघटित कर पोषक तत्व पुनः पौधों को उपलब्ध कराने में सहायक होती है। इस प्रकार यह चक्र चलता रहता है।

    (स) पर्यावरण प्रदूषण का निस्तारण-
    जैवविविधता पर्यावरण प्रदूषण के निस्तारण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कुछ वनस्पतियाँ प्रदूषकों का विघटन व अवशोषण करने का गुण रखती हैं। जैसे—सदाबहार (Catharanthus roseks) नामक पौधे में ट्रइनाइयेटोलुईन (Trinitrotoluene) जैसे घातक विस्फोटक को विघटित करने की क्षमता होती है। सूक्ष्म जीवों स्यूडोमोनास प्यूटिडा (Pseudomonas putida), आर्थोबेक्टर विस्कोसस (Arthrobacter viscosus) एवं साइट्रोबेक्टर (Citrobacter) प्रजातियों में औद्योगिक अपशिष्ट से भारी धातुओं को हटाने की क्षमता होती है। इसी प्रकार राइजोपस ओराइजी (Rhizopus Oryzae) कवक में यूरेनियम व थोरियम तथा पेनिसीलियम क्राइसोजीनम (Penicillium chrysogenum) में रेडियम जैसे घातक तत्वों को हटाने की क्षमता होती है।

    प्रश्न 3.
    जैव विविधता के ह्रास के लिये उत्तरदायी किन्हीं चार कारणों की विवेचना कीजिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18)
    अथवा
    संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने के लिये अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर किये गये दो-दो प्रयासों को समझाइए।
    उत्तर-
    जैव विविधता के ह्रास के लिए उत्तरदायी चार प्रमुख कारण निम्न प्रकार हैं

    प्राकृतिक आवासों का नष्ट होना (Habitat loss)-प्रत्येक जीव अपने निश्चित आवास में रहकर जीवनयापन व अपनी संख्या में वृद्धि करती रहता है। बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हम इन प्राकृतिक आवासों को नष्ट कर रहे हैं। वनों की कटाई, वनस्पति के रोग, कृषि भूमि का विस्तार, शहरीकरण, रेल-रोड मार्ग, उद्योग-धंधों की स्थापना के लिए निरन्तर वनों को साफ किया जा रहा है। इस कारण जैवविविधता नष्ट हो रही है तथा जीवों का विलुप्तीकरण बढ़ता जा रहा है।

    प्राकृतिक आवास विखण्डन (Habitat Fragmentation)-वन्य प्राणियों के लिए पूर्व में बड़े-बड़े अविभक्त क्षेत्र विस्तारित थे, परन्तु आज अनेक ऐसे कारण जैसे रेल-रोड मार्ग, गैस पाइप लाइन, नहर, विद्युत लाइन, बाँध, खेत, शहर आदि के कारण इनके प्राकृतिक आवास विखण्डित हो गये हैं। इससे उनके प्राकृतिक क्रियाकलाप बाधित होते हैं।

    जलवायु परिवर्तन (Climate change)-मानव क्रियाकलापों व प्रदूषण के कारण आज पृथ्वी पर ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा काफी बढ़ती जा रही है, इस कारण पृथ्वी का तापक्रम निरन्तर बढ़ता जा रहा है। बढ़ते तापमान के कारण ध्रुवों पर जमा बर्फ पिघलकर समुद्रों के जलस्तर को बढ़ा रहे हैं। इससे समुद्री जैवविविधता तथा समुद्र के आसपास की विविधता को नष्ट होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार यदि पृथ्वी का तापमान 3.5 डिग्री सेन्टीग्रेड बढ़ता हैं तो विश्व की 70 प्रतिशत प्रजातियों पर विलुप्तता का खतरा हो जायेगा।

    पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution)-पर्यावरण प्रदूषण का दुष्प्रभाव प्राणियों व पौधों पर पड़ता है। औद्योगिक अपशिष्ट से प्रदूषित भूमि व जल में अनेक वनस्पति व जीव नष्ट हो जाते हैं। अत्यधिक वायु प्रदूषण के फलस्वरूप होने वाली तेजाबी वर्षा से भी अनेक सूक्ष्मजीव व वनस्पति नष्ट हो जाती है। इसी प्रकार कृषि पैदावार बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद व कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से मृदा में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीव विलुप्त हो रहे हैं जिससे भूमि की उर्वरता भी प्रभावित हो रही है।

    अथवा का उत्तर
    संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर किये गये प्रयास–

    • 1968 में गठित संस्था विश्व प्राकृतिक संरक्षण संघ (IUCN) ने अध्ययन कर 1972 में ‘रेड डाटा बुक’ का प्रकाशन किया जिसमें लुप्त हो रही जातियों को सूचीबद्ध किया। IUCN ने 1973 में एक कनवेन्शन CITES (Convention of international trade in endangered species) आयोजित की जिसमें संकटग्रस्त प्रजातियों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार पर नियंत्रण लगाया।
    • 1992 में ब्राजील के शहर रियो-डि-जिनिरियो में पृथ्वी सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन के दौरान जैवविविधता संधि अस्तित्व में आई, जिसमें सभी देशों में जैवविविधता के संरक्षण हेतु प्रयास को बढ़ावा देने की सहमति बनी।

    संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर किये गये प्रयास-

    • जैवविविधता पर अन्तर्राष्ट्रीय संधि सी.बी.डी. (Convention on Bio-diversity) के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखकर केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2002 में जैवविविधता एक्ट बनाया गया, जिसके तीन मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार से हैं
      • जैवविविधता का संरक्षण।
      • जैवविविधता का ऐसा उपयोग जिससे यह लम्बे समय तक उपलब्ध रहे।
      • देश के जैविक संसाधनों के उपयोग से होने वाले लाभों का समान वितरण ताकि यह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँच सके।
    • भारत में पर्यावरण, वन, जल, वायु एवं जैवविविधता कानूनों को एक ही दायरे में लाने के उद्देश्य से 2 जून, 2010 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण का गठन हुआ। इसका मुख्यालय भोपाल में है।

  • Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 13 अपशिष्ट एवं इसका प्रबंधन

    Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 13 अपशिष्ट एवं इसका प्रबंधन

    पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

    बहुचयनात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट के निस्तारण हेतु कौनसी तकनीक उपयुक्त है–
    (क) भूमि भराव
    (ख) भस्मीकरण
    (ग) पुनर्चक्रण
    (घ) जल में निस्तारण

    प्रश्न 2.
    पुनर्चक्रण किस प्रकार के अपशिष्ट हेतु उत्तम उपचार है
    (क) धात्विक अपशिष्ट
    (ख) चिकित्सकीय अपशिष्ट
    (ग) कृषि अपशिष्ट
    (घ) घरेलू अपशिष्ट

    प्रश्न 3.
    निम्न में से प्रमुख ग्रीन हाउस गैस है
    (क) हाइड्रोजन
    (ख) कार्बन मोनो ऑक्साइड
    (ग) कार्बन डाई ऑक्साइड
    (घ) सल्फर डाई ऑक्साइड

    प्रश्न 4.
    भारत के बड़े नगरों में प्रति व्यक्ति औसत कूड़ा निकलता है
    (क) 1-2 किग्रा
    (ख) 1 से 2 किग्रा.
    (ग) 2-4 किग्रा.
    (घ) 4 से 6 किग्रा.

    प्रश्न 5.
    जैविक खाद बनाई जा सकती है
    (क) घरेलू कचरे से
    (ख) कृषि अपशिष्ट से
    (ग) दोनों से
    (घ) कोई नहीं

    उत्तरमाला-
    1. (ख)
    2. (क)
    3. (ग)
    4. (घ)
    5. (ग)

    अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 6.
    बायोगैस कैसे बनाई जाती है?
    उत्तर-
    ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू उपयोग के लिए अपशिष्टों, जीव-जन्तुओं के उत्सर्जी पदार्थों, जैसे-गोबर और मानव मलमूत्र के उपयोग से बायोगैस बनाई जाती है।

    प्रश्न 7.
    अपशिष्ट क्या है?
    उत्तर-
    किसी भी प्रक्रम के अन्त में बनने वाले अनुपयोगी पदार्थ या उत्पाद अपशिष्ट कहलाते हैं।

    प्रश्न 8.
    ग्रीन हाउस गैसों के नाम लिखें।
    उत्तर-
    कार्बन डाईऑक्साइड, जलवाष्प, मैथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरो कार्बन आदि ग्रीन हाउस गैसें हैं।

    प्रश्न 9.
    वर्मी कम्पोस्ट किसे कहते हैं ?
    उत्तर-
    कृषि सम्बन्धी कूड़ा-कचरा, सब्जियों के शेष भाग, पशु मल-मूत्र, गोबर आदि का ढेर कर उन पर केंचुए छोड़ दिये जाते हैं। ये केंचुए इन पदार्थों को खाने के बाद जो मल त्यागते हैं यही जैविक खाद या वर्मी कम्पोस्ट कहलाती है।

    प्रश्न 10.
    नालियों में जल के रुकने से कौन-कौनसे रोग हो सकते हैं ?
    उत्तर-
    नालियों में जल एकत्रित हो जाने से कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, डाईऑक्सींस जैसी विषैली गैसें उत्सर्जित होने से श्वसन, मलेरिया, डेंगू, फाइलेरिया आदि से सम्बन्धित रोगों की आशंका बढ़ जाती है।

    लघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 11.
    अपशिष्ट प्रबन्धन समझाइए।
    उत्तर-
    प्रक्रम के अन्त में बनने वाले अनुपयोगी पदार्थ या उत्पाद अपशिष्ट कहलाते हैं। ये ठोस, द्रव व गैसीय प्रवृत्ति के होते हैं। सामान्य भाषा में इन्हें कूड़ा कहते हैं । अपशिष्ट की समस्या भारत में ही नहीं अपितु यह एक वैश्विक समस्या है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कूड़ा प्रबंधन के प्रति सावधानी रखने की आवश्यकता पर चिंतन होने लगा है। अपशिष्ट पदार्थों से वातावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के प्रति चिन्ता प्रकट की गई है। भारत के समस्त शहरों, नगरपालिका क्षेत्र व गाँवों से प्रतिदिन लगभग एक लाख टन अपशिष्ट पदार्थ निकलते हैं। भारत में नगरों के सौन्दर्य को बिगाड़ने में यह कूड़ा अहम भूमिका निभाता है। कूड़ा प्रबंधन के प्रति लापरवाही, कोष की कमी, ठेकेदारों का अभाव, समय पर भुगतान न होना इत्यादि। इस समस्या को और अधिक गम्भीर बनाती है। स्थानीय लोगों को अपने-अपने क्षेत्रों से निस्तारित कूड़े को अलग कर कूड़े से जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट बनाने का रास्ता और आवश्यक प्रबंधन विकसित करना अधिक आसान है। कूड़े का प्रबंधन व्यक्तिगत सावधानी से सम्भव है। अपशिष्ट प्रबंधन परिवहन, संसाधन पुनःचक्रण या अपशिष्ट के काम में प्रयोग की जाने वाली सामग्री का संग्रह है।

    प्रत्येक अपशिष्ट के प्रबंधन के तरीके अलग-अलग हैं। इनका निस्तारण करना उचित प्रबन्धन द्वारा सम्भव है। इसमें सरकारी तंत्र, स्वयंसेवी संस्थाओं और नागरिकों से सहयोग लिया जा सकता है। भारत सरकार ने 1975 में शिवरामन समिति का गठन इस कार्य के लिए किया था, जिसके सुझाव थे-बड़े-बड़े कूड़ेदानों की स्थापना, मानव द्वारा अपशिष्ट मल-मूत्र निष्कासन की उचित व्यवस्था, नगरों में कूड़ा उठाने की समुचित । व्यवस्था, कूड़े के ढेरों को जलाकर भस्म करना इत्यादि। प्रबन्धन के अन्तर्गत भूमिभराव, भस्मीकरण, पुनर्चक्रण विधि व रासायनिक क्रिया का प्रयोग किया जाता है।

    प्रश्न 12.
    ठोस अपशिष्ट से क्या अभिप्राय है?
    उत्तर-
    अपशिष्ट ठोस, द्रव व गैस रूप में होते हैं। जैसे खदानों का मलबा, जैव चिकित्सा अपशिष्ट, रुई, पट्टियाँ, सिरिंज, प्लास्टिक की बोतलें, काँच, इलेक्ट्रॉनिक सामग्री, सीडी, फ्लॉपी, रबड़, टायर, नट-बोल्ट, एल्यूमीनीयम एवं धातु के टुकड़े, कागज, गत्ता, कपड़ा, लकड़ी, उड़न राख, रबड़, रेशा, भवन निर्माण की शेष रही सामग्री, उर्वरक उद्योग की आमंक, कूड़ा-करकट, हड्डियाँ इत्यादि सभी ठोस श्रेणी के अपशिष्ट हैं अर्थात् पूर्ण रूप से ठोस होते हैं, उन्हें ठोस अपशिष्ट कहते हैं।

    प्रश्न 13.
    जैव निम्नीकरण व अजैव निम्नीकरण अपशिष्ट में अन्तर लिखिए।
    उत्तर-
    जैव निम्नीकरणीय एवं अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्टों में अन्तर
    (Differences between Biodegradable and Non-biodegradable Wastage’s)

    जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट(Biodegradable Wastage)अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्टNon-biodegradable Wastage)
    1. वे पदार्थ जो जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटित हो जाते हैं, जैव निम्नी करणीय कहलाते हैं।ऐसे पदार्थ जो जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटित नहीं होते हैं, अजैव निम्नी करणीय कहलाते हैं।
    2. इनकी उत्पत्ति जैविक होती है।ये सामान्यतः मानव द्वारा निर्मित होते हैं।
    3. ये संक्रमण के स्रोत हो सकते हैं।इनसे संक्रमण नहीं होता है।
    4. ये पदार्थ प्रकृति में इकट्टे नहीं होते हैं।इनका ढेर लग जाता है एवं प्रकृति में इकट्टे हो जाते हैं।
    5. जैव निम्नीकरणीय पदार्थ जैव आवर्धन (Bio magnification) प्रदर्शित नहीं  करते हैं।घुलनशील अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करते हैं अर्थात् जैव आवर्धन प्रदर्शित करते हैं।
    6. प्रकृति में इनका पुनः चक्रण सम्भव है।प्रकृति में इन पदार्थों का पुनः चक्रण सम्भव नहीं है।
    7. दुर्गन्ध व ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन कर सकते हैं।प्रायः दुर्गन्धकारी नहीं होते हैं।
    8. उदाहरण-मलमूत्र, कागज, शाक, फल, कपड़ा आदि।उदाहरण-प्लास्टिक, डी.डी.टी., ऐलुमिनियम के डिब्बे आदि।

    प्रश्न 14.
    भूमिभराव से आप क्या समझते हैं?
    उत्तर-
    यह एक अपशिष्ट प्रबंधन की विधि है। ‘भूमिभराव अक्सर गैर उपयोग की खानों, खनन रिक्तियों इत्यादि क्षेत्रों में बनाये जाते हैं। यह अपशिष्ट निपटान का एक बहुत ही साफ और अपेक्षाकृत कम खर्च वाला तरीका है तथा अधिकतर देशों में यह आम चलन है। लेकिन पुराने और गलत तरीके से भूमिभराव करने से पर्यावरण पर उल्टे प्रभाव हो सकते हैं। जैसे हवा से कचरे के उड़ने, कीटों को आकर्षित करना, तरल का उत्पादन आदि। इसके अलावा कार्बनिक अपशिष्ट के अपघटन से मेथेन गैस बनती है जो बदबू पैदा कर सकती है, यह वनस्पति को नष्ट कर सकती है, और एक ग्रीन हाऊस गैस भी है। आधुनिक भूमिभराव में नियोजित तरीकों से अपशिष्ट का निष्पादन किया जाता है। गड्ढों को मिट्टी से भर देते हैं। और भूमिभराव गैस निकासी के लिए भूमिभराव गैस प्रणाली स्थापित की जा सकती है। इस गैस को एकत्रित कर विद्युत उत्पादन भी किया जा सकता है। निसन्देह अपशिष्ट प्रबन्धन की यह एक उचित व्यवस्था है तथा लम्बे समय पश्चात् इन क्षेत्रों को पार्क के रूप में विकसित किया जा सकता है।

    प्रश्न 15.
    पुनर्चक्रण से क्या तात्पर्य है?
    उत्तर-
    अपशिष्ट से संसाधनों को या किसी भी मूल्य की चीज को निकालना पुनर्चक्रण के नाम से जाना जाता है। जिसका अर्थ है पुनः मिलना, जिससे अपशिष्ट पदार्थ का पुनर्नवीकरण होता है। इनसे कच्चा माल निकालकर पुनः प्रक्रम किया जाता है या अपशिष्ट की कैलोरी सामग्री बिजली में परिवर्तित की जा सकती है। अधिकतर विकसित देशों में पुनर्चक्रण का लोकप्रिय अर्थ व्यापक संग्रह व रोजाना अपशिष्ट पदार्थों का पुनः प्रयोग करने को सन्दर्भित है।

    पुनर्नवीनीकरण के लिए सबसे आम उपभोक्ता उत्पादों में एल्युमीनियम पेय के डिब्बे, इस्पात, भोजन और एयरोसोल के डिब्बे, प्लास्टिक वे कांच की बोतलें, गत्ते के डिब्बे, पत्रिकाएँ, प्लास्टिक के सामान आदि हैं। प्राकृतिक जैविक अपशिष्ट पदार्थ जैसे पौधे की सामग्री, बचा हुआ भोजन, कागज, ऊन आदि का प्रयोग कम्पोस्ट खाद, वर्मी कम्पोस्ट, जैविक खाद बनाने में किया जा सकता है, साथ ही इस प्रक्रिया से गैस उत्पादन कर विद्युत बनाई जा सकती है।

    प्रश्न 16.
    भस्मीकरण विधि किस हेतु उपयोग में ली जाती है?
    उत्तर-
    इस विधि में अपशिष्ट पदार्थ के निष्पादन हेतु दहन किया जाता है, जिससे अपशिष्ट ताप, गैस व राख में परिवर्तित हो जाता है। भस्मीकरण छोटे पैमाने पर व्यक्तियों द्वारा तथा बड़े पैमाने पर उद्योगों द्वारा किया जाता है। इसका प्रयोग तरल, ठोस और गैसीय अपशिष्ट के निष्पादन के लिए किया जाता है। इसे खतरनाक कचरा जैसे जैविक चिकित्सा अपशिष्ट निष्पादन के लिए व्यावहारिक पद्धति के रूप में मान्यता प्राप्त है। परन्तु गैसीय प्रदूषकों के उत्सर्जन के कारण भस्मीकरण अपशिष्ट निष्पादन एक विवादास्पद पद्धति है, किन्तु छोटे देशों के लिए यह विधि अधिक उपयुक्त है। भस्मीकरण जापान जैसे देशों में ज्यादा प्रचलित है क्योंकि इसमें कम भूमि की जरूरत पड़ती है। और इस हेतु भूमिभराव के जितने बड़े क्षेत्र की आवश्यकता नहीं होती है।

    निबन्धात्मक प्रश्न
    प्रश्न 17.
    अपशिष्ट के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
    उत्तर-
    अपशिष्ट को इसकी प्रकृति के आधार पर ठोस, तरल व गैसीय अपशिष्ट में वर्गीकृत कर सकते हैं परन्तु अपघटनीय क्रियाओं के आधार पर अपशिष्ट को दो वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है-जैव-निम्नीकरणीय और अजैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट।

    • जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट (Biodegradable waste)-वे अपशिष्ट पदार्थ जिनका जैविक कारकों द्वारा अपघटन हो जाता है, जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट कहलाते हैं। जैसे घरेलू जैविक कचरा, पादप व जन्तु उत्पत्ति के अपशिष्ट, कृषि अपशिष्ट व जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट जैसे रुई, पट्टियाँ, रक्त, मांस के टुकड़े आदि।
    • अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट (Non-biodegradable waste)-वे अपशिष्ट पदार्थ जिनका जैविक कारकों के द्वारा अपघटन नहीं होता है, वे अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट कहलाते हैं। जैसे प्लास्टिक की बोतलें, पॉलिथीन, काँच, सीरिंज, धातु के टुकड़े, कुछ संश्लेषित कार्बनिक रसायन जैसे पीड़कनाशी आदि।

    प्रश्न 18.
    अपशिष्ट प्रबंधन परे लेख लिखिए।
    उत्तर-
    वर्तमान में अपशिष्ट एक वैश्विक समस्या है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कूड़ा प्रबंधन के प्रति असावधानी को आज गम्भीरता से लिया गया है और इससे वातावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के प्रति चिंता प्रकट की गई है। भारत में अनेक नगर हैं जिसमें से कुछ महानगर हैं तथा प्रथम व द्वितीय श्रेणी के नगरों के अलावा अनेक कस्बे व गाँव हैं।

    भारत में इन नगरों से प्रतिदिन लगभग एक लाख टन अपशिष्ट पदार्थ निकलते हैं। यह कूड़ा हमारे नगरों का सौन्दर्य बिगाड़ता है। गाँवों के व्यक्ति शहरी जीवन की ओर आकर्षित होकर शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं परन्तु ये सभी कूड़े के प्रति लापरवाह होते हैं। छोटे नगरों में कोष की कमी या अनुपयुक्तता के कारण प्रबंधन होने में कठिनाई होती है। ठेकेदारों का अभाव होता है। उनका समय पर भुगतान नहीं होने से भी यह समस्या उत्पन्न होती है। स्थानीय लोगों को अपने-अपने क्षेत्रों से निस्तारित कूड़े को अलग कर कूड़े से जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट बनाने का रास्ता और आवश्यक प्रबंधन विकसित करना अधिक सरल है।

    रासायनिक खादों के बढ़ते दुष्प्रभाव व महंगे होने से इनके स्थान पर जैविक खाद का उपयोग किया जाना चाहिए। कूड़े का प्रबंधन व्यक्तिगत सावधानी से सम्भव है। यह सामाजिक कर्तव्य न होकर जीवन और पर्यावरण के अन्योन्याश्रय सम्बन्ध का निर्धारक जैविक कर्तव्य भी है। अपशिष्ट प्रबंधन परिवहन, संसाधन पुनर्चक्रण या अपशिष्ट के काम में प्रयोग की जाने वाली सामग्री का संग्रह है। अपशिष्ट प्रबंधन में ठोस, द्रव, गैस व रेडियोधर्मी पदार्थ होते हैं। प्रत्येक पदार्थ के साथ अलग-अलग तरीकों और विशेषज्ञता का प्रयोग किया जाता है। अपशिष्ट प्रबंधन का तरीका विकसित और विकासशील देशों में, गाँव और शहरों में आवासीय और औद्योगिक निर्माताओं के लिए अलग-अलग होता है।

    अपशिष्ट पदार्थों के एकत्रीकरण एवं विस्तार की समस्या एक गम्भीर समस्या है। आज यह बड़े नगरों में है, कल छोटे नगरों में होगी। यही नहीं अपितु नगरीय विकास के साथ-साथ यह और विकट होती जाएगी। विकास एक नैसर्गिक प्रक्रिया है जिसे रोका नहीं जा सकता। आवश्यकता है उसे एक उचित दिशा देने की जिससे ‘अपशिष्ट रहित विकास’ की कल्पना को मूर्तरूप दिया जा सके। यह कार्य उचित प्रबंधन द्वारा सम्भव है जिसे सरकारी तंत्र, स्वयंसेवी संस्थाओं और नागरिकों के सहयोग से किया जा सकता है।

    भारत सरकार ने 1975 में शिवरामन समिति का गठन इस कार्य हेतु किया था जिसके सुझाव थे-बड़े-बड़े कूड़ेदानों की स्थापना, मानव द्वारा अपशिष्ट मल-मूत्र निष्कासन की उचित व्यवस्था, नगरों में कूड़ा-करकट उठाने की समुचित व्यवस्था, कूड़े के ढेरों को जलाकर भस्म करना आदि।

    प्रश्न 19.
    अपशिष्ट के स्रोतों पर निबंध लिखिए।
    उत्तर-
    वातावरण में अपशिष्ट अनेकों स्रोतों द्वारा निस्तारित किये जाते हैं जैसे घरेलू स्रोत, नगरपालिका, उद्योग एवं खनन कार्य, कृषि और चिकित्सा क्षेत्र।

    (i) घरेलू स्रोत (Household source)-
    घरों में प्रतिदिन सफाई के पश्चात् गन्दगी निकलती है जिसमें धूल-मिट्टी के अतिरिक्त कागज, गत्ता, कपड़ा, प्लास्टिक, लकड़ी, धातु के टुकड़े, सब्जियों व फलों के छिलके, सड़े-गले पदार्थ, सूखे फल, पत्तियाँ आदि सम्मिलित हैं।
    यदा-कदा होने वाले समारोह तथा पार्टियों में इनकी मात्रा अधिक हो जाती है। ये सभी पदार्थ घरों से बाहर, सड़कों अथवा निर्धारित स्थानों पर डाल दिये जाते हैं, जहाँ इनके सड़ने से अनेक रोगाणु उत्पन्न होते हैं जो न केवल प्रदूषण बल्कि अनेक रोगों का कारण भी है।

    (ii) नगरपालिका स्रोत (Municipal source)-
    इससे तात्पर्य नगर में एकत्र सम्पूर्ण कूड़ा-करकट एवं गंदगी से है। इसमें घरेलू अपशिष्ट के अतिरिक्त मल-मूत्र, विभिन्न संस्थानों, बाजारों, सड़कों से एकत्रित गंदगी, मृत जानवरों के अवशेष, मकानों के तोड़ने से निकले पदार्थ तथा वर्कशॉप आदि से फेंके गए पदार्थ सम्मिलित होते हैं। वास्तव में कस्बे की सम्पूर्ण गन्दगी इसमें सम्मिलित है। इसकी मात्रा नगर की जनसंख्या एवं विस्तार पर निर्भर है। एक अनुमान के अनुसार भारत के 45 बड़े नगरों में कुल मिलाकर प्रतिदिन लगभग 50,000 टन नगरपालिका अपशिष्ट निकलता है।

    (iii) उद्योग एवं खनन कार्य स्रोत (Industry & Mining work source)-
    उद्योगों से बड़ी मात्रा में कचरा एवं उपयोग में लाए गए पदार्थों के अपशिष्ट बाहर फेंके जाते हैं। इनमें धातु के टुकड़े, रासायनिक पदार्थ, अनेक विषैले ज्वलनशील पदार्थ, तैलीय पदार्थ, अम्लीय तथा क्षारीय पदार्थ, जैव अपघटनीय पदार्थ, राख आदि सम्मिलित होते हैं। ये सभी पदार्थ तथा खनन क्षेत्रों में खानों से निकले अपशिष्ट पदार्थों के विशाल ढेर पर्यावरण को हानि पहुँचाते हैं व पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनते हैं। कुछ उद्योगों के अपशिष्ट निम्न सारणी में दर्शाये गये हैं
    सारणी-औद्योगिक अपशिष्ट

    उद्योग के प्रकारअपशिष्टलक्षण
    1. औषधि निर्माण उद्योगसूक्ष्म जीव, कार्बनिक रसायननिलंबित एवं घुलित कार्बनिक पदार्थ
    2. कपड़ा उद्योगरेशा एवं व्यर्थ कपड़ाक्षारीय निलंबित पदार्थ
    3. रासायनिक उद्योगकच्चा माल, मध्यक एवं अन्तिम उत्पादविषैला, अम्लीय, क्षारीय, ज्वलनशील (उद्योग की प्रकृति पर निर्भर)
    4. पेट्रोलियम उद्योगशोध रसायनतैलीय व अम्लीय
    5. उर्वरक उद्योगआमंक के रूप में ठोस अपशिष्टकैल्सियम एवं कैल्सियम सल्फेट
    6. तापीय ऊर्जा संयंत्रउड़न राखसिलिकेट, लौह ऑक्साइड, अधजले कार्बन
    7. रबड़ एवं रबड़ उत्पादरबड़उच्च क्लोराइड, रबड़ आचूर्ण

    (iv) कृषि स्रोत (Agriculture source)-
    कृषि के उपरान्त बचा भूसा, घास-फूस, पत्तियाँ, डंठल आदि एक स्थान पर एकत्रित कर दिये जाते हैं या फैला दिये जाते हैं। ये कृषि अपशिष्ट बरसात के पानी से सड़ने लगते हैं तथा जैविक क्रिया होने से प्रदूषण का कारण बन जाते हैं।

    (v) चिकित्सा क्षेत्र स्रोत (Medical area source)-
    अस्पतालों से निकले अपशिष्ट जैसे काँच, प्लास्टिक की बोतलें, ट्यूब, सीरिंज आदि अजैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट हैं। इसके अलावा जैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट जैसे रक्त, मांस के टुकड़े संक्रमित ऊतक व अंग अनेक रोगों के संक्रमण हेतु माध्यम प्रदान करते हैं।
    भारत के नगरों में राख, मिश्रित पदार्थ एवं कार्बन के रूप में लगभग 90 प्रतिशत कूड़ा-करकट होता है। विकसित देशों में इसकी प्रकृति भिन्न होती है। स्पष्ट है कि नगरीय अपशिष्ट आज पर्यावरण अपकर्षण का प्रमुख कारण है, जिसमें उत्तरोत्तर वृद्धि होती जा रही है।

    प्रश्न 20.
    अपने चारों ओर के वातावरण से विभिन्न अपशिष्ट पदार्थों की सूची बनाकर उन्हें वर्गीकृत कीजिए।
    उत्तर-
    जैसा कि पूर्व में बताया गया है कि अपशिष्टों की दो श्रेणी होती हैं-जैव निम्नीकरणीय तथा अजैव निम्नीकरणीय। वे अपशिष्ट पदार्थ जिनका जैविक कारकों द्वारा अपघटन हो जाता है, उन्हें जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट कहते हैं किन्तु जिन अपशिष्टों का जैविक कारकों द्वारा अपघटन नहीं होता, उन्हें अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट कहते हैं। हमारे चारों ओर के वातावरण में निम्न प्रकार के अपशिष्ट पाये जाते हैं, जिनकी वर्गीकृत सूची निम्न प्रकार से है
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 13 अपशिष्ट एवं इसका प्रबंधन 20

    प्रश्न 21.
    अपने मोहल्ले या गाँव में अपशिष्ट प्रबंधन हेतु आप क्या करेंगे?
    उत्तर-
    प्रायः अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य गाँव में ग्राम पंचायत तथा कस्बों में नगरपालिका करती है। वैसे अपशिष्ट प्रबंधन सम्बन्ध में व्यक्तिगत जिम्मेदारी होती है। हमारे देश के प्रधानमंत्री निरन्तर स्वच्छता के अभियान के प्रति अधिक प्रयासशील हैं।

    हमें हमारे घर का प्रतिदिन का कचरा एक पात्र में एकत्रित करना चाहिए परन्तु जो कचरा (रोटी, सब्जी के भाग व फल के छिलके आदि) पशुओं के खाने योग्य हैं, उसे पृथक् से रखकर गाय व अन्य जन्तु को खिला देना चाहिए। कचरे में से ऐसी सामग्री को भी इकट्ठा करना चाहिए, जिसका पुनर्चक्रण किया जा सकता है, जैसे अखबार, रद्दी, धातु, एल्यूमीनियम के पात्र, पीतल व ताँबे के टूटे भाग, प्लास्टिक व कांच की सामग्री आदि, इन्हें प्रतिमाह किसी कबाड़ी या गली में फेरी लगाने वाले को बेच देना चाहिए। ये कबाड़ी उक्त सामग्री को छाँटकर उद्योगों में बेचकर अच्छा मूल्य प्राप्त करते हैं। उद्योग वाले इन टूटी सामग्री को पुनः गलाकर नई सामग्री बना लेते हैं।

    दैनिक कचरा जिसे पात्र में एकत्रित करते हैं, उन्हें निश्चित स्थान पर डालना चाहिए। वर्तमान में नगरपालिका क्षेत्र में प्रतिदिन हर गली व मोहल्ले में कचरा गाड़ी आती है, उक्त कचरे को गली में न डालकर गाड़ी में डालना चाहिए। कचरे से नालियों की सफाई भी रखना जरूरी है। नगरपालिका की गाड़ी सम्पूर्ण कचरे को कस्बे व गाँव के बाहर एकत्रित कर इसका सही व उचित निष्पादन करती है।

    गाँव या नगरपालिका द्वारा अपशिष्ट प्रबंधन की ‘मास्टर योजना’ बनानी चाहिए। व्यक्तियों को अपशिष्ट प्रबंधन के मूल मंत्र ‘री-यूज, री-ड्यूज व री-साइकिल (Reuse, Reduce and Recycle) से अवगत कराना, प्रभात फेरी, दीवारों पर लिखना, पेम्फलेट आदि से जानकारी करवाना चाहिए। पॉलीथीन की थैलियों का उपयोग न कर कपड़े के थैले का उपयोग करने की बाध्यता करनी चाहिए।

    (अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर)

    वस्तुनिष्ठ प्रश्न
    प्रश्न 1.
    वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण होता है|
    (अ) केंचुओं से
    (ब) कवक से
    (स) मछलियों द्वारा
    (द) जीवाणुओं द्वारा

    प्रश्न 2.
    निम्न में से जैव विघटनीय है
    (अ) डी.डी.टी.
    (ब) प्लास्टिक
    (स) धातुओं के ऑक्साइड
    (द) मल-मूत्र

    प्रश्न 3.
    अपशिष्ट प्रबंधन की विधियाँ हैं
    (अ) भूमिभराव
    (ब) भस्मीकरण
    (स) पुनर्चक्रण
    (द) उपरोक्त सभी

    प्रश्न 4.
    भस्मीकरण पद्धति किस देश में ज्यादा प्रचलित है?
    (अ) अमेरिका
    (ब) रूस
    (स) भारत
    (द) जापान

    प्रश्न 5.
    अपशिष्ट पदार्थों की निरन्तर वृद्धि का कारण है
    (अ) औद्योगीकरण
    (ब) नगरीकरण
    (स) जनसंख्या वृद्धि
    (द) उपरोक्त सभी

    प्रश्न 6.
    अपशिष्ट की मात्रा में कमी लाने हेतु उपयुक्त है
    (अ) पुनः उपयोग
    (ब) कम उपयोग।
    (स) पुनर्चक्रण
    (द) उपरोक्त सभी

    प्रश्न 7.
    कूड़े-करकट को अत्यधिक दाब से किसमें बदला जाना सम्भव है
    (अ) पत्थर
    (ब) ईंट
    (स) रेशे
    (द) बजरी

    प्रश्न 8.
    हड्डियों, वसा, पंख, रक्त आदि पशु अवशेषों को पकाकर प्राप्त किया जाता
    (अ) ईंट
    (ब) चारा
    (स) चर्बी
    (द) तेल

    प्रश्न 9.
    जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट है
    (अ) फसलों के बचे भाग
    (ब) काँच
    (स) प्लास्टिक
    (द) सुइयाँ

    प्रश्न 10.
    अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट हैं
    (अ) काँच
    (ब) सुइयाँ
    (स) पॉलीथीन थैलियाँ
    (द) उपरोक्त सभी

    उत्तरमाला-
    1. (अ)
    2. (द)
    3. (द)
    4. (द)
    5. (द)
    6. (द)
    7. (ब)
    8. (स)
    9. (अ)
    10. (द)।

    अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    वे कौनसे कारक हैं जिनसे अपशिष्ट पदार्थों की वृद्धि हो रही है?
    उत्तर-
    औद्योगीकरण, नगरीकरण एवं तीव्र जनसंख्या।

    प्रश्न 2.
    कुछ ठोस अपशिष्टों के उदाहरण दीजिए।
    उत्तर-
    कागज, कपड़ा, प्लास्टिक, काँच, रबड़ आदि।

    प्रश्न 3.
    अस्पतालों से निकले अपशिष्टों का उदाहरण लिखिए।
    उत्तर-
    प्लास्टिक बोतलें, सीरिंज, पट्टियाँ, रुई, रक्त, मांस आदि।

    प्रश्न 4.
    अपशिष्ट निष्पादन प्रबंधन हेतु भारत सरकार ने किस समिति का गठन किया?
    उत्तर-
    भारत सरकार ने 1975 में शिवरामन समिति का गठन इस कार्य हेतु किया था।

    प्रश्न 5.
    किन्हीं दो e-अपशिष्टों के नाम लिखिए।
    उत्तर-

    • ऐसे कम्प्यूटर जो मरम्मत योग्य नहीं हैं।
    • खराब हुई सीडी, फ्लॉपी, पेनड्राइव आदि।

    प्रश्न 6.
    तापीय ऊर्जा संयंत्र से निकलने वाले एक मुख्य अपशिष्ट का नाम लिखिए।
    उत्तर-
    फ्लाई एश (Fly ash) या उड़न राख।

    लघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    अपशिष्ट प्रबंधन में आपके विचार के अनुसार सर्वाधिक आवश्यक क्या है?
    उत्तर-
    सामान्य नागरिकों के व्यवहार में सुधार आवश्यक है। यदि हम में से प्रत्येक अपने घर के अपशिष्ट पदार्थों को स्वयं या दूसरों के घरों अथवा नालियों में फेंकना बन्द कर उसको उचित स्थान पर एकत्र करें तो यह समस्या स्वतः कम हो जाएगी। इसी प्रकार नगरपालिकाओं को भी अपनी उदासीनता त्यागनी होगी और सफाई कर्मचारियों के कार्यों में कुशलता एवं कर्त्तव्यपरायणता लानी होगी। अपशिष्ट पदार्थों से पर्यावरण प्रदूषित न हो और हमारे स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव न हो, इसके लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है क्योंकि पर्यावरण एक साझी विरासत है जिसे हमें सुरक्षित रखना है।

    प्रश्न 2.
    3R सिद्धांत क्या है?
    उत्तर-
    3R सिद्धांत-Reduce, Recycle, Reuse
    अर्थात् कम उपयोग, पुन:चक्रण व पुनः उपयोग, यह तीन आर (3R) का सिद्धान्त है। इसको अपनाने से अपशिष्ट समस्या का बड़े स्तर पर समाधान किया जा सकता है।

    प्रश्न 3.
    क्या कारण है कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं और कुछ अजैव निम्नीकरणीय?
    उत्तर-
    जैव निम्नीकरणीय-वे पदार्थ जिनका जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटन हो जाता है, जैव निम्नीकरणीय कहलाते हैं। यह कार्य जीवाणुओं तथा मृतजीवियों द्वारा किया जाता है। इन सूक्ष्म जीवों का असर सभी पदार्थों पर नहीं होता है अतः कुछ पदार्थ ही जैव निम्नीकरणीय होते हैं। उदाहरण के लिए शाक-सब्जियों, फलों आदि के अवशेष तथा मल-मूत्र आदि पदार्थों को सूक्ष्म जीवों द्वारा अपघटित कर दिया जाता है।

    अजैव निम्नीकरणीय-वे पदार्थ जिनका जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटन नहीं होता है, अजैव निम्नीकरणीय कहलाते हैं। ये पदार्थ सामान्यतः अक्रिय (inert) होते हैं तथा लम्बे समय तक पर्यावरण में बने रहते हैं अथवा पर्यावरण के अन्य सदस्यों को हानि पहुँचाते हैं। प्लास्टिक, डी.डी.टी. मानव निर्मित बहुत से ऐसे पदार्थ हैं जो सूक्ष्म जीवों से अप्रभावित रहते हैं अतः इनका अपघटन नहीं होता है।

    प्रश्न 4.
    ऐसे दो तरीके सुझाइए जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
    उत्तर-
    निम्न दो तरीके हैं, जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं

    • जैव निम्नीकरणीय पदार्थ अपघटित होकर विषाक्त एवं दुर्गन्धमय गैसें उत्पन्न करते हैं जिससे वातावरण प्रदूषित होता है एवं लोगों का जीवन कष्टमय हो जाता है।
    • जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थों के बड़े-बड़े ढेरों पर मक्खियाँ बैठती हैं एवं अण्डे देती हैं। कीटाणुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाती हैं, जिसके फलस्वरूप विभिन्न बीमारियाँ फैलती हैं, जैसे-डायरिया, टाइफाइड, हैजा एवं टी.बी. आदि।

    प्रश्न 5.
    अपशिष्ट प्रबंधन की विधियों के अतिरिक्त अपशिष्ट निस्तारण के अन्य उपाय बताइए।
    उत्तर-
    अपशिष्ट निस्तारण के अन्य उपाय इस प्रकार हैं

    • गहरे महासागरों में अपशिष्ट का निस्तारण किया जा सकता है किन्तु इसमें यह ध्यान देना आवश्यक है कि सागरीय पर्यावरण प्रदूषित न हो।
    • हड्डियों, वसा, पंख, रक्त आदि पशु अवशेषों को पकाकर चर्बी प्राप्त की जा सकती है जिनका प्रयोग साबुन बनाने में किया जाता है तथा इसके प्रोटीन अंश वाला भाग पशु चारे के रूप में उपयोगी होता है।
    • कूड़े-करकट को अत्यधिक दाब से ठोस ईंटों में बदला जा सकता है।
    • नगरीय जल-मल को नगर से दूर गड्ढों में डाला जाए तथा वहाँ से शुद्धीकरण के पश्चात् ही इसका सिंचाई आदि में उपयोग किया जाना चाहिए।
    • सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर अपशिष्ट पदार्थों के निस्तारण एवं उनके उपयोगों के सम्बन्ध में निरन्तर शोध की आवश्यकता है। यही नहीं अपितु विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों को वे सभी तकनीकें प्रदान करनी चाहिए जो अपशिष्ट के निस्तारण एवं पर्यावरण सुरक्षा में सहायक हों।
    • अपशिष्ट पदार्थों की बढ़ती समस्या एवं पर्यावरण सुरक्षा हेतु प्रत्येक क्षेत्र, यहाँ तक कि प्रत्येक नगर हेतु एक दीर्घकालीन ‘मास्टर प्लान बनाया जाना आवश्यक है, जिससे नियोजित रूप से इसका निराकरण हो सके।

    प्रश्न 6.
    आप कचरा निपटान की समस्या कम करने में क्या योगदान कर सकते हैं? किन्हीं दो तरीकों का वर्णन कीजिए।
    अथवा
    कचरा निपटान की समस्या कम करने के कोई दो तरीके दीजिए।
    उत्तर-
    कचरा निपटान की समस्या कम करने में हम निम्न योगदान कर सकते हैं

    • जैव निम्नीकरणीय एवं अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थों को अलगअलग करके समाप्त करना।
    • अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थों का पुन:चक्रण (Recycling) के बाद पुन:उपयोग (Reuse) करना चाहिए। जैसे-प्लास्टिक, धातुएँ आदि।
    • जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ जैसे रसोई की बेकार सामग्री, खाना बनाने के बाद बची सामग्री, पत्तियाँ आदि को जमीन में गड्डा खोदकर इन्हें दबाकर खाद तैयार किया जा सकता है, जिससे पौधों को उच्च कोटि की खाद उपलब्ध हो सके।
    • कचरे को आग से जलाकर नष्ट किया जा सकता है एवं बायोगैस का उत्पादन कर कचरा निपटान की समस्या को कम किया जा सकता है।

    प्रश्न 7.
    डिस्पोजेबल प्लास्टिक कप की अपेक्षा कागज के डिस्पोजेबल कप के इस्तेमाल के क्या लाभ हैं?
    उत्तर-
    कागज के डिस्पोजेबल कपों का निस्तारण आसानी से हो जाता है। तथा इन्हें पुनः चक्रण कर उपयोग कर सकते हैं। कागज से बने कप जैव निम्नीकरणीय अपशिष्टों की श्रेणी के होते हैं, अतः इनसे पर्यावरण प्रदूषण का खतरा नहीं होता है।

    प्रश्न 8.
    पॉलीथीन की थैलियों के उपयोग पर प्रतिबंध आवश्यक क्यों है?
    उत्तर-
    पॉलीथीन एक अजैव निम्नीकरण पदार्थ है जिसका अपघटन नहीं हो पाता है। यह उद्योगों में विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थों से तैयार होती है। उपयोग के बाद इन्हें फेंक दिया जाता है, जिससे मिट्टी के माध्यम से ये पदार्थ आहार श्रृंखलाओं में प्रवेश कर जाते हैं।

    चूँकि ये पदार्थ अजैव निम्नीकृत हैं, इसलिए ये प्रत्येक पोषी स्तर पर उत्तरोत्तर संग्रहित होते रहते हैं अतः ये खाद्य श्रृंखला में मिलकर जैव आवर्धन करते हैं और पर्यावरण, विशेषकर मानव को विभिन्न प्रकार से क्षति पहुँचाते हैं। अपशिष्ट भरकर फेंकी गई पॉलीथीन की थैलियाँ गायों व अन्य पशुओं द्वारा खा ली जाती हैं, जिससे उनकी आहार नाल अवरुद्ध हो जाती है। पॉलीथीन, नालियों में फँसकर जल प्रवाह को रोक देती हैं, जिसके कारण स्थिर जल में मच्छर, मक्खी जैसे रोगवाहक कीट पनपने लगते हैं।

    प्रश्न 9.
    हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से कौन-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं?
    उत्तर-
    हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से निम्न समस्याएँ उत्पन्न होती हैं

    • अजैव निम्नीकरणीय कचरे से जल प्रदूषण उत्पन्न हो जाएगा एवं पानी पीने योग्य नहीं होगा।
    • नदी-नालों में इस कचरे के कारण पानी का बहाव रुक जाएगा।
    • प्लास्टिक की थैलियों को जानवरों द्वारा खा लिए जाने के फलस्वरूप उनकी मृत्यु हो जाएगी।
    • मृदा कृषि योग्य नहीं रहेगी एवं भूमि उत्पादकता कम हो जाएगी।
    • अजैव निम्नीकरणीय रसायनों का खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करने पर विभिन्न बीमारियों से मानव ग्रसित हो जाएगा। उदाहरण के लिए गायों के दूध में और माँ के दूध में डी.डी.टी. का उच्च सान्द्रण पाया गया जिससे नवजात शिशुओं में कई प्रकार के दोष पाए गए।
    • पारितन्त्र का संतुलन नष्ट हो जाएगा।
    • इनके कारण वायु प्रदूषण उत्पन्न हो जाएगा एवं वायु जहरीली हो जाएगी।

    प्रश्न 10.
    यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो तो क्या इनका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा?
    उत्तर-
    यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो तो इनका निपटान आसानी से हो जाएगा। जैव निम्नीकरण पदार्थ सरलता से सूक्ष्म जीवों द्वारा अपघटित कर दिए जाते हैं। यह अपशिष्ट लम्बे समय तक नहीं रहते हैं। अतः इनका हानिकारक प्रभाव वातावरण पर पड़ता तो है लेकिन यह कुछ समय के लिए ही रहता है। ये पदार्थ लाभदायक पदार्थों में बदले जा सकते हैं तथा सरल पदार्थों में तोड़े जा सकते हैं। चूँकि इनके अपघटन से दुर्गन्ध एवं विषाक्त गैसें निकलती हैं, इसलिए पर्यावरण पर इनका प्रभाव तो पड़ता है परन्तु वह केवल कुछ समय तक ही रहता है।

    प्रश्न 11.
    जल में उपस्थित अपद्रव्य पदार्थों को कितनी श्रेणियों में बाँटा गया है? वर्णन कीजिए।
    उत्तर-
    जल में उपस्थित अपद्रव्य पदार्थों को निम्न श्रेणियों में बाँटा गया

    • निलंबित अपद्रव्य-ऐसे पदार्थों के कण एक माइक्रो से अधिक व्यास के होते हैं तथा इन्हें छानकर पृथक् किया जा सकता है। इनकी उपस्थिति से जल मटमैला हो जाता है। रेत, मिट्टी, खनिज लवण, शैवाल इस प्रकार के अपद्रव्य पदार्थ हैं।
    • कोलाइडी अपद्रव्य-ऐसे अपद्रव्यी पदार्थों के कण कोलाइड के रूप में होते हैं। ये कण अतिसूक्ष्म होते हैं, अतः इन्हें जल से छानकर अलग करना सम्भव नहीं होता है। जल का प्राकृतिक रंग इन्हीं के कारण दिखाई देता है।
    • घुलित अशुद्धियाँ-प्राकृतिक जल जब विभिन्न स्थानों से बहता हुआ आगे बढ़ता है तो उसमें अनेक ठोस, द्रव तथा गैसीय पदार्थ घुल जाते हैं। जल में घुले ठोस पदार्थों की सान्द्रता को PPM में मापा जाता है।

    प्रश्न 12.
    रेडियोधर्मी प्रदूषण के प्रमुख कारण बताइए।
    उत्तर-
    ठोस, द्रव या गैसीय पदार्थों में जहाँ अनायास या अवांछनीय रेडियोधर्मी पदार्थ की उपस्थिति होती है, उसे रेडियोधर्मी प्रदूषण कहते हैं। इसके कारण जीवों में आनुवांशिकीय विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं व मृत्यु भी हो सकती है।

    रेडियोधर्मी प्रदूषण का मुख्य कारण परमाणु घर निर्माण के समय होने वाली दुर्घटनाओं इत्यादि के कारण या इसी के किसी समस्थानिक के अस्थिर नाभिक के कारण भी हो सकती है, जिसके कारण उसमें क्षय होना प्रारम्भ हो जाता है। आमतौर पर इस प्रदूषण का मुख्य कारण परमाणु विस्फोट होता है। इसके अलावा रेडियोधर्मी, गैसीय, तरल या अन्य रूपों में कोई भी पदार्थ इस प्रदूषण का कारण बन सकता है। नाभिकीय चिकित्सा के दौरान कभी-कभी ध्यान न देने पर भी इस तरह की घटना हो। जाती है। यह तत्व मनुष्य के इधर-उधर चलने के साथ-साथ अन्य स्थानों में भी फैल जाता है। यह निश्चित रूप से परमाणु ईंधन के उपयोग करते समय होता है।

    प्रश्न 13.
    आप अपने ग्राम/मोहल्ले में अपशिष्ट प्रबंधन हेतु क्या-क्या उपाय करोगे? (कोई तीन )। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18)
    उत्तर-
    हम हमारे ग्राम/मोहल्ले में अपशिष्ट प्रबन्धन हेतु निम्न उपाय करेंगे

    • हम इसके लिए भूमिभराव (Landfill) विधि अपनायेंगे। गैर-उपयोग की खानों, खनन रिक्तियों आदि क्षेत्रों में अपशिष्ट द्वारा भूमिभराव किया जा सकता है।
    • भस्मीकरण द्वारा भी अपशिष्ट प्रबन्धन किया जा सकता है। इस विधि में अपशिष्ट पदार्थों का दहन किया जाता है।
    • पुनर्चक्रण विधि द्वारा भी अपशिष्ट प्रबन्धन किया जा सकता है। कचरे में से अखबार, रद्दी, धातु, पेय पदार्थों के एल्यूमीनियम के डिब्बे, भोजन और एयरोसोल के डिब्बे, प्लास्टिक व काँच की बोतलें, गत्ते के डिब्बे, प्लास्टिक के सामान आदि का पुनर्चक्रण कर नई वस्तु बनाई जा सकती है अथवा उन्हें पुनः काम में लिया जा सकता है। प्राकृतिक जैविक अपशिष्ट पदार्थ, जैसे–पौधों की सामग्री, बचा

    हुआ भोजन, कागज, ऊन आदि का प्रयोग कम्पोस्ट खाद, वर्मी कम्पोस्ट, जैविक खाद आदि बनाने में किया जा सकता है।

    प्रश्न 14.
    अपशिष्ट किसे कहते हैं? अपशिष्ट प्रबंधन के दो तरीकों को समझाइए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    उत्तर-
    किसी भी प्रक्रम के अन्त में बनने वाले अनुपयोगी पदार्थ या उत्पाद को अपशिष्ट कहते हैं।

    अपशिष्ट प्रबंधन के दो तरीकों के लिए अन्य महत्त्वपूर्ण निबन्धात्मक प्रश्न संख्या 3 को देखिए।

    निबन्धात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    पर्यावरण को बचाने के लिए तीन प्रकार के R के विषय में आप क्या जानते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
    अथवा
    पर्यावरण को बचाने के लिए तीन प्रकार के ‘R’ को स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर-
    पर्यावरण को बचाने के लिए तीन प्रकार के २ अर्थात् कम उपयोग (Reduce), पुनः चक्रण (Recycle) तथा पुनः उपयोग (Reuse) को लागू करके पर्यावरण को प्रभावी ढंग से सुरक्षित रखा जा सकता है

    1. कम उपयोग (Reduce)-इसका अर्थ है कि कम से कम वस्तुओं का उपयोग करना। बिजली के पंखे, बल्ब, टेलीविजन आदि की आवश्यकता न होने पर स्विच बन्द करके बिजली की बचत की जा सकती है। टपकने वाले नल की मरम्मत करके जल की बचत कर सकते हैं। आहार को अनावश्यक व्यर्थ होने से बचाना।
    2. पुनः चक्रण (Recycle)-इसका अर्थ है कि हमें प्लास्टिक, कागज, काँच, धातु की वस्तुएँ एवं ऐसे ही पदार्थों का पुनः चक्रण करके उपयोगी वस्तुएँ तैयार करनी चाहिए। जब तक अतिआवश्यक नहीं हो, इनका नया उत्पादन/संश्लेषण विवेकपूर्ण नहीं है। इनके पुनः चक्रण के लिए पहले हमें अपद्रव्यों को अलग करना चाहिए, जिससे कि पुनः चक्रण योग्य वस्तुएँ दूसरे कचरे के साथ भराव क्षेत्र में न फेंक दी जाएँ।
    3. पुनः उपयोग (Reuse)यह पुनः चक्रण से भी अच्छा तरीका है। क्योंकि पुनः चक्रण में कुछ ऊर्जा अवश्य व्यय होती है। पुनः उपयोग में वस्तु का बार-बार उपयोग करते हैं। जैसे–लिफाफों को फेंकने की अपेक्षा फिर से उपयोग में लिया जा सकता है। विभिन्न खाद्य पदार्थों के साथ आई प्लास्टिक की बोतलें, डिब्बे आदि का उपयोग रसोईघर में वस्तुओं को । रखने के लिए किया जा सकता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 13 अपशिष्ट एवं इसका प्रबंधन 1

    प्रश्न 2.
    अपशिष्ट के प्रकार व इससे होने वाले दुष्प्रभावों को लिखिए।
    उत्तर-
    अपशिष्ट-किसी भी प्रक्रम के अन्त में बनने वाले अनुपयोगी पदार्थ या उत्पाद अपशिष्ट कहलाते हैं।
    अपशिष्ट के प्रकार-अपशिष्टों को दो श्रेणियों में विभक्त किया गया है– जैव निम्नीकरणीय व अजैव निम्नीकरणीय।

    1. जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट-वे अपशिष्ट पदार्थ जिनका जैविक कारकों के द्वारा अपघटन हो जाता है, जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट कहलाते हैं। जैसे-घरेलू जैविक कचरा, कृषि व चिकित्सकीय जैविक अपशिष्ट, फसलों के बचे भाग, रुई, पट्टियाँ, मांस के टुकड़े आदि।
    2. अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट-वे अपशिष्ट पदार्थ जिनका जैविक कारकों के द्वारा अपघटन नहीं हो पाता है, वे अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट कहलाते हैं । जैसे—प्लास्टिक की बोतलें, पॉलिथीन थैलियाँ, काँच, सुइयाँ, धातु के टुकड़े आदि।

    अपशिष्टों के दुष्प्रभाव-अपशिष्ट आज भारत की ही नहीं बल्कि वैश्विक समस्या है। प्रतिदिन नगरों, छोटे नगरों व गाँवों से अधिक मात्रा में कूड़ा निकलता है। यह कूड़ा बीमारियाँ फैलाता है तथा नगरों के सौन्दर्य को बिगाड़ता है।

    दहन क्रियाओं से CO2, CO, SO2 गैसें निकलती हैं जिससे वायु में प्रदूषण उत्पन्न होता है। कपड़ा उद्योग, रासायनिक उद्योग, गन्ना एवं शक्कर उद्योग से निकलने वाले अपशिष्ट भी वायु व जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं । कृषि कार्यों में निरन्तर भारी मात्रा में कीटनाशकों व उर्वरकों का उपयोग जल, वायु व भूमि का प्रदूषण उत्पन्न करते हैं। नाभिकीय विस्फोटक एवं आण्विक हथियारों के परीक्षण से रेडियोधर्मी पदार्थ उत्पन्न होकर प्रदूषण करते हैं। वाहनों से निकलने वाला धुआँ तथा मार्बल व पत्थर कटिंग मशीनों से निकलने वाले सूक्ष्म कण वायु प्रदूषण करते हैं।

    वायुमण्डल में CO2 की वृद्धि के कारण तापमान में वृद्धि होती है जिससे ग्रीन हाउस प्रभाव हो रहा है। CO शरीर में जाकर रुधिर हीमोग्लोबिन के साथ संयुक्त होकर एक यौगिक कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन का निर्माण करती है जिससे शरीर में O2 की कमी से हाइपाक्सिया रोग हो जाता है। SO2 के कारण आँखों व श्वसन तंत्र में जलन उत्पन्न होती है। यही आगे जाकर H2SO4 में परिवर्तित होकर इमारतों व स्मारकों का क्षय, पादपों में ऊतक क्षय व हरिमाहीनता उत्पन्न करता है।

    H2S की उपस्थिति से शरीर में विकार, उल्टी, सिरदर्द व मूर्छा आ जाती है। NO की सान्द्रता से श्वसन सम्बन्धी रोग, NO2 की मात्रा से फेफड़ों के रोग हो जाते हैं। वायुमण्डल में जस्ता, सीसा व पारे के कण विद्यमान हैं जिनका मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव होता है। सीसे की उपस्थिति के कारण RBC नष्ट हो जाती है। CFC का अधिक उपयोग अधिक नुकसानदायक है।

    प्रदूषित जल से अनेक प्रकार के रोग हैजा, टाइफाइड, पेचिस, वाइरस से यकृतशोध, पीलिया, अमीबीय अतिसार, दाँतों व हड्डियों के रोग हो जाते हैं। प्रदूषित जल में O2 की मात्रा कम होने से जलीय जन्तु प्रभावित होते हैं। कृषि में उर्वरकों, रसायनों तथा कीटनाशकों, खानों, खाद्यान्नों द्वारा निकले ठोस कचरे, कागज व चीनी मिलों के अपशिष्ट, प्लास्टिक आदि अधिक हानि पहुँचाते हैं। अधिक शोर से कान का पर्दा फट जाती है, कार्यकीय दुष्प्रभाव, सरदर्द, रक्तचाप व हृदयगति बढ़ना, मिचली व चिड़चिड़ापन हो जाता है। रेडियोधर्मी अपशिष्टों का अत्यधिक हानिकारक प्रभाव होता है।

    प्रश्न 3.
    अपशिष्ट प्रबंधन से क्या तात्पर्य है? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
    उत्तर-
    किसी भी प्रक्रम के अन्त में बनने वाले अनुपयोगी पदार्थ या उत्पाद अपशिष्ट कहलाते हैं। ऐसे अपशिष्ट पदार्थों के समुचित निस्तारण या निपटान के प्रबंधन को अपशिष्ट प्रबंधन कहते हैं। इसके अन्तर्गत अपशिष्ट के प्रकार आधार पर निस्तारण की विधि अपनाई जाती है।

    अपशिष्ट प्रबन्धन की विधियाँ-अपशिष्ट प्रबंधन सामग्री के प्रकार, स्थान, उपलब्ध क्षेत्र इत्यादि के अनुसार अलग-अलग प्रकार का होता है। प्रबन्धन के अन्तर्गत सामान्यतः इसका वर्णन निम्न प्रकार से किया जाता है

    • भूमिभराव (Landfill)-
      इसमें अपशिष्टों को भूमि में गाड़ दिया। जाता है। यह अपशिष्ट निपटान का एक बहुत ही साफ व कम खर्च वाला तरीका है। प्रायः भूमि भराव गैर-उपयोग की खानों, खनन से रिक्त हुए स्थानों पर किया जाता है। गलत तरीके से निपटान करने पर पर्यावरण पर उल्टा प्रभाव होता है। ठीक ढंग से अपशिष्ट को न गाड़ने पर कचरा उड़ने लगता है, कीटों को आकर्षित करता है। कार्बनिक अपशिष्ट के अपघटन से मीथेन गैस पैदा होती है जिससे दुर्गन्ध आती है। भूमिभराव आधुनिक नियोजित तरीके से करना चाहिए। गड्ढों को मिट्टी से भर देते हैं तथा भूमिभराव गैस निकासी हेतु भूमिभराव गैस प्रणाली स्थापित की जाती है। इस गैस को एकत्रित कर विद्युत उत्पादन किया जा सकता है।
    • भस्मीकरण (Incineration)-
      इस विधि में अपशिष्ट को जलाया जाता है। इसमें अपशिष्ट भाप, ताप, गैस व राख में बदल जाता है। छोटे पैमाने पर भस्मीकरण व्यक्तियों द्वारा तथा बड़े पैमाने पर उद्योगों द्वारा किया जाता है। इसका प्रयोग तरल, ठोस व गैसीय .अपशिष्टों के निपटान के लिए किया जाता है। भस्मीकरण जापान जैसे देशों में ज्यादा प्रचलित है। इस प्रक्रिया में कम भूमि की आवश्यकता होती है।
    • पुनर्चक्रण विधि (Recycling method)-
      अपशिष्ट पदार्थ से पुनः कच्चा माल प्राप्त किया जाता है। इस कच्चे माल से पुनः नई सामग्री का निर्माण किया जाता है। जैसे प्लास्टिक अपशिष्ट को पुनः कच्चे प्लास्टिक में बदलकर नई प्लास्टिक सामग्री का निर्माण किया जाता है।

    पुनर्चक्रण हेतु प्रायः एल्युमीनियम पेय के डिब्बे, इस्पात, भोजन व एयरोसोल के डिब्बे, काँच की सामग्री, गत्ते के डिब्बे, पत्रिकाओं का उपयोग किया जाता है। वर्तमान में यह कचरा नई सामग्री के निर्माण में अधिक उपयोगी है। प्राकृतिक जैविक अपशिष्ट पदार्थ जैसे पौधे की सामग्री, बचा हुआ भोजन, कागज, ऊन आदि का प्रयोग कम्पोस्ट खाद, वर्मी कम्पोस्ट, जैविक खाद बनाने में किया जाता है तथा इस प्रक्रिया से उत्पन्न गैस से विद्युत बनाई जाती है।

  • Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 12 प्रमुख प्राकृतिक संसाधन

    Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 12 प्रमुख प्राकृतिक संसाधन

    पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

    बहुचयनात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    खेजड़ली के बलिदान से सबंधित है
    (क) बाबा आमटे
    (ख) सुन्दरलाल बहुगुणा
    (ग) अरुन्धती राय
    (घ) अमृता देवी

    प्रश्न 2.
    भू-जल संकट के कारण हैं
    (क) जल-स्रोतों का प्रदूषण
    (ख) भू-जल का अतिदोहन
    (ग) जल की अधिक मांग
    (घ) उपरोक्त सभी

    प्रश्न 3.
    लाल आंकड़ों की पुस्तक सम्बन्धित है
    (क) संकटग्रस्त वन्य जीवों से
    (ख) दुर्लभ वन्य जीवों से
    (ग) विलुप्त जातियों से
    (घ) उपरोक्त सभी

    प्रश्न 4.
    सरिस्का अभयारण्य स्थित है
    (क) अलवर में
    (ख) जोधपुर में
    (ग) जयपुर में
    (घ) अजमेर में

    प्रश्न 5.
    सर्वाधिक कार्बन की मात्रा उपस्थित होती है
    (क) पीट में
    (ख) लिग्नाइट में
    (ग) एन्थेसाइट में
    (घ) बिटुमिनस में

    उत्तरमाला-
    1. (घ)
    2. (घ)
    3. (घ)
    4. (क)
    5. (ग)।

    अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 6.
    संकटापन्न जातियों से क्या तात्पर्य है?
    उत्तर-
    वे जातियाँ जिनके संरक्षण के उपाय नहीं किये गये तो निकट भविष्य में समाप्त हो जायेंगी।

    प्रश्न 7.
    राष्ट्रीय उद्यान क्या है?
    उत्तर-
    राष्ट्रीय उद्यान वे प्राकृतिक क्षेत्र हैं, जहाँ पर पर्यावरण के साथ-साथ वन्य जीवों एवं प्राकृतिक अवशेषों का संरक्षण किया जाता है।

    प्रश्न 8.
    सिंचाई की विधियों के नाम बताइये।
    उत्तर-
    सिंचाई फव्वारा विधि व टपकन विधि से की जाती है।

    प्रश्न 9.
    उड़न गिलहरी किस वन्य जीव अभयारण्य में पायी जाती है?
    उत्तर-
    सीतामाता तथा प्रतापगढ़ अभयारण्यh

    प्रश्न 10.
    पेट्रोलियम के घटकों के नाम लिखो।
    उत्तर-
    पेट्रोल, डीजल, केरोसीन, प्राकृतिक गैस, वेसलीन, स्नेहक आदि पेट्रोलियम के घटक होते हैं, जिन्हें आसवन विधि द्वारा पृथक् किया जाता है।

    लघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 11.
    जल संरक्षण व प्रबंधन के तीन सिद्धांत बताइये।
    उत्तर-
    जल संरक्षण व प्रबंधन के तीन महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त निम्न प्रकार से

    • जल की उपलब्धता बनाए रखना।
    • जल को प्रदूषित होने से बचाना।
    • संदूषित जल को स्वच्छ करके उसका पुनर्चक्रण करना।

    प्रश्न 12.
    सामाजिक वानिकी क्या है?
    उत्तर-
    सामाजिक वानिकी के अन्तर्गत वनों के क्षेत्र में विस्तार किया जाता है। ताकि गाँव वालों को चारा, जलाऊ लकड़ी व गौण वनोत्पाद प्राप्त हो सके। तात्पर्य यह है कि वनों से समाज के व्यक्तियों को उनकी आवश्यकता की पूर्ति हो सके।
    सामाजिक वानिकी के निम्न तीन प्रमुख घटक हैं

    • कृषि वानिकी (Agro-Forestry)
    • वन विभाग द्वारा नहरों, सड़कों, अस्पताल आदि सार्वजनिक स्थानों पर सामुदायिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वृक्षारोपण करना।
    • ग्रामीणों द्वारा सार्वजनिक भूमि पर वृक्षारोपण।

    प्रश्न 13.
    कोयले के प्रकारों के नाम लिखिए।
    उत्तर-
    नमीरहित कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयले को निम्नलिखित चार प्रकारों में बाँटा गया है

    1. एन्थ्रेसाइट (94-98%)
    2. लिग्नाइट (28-30%)
    3. बिटूमिनस (78-86%)
    4. पीट (27%)

    प्रश्न 14.
    सतत् पोषणीय विकास से क्या तात्पर्य है?
    उत्तर-
    किसी भी संसाधन का प्रयोग सतर्क होकर करना चाहिए ताकि उस वस्तु का प्रयोग न केवल हम कर सकें बल्कि जिसका प्रयोग आने वाले समय की पीढ़ी भी अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कर सके।

    प्रश्न 15.
    वन्य जीव संरक्षण से क्या तात्पर्य है?
    उत्तर-
    वन्य जीव-जन्तुओं के लिए प्रयुक्त होता है जो प्राकृतिक आवास में निवास करते हैं, जैसे हाथी, शेर, गैंडा, हिरण इत्यादि । किन्तु व्यापक रूप से ‘वन्य जीव’ प्रकृति में पाये जाने वाले सभी जीव-जन्तुओं एवं पेड़-पौधों की जातियों हेतु प्रयुक्त किया जाता है। वर्तमान में मानव के द्वारा ऐसे कारण उत्पन्न कर दिये गये हैं, जिससे वन्य जीवों का अस्तित्व समाप्त हो रहा है। इसलिए वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए 1972 में वन्य जीवन सुरक्षा अधिनियम बनाया गया है। वन्य जीवों की पूर्ण सुरक्षा तथा विलुप्त होने वाले जन्तुओं को संरक्षण प्रदान करना इसका मुख्य उद्देश्य है।

    निबन्धात्मक प्रश्न
    प्रश्न 16.
    जल संरक्षण व प्रबंधन के उपाय लिखिए।
    उत्तर-
    जल एक चक्रीय संसाधन है। यदि इसका युक्तियुक्त उपयोग किया जाए तो इसकी कमी नहीं होगी। जल का संरक्षण जीवन का संरक्षण है। जल संरक्षण हेतु निम्नलिखित उपाय किये जाने चाहिए

    • जल को बहुमूल्य राष्ट्रीय सम्पदा घोषित कर उसका समुचित नियोजन किया जाना चाहिए।
    • वर्षा जल संग्रहण विधियों द्वारा जल का संग्रहण किया जाना चाहिए।
    • घरेलू उपयोग में जल की बर्बादी को रोका जाना चाहिए।
    • भू-जल का अतिदोहन नहीं किया जाना चाहिए।
    • जल को प्रदूषित होने से रोकना चाहिए।
    • जल को पुनर्चक्रित कर उपयोग में लिया जाना चाहिए।
    • बाढ़ नियंत्रण व जल के समुचित उपयोग हेतु नदियों को परस्पर जोड़ा जाना चाहिए।
    • सिंचाई फव्वारा विधि व टपकन विधि से की जानी चाहिए।
      इस दिशा में समाकलित जल संभर प्रबन्धन द्वारा जल संसाधनों का वैज्ञानिक प्रबंधन करना चाहिए व इसके साथ-साथ वर्षा जल का संग्रहण करके भू-जल का स्तर बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए।

    प्रश्न 17.
    वन संरक्षण के उपायों पर प्रकाश डालिये।
    उत्तरे-
    वन इस पृथ्वी पर जीवन का आधार हैं । वनों की अंधाधुंध कटाई से पर्यावरण व प्राकृतिक संसाधनों का क्षेय, मृदा अपरदन, वनीय जीवन का विनाश, जलवायु में परिवर्तन, मरुस्थलीकरण, प्रदूषण में वृद्धि हो रही है। अतः वनों के संरक्षण हेतु निम्न उपाय अपनाये जा सकते हैंht

    • वनों की एक निश्चित सीमा तक कटाई की जानी चाहिए, वन काटने व वृक्षारोपण की दरों में समान अनुपात होना चाहिए।
    • वनों की आग से सुरक्षा की जानी चाहिए। अतः इसके लिए निरीक्षण गृह व अग्नि रक्षा पथ बनाने चाहिए।
    • वनों को हानिकारक कीटों से दवा छिड़ककर तथा रोगग्रस्त वृक्षों को हटाकर रक्षा की जानी चाहिए।
    • विविधतापूर्ण वनों को एकरूपतापूर्ण वनों से अधिक प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
    • कृषि व आवास के लिए वन उन्मूलन एवं झूम पद्धति की कृषि पर रोक लगाई जानी चाहिए।
    • वनों की कटाई को रोकने के लिए ईंधन व इमारती लकड़ी के नवीन वैकल्पिक स्रोतों को काम में लिया जाना चाहिए।
    • वनों के महत्त्व के विषय में जनचेतना जागृत की जाये। चिपको आंदोलन, शांत घाटी क्षेत्र आदि इसी जागरूकता के परिणाम हैं। वन संरक्षण में सामाजिक व स्वयंसेवी संस्थाओं की महती भूमिका है।
    • बाँधों एवं बहुउद्देशीय योजनाओं को बनाते समय वन संसाधन संरक्षण का ध्यान रखना चाहिए।
    • सामाजिक वानिकी को प्रोत्साहन देना चाहिए तथा वन संरक्षण के नियमों एवं कानूनों की सख्ती से अनुपालना होनी चाहिए।

    प्रश्न 18.
    वन्य जीवों के विलुप्त होने के कारणों का वर्णन कीजिए।
    उत्तर-
    वर्तमान में मानव के द्वारा ऐसे कारण उत्पन्न कर दिये गये हैं, जिससे वन्य जीवों का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है। मानव के अतिरिक्त कुछ प्राकृतिक कारण भी हैं, जिससे वन्य जीव संकटग्रस्त हैं। वन्य जीवों के विलुप्त होने के निम्नलिखित कारण हैं
    (अ) प्राकृतिक आवासों का नष्ट होना-वन्य जीवों के प्राकृतिक आवासों के नष्ट होने के अनेक कारण हैं, उनमें प्रमुख कारण निम्न प्रकार से हैंh

    • जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि होने के फलस्वरूप मानव की आवश्यकतायें बढ़ती गईं । मानव ने आवास, कृषि, उद्योगों हेतु वन भूमि का उपयोग किया जिससे जीवों के प्राकृतिक आवास पर संकट उत्पन्न हो गया।
    • बहुत बड़ी जल परियोजनाओं जैसे भाखड़ा नांगल, टिहरी बाँध, व्यास परियोजना इत्यादि से वन भूमि पानी में डूबती गई, जिससे वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास नष्ट होने लगे।
    • जंगलों में खनन कार्य, पर्यावरण प्रदूषण से उत्पन्न अम्लीय वर्षा आदि से भी प्राकृतिक आवास नष्ट हुए।
    • समुद्रों में तेल टैंकरों से तेल का रिसाव समुद्री जीवों के आवास को नष्ट कर रहा है।
    • ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण पृथ्वी के आसपास वातावरण गर्म होता जा रहा है जिससे जैव विविधता नष्ट हो रही है।

    (ब) वन्य जीवों का अवैध शिकार।
    (स) प्रदूषण।
    (द) मानव तथा वन्य जीवों में संघर्ष।
    उपरोक्त कारणों के अतिरिक्त प्राकृतिक, आनुवांशिक एवं मानव जनित अनेक कारण भी वन्य जीवों के विनाश हेतु उत्तरदायी हैं।

    प्रश्न 19.
    राजस्थान में पारम्परिक जल संग्रहण की विभिन्न पद्धतियों का वर्णन कीजिए।
    उत्तर-
    राजस्थान में जल संग्रहण की निम्नलिखित पारम्परिक पद्धतियों का प्रचलन है

    1. खडीन-
      यह एक मिट्टी का बना हुआ अस्थायी तालाब होता है, इसे किसी ढाल वाली भूमि के नीचे बनाते हैं। इसके दोनों ओर मिट्टी की दीवार (धोरा) तथा तीसरी ओर पत्थर से बनी मजबूत दीवार होती है। जल की अधिकता पर खडीन भर जाता है तथा जल आगे वाली खडीन में चला जाता है। खडीन में जल के सूख जाने पर, इसमें कृषि की जाती है।
    2. तालाब-
      राजस्थान में प्रायः वर्षा के जल का संग्रहण तालाब में किया जाता है। यहाँ स्त्रियों व पुरुषों के नहाने के पृथक् से घाट होते हैं। तालाब की तलहटी में कुआं बना होता है, जिसे बेरी कहते हैं। जल संचयन की यह प्राचीन विधि आज भी अपना महत्व रखती है। इससे भूमि जल का स्तर बढ़ता है।
    3. झील-
      राजस्थान में प्राकृतिक व कृत्रिम दोनों प्रकार की झीलें पाई जाती हैं। इसमें वर्षा का जल संग्रहित किया जाता है। झीलों में से पानी रिसता रहता है। जिससे आसपास के कुओं, बावड़ी, कुण्ड आदि का जलस्तर बढ़ जाता है।
    4. बावड़ी-
      राजस्थान में बावड़ियों का अपना स्थान है। यह जल संग्रहण करने का प्राचीन तरीका है। यह गहरी होती है व इसमें उतरने के लिए सीढ़ियाँ एवं तिबारे होते हैं तथा यह कलाकृतियों से सम्पन्न होती है।
    5. टोबा-
      थार के मरुस्थल में टोबा वर्षा के जल संग्रहण का मुख्य पारम्परिक स्रोत है। यह नाडी की जैसा होता है परन्तु नाडी से गहरा होता है।

    प्रश्न 20.
    चिपको आन्दोलन पर लेख लिखिए।
    उत्तर-
    इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य वृक्षों को काटने से रोकना था। अतः चिपको आन्दोलन वनों की सुरक्षा में उठाया गया एक प्रगतिशील कदम था। इस आन्दोलन को प्रारम्भ राजस्थान के जोधपुर जिले के खेजड़ली गाँव से हुआ था जहाँ अमृता देवी के साथ 363 बिश्नोई स्त्री, पुरुषों एवं बच्चों ने अपना बलिदान दिया था।

    1730 AD में जोधपुर के तत्कालीन महाराजा के महल निर्माण के लिए लकड़ियों की आवश्यकता हुई तो उनके सेवक खेजड़ली गाँव के खेजड़ी वृक्षों की कटाई करने लगे । गाँव की अमृता देवी ने इस कटाई का विरोध किया तथा अमृतादेवी व उनकी तीन पुत्रियाँ पेड़ों से चिपक गईं। सैनिकों ने वृक्षों की कटाई के साथ अमृतादेवी व उनकी तीनों पुत्रियों को भी काट दिया। इस घटना को देखकर गाँव के अन्य व्यक्ति भी पेड़ों से आकर चिपकते रहे और अपना बलिदान देते रहे। इस प्रकार वृक्षों की रक्षा करते हुए 363 लोगों ने अपना बलिदान दे दिया। महाराजा को इस प्रकार के बलिदान की जानकारी होने पर तुरन्त वृक्षों की कटाई को रोक दिया गया। आज भी बिश्नोई समाज पेड़-पौधों व वन्य प्राणियों के संरक्षण हेतु दृढ़ संकल्पित है।

    वृक्षों की कटाई के विरोध में वृक्षों से चिपकने के कारण ही इस आन्दोलन का नाम चिपको रखा गया। खेजड़ली का बलिदान आज वनों की सुरक्षा हेतु आदर्श है। खेजडी के वृक्ष आज भी बलिदान की याद दिलाते हैं एवं प्रेरणा प्रदान करते हैं। खेजड़ी को राजस्थान का सागवान वे थार का कल्पवृक्ष माना जाता है।

    खेजड़ली के बलिदान पश्चात् 1973 में उत्तराखण्ड में भी महिलाओं ने वृक्षों की सुरक्षा के लिए ‘चिपको आन्दोलन चलाया। यह आन्दोलन 8 वर्षों तक चला व बाद में सरकार ने 1981 में हरे वृक्षों की कटाई पर प्रतिबन्ध लगा दिया। इस आन्दोलन की बागडोर सुन्दरलाल बहुगुणा के हाथों में थी। इसी प्रकार का आन्दोलन कर्नाटक में भी चला जिसका नाम ‘एप्पिको’ था।

    प्रश्न 21.
    प्राकृतिक संसाधन किसे कहते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
    अथवा
    प्राकृतिक संसाधनों को कितनी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है? विस्तार से. समझाइए।
    उत्तर-
    मानव के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उपयोग में आने वाली हर वस्तु संसाधन कहलाती है। जो संसाधन हमें प्रकृति से प्राप्त होते हैं तथा जिनका प्रयोग हम सीधा अर्थात् उसमें कोई भी बदलाव किये बिना करते हैं, प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं।
    प्राकृतिक संसाधनों को निम्न प्रकारों में बाँटा जा सकता है

    • विकास एवं प्रयोग के आधार पर
    • उद्गम या उत्पत्ति के आधार पर
    • भण्डारण या वितरण के आधार पर
    • नव्यकरणीयता के आधार पर।

    इनका विस्तृत वर्णन निम्न प्रकार है

    1. विकास एवं प्रयोग के आधार पर-इन्हें भी दो भागों में विभक्त किया जा सकता है
      (अ) वास्तविक संसाधन-
      ये वे संसाधन हैं जिनकी मात्रा हमें ज्ञात है तथा जिनका उपयोग अभी वर्तमान में हम कर रहे हैं, ये वस्तुएँ वास्तविक संसाधन कहलाती हैं। उदाहरण-पश्चिम एशिया में खनिज तेल की मात्रा, जर्मनी में कोयले की मात्रा तथा महाराष्ट्र में काली मिट्टी की मात्रा इत्यादि।
      (ब) सम्भाव्य संसाधन-
      ये वे संसाधन हैं जिनकी मात्रा का अनुमान नहीं लगा सकते व जिनका उपयोग अभी नहीं किया जा रहा है परन्तु आगे आने वाले समय में कर सकते हैं। इन्हें सम्भाव्य संसाधन कहते हैं। उदाहरणार्थ 20 वर्ष पहले तेजी से चलने वाली पवन चक्कियाँ एक सम्भाव्य संसाधन थीं परन्तु आधुनिक समय में तकनीकी प्रगति के कारण ही हम पवन चक्कियों का प्रयोग आज कर पा रहे हैं। लद्दाख में उपलब्ध यूरेनियम भी एक सम्भाव्य संसाधन है जिसका प्रयोग हम आने वाले समय में कर सकते हैं।
    2. उद्गम या उत्पत्ति के आधार पर-इसे भी दो भागों में बाँटा जा सकता है-
      (अ) जैव संसाधन-
      सजीव या जीवित वस्तुएँ जैव संसाधन हैं। उदाहरण-जीव-जन्तु, पेड़-पौधे, मानव आदि।
      (ब) अजैव संसाधन-
      निर्जीव वस्तुएँ अजैव संसाधन हैं। उदाहरण-वायु, मृदा, प्रकाश आदि।
    3. भण्डारण या वितरण के आधार पर-इन्हें भी दो भागों में बाँटा गया
      (अ) सर्वव्यापक-
      वे वस्तुएँ जो सभी स्थानों पर सुलभता से उपलब्ध हों, उन्हें सर्वव्यापक संसाधन कहते हैं, जैसे-वायु ।
      (ब) स्थानिक संसाधन-
      वे वस्तुएँ जो कुछ ही स्थानों पर उपलब्ध होती हैं, उन्हें स्थानिक संसाधन कहते हैं, जैसे-ताँबा, लौह अयस्क आदि।
    4. नव्यकरणीयता के आधार पर-इस आधार पर संसाधन दो प्रकार के होते हैं
    • नवीकरणीय संसाधन-वे वस्तुएँ जिनका निर्माण तथा प्रयोग दुबारा किया जा सकता है तथा जिन वस्तुओं की पूर्ति दुबारा आसानी से हो सकती है, वे वस्तुएँ नवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं। नवीकरणीय संसाधन असीमित होते हैं। उदाहरण-सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा ।।
    • अनवीकरणीय संसाधन-वे वस्तुएँ जिनका भण्डार सीमित होता है। तथा जिनके निर्माण होने की आशा बिल्कुल नहीं रहती या निर्माण होने में बहुत अधिक समय लगता है, अनवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं। उदाहरण-पेट्रोलियम, कोयला, प्राकृतिक गैस ।।

    हमें किसी भी संसाधन का लापरवाही से प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि लगातार और अधिक प्रयोग करने से ये जल्दी समाप्त हो जाते हैं और आने वाली पीढ़ियाँ इनका प्रयोग नहीं कर पायेंगी।

    प्रश्न 22.
    IUCN द्वारा वर्गीकृत जातियों का वर्णन कीजिए।
    उत्तर-
    वन्य-जीवन संरक्षण के अन्तर्गत विश्वव्यापी चेतना के कारण अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर 1948 में प्रकृति संरक्षण हेतु अन्तर्राष्ट्रीय संस्था IUCN (International Union for Conservation of Nature) का गठन हुआ। IUCN के द्वारा विलुप्ती के कगार पर पहुँच गई जातियों को लाल आँकड़ों की पुस्तक में प्रकाशित किया गया। IUCN ने निम्न पाँच जातियों को परिभाषित किया है, जिन्हें संरक्षण प्रदान करना है

    • विलुप्त जातियाँ-वे जातियाँ जो संसार से विलुप्त हो गई हैं तथा जीवित नहीं हैं, विलुप्त जातियों की श्रेणी में रखी हुई हैं, जैसे-डायनोसोर, रायनिया आदि।
    • संकटग्रस्त जातियाँ-ये वे जातियाँ हैं जिनके संरक्षण के उपाय नहीं किए गए तो वे निकट भविष्य में समाप्त हो जायेंगी, जैसे-गैण्डा, गोडावन, बब्बर शेर आदि।
    • सभेद्य जातियाँ-ये वे जातियाँ हैं जो शीघ्र ही संकटग्रस्त होने की स्थिति में हैं।
    • दुर्लभ जातियाँ-ये वे जातियाँ हैं जिनकी संख्या विश्व में बहुत कम है। तथा निकट भविष्य में संकटग्रस्त हो सकती हैं। ये सीमित क्षेत्रों में पाई जाती हैं। उदाहरण-हिमालय भालू, विशाल पाण्डा आदि।
    • अपर्याप्त ज्ञात जातियाँ-ये वे जातियाँ हैं जो पृथ्वी पर हैं किन्तु इनके वितरण के विषय में अधिक ज्ञान नहीं है।

    अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

    वस्तुनिष्ठ प्रश्न
    प्रश्न 1.
    सर्वव्यापक संसाधन है
    (अ) जिंक
    (ब) लोहा
    (स) वायु
    (द) लौह अयस्क

    प्रश्न 2.
    अनवीकरणीय संसाधन हैं
    (अ) कोयला
    (ब) पेट्रोलियम
    (स) प्राकृतिक गैस
    (द) उपरोक्त सभी

    प्रश्न 3.
    IUCN का गठन हुआ था
    (अ) 1952 में
    (ब) 1972 में
    (स) 1948 में।
    (द) 1986 में

    प्रश्न 4.
    विलुप्त जाति है
    (अ) विशाल पाण्डा
    (ब) रायनिया
    (स) गोडावन
    (द) गैण्डा

    प्रश्न 5.
    गिर राष्ट्रीय उद्यान स्थित है
    (अ) असम में
    (ब) गुजरात में
    (स) उत्तराखण्ड में
    (द) राजस्थान में

    प्रश्न 6.
    उत्तराख़ण्ड का राष्ट्रीय उद्यान है
    (अ) सतपुड़ा
    (ब) काजीरंगा
    (स) कार्केट
    (द) सुन्दरबन

    प्रश्न 7.
    जवाहर सागर, कोटा अभयारण्य में संरक्षण होता है
    (अ) रीछ का
    (ब) गोडावन का
    (स) बघेरे का
    (द) घड़ियाल का

    प्रश्न 8.
    वह राज्य जिसमें काजीरंगा व मानस जैवमण्डल स्थित हैं
    (अ) उत्तर प्रदेश
    (ब) कर्नाटक
    (स) असम
    (द) केरल

    प्रश्न 9.
    एप्पिको’ आन्दोलन किस राज्य में हुआ था?
    (अ) राजस्थान
    (ब) उत्तर प्रदेश
    (स) केरल
    (द) कर्नाटक

    प्रश्न 10.
    वर्षा जल संग्रहण से सम्बन्धित है
    (अ) ट्रोला
    (ब) टोबा
    (स) टीबा
    (द) टीका

    उत्तरमाला-
    1. (स)
    2. (द)
    3. (स)
    4. (ब)
    5. (ब)
    6. (स)
    7. (द)
    8. (स)
    9. (द)
    10. (ब)

    अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    प्रकृति के अंधाधुंध दोहन के क्या दुष्परिणाम घट रहे हैं?
    उत्तर-
    अंधाधुंध दोहन के कारण हम अनेक प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा, भूस्खलन, महामारियाँ, भूकम्प, सुनामी को भोग रहे हैं।

    प्रश्न 2.
    थार का कल्पवृक्ष किसे कहते हैं ?
    उत्तर-
    खेजड़ी वृक्ष को थार का कल्पवृक्ष कहते हैं।

    प्रश्न 3.
    संरक्षण से क्या तात्पर्य है?
    उत्तर-
    संसाधनों का अधिकाधिक समय तक अधिकाधिक मनुष्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अधिकाधिक उपयोग।

    प्रश्न 4.
    वन उन्मूलन का एक कारण बताइये।
    उत्तर-
    झूम खेती।

    प्रश्न 5.
    हमारे देश में किन राज्यों में झूम खेती की जाती है?
    उत्तर-
    नागालैण्ड, मिजोरम, मेघालय, अरुणाचल, त्रिपुरा तथा आसाम राज्य में झूम खेती की जाती है।

    प्रश्न 6.
    वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए किस वर्ष में वन्य जीवन सुरक्षा अधिनियम बनाया गया था?
    उत्तर-
    1972 में।

    प्रश्न 7.
    IUCN का पूरा नाम लिखिए।
    उत्तर-
    International Union for Conservation of Nature.

    प्रश्न 8.
    संकटग्रस्त जातियों के दो उदाहरण बताइए।
    उत्तर-
    गैण्डा एवं गोडावन।।

    प्रश्न 9.
    भारत में अभी तक कितने जीवमण्डल निचय क्षेत्र घोषित किये जा चुके हैं?
    उत्तर-
    18 क्षेत्र।।

    प्रश्न 10.
    राजस्थान में पाये जाने वाले किन्हीं दो वन्य जीव अभयारण्य के नाम लिखिए।
    उत्तर-

    • सरिस्का, अलवर तथा
    • कैलादेवी, करौली।

    प्रश्न 11.
    दो नवीकरणीय संसाधनों के नाम लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18 )
    उत्तर-

    • सौर ऊर्जा
    • पवन ऊर्जा।

    प्रश्न 12.
    मनाली अभयारण्य किस राज्य में स्थित है? (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    उत्तर-
    हिमाचल प्रदेश राज्य में स्थित है।

    लघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    संसाधनों के संरक्षण से क्या आशय है? समझाइए।
    उत्तर-
    संपदाओं या संसाधनों का योजनाबद्ध, समुचित और विवेकपूर्ण उपयोग ही उनका संरक्षण है। लेकिन संरक्षण का यह अर्थ कदापि नहीं है कि

    • प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग न कर उनकी रक्षा की जाए, अथवा
    • उनके उपयोग में कंजूसी की जाए, अथवा
    • उनकी आवश्यकता के बावजूद उन्हें भविष्य के लिए बचाकर रखा जाए।

    वरन् संसाधनों के संरक्षण से तात्पर्य है कि संसाधनों का अधिकाधिक समय तक अधिकाधिक मनुष्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अधिकाधिक उपयोग सुनिश्चित किया जाये।

    प्रश्न 2.
    प्राकृतिक संसाधनों को कितने भागों में बाँटा जा सकता है?
    उत्तर-
    प्राकृतिक संसाधनों को चार भागों में बाँटा जा सकता है

    1. विकास एवं प्रयोग के आधार पर-
      (a) वास्तविक संसाधन
      (b) संभाव्य संसाधन।
    2. उद्गम या उत्पत्ति के आधार पर-
      (a) जैव संसाधन
      (b) अजैव संसाधन
    3. भण्डारण या वितरण के आधार पर-
      (a) सर्वव्यापक संसाधन
      (b) स्थानिक संसाधन।
    4. नव्यकरणीयता के आधार पर-
      (a) नवीकरणीय संसाधन
      (b) अनवीकरणीय संसाधन।

    प्रश्न 3.
    खेजड़ली के चिपको आन्दोलन से प्रेरणा लेकर हमारे देश में और कहाँ पर इस प्रकार का आन्दोलन चला?
    उत्तर-
    खेजड़ली आन्दोलन की प्रेरणा से सन् 1973 में उत्तराखण्ड में महिलाओं ने वृक्षों की सुरक्षा हेतु ‘चिपको आन्दोलन चलाया। यह आन्दोलन 8 वर्षों तक चला, इस आन्दोलन के कारण सरकार ने 1981 में 1000 मीटर से ऊँचाई वाले क्षेत्रों में हरे पेड़ों की कटाई पर प्रतिबन्ध लगा दिया। इस आन्दोलन की बागडोर सुन्दरलाल बहुगुणा के पास थी। इसी प्रकार का आन्दोलन कर्नाटक में भी चला जिसका नाम ‘एप्पिको’ था। एप्पिको कन्नड़ भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है। चिपकना।

    प्रश्न 4.
    संसाधनों के संरक्षण की क्या आवश्यकता है? स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर-
    मानव अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विभिन्न संसाधनों का उपयोग करता आ रहा है। खाद्यान्नों एवं अन्य पदार्थों को प्राप्त करने के लिए उसने भूमि को जोता है, सिंचाई व शक्ति के विकास के लिए उसने वन्य पदार्थों तथा खनिजों का शोषण व उपयोग किया है। गत दो शताब्दियों में जनसंख्या तथा औद्योगिक उत्पादनों की वृद्धि तीव्र गति से हुई है। हमारी भोजन, वस्त्र, आवास, परिवहन के साधन, विभिन्न प्रकार के यंत्र, औद्योगिक कच्चे माल की खपत कई गुना बढ़ गयी है। इस कारण हम प्राकृतिक संसाधनों का तेजी से गलत व विनाशकारी ढंग से शोषण करते जा रहे हैं, जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने लगा है। यदि यह संतुलन नष्ट हुआ तो मानव का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जायेगा। अतः मानव के अस्तित्व एवं प्रगति के लिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण व प्रबंधन आवश्यक हो चला है।

    प्रश्न 5.
    झूम खेती किसे कहते हैं वे यह कहाँ पर की जाती है?
    उत्तर-
    वनों के विनाश में झूम खेती का अहम योगदान है। इस प्रकार की खेती आदिवासी करते हैं। झूम खेती के अन्तर्गत किसी क्षेत्र विशेष की वनस्पति को जलाकर राख कर दी जाती है, जिससे वहाँ की भूमि की उर्वरता बढ़ जाती है तथा आदिवासी दो-तीन वर्षों तक अच्छी फसल प्राप्त कर लेते हैं । उर्वरता कम होने पर उस स्थान को छोड़ देते हैं तथा यही विधि अन्य स्थान पर फिर से अपनाई जाती है। हमारे देश में नागालैण्ड, मिजोरम, मेघालय, अरुणाचल, त्रिपुरा तथा आसाम में आदिवासी झूम खेती को अपनाते हैं ।

    प्रश्न 6.
    समाकलित जल संभर प्रबंधन को समझाइए।
    उत्तर-
    जल संभर प्रबंधन के अन्तर्गत किसी क्षेत्र विशेष की भूमि व जल प्रबंधन हेतु कृषि, वानिकी, तकनीकों का सम्मिलित प्रयोग होता है। जल संभर एक ऐसा क्षेत्र है जिसका जल एक बिन्दु की ओर प्रवाहित होता है। यह एक भू-आकृति इकाई है, सहायक नदी का बेसिन है, जिसका उपयोग सुविधानुसार छोटे प्राकृतिक क्षेत्रों में समन्वित विकास हेतु किया जा सकता है। वस्तुतः जल संभर प्रबंधन समग्र विकास की सोच है, इससे मिट्टी और आर्द्रता का संरक्षण, बाढ़ नियंत्रण, जल संग्रहण, वृक्षारोपण, उद्यान चरागाह विकास, सामाजिक वानिकी आदि कार्यक्रम सम्मिलित हैं। भारत में जल संभर विकास कार्यक्रम कृषि, ग्रामीण विकास तथा पर्यावरण वन मंत्रालय के सहयोग से संचालित है।

    प्रश्न 7.
    बायोडीजल पर टिप्पणी लिखिए।
    उत्तर-
    बायोडीजल जैविक स्रोतों से प्राप्त तथा डीजल के समतुल्य ईंधन है। इसका निर्माण नवीकरणीय स्रोतों से होता है। परम्परागत डीजल, इंजनों को बिना परिवर्तन किये चला सकता है। यह परम्परागत ईंधनों का एक स्वच्छ विकल्प है अतः इसे भविष्य का ईंधन माना जा रहा है। यह विषैला नहीं होता तथा जैवनिम्नीकरणीय है। बायोडीजल अन्य जीवाश्मी ईंधनों की जैसे पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं है। राजस्थान सरकार ने प्रदेश में बायोडीजल की व्यावसायिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए बायोफ्यूल मिशन और बायोफ्यूल अथॉरिटी का गठन किया है।

    प्रश्न 8.

    1. झूम-खेती किस प्रकार वन उन्मूलन को बढ़ावा देती है? समझाइये।
    2. विलुप्ति के कगार पर पहुँच गई जातियों का संकलन जिस पुस्तक में किया गया है, उसका नाम क्या है?(माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18 )

    उत्तर-

    1. झूम खेती वन उन्मूलन को बढ़ावा देती है। इस प्रकार की खेती में किसी क्षेत्र विशेष की वनस्पति जलाकर राख कर दी जाती है, जिससे वहाँ की भूमि में उर्वरता की वृद्धि होने से दो-तीन वर्ष अच्छी फसल ली जाती है। उर्वरता कम होने पर अन्य क्षेत्र में यही विधि अपनाई जाती है। इस प्रकार बार-बार स्थान बदल-बदल कर वनस्पति को जलाने से झूम खेती वन-उन्मूलन को बढ़ावा देती है।
    2. विलुप्ति के कगार पर पहुँच गई जातियों का संकलन जिस पुस्तक में किया गया है, उसका नाम है-लाल आँकड़ा पुस्तक (Red Data Book)।

    प्रश्न 9.
    झूम खेती से क्या तात्पर्य है? सामाजिक वानिकी के दो प्रमुख घटकों के नाम लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    उत्तर-
    इस प्रकार की खेती में किसी क्षेत्र विशेष की वनस्पति को जलाकर राख कर दी जाती है जिसमें वहाँ की भूमि की उर्वरता में वृद्धि होने से दो-तीन वर्ष अच्छी फसल ली जाती है। उर्वरता कम होने पर अन्य क्षेत्र में यही विधि अपनाई जाती है।

    कृषि वानिकी तथा वन विभाग द्वारा नहरों, सड़कों, अस्पताल आदि सार्वजनिक स्थानों पर सामुदायिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वृक्षारोपण करना इत्यादि सामाजिक वानिकी के दो प्रमुख घटक हैं।

    निबन्धात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    वन्य जीव संरक्षण हेतु क्या-क्या उपाय किये गये हैं? समझाइए।
    उत्तर-
    वन्य जीवों के संरक्षण के लिए भारत में सन् 1972 में वन्य जीवन सुरक्षा अधिनियम बनाया गया है। वन्य जीवन के संरक्षण की दृष्टि से कुछ सुरक्षित क्षेत्र स्थापित किये गये। इनमें राष्ट्रीय पार्क, वन्य जीव अभयारण्य, बायोस्फियर रिजर्व प्रमुख हैं।

    राष्ट्रीय पार्क (National park)-राष्ट्रीय पार्क वे प्राकृतिक क्षेत्र हैं जहाँ पर पर्यावरण के साथ-साथ वन्य जीवों का संरक्षण किया जाता है। इनमें पालतू पशुओं की चराई पर पूर्ण प्रतिबंध होता है व प्राइवेट संस्था द्वारा निजी कार्यों के लिए प्रवेश निषेध है। यद्यपि इनका कुछ भाग पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए विकसित किया जा सकता है। इनका नियंत्रण, प्रबंधन एवं नीति निर्धारण केन्द्र सरकार के अधीन होता है। भारत में अभी तक 166 राष्ट्रीय उद्यान स्थापित किये जा चुके हैं।

    भारत के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान

    नामराज्य
    1. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यानअसम
    2. गिर राष्ट्रीय उद्यानगुजरात
    3. ग्रेट हिमालय राष्ट्रीय उद्यानहिमाचल प्रदेश
    4. बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यानकर्नाटक
    5. सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यानमध्यप्रदेश
    6. सुन्दरबन राष्ट्रीय उद्यानपश्चिम बंगाल
    7. रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यानराजस्थान
    8. केवला देवी राष्ट्रीय उद्यानराजस्थान
    9. कार्बेट राष्ट्रीय उद्यानउत्तरांचल

    अभयारण्य (Sanctuary)-अभयारण्य भी संरक्षित क्षेत्र हैं, इनमें वन्य जीवों के शिकार एवं आखेट पर पूर्ण प्रतिबंध होता है। इनमें निजी संस्थाओं को उसी स्थिति में प्रवेश दिया जाता है, जब उनके क्रियाकलाप रचनात्मक हों एवं इससे वन्य जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता हो। भारत में अब तक 515 वन्य जीव अभयारण्य स्थापित किये जा चुके हैं। भारत में स्थित कुछ अभयारण्य हैं—नार्गाजुन सागर (आन्ध्रप्रदेश), हजारी बाग प्राणी विहार (बिहार), नाल सरोवर प्राणी विहार (गुजरात), मनाली अभयारण्य (हिमाचल प्रदेश), चन्द्रप्रभा प्राणी विहार (उत्तरप्रदेश), केदारनाथ प्राणी विहार (उत्तराखण्ड)। राजस्थान में स्थित कुछ अभयारण्य निम्नलिखित हैं

    राजस्थान के वन्य जीव अभयारण्य एवं प्रमुख वन्य जीव

    वन्य जीव अभयारण्यप्रमुख वन्य जीव
    1. सरिस्का, अलवरहिरण, गोडावन
    2. दर्रा, कोटाबघेरा
    3. माउंट आबू, सिरोहीजंगली मुर्गे
    4. तालछापर, चूरूकाला हिरण
    5. जवाहर सागर, कोटाघड़ियाल
    6. सीता माता, प्रतापगढ़उड़न गिलहरी
    7. कैला देवी, करौलीरीछ
    8. नाहरगढ़, जयपुरतेंदुआ, सियार

    जीवमण्डल निचय या बायोस्फियर रिजर्व (Biosphere reserve)-ये वे प्राकृतिक क्षेत्र हैं जो वैज्ञानिक अध्ययन हेतु शांत क्षेत्र घोषित हैं। अब तक 128 देशों में 669 बायोस्फियर रिजर्व स्थापित किये जा चुके हैं जिनमें से भारत में 18 क्षेत्र हैं। भारत में प्रथम बायोस्फियर रिजर्व 1986 में नीलगिरी में अस्तित्व में आया।

    उदाहरण-राजस्थान-थार रेगिस्तान, मध्य प्रदेश-कान्हा, प. बंगाल-सुन्दरबन, उत्तर प्रदेश-नन्दा देवी, असम-काजीरंगा एवं मानस तथा अण्डमान निकोबार द्वीप समूह-ग्रेट, निकोबार इत्यादि।

    प्रश्न 2.
    जीवाश्म ईंधन का वर्णन कीजिए।
    उत्तर-
    कोयला एवं पेट्रोलियम दोनों जीवाश्म ईंधन हैं।
    (अ) कोयला-
    यह एक ठोस कार्बनिक पदार्थ है। यह ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। कुल प्रयुक्त ऊर्जा का 35-40 प्रतिशत भाग कोयले से प्राप्त होता है। विभिन्न प्रकार के कोयले में कार्बन की मात्रा अलग-अलग होती है। कोयले से अन्य दहनशील व उपयोगी पदार्थ भी प्राप्त किये जाते हैं। वर्षों पूर्व वनस्पति के भूमि के नीचे दबने के कारण कालान्तर में कोयले का निर्माण हुआ। भूगर्भ में उच्च ताप व दबाव के कारण ये जीवावशेष कोयले में परिवर्तित हो गए। कोयले में कार्बन के अंतिरिक्त हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, फॉस्फोरस तथा गंधक भी होता है। नमीरहित कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयले को चार श्रेणियों में बाँटा गया हैएन्थ्रेसाइट (94-98%), बिटूमिनस (78-86%), लिग्नाइट (28-30%) तथा पीट (27%) । हवा की अनुपस्थिति में 1000-1400 डिग्री सेल्सियस पर गर्म करने पर कोलतार, कोल गैस, अमोनिया प्राप्त होता है। भारत में कोयला मुख्यतः झारखण्ड, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल व आन्ध्रप्रदेश में पाया जाता है।

    (ब) पेट्रोलियम-
    इसका निर्माण भी कोयले की भाँति वनस्पतियों एवं जीव-जन्तुओं के पृथ्वी के नीचे दबने तथा कालान्तर में उनके ऊपर उच्चदाब तथा ताप के आपतन के कारण हुआ। प्राकृतिक रूप में पाये जाने वाले पेट्रोलियम को अपरिष्कृत तेल, कच्चा तेल, चट्टानों का तेल आदि कहा जाता है। यह काले रंग का गाढ़ा द्रव होता है, जिसमें विभिन्न अवयवों को प्रभाजी आसवन विधि द्वारा पृथक् किया जाता है। प्रभाजी आसवन से पेट्रोल, डीजल, केरोसीन, प्राकृतिक गैस, वेसलीन, स्नेहक इत्यादि प्राप्त होते हैं।

    ये दोनों ही जीवाश्म ईंधन हैं जो प्रकृति के अनवीकरणीय संसाधन हैं। इनके निर्माण में सैकड़ों वर्ष लगते हैं और प्रकृति में इनकी मात्रा सीमित है। इनका उपयोग बहुत ही विवेकपूर्ण, न्यायोचित तरीकों से करने की आवश्यकता है।

  • Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति

    Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति

    पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

    बहुचयनात्मक प्रश्न

    प्रश्न 1.
    कार्य का मात्रक है
    (क) न्यूटन
    (ख) जूल
    (ग) वाट
    (घ) इनमें से कोई नहीं

    प्रश्न 2.
    यदि बल F व विस्थापन s के मध्य θ कोण बन रहा हो तो किये गये कार्य का मान होगा
    (क) Fs sin θ
    (ख) Fs θ
    (ग) Fs cos θ
    (घ) Fs tan θ

    प्रश्न 3.
    m द्रव्यमान की वस्तु v वेग से गतिमान हो तो गतिज ऊर्जा का मान होगा—
    (क) mv
    (ख) mgv
    (ग) mv²
    (घ)  \frac { 1 }{ 2 } mv²

    प्रश्न 4.
    m द्रव्यमान की वस्तु पृथ्वी से h ऊँचाई पर स्थित हो तो उसकी स्थितिज ऊर्जा का मान होगा
    (क) mgh
    (ख)  \frac { mg }{ h }
    (ग)  \frac { mh }{ g }
    (घ)  \frac { 1 }{ 2 } mgh²

    प्रश्न 5.
    शक्ति का मात्रक है–
    (क) न्यूटन
    (ख) वाट
    (ग) जूल
    (घ) न्यूटन-मीटर

    प्रश्न 6.
    1 kg द्रव्यमान को 4 मीटर ऊँचाई पर ले जाने में किये गये कार्य का मान होगा-(g = 10 m/s²)
    (क) 1 जूल
    (ख) 4 जूल।
    (ग) 20 जूल
    (घ) 40 जूल

    प्रश्न 7.
    पृथ्वी की ओर मुक्त रूप से गिरती हुई वस्तु की कुल ऊर्जा का मान
    (क) बढ़ता जाता है।
    (ख) घटता जाता है।
    (ग) स्थिर रहता है।
    (घ) शून्य हो जाता है।

    प्रश्न 8.
    यदि एक वस्तु का वेग दो गुना कर दिया जाए तो वस्तु की गतिज ऊर्जा कितनी होगी?
    (क) एक-चौथाई
    (ख) आधी
    (ग) दोगुनी।
    (घ) चार-गुनीh

    प्रश्न 9.
    विद्युत ऊर्जा का व्यावसायिक मात्रक है
    (क) जूल
    (ख) वाट-सेकण्ड
    (ग) किलोवाट घण्टा
    (घ) किलोवाट प्रति घण्टा

    प्रश्न 10.
    एक स्प्रिंग को प्रत्यास्थता सीमा में x दूरी तक संपीडित करने पर उसमें अर्जित स्थितिज ऊर्जा का मान होगा (स्प्रिंग नियतांक k है)
    (क) kx
    (ख)  \frac { 1 }{ 2 } kx²
    (ग) kx²
    (घ) इनमें से कोई नहीं

    उत्तरमाला-
    1. (ख)
    2. (ग)
    3. (घ)
    4. (क)
    5. (ख)
    6. (घ)
    7. (ग)
    8. (घ)
    9. (ग)
    10. (ख)

    अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

    प्रश्न 1.
    कार्य की परिभाषा दीजिये एवं इसका मात्रक लिखिये।।
    उत्तर-
    जब किसी वस्तु पर बल F लगाया जाये तथा इस बल से वस्तु में विस्थापन s हो तो बल द्वारा किया गया कार्य, बल और बल की दिशा में विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है।
    अतः कार्य (W) = बल (F) x विस्थापन (S)
    W = F.S
    कार्य का मात्रक MKS पद्धति में जूल है।

    प्रश्न 2.
    ऊर्जा क्या है ? ऊर्जा का मात्रक लिखिये।
    उत्तर-
    किसी वस्तु के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। ऊर्जा एक अदिश राशि है। ऊर्जा का मात्रक जल होता है।

    प्रश्न 3.
    गतिज ऊर्जा से आप क्या समझते हैं ?
    उत्तर-
    गतिज ऊर्जा-किसी वस्तु में उसकी गति के कारण निहित ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं। जैसे-उड़ता हुआ हवाई जहाज, नदी में बहता हुआ पानी आदि में कार्य करने की क्षमता उनमें विद्यमान गतिज ऊर्जा के कारण है।

    प्रश्न 4.
    स्थितिज ऊर्जा क्या होती है?
    उत्तर-
    वस्तु की स्थिति अथवा अवस्था के कारण वस्तु में विद्यमान ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।

    प्रश्न 5.
    ऊर्जा संरक्षण नियम बताइये।
    उत्तर-
    इस नियम के अनुसार किसी विलगित निकाय की कुल ऊर्जा सदैव स्थिर रहती है। ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है और न ही ऊर्जा को नष्ट किया जा सकता है। ऊर्जा को केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरित किया जा सकता है।

    प्रश्न 6.
    ऊर्जा का क्षय सामान्यतया किन-किन रूपों में होता है ?
    उत्तर-
    ऊर्जा का क्षय मुख्य रूप से निम्न रूपों में होता है

    • ऊष्मा ऊर्जा
    • प्रकाश ऊर्जा
    • ध्वनि ऊर्जा

    प्रश्न 7.
    क्या एक शत प्रतिशत दक्ष निकाय बनाया जा सकता है?
    उत्तर-
    नहीं। चूँकि ऊर्जा का क्षय ऊष्मा ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा तथा ध्वनि ऊर्जा में क्षय हो जाता है।

    प्रश्न 8.
    विद्युत ऊर्जा से आपका क्या अभिप्राय है?
    उत्तर-
    आवेशित कणों में निहित ऊर्जा विद्युत ऊर्जा कहलाती है। जब कण आवेशित होते हैं तो आवेशित कणों के चारों ओर विद्युत क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। यह विद्युत क्षेत्र समीप के दूसरे आवेशित कणों पर बल निरूपित करता है एवं उन्हें गति प्रदान करता है, जिससे ऊर्जा का संचरण होता है।

    प्रश्न 9.
    कोई तीन प्रकार के विद्युत संयंत्रों के नाम लिखिये।
    उत्तर-
    वर्तमान में विभिन्न प्रकार के विद्युत संयंत्रों के माध्यम से विद्युत ऊर्जा प्राप्त की जाती है, जिनमें से मुख्य निम्न हैं

    1. कोयला संयंत्र
    2. नाभिकीय संयंत्र
    3. जल विद्युत संयंत्र
    4. पवन ऊर्जा संयंत्र
    5. सौर ऊष्मा संयंत्र
    6. सौर प्रकाश वोल्टीय ऊर्जा संयंत्र।
      [नोट-छात्र इनमें से कोई तीन संयंत्र के नाम लिख सकते हैं।]

    प्रश्न 10.
    शक्ति किसे कहते हैं ? शक्ति का मात्रक लिखिये।
    उत्तर-
    शक्ति-कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं। माना कोई साधन । समय में W कार्य करता है, तो साधन की शक्ति P निम्न सूत्र से दी जाती है
    P=\frac { W }{ t }
    शक्ति का मात्रक जूल/सेकण्ड या वाट शक्ति का मात्रक है।

    प्रश्न 11.
    घरों में बिजली की खपत कम करने के लिये कौनसी लाइट का प्रयोग उचित होगा?
    उत्तर-
    बिजली का उपभोग कम करने के लिए हमें घरों में CFL एवं LED लाइटों का उपयोग करना चाहिए।

    प्रश्न 12.
    नये घरेलू बिजली से चलने वाले उपकरणों को खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिये?
    उत्तर-

    • ज्यादा स्टार रेटिंग वाले उपकरण खरीदने चाहिए, चूँकि यह ज्यादा ऊर्जा दक्ष होते हैं, इससे 30% तक कम बिजली की खपत करते हैं।
    • हमें उतनी ही क्षमता का साधित्र खरीदना चाहिए, जितनी हमारी आवश्यकता हो ।

    प्रश्न 13.
    एक वस्तु पर 20 N बल लगाने पर वह 10 m विस्थापित हो जाती है। किये गये कार्य की गणना कीजिए।
    हल-
    किया गया कार्य (W) = बल X विस्थापन
    W = 20 N × 10 m
    = 200 Nm
    = 200 जूल Ans.

    प्रश्न 14.
    एक 30 kg द्रव्यमान की वस्तु को 2 m ऊपर उठाने में 1 मिनट लगता है तो व्यय की गई शक्ति की गणना कीजिये। (g = 10 m/s²)
    हल-
    दिया है
    m = 30 kg
    h = 2m
    g = 10 m/s²
    t = 1 मिनट = 60s
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 14

    प्रश्न 15.
    60 W का एक बल्ब 8 घण्टे प्रतिदिन जलाया जाए तो 30 दिन में कुल कितनी विद्युत यूनिट का उपयोग होगा?
    हल-
    P = 60 W
    समय t = 8 घण्टे = 8 x 30 घण्टे
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 15

    लघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    कार्य से आप क्या समझते हैं? यदि विस्थापन की दिशा बल की दिशा से भिन्न हो तो कार्य की गणना कैसे की जाती है? उदाहरण सहित समझाइये।
    उत्तर-
    कार्य-कार्य, बल एवं बल दिशा में उत्पन्न विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है।
    कार्य (W) = बल (F) x बल की दिशा में विस्थापन (s)
    W = F x s
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 1
    कार्य जब बल व विस्थापन θ कोण पर हो
    यदि बल की दिशा वस्तु के विस्थापन की दिशा से अलग हो तो विस्थापन की दिशा में बल के घटक द्वारा किया गया कार्य ज्ञात किया जा सकता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 1.1
    बिन्दु A पर रखी किसी वस्तु पर बल F इस तरह लगता है कि वस्तु का विस्थापन B तक होने में बल की दिशा वस्तु के विस्थापन की दिशा (चित्र में क्षैतिज) से θ कोण बनाती हैं। विस्थापन की दिशा में बल का घटक
    = F.cos θ
    अतः किया गया कार्य
    W = (बल का विस्थापन की दिशा में घटक) x विस्थापन
    = F cos θ x s
    = Fs cos θ
    W=\bar { F } .\bar { s }
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 1.2
    उदाहरण-जब बालक खिलौना कार खींचता है, खिलौना कार क्षैतिज जमीन OX पर गति करती है परन्तु लगाया गया बल गति की दिशा में कोण θ पर पतली रस्सी OA के साथ-साथ होता है।

    प्रश्न 2.
    u वेग से गतिमान एक वस्तु पर F बल लगाने पर वस्तु का वेग बढ़कर v हो जाता है। यदि इस दौरान तय की गई दूरी s हो तो वस्तु की गतिज ऊर्जा में वृद्धि की गणना कीजिये।
    उत्तर-
    यदि m द्रव्यमान की एक वस्तु एक समान वेग u से गतिशील है और इस पर एक बल F वस्तु की गति की दिशा में लगाया जाता है, जिससे वस्तु s दूरी तक विस्थापित होती है। मान लीजिए वस्तु पर किये गये कार्य के कारण वस्तु का वेग v हो। जाता है और इस दौरान त्वरण a उत्पन्न होता है। गति के तृतीय समीकरण से
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 2
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 2.1
    इस प्रकार हम देखते हैं कि किया गया कार्य वस्तु की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन के बराबर होता है।

    प्रश्न 3.
    स्थितिज ऊर्जा किसे कहते हैं? एक आदर्श स्प्रिंग का नियतांक k हो तो स्प्रिंग को दूरी तक संपीडित करने पर स्प्रिंग द्वारा अर्जित स्थितिज ऊर्जा का सूत्र ज्ञात कीजिये।
    उत्तर-
    स्थितिज ऊर्जा वस्तु की वह ऊर्जा है जो वस्तु की स्थिति या अवस्था के कारण उसमें संचित है। इसी ऊर्जा के कारण वस्तु में कार्य करने की क्षमता आ जाती है। वस्तु को सामान्य स्थिति से किसी अन्य अवस्था तक लाने में जितना कार्य किया गया है, उसका परिमाप ही नवीन अवस्था में उस वस्तु की स्थितिज ऊर्जा के बराबर होगा।

    स्प्रिंग की x दूरी तक संपीडित करने के लिए हम गुटके को दीवार की तरफ v वेग देते हैं।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 3
    गुटके की गतिज ऊर्जा  \frac { 1 }{ 2 } m{ v }^{ 2 }  होगी।

    इस ऊर्जा से गुटका स्प्रिंग को x दूरी तक संपीडित कर देता है। यदि स्प्रिंग नियतांक k हो । तो इस संपीडन से स्प्रिंग में  \frac { 1 }{ 2 } k{ x }^{ 2 }  स्थितिज ऊर्जा उत्पन्न हो जायेगी। इस स्थितिज ऊर्जा के कारण स्प्रिंग पुनः अपनी साम्यावस्था प्राप्त करने के लिए गटके को विपरीत दिशा में v वेग से गति देता है।

    इस कारण गुटके की गतिज ऊर्जा पुनः  \frac { 1 }{ 2 } m{ v }^{ 2 }  हो. जाती है। गतिज ऊर्जा के कारण गुटका साम्यावस्था से आगे तक स्प्रिंग में फैलाव उत्पन्न कर देता है। इस दौरान भी गतिज ऊर्जा व स्थितिज ऊर्जा में रूपान्तरण उसी प्रकार होता है, जैसा कि स्प्रिंग के संपीडन के दौरान हुआ था।

    जब गुटका एक चक्कर पूरा करके पुनः साम्यावस्था की ओर आता है, तो उसकी गतिज ऊर्जा उतनी ही होती है जितनी प्रारम्भ में थी। अत: स्प्रिंग को x दूरी तक संपीडित करने पर स्प्रिंग द्वारा अर्जित स्थितिज ऊर्जा  \frac { 1 }{ 2 } k{ x }^{ 2 }  होगी।

    प्रश्न 4.
    एक वस्तु नियत वेग से गतिमान है। यदि वस्तु का द्रव्यमान m हो तो बताइये कि उस वस्तु को विरामावस्था में लाने में कितना कार्य करना पड़ेगा?
    उत्तर-
    माना कि एक वस्तु का द्रव्यमान m तथा वेग v है। इसे विरामावस्था में लाया जाता है अर्थात्
    V2 = 0
    अतः वस्तु में त्वरण
    a=\frac { { v }^{ 2 }-{ u }^{ 2 } }{ 2s }
    2as = 0 – v²
    2as = -v² …(1)
    कार्य
    W = F.s
    W = mas ∵F = ma
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 4
    अतः वस्तु का विरामावस्था में लाने के लिए  -\frac { 1 }{ 2 } m{ v }^{ 2 }  कार्य करना पड़ेगा।

    प्रश्न 5.
    यांत्रिक ऊर्जा संरक्षण से आप क्या समझते हैं?
    उत्तर-
    यांत्रिक ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार निकाय की यांत्रिक ऊर्जा संरक्षित रहती है। यदि निकाय की गतिज ऊर्जा बढ़ेगी तो स्थितिज ऊर्जा में कमी हो जायेगी एवं जब गतिज ऊर्जा कम होगी तो स्थितिज ऊर्जा बढ़ जायेगी।
    यदि स्थितिज ऊर्जा एवं गतिज ऊर्जा में परिवर्तन क्रमशः ∆Ep व ∆Ek हो तो
    ∆Ep = – ∆Ek
    या ∆Ep + ∆Ek = 0
    या कुल यांत्रिक ऊर्जा Em = Ep + Ep
    वास्तविकता में सम्पूर्ण चक्कर में यांत्रिक ऊर्जा में कुछ कमी आ जाती है, लेकिन निकाय की सम्पूर्ण ऊर्जा का मान हमेशा नियत रहता है।
    E = EM + Eऊष्मा + Eघर्षण + अन्य = नियत

    प्रश्न 6.
    एक वस्तु मुक्त रूप से ऊँचाई से गिरती है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा निरन्तर कम होती जाती है। इस प्रक्रिया में यांत्रिक ऊर्जा संरक्षण किस प्रकार हो रहा है?
    उत्तर-
    पृथ्वी के धरातल पर वस्तु की गतिज ऊर्जा का मान मुक्त रूप से ऊँचाई से गिरती हुई वस्तु की स्थितिज ऊर्जा के तुल्य होता है। स्वतन्त्रतापूर्वक गिरती हुई वस्तु की स्थितिज ऊर्जा में कमी, उसकी गतिज ऊर्जा में वृद्धि के तुल्य होती है। वस्तु ऊँचाई से जैसे-जैसे धरातल की ओर आती है, तो उसकी स्थितिज ऊर्जा घटती है और समान मात्रा में गतिज ऊर्जा बढ़ती है।
    अर्थात्
    ∆Ek = – ∆Ep
    या ∆Ep + ∆Ek = 0
    या कुल यांत्रिक ऊर्जा Em = Ep + Ek

    इस पूरी प्रक्रिया में गतिज ऊर्जा व स्थितिज ऊर्जा का योग सदैव स्थिर रहता है, जिसे हम यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं।

    यांत्रिक ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार निकाय की यांत्रिक ऊर्जा संरक्षित रहती है। यदि निकाय की गतिज ऊर्जा बढेगी तो स्थितिज ऊर्जा में कमी हो जायेगी एवं जब गतिज ऊर्जा कम होगी तो स्थितिज ऊर्जा बढ़ जायेगी।

    प्रश्न 7.
    ऊर्जा क्षय किस प्रकार होता है?
    उत्तरे-
    जब ऊर्जा एक स्वरूप से दूसरे स्वरूप में रूपान्तरित होती है, तो ऊर्जा का कुछ भाग ऊष्मा, ध्वनि, प्रकाश आदि के रूप में क्षय हो जाता है। ऊर्जा के क्षय होने से हमारा तात्पर्य यह है कि रूपान्तरण या संचरण की प्रक्रिया में ऊर्जा का कुछ भाग एक ऐसे रूप में बदल जाता है, जिसकी हमें आवश्यकता नहीं है हालांकि कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है किन्तु इस अनुपयोगी क्षये के कारण हम शत प्रतिशत दक्ष निकाय नहीं बना पाते हैं।

    प्रश्न 8.
    विद्युत ऊर्जा के उत्पादन से लेकर घरों तक उपभोग होने तक ऊर्जा क्षय किस प्रकार होता है?
    उत्तर-
    ऊर्जा का क्षय मुख्य रूप से निम्न प्रकार होता है

    • ऊष्मा ऊर्जा-ऊर्जा क्षय का अधिकांश भाग ऊष्मा ऊर्जा के रूप में अनुपयोगी हो जाता है। एक तापदीप्त बल्ब में ऊष्मा ऊर्जा के रूप में ऊर्जा का अधिकांश भाग नष्ट हो जाता है।
    • प्रकाश ध्वनि-विभिन्न प्रकार की दहन प्रक्रियाओं में ऊर्जा का कुछ भाग प्रकाश ऊर्जा के रूप में अनुपयोगी होकर क्षय हो जाता है।
    • ध्वनि ऊर्जा-टक्कर, घर्षण एवं अन्य प्रक्रियाओं में ऊर्जा का कुछ भाग ध्वनि ऊर्जा के रूप में भी क्षय हो जाता है। घर्षण आदि के कारण अणुओं में होने वाले कम्पन दाब तरंग में बदल जाते हैं, जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है।

    वाहनों में आन्तरिक दहन इंजन में जब डीजल या पेट्रोल का उपयोग होता है। तो इनकी रासायनिक ऊर्जा पहले ऊष्मा ऊर्जा में बदलती है जो पिस्टन पर दबाव बनाती है एवं पिस्टन घूमने लगता है। यह यांत्रिक ऊर्जा वाहन के पहियों को गतिज

    ऊर्जा प्रदान करती है। इस प्रक्रिया में इंजन की ध्वनि, दहन के दौरान उत्पन्न प्रकाश, पहियों एवं सड़क के बीच घर्षण के कारण उत्पन्न ऊष्मा जैसे कई अनुपयोगी कार्यों में ऊर्जा क्षय होती है। वाहनों में प्रयुक्त होने वाले ईंधन की कुल ऊर्जा क्षमता का करीब एक-चौथाई दक्षता ही वर्तमान में हम वाहनों द्वारा प्राप्त करते हैं।

    प्रश्न 9.
    कार्य, ऊर्जा एवं शक्ति किस प्रकार एक-दसरे से संबंधित हैं?
    उत्तर-
    कार्य-यह बल व विस्थापन के गुणनफल से ज्ञात करते हैं या कार्य (W) की गणना करनी हो तो कार्य (W) = शक्ति (P) x समय (t) होता है। कार्य एक अदिश राशि है। इसका मात्रक जूल होता है।

    ऊर्जा-
    किसी वस्तु के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। ऊर्जा का मात्रक जूल होता है। ऊर्जा एक अदिश राशि है।

    शक्ति-
    कार्य करने की दर या ऊर्जा रूपान्तरण की दर को शक्ति कहते हैं। माना कोई साधन । समय में कार्य W करता है, तो
    साधन की शक्ति (P) =  \frac { W }{ t }
    इसका मात्रक जूल/सेकण्ड या वाट होता है। यह एक अदिश राशि है।
    जिस वस्तु की शक्ति अधिक होगी, उसकी ऊर्जा उतनी ही अधिक होती है।

    प्रश्न 10.
    विद्युत ऊर्जा से आप क्या समझते हैं? कोयला संयंत्र से विद्युत ऊर्जा किस प्रकार प्राप्त की जाती है?
    उत्तर-
    आवेशित कणों में निहित ऊर्जा विद्युत ऊर्जा कहलाती है। जब कण आवेशित होते हैं, तो आवेशित कणों के चारों ओर विद्युत क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। यह विद्युत क्षेत्र पास के दूसरे आवेशित कणों पर बल निरूपित करता है और उन्हें वे गति प्रदान करते हैं, जिससे ऊर्जा का संचरण होता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 10

    कोयला संयंत्र से विद्युत ऊर्जा की प्राप्ति- इसमें कोयले में स्थित रासायनिक ऊर्जा का दहन करके ऊष्मा को प्राप्त करते हैं। इस ऊष्मा से उच्च कोटि के परिशुद्ध पानी को भाप में बदला जाता है। यह भाप टरबाइन को गति प्रदान करती है, जिससे टरबाइन घूमने लगती है एवं इस टरबाइन से जुड़ी जनित्र से विद्युत उत्पादन होता है।

    प्रश्न 11.
    जल विद्युत संयंत्र द्वारा विद्युत ऊर्जा का उत्पादन कैसे होता है?
    उत्तर-
    जल मंत्र-जल विद्युत संयंत्रों में बाँध बनाते हैं और पानी की स्थितिज ऊर्जा को बढ़ाया जाता है। इस ऊर्जा को पानी की गतिज ऊर्जा में बदलकर टरबाइन को घुमाया जाता है। टरबाइन के घूमने पर उससे जुड़े जनित्र द्वारा विद्युत उत्पादन होता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 11

    प्रश्न 12.
    विद्युत ऊर्जा क्षय को हम किस प्रकार कम कर सकते हैं?
    उत्तर-
    घरों में उपयोग में आने वाली विद्युत युक्तियाँ जैसे-वाशिंग मशीन, टी.वी., माइक्रोवेव आदि को जब उपयोग में नहीं ले रहे हों तो उन्हें आपातोपयोगी अवस्था में रखने से कुछ ऊर्जा का क्षय होता है। अतः जब इन्हें उपयोग में नहीं ले रहे हों तो हमें इनके स्विच ऑफ कर देने चाहिए। आजकल वाशिंग मशीन, वातानुकूलन यंत्र, पंखा, रेफ्रिजरेटर तथा वाहन और अन्य कई विद्युत साधित्र में स्टार रेटिंग दी जाने लगी है। स्टार रेटिंग वाले उपकरण ज्यादा ऊर्जा दक्ष पाये जाते हैं। यह करीब 30% तक कम बिजली की खपत करते हैं और हमें अपनी आवश्यकतानुसार उतनी ही क्षमता का उपकरण खरीदना चाहिए।

    प्रश्न 13.
    मकानों में वातानुकूलन को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिये क्या किया जा सकता है?
    उत्तर-
    मकानों में वातानुकूलन को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए घरों की दीवारों व छत को ऊष्मारोधी बनाना चाहिए। वर्तमान में नई तकनीक की खोखली ईंटें बनाई जा रही हैं, जो इमारत का कुल वजन कम करती हैं एवं एक कुचालक माध्यम की तरह कार्य करती हैं, जिससे मकान का वातानुकूलन खर्च कम हो सकता है।

    प्रश्न 14.
    विद्युत शक्ति क्या है? हमारे घरों में आने वाली विद्युत शक्ति के उपभोग की गणना कैसे की जाती है? उदाहरण देकर समझाइये।
    उत्तर-
    विद्युत शक्ति-यदि Q कुलाम का एक आवेश सेकण्ड समय में V वोल्ट विद्युत विभव से गुजरता है तो ।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 14
    विद्युत परिपथ में विद्युत ऊर्जा के स्थानान्तरण की दर को विद्युत शक्ति कहते हैं।

    विद्युत शक्ति के उपभोग की गणना- विद्युत ऊर्जा उपभोग का खर्च किलोवाट घण्टा के हिसाब से लिया जाता है। एक किलोवाट घण्टा एक विद्युत यूनिट कहलाता है, जिसे विद्युत मीटर में पढ़ते हैं।
    1 यूनिट = 1 किलोवाट घण्टा = 1000 Wh

    अर्थात् 1 किलोवाट (1000 W) का बल्ब यदि एक घण्टे तक उपयोग में लिया जाये तो 1 यूनिट विद्युत उपभोग होगा या एक 100 वाट के बल्ब को 10 घण्टे जलाया जाये तो भी कुल विद्युत उपभोग 1 यूनिट होगा।

    प्रश्न 15.
    जब हम स्विच को चालू करके बल्ब को प्रदीप्त करते हैं तो उसमें होने वाले ऊर्जा रूपान्तरणों को बताइये।
    उत्तर-
    जब हम एक लाइट बल्ब का स्विच चालू करते हैं तो विद्युत धारा परिपथ से होते हुए बल्ब तक पहुँचती है। बल्ब के फिलामेंट में विद्युत आवेश की गति कम होती है एवं फिलामेंट में ऊष्मा बढ़ती है। एक निश्चित सीमा तक ऊष्मा बढ़ने पर फिलामेंट से प्रकाश ऊर्जा मिलती है।

    निबन्धात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    ऊर्जा किसे कहते हैं ? सिद्ध कीजिये कि वस्तु द्वारा सम्पन्न कार्य उसकी दो विभिन्न अवस्थाओं में विद्यमान गतिज ऊर्जा के अन्तर के बराबर होता है।
    उत्तर-
    ऊर्जा-”किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता को ही ऊर्जा कहते हैं।” किसी वस्तु में विद्यमान ऊर्जा का माप उस वस्तु द्वारा किये जा सकने वाले कार्य से करते हैं। किसी भी कार्य को करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता है। इस प्रकार कार्य ही ऊर्जा का मापदण्ड है। अतः ऊर्जा का मात्रक वही है जो कार्य का मात्रक है। ऊर्जा भी कार्य की तरह एक अदिश राशि है।

    वस्त द्वारा सम्पन्न कार्य उसकी दो विभिन्न अवस्थाओं में विद्यमान गतिज ऊर्जा के अन्तर के बराबर होता है- m द्रव्यमान की एक वस्तु एकसमान वेग u से गतिशील है एवं इस पर एक बल F वस्तु की गति की दिशा में लगाया जाता है, जिससे वस्तु s दूरी तक विस्थापित होती है। मान लीजिये वस्तु पर किये गये कार्य के कारण वस्तु का वेग v हो जाता है और इस कारण उसमें त्वरण a उत्पन्न हो तो गति के तीसरे समीकरण से
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 1
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 1.1
    अतः स्पष्ट है कि वस्तु द्वारा सम्पन्न कार्य उसकी दो विभिन्न अवस्थाओं में विद्यमान गतिज ऊर्जाओं के अन्तर के बराबर होता है।

    प्रश्न 2.
    विद्युत ऊर्जा क्या है? निम्न संयंत्रों में विद्युत ऊर्जा का उत्पादन कैसे होता है? समझाइये।
    (अ) जल-विद्युत संयंत्र
    (ब) पवन-बिजली संयंत्र
    (स) सौर-ऊर्जा संयंत्र
    उत्तर-
    विद्युत ऊर्जा-”आवेशित कणों में निहित ऊर्जा विद्युत ऊर्जा कहलाती है।” जब कण आवेशित होते हैं तो उन कणों के चारों ओर विद्युत क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। यह उत्पन्न विद्युत क्षेत्र समीप के दूसरे आवेशित कणों पर बल निरूपित करता है और उन्हें गति प्रदान करता है, जिससे ऊर्जा का संचरण होता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 2
    धनात्मक कणों द्वारा उत्पन्न विद्युत क्षेत्र दूसरे धनात्मक कणों को प्रतिकर्षित करता है एवं ऋणात्मक कणों द्वारा उत्पन्न विद्युत क्षेत्र दूसरे धनात्मक कणों को आकर्षित करता है। परिपाटी के अनुसार विद्युत क्षेत्र की दिशा हमेशा उस ओर इंगित करती है, जिधर एक धनावेशित कण उस क्षेत्र में गति करेगा। अतः धनावेशित कणों द्वारा उत्पन्न विद्युत क्षेत्र को धनात्मक बिन्दु से बाहर की ओर निकलता हुआ दर्शाया जाता है, जबकि ऋणावेशित कणों द्वारा उत्पन्न विद्युत क्षेत्र को ऋणात्मक बिन्दु के अन्दर की ओर जाते हुए दर्शाया जाता है।

    (अ) जल-विद्युत संयंत्र- छात्र इसका उत्तर लघूत्तरात्मक प्रश्न संख्या 11 में देखें।
    (ब) पवन-बिजली संयंत्र- पवन चक्की एक ऐसी युक्ति होती है, जिसमें वायु की गतिज ऊर्जा का उपयोग टरबाइन घुमाकर जनित्र द्वारा विद्युत उत्पादन किया जाता है। यह नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत दूसरे ऊर्जा संयंत्रों के मुकाबले में वातावरण के लिए हितकारी है। पवन चक्की मुख्यतः ऐसे स्थानों पर लगाई जाती है, जहाँ पूरे वर्ष तीव्र वेग से वायु चलती है। पवन चक्की में पवन की गतिज ऊर्जा का उपयोग यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तन करने में किया जाता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 2.1
    (स) सौर-ऊर्जा संयंत्र- सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को लेंस व दर्पणों की सहायता से केन्द्रित करके इसे ऊष्मा में बदला जाता है। इस ऊष्मा से भाप
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 2.2
    टरबाइन को घुमाया जाता है, जिससे जनित्र विद्युत उत्पादन करता है। इसमें अवतल दर्पण सर्वाधिक उपयुक्त होता है क्योंकि यह अपने ऊपर गिरने वाली सम्पूर्ण सौर ऊर्जा को अपने फोकस पर सूक्ष्म बिन्दु के रूप में केन्द्रित कर देता है, जिससे उस बिन्दु का तापमान बढ़ जाता है, अर्थात् उच्च ऊष्मा उत्पन्न होती है।

    प्रश्न 3.
    एक आदर्श सरल लोलक की कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है। सरल लोलक की भिन्न अवस्थाओं में ऊर्जा की गणना कर इस कथन को सिद्ध कीजिये।
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 3
    सरल लोलक की स्थितिज ऊर्जा-
    जब एक सरल लोलक को उसकी साम्यावस्था से एक तरफ विस्थापित किया जाता है, तो उस लोलक का गुरुत्व केन्द्र ऊपर उठ जाता है। इस दौरान लोलक पर किया गया कार्य विस्थापित स्थिति में लोलक की स्थितिज ऊर्जा के रूप में निहित हो जाता है। जब लोलक को स्थिति B से छोड़ा जाता है तो वह साम्यावस्था A की ओर लौटता है। इस दौरान लोलक की स्थितिज ऊर्जा कम हो जाती है और गतिज ऊर्जा बढ़ती जाती है। माध्य स्थिति पर लोलक की स्थितिज ऊर्जा न्यूनतम होती है एवं गति के कारण उसकी गतिज ऊर्जा अधिकतम होती है।

    इस अधिकतम गतिज ऊर्जा के कारण लोलक माध्य स्थिति से आगे दुसरी ओर जाने लगता है। इस दौरान उसकी गतिज ऊर्जा पुनः कम होती जाती है एवं उसकी स्थितिज ऊर्जा बढ़ने लगती है। बिन्दु C तक जाते हुए लोलक की गति शून्य हो जाती है। इस स्थिति में लोलक की गतिज ऊर्जा शून्य हो जाती है एवं स्थितिज ऊर्जा अधिकतम हो जाती है। इस अर्जित स्थितिज ऊर्जा के कारण लोलक पुनः माध्य स्थिति की ओर लौटने लगता है।

    यहाँ पर लोलक का द्रव्यमान m है और उसे कीलक से l लम्बाई के धागे से लटकाया गया है। x विस्थापन के लिए लोलक की स्थितिज ऊर्जा
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 3.1
    अतः यहाँ पर यह स्पष्ट हो गया है कि एक सरल लोलक की कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है।
    इसी प्रकार एक स्प्रिंग, जिसका नियतांक k है, को माध्य स्थिति से प्रत्यास्थता सीमा के अन्दर x दूरी से विस्थापित किया जाये तो उसमें निहित स्थितिज ऊर्जा का मान भी  \frac { 1 }{ 2 } { kx }^{ 2 }  होता है।
    { E }_{ p }=\frac { 1 }{ 2 } { kx }^{ 2 }

    प्रश्न 4.
    ऊर्जा के रूपान्तरण में होने वाले विभिन्न प्रकार के क्षय को समझाइये। इन क्षयों को कम करने के लिए क्या किया जा सकता है?
    उत्तर-
    ऊर्जा का क्षय- ऊर्जा के क्षय होने से हमारा तात्पर्य यही है कि रूपान्तरण या संचरण की प्रक्रिया में ऊर्जा का कुछ भाग एक ऐसे रूप में बदल जाता है, जिसकी हमें आवश्यकता नहीं है अथवा जिसे हम उपयोग में नहीं ले पाते हैं। ऊर्जा का क्षय मुख्य रूप से निम्न प्रकार होता है|
    (1) प्रकाश ऊर्जा- विभिन्न प्रकार की दहन प्रक्रियाओं में ऊर्जा का कुछ भाग प्रकाश ऊर्जा के रूप में अनुपयोगी होकर क्षय हो जाता है।

    (2) ऊष्मा ऊर्जा- जब भी कोई कार्य करते हैं तब घर्षण, हवा द्वारा उत्पन्न प्रतिरोध और विभिन्न रुकावट के कारण कार्य करने की क्षमता में कमी आ जाती है। सामान्यत: वह वस्तु जिस पर कार्य किया जा रहा है, वह गरम हो जाती है। ऊर्जा क्षय का अधिकांश भाग ऊष्मा ऊर्जा के रूप में अनुपयोगी हो जाता है। एक ताप दीप्त बल्ब में ऊष्मा ऊर्जा के रूप में ऊर्जा का अधिकांश भाग नष्ट हो जाता है।

    (3) ध्वनि ऊर्जा- टक्कर घर्षण एवं अन्य प्रक्रियाओं में ऊर्जा का कुछ हिस्सा ध्वनि ऊर्जा के रूप में भी क्षय हो जाता है। घर्षण के कारण अणुओं में होने वाले कम्पन दाब तरंग में बदल जाते हैं, जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है।

    निकाय में ऊर्जा क्षय को समझने के लिए अपने घरों में उपयोग होने वाली बिजली एक अच्छा उदाहरण है। प्रारम्भ में विद्युत उत्पादन किया जाता है। जहाँ विभिन्न प्रक्रियाओं में ऊर्जा का कुछ क्षय होता है। कोयला संयंत्रों, जल विद्युत परियोजनाओं, नाभिकीय संयंत्रों, पवन बिजलीघरों व अन्य माध्यमों में विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा ऊष्मा ऊर्जा या यांत्रिक ऊर्जा उत्पन्न की जाती है। इस प्रक्रिया में कुछ ऊर्जा अनुपयोगी होकर क्षय हो जाती है। ऊष्मा ऊर्जा से भाप बनाकर टरबाइन घुमाई जाती है। टरबाइन की इस यांत्रिक ऊर्जा के रूप में प्राप्त गतिज ऊर्जा के द्वारा जनित्र को घुमाया जाता है। इस प्रक्रिया में भी कुछ ऊर्जा क्षय हो जाती है। एक कोयला संयंत्र की दक्षता करीब 40% होती है। यहाँ पर भी ऊर्जा का क्षय होता है। जनित्रों द्वारा उत्पन्न विद्युत ऊर्जा विद्युत आवेशों की गतिज ऊर्जा में बदली जाती है। यह विद्युत ऊर्जा सुचालकों की सहायता से हमारे घरों तक पहुंचाई जाती हैं। इस दौरान उसके संचरण, वितरण और भण्डारण में भी विद्युत ऊर्जा का क्षय होता है।

    इसी प्रकार वाहनों में आन्तरिक दहन इंजन में जब डीजल या पेट्रोल का उपयोग होता है, तो इनकी रासायनिक ऊर्जा पहले ऊष्मा ऊर्जा में बदलती है, जो पिस्टन पर दबाव बनाती है, जिससे पिस्टन घूमने लगता है। यह यांत्रिक ऊर्जा वाहन के पहियों को गतिज ऊर्जा प्रदान करती है। इस प्रक्रिया में इंजन की ध्वनि, पहियों व सड़क के बीच घर्षण तथा दहन के दौरान उत्पन्न प्रकाश के कारण उत्पन्न ऊष्मा जैसे अनेक अनुपयोगी कार्यों में ऊर्जा क्षय होती है। वाहनों में प्रयुक्त होने वाले ईंधन की कुल ऊर्जा क्षमता करीब एक-चौथाई दक्षता ही वर्तमान में हम वाहनों द्वारा प्राप्त करते हैं।

    ऊर्जा क्षय को कम करने के उपाय-

    • घरों में काम आने वाली विद्युत युक्तियाँ जैसे–माइक्रोवेव, टीवी, वाशिंग मशीन आदि को जब उपयोग में नहीं ले रहे हों तो उन्हें आपातोपयोगी अवस्था (Standby mode) में रखने से कुछ ऊर्जा का क्षय होता है। अतः हमें इन्हें उपयोग में नहीं लेना हो तो इनके स्विच ऑफ कर देने चाहिए।
    • हमें बाजार से ज्यादा स्टार रेटिंग वाले उपकरण जैसे वाहन, पंखा, रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन, वातानुकूलन ही खरीदनी चाहिए। चूँकि ज्यादा स्टार रेटिंग वाले उपकरण ज्यादा ऊर्जा दक्ष होते हैं, इससे हम 30% तक कम बिजली की खपत करते हैं। साथ ही हमें उतनी ही क्षमता का साधित्र खरीदना चाहिए, जितनी हमारी आवश्यकता हो। अनावश्यक रूप से ज्यादा क्षमता का उपकरण खरीदने से ज्यादा ऊर्जा भी खर्च होगी।
    • बिजली का उपभोग कम करने के लिए हमें घरों में CFL एवं LED लाइटों का उपयोग करना चाहिए।
    • गमी व सर्दी में वातानुकूलन एवं मकानों में ऊष्मा विनिमय से बहुत ऊर्जा नष्ट हो जाती है। इसे कम करने के लिए हमें घरों की दीवारों व छत को ऊष्मारोधी बनाना चाहिए।
    • प्राकृतिक ऊर्जा स्रोतों की हमें रक्षा करनी चाहिए एवं उनका अधिकतम उपयोग करना चाहिए। इससे भी ऊर्जा के क्षय को रोका जा सकता है। इस प्रकार जहाँ-जहाँ सम्भव हो, हम सभी को मिलकर ऊर्जा क्षय को कम करने में अपना योगदान देना चाहिए, जिससे हम अपने पर्यावरण को बेहतर रख सकें एवं उच्च गुणवत्ता का जीवन-यापन कर सकें।

    प्रश्न 5.
    सिद्ध कीजिये कि गुरुत्वीय क्षेत्र में स्वतंत्रता से गिरती हुई वस्तु की यांत्रिक ऊर्जा गति के प्रत्येक बिन्दु पर स्थिर रहती है।
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 5
    स्वतंत्रतापूर्वक गिरते हुए पिण्ड के लिए यांत्रिक ऊर्जा का संरक्षण- माना m द्रव्यमान की एक वस्तु पृथ्वी की सतह से h ऊँचाई पर स्थित है। इसकी प्रारम्भिक स्थिति को चित्र में दिखाया गया है। वस्तु स्वतंत्रतापूर्वक गिरती है तथा x दूरी तय करने के बाद स्थिति B तथा h दूरी तय करने के बाद स्थिति C (पृथ्वी की सतह) पर पहुँचती है।

    स्थिति A पर-
    वस्तु की गतिज ऊर्जा = 0
    ∴ वस्तु स्थिर है।
    वस्तु की स्थितिज ऊर्जा = mgh
    इसलिए वस्तु की कुल ऊर्जा = 0 + mgh
    = mgh …(1)
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 5.1

    स्थिति B पर-
    वस्तु की स्थितिज ऊर्जा = mg (h – x)
    = mgh – mgx . …..(2)
    यदि इस स्थिति पर वस्तु का वेग VB है।
    गति के तृतीय समीकरण से
    V² = u² + 2as से
    VB2 = 0 + 2gx ∵ u = 0, a = g
    VB2 = 2gx
    वस्तु की गतिज ऊर्जा =  \frac { 1 }{ 2 } mvB2
    =  \frac { 1 }{ 2 } m x 2gx = mgx …..(3)
    इसलिए वस्तु की कुल ऊर्जा = गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा ।
    = mgh – mgx + mgx
    = mgh

    स्थिति C पर-
    स्थितिज ऊर्जा = 0, ∵ h = 0 है।
    यदि पृथ्वी पर वेग VC तब न्यूटन के तृतीय समीकरण से
    VC2 = 0 + 2gh
    ∴VC2 = 2gh
    इसलिए वस्तु की गतिज ऊर्जा =  \frac { 1 }{ 2 } mVC2
    =  \frac { 1 }{ 2 } m x 2gh
    = mgh
    अतः वस्तु की कुल ऊर्जा = स्थितिज ऊर्जा + गतिज ऊर्जा
    = 0 + mgh = mgh
    स्पष्ट होता है कि गुरुत्वीय क्षेत्र में स्वतंत्रतापूर्वक गिरती हुई वस्तु की यांत्रिक ऊर्जा गति के प्रत्येक बिन्दु पर स्थिर रहती है।

    मुक्त रूप से गिरते हुए पिण्ड की गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का पृथ्वी तल से ऊँचाई (h) के साथ परिवर्तन चित्र में प्रदर्शित है। चित्र से स्पष्ट है कि गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का मान निरन्तर बदलता रहता है, परन्तु गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का योग नियत रहता है।

    जब पिण्ड पृथ्वी से टकराता है तथा यकायक रुकता है तो उसकी ऊर्जा, ऊष्मा ध्वनि तथा प्रकाश में बदल जाती है। वास्तविक रूप में पृथ्वी से टकराने पर पिण्ड की सम्पूर्ण यांत्रिक ऊर्जा का क्षय हो जाता है। परन्तु इसके साथ ऊर्जा अन्य रूपों में परिवर्तित होती है। अलग-अलग ऊर्जाओं में क्षय यांत्रिक ऊर्जा के बराबर होता है।

    आंकिक प्रश्न

    प्रश्न 1.
    एक इलेक्ट्रॉन 1.2 x 106 m/s के वेग से गतिमान है। यदि इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9.1 x 10-31 kg हो तो उसकी गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिये।
    हल-
    दिया है v = 1.2 x 106 m/s
    m = 9.1 x 10-31 kg, Ek = ?
    गतिमान वस्तु की गतिज ऊर्जा
    Ek =  \frac { 1 }{ 2 } mv2
    मान रखने पर
    Ek =  \frac { 1 }{ 2 }  x 9.1 x 10-31 x (1.2 x 106)2
    Ek =  \frac { 1 }{ 2 }  x 9.1 x 10-31 x 1.44 x 1012
    = 9.1 x 0.72 x 10-31+12
    = 6.55 x 10-19 J Ans.

    प्रश्न 2.
    एक मशीन 40 kg की वस्तु को 10 m ऊँचाई पर ले जाती है तो किये गये कार्य की गणना कीजिये। (g = 9.8 m/s2)
    हल-
    दिया हैवस्तु का द्रव्यमान (m) = 40 kg.
    h = 10 m
    g = 9.8 m/s2
    मशीन द्वारा किया गया कार्य = वस्तु की स्थितिज ऊर्जा
    ∴Ep = mgh
    मान रखने पर- Ep = 40 x 9.8 x 10
    = 3920 J
    =  \frac { 3920 }{ 1000 }  kJ
    = 3.92 kJ Ans.

    प्रश्न 3.
    एक 6 kg की वस्तु 5 m की ऊँचाई से गिरती है। वस्तु की स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तन ज्ञात कीजिये। (g = 10 m/s2)
    हल-
    दिया हैवस्तु का द्रव्यमान (m) = 6 kg
    ऊँचाई h = 5 m
    g = 10 m/s2
    वस्तु की स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तन = mgh
    ∆Ep = mgh
    मान रखने पर- ∆Ep = 6 x 10 x 5
    = 300 J Ans.

    प्रश्न 4.
    एक स्प्रिंग का नियतांक 4 x 103 N/m है। इस स्प्रिंग को 0.04 m संपीडित करने में कितना कार्य करना पड़ेगा?
    हल-
    दिया हैस्प्रिंग का नियतांक (k) = 4 x 103 N/m.
    संपीडित (x) = 0.04 m
    स्प्रिंग को संपीडित करने में किया गया कार्य (W)
    =  \frac { 1 }{ 2 } kx2
    =  \frac { 1 }{ 2 }  x 4 x 103 x (0.04)2
    = 2 x 103 x 0.04 x 0.04
    =  \frac { 2\times 4\times 4\times { 10 }^{ 3 } }{ { 10 }^{ 4 } }
    =  \frac { 32 }{ 10 }
    = 3.2 J Ans.

    प्रश्न 5.
    एक स्प्रिंग को 0.02 m खींचने में 0.4 J कार्य करना पड़ता है। स्प्रिंग का नियतांक ज्ञात कीजिये।
    हल-
    दिया है
    x = 0.02 m = 2 x 10-2 m
    W = 0.4 J
    k = ?
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 5
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 5.11

    प्रश्न 6.
    एक इंजन द्वारा व्यय की गई शक्ति की गणना कीजिये जो 200 kg द्रव्यमान को 50 m ऊँचाई तक 10 सेकण्ड में ले जाता है। (g = 10 m/s2)
    हल-
    दिया है
    शक्ति (P) = ?
    m = 200 kg
    ऊँचाई (h) = 50 m, g = 10 m/s2
    t = 10 सेकण्ड
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 6

    प्रश्न 7.
    एक घर में 5 युक्तियाँ प्रतिदिन 10 घण्टे तक उपयोग में ली जाती हैं। यदि इनमें से 2 युक्तियाँ 200 w की हों एवं 3 युक्तियाँ 400 W की हों तो इनके द्वारा एक दिन में व्यय की गई ऊर्जा विद्युत यूनिटों में ज्ञात कीजिये।
    हल-
    कुल शक्ति (P) = 2 x 200 W + 3 x 400 W
    = 400 W + 1200 W
    = 1600 W =  \frac { 1600 }{ 1000 }  kW
    = 1.6 kW
    समय = 10 h
    ऊर्जा = P x t = 1.6 kW x 10 h
    = 16 kWh
    = 16 यूनिट
    चूंकि 1 kWh = 1 यूनिट
    अतः एक दिन में व्यय की गई ऊर्जा विद्युत यूनिटों की संख्या
    = 16 यूनिट Ans.

    प्रश्न 8.
    2 m/s वेग से चल रहे 40 kg द्रव्यमान पर एक बल लगाया जाता है जिससे उसका वेग बढ़कर 5 m/s हो जाता है। बल द्वारा किये गये कार्य को परिकलन कीजिये।
    हल-
    दिया है
    m = 40 kg
    u = 2 m/s
    v = 5 m/s
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 8

    प्रश्न 9.
    यदि 50 kg की एक वस्तु को धरातल से 3 मीटर ऊँचाई पर उठाया जाए तो उसकी स्थितिज ऊर्जा की गणना कीजिये। अब इस वस्तु को मुक्त रूप से गिरने दिया जाये तो वस्तु की गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिये जब वह ठीक आधे रास्ते पर हो। (g = 10 m/s2)
    हल-
    वस्तु का द्रव्यमान m = 50 kg
    ऊँचाई h = 3 मीटर
    g = 10 m/s2
    कार्य = W = mgh = 50 x 10 x 3
    W = 1500 J =  \frac { 1500 }{ 1000 }  kJ
    = 1.5 kJ Ans.
    अब वस्तु मुक्त रूप से गिर रही है इसलिए यहाँ पर u = 0 और गतिज ऊर्जा ठीक आधे रास्ते पर ज्ञात करनी है। इसलिए ऊँचाई (दूरी) =  \frac { 3 }{ 2 }  होगी।
    गति के तृतीय समीकरण से
    v² = u² + 2gh
    v² = 0 + 2 x 10 x  \frac { 3 }{ 2 }  = 30
    वस्तु की गतिज ऊर्जा =  \frac { 1 }{ 2 } mv²
    =  \frac { 1 }{ 2 }  x 50 x 30
    = 750 J Ans.

    प्रश्न 10.
    8 kg का एक गुटखा घर्षण रहित पृष्ठ पर 4 m/s के वेग से गतिमान है। यह गुटखा स्प्रिंग को संपीडित करके विरामावस्था में आ जाता है। यदि स्प्रिंग नियतांक 2 x 104 N/m हो तो स्प्रिंग कितना संपीडित होगा?
    हल-
    दिया हैगुटखा का द्रव्यमान (m) = 8 kg
    वेग (v) = 4 m/s
    संपीडित दूरी (x) = ?
    k = 2 x 104 N/m
    गुटखा की गतिज ऊर्जा =  \frac { 1 }{ 2 } mv2
    =  \frac { 1 }{ 2 }  x 8 x 4 x 4 = 64 J
    गुटखे की गतिज ऊर्जा स्प्रिंग को संपीडित कर स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित होगी।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 10
    अब स्प्रिंग 0.08 m या 8 cm संपीडित होगी।

    अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

    वस्तुनिष्ठ प्रश्न
    प्रश्न 1.
    ऊर्जा का मात्रक है
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 1

    प्रश्न 2.
    स्वतन्त्रतापूर्वक गिरती हुई वस्तु की गतिज ऊर्जा का मान
    (अ) नियत रहता है
    (ब) बढ़ता रहता है।
    (स) घटता रहता है
    (द) शून्य होता है।

    प्रश्न 3.
    m द्रव्यमान का पत्थर मुक्त रूप से d दूरी तक गिरता है, इसकी गतिज ऊर्जा का मान होगा
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 3

    प्रश्न 4.
    एक वस्तु का द्रव्यमान आधा तथा वेग दुगुना कर दिया जाता है तो इसकी गतिज ऊर्जा का मान पहले की अपेक्षा होगा
    (अ) चार गुना
    (ब) दुगुना
    (स) आधा
    (द) आठ गुना

    प्रश्न 5.
    यदि एक छात्र 20 किलोग्राम पानी सहित भरी बाल्टी को 30 मीटर गहरे कुएँ से 5 मिनट में खींचता है तो छात्र की शक्ति होगी- (g = 10 m/s2)
    (अ) 20 वाट
    (ब) 50 वाट
    (स) 100 वाट
    (द) 150 वाट

    प्रश्न 6.
    बन्दूक से दागी गई गोली में ऊर्जा होती है
    (अ) केवल उसके द्रव्यमान के कारण।
    (ब) उसके वेग एवं द्रव्यमान के कारण
    (स) उस पर कार्यरत गुरुत्वीय बल के कारण
    (द) केवल स्थितिज।।

    प्रश्न 7.
    किसी गेंद को पृथ्वीतल से v वेग से ऊपर फेंकते हैं तो उसमें केवल स्थितिज ऊर्जा होती है, जब वह
    (अ) अधिकतम ऊँचाई पर पहुँचती है।
    (ब) वापस पृथ्वीतल पर पहुँचती है।
    (स) ऊपर की ओर जाते समय पृथ्वीतल और अधिकतम ऊँचाई के मध्य होती है।
    (द) नीचे गिरते समय अधिकतम ऊँचाई एवं पृथ्वीतल के मध्य होती है।

    प्रश्न 8.
    क्षमता अथवा शक्ति का S.I. मात्रक वाट तुल्य है
    (अ) किग्रा-मीटर-सेकण्ड2
    (ब) किग्रा-मीटर2-सेकण्ड2
    (स) किग्रा-मीटर2-सेकण्ड3
    (द) किग्रा-मीटर2

    प्रश्न 9.
    एक मनुष्य एक दीवार को धकेलता है तथा इसको विस्थापित नहीं कर पाता है, वह दर
    (अ) ऋणात्मक कार्य करता है।
    (ब) धनात्मक कार्य करता है, परन्तु अधिकतम नहीं।
    (स) कोई कार्य नहीं करता है।
    (द) अधिकतम कार्य करता है।

    प्रश्न 10.
    एक प्लेटफॉर्म पर बॉक्स को उठाने में किया गया कार्य निम्न में से किस पर निर्भर करता है
    (अ) इसे कितनी तेजी से उठाया गया है।
    (ब) आदमी की शक्ति पर।
    (स) ऊँचाई, जिस तक इसे उठाया गया है।
    (द) बॉक्स के क्षेत्रफल पर।

    उत्तरमाला-
    1. (द)
    2. (ब)
    3. (अ)
    4. (ब)
    5. (अ)
    6. (ब)
    7. (अ)
    8. (स)
    9. (स)
    10. (स)।

    अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

    प्रश्न 1.
    वस्तु पर लगने वाला बल एवं विस्थापन एक-दूसरे के विपरीत दिशा में हो तब किया गया कार्य कितना होगा?
    उत्तर-
    किया गया कार्य F = FS cos θ
    = FS cos 180°
    = FS (- 1) ∵ cos 180° = – 1
    = – F.S

    प्रश्न 2.
    जब चलती हुई कार में ड्राइवर ब्रेक लगाकर कार की गति कम करता है अथवा उसे रोकता है, तो बल एवं विस्थापन के बीच में कितना कोण होगा?
    उत्तर-
    180°

    प्रश्न 3.
    गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा?
    उत्तर-
    गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य = ngh

    प्रश्न 4.
    1 न्यूटन बल को परिभाषित कीजिए।
    उत्तर-
    1 न्यूटन बल से किसी वस्तु को 1 मीटर विस्थापित किया जाये, तो किया गया कार्य 1 जूल होगा।

    प्रश्न 5.
    कार्य का मात्रक C.G.S. पद्धति में क्या होगा?
    उत्तर-
    अर्ग।

    प्रश्न 6.
    1 जूल कितने अर्ग के बराबर होता है?
    उत्तर-
    1 जूल = 107 अर्ग।

    प्रश्न 7.
    धनात्मक कार्य के दो उदाहरण लिखिए।
    उत्तर-
    घोड़े द्वारा गाड़ी खींचना, गुरुत्व द्वारा पिण्ड पर कृत कार्य जब पिण्ड गिरता है।

    प्रश्न 8.
    ऊर्जा के विभिन्न स्वरूपों को लिखिए।
    उत्तर-

    • यांत्रिक ऊर्जा
    • ऊष्मा ऊर्जा
    • रासायनिक ऊर्जा
    • विद्युत ऊर्जा
    • गुरुत्वीय ऊर्जा
    • नाभिकीय ऊर्जा।

    प्रश्न 9.
    हम कब कहते हैं कि कार्य किया गया है ?
    उत्तर-
    यदि किसी वस्तु पर बल लगाया जाये और बल की दिशा में वस्तु गति करे तो हम कहते हैं कि कार्य किया गया है। कार्य के लिए विस्थापन का होना आवश्यक है।

    प्रश्न 10.
    जब किसी वस्तु पर लगने वाला बल इसके विस्थापन की दिशा में। हो तो किए गए कार्य का व्यंजक लिखिए।
    उत्तर-
    जब बल विस्थापन की दिशा में ही लगता है, तब किया गया कार्य (W) = बल x बल की दिशा में विस्थापन
    W = F x s

    प्रश्न 11.
    1 J कार्य को परिभाषित कीजिए।
    उत्तर-
    जब किसी वस्तु पर 1 N का बल लगाने पर, वस्तु में विस्थापन बल की दिशा में 1 मीटर हो जाता है, तो किया गया कार्य 1J (जूल) कहलाता है।

    प्रश्न 12.
    किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा के लिए व्यंजक लिखो।
    उत्तर-
    यदि कोई m द्रव्यमान की एक वस्तु एक समान वेग v से गतिशील है तो वस्तु की गतिज ऊर्जा का मान होगा
    EK =  \frac { 1 }{ 2 } mv²

    प्रश्न 13.
    जब किसी तीर को छोड़ा जाता है तो उसकी गतिज ऊर्जा कहाँ से प्राप्त होती है?
    उत्तर-
    संचित स्थितिज ऊर्जा से।

    प्रश्न 14.
    पृथ्वी की सतह से h ऊँचाई पर किसी m द्रव्यमान की वस्तु की स्थितिज ऊर्जा कितनी होती है ?
    उत्तर-
    mgh.

    प्रश्न 15.
    क्या किसी वस्तु पर बिना गतिज ऊर्जा परिवर्तन के बल लगाया जा सकता है ?
    उत्तर-
    हाँ, जब एक स्प्रिंग को दबाते हैं या खुरदरे समतल पर नियत वेग से इसे खींची जाये, तब किसी वस्तु पर बिना गतिज ऊर्जा परिवर्तन के बल लगाया जा सकता है।

    प्रश्न 16.
    एक वृत्ताकार पथ में गति कर रही वस्तु द्वारा एक चक्कर में किये गये कार्य का मान कितना होगा?
    उत्तर-
    शून्य, क्योंकि वृत्ताकार पथ में एक चक्कर में विस्थापन शून्य होता

    प्रश्न 17.
    न्यूनतम तथा अधिकतम कार्य के लिये बल तथा विस्थापन के बीच कितना कोण होगा?
    उत्तर-
    90° एवं 0°.

    प्रश्न 18.
    हथौड़े द्वारा कील पर प्रहार करना कौनसी ऊर्जा का उदाहरण है?
    उत्तर-
    यांत्रिक ऊर्जा।।

    प्रश्न 19.
    धनुष से तीर चलाना, खिलौना पिस्तौल से डार्ट का निकलना कौनसी ऊर्जा के उदाहरण हैं ?
    उत्तर-
    यांत्रिक ऊर्जा के।

    प्रश्न 20.
    गतिज ऊर्जा किस पर निर्भर करती है?
    उत्तर-
    वस्तु के द्रव्यमान व वेग पर निर्भर करती है।

    प्रश्न 21.
    किसी वस्तु को पृथ्वी की सतह से ऊपर उठाने के लिए न्यूनतम आवश्यक बल किसके बराबर होता है?
    उत्तर-
    वस्तु के भार के।।

    प्रश्न 22.
    स्थितिज ऊर्जा का मान किस पर निर्भर करता है?
    उत्तर-
    वस्तु की पृथ्वी से ऊँचाई पर निर्भर करता है लेकिन इस पर निर्भर नहीं करता है कि h ऊँचाई किस पथ से तय की गई है।

    प्रश्न 23.
    घर्षण के विरुद्ध किये गये कार्य में कौनसी ऊर्जा का ह्रास होता है?
    उत्तर-
    घर्षण के विरुद्ध किये गये कार्य में गतिज ऊर्जा की हानि होती है।

    प्रश्न 24.
    क्या वस्तु में बिना संवेग के ऊर्जा सम्भव है ?
    उत्तर-
    हाँ, स्थितिज ऊर्जा।

    प्रश्न 25.
    विद्युत संयंत्र का ब्लॉक आरेख खींचिये।
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 25

    प्रश्न 26.
    कौनसा विद्युत संयंत्र वातावरण के लिए हितकारी है?
    उत्तर-
    पवन ऊर्जा संयंत्र।

    प्रश्न 27.
    शक्ति क्या है?
    उत्तर-
    किसी कारक/साधन के कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं। माना कोई साधन t समय में W कार्य करता है, तो
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 27
    जूल/से. या वाट शक्ति का मात्रक है। शक्ति का बड़ा मात्रक किलोवाट, मेगावाट होता है। यह एक अदिश राशि है।

    प्रश्न 28.
    1 वाट शक्ति को परिभाषित कीजिए।
    उत्तर-
    किसी स्रोत द्वारा एक सेकण्ड में एक जूल ऊर्जा खर्च करने की दर को एक वाट शक्ति कहते हैं।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 28

    प्रश्न 29.
    औसत शक्ति को परिभाषित कीजिए।
    उत्तर-
    कुल उपयोग की गई ऊर्जा को कुल लिए गए समय से भाग देकर निकाली गई शक्ति को औसत शक्ति कहते हैं। अतः
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 29

    प्रश्न 30.
    किसी निकाय में अभिविन्यास के कारण कौनसी ऊर्जा संग्रहित होगी?
    उत्तर-
    स्थितिज ऊर्जा।

    प्रश्न 31.
    घड़ी में चाबी भरने पर स्प्रिंग में कौनसी ऊर्जा संचित होती है ? घड़ी के चलते रहने पर यह ऊर्जा कौनसी ऊर्जा में परिवर्तित होती है?
    उत्तर-
    स्प्रिंग में स्थितिज ऊर्जा संचित होती है, जो चलने पर गतिज ऊर्जा में बदलती है।

    प्रश्न 32.
    विद्युत हीटर के फिलामेन्ट में विद्युत ऊर्जा किस रूप में परिवर्तित होती है?
    उत्तर-
    ऊष्मीय ऊर्जा के रूप में।

    प्रश्न 33.
    क्या किसी वस्तु को उठाने में किया गया कार्य इस बात पर निर्भर करता है कि उसे उठाने में कितना समय लगा?
    उत्तर-
    नहीं, क्योंकि कार्य, बल एवं विस्थापन का गुणनफल होता है।

    प्रश्न 34.
    एक व्यक्ति 200 न्यूटन के बलं से एक मकान की दीवार को धक्का दे रहा है। किया गया कार्य क्या होगा?
    उत्तर-
    किया गया कार्य शुन्य होगा क्योंकि विस्थापन नहीं हो रही है।

    प्रश्न 35. एक क्षैतिज दिशा में गतिशील वस्तु के लिए गुरुत्वीय बल के विरुद्ध कोई कार्य नहीं किया जाता है। क्यों?
    उत्तर-
    क्षैतिज दिशा में ऊँचाई को मान शून्य होता है। अतः कार्य शून्य होगा।

    प्रश्न 36.
    1 हॉर्सपॉवर कितने वाट के बराबर होता है ?
    उत्तर-
    746 वाट के बराबर होता है।

    प्रश्न 37.
    चाबी से चलने वाली एक खिलौना कार में किस प्रकार का ऊर्जा रूपान्तरण होता है?
    उत्तर-
    स्थितिज ऊर्जा का गतिज ऊर्जा में रूपान्तरण।

    प्रश्न 38.
    जब आप किसी वस्तु को बल लगाकर ऊपर की ओर उठाते हैं तो कौन-सा बल कार्य करता है?
    उत्तर-
    गुरुत्वीय बल।

    प्रश्न 39.
    ऊर्जा के लिए सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत कौन-सा है?
    उत्तर-
    सूर्य।

    प्रश्न 40.
    किसी वस्तु में ऊर्जा में हानि और ऊर्जा में वृद्धि कब होती है?
    उत्तर-
    जब वस्तु कार्य करती है, तब उसमें ऊर्जा की हानि होती है और जब वस्तु पर कार्य किया जाता है, तब उसमें ऊर्जा की वृद्धि होती है।

    प्रश्न 41.
    गिरते नारियल, लुढ़कते पत्थर, उड़ते हुए हवाई जहाज, बहती हवा और बहते हुए पानी में कौनसे प्रकार की ऊर्जा विद्यमान होती है?
    उत्तर-
    गतिज ऊर्जा।

    प्रश्न 42.
    किसी पिण्ड के वेग में क्या परिवर्तन करना चाहिए, जिससे कि पिण्ड का द्रव्यमान चार गुना बढ़ाने पर भी उसकी गतिज ऊर्जा में परिवर्तन न हो?
    उत्तर-
    पिण्ड के वेग को आधा करना पड़ेगा।

    प्रश्न 43.
    जब बल न्यूटन में एवं विस्थापन मीटर में हो तो कार्य का मात्रक लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18)
    उत्तर-
    जूल।

    प्रश्न 44.
    एक किलोवॉट घंटा (1 kWh) में जूल मात्रकों की संख्या लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    उत्तर-
    1 kWh = 3.6 x 106 जूल।

    लघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    वस्तु पर लग रहे बल के कारण, वस्तु पर कार्य न होने के प्रतिबन्ध बताइये।
    उत्तर-
    वस्तु पर कार्य न होने के प्रतिबन्धनिम्न स्थितियों में किया गया कार्य का मान शून्य होगा

    • जब बल द्वारा वस्तु में विस्थापन नहीं हो, तो कार्य का मान शून्य होगा।
    • बल जब विस्थापन की दिशा के लम्बवत् कार्य करे, तो बल का मान शून्य होगा।
    • विस्थापन के अनुदिश बल के घटक का मान शून्य होने पर कार्य का मान भी शून्य होगा।

    प्रश्न 2.
    बल द्वारा धनात्मक व ऋणात्मक कार्य कब होता है? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिये।
    उत्तर-

    1. धनात्मक-जब किसी वस्तु पर आरोपित बल और विस्थापन एक ही दिशा में होता है तो किया गया कार्य धनात्मक होता है।
      उदाहरण-
      जब घोड़ा गाड़ी को खींचता है तो आरोपित बल एवं विस्थापन एक ही दिशा में होता है। अतः घोड़े द्वारा किया गया कार्य धनात्मक होता है।
    2. ऋणात्मक-जब बल विस्थापन की दिशा के विपरीत दिशा में लगता है तो किया गया कार्य ऋणात्मक होता है।
      उदाहरण के लिए-
      चलती गाड़ी में ब्रेक लगाने पर रुकने तक कार जितनी दूरी तक चलती है, वह बल के विरुद्ध होता है। ऐसी स्थिति में किया गया कार्य ऋणात्मक कार्य है।

    प्रश्न 3.
    क्या गतिज ऊर्जा का मान गति की दिशा पर निर्भर करता है ? क्या गतिज ऊर्जा का मान ऋणात्मक हो सकता है?
    उत्तर-
    गतिज ऊर्जा एक अदिश राशि है, अतः इसका मान गति की दिशा पर निर्भर नहीं करता।

    सूत्र, गतिज ऊर्जा K =  \frac { 1 }{ 2 } mv² से स्पष्ट है कि गतिज ऊर्जा का मान कभी ऋणात्मक नहीं हो सकता।

    प्रश्न 4.
    गुलेल में ऊर्जा कैसे संचित होती है?
    उत्तर-
    जब गुलेल के रबड़ को किसी गोली या कंकड़ के साथ खींचते हैं, तो रबड़ को खींचने में किया गया कार्य उसकी स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है। अब यदि गोली या कंकड़ को छोड़ दिया जाता है, तब गुलेल में संचित स्थितिज ऊर्जा कंकड़ की गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है, जिससे कंकड़ गतिशील हो दूर जाकर गिरता है।

    प्रश्न 5.
    नीचे दिये गये कॉलम I से कॉलम II को सुमेलन कीजिए–
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 5
    उत्तर-
    (i) e
    (ii) b
    (iii) f
    (iv) d
    (v) c
    (vi) a

    प्रश्न 6.
    नीचे दिये गये कॉलम I से कॉलम II को सुमेलन कीजिए
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 6
    उत्तर-
    (i) e
    (ii) d
    (iii) a
    (iv) b
    (v) c
    (vi) f

    प्रश्न 7.
    एक महिला और उसकी बेटी एकसमान वेग से दौड़ रही हैं। यदि महिला का द्रव्यमान बेटी से दोगुना है, तो उन दोनों की गतिज ऊर्जा में क्या अनुपात होगा?
    उत्तर-
    ∵ गतिज ऊर्जा Ek =  \frac { 1 }{ 2 } mv²
    यहाँ v = समान
    m = महिला का बेटी से दुगुना द्रव्यमान
    इसलिए दोनों की गतिज ऊर्जाओं का अनुपात 2 : 1 होगा।

    प्रश्न 8.
    फर्श पर चाबी भरकर खिलौने को रखने पर यह चलने लगता है। क्या उपार्जित ऊर्जा, चाबी द्वारा भरे गए लपेटनों की संख्या पर निर्भर करती है?
    उत्तर-
    खिलौने में चाबी भरते समय किया गया कार्य लपेटनों में, स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित होता है। यह उपार्जित ऊर्जा, चाबी द्वारा भरे गए लपेटनों की संख्या पर निर्भर करती है। लपेटनों की संख्या अधिक होने पर अधिक ऊर्जा संचित होती है, जिससे खिलौना अधिक देर तक चलता है।

    प्रश्न 9.
    किसी वस्तु की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा किन-किन बातों पर निर्भर करती है?
    उत्तर-
    किसी वस्तु की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा का मान Ep = mgh होता है

    यहाँ पर m वस्तु का द्रव्यमान, g = गुरुत्वीय त्वरण है। पृथ्वी तल से वस्तु h ऊँचाई तक विस्थापित होती है।
    अतः गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा निम्न पर निर्भर होती है

    • वस्तु के द्रव्यमान
    • स्थान के गुरुत्वीय त्वरण एवं
    • पृथ्वी तल से वस्तु की ऊँचाई पर

    प्रश्न 10.
    गतिज ऊर्जा किसे कहते हैं? इसके कोई तीन उदाहरण दीजिए।
    उत्तर-
    गतिज ऊर्जा-किसी वस्तु में, उसकी गति के कारण निहित ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं। किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा उसकी चाल के साथ बढ़ती है।
    गतिज ऊर्जा के उदाहरण

    • वायु की गतिज ऊर्जा से पवन चक्की चलती है।
    • गतिशील पानी, पन बिजली संयन्त्र में टरबाइनें चलाता है।
    • एक बन्दूक की गोली लक्ष्य को गतिज ऊर्जा के कारण ही भेद पाती है।

    प्रश्न 11.
    स्थितिज ऊर्जा के कोई तीन उदाहरण लिखिए।
    उत्तर-
    स्थितिज ऊर्जा के उदाहरण-

    • पन बिजली संयंत्रों (Hydroelectric plant) में बाँध में स्थित पानी की स्थितिज ऊर्जा से टरबाइन चलाई जाती है, जिससे बिजली उत्पन्न की जाती है।
    • घड़ी की स्प्रिंग की स्थितिज ऊर्जा के कारण चाबी भरने पर घड़ी की सुइयाँ चलती हैं।
    • स्थितिज ऊर्जा के कारण ही तना हुआ धनुष तीर को बहुत दूर तक फेंक पाता है।
    • गुलेल में खींची हुई रबड़ की पट्टी की स्थितिज ऊर्जा का उपयोग कंकड़ को काफी दूर फेंकने में होता है।

    प्रश्न 12.
    किसी वस्तु को अधिक ऊँचाई तक उठाने पर उसमें अधिक ऊर्जा समाहित हो जाती है। यह ऊर्जा कहाँ से प्राप्त होती है?
    उत्तर-
    वस्तु को किसी निश्चित ऊँचाई तक उठाने में, इस पर गुरुत्व बल के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है। यह कार्य वस्तु में गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित रहता है। वस्तु की पृथ्वी तल से ऊँचाई बढ़ने पर उसमें संचित ऊर्जा में वृद्धि होती है।

    प्रश्न 13.
    1 kWh से क्या तात्पर्य है?
    उत्तर-
    एक किलोवाट घण्टा (1 kWh)-एक किलोवाट घण्टा, ऊर्जा की वह मात्रा है, जो एक किलोवाट के किसी स्रोत को एक घण्टे तक उपयोग करने में व्यय होती है। अतः
    1 kWh = 1 kW X 1h
    = 1000 W x 3600 s
    = 36,00,000 J
    1 kWh = 3.6 x 106 J
    घरों में, उद्योगों में तथा व्यावसायिक संस्थानों में व्यय होने वाली ऊर्जा को प्रायः 1 kWh में व्यक्त करते हैं। 1 यूनिट का अर्थ 1 kWh होता है।

    प्रश्न 14.
    विद्युत ऊर्जा के कोई चार उदाहरण दीजिए।
    उत्तर-
    विद्युत ऊर्जा के उदाहरण

    1. एक कार की बैटरी में रासायनिक क्रिया द्वारा इलेक्ट्रॉन बनते हैं, जो विद्युत धारा के रूप में गति करते हैं। ये गतिमान आवेश कार में विद्युत परिपथ को विद्युत ऊर्जा प्रदान करते हैं।
    2. एक इलेक्ट्रिक हीटर या स्टोव को जब विद्युत परिपथ से जोड़ा जाता है तो गतिमान विद्युत आवेश उपकरण में जाते हैं । यह विद्युत ऊर्जा फिलामेंट में ऊष्मा ऊर्जा में बदल जाती है। जिसे हम खाना पकाने अथवा अन्य कार्यों में उपयोग में लेते हैं।
    3. मोबाइल फोन में बैटरी से रासायनिक ऊर्जा विद्युत आवेशों को मिलती है, जिससे आवेश गति करते हैं। यह विद्युत ऊर्जा फोन के परिपथ में गमन करती है। एवं फोन में विद्युत प्रवाह होता है।
    4. हमारे शरीर में खाना पचाने के बाद प्राप्त ऊर्जा का कुछ भाग विद्युत ऊर्जा में बदल जाता है जो हमारे स्नायु तंत्र से होकर मस्तिष्क तक पहुँचता है। इसके अलावा हृदय की धड़कनों के लिये भी विद्युत संकेतों की आवश्यकता होती है। मस्तिष्क द्वारा जो भी संकेत शरीर के किसी भी अंग तक पहुँचाये जाते हैं वो विद्युत पल्स के रूप में ही होते हैं।

    प्रश्न 15.
    नाभिकीय संयंत्र द्वारा विद्युत उत्पादन किस प्रकार होता है?
    उत्तर-
    नाभिकीय संयंत्र-इन संयंत्रों में नाभिकीय विखण्डन से प्राप्त ऊष्मा ऊर्जा से पानी को वाष्प में बदला जाता है। इस वाष्प द्वारा टरबाइन एवं जनित्र की
    सहायता से विद्युत उत्पादन होता है। नाभिकीय विखण्डन से ऊष्मा प्राप्त होने के बाद की प्रक्रिया लगभग कोयला संयंत्र जैसी ही होती है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 15

    प्रश्न 16.
    नीचे दिये गये कॉलम I से कॉलम II को सुमेलन कीजिए

    कॉलम Iकॉलम II
    (i) सौर ऊष्मा संयंत्र(a) सौर ऊष्मा से विद्युत ऊर्जा
    (ii) जलविद्युत संयंत्र(b) विकिरण ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा
    (iii) कोयला संयंत्र(c) नाभिकीय ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा
    (iv) पवन ऊर्जा संयंत्र(d) गतिज ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा
    (v) नाभिकीय संयंत्र(e) स्थितिज ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा
    (vi) सौर प्रकाश वोल्टीय ऊर्जा संयंत्र(f) ऊष्मीय ऊर्जा से विद्यत् ऊर्जा

    उत्तर-
    (i) a
    (ii) e
    (iii) b
    (iv) d
    (v) c
    (vi) f

    निबन्धात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    संरक्षी व असंरक्षी बलों को परिभाषित कीजिए। इनके उदाहरण भी दीजिए।
    उत्तर-
    संरक्षी बल-यदि बल द्वारा किया गया कार्य विस्थापन के पथ पर निर्भर न कर केवल प्रारम्भिक व अन्तिम अवस्थाओं पर निर्भर करे तो बल संरक्षी कहलाते हैं।

    संरक्षी बल के प्रभाव में पूर्ण चक्र में किया गया कार्य शून्य होता है। उदाहरणार्थ, प्रत्यानयन बल, गुरुत्वीय बल, केन्द्रीय बल आदि।

    असंरक्षी बल-यदि बल द्वारा सम्पन्न कार्य पथ पर निर्भर करता है तो बल असंरक्षी कहलाते हैं। इसके पूर्ण चक्र में किया गया कार्य शून्य नहीं होता है।
    उदाहरण-
    श्यान बल, घर्षण बल, अवमन्दन बल आदि।।

    प्रश्न 2.
    ऊर्जा का संरक्षण क्या है? स्प्रिंग में ऊर्जा रूपान्तरण को समझाइए।
    उत्तर-
    ऊर्जा का संरक्षण-ऊर्जा संरक्षण के अनुसार किसी विलगित निकाय की कुल ऊर्जा सदैव स्थिर रहती है। ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है, न ही उसे 7 नष्ट किया जा सकता है, केवल ऊर्जा के स्वरूप में रूपान्तरण किया जा सकता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 2
    स्प्रिंग में ऊर्जा रूपान्तरण-हमें एक स्प्रिंग लेंगे। इसके एक सिरे को दीवार से जोड़कर दूसरे सिरे पर m द्रव्यमान का एक गुटका जोड़ेंगे एवं निकाय को घर्षण रहित क्षैतिज धरातल पर रखेंगे।

    अब हम स्प्रिंग को संपीडित करने के लिए गुटके को दीवार की तरफ v वेग देते हैं। इस स्थिति में गुटके की गतिज ऊर्जा  \frac { 1 }{ 2 } mv² होगी। इस ऊर्जा से गुटका स्प्रिंग को x दूरी तक संपीडित कर देता है। यदि स्प्रिंग का नियतांक K है तो इस स्थिति में संपीडन से स्प्रिंग में  \frac { 1 }{ 2 } Kx² स्थितिज ऊर्जा उत्पन्न हो जायेगी। इस स्थितिज ऊर्जा के कारण स्प्रिंग पुनः अपनी साम्यावस्था प्राप्त करने के लिए गुटके को विपरीत दिशा में v वेग से गति देता है । इस कारण गुटके की गतिज ऊर्जा पुनः  \frac { 1 }{ 2 } mv² हो जाती है। गतिज ऊर्जा के कारण गुटका साम्यावस्था से आगे तक स्प्रिंग में फैलाव उत्पन्न कर देता है। इस दौरान भी गतिज ऊर्जा व स्थितिज ऊर्जा में रूपान्तरण उसी प्रकार होता है, जैसा कि स्प्रिंग के संपीड़न के दौरान हुआ था। जब गुटका एक चक्कर पूरा कर पुनः साम्यावस्था की ओर आता है तो उसकी गतिज ऊर्जा उतनी ही होती है जितनी प्रारम्भ में थी।

    इस पूरी प्रक्रिया में गतिज ऊर्जा व स्थितिज ऊर्जा का योग सदैव स्थिर रहता है, जिसे हम यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं। यांत्रिक ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार निकाय की यांत्रिक ऊर्जा संरक्षित रहती है। यदि निकाय की गतिज ऊर्जा बढ़ेगी तो स्थितिज ऊर्जा में कमी हो जाएगी एवं जब गतिज ऊर्जा कम होगी तो स्थिति ऊर्जा बढ़ जाएगी।

    यदि स्थितिज ऊर्जा एवं गतिज ऊर्जा में परिवर्तन क्रमशः ∆Ep व ∆Ek हो तो
    ∆Ep = – ∆Ek
    ∆Ep + ∆Ek = 0

    प्रश्न 3.
    स्थितिज ऊर्जा को समझाइये। गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा हेतु आवश्यक सूत्र ज्ञात कीजिये।
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 3
    स्थितिज ऊर्जा-वस्तु की स्थिति अथवा आकृति में परिवर्तन के कारण जो ऊर्जा उत्पन्न होती है उसे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।
    गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा-गुरुत्वीय बल के विरुद्ध किए गए कार्य के कारण वस्तुओं में संचित ऊर्जा, गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा कहलाती है।
    माना m द्रव्यमान की एक वस्तु पृथ्वी तल पर रखी है। यदि पृथ्वी तल पर गुरुत्वीय त्वरण g है तो वस्तु पर कार्यरत गुरुत्वीय बल
    F = mg
    अब इस वस्तु को पृथ्वी तल (स्थिति A) से h ऊँचाई (स्थिति B) तक ऊध्र्ध्वाधर दिशा में विस्थापित करते हैं।
    अतः गुरुत्वीय बल के विपरीत किया।
    गया कार्य-
    W = F x h
    या W = mgh
    (∵ F = mg)
    यही कार्य W वस्तु में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है।
    अतः स्थितिज ऊर्जा Ep = mgh
    इस गणना में पृथ्वी तल को शून्यांकी अवस्था माना गया है। अतः गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा ऊँचाई h के समानुपातिक होती है।

    प्रश्न 4.
    सिद्ध कीजिये कि वस्तु ऊँचाई से जैसे-जैसे धरातल की ओर आती है, स्थितिज ऊर्जा घटती है एवं समान मात्रा में गतिज ऊर्जा बढ़ती है।
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 4
    माना m द्रव्यमान की वस्तु पृथ्वी की सतह से h ऊँचाई पर चित्र में बिन्दु A पर स्थिर अवस्था में है। बिन्दु A पर वस्तु में केवल स्थितिज ऊर्जा होगी और गतिज ऊर्जा शून्य होगी। बिन्दु A पर स्थितिज ऊर्जा का मान mgh है। माना वस्तु स्वतन्त्रतापूर्वक गिरती है और जब वस्तु धरातल पर पहुँचती है तब उसकी चाल v होती है। अतः बिन्दु B पर गतिज ऊर्जा का मान
    \frac { 1 }{ 2 } mv² होगा। यहाँ पर है h = 0 इसलिए स्थितिज ऊर्जा Ep = 0 होगी।
    गति के तीसरे समीकरण से बिन्दु B पर वस्तु की चाल
    v² = u² + 2as
    v² = 0 + 2gh
    ∴ v² = 2gh
    ∴ बिन्दु B पर वस्तु की गतिज ऊर्जा
    ∵  \frac { 1 }{ 2 } mv²
    ∴ Ek =  \frac { 1 }{ 2 } m x 2gh (v² = 2gh)
    या Ek = mgh

    अर्थात् पृथ्वी के धरातल पर वस्तु की गतिज ऊर्जा का मान बिन्दु A पर स्थितिज ऊर्जा के तल्य होता है। स्वतन्त्रतापर्वक गिरती हुई वस्त की स्थितिज ऊर्जा में कमी, उसकी गतिज ऊर्जा में वृद्धि के तुल्य होती है। वस्तु ऊँचाई से जैसे-जैसे धरातल की ओर आती है, स्थितिज ऊर्जा घटती है एवं समान मात्रा में गतिज ऊर्जा बढ़ती है।
    अर्थात्
    ∆Ek = – ∆Ep

    प्रश्न 5.
    ऊर्जा से क्या आशय है? ऊर्जा के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
    उत्तर-
    ऊर्जा (Energy)
    किसी पिण्ड द्वारा कार्य करने की क्षमता को ही उसकी ऊर्जा कहते हैं। वस्तु की ऊर्जा का मापन उस कुल कार्य से किया जाता है जिसे वस्तु सम्पन्न करते हुए ऐसी अवस्था में आ जाये कि वस्तु और कार्य को न कर सके।
    वस्तु की ऊर्जा = वस्तु द्वारा सम्पन्न कुल कार्य

    ऊर्जा को कार्य से मापने के कारण ऊर्जा तथा कार्य के मात्रक एक ही होते हैं। ऊर्जा भी कार्य की तरह अदिश राशि है। यदि 1 जूल कार्य करना हो तो आवश्यक ऊर्जा की मात्रा भी 1 जूल होगी।

    ऊर्जा के प्रकार (Types of Energy)-
    प्रकृति में ऊर्जा अनेक रूपों में पाई जाती है, जैसे-यांत्रिक ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा, ऊष्मीय ऊर्जा, नाभिकीय ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा आदि। सूर्य हमारे लिए ऊर्जा का सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत है। विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं जैसे-ज्वार-भाटा, नदियों का बहाव, तेज हुवाओं का चलना आदि से भी हम ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं। ऊर्जा के विभिन्न स्वरूपों में से कुछ निम्न प्रकार हैं

    1. यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical Energy)-किसी वस्त में ऊर्जा, वस्त की गति के कारण अथवा किसी बल क्षेत्र में उसकी स्थिति या उसके अभिविन्यास के कारण हो सकती है। इन अवस्थाओं के कारण वस्तु में उत्पन्न ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं। उदाहरण के लिए, छत पर स्थित पानी के टैंक में पानी की ऊर्जा, गतिशील गोली की ऊर्जा, बाल पेन में लगी छोटी स्प्रिंग की ऊर्जा, गतिशील वस्तु की ऊर्जा, इत्यादि यांत्रिक ऊर्जा के ही रूप हैं।
    2. ऊष्मा ऊर्जा (Heat Energy)-ऊष्मा भी ऊर्जा का एक स्वरूप है। ऊष्मा ऊर्जा मुख्य रूप से अणुओं की अनियमित गति एवं अणुओं के मध्य कार्यरत ससंजक बलों के प्रभाव में अणुओं की स्थितिज ऊर्जा से सम्बन्धित होती है। ससंजक बल अणुओं में कार्यरत विद्युत चुम्बकीय बलों के कारण उत्पन्न होता है, ऊष्मा ऊर्जा आन्तरिक ऊर्जा से सम्बन्ध रखती है। इस ऊर्जा का अन्य ऊर्जाओं में संजीव पास बुक्स रूपान्तरण सम्भव है। जैसे भाप इंजन में ऊष्मा ऊर्जा का कार्य में रूपान्तरण किया जाता है।
    3. रासायनिक ऊर्जा (Chemical Energy)-किसी पिण्ड की रासायनिक ऊर्जा उसके परमाणुओं के मध्य विभिन्न रासायनिक बन्ध के कारण होती है। ऐसे पिण्डों को यौगिक कहते हैं। किसी स्थायी रासायनिक यौगिक की ऊर्जा, इसके विभिन्न भागों की ऊर्जा से कम होती है। ऊर्जा में यह अन्तर मुख्यतया यौगिक के भिन्न-भिन्न भागों में अणुओं की व्यवस्था में भिन्नता एवं यौगिक में इलेक्ट्रॉन व नाभिक के गति के कारण होता हैं। ऊर्जा में इस अन्तर को रासायनिक ऊर्जा कहते
      जैसे-(i) एक शुष्क सेल में रासायनिक ऊर्जा का रूपान्तरण विद्युत ऊर्जा में होता है।
      (ii) किसी ईंधन के ज्वलन से उत्पन्न ऊर्जा भी रासायनिक ऊर्जा होती है।
    4. विद्युत ऊर्जा (Electrical Energy)-विद्युत आवेश या धाराएँ एकदूसरे को आकर्षित अथवा प्रतिकर्षित करती हैं अर्थात् एक-दूसरे पर बल आरोपित करती हैं। अतः विद्युत आवेश को विद्युत क्षेत्र में एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में कुछ कार्य करना पड़ता है। यह कार्य विद्युत ऊर्जा के रूप में संचित होता है।
    5. नाभिकीय ऊर्जा (Nuclear Energy)-नाभिक में नाभिकीय कणों के मध्य कार्यरत नाभिकीय बलों के कारण ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा कहते हैं। नाभिकीय ऊर्जा दो प्रकार की होती है-
      (i) नाभिकीय विखण्डन ऊर्जा
      (ii) नाभिकीय संलयन ऊर्जा।
    6. गुरुत्वीय ऊर्जा (Gravitational Energy)-पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण वस्तुयें पृथ्वी की ओर खिंची चली आती हैं। वस्तुओं में गुरुत्वाकर्षण बल के कारण उत्पन्न ऊर्जा गुरुत्वीय ऊर्जा कहलाती है। इसी ऊर्जा के कारण झरनों व नदियों में पानी ऊपर से नीचे की ओर बहता है।

    प्रश्न 6.
    यांत्रिक ऊर्जा से आप क्या समझते हैं? उदाहरणों द्वारा समझाइये।
    उत्तर-
    यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical Energy)-किसी वस्तु की यांत्रिक ऊर्जा उसकी गतिज ऊर्जा व स्थितिज ऊर्जा के योग के बराबर होती है जिससे वह वस्तु कार्य करती है। उदाहरण के लिये, जब हम एक हथौड़े को लकड़ी के गुटके पर खड़ी कील पर प्रहार करते हैं तो निम्न प्रक्रिया होती है|

    • हथौड़े में भार के कारण उसमें स्थितिज ऊर्जा होती है।
    • जब हम उस हथौड़े को ऊपर उठाते हैं तो हम उस हथौड़े पर कार्य करते हैं एवं हथौड़े की स्थितिज ऊर्जा बढ़ जाती है।
    • जब हम हथौड़े से लकड़ी के गुटके पर खड़ी कील पर प्रहार करते हैं। तो उसमें गतिज ऊर्जा होती है जो कील को गुटके के अन्दर तक भेज देती है।
      इस पूरी प्रक्रिया में कील को लकड़ी के गुटके में भेजने के लिये हथौड़े द्वारा प्राप्त स्थितिज एवं गतिज ऊर्जा के योग को यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं।

    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 6
    इसी प्रकार एक खींचते हुए धनुष में प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा के कारण यांत्रिक ऊर्जा रहती है जिससे तीर दूर तक चला जाता है। एक चलती हुई कार में यांत्रिक ऊर्जा उसकी गति के कारण (गतिज ऊर्जा) होती है। इसी प्रकार एक खिलौना पिस्तौल में जब डार्ट को दबाया जाता है तो पिस्तौल के अन्दर लगी हुई स्प्रिंग संपीड़ित होती है। और उसमें स्थितिज ऊर्जा उत्पन्न हो जाती है। पिस्तौल के ट्रिगर को दबाने पर अर्जित यांत्रिक ऊर्जा के कारण डार्ट दूर जाकर गिरता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 6.1

    आंकिक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    यदि किसी कार का द्रव्यमान 1500 kg है तो उसके वेग को 30 km/h से 60 km/h तक बढ़ाने में कितना कार्य करना पड़ेगा?
    हल-
    दिया गया है–
    कार का द्रव्यमान (m) = 1500 kg
    कार का प्रारम्भिक वेग (u) = 30 km/h
    =\frac { 30\times 5 }{ 18 } =\frac { 25 }{ 3 } m/s
    कार का अन्तिम वेग (v) = 60 km/h
    = 60 x  \frac { 5 }{ 18 }  m/s
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 1
    = 250 × 25 × 25
    = 156250 J

    प्रश्न 2.
    दो लड़कियाँ जिनमें से प्रत्येक का भार 400 N है, एक रस्से पर 8 m की ऊँचाई तक चढ़ती हैं। हम एक लड़की का नाम A रखते हैं तथा दूसरी का B। इस कार्य को पूरा करने में लड़की A, 20 s का समय लेती है, जबकि लड़की B, 50 s का समय लेती है। प्रत्येक लड़की द्वारा व्यय की गई शक्ति का परिकलन कीजिए।
    हल-
    (i) लड़की A द्वारा व्यय की गई शक्ति का परिकलन
    लड़की का भार (W) = mg = 400 N
    विस्थापन (ऊँचाई) (h) = 8 m
    समय (t) = 20 s
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 2
    अतः लड़की A द्वारा व्यय की गई शक्ति 160 W है तथा लड़की B द्वारा व्यय की गई शक्ति 64 W है।

    प्रश्न 3.
    50 kg द्रव्यमान का एक लड़का एक सोपान (जीना) पर दौड़कर 45 सीढ़ियाँ 9s में चढ़ता है। यदि प्रत्येक सीढ़ी की ऊँचाई 15 cm हो तो उसकी शक्ति का परिकलन कीजिए।g को मान 10 m/s² लीजिए।
    हल-
    दिया गया है
    लड़के को भार (W) = mg = 50 x 10
    = 500 N
    45 सीढ़ियाँ हैं। प्रत्येक सीढ़ी की ऊँचाई 15 cm है।
    ∴ 45 सीढ़ियों की कुल ऊँचाई
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 3
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 3.1

    प्रश्न 4.
    एक गतिशील वस्तु की चाल कितनी कर दी जाये जिससे उसकी गतिज ऊर्जा प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा की आधी रह जावे?
    हल-
    माना वस्तु का द्रव्यमान m है और उसका वेग v1 है।
    तब गतिज ऊर्जा Ek1 =  \frac { 1 }{ 2 } mv12
    अब वस्तु का द्रव्यमान m ही रहता है और उसका वेग v2 हो जाने पर गतिज ऊर्जा
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 4
    अतः उसकी चाल पहले की चाल की  \frac { 1 }{ \sqrt { 2 } }   गुनी कर देनी चाहिए।

    प्रश्न 5.
    v वेग से जा रही एक वस्तु की गति को उल्टा कर दिया जावे तो इसकी गतिज ऊर्जा एवं संवेग में क्या अंतर आयेगा?
    हल-

    1. माना वस्तु का द्रव्यमान = m है।
      और वस्तु v वेग से जा रही है।
      ∴ प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा =  \frac { 1 }{ 2 } mv²
      अब वस्तु का वेग (-v) कर दिया गया है।
      इसलिए बाद वाली गतिज ऊर्जा = \frac { 1 }{ 2 } m(-v)² =  \frac { 1 }{ 2 } mv²
      गतिज ऊर्जा का अन्तर = बाद वाली गतिज ऊर्जा – प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा
      =  \frac { 1 }{ 2 } m(v)² –  \frac { 1 }{ 2 } mv²
      = शून्य उत्तर
      अतः वस्तु की गति को उल्टा कर देने पर गतिज ऊर्जा में कोई अन्तर नहीं। आएगा। |
    2. प्रारम्भिक संवेग (P1) = mv
      बाद वाला संवेग (P2) = m (-v) = – mv
      संवेग में अन्तर = P2 – P1
      = – mv – mv
      = – 2mv
      अतः वस्तु की गति को उल्टा कर देने पर उसके संवेग में अन्तर = -2mv उत्तरे

    प्रश्न 6.
    0.2 किलोग्राम की एक गेंद को प्रारम्भिक एवं अन्तिम वेग क्रमशः 3 मीटर/ सेकण्ड तथा 7 मीटर/सेकण्ड है। गति को रेखीय मानते हुए कार्य का परिकलन कीजिये।
    हल-
    दिया गया है
    गेंद का द्रव्यमान m = 0.2 किलोग्राम
    गेंद का प्रारम्भिक वेग u = 3 मीटर/सेकण्ड
    गेंद का अन्तिम वेग v = 7 मीटर/सेकण्ड
    W = ?
    ∵ W = F x s
    ∴ W = ma x s (∵ F = ma)
    या W = mas …..(1)
    गति के तीसरे समीकरण से
    (v)² = (u)² + 2as
    (7)² = (3)² + 2as
    49 = 9 + 2as
    49 – 9 = 2as
    40 = 2as
    \frac { 40 }{ 2 }  = as
    ∴ as = 20 …..(2)
    समीकरण (1) में m तथा as का मान रखने पर
    W = 0.2 x 20
    W = 4.0 = 4 जूल
    या W = 4 जूल उत्तर

    प्रश्न 7.
    एक इंजन की शक्ति की गणना कीजिये जो 200 किलोग्राम भार की वस्तु को 50 मीटर की ऊँचाई तक 10 सेकण्ड में ले जाने की क्षमता रखता हो।
    उत्तर-
    दिया गया है
    भार m = 200 किलोग्राम
    (विस्थापन) h = 50 मीटर
    गुरुत्वीय त्वरण g = 10 मी./से.²
    समय t = 10 सेकण्ड
    औसत शक्ति P = ?
    ∵ F = mg
    ∴ F = 200 x 10
    = 2000 न्यूटन
    इंजन के द्वारा किया गया कार्य
    W = F x s
    = F x h = mgh
    [∵ विस्थापन (s) = h लेने पर]
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 7

    प्रश्न 8.
    यदि सफर में जाते समय आप 12 kg के एक बैग को धरती से उठाकर 1.5 m ऊपर अपनी पीठ पर रखते हैं तो बैग पर किये गये कार्य की गणना कीजिए। (g = 10 m s-2)
    हल-
    दिया है
    द्रव्यमान (m) = 12 kg
    विस्थापन h = 1.5 in
    g = 10 m s-2
    बैग पर किया गया कार्य W = Fs = mgh
    = 12 kg x 10 m s-2 x 1.5 m
    = 180 N m
    W = 180 J
    बैग पर किया गया कार्य W = 180 जूल Ans.

    प्रश्न 9.
    एक व्यक्ति 5 N बल लगाकर रस्सी से बंधी वस्तु को इस प्रकार खींच रहा है कि रस्सी क्षैतिज से 30° कोण बना रही है। इस वस्तु को 20 m ले जाने में कितना कार्य करना पड़ेगा? (cos 30° = 0.866)
    हल-
    दिया है- बल (F) = 5 N
    विस्थापन (s) = 20 m
    कोण (θ) = 30°
    कार्य (W) = Fs cos θ
    मान रखने पर- W = 5 N x 20 m x cos 30°
    =100\times \frac { \sqrt { 3 } }{ 2 } =\frac { 100\times 1.732 }{ 2 }
    = 100 x 0.866 जूल
    = 86.6 जूल
    वस्तु को 20 m ले जाने में किया गया कार्य W = 86.6 जूल Ans.

    प्रश्न 10.
    एक समान वेग से गतिमान वस्तु की गतिज ऊर्जा 2500J है। यदि उस वस्तु का द्रव्यमान 50 kg हो तो उस वस्तु का वेग ज्ञात कीजिये।
    हल-
    दिया है| वस्तु की गतिज ऊर्जा (Ek) = 2500 (J)
    वस्तु का द्रव्यमान (m) = 50 kg
    वस्तु का वेग v = ?
    हम जानते हैं कि गतिज ऊर्जा Ek =  \frac { 1 }{ 2 } mv² होती है।
    ⇒ 2 Ek = mv²
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 10
    ∴v = ± 10 m/s
    चूँकि गतिज ऊर्जा वेग की दिशा पर निर्भर नहीं करती है अतः वस्तु का वेग 10 m/s होगा।

    प्रश्न 11.
    एक बन्दूक से दागी गई गोली 500 m/s के वेग से निकलती है। यदि गोली का द्रव्यमान 100 ग्राम है तो इसकी गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिये।
    हल-
    दिया है
    द्रव्यमान (m) = 100 gm =  \frac { 100 }{ 1000 }  kg = 0.1 kg
    वेग (v) = 500 m/s
    हम जानते हैं कि
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 11
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 11.1

    प्रश्न 12.
    100 kg द्रव्यमान की एक मोटरसाइकिल 20 किलोमीटर प्रति घण्टे के वेग से चल रही है। मोटरसाइकिल का वेग 40 किलोमीटर प्रति घण्टे तक बढ़ाने के लिए कितना कार्य करना होगा?
    हल-
    दिया है-
    द्रव्यमान (m) = 100 kg
    मोटरसाइकिल का प्रारम्भिक वेग (u) = 20 km/h
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 12

    प्रश्न 13.
    एक विद्यार्थी 3 kg द्रव्यमान की वस्तु को पृथ्वी की सतह से उठाकर 50 cm. ऊँचे टेबल पर रखता है। वस्तु में निहित स्थितिज ऊर्जा की गणना कीजिये। ( गुरुत्वीय त्वरण g = 10 m/s²)
    हल-
    दिया है-द्रव्यमान (m) = 3 kg
    ऊँचाई (h) = 50 cm = 0.50 m
    स्थितिज ऊर्जा (Ep) = mgh = 3 x 10 x 0.5 = 15 J

    प्रश्न 14.
    एक स्प्रिंग का स्प्रिंग नियतांक k = 6 x 104 N/m है। इसे माध्य स्थिति से 1 cm. खींचने में कितना कार्य करना पड़ेगा?
    हल-
    दिया है- स्प्रिंग नियतांक k = 6 x 103 N/m
    x = 1 cm = 0.01 m
    स्प्रिंग को खींचने में किया गया कार्य = उत्पन्न स्थितिज ऊर्जा
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 14
    स्प्रिंग को खींचने में 0.3 J कार्य करना पड़ेगा। Ans.

    प्रश्न 15.
    एक 60 kg का व्यक्ति 30 सेकण्ड में 5 मीटर ऊँचाई तक जाता है। व्यक्ति द्वारा उपयोग में ली गई शक्ति ज्ञात कीजिये। (g = 10 m/s2)
    हल-
    दिया हैव्यक्ति का द्रव्यमान (m) = 60 kg
    समय (t) = 30 second
    तय की गई दूरी (h) = 5 m
    g = 10 m/s²
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 15
    अतः व्यक्ति ने 100 W शक्ति का उपयोग किया।

    प्रश्न 16.
    एक ट्रक तथा एक कार जिनकी गतिज ऊर्जायें समान हैं, को समान मन्दन बल लगाकर रोका जाता है। रुकने से पूर्व ट्रक एवं कार द्वारा तय की गई दूरियों में सम्बन्ध ज्ञात कीजिए।
    हल-
    माना ट्रक तथा कार के द्रव्यमान क्रमशः m1 व m2 हैं और उनके प्रारम्भिक वेग क्रमशः u1 तथा u2 हैं क्योंकि दोनों की गतिज ऊर्जायें समान हैं। अतः
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 16
    दोनों पर समान मंदन बल F लगाने पर ट्रक तथा कार रुक जाते हैं। यदि रुकने से पूर्व दूरियाँ s1 व s2 हों तो गति के तीसरे समीकरण से
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 16.1

    प्रश्न 17.
    सुरेश व रमेश, एक 15 मीटर ऊँची पहाड़ी पर चढ़ते हैं। रमेश यह कार्य 19 सेकण्ड में पूरा करता है जबकि सुरेश पहाड़ी पर 15 सेकण्ड में ही पहुँच जाता है। यदि दोनों में से प्रत्येक का वजन 38 kg हो तो उनके द्वारा व्यय की गई शक्ति ज्ञात कीजिये। (g = 10 m/s²)
    अथवा
    सुरेश व रमेश दोनों एक पहाड़ी पर चढ़ते हैं जिसकी ऊँचाई 15 मीटर है। रमेश व सुरेश दोनों का वजन बराबर है जो कि 38 kg. है। रमेश उस पहाड़ी के शीर्ष पर 19 सेकण्ड में पहुँचता है जबकि सुरेश 15 सेकण्ड में ही पहाड़ी के शीर्ष पर पहुँच जाता है। दोनों द्वारा पहाड़ी पर चढ़ने में व्यय की गयी शक्ति का पृथक्पृथक् मान ज्ञात कीजिए। (g = 10 ms²) (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18 )
    हल-
    दिया है
    h = 15 m
    समय (t2) = 19 second
    समय (t1) = 15 second
    प्रत्येक का वजन (m) = 38 kg
    g = 10 m/s²

    1. सुरेश द्वारा व्यय की गई शक्ति
      सुरेश का भार = mg = 38 kg x 10 m/s²
      = 380 N
      ऊँचाई h = 15 m
      समय है t1 = 15 s
      शक्ति  P=\frac { W }{ { t }_{ 1 } } =\frac { mgh }{ { t }_{ 1 } } =\frac { [380\times 15] }{ 15 } W
      = 380 W Ans.
    2. रमेश द्वारा व्यय की गई शक्ति
      रमेश का भार = mg = 38 kg x 10 m/s²
      = 380 N
      ऊँचाई h = 15 m
      समय t2 = 19 s
      शक्ति  P=\frac { W }{ { t }_{ 2 } } =\frac { [380\times 15] }{ 19 } W
      = 300 W Ans.

    प्रश्न 18.
    एक लिफ्ट 5 मिनट में 300 मीटर ऊँचाई पर पहुँच जाती है। यदि लिफ्ट व उसमें रखे सामान का द्रव्यमान 1000 kg हो तो लिफ्ट द्वारा किया गया कार्य एवं लिफ्ट की शक्ति ज्ञात कीजिये। (g = 10 m/s²) हल-
    लिफ्ट का द्रव्यमान (m) = 1000 kg
    ऊँचाई (h) = 300 m
    समय (t) = 5 m = 5 x 60 = 300 second
    कार्य W = mgh = 1000 x 10 x 300 ]
    = 3.0 x 106 J
    शक्ति  P=\frac { W }{ t }
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 18

    प्रश्न 19.
    किसी प्रतीकात्मक अनुरूपण में 1000 kg द्रव्यमान की कार एक चिकनी सड़क पर 18 किमी./घण्टा की चाल से चलते हुए क्षैतिज फ्रेम परे कसे हुए स्प्रिंग से टकराती है, जिसका स्प्रिंग नियतांक 6.25 x 103 न्यूटन/मीटर है। स्प्रिंग का अधिकतम संपीडन क्या होगा?
    हल-
    दिया है
    कार की चाल v = 18 किमी./घण्टा
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 19

    प्रश्न 20.
    एक घोडा श्लैतिज से 60° के कोण पर 30 N बल लगाता हुआ पीछे बंधी गाड़ी को 7.2 km/hour की चाल से 1 मिनट तक खींचता है। घोड़े द्वारा किया गया कार्य एवं घोड़े द्वारा व्यय शक्ति की गणना कीजिए। (cos 60° =  \frac { 1 }{ 2 } )
    हल-
    बल F = 30 N
    वेग (v) = 7.2 km/h =  \frac { 7200m }{ 60X60s }  = 2m/s
    समय (t) = 1 m = 60 s
    बल व विस्थापन की दिशा में कोण = 60°
    1 मिनट में तय की गई दूरी (S) = v x t = 2 m/s x 60 s = 120 m
    घोडे द्वारा किया गया कार्य W = F.s cos θ
    मान रखने पर
    = 30 x 120 x cos 60
    = 30 x 120 x  \frac { 1 }{ 2 }
    = 1800 J
    P=\frac { W }{ t }
    शक्ति P =  \frac { 1800J }{ 60S }  = 30 W

    प्रश्न 21.
    यदि एक रेफ्रिजरेटर की औसत शक्ति 100 w है तो एक दिन में रेफ्रिजरेटर द्वारा खर्च की गई ऊर्जा की गणना यूनिटों में कीजिये।
    हल-
    शक्ति P = 100
    W = 0.1 kW ∵ 1 kW = 1000 W
    समय (t) = 24 h
    ऊर्जा = p x t = 0.1 kW x 24 h
    = 2.4 kwh
    = 2.4 यूनिट ∵ 1 kwh = 1 यूनिट
    अतः रेफ्रिजरेटर 2.4 यूनिट विद्युत ऊर्जा एक दिन में खर्च करेगा।

    प्रश्न 22.
    (अ) 40 kg की एक वस्तु पर एक बल लगाने से इसका वेग 1 मीटर/सेकण्ड से बढ़कर 2 मीटर/सेकण्ड हो जाता है। बल द्वारा किया गया कार्य ज्ञात कीजिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    (ब) K = 4 x 103 N/m स्प्रिंग नियतांक की एक स्प्रिंग को 2 सेमी संपीडित करने में स्प्रिंग में संचित स्थितिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    हल-
    (अ) दिया है
    m = 40 kg
    u = 1 m/s
    v = 2 m/s
    किया गया कार्य (W) = गतिज ऊर्जा में परिवर्तन ।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 22
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 11 कार्य, ऊर्जा और शक्ति 22.1

  • Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा

    Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा

    पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

    बहुचयनात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    5 वोल्ट की बैटरी से यदि किसी चालक में 2 ऐम्पीयर की धारा प्रवाहित की। जाती है तो चालक का प्रतिरोध होगा-
    (क) 3 ओम
    (ख) 2.5 ओम
    (ग) 10 ओम
    (घ) 2 ओम

    प्रश्न 2.
    प्रतिरोधकता निम्न में से किस पर निर्भर करती है?
    (क) चालक की लम्बाई पर
    (ख) चालक के अनुप्रस्थ काट पर
    (ग) चालक के पदार्थ पर
    (घ) इसमें से किसी पर नहीं

    प्रश्न 3.
    वोल्ट किसका मात्रक है
    (क) धारा
    (ख) विभवान्तर
    (ग) आवेश
    (घ) कार्य

    प्रश्न 4.
    एक विद्युत परिपथ में 1Ω, 2Ω व 3Ω के तीन चालक तार श्रेणीक्रम में लगे हैं। इसका तुल्य प्रतिरोध होगा
    (क) 1 ओम से कम
    (ख) 3 ओम से कम
    (ग) 1 ओम से ज्यादा
    (घ) 3 ओम से ज्यादा

    प्रश्न 5.
    भारत में प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति है
    (क) 45 हज
    (ख) 50 हज
    (ग) 55 हज
    (घ) 60 हर्ट्ज

    प्रश्न 6.
    विभिन्न मान के प्रतिरोधों को समान्तर क्रम में जोड़कर उन्हें विद्युत स्रोत से जोड़ने पर प्रत्येक प्रतिरोध तार में
    (क) धारा और विभवान्तर का मान भिन्न-भिन्न होगा
    (ख) धारा और विभवान्तर का मान समान होगा
    (ग) धारा भिन्न-भिन्न होगी परन्तु विभवान्तर एक समान होगी।
    (घ) धारा समान होगी परन्तु विभवान्तर भिन्न-भिन्न होगा

    प्रश्न 7.
    किसी विद्युत परिपथ में 0.5 सेकण्ड में 2 कूलॉम आवेश प्रवाहित होता है। विद्युत धारा का मान ऐम्पीयर में होगा
    (क) 1 ऐम्पीयर
    (ख) 4 ऐम्पीयर
    (ग) 1.5 ऐम्पीयर
    (घ) 10 ऐम्पीयर

    प्रश्न 8.
    विद्युत के ऊष्मीय प्रभाव पर आधारित युक्ति नहीं है
    (क) हीटर
    (ख) प्रेस
    (ग) टोस्टर
    (घ) रेफ्रीजिरेटर

    उत्तरमाला-
    1. (ख)
    2. (ग)
    3. (ख)
    4. (घ)
    5. (ख)
    6. (ग)
    7. (ख)
    8. (घ)

    अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

    प्रश्न 9.
    विशिष्ट प्रतिरोध अथवा प्रतिरोधकता का मात्रक क्या होता है?
    उत्तर-
    ओम X मीटर

    प्रश्न 10.
    विद्युत धारा की परिभाषा दीजिये।
    उत्तर-
    ”किसी भी विद्युत परिपथ में किसी बिन्दु से इकाई समय में गुजरने वाले आवेश की मात्रा को विद्युत धारा कहते हैं।” अथवा “आवेशों में प्रवाह की दर को ही विद्युत धारा कहते हैं।”
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 10

    प्रश्न 11.
    विद्युत विभव किसे कहते हैं ?
    उत्तर-
    ”किसी बिन्दु पर विद्युत विभव अनन्त से एकांक धन आवेश को उस बिन्दु तक लाने में किये गये कार्य के बराबर होता है।”

    प्रश्न 12.
    1 ओम प्रतिरोध किसे कहते हैं ?
    उत्तर-
    यदि किसी चालक तार में 1 ऐम्पीयर की धारा प्रवाहित करने पर उसके सिरों के मध्य 1 वोल्ट विभवान्तर उत्पन्न होता है तो उस चालक तार का प्रतिरोध 1 ओम कहलाता है।

    प्रश्न 13.
    प्रतिरोध अनुप्रस्थ काट पर कैसे निर्भर करता है?
    उत्तर-
    प्रतिरोध (R) अनुप्रस्थ काट (A) के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अर्थात् R ∝  \frac { 1 }{ A }

    प्रश्न 14.
    प्रतिरोधकता की परिभाषा दीजिये।
    उत्तर-
    हम जानते हैं- K=\frac { RA }{ L }
    यदि A = 1 मीटर², L = 1 मीटर तब K = R
    ” अर्थात् इकाई लम्बाई व इकाई अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल वाले तार का प्रतिरोध ही विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता कहलाती है।”

    प्रश्न 15.
    विद्युत शक्ति किसे कहते हैं ?
    उत्तर-
    “किसी विद्युत परिपथ में धारा प्रवाहित करने पर प्रति सेकण्ड में किया गया कार्य विद्युत शक्ति कहलाता है।”
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 15

    प्रश्न 16.
    एक विद्युत बल्ब पर 100 W – 220 V लिखा है। इसका क्या अभिप्राय है?
    उत्तर-
    यह बल्ब 220 वोल्ट पर एक सैकण्ड में 100 वाट सैकण्ड विद्युत ऊर्जा लेगा या एक घण्टे में 100 वाट घण्टा ऊर्जा लेगा।

    प्रश्न 17.
    घरों में विद्युत का संयोजन किस प्रकार किया जाता है?
    उत्तर-
    समान्तर क्रम में

    लघूत्तरात्मक प्रश्न-

    प्रश्न 18.
    प्रतिरोधों के श्रेणीक्रम संयोजन व समान्तर क्रम संयोजन में क्या अन्तर है?
    उत्तर-
    श्रेणीक्रम एवं समान्तर क्रम संयोजन में अन्तर–
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 18

    प्रश्न 19.
    विद्युत शक्ति किसे कहते हैं? इसके लिए आवश्यक सूत्र लिखिए।
    उत्तर-
    किसी विद्युत परिपथ में धारा प्रवाहित करने पर प्रति सेकण्ड में किया गया कार्य विद्युत शक्ति कहलाता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 19

    प्रश्न 20.
    दो प्रतिरोध तार एक ही पदार्थ के बने हुए हैं। इनकी लम्बाइयाँ समान हैं। यदि इनके अनुप्रस्थ काटों के क्षेत्रफल का अनुपात 2:11 है तो इनके प्रतिरोधों का अनुपात ज्ञात करो।
    उत्तर-
    दिया गया है कि दोनों तार समान पदार्थ के बने हैं अतः उनकी प्रतिरोधकता समान होगी अर्थात्
    ρ1 = ρ2 = ρ
    तथा लम्बाई भी समान है।
    इसलिए l1 = l2 = l
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 20
    लेकिन दिया गया है कि
    A1 : A2 = 2 : 11
    अतः R1 : R2 = 11 : 2 Ans.

    प्रश्न 21.
    विद्युत विभव व विभवान्तर को परिभाषित करो।
    उत्तर-
    विद्युत विभव-“एकांक धन आवेश को अनन्त से विद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु तक बिना त्वरित किये लाने में जो कार्य होता है उस बिन्दु पर विद्युत विभव कहलाता है।”
    यदि किसी धन आवेश Q को अनन्त से विद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य W हो तो उस बिन्दु पर विद्युत विभव V होगा।
    V=\frac { W }{ Q }
    यदि W = 1 जूल और Q= 1 कूलॉम हो तो
    V =  \frac { 1 }{ 1 }  = 1 वोल्ट होगा।
    अर्थात् 1 कूलॉम आवेश को अनन्त से विद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु तक लाने में 1 जूल कार्य करना पड़ता है तो उस बिन्दु का विभव 1 वोल्ट होता है।
    विभवान्तर विद्युत क्षेत्र में किसी एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक एकांक धन आवेश को बिना त्वरित किये ले जाने के लिए जितना कार्य करना पड़ता है, वह उन दो बिन्दुओं के मध्य विभवान्तर होता है।
    अतः दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 21
    वैद्युत विभवान्तर का SI मात्रके वोल्ट होता है। विभवान्तर की माप एक यंत्र द्वारा की जाती है, जिसे वोल्टमीटर कहते हैं।

    प्रश्न 22.
    प्रत्यावर्ती धारा जनित्र एवं दिष्ट धारा जनित्र में क्या अन्तर हैं?
    उत्तर-
    प्रत्यावर्ती धारा जनित्र तथा दिष्ट धारा जनित्र में अन्तर
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 22

    प्रश्न 23.
    दक्षिणावर्त हस्त का नियम लिखो।
    उत्तर-
    दक्षिण हस्ते का नियम (Right handed law)-इस नियम के अनुसार धारावाही चालक को दाहिने हाथ से इस प्रकार पकड़े कि अंगूठा धारा की दिशा में रहे तो मुड़ी हुई अंगुलियां चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को व्यक्त करेंगी।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 23

    प्रश्न 24.
    1 किलोवाट घंटा में जूल की संख्या ज्ञात करो।
    उत्तर- 1 किलोवाट घण्टा = 103 x 60 x 60 वाट x सेकण्ड
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 24
    = 36 x 105 जूल

    प्रश्न 25.
    जूल के तापन के नियम लिखो।
    उत्तर-
    जूल के ऊष्मीय नियमानुसार किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित करने से उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा अग्रलिखित आधारों पर निर्भर करती है

    1. उत्पन्न ऊष्मा दिये गये प्रतिरोध तार में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के वर्ग के समानुपाती होती है।
      H ∝ I²
    2. उत्पन्न ऊष्मा दिये गये प्रतिरोध के समानुपाती होती है।
      H ∝ R
    3. उत्पन्न ऊष्मा प्रतिरोध में धारा प्रवाह के समय t समानुपाती होती है।
      H ∝ t
      इसलिए उपर्युक्त तीनों मिलाने पर
      H ∝ I²Rt

    प्रश्न 26.
    ओम के नियम का प्रायोगिक सत्यापन का परिपथ का नामांकित चित्र बनाओ।
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 26
    चित्र-ओम नियम का प्रायोगिक सत्यापन का परिपथ का चित्र

    निबन्धात्मक प्रश्न
    प्रश्न 27.
    प्रत्यावर्ती धारा जनित्र की बनावट एवं कार्य विधि समझाइये। आवश्यक नामांकित चित्र बनाओ।
    उत्तर-
    प्रत्यावर्ती धारा जनित्र-शादी विवाह में मैरिज हॉल या मैरिज गार्डन में आपने देखा होगा, जब बिजली बन्द हो जाती है तो लाइट डेकोरेशन को चालित करने के लिए हॉल या गार्डन के बाहर डीजल से चलने वाली एक युक्ति होती है, जिसे प्रत्यावर्ती धारा जनित्र कहते हैं।

    “वास्तव में प्रत्यावर्ती धारा जनित्र एक ऐसी युक्ति है जो यांत्रिक ऊर्जा को प्रत्यावर्ती ऊर्जा में बदलता है।”

    सिद्धान्त-
    विद्युत जनित्र, विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है। जब किसी शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र में किसी कुण्डली को घुमाया जाता है, तो उसमें से होकर गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होता रहता है। इसके कारण कुण्डली में एक विद्युत वाहक बल तथा विद्युत धारा प्रेरित हो जाती है।

    कुण्डली को घुमाने में जो कार्य किया जाता है, वह विद्युत ऊर्जा के रूप में बदल जाता है। यही विद्युत जनित्र का सिद्धान्त है।
    बनावट-विद्युत जनित्र के निम्न भाग होते हैं

    • क्षेत्र चुम्बक- यह एक शक्तिशाली विद्युत चुम्बक होता है, जिसकी कुण्डली में दिष्ट धारा प्रवाहित करके इसको चुम्बक बनाया जाता है।
    • आर्मेचर- यह एक आयताकार कुण्डली होती है, जिसे कच्चे लोहे के क्रोड पर पृथक्कृत ताँबे के तार को लपेटकर बनाया जाता है। अग्र चित्र में इसे ABCD से दिखाया गया है। इस कुण्डली को ध्रुवों N व S के बीच रखा जाता है।
    • सपवलय- कुण्डली के तार के दोनों सिरे धातु के दो वलयों R1 तथा R2 से संयोजित होते हैं एवं आर्मेचर के साथ-साथ घूमते हैं। इनको सवलय (Slip Rings) कहते हैं। ये परस्पर तथा धुरादण्ड से पृथक्कत होते हैं।
    • ब्रश- सवलय दो कार्बन की पत्तियों को स्पर्श करते रहते हैं, जिन्हें ब्रश कहते हैं। चित्र में इन्हें B1 वे B2 से दिखाया गया है। ये ब्रश स्थिर रहते हैं तथा इनको क्रमशः वलयों R1 व R2 पर दबाकर रखा जाता है। दोनों ब्रशों के बाहरी सिरे, बाहरी परिपथ में विद्युत धारा के प्रवाह को दर्शाने के लिए गैल्वेनोमीटर से संयोजित होते हैं।

    कार्यविधि- जब दो वलयों से जुड़ी धुरी को इस प्रकार घुमाया जाता है कि कुण्डली की भुजा AB ऊपर की ओर तथा भुजा CD नीचे की ओर, स्थायी चुम्बक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र में गति करती है तो कुण्डली चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं को काटती है। माना कि कुण्डली ABCD को चित्र में दिखाये अनुसार दक्षिणावर्त घुमाया जाता है, तब फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियमानुसार, इन भुजाओं में AB तथा CD दिशाओं के अनुदिश प्रेरित विद्युत धाराएँ प्रवाहित होने लगती हैं। इस प्रकार, कुण्डली में ABCD दिशा में प्रेरित विद्युत धारा प्रवाहित होती है। यदि कुण्डली में फेरों की संख्या अधिक है तो प्रत्येक फेरे में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा परस्पर संकलित होकर कुण्डली में एक शक्तिशाली विद्युत धारा का निर्माण करती है और बाह्य परिपथ में विद्युत धारा B2 से B1 की दिशा में प्रवाहित होती है।

    जैसे ही कुण्डली अपनी अर्धघूर्णन स्थिति से गुजरेगी भुजा AB नीचे की ओर तथा भुजा CD ऊपर की ओर जाने लगती है। फलस्वरूप इन दोनों भुजाओं में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा परिवर्तित हो जाती है और DCBA के अनुदिश नेट प्रेरित विद्युत धारा प्रवाहित होती है। इस प्रकार अब बाह्य परिपथ में B1 से B2 की दिशा में विद्युत धारा प्रवाहित होती है। अतः प्रत्येक आधे घूर्णन के बाद इन भुजाओं में विद्युत धारा की ध्रुवता परिवर्तित होती रहती है। इस प्रकार की धारा ‘प्रत्यावर्ती धारा (अर्थात् ac) कहलाती है तथा विद्युत उत्पन्न करने की इस युक्ति को प्रत्यावर्ती विद्युत धारा जनित्र’ (ac जनित्र) कहते हैं।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 27

    ब्रशों का कार्य–विद्युत जनित्र में ताँबे की दो पत्तियाँ B1 तथा B2 सर्दीवलयों (R1 एवं R2) से जुड़ी रहती हैं, इन्हें ब्रश कहते हैं। ये घूमने वाली कुण्डली में प्रत्येक आधे चक्कर के बाद बाह्य परिपथ में धारा की दिशा बदल देते हैं।

    प्रश्न 28.
    श्रेणीक्रम संयोजन का परिपथ चित्र बनाते हुए तुल्य प्रतिरोध का आवश्यक सूत्र स्थापित करो।
    उत्तर-
    श्रेणीक्रम संयोजन-प्रतिरोधकों का श्रेणीक्रम संयोजन में एक परिपथ में समान मात्रा में धारा का प्रभाव होता है। इसमें विभवान्तर का योग कुल विभवान्तर के समान होता है। चित्र में तीन प्रतिरोध R1, R2 व R3 श्रेणीक्रम में संयोजित किये गये हैं। प्रतिरोध R1 का पहला सिरा परिपथ से, R1 का दूसरा सिरा R2 के पहले सिरे से, R2 का दूसरा सिरा R3 के पहले सिरे से तथा R3 का दूसरा सिरा परिपथ से संयोजित हैं।

    प्रत्येक प्रतिरोध R1, R2, R3 के समान्तर क्रम में क्रमशः वोल्ट मीटर V1, V2, V3 संयोजित हैं। सेल E, अमीटर A तथा कुंजी K परिपथ में श्रेणीक्रम क्रम में संयोजित हैं। कुंजी K को लगाने पर परिपथ में सेल E से धारा I प्रवाहित होती है तथा बिन्दु P व Q के मध्य विभवान्तर उत्पन्न होता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 28
    श्रेणीक्रम संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोध R1, R2, R3, में प्रवाहित धारा (I) का मान समान होगा, लेकिन प्रतिरोधों का मान अलग-अलग होने से प्रत्येक परिपथ के सिरों पर विभवान्तर अलग-अलग क्रमशः V1, V2, V3 होगा। ओम के नियम से–
    V1 = R1I
    V2 = R2I
    V3 = R3I
    (V1,V2,V3)…..(i)
    तीनों प्रतिरोध तारों का कुल विभवान्तर V हो तो
    V = V1 + V2 + V3 …..(ii)
    यदि सम्पूर्ण परिपथ का तुल्य प्रतिरोध R हो तो
    V = RI
    समीकरण (i), (ii) व (iii) से–
    RI = R1I + R2I + R3I
    या RI = I{R1 + R2 + R3}
    या R = R1 + R2 + R3
    ∴ Rs = R1 + R2 + R3
    अर्थात् प्रतिरोध तारों को श्रेणीक्रम में जोड़ने पर सभी तारों का तुल्य प्रतिरोध प्रत्येक तार प्रतिरोध के जोड़ के बराबर होता है और इस प्रकार संयोजन का प्रतिरोध किसी भी व्यष्टिगत प्रतिरोध के प्रतिरोध से अधिक होता है।
    तीन से अधिक प्रतिरोध होने पर
    R = R1 + R2 + R3 + ………. + Rn
    अथवा
    Rs = R1 + R2 + R3 + R4 +………. + Rn

    प्रश्न 29.
    समान्तर क्रम संयोजन का आवश्यक परिपथ बनाते हुए तुल्य प्रतिरोध का सूत्र ज्ञात करो।
    उत्तर-
    समान्तर क्रम संयोजन-चित्र में तीन प्रतिरोध R1, R2, R3 समान्तर क्रम में संयोजित किये गये हैं। प्रत्येक प्रतिरोध का पहला सिरा एक साथ संयोजित करके A बिन्दु पर एवं प्रत्येक प्रतिरोध का दूसरा सिरा एक साथ संयोजित करके B बिन्दु पर परिपथ में चित्र के अनुसार संयोजन किये गये हैं। इस प्रकार के संयोजन को समान्तर क्रम में संयोजन कहते हैं।
    समान्तर क्रम संयोजन का तुल्य प्रतिरोध का सूत्र
    तीनों प्रतिरोधों के समान्तर क्रम में वोल्ट मीटर (V) तथा परिपथ में कुल प्रवाहित धारा के मान ज्ञात करने हेतु अमीटर A श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है।
    समान्तर क्रम में प्रत्येक प्रतिरोध में प्रवाहित धारा का मान अलग-अलग होगा परन्तु प्रत्येक प्रतिरोध के सिरों पर विभवान्तर समान होगा।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 29
    यदि प्रतिरोध R1, R2, R3 में प्रवाहित धारा का मान क्रमशः I1, I2, I3 हो तथा परिपथ में विभवान्तर V हो तो ओम के नियमानुसार
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 29.1
    परिपथ में कुल धारा I = I1 + I2 + I3 …..(ii)
    समीकरण (i) का मान ii) में रखने पर
    I=\frac { V }{ { R }_{ 1 } } +\frac { V }{ { R }_{ 2 } } +\frac { V }{ { R }_{ 3 } }   …..(iii)
    यदि A तथा B बिन्दुओं के बीच तुल्य प्रतिरोध का मान R हो तो
    I=\frac { V }{ R }  …..(iv)
    समीकरण (iii) व (iv) की तुलना करने पर
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 29.2
    अर्थात् समान्तर क्रम में संयोजित प्रतिरोधों के समूह के तुल्य प्रतिरोध का व्युत्क्रम पृथक् प्रतिरोधों के व्युत्क्रमों के योग के बराबर होता है।
    तीन से अधिक प्रतिरोध होने पर अर्थात् n प्रतिरोध होने पर
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 29.3

    यदि किसी परिपथ में दो प्रतिरोध तार लगे हों तो
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 29

    आंकिक प्रश्न
    प्रश्न 30.
    1Ω, 2Ω व 3Ω के तीन प्रतिरोधों के संयोजन से प्राप्त अधिकतम व न्यूनतम प्रतिरोध ज्ञात करो।
    हल-
    अधिकतम प्रतिरोध हमें श्रेणीक्रम में प्राप्त होता है।
    ∴R = R1 + R2 + R3 से
    R = 1Ω + 2Ω + 3Ω = 6Ω Ans.
    न्यूनतम प्रतिरोध हमें समान्तर क्रम में प्राप्त होता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 30

    प्रश्न 31.
    यदि किसी चालक तार में 10 मिली ऐम्पीयर की धारा प्रवाहित करने पर इसके सिरों पर 2.5 वोल्ट का विभवान्तर उत्पन्न होता है तो चालक तार का प्रतिरोध ज्ञात करो।
    हल-
    दिया है
    I = 10 मिली ऐम्पीयर
    = 10 x 10-3 ऐम्पीयर
    V = 2.5 वोल्ट
    R = ?
    ओम के नियम से V = IR
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 31

    प्रश्न 32.
    निम्न परिपथों में A व B के मध्य तुल्य प्रतिरोध ज्ञात करो
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 32
    हल-
    (a) यहाँ पर हमें A व B के मध्य तुल्य प्रतिरोध ज्ञात करना है।
    सरलतम रूप में परिपथ बनाने पर
    (2Ω + 2Ω) समान्तर 2Ω के हैं।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 32.1
    R = R1 + R2
    ∴R = 2Ω + 2Ω
    = 4Ω
    समान्तर क्रम के लिए (A तथा B के बीच.तुल्य प्रतिरोध का मान)
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 32.2
    (b) दिये गये परिपथ में 2Ω के दो प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जुड़े हैं, ऐसे दो संयोजन समान्तर क्रम में संयोजित हैं। इस परिपथ को निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है
    परिपथ का सरलतम रूप बनाने पर
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 32.3
    यहाँ पर (2Ω + 2Ω) समान्तर है (2Ω + 2Ω) के श्रेणीक्रम के लिए।
    R = R1 + R2 से
    R = 2Ω + 2Ω = 4Ω
    समान्तर क्रम में (A व B के बीच तुल्य प्रतिरोध का मान)
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 32.4
    (c) परिपथ का सरलतम रूप बनाने पर।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 32.8
    यहाँ पर भी (2Ω + 2Ω) समान्तर है (2Ω + 2Ω) के
    श्रेणीक्रम के लिए, R = R1 + R2 से।
    = 2Ω + 2Ω = 4Ω
    समान्तर क्रम में (A व B के बीच तुल्य प्रतिरोध का मान)
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 32.5
    (d) समान्तर क्रम के
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 32.6
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 32.7

    प्रश्न 33.
    एक 1500 वाट की निमज्जन छड़ प्रतिदिन 3 घंटे पानी गर्म करने में काम में आती है। यदि एक यूनिट विद्युत ऊर्जा का मूल्य 5.00 रुपए है। तो 30 दिन में उपयोग हुई विद्युत का मूल्य कितना होगा?
    हल-
    दिया है- P= 1500 वाट
    t = 3 घण्टे
    खपत विद्युत ऊर्जा प्रतिदिन
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 33
    हम जानते हैं
    1 KWh = 1 यूनिट
    इसलिए 1 दिन की खपत ऊर्जा = 4.5 यूनिट
    30 दिन की खपत ऊर्जा = 4.5 x 30 = 135 यूनिट
    अतः विद्युत का मूल्य = 135 x 5 रुपये।
    = 675 रुपये Ans.

    अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

    वस्तुनिष्ठ प्रश्न
    प्रश्न 1.
    विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं
    (अ) जनित्र
    (ब) गैल्वेनोमीटर
    (स) ऐमीटर
    (द) मीटर

    प्रश्न 2.
    किसी ac जनित्र तथा dc जनित्र में एक मूलभूत अंतर यह है कि
    (अ) ac जनित्र में विद्युत चुंबक होता है जबकि dc मोटर में स्थायी चुंबक होता है।
    (ब) dc जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
    (स) ac जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
    (द) ac जनित्र में सवलय होते हैं जबकि dc जनित्र में दिकुपरिवर्तक होता है।

    प्रश्न 3.
    एक चालक तार में धारा प्रवाहित करने से उत्पन्न चुम्बकीय बल रेखाओं की दिशा होती है, चालक के
    (अ) लम्बवत् बाहर की ओर
    (ब) लम्बवत् अन्दर की ओर
    (स) समानान्तर
    (द) चारों ओर वृत्ताकार

    प्रश्न 4.
    चुम्बकीय फ्लक्स का मात्रक है
    (अ) वेबर
    (ब) ऐम्पियर
    (स) वोल्ट
    (द) वेबर-मीटर

    प्रश्न 5.
    प्रत्यावर्ती धारा जनित्र के आर्मेचर में प्रेरित विद्युत वाहक बल निर्भर करता
    (अ) केवल आर्मेचर के घूर्णन पर
    (ब) केवल आर्मेचर के घेरों की संख्या पर
    (स) केवल आर्मेचर के क्षेत्रफल पर
    (द) आर्मेचर के घूर्णन वेग, घेरों की संख्या एवं क्षेत्रफल पर

    प्रश्न 6.
    विद्युत तथा चुम्बकत्व के मध्य सम्बन्ध की खोज किसने की ?
    (अ) न्यूटन
    (ब) फैराडे
    (स) मैक्सवैल
    (द) ओरस्टेड

    प्रश्न 7.
    ‘ओम x मीटर’ निम्नलिखित में से राशि का मात्रक है
    (अ) प्रतिरोध
    (ब) प्रतिरोधकता
    (स) धारा
    (द) विभवान्तर

    प्रश्न 8.
    विभिन्न मान के प्रतिरोध तारों को श्रेणीक्रम में जोड़कर उन्हें विद्युत स्रोत से सम्बद्ध करने पर प्रत्येक प्रतिरोध में
    (अ) धारा और विभवान्तर का मान भिन्न-भिन्न होता है।
    (ब) धारा और विभवान्तर का मान समान होता है।
    (स) धारा समान बहती है लेकिन प्रत्येक का विभवान्तर भिन्न-भिन्न होता है।
    (द) धारा का मान भिन्न-भिन्न होता है लेकिन सभी पर विभवान्तर समान होता है।

    प्रश्न 9.
    विद्युत परिपथ में धारा का मापन करने वाला उपकरण है
    (अ) धारा नियंत्रक
    (ब) वोल्टमीटर।
    (स) अमीटर
    (द) ओममीटर

    प्रश्न 10.
    किसी चालक का विशिष्ट प्रतिरोध निर्भर करता है
    (अ) चालक की लम्बाई पर।
    (ब) चालक के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर
    (स) चालक के पदार्थ पर
    (द) चालक की आकृति पर

    उत्तरमाला–
    1. (अ)
    2. (द)
    3. (द)
    4. (अ)
    5. (द)
    6. (द)
    7. (ब)
    8. (स)
    9. (स)
    10. (स)

    अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

    प्रश्न 1.
    विद्युत परिपथ का क्या अर्थ है ?
    उत्तर-
    किसी विद्युत धारा के सतत तथा बन्द पथ को विद्युत परिपथ कहते हैं। इसमें एक विभवान्तर स्रोत अथवा विद्युत ऊर्जा (अर्थात् सेल अथवा बैटरी) तथा एक विद्युत ऊर्जा को व्यय करने वाला उपकरण अवश्य लगा होता है।

    प्रश्न 2.
    उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों पर विभवान्तर बनाये रखने में सहायता करती है।
    उत्तर-
    विद्युत सेल या बैटरी।

    प्रश्न 3.
    यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर 1V है?
    उत्तर-
    इसका अर्थ है कि किसी विद्युत धारावाही चालक के दो बिन्दुओं के बीच एक कूलॉम आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में 1 जूल कार्य करना होगा।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 3

    प्रश्न 4.
    6V बैटरी से गुजरने वाले एक कूलॉम आवेश को कितनी ऊर्जा दी जाती है?
    उत्तर-
    ∵ ऊर्जा = आवेश x विभवान्तर
    ∴ऊर्जा = 1C x 6V
    = 6 जूल
    अतः प्रत्येक एक कूलॉम आवेश को 6 जूल (J) ऊर्जा दी जायेगी।

    प्रश्न 5.
    ओम के नियम के सत्यापन में चालक के लिए विभवान्तर (V) तथा धारा (I) के मध्य कैसा ग्राफ प्राप्त होता है?
    उत्तर-
    सीधी रेखा।

    प्रश्न 6.
    ओम के नियम में कौनसी भौतिक राशियाँ नियत रहनी चाहिए?
    उत्तर-

    • तार की लम्बाई
    • तार की मोटाई
    • ताप

    प्रश्न 7.
    समान पदार्थ के दो तारों में यदि एक पतला तथा दूसरा मोटा हो तो इनमें से किसमें विद्युत धारा आसानी से प्रवाहित होगी जबकि उन्हें समान विद्युत स्रोत से संयोजित किया जाता है? क्यों?
    उत्तर-
    चूँकि तार का प्रतिरोध R∝ \frac { 1 }{ A }  होता है अतः मोटे तौर पर अनुप्रस्थ क्षेत्रफल अधिक होने से, इसका प्रतिरोध कम होगा। इसलिए मोटे तार से धारा आसानी से प्रवाहित हो जायेगी।

    प्रश्न 8.
    किसी विद्युत परिपथ में दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर मापने के लिए वोल्टमीटर को किस प्रकार संयोजित किया जाता है?
    उत्तर-
    वोल्टमीटर को समानान्तर क्रम में संयोजित किया जाता है।

    प्रश्न 9.
    दिए गए परिपथ चित्र संयोजन में 10Ω प्रतिरोध से प्रवाहित धारा I2 ज्ञात कीजिए।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 9
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 9.1

    प्रश्न 10.
    किसी विद्युत बल्ब के तंतु में से 0.25 एम्पियर विद्युत धारा 20 मिनट तक प्रवाहित होती है। विद्युत परिपथ से प्रवाहित विद्युत आवेश का परिमाण ज्ञात कीजिए।
    उत्तर-
    I = 0.25 A, t = 20 min = 1200 सेकण्ड
    हम जानते हैं- Q = It
    = 0.25 x 1200
    आवेश = 300 कूलॉम

    प्रश्न 11.
    किसी विद्युत बल्ब के तन्तु में 300 C आवेश 5 मिनट तक प्रवाहित होता है। विद्युत परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा का परिमाण ज्ञात कीजिए।
    उत्तर-
    यहाँ दिया गया है- Q = 300 C तथा t = 5 मिनिट = 5 x 60 = 300 सेकण्ड
    हम जानते हैं कि धारा (I) =  \frac { Q }{ t } =\frac { 300 }{ 300 } =1  ऐम्पियर

    प्रश्न 12.
    किसी परिपथ में 5 मिनट में 60 कूलॉम आवेश प्रवाहित होता है, परिपथ में धारा की गणना कीजिए।
    उत्तर-
    दिया है- t = 5 मिनट या 5 x 60 = 300 सेकण्ड
    Q = 60 कूलॉम
    ∵ Q = It
    ∴ t =  \frac { Q }{ t } =\frac { 60 }{ 300 } =1  = 0.2A

    प्रश्न 13.
    2 ओम, 3 ओम तथा 6 ओम के तीन प्रतिरोधों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि संयोजन का कुल प्रतिरोध 1 ओम हो।
    उत्तर-
    तीनों प्रतिरोधों को पार्श्वक्रम (समानान्तर क्रम) में संयोजित करने पर कुल प्रतिरोध 1 ओम होगा।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 13

    प्रश्न 14.
    दिए गए विद्युत परिपथ में परिणामी प्रतिरोध कितना है?
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 14
    उत्तर-
    परिपथ में प्रतिरोध श्रेणी क्रम में संयोजित है। अतः श्रेणीक्रम में कुल प्रतिरोध R = R1 + R2
    ∴R = 2 + 2 = 4 ओम

    प्रश्न 15.
    ओम का नियम लिखिए।
    उत्तर-
    ओम नियम के अनुसार निश्चित ताप पर किसी चालक के सिरों के मध्य विभवान्तर उसमें प्रवाहित होने वाली धारा के अनुक्रमानुपाती होता है। अर्थात् V∝I
    या V= IR (यहाँ R एक स्थिरांक है, जिसे चालक का प्रतिरोध कहते हैं।)

    प्रश्न 16.
    प्रतिरोधकता किन कारकों पर निर्भर करती है?
    उत्तर-

    • चालक के पदार्थ पर
    • चालक के ताप पर।

    प्रश्न 17.
    घरों में प्रयुक्त किये जाने वाले संयंत्रों को किस क्रम में जोड़ा जाता है?
    उत्तरे-
    समान्तर क्रम में

    प्रश्न 18.
    यदि समान प्रतिरोध R वाले n तारों को

    1. समान्तर क्रम में
    2. श्रेणीक्रम में जोड़ा जाये तो प्रत्येक दशा में तुल्य प्रतिरोध क्या होगा?

    उत्तर-

    1. समान्तर क्रम में =  \frac { R }{ n }
    2. श्रेणीक्रम में = nR

    प्रश्न 19.
    विद्युत ऊर्जा किसे कहते हैं?
    उत्तर-
    विद्युत धारा द्वारा किसी कार्य को करने की क्षमता को विद्युत ऊर्जा कहते हैं।

    प्रश्न 20.
    विद्युत आवेश का मात्रक क्या है?
    उत्तर-
    कूलॉम।

    प्रश्न 21.
    इलेक्ट्रॉन पर आवेश का मान लिखिए।
    उत्तर-
    1.6 x 10-19 कूलॉम।

    प्रश्न 22.
    अमीटर का प्रतिरोध कितना होता है?
    उत्तर-
    इसका प्रतिरोध अल्प (लगभग शून्य) होता है।

    प्रश्न 23.
    यदि किसी परिपथ में एक कूलॉम आवेश 1 सेकण्ड तक प्रवाहित होता है तो परिपथ में प्रवाहित धारा का मान कितना होगा?
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 23
    ∴परिपथ में प्रवाहित धारा = 1 ऐम्पियर

    प्रश्न 24.
    किसी परिपथ में लगे अमीटर व वोल्ट मीटर किन-किन राशियों का मापन करते हैं?
    उत्तर-
    अमीटर परिपथ में प्रवाहित धारा के मान को ज्ञात करता है और वोल्ट मीटर परिपथ में दो बिन्दुओं के मध्य विभवान्तर ज्ञात करता है।

    प्रश्न 25.
    जूल/कूलॉम किस भौतिक राशि का मात्रक है?
    उत्तर-
    विद्युत विभव का।

    प्रश्न 26.
    अमीटर को विद्युत परिपथ में कौनसे क्रम में लगाया जाता है?
    उत्तर-
    अमीटर को सदैव परिपथ में श्रेणीक्रम में लगाया जाता है।

    प्रश्न 27.
    किसी पदार्थ की प्रतिरोधकता किस बात पर निर्भर करती है?
    उत्तर-
    पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करती है।

    प्रश्न 28.
    विशिष्ट प्रतिरोध का मात्रक लिखिए।
    उत्तर-
    ओम x मीटर।

    प्रश्न 29.
    ओम के नियम में V-I में खींचा गया ग्राफ किस तरह का होता है?
    उत्तर-निक्रोम तार के लिए V-I ग्राफ सरल रेखीय ग्राफ दर्शाता है। जैसेजैसे तार में प्रवाहित विद्युत धारा बढ़ती है, विभवान्तर रैखिकतः बढ़ता है।

    प्रश्न 30.
    धारा नियंत्रक किसे कहते हैं?
    उत्तर-
    किसी विद्युत परिपथ में परिपथ के प्रतिरोध को परिवर्तित करने के लिए प्रायः एक युक्ति का उपयोग करते हैं, जिसे धारा नियंत्रक कहते हैं।

    प्रश्न 31.
    पदार्थ की वैद्युत प्रतिरोधकता से क्या तात्पर्य है?
    उत्तर-
    किसी चालक की प्रतिरोधकता उस चालक के प्रतिरोध के बराबर होती है, जिसकी अनुप्रस्थ काट तथा लम्बाई इकाई है। इसका SI मात्रक Ωm है।

    प्रश्न 32.
    श्रेणीक्रम संयोजन किसे कहते हैं?
    उत्तर-
    यदि किसी विद्युत परिपथ में R1, R2 तथा R3 प्रतिरोध के तीन प्रतिरोधकों को जब एक सिरे से दूसरे सिरे को मिलाकर जोड़ा गया हो तो इस संयोजन को श्रेणीक्रम संयोजन कहते हैं।

    प्रश्न 33.
    पाश्र्वक्रम संयोजन किसे कहते हैं?
    उत्तर-
    प्रतिरोधकों का एक ऐसा संयोजन जिसमें तीन प्रतिरोध एक साथ बिन्दुओं X तथा Y के बीच संयोजित हों तो इस संयोजन को पावक्रम संयोजन कहते हैं।

    प्रश्न 34.
    यदि किसी परिपथ में प्रतिरोध का मान घटाना हो तो हमें क्या करना चाहिए?
    उत्तर-
    किसी परिपथ में प्रतिरोध घटाने के लिए प्रतिरोध को समानान्तर क्रम में जोड़ा जाता है।

    प्रश्न 35.
    किस धातु का प्रयोग प्रायः फ्यूज बनाने के लिए किया जाता है?
    उत्तर-
    ताँबा अथवा टिन-सीसा मिश्र धातु का।

    प्रश्न 36.
    किसी चालक में उत्पन्न ऊष्मा इसमें प्रवाहित धारा के…………की समानुपाती होती है।
    उत्तर-
    वर्ग

    प्रश्न 37.
    किसी चालक में उत्पन्न ऊष्मा चालक के………….की अनुक्रमानुपाती होती है।
    उत्तर-
    प्रतिरोध।।

    प्रश्न 38.
    किस संयोजन में तुल्य प्रतिरोध का मान अधिकतम होता है?
    उत्तर-
    श्रेणीक्रम में।

    प्रश्न 39.
    प्रतिरोधों के समान्तर क्रम संयोजन में सभी प्रतिरोधों में कौनसी राशि समान रहती है?
    उत्तर-
    इस संयोजन में सभी प्रतिरोधी तारों के सिरों पर विभवान्तर (V) समान होता है।

    प्रश्न 40.
    एक तार को खींचकर उसकी त्रिज्या पहले की आधी कर दी जाती है। अब तार का प्रतिरोध क्या होगा?
    उत्तर-
    त्रिज्या को आधा करने पर तार के परिच्छेद का क्षेत्रफल एक-चौथाई हो जाता है और लम्बाई चार गुनी हो जाएगी अतः अब तार का प्रतिरोध सोलह गुना हो जाएगा।

    प्रश्न 41.
    विद्युत मोटर का क्या सिद्धान्त है?
    उत्तरे-
    विद्युत मोटर का सिद्धान्त-जब किसी कुंडली को चुम्बकीय क्षेत्र में रखकर उसमें धारा प्रवाहित की जाती है, तो कुंडली पर एक बल युग्म कार्य करने लगता है, जो कुंडली को उसके अक्ष पर घुमाने का कार्य करता है। यही विद्युत मोटर का सिद्धान्त है।

    प्रश्न 42.
    1 मेगावाट में कितने वाट तथा किलोवाट होते हैं ?
    उत्तर-
    1 मेगावाट = 106 वाट
    1 मेगावाट = 103 किलोवाट

    प्रश्न 43.
    220 V पर 1 KW विद्युत हीटर या 100 W बल्ब में से किसका प्रतिरोध अधिक होगा?
    उत्तर-
    100 W बल्ब का प्रतिरोध अधिक होगा, क्योंकि  R=\frac { { V }^{ 2 } }{ P }

    प्रश्न 44.
    दो बल्बों के प्रतिरोधों का अनुपात 1: 3 है। इनको समान्तर क्रम (पावं क्रम) में एक अचर वोल्ट पर स्रोत से जोड़ा गया है। इनकी शक्तियों में क्या अनुपात होंगे?
    उत्तर-
    हम जानते हैं  P=\frac { { V }^{ 2 } }{ R }
    उपरोक्त सूत्र में V नियत होने पर  P\propto \frac { 1 }{ R }
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 44

    प्रश्न 45.
    चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा किस ओर होती है?
    उत्तर-
    चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्षेत्र के किसी बिन्दु पर रखी कम्पास सुई के दक्षिणी ध्रुव की ओर खींची गई रेखा की दिशा में होती है।

    प्रश्न 46.
    किसी परिनालिका के बीच सभी बिन्दुओं पर चुम्बकीय क्षेत्र कैसा होता है?
    उत्तर-
    सभी बिन्दुओं पर चुम्बकीय क्षेत्र समान होता है।

    प्रश्न 47.
    विद्युत जनित्र का सिद्धान्त लिखिए।
    उत्तर-
    विद्युत चुम्बकीय प्रेरण पर आधारित विद्युत जनित्र का मूल सिद्धान्त है। कि जब किसी कुण्डली को चुम्बकीय क्षेत्र में घुमाया जाता है तो कुण्डली में से गुजरने वाली चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं में परिवर्तन होता है, जिसके कारण कुण्डली में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है।”

    प्रश्न 48.
    दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखिए।
    उत्तर-
    दिष्ट धारा के कुछ मुख्य स्रोत हैं

    • शुष्क सेल
    • स्टोरेज सेल
    • बैटरी या विद्युत सेल
    • डी.सी. जनित्र (दिष्ट धारा जनित्र/डायनेमो)

    प्रश्न 49.
    प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करने वाले स्रोतों के नाम लिखिए।
    उत्तर-
    प्रत्यावर्ती विद्युत धारा के स्रोतों के नाम हैं

    • A.C. जनरेटर (जनित्र)
    • जल विद्युत धारा।

    प्रश्न 50.
    किसी चुम्बक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा किसी बिन्दु पर किस तरह से ज्ञात करते हैं?
    उत्तर-
    चुम्बकीय क्षेत्र के उस बिन्दु पर दिक्सूचक सूई को रखते हैं। इस सूई के उत्तरी ध्रुव की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को दर्शाती है।

    प्रश्न 51.
    चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा क्या होती है?
    उत्तर-
    चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा चुम्बक के उत्तरी ध्रुव से दक्षिण ध्रुव की ओर बन्द वक्र के समान होती है।

    प्रश्न 52.
    यदि सीधे तार में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा को उत्क्रमित कर दिया जाये तो क्या चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा भी उत्क्रमित हो जाएगी?
    उत्तर-
    हाँ, चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा भी उत्क्रमित हो जाएगी।

    प्रश्न 53.
    संकेन्द्रीय वृत्ताकार रेखाएँ क्या निरूपित करती हैं?
    उत्तर-
    ये चुम्बकीय क्षेत्र की रेखाओं को दर्शाती हैं।

    प्रश्न 54.
    उस नियम का नाम लिखिए जिसकी मदद से धारावाही चालक पर चुम्बकीय क्षेत्र में लगने वाले बल की दिशा ज्ञात करते हैं।
    उत्तर-
    फ्लेमिंग का वामहस्त को नियम।।

    प्रश्न 55.
    चुम्बकीय फ्लक्स क्या होता है?
    उत्तर-
    किसी चुम्बकीय क्षेत्र में पृष्ठ के लम्बवत् गुजरने वाली कुल चुम्बकीय बल रेखाओं को चुम्बकीय फ्लक्स कहते हैं। इसका मात्रक वेबर होता है।

    प्रश्न 56.
    विद्युत चुम्बकीय प्रेरण किसे कहते हैं?
    उत्तर-
    जब कभी भी किसी विद्युत चालक (कुण्डली) और चुम्बक से सम्बद्ध चुम्बकीय क्षेत्र के मध्य सापेक्ष गति होती है तो कुण्डली में प्रेरण के कारण विद्युत धारा प्रवाहित होती है। इस प्रभाव को विद्युत चुम्बकीय प्रेरण कहते हैं।

    प्रश्न 57.
    विद्युत मोटर किस ऊर्जा को किस ऊर्जा में रूपान्तरित करता है?
    उत्तर-
    विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में।

    प्रश्न 58.
    विद्युत मोटर व विद्युत जनित्र के सिद्धान्त में क्या अन्तर है?
    उत्तर-
    विद्युत मोटर में विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में तथा विद्युत जनित्र में यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है।

    प्रश्न 59.
    नर्म लोहे के क्रोड एवं कुण्डली को मिलाकरे क्या कहते हैं ?
    उत्तर-
    आर्मेचर।

    प्रश्न 60.
    विद्युत मोटर व विद्युत जनित्र में अन्तर लिखिए।
    उत्तर-
    विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है जबकि विद्युत जनित्र यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है।

    प्रश्न 61.
    बैटरी चार्जर में कौनसी विद्युत धारा का प्रयोग होता है?
    उत्तर-
    दिष्ट धारा का।

    प्रश्न 62.
    प्रत्यावर्ती धारा जनित्र में प्रेरित विद्युत धारा का मान किन-किन घटकों पर निर्भर करता है?
    उत्तर-
    कुण्डली में घेरों की संख्या, कुण्डली का क्षेत्रफल, घूर्णन वेग तथा चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता पर निर्भर करता है।

    प्रश्न 63.
    चाँदी, ताँबा, सोना व एल्यूमीनियम पदार्थ के चार चालक तार में सबसे अधिक व सबसे कम प्रतिरोध किसका है?
    उत्तर-
    एल्यूमीनियम का प्रतिरोध सबसे अधिक व चाँदी का प्रतिरोध सबसे कम प्राप्त होता है।

    प्रश्न 64.
    विद्युत सेल एवं धारा नियंत्रक का प्रतीक चिह्न बनाइए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18 )
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 64

    प्रश्न 65.
    एक ही पदार्थ व समान लम्बाई के विभिन्न चालक तारों के अनुप्रस्थकाट के क्षेत्रफल (A) एवं प्रतिरोध के मध्य ग्राफ (आरेख) बनाइये। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    उत्तर-
    प्रतिरोध (R) अनुप्रस्थ काट (A) क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 65

    लघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    मान लीजिए किसी वैद्युत अवयव के दो सिरों के बीच विभवान्तर को उसके पूर्व के विभवान्तर की तुलना में घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता है। तब उस अवयव से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा में क्या परिवर्तन होगा?
    उत्तर-
    धारा  I=\frac { V }{ R }
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 1
    अतः उपकरण में विभवान्तर का मान आधा कर देने पर धारी भी आधी रह जाएगी।

    प्रश्न 2.
    कॉलम X को कॉलम Y से सुमेलित कीजिएकॉलम X( भौतिक राशि/नियम) कॉलम ? (सूत्र)
    (i) विद्युत धारा (a) R = R1 + R2 + R3
    (ii) विभवान्तर (b) K = RA /l
    (iii) ओम का नियम (c) \frac { 1 }{ R } =\frac { 1 }{ { R }_{ 1 } } +\frac { 1 }{ { R }_{ 2 } }
    (iv) प्रतिरोधकता (d) V = W/Q
    (v) श्रेणीक्रम संयोजन (e) I = Q/t
    (vi) समान्तर क्रम संयोजन (f) V = IR
    उत्तर-
    (i) (e)
    (ii) (d)
    (iii) (f)
    (iv) (b)
    (v) (a)
    (vi) (c)

    प्रश्न 3.
    विद्युत परिपथ का व्यवस्था आरेख खींचिये और उसको समझाइए।
    उत्तर-
    सामने दिये गये चित्र में एक प्रतीकात्मक विद्युत परिपथ का। व्यवस्था आरेख दिखाया गया है। परिपथ में विद्युत धारा मापने के लिए I जिस यंत्र का उपयोग किया गया है, उसे ऐमीटर कहते हैं। इसको श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है। इसमें एक है सेल, एक विद्युत बल्ब, एक ऐमीटर और प्लग कुंजी लगी हुई है। परिपथ में विद्युत धारा, सेल के धन टर्मिनल से सेल के ऋण टर्मिनल तक बल्ब और ऐमीटर से होकर प्रवाहित होती है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 3

    प्रश्न 4.
    किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है?
    उत्तर-
    किसी चालक का प्रतिरोध निम्न कारकों पर निर्भर करता है

    1. चालक की लम्बाई (l) पर।
    2. उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर।
    3. प्रतिरोध के पदार्थ की प्रकृति तथा चालक का तापमान।
      यह चालक की लम्बाई (l) के अनुक्रमानुपाती तथा उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल (A) के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
      अर्थात्
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 4
      यहाँ K एक आनुपातिक स्थिरांक है, जिसे चालक के पदार्थ की वैद्युत प्रतिरोधकता कहते हैं।

    प्रश्न 5.
    एक ही पदार्थ के दो चालकों की मोटाइयाँ समान हैं तथा जिनकी लम्बाइयाँ 1 : 2 के अनुपात में हैं तो इनके प्रतिरोधों का अनुपात क्या होगा?
    उत्तर-
    दोनों चालक एक ही पदार्थ के हैं। इसलिये अनुप्रस्थ काट और प्रतिरोधकता अथवा विशिष्ट प्रतिरोध का मान स्थिरांक होगा
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 5
    R1 : R2 = 1 : 2 उत्तर

    प्रश्न 6.
    अमीटर एवं वोल्टमीटर में अन्तर लिखो।
    उत्तर-
    अमीटर एवं वोल्टमीटर में अन्तर| अमीटर
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 6

    प्रश्न 7.
    प्रतिरोध की ताप एवं पदार्थ पर निर्भरता का वर्णन कीजिए।
    उत्तर-
    ताप का प्रभाव-कुछ धातु चालकों का प्रतिरोध, ताप के साथ बढ़ता है, जैसे-ताँबा, चाँदी व सोना आदि। कुछ धातुयें मिश्र होती हैं, जैसे-मैंग्नीज तथा कान्सटेन्टन का प्रतिरोध ताप परिवर्तन के साथ बहुत कम परिवर्तित होता है। इसके विपरीत कुछ धातुयें जैसे सिलिकॉन (Si) व जरमेनियम (Ge) जिनका ताप बढ़ाने पर प्रतिरोध घटता है। इन धातुओं को अर्द्धचालक कहते हैं। कुछ धातुओं में ताप कम करने पर एक निश्चित ताप प्रतिरोध शून्य हो जाता है, इन्हें अतिचालक पदार्थ कहते हैं। जैसे-पारे का प्रतिरोध 4.2 केल्विन (K) ताप पर प्रतिरोध शून्य हो जाता है।

    प्रतिरोध की पदार्थ पर निर्भरता-चाँदी, ताँबा, सोना व एल्मुनियम पदार्थ के चार चालक तार लेते हैं, जिनकी लम्बाइयों व अनुप्रस्थ कोट का क्षेत्रफल एक समान है। इन सभी तारों का प्रतिरोध ज्ञात करते हैं। एल्यूमीनियम का प्रतिरोध सबसे अधिक व चाँदी का प्रतिरोध सबसे कम प्राप्त होता है।
    Rएल्मुनियम > Rसोना > Rताँबा > Rचाँदी
    अतः चाँदी विद्युत का सबसे अच्छा चालक है। इसके बाद ताँबा, सोना व एल्मुनियम।
    चालकता की दृष्टि से उपरोक्त चारों धातुओं का क्रम निम्न से है
    चाँदी > ताँबा > सोना > एल्यूमीनियम

    प्रश्न 8.
    विद्युत ऊर्जा किसे कहते हैं? समझाइये।
    उत्तर-
    हम जानते हैं विद्युत शक्ति
    अर्थात्  P=\frac { H }{ t }
    ∴H = Pt यदि विद्युत शक्ति (P) को वाट में तथा समय (t) सेकण्ड में मापा जाये तो विद्युत ऊर्जा का मान जूल में होगा।
    जूल = वाट × सेकण्ड
    अर्थात् किसी उपकरण की व्यय विद्युत ऊर्जा का मान उस उपकरण की शक्ति तथा समय के गुणनफल के बराबर होता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 8

    प्रश्न 9.
    निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 9
    उत्तर-
    (i) = C
    (ii) = D
    (iii) = E
    (iv) = A
    (v) = F
    (vi) = B

    प्रश्न 10.
    विशुद्ध प्रतिरोध में तापीय प्रभाव से उत्पन्न ऊष्मा का मान ज्ञात कीजिए।
    उत्तर-
    माना कि एक विशुद्ध प्रतिरोध तार है जिसे एक बैटरी से जोड़ा गया है। इस तार का प्रतिरोध R, इसमें प्रवाहित धारा 1 व इसके सिरों के मध्य उत्पन्न विभवान्तर V है।
    यदि तार में t समय में Q आवेश प्रवाहित होता है और तार के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर V है t समय में Q आवेश प्रवाहित करने में किया गया कार्य = ओम x विभवान्तर
    W = QV
    W = It V [∵ Q = It]
    स्रोत द्वारा t समय में निवेशित ऊर्जा (VI t) ऊष्मा ऊर्जा में परिणित होगी। अतः t समय में उत्पन्न ऊष्मा H = VI t
    H = IR x It [ओम के नियम से V= IR]
    H = I²Rt
    अतः उत्पन्न ऊष्मा H= I²Rt

    प्रश्न 11.
    ओरस्टेड द्वारा किये गये प्रयोग को समझाइए।
    उत्तर-
    ओरस्टेड द्वारा किये गये प्रयोग को निम्न प्रकार से समझ सकते हैं
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 11

    • चित्र (i) जब चालक में कोई धारा नहीं बहती है तो उसके। चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न नहीं होता फलस्वरूप चुम्बकीय सुई अविक्षेपित अवस्था में रहती है।
    • चित्र (ii) जब चालक तार में धारा प्रवाहित होती है तो तार के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है और चुम्बकीय सुई विक्षेपित होती है।
    • चित्र (iii) यदि धारा की दिशा विपरीत कर दें तो चुम्बकीय सुई में विक्षेप की दिशा बदल जाती है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 11.1
      चालक में धारा प्रवाहित करने पर चुम्बकीय सुई का विक्षेपित होना इस बात को व्यक्त करता है कि चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हुआ। चालक तार में धारा का मान बढ़ाने और चुम्बकीय सुई को चालक के निकट ले जाने पर उसमें विक्षेप बढ़ता है।

    प्रश्न 12.
    दिष्ट एवं प्रत्यावर्ती धारा को परिभाषित कीजिए।
    उत्तर-
    दिष्ट धारा-वह विद्युत धारा जिसमें समय के साथ दिशा में परिवर्तन नहीं होता, दिष्टधारा कहलाती है। इसे प्रतीकानुसार D.C. के द्वारा निरूपित किया जाता है।

    प्रत्यावर्ती धारा-वह विद्युत धारा जो समान समय-अंतरालों के पश्चात् अपनी दिशा में परिवर्तन कर लेती है, उसे प्रत्यावर्ती विद्युत धारा कहते हैं। इसे प्रतीकानुसार A.C. के द्वारा निरूपित किया जाता है।

    प्रश्न 13.
    दिष्ट धारा तथा प्रत्यावर्ती धारा में कोई दो अन्तर स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 13

    प्रश्न 14.
    प्रत्यावर्ती धारा जनित्र के विभिन्न भागों को लिखिये।
    उत्तर-
    एक प्रत्यावर्ती धारा जनित्र के निम्न भाग होते हैं

    • आर्मेचर- इसको अपनी अक्ष पर घूर्णन कराया जाता है।
    • क्षेत्र चुम्बक- आर्मेचर को क्षेत्र-चुम्बक के बीच में रखते हैं।
    • सपवलय- ये आर्मेचर के साथ ही घूर्णन करते हैं।
    • ब्रश- ये धातु अथवा कार्बन के बने होते हैं। इन्हीं से बाह्य परिपथ में धारा प्राप्त होती है।

    प्रश्न 15.
    चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ क्या होती हैं? किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कैसे निर्धारित की जाती है?
    उत्तर-
    चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ-किसी चुम्बक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें उसके बल का संसूचन किया जा सकता है, उस चुम्बक का चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है। वह रेखाएँ जिनके अनुदिश लोह-चूर्ण स्वयं संरेखित होता है, चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं का निरूपण करती है। चुम्बकीय क्षेत्र में परिमाण एवं दिशा दोनों होते हैं। किसी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा वह मानी जाती है, जिसके अनुदिश दिक्सूची का उत्तर ध्रुव उस क्षेत्र के भीतर गमन करता है। इसलिए चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ चुम्बक के उत्तर ध्रुव से प्रकट होती हैं तथा दक्षिण ध्रुव पर विलीन हो जाती हैं।

    चुम्बक के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा उसके दक्षिण ध्रुव से उत्तर ध्रुव की ओर होती है। अतः चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक बंद वक्र होती हैं।

    किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा चुम्बकीय सुई की सहायता से निर्धारित की जाती है। जिस दिशा में उत्तरी ध्रुव का निर्देश प्राप्त होता है, वही चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा होती है।

    प्रश्न 16.
    दिष्ट धारा जनित्र तथा विद्युत मोटर में अन्तर लिखिए।
    उत्तर-
    दिष्ट धारा जनित्र तथा विद्युत मोटर में अन्तर
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 16

    प्रश्न 17.
    किसी चालक में धारा प्रवाहित करने पर उत्पन्न चुम्बकीय की दिशा ज्ञात करने का दक्षिणावर्त पेंच का नियम लिखिए।
    उत्तर-
    दक्षिणावर्त पेंच का नियमइस नियम के अनुसार दक्षिणावर्त पेंच को इस प्रकार वृत्ताकार पथ घुमाया जावे कि पेंच की चोक विद्युत धारा की दिशा में आगे बढ़े तो पेंच को घुमाने की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को व्यक्त करेगी।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 17

    प्रश्न 18.
    विद्युत धारावाही वृत्ताकार कुण्डली के कारण चुम्बकीय क्षेत्र को समझाइए।
    उत्तर-
    ओरस्टेड ने अपने प्रयोग में सीधे विद्युत धारावाही चालक के कारण उसके चारों तरफ उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र के बारे में बताया। यदि । इस तार को मोड़कर एक वृत्ताकार लूप बनाया जावे और फिर उसमें धारा प्रवाहित की जावे तो उसके चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय रेखायें प्राप्त होती हैं। लूप के ऊपर और नीचे के किनारों पर रेखायें संकेन्द्रीय वृत्तों के रूप में होती हैं। इन संकेन्द्रीय वृत्तों का साइज बड़ा होता जाता है। केन्द्र पर पहुँचते ही वृत्त का यह चाप सरल रेखा हो जाता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 18

    प्रश्न 19.
    A तथा B तारों की लम्बाई तथा प्रतिरोध समान हैं। इनमें से कौन मोटा है, यदि A की प्रतिरोधकता B की प्रतिरोधकता से अधिक है?
    उत्तर-
    प्रतिरोध
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 19
    अतः इस प्रकार कहा जा सकता है कि A तार B से मोटा होगा।

    प्रश्न 20.
    दो चालक जो एक ही पदार्थ से बने हैं, उनके लिए V तथा I के मध्य ग्राफ चित्र में प्रदर्शित है, तो बताइए किस चालक का प्रतिरोध अधिक होगा और क्यों ?
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 20
    उत्तर-
    दिये गये ग्राफ से रेखा की प्रवणता
    tan θ =  \frac { V }{ I }
    tan θ = प्रतिरोध (R)
    अतः प्रतिरोध R ∝ कोण θ
    अतः चालक A का प्रतिरोध चालक B के प्रतिरोध से अधिक होगा।

    प्रश्न 21.
    आगे दिये गये कॉलम I से कॉलम II को सुमेलन करें
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 21
    उत्तर-
    (i) अ
    (ii) स
    (iii) र
    (iv) ब
    (v) य
    (vi) द

    प्रश्न 22.
    नीचे दिये गये कॉलम I से कॉलम II को सुमेलन करें
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 22
    उत्तर-
    (i) र
    (ii) स
    (iii) ब
    (iv) द
    (v) य
    (vi) अ

    प्रश्न 23.
    नीचे दिये गये कॉलम I से कॉलम II को सुमेलन करें
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 23
    उत्तर-
    (i) स
    (ii) अ
    (iii) य
    (iv) द
    (v) र
    (vi) ब

    निबन्धात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    प्रतिरोध को परिभाषित करते हुए उसकी निर्भरता का वर्णन कीजिए। चालक के विशिष्ट प्रतिरोध को परिभाषित कीजिए।
    उत्तर-
    प्रतिरोध- “चालकों में आवेशों के प्रवाह में उत्पन्न बाधा को प्रतिरोध कहते हैं।”
    चूँकि प्रतिरोध चालकता के व्युत्क्रमानुपाती होती है, अतः यदि किसी चालक का प्रतिरोध कम है तो उसकी चालकता अधिक होगी।
    प्रतिरोध की निर्भरता-प्रतिरोध निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है

    • लम्बाई पर-एक ही पदार्थ के भिन्न-भिन्न लम्बाई के चालक तार लें जिनकी मोटाई एक समान हो। इन चालक तारों का प्रतिरोध ज्ञात कर प्रतिरोध व लम्बाई के बीच ग्राफ छ खींचते हैं तो हमें ग्राफ एक सीधी रेखा में प्राप्त होता है। अर्थात् जैसे-जैसे चालक तार की लम्बाई बढ़ती है, प्रतिरोध भी वैसे-वैसे बढ़ता है अर्थात् प्रतिरोध (R) लम्बाई के समानुपाती होता है।
      R∝L …..(1)
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 1
    • अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल-एक ही पदार्थ व एक ही लम्बाई के अनेक चालक लें जिनके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल भिन्न-भिन्न हो। इन चालक तारों का प्रतिरोध ज्ञात कर प्रतिरोध व अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रम  \frac { 1 }{ A }  के मध्य ग्राफ खींचते हैं तो ग्राफ सीधी रेखा प्राप्त होता है। अर्थात् जैसे-जैसे चालक तार की मोटाई बढ़ती है वैसे-वैसे उसका प्रतिरोध कम होता जायेगा।
      अर्थात् प्रतिरोध (R) अनुप्रस्थ काट (A) के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
      R ∝  \frac { 1 }{ A }  … (2)
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 1.1
      समीकरण (1) तथा (2) को संयोजन चित्र-R व{के मध्य ग्राफ करने पर
      R ∝  \frac { L }{ A }
      या R =  K\frac { L }{ A }  …..(3)
      K एक स्थिरांक है जिसे चालक पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता कहते हैं।
      प्रतिरोधकता का मात्रक
      समीकरण (3) से
      K=\frac { RA }{ L }
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 1.2
      यदि L = 1 मीटर तथा A = 1 मीटर²
      तब : K = R ओम x मीटर
      “अर्थात् इकाई लम्बाई व इकाई अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल वाले तार का प्रतिरोध ही विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता कहलाती है।”
      प्रतिरोधकता चालक की लम्बाई व अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करती है, यह केवल पदार्थ पर निर्भर करती है।

    प्रश्न 2.
    ओरस्टेड द्वारा किये गये प्रयोग को समझाइये।
    उत्तर-
    ओरस्टेड को प्रयोग-सन् 1820 में ओरस्टेड ने एक प्रयोग किया जिसमें एक चालक तार में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो चालक तार के चारों
    ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है, जिसके कारण चालक के पास रखी हुई चुम्बकीय सुई विक्षेपित होती है। हम यहाँ पर ओरस्टेड के प्रयोग निम्न प्रकार से समझ सकते है

    • जब चालक तार में कोई धारा नहीं बहती है तो उसके चारों तरफ चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न नहीं होता फलस्वरूप चुम्बकीय सुई अविक्षिपित अवस्था में रहती है। जैसा कि चित्र (a) में दर्शाया गया है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 2
    • जब चालक तार में धारा प्रवाहित होती है तो तार के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है और चुम्बकीय सुई विक्षेपित होती है। जैसा कि चित्र (b) में दर्शाया गया है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 2.1
    • यदि हम धारा की दिशा को विपरीत करते हैं तो चुम्बकीय सुई में विक्षेप की दिशा बदल जाती है। जैसा कि चित्र (c) में दर्शाया गया है।
      चालक में धारा प्रवाहित करने पर चुम्बकीय सुई का विक्षेपित होना इस बात का संकेत करता है कि चालक के चारों तरफ चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हुआ। चालक तार में धारा का मान बढ़ाने पर और चुम्बकीय सुई को चालक के निकट ले जाने पर उसमें विक्षेप पहले की अपेक्षा बढ़ता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 2.2

    प्रश्न 3.
    परिनलिका क्या है? परिनलिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र एक समान रहता है, इसकी पुष्टि कीजिए। परिनलिका का उपयोग विद्युत चुम्बक बनाने में कैसे किया जाता है? समझाइए।
    उत्तर-
    परिनलिका-पास-पास में लिपटे हुए ताँबे के तार जो बेलन की आकृति में हों तथा ये तार परस्पर विद्युत रूढ़ होते हैं, ऐसी कुण्डली को परिनालिका कहते हैं। किसी विद्युत धारावाही परिनलिका के कारण उसके चारों तरफ उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं का प्रदर्शन चित्र में दर्शाया गया है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 3
    इस परिनलिका का एक सिरा उत्तरी । धव व दसरा सिरा दक्षिणी ध्रुव का कार्य चित्र-धारावाही परिनलिका के करता है। परिनालिका के अन्दर चुम्बकीय बल रेखाएँ समान्तर होती हैं जो इस बात की पुष्टि करती हैं कि परिनलिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र एक समान है।

    परिनलिका के भीतर एक समान प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग कर जैसे नरम लोहे को परिनलिका के भीतर रखकर चुम्बक बनाने में किया जाता है, इस प्रकार बने चुम्बक को विद्युत चुम्बके कहते हैं।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 3.1

    प्रश्न 4.
    दिष्ट धारा जनित्र क्या है? इसकी बनावट व कार्यप्रणाली समझाइए।
    उत्तर-
    दिष्ट धारा जनित्र-यह एक ऐसी युक्ति है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलती है। विद्युत ऊर्जा से प्राप्त विद्युत धारा की दिशा समय के साथ नियत रहती है।

    बनावट-इसकी बनावट प्रत्यावर्ती धारा जनित्र जैसी ही होती है। सिर्फ अन्तर इतना होता है कि इसमें दो सपवलय के स्थान पर विभक्त वलय दिक्परिवर्तक का उपयोग किया जाता है। इसमें धातु की एक वलय लेते हैं, जिसके दो बराबर भाग C1 व C2 करते हैं, जिन्हें हम कम्यूटेटर कहते हैं। आर्मेचर का एक सिरा कम्यूटेटर C1 के एक भाग से और दूसरा सिरा कम्यूटेटर C2 के दूसरे भाग से जुड़ा होता है। C1 व C2 दो कार्बन ब्रुशों B1 व B2 को स्पर्श करते हैं।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 4
    कार्यप्रणाली-जब आर्मेचर को चुम्बकीय क्षेत्र में घुमाया जाता है तब कुण्डली से पारित चुम्बकीय फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होने से उसमें प्रेरित धारा बहती है। उसमें ब्रुश B1 व B2 की स्थितियाँ इस प्रकार समायोजित की जाती हैं कि कुण्डली में धारा की दिशा परिवर्तित होती है तो ठीक उसी समय इन ब्रुशों का सम्बन्ध कम्यूटेटर के एक भाग से हटकर दूसरे भाग से हो जाता है। और बाह्य परिपथ में धारा की दिशा समय के साथ नियत रहती है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 4.1
    माना कि प्रथम आधे चक्र में प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होती है। कि कुण्डली C1 से जुड़ा सिरा धनात्मक व C2 से जुड़ा सिरा ऋणात्मक होता है। इस स्थिति में ब्रुश B1 धनात्मक व ब्रुश B2 ऋणात्मक होते हैं। अगले आधे चक्र में कुण्डली में धारा की दिशा जैसे ही बदलती है | ऋणात्मक व C2 धनात्मक हो जाते हैं लेकिन कुण्डली के घूमने के कारण C1 घूमकर C2 के स्थान पर (B2 के सम्पर्क में) तथा C2 घूमकर C1 के स्थान पर (B1 के सम्पर्क में) आ जाते हैं । अतः B1 सदैव धनात्मक व B2 ऋणात्मक रहता है। इस प्रकार एक पूर्ण चक्र में बाह्य परिपथ में धारा की दिशा B1 से B2 की ओर बहती है।

    प्रश्न 5.
    विद्युत परिपथ में निम्नलिखित विद्युत यंत्रों के उपयोग लिखिए

    1. वोल्ट मीटर
    2. ऐमीटर
    3. कुंजी
    4. धारा नियंत्रक
    5. सेल या बैटरी
    6. संयोजन तार।

    उत्तर-

    1. वोल्टमीटर-यह यंत्र दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर का मापन करता है।
    2. ऐमीटर-यह विद्युत परिपथ में धारा का मापन करता है।
    3. कुंजी-परिपथ को पूरा करने अथवा तोड़ने के काम आती है।
    4. धारा नियंत्रक-विद्युत परिपथ में प्रतिरोध को कम या अधिक करने के काम आता है।
    5. सेल या बैटरी-यह परिपथ में विद्युत ऊर्जा का स्रोत होता है।
    6. संयोजन तार-विभिन्न यंत्रों को परिपथ में जोड़ने के काम आता है।

    प्रश्न 6.
    विद्युत धारा के तापीय प्रभाव के महत्त्वपूर्ण उपयोग समझाइए।
    उत्तर-
    चालकों में विद्युत धारा प्रवाहित होने से ऊष्मा उत्पन्न होती है। यह परिणाम सदैव उपयोगी नहीं होता है क्योंकि दी गई ऊर्जा ऊष्मा में बदल जाती है। और इससे परिपथ के अवयवों में ताप बहुत बढ़ जाता है। विद्युत धारा के नियंत्रित ऊष्मीय प्रभाव के महत्त्वपूर्ण उपयोग निम्नलिखित हैं

    1. विद्युत तापीय उपकरण-विद्युत हीटर, विद्युत इस्तरी व विद्युत गीजर सोल्डरिंग, टोस्टर, केतली आदि ऐसे उपकरण हैं जो कि विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव पर आधारित हैं।
    2. विद्युत बल्ब-विद्युत बल्ब में टंगस्टन की पुतली तार का फिलामेंट लगाया जाता है जिसकी प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है। इसका गलनांक 3380°C से भी काफी अधिक होता हैं। जब इसमें विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो यह ऊष्मा के कारण दीप्त होकर प्रकाश का उत्सर्जन करने लगता है।
    3. विद्युत फ्यूज-विद्युत परिपथों में फ्यूज का प्रयोग किया जाता है। इसे विद्युत परिपथ में श्रेणीक्रम में लगाया जाता है। यह अनावश्यक रूप से उच्च विद्युत धारा को प्रवाहित होने देता है। एक नियत मान से अधिक माप की विद्युत धारा प्रवाहित होने पर यह पिघल जाता है। इससे विद्युत साधित्रों को क्षति नहीं पहुँचती और परिपथ में आग लगने से बचाया जा सकती है।

    आंकिक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    किसी विद्युत बल्ब के तन्तु में से 0.25 ऐम्पियर विद्युत धारा 20 मिनट तक प्रवाहित होती है। विद्युत परिपथ से प्रवाहित विद्युत आवेश का परिमाण ज्ञात कीजिए।
    हल-
    दिया है
    धारा I = 0.25 A
    समय (t) = 20 मिनट
    = 20 x 60 सेकण्ड
    = 1200 सेकण्ड
    धारा  I=\frac { q }{ t }  से
    = 0.25 x 1200
    = 300 कूलॉम

    प्रश्न 2.
    जब कोई विद्युत हीटर स्रोत से 4A विद्युतधारा लेता है, तब उसके टर्मिनलों के बीच विभवान्तर 60v है। उस समय विद्युत हीटर कितनी विद्युतधारा ‘लेगा जब विभवान्तर को 120V तक बढ़ा दिया जाएगा?
    हल-
    दिया गया है
    I = 4 ऐम्पियर
    V = 60 वोल्ट
    सूत्र V = IR
    ∴  R=\frac { V }{ I }
    तो R =  \frac { 60 }{ 4 }  = 15 ओम
    पुनः V = IR
    या I =  \frac { V }{ R }
    ∴ I =  \frac { 120 }{ 15 }=8 ओम
    अतः 120V पर हीटर 8 ओम विद्युतधारा लेगा।

    प्रश्न 3.
    4Ω, 6Ω तथा 8Ω प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में 9V की बैटरी से संयोजित किया गया है
    ( क ) उपयुक्त का परिपथ चित्र बनाइए।
    (ख) परिपथ में प्रवाहित कुल धारा की गणना कीजिए।
    हल-
    (क)
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 3
    चित्र-प्रतिरोधों के संयोजन का परिपथ
    (ख) 4Ω, 6Ω तथा 8Ω प्रतिरोधकों का श्रेणीक्रम में तुल्य प्रतिरोध
    R = R1 + R2 + R3
    R = 4 + 6 + 8
    = 18 Ω
    सूत्र— V = IR से
    I =  \frac { V }{ R }
    I =  \frac { 9V }{ 18\Omega }   = 0.5 ऐम्पियर
    अतः परिपथ में प्रवाहित कुल धारा I = 0.5 ऐम्पियर

    प्रश्न 4.
    पाश्र्व परिपथ में ज्ञात कीजिए
    (क) परिपथ का कुल प्रतिरोध।
    (ख) परिपथ में प्रवाहित धारा।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 4
    हल-
    (क) 3 Ω के तीनों प्रतिरोधकों का समानान्तर क्रम में तुल्य प्रतिरोध
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 4.1
    यह 1 Ω का प्रतिरोध 4 Ω के प्रतिरोध के साथ श्रेणीक्रम में जुड़ा हुआ है।
    अतः श्रेणीक्रम में तुल्य प्रतिरोध R = R1 + R2
    = 4 Ω + 1 Ω = 5 Ω
    (ख) प्रतिरोध R = 5 Ω
    विभवान्तर V = 6V
    V = IR
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 4.2

    प्रश्न 5.
    एक मकान में 400 W का रेफ्रिजरेटर 8 घण्टे प्रतिदिन तथा 120 W का विद्युत हीटर 2 घण्टे प्रतिदिन चलाया जाता है। 4 रुपए प्रति यूनिट की दर से 30 दिनों के लिए कितना व्यय करना होगा?
    हल-
    रेफ्रिजरेटर में प्रतिदिन खर्च की गई ऊर्जा
    = 400 W x 8h
    = 3200 Wh
    विद्युत हीटर में प्रतिदिन खर्च की गई ऊर्जा
    = 120 W x 2h
    = 240 Wh
    अतः 30 दिनों में खर्च की गई कुल विद्युत ऊर्जा
    = (320) + 240) x 30
    = 3440 x 30 = 1,03,200 Wh
    या 103.2 KWh
    या 103.2 यूनिट (∵ 1 KWh = 1 unit)
    4 रुपए प्रति यूनिट की दर से कुल खर्च ।
    4 x 103.2 = 412.8 रुपए

    प्रश्न 6.
    किसी धातु के 1 m लम्बे तार को 20°C पर वैद्युत प्रतिरोध 26 Ω है। यदि तार का व्यास 0.3mm है, तो इस ताप पर धातु की वैद्युत प्रतिरोधकता क्या है? पाठ्यपुस्तक में दी गई सारणी 12.2 का उपयोग करके तार के पदार्थ की भविष्यवाणी कीजिए।
    हल-
    प्रश्नानुसार
    l = 1 m
    R = 26 Ω
    व्यास (d) = 0.3 mm = 0.3 x 10-3 m
    = 3 x 10-4 m
    K = ?
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 6
    इस प्रकार दिये गये तार की धातु की 20°C पर वैद्युत प्रतिरोधकता 1.84 x 10-6 Ωm है जो कि मैंगनीज की वैद्युत प्रतिरोधकता का मान है।

    प्रश्न 7.
    दिए गए पदार्थ के किसी l लम्बाई तथा A मोटाई के तार का प्रतिरोध 4Ω है। इसी पदार्थ के किसी अन्य तार का प्रतिरोध क्या होगा जिसकी लम्बाई  \frac { l }{ 2 }  तथा मोटाई 2A है?
    हल-
    (1) प्रथम तार के लिए
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 7
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 7.1
    अतः तार का नया प्रतिरोध 1 Ω होगा। उत्तर

    प्रश्न 8.
    8 Ω प्रतिरोध के दिए गए पदार्थ के तार की लम्बाई l तथा अनुप्रस्थ-काट का क्षेत्रफल A है। इसी पदार्थ के अन्य तार की लम्बाई 2l तथा अनुप्रस्थ-काट क्षेत्रफल  \frac { A }{ 2 }  होने पर उसका प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
    हल-
    दिया हुआ है- R1 = 8 Ω तथा लम्बाई = l व क्षेत्रफल = A
    R2 = ?, लम्बाई = 2l व क्षेत्रफल =  \frac { A }{ 2 }
    हम जानते हैं कि
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 8

    प्रश्न 9.
    समान लम्बाई के दो तारों के व्यासों का अनुपात 2:3 है। यदि पहले तार का प्रतिरोध 3.6 ओम हो, तो दूसरे तार का प्रतिरोध कितना होगा?
    हल-
    किसी तार का प्रतिरोध
    R=K\frac { l }{ A }
    अब यदि दो तारों के प्रतिरोध R1 व R2 हैं तो
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 9
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 9.1

    प्रश्न 10.
    एक विद्युत लैम्प जिसका प्रतिरोध 20 है तथा एक 4Ω प्रतिरोध का चालक 6V की बैटरी से चित्र में दिखाए अनुसार संयोजित है।
    (a) परिपथ का कुल प्रतिरोध,
    (b) परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा तथा
    (c) विद्युत लैम्प तथा चालक के सिरों के बीच विभवान्तर परिकलित कीजिए।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 10
    चित्र में 6V की बैटरी से श्रेणीक्रम में संयोजित एक विद्युत लैम्प
    तथा 4 Ω का एक प्रतिरोधक
    हल-
    (a) विद्युत लैम्प का प्रतिरोध R1 = 20 Ω है और इसके साथ श्रेणीक्रम में संयोजित चालक का प्रतिरोध
    R2 = 4 Ω
    तब परिपथ का कुल प्रतिरोध
    Rs = R1 + R2
    = 20 Ω + 4 Ω = 24 Ω उत्तर

    (b) बैटरी के दो टर्मिनलों के बीच कुल विभवान्तर
    V = 6 V
    ओम के नियम से परिपथ में प्रवाहित कुल विद्युत धारा
    I=\frac { V }{ { R }_{ s } } =\frac { 6V }{ 24\Omega }
    = 0.25A उत्तर

    (c) विद्युत लैम्प के सिरों के बीच विभवान्तर का मान
    V1 = I R1
    = 0.25 × 20
    = 5 V उत्तर
    तथा चालक के सिरों के बीच विभवान्तर का मान
    V2 = I R2
    = 0.25 × 4 = 1 V उत्तर

    प्रश्न 11.
    किसी 4Ω प्रतिरोधक से प्रति सेकण्ड 100 J ऊष्मा उत्पन्न हो रही है। प्रतिरोधक के सिरों पर विभवान्तर ज्ञात कीजिए।
    हले-
    प्रश्नानुसार
    उत्पन्न ऊष्मा H = 100 J
    प्रतिरोध R = 4 Ω
    समय t = 1 sec.
    V = ?
    हम जानते हैं कि तार में उत्पन्न ऊष्मा
    H = 1² x R x t
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 11
    I = √25 = 5 ऐम्पियर
    ओम के नियम से। V = IR
    मान रखने पर V = 5 x 4 = 20 V उत्तर

    प्रश्न 12.
    दो विद्युत लैम्प जिनमें से एक का अनुमतांक 60 W, 220 V तथा दूसरे का 40 W, 220 V है, विद्युत 220 V आपूर्ति मेन्स के साथ पार्श्वक्रम में संयोजित है। यदि विद्युत आपूर्ति की वोल्टता 220 V है, तो विद्युत मेन्स से कुल कितनी धारा ली जाती है?
    हल-
    माना पहले लैम्प के लिए प्रतिरोध = R1
    तथा दूसरे लैम्प के लिए प्रतिरोध = R2
    P1 = 60 W
    P2 = 40 W
    V = 220 V
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 12

    प्रश्न 13.
    एक कूलॉम आवेश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या ज्ञात करो।
    हल-
    आवेश Q = ne
    जहाँ n इलेक्ट्रॉनों की संख्या है।
    और e इलेक्ट्रॉन पर आवेश है।
    दिया है-
    Q = 1 कूलॉम
    ∴ इलेक्ट्रॉनों की संख्या  n=\frac { Q }{ e }
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 13

    प्रश्न 14.
    10 वोल्ट विभवान्तर के दो बिन्दुओं के बीच 3 कूलॉम आवेश को ले जाने में कितना कार्य किया जाता है?
    हल-
    दिया है- VA – VB = 10 वोल्ट
    Q = 3 कूलॉम
    W = ?
    सूत्र- VA – VB =  \frac { W }{ Q }  ∴W = (VA – VB) x Q
    मान रखने पर
    W = 10 x 3 = 30 जूल उत्तर

    प्रश्न 15.
    एक चालक तार का प्रतिरोध ज्ञात करो यदि उसमें 0.5 ऐम्पीयर की धारा प्रवाहित करने पर उसके सिरों पर 2 वोल्ट का विभवान्तर उत्पन्न होता है।
    हल-
    दिया है
    धारा I = 0.5 ऐम्पीयर
    V = 2 वोल्ट
    R = ?
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 15

    प्रश्न 16.
    3Ω, 4Ω व 5Ω के प्रतिरोध किसी परिपथ में श्रेणी क्रम में जुड़े हैं। इस संयोजन को एक 6 वोल्ट की बैटरी से जोड़ दिया जाता है तो निम्न ज्ञात करो
    (a) प्रत्येक प्रतिरोध में धारा
    (b) प्रत्येक प्रतिरोध के सिरों पर विभवांतर।
    हल-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 16
    श्रेणी क्रम संयोजन में तुल्य प्रतिरोध का मान निम्न सूत्र से ज्ञात करते हैं
    R = R1 + R2 + R3
    R = 3 + 4 + 5 = 12Ω
    तीनों प्रतिरोधों में एक ही मान की धारा प्रवाहित होगी। चूँकि तीनों प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जुड़े हैं।
    I=\frac { V }{ { R } } =\frac { 6 }{ 12 } =0.5  ऐम्पीयर
    प्रत्येक प्रतिरोध के सिरों पर विभवान्तर सूत्र V = IR से ज्ञात करने पर 3Ω के सिरों के मध्य विभवांतर
    V1 = IR1 = 0.5 x 3 = 1.5 वोल्ट उत्तर
    4Ω के सिरों के मध्य विभवांतर
    V2 = IR= 0.5 x 4 = 2.0 वोल्ट उत्तर
    5Ω के सिरों के मध्य विभवांतर
    V3 = IR3 = 0.5 x 5 = 2.5 वोल्ट उत्तर

    प्रश्न 17.
    एक विद्युत परिपथ में 1Ω, 2Ω व 3Ω के प्रतिरोध समान्तर क्रम में जुड़े हैं। यदि संयोजन को 6 वोल्ट की बैटरी से जोड़ देते हैं तो निम्नलिखित ज्ञात करो
    (a) संयोजन का तुल्य प्रतिरोध
    (b) परिपथ में धारा
    (c) प्रत्येक प्रतिरोध में धारा।
    हल-
    (a) संयोजन का तुल्य प्रतिरोध–दिया है
    R1 = 1Ω
    R2 = 2Ω
    R3 = 3Ω
    R = ?
    प्रतिरोध समान्तर क्रम में जुड़े हैं, इसलिए संयोजन का तुल्य प्रतिरोध
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 17
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 17.1
    (c) प्रत्येक प्रतिरोध में धारा
    R1 = 1Ω में धारा  { I }_{ 1 }=\frac { V }{ { R }_{ 1 } } =\frac { 6 }{ 1 } =6  ऐम्पीयर उत्तर
    R2 = 2Ω में धारा  { I }_{ 2 }=\frac { V }{ { R }_{ 2 } } =\frac { 6 }{ 2 } =3  ऐम्पीयर उत्तर
    R3 = 3Ω में धारा  { I }_{ 3 }=\frac { V }{ { R }_{ 3 } } =\frac { 6 }{ 3 } =2  ऐम्पीयर उत्तर

    प्रश्न 18.
    दिये गये विद्युत परिपथ में A व B के मध्य तुल्य प्रतिरोध ज्ञात करो।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 18
    हल-
    उपरोक्त परिपथ 2Ω के तीन प्रतिरोध दो जगहों पर समान्तर क्रम में जुड़े हैं अतः इनका तुल्य प्रतिरोध
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 18.1

    प्रश्न 19.
    2 बल्ब 100 वाट के प्रतिदिन 8 घंटे जलते हैं। 1 महीने में कितने यूनिट विद्युत ऊर्जा व्यय होगी?
    हल-
    व्यय विद्युत ऊर्जा (यूनिट में)
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 19

    प्रश्न 20.
    10 वोल्ट के संचायक सेल से 50 ओम की नाइक्रोम की प्रतिरोध कुण्डली को जोड़कर 1 घंटे तक धारा प्रवाहित की जाती है तो कुण्डली में उत्पन्न ऊष्मा का मान ज्ञात करो।
    हल-
    दिया है V= 10 वोल्ट
    R = 50 Ω
    t = 1 घण्टा = 60 x 60 सेकण्ड
    = 3600 सेकण्ड
    H = ?
    परिपथ में धारा  I=\frac { V }{ R } =\frac { 10 }{ 50 } =0.2  ऐम्पीयर
    कुण्डली में उत्पन्न ऊष्मा H = I²Rt
    H = (0.2)² x 50 x 3600
    = 0.04 x 50 x 3600
    = 7200 जूल उत्तर

    प्रश्न 21.
    किसी विद्युत बल्ब को 220 वोल्ट के स्रोत से जोड़ने पर उसमें प्रवाहित धारा 0.5 ऐम्पीयर है। बल्ब की शक्ति कितनी होगी?
    हल-
    दिया है
    V= 220 वोल्ट
    I = 0.5 ऐम्पीयर
    P = ?
    अतः
    P = VI
    P = 220 × 0.5
    P = 110 वाट उत्तर

    प्रश्न 22.
    220 V के स्रोत से चार 40 W, 200 V के बल्बों को श्रेणीक्रम में जोड़ने पर प्रत्येक बल्ब से प्रवाहित धारा का मान ज्ञात कीजिए। यदि एक बल्ब फ्यूज हो जाये तो 220 V स्रोत से प्रवाहित धारा पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
    हल-
    40 वाट के बल्ब का प्रतिरोध  R=\frac { { V }^{ 2 } }{ P }   से
    =\frac { 200\times 220 }{ 40 }
    = 1210 ओम
    अतः 4 बल्बों के श्रेणीक्रम संयोजन का तुल्य प्रतिरोध = 4 x 1210
    = 4840 ओम
    तथा इन बल्बों में से प्रवाहित होने वाली धारा
    I=\frac { V }{ R }
    I =  \frac { 220 }{ 4840 }  = 0.045 ऐम्पियर
    एक बल्ब के फ्यूज होने पर धारा प्रवाहित नहीं होगी।

    प्रश्न 23.
    किसी विद्युत इस्तरी में अधिकतम तापन दर के लिए 840 वाट की दर से ऊर्जा उपयुक्त होती है। विद्युत स्रोत की वोल्टता 220 V है। विद्युत धारा तथा प्रतिरोध के मान परिकलित कीजिए।
    हल-
    वैद्युत शक्ति (P) = 840 वाट
    विभवान्तर (V) = 220 V
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 23

    प्रश्न 24.
    600 W अनुमत का कोई विद्युत रेफ्रीजरेटर 8 घण्टे/दिन चलाया जाता है। 4.00 रुपये प्रति kWh की दर से इसे 30 दिन तक चलाने के लिए ऊर्जा का मूल्य क्या है?
    हल-
    विद्युत रेफ्रीजरेटर की अनुमत शक्ति P का मान
    P = 600 W
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 24
    = 144 kWh
    अतः विद्युत मूल्य = 144 x 4.00
    = 576.00 रुपये

    प्रश्न 25.
    (अ) ओम के नियम का प्रयोग करते समय एक प्रेक्षक निम्नानुसार दो प्रेक्षण प्राप्त करता है

    अमीटर पाठ्यांकवोल्टमीटर पाठ्यांक
    0.50 एम्पीयर2 वोल्ट
    0.75 एम्पीयर3 वोल्ट

    प्रत्येक प्रेक्षण के लिए चालक तार का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
    (ब) 25 Ω की नाइक्रोम की प्रतिरोध कुण्डली को 12 वोल्ट के संचायक सेल (बैटरी) से जोड़ते हैं एवं इसमें 15 मिनट तक विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है। कुण्डली में उत्पन्न ऊष्मा का मान ज्ञात कीजिए।
    (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    हल-
    (अ) प्रथम प्रेक्षण के लिए तार का प्रतिरोध
    R=\frac { V }{ I }
    =\frac { 2 }{ 0.50 } =\frac { 200 }{ 50 }
    = 4 ओम उत्तर
    द्वितीय प्रेक्षण के लिए तार का प्रतिरोध
    R=\frac { V }{ I }
    =\frac { 3 }{ 0.75 } =\frac { 300 }{ 75 }
    R = 4 ओम उत्तर

    (ब) दिया है
    R = 25 Ω
    V = 12 वोल्ट
    t = 15 मिनट
    t = 15 x 60 = 900 सेकण्ड
    H = ?
    कुण्डली में उत्पन्न ऊष्मा का माने
    H = I²Rt
    लेकिन  I=\frac { V }{ R }
    समीकरण (1) में I का मान रखने पर
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा 25

  • Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश

    Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश

    पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

    बहुचयनात्मक प्रश्न

    1. निम्न में से कौनसे दर्पण में वृहद दृष्टि क्षेत्र दिखेगा
    (क) समतल दर्पण
    (ख) उत्तल दर्पण
    (ग) अवतल दर्पण
    (घ) परवलियक दर्पण

    2. प्रकाश का वेग सर्वाधिक होगा
    (क) पानी में
    (ख) कांच में
    (ग) निर्वात में
    (घ) ग्लिसरीन में

    3. किस प्रभाव के कारण टंकी के पेंदे पर रखा सिक्का थोड़ा ऊपर उठा हुआ दिखाई देता है
    (क) अपवर्तन
    (ख) परावर्तन
    (ग) पूर्ण आन्तरिक परावर्तन
    (घ) इनमें से कोई नहीं

    4. यदि एक दर्पण की फोकस दूरी + 60 सेमी. है तो यह दर्पण होगा
    (क) अवतल दर्पण
    (ख) परवलिय दर्पण
    (ग) समतल दर्पण
    (घ) उत्तल दर्पण

    5. एक समतल दर्पण की फोकस दूरी होगी
    (क) 0
    (ख) 1
    (ग) अनन्त
    (घ) इनमें से कोई नहीं

    6. एक उत्तल दर्पण में सदैव प्रतिबिम्ब बनेगा
    (क) वास्तविक व सीधा
    (ख) वास्तविक व उल्टा
    (ग) आभासी व उल्टा
    (घ) आभासी व सीधा

    7. एक लेंस की क्षमता + 2 डायप्टर है तो उसकी फोकस दूरी होगी-
    (क) 2 मीटर
    (ख) 1 मीटर
    (ग) 0.5 मीटर
    (घ) 0.2 मीटर

    8. दूर दृष्टि दोष में व्यक्ति को
    (क) निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई देगी
    (ख) दूर की वस्तु स्पष्ट दिखाई देगी
    (ग) निकट व दूर दोनों ही वस्तुएं स्पष्ट दिखाई नहीं देंगी
    (घ) इनमें से कोई नहीं

    9. एक उत्तल लेंस की फोकस दूरी 15 cm. है तो बिम्ब को लेंस से कितनी दूरी पर रखा जाए कि प्रतिबिम्ब वास्तविक एवं बिम्ब के बराबर आकार का बने?
    (क) 30 crm.
    (ख) 15 cm.
    (ग) 60 cm.
    (घ) इनमें से कोई नहीं

    10. एक 20 cm. फोकस दूरी के अवतल लेंस के सम्मुख बिम्ब अनन्त पर रखा है। आभासी प्रतिबिम्ब की लेंस से दूरी कितनी होगी?
    (क) 10 cm.
    (ख) 15 cm
    (ग) 20 cm.
    (घ) अनन्त पर

    उत्तरमाला-
    1. (ख)
    2. (ग)
    3. (क)
    4. (घ)
    5. (ग)
    6. (घ)
    7. (ग)
    8. (ख)
    9. (क)
    10. (ग)।

    अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

    प्रश्न 1.
    जब कोई वस्तु प्रकाश के सभी रंगों को अवशोषित कर लेती है तो वह वस्तु हमें किस रंग की दिखाई देगी?
    उत्तर-
    वह वस्तु हमें काली दिखाई पड़ती है।

    प्रश्न 2.
    यदि हम समतल दर्पण में हमारा पूर्ण प्रतिबिम्ब देखना चाहें तो दर्पण की न्यूनतम लम्बाई कितनी होनी चाहिये ?
    उत्तर-
    किसी व्यक्ति का पूरा प्रतिबिम्ब देखने के लिए उस व्यक्ति की लम्बाई की आधी लम्बाई का समतल दर्पण चाहिए।

    प्रश्न 3.
    एक समतल दर्पण पर प्रकाश की किरण 30° कोण पर आपतित हो रही है तो परावर्तित किरण एवं आपतित किरण के मध्य कितना कोण बनेगा?
    उत्तर-
    60°
    ∵ परावर्तित किरण एवं आपतित किरण के मध्य कोण
    θ = ∠i + ∠r = 30° + 30° = 60°

    प्रश्न 4.
    उत्तल दर्पण के कोई दो उपयोग लिखिये।
    उत्तर-

    • उत्तल दर्पण में बड़ी वस्तुओं के छोटे प्रतिबिम्ब प्राप्त करके सजावट के लिए उपयोग में लेते हैं।
    • इनका उपयोग सामान्यतः वाहनों के पश्च दृश्य (wing) दर्पणों के रूप में किया जाता है।

    प्रश्न 5.
    अवतल दर्पण के कोई दो उपयोग लिखिये।
    उत्तर-

    • बड़ी फोकस दूरी का अवतल दर्पण हजामत बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है, जिससे व्यक्ति के चेहरे का आभासी, बड़ा और सीधा प्रतिबिम्ब बनता है।
    • अवतल दर्पण परावर्तक दूरदर्शी में काम में लेते हैं। इससे दूरदर्शी की विभेदन क्षमता में वृद्धि होती है।

    प्रश्न 6.
    दर्पण सूत्र लिखिये।
    उत्तर-
    ध्रुव से बिम्ब की दूरी u, ध्रुव से प्रतिबिम्ब की दूरी v एवं ध्रुव से फोकस दूरी f ये तीनों राशियाँ एक समीकरण द्वारा सम्बद्ध हैं जिसे दर्पण सूत्र कहा जाता है।
    \frac { 1 }{ v } +\frac { 1 }{ u } =\frac { 1 }{ f }

    प्रश्न 7.
    गोलीय दर्पण के लिये वक्रता त्रिज्या एवं फोकस दूरी में सम्बन्ध बताइये।
    उत्तर-किसी गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या फोकस दूरी से दोगुनी होती है।
    अर्थात् R = 2f
    f=  \frac { 1 }{ 2 } R

    प्रश्न 8.
    आवर्धनता का सूत्र दीजिये।।
    उत्तर-
    यदि बिम्ब की ऊँचाई h हो एवं प्रतिबिम्ब की ऊँचाई h’ हो तो गोलीय दर्पण से उत्पन्न आवर्धनता ।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 8

    प्रश्न 9.
    स्नेल का नियम लिखिये ।।
    उत्तर-
    अपवर्तन के दौरान अपवर्तन में आपतन कोण i की ज्या एवं अपवर्तन कोण r की ज्या का अनुपात स्थिर रहता है।
    \frac { sini }{ sinr }  = नियतांक
    यह अपवर्तन का दूसरा नियम है जिसे स्नेल का नियम कहते हैं।

    प्रश्न 10.
    लेंस सूत्र लिखिये।
    उत्तर-
    किसी लेंस के लिए बिम्ब दूरी u, प्रतिबिम्ब दूरी v व फोकस दूरी f हो तो लेंस सूत्र निम्न होता है
    \frac { 1 }{ v } +\frac { 1 }{ u } =\frac { 1 }{ f }

    प्रश्न 11.
    एक वस्तु से समान्तर किरणें उत्तल लेंस पर आपतित होती हैं तो उस वस्तु का प्रतिबिम्ब कहाँ बनेगा?
    उत्तर-
    प्रतिबिम्ब मुख्य फोकस पर बनेगा।

    प्रश्न 12.
    लेंस की क्षमता का मात्रक लिखिये।
    उत्तर-
    लेंस की क्षमता उसकी फोकस दूरी की व्युत्क्रम होती है। अर्थात्
    P=\frac { 1 }{ f }
    यदि f मीटर में है तो P का मात्रक डाइऑप्टर (Dioptre) होता है।

    प्रश्न 13.
    निकट दृष्टि दोष में व्यक्ति को कौनसी स्थिति में वस्तुएं स्पष्ट नहीं दिखाई देती हैं ?
    उत्तर-
    निकट दृष्टि दोष का कोई व्यक्ति 1.2 m से अधिक दूरी पर रखी हुई वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख सकता है।

    प्रश्न 14.
    उचित क्षमता का उत्तल लेंस लगा कर कौनसा दृष्टि दोष दूर किया जाता है?
    उत्तर-
    दीर्घ दृष्टि दोष के निवारण के लिए उचित क्षमता का उत्तल लेंस नेत्र के आगे लगाया जाता है ।

    प्रश्न 15.
    मोतियाबिन्द क्या है?
    उत्तर-
    व्यक्ति की आयु बढ़ने के साथ नेत्र लेंस की पारदर्शिता खत्म होने लगती है एवं उसका लचीलापन कम होने लगता है। इस कारण यह प्रकाश का परावर्तन करने लगता है एवं वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है। इस दोष को मोतियाबिन्द कहते हैं।

    प्रश्न 16.
    एक शेविंग दर्पण में हमें अपना प्रतिबिम्ब कैसा दिखता है?
    उत्तर-
    आभासी, बड़ा और सीधा प्रतिबिम्ब दिखता है।

    लघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    नियमित परावर्तन व विसरित परावर्तन किसे कहते हैं?
    उत्तर-
    नियमित परावर्तन (Regular Reflection)-चित्र के अनुसार, किसी भी चिकने पृष्ठ पर आपतित किरण पुञ्ज के एक विशिष्ट दिशा में पुनः उसी माध्यम में प्रक्षेपण को ‘नियमित परावर्तन’ कहते हैं
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1
    विसरित परावर्तन (Diffused Reflection)-चित्र के अनुसार, सूर्य का प्रकाश एक निश्चित दिशा से आपतित है परन्तु दीवार पर गिरने के पश्चात् वह विभिन्न दिशाओं में फैल जाता है अर्थात् विसरित हो जाता है।
    खुरदुरे पृष्ठों द्वारा प्रकाश के समान रूप से चारों ओर बिखरने के प्रभाव को ‘विसरित परावर्तन’ कहते हैं।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1.1

    प्रश्न 2.
    पार्श्व परावर्तन क्या है? समझाइये।
    उत्तर-
    समतल दर्पण में बनने वाला प्रतिबिम्ब आभासी होता है। वह प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे दर्पण से उतनी ही दूरी पर दिखाई देता है जितनी दूरी पर वस्तु दर्पण के सामने स्थित है। प्रतिबिम्ब का आकार वस्तु के आकार जितना ही होता है। दर्पण के सामने खड़े होकर जब हम अपने प्रतिबिम्ब को देखते हैं तो हम पाते हैं। कि हमारा दायां भाग प्रतिबिम्ब का बायां भाग बन जाता है। इसी प्रकार यदि एक कागज पर आप p लिखकर उसे दर्पण की ओर करते हैं तो हमें दर्पण में q दिखाई देता है। समतल दर्पण में दिखाई पड़ने वाले इस परिवर्तन को पाश्र्व परावर्तन (Lateral Inversion) कहते हैं।

    प्रश्न 3.
    यदि एक बिम्ब अवतल दर्पण के वक्रता त्रिज्या एवं फोकस के बीच में रखा है तो किरण चित्र द्वारा प्रतिबिम्ब की स्थिति दर्शाइये।
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 3
    इस स्थिति में प्रतिबिम्ब की स्थिति वक्रता केन्द्र C तथा अनन्त के मध्य होगी और प्रतिबिम्ब का स्वरूप व आकार वास्तविक व उल्टा और प्रतिबम्ब से बड़ा होगा।

    प्रश्न 4.
    गोलीय दर्पणों के लिए कार्तीय चिह्न परिपाटी को समझाइये।।
    उत्तर-
    इस पद्धति में हम दर्पण के ध्रुव को मूल बिन्दु मानते हैं। और दर्पण के मुख्य अक्ष को निर्देशांक पद्धति का X-अक्ष लिया जाता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 4
    इसके नियम निम्न प्रकार से हैं

    • मुख्य अक्ष से समान्तर सभी दूरियाँ दर्पण के ध्रुव (मूल बिन्दु) से ली जाती हैं ।
    • बिम्ब दर्पण के बाईं.ओर रखा जाता है अर्थात् बिम्ब से आने वाली किरणें दर्पण पर सदैव बाईं ओर से आपतित होती हैं।
    • मुख्य अक्ष के समान्तर मूल बिन्दु से बाईं ओर (-x अक्ष के अनुदिश) की सभी दूरियाँ ऋणात्मक ली जाती हैं।
      उदाहरणार्थ-उत्तल दर्पण और अवतल दर्पण दोनों में ही बिम्ब की दूरी हमेशा ऋणात्मक होगी। इसी प्रकार मूल बिन्दु के दायीं ओर (+ x अक्ष के अनुदिश) की सभी दूरियाँ धनात्मक ली जाती हैं।
    • मुख्य अक्ष के ऊपर की ओर लम्बवत् मापी जाने वाली दूरियाँ (+ y अक्ष के अनुदिश) धनात्मक ली जाती हैं जबकि मुख्य अक्ष के नीचे की ओर लम्बवत् । मापी जाने वाली दूरियाँ (- y अक्ष के अनुदिश) ऋणात्मक मानी जाती हैं।

    कार्तीय चिह्न पद्धति के अनुसार अवतल दर्पण की फोकस दूरी एवं वक्रता त्रिज्या भी सदैव ऋणात्मक होगी। अवतल दर्पण में जब प्रतिबिम्ब दर्पण के सामने बायीं ओर बनेगा तो उसकी दूरी ऋणात्मक लेते हैं। यदि दायीं ओर अर्थात् पीछे बनेगा तो उसकी दूरी धनात्मक लेंगे।

    जब प्रतिबिम्ब सीधा होगा तो उसकी लम्बाई धनात्मक लेंगे एवं जब प्रतिबिम्ब उलटा व मुख्य अक्ष के नीचे की ओर हो तो उसकी लम्बाई ऋणात्मक लेंगे। इस पद्धति के अनुसार एक उत्तल दर्पण के लिये भी बिम्ब की दूरी हमेशा ऋणात्मक होगी। चूंकि उत्तल दर्पण की वक्रता त्रिज्या एवं फोकस दूरी हमेशा दर्पण के पीछे (दाईं ओर) होती है अतः ये दोनों हमेशा धनात्मक होंगे। उत्तल दर्पण में प्रतिबिम्ब हमेशा दर्पण के पीछे बनता है अतः प्रतिबिम्ब की दूरी हमेशा धनात्मक होगी। इसी तरह उत्तल दर्पण में प्रतिबिम्ब हमेशा सीधा बनता है अतः प्रतिबिम्ब की लम्बाई धनात्मक लेंगे।

    प्रश्न 5.
    प्रकाश के अपवर्तन की व्याख्या कीजिये एवं अपवर्तन के नियम लिखिये।
    उत्तर-
    अपवर्तन-जब प्रकाश किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो दोनों माध्यमों को पृथक् करने वाले धरातल पर वह अपने मार्ग से विचलित हो जाती है। प्रकाश की इस क्रिया को अपवर्तन कहते हैं। अपवर्तन प्रकाश के एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे में प्रवेश करने पर प्रकाश की चाल में परिवर्तन के कारण होता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 5
    जब प्रकाश विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करता है तो अभिलम्ब की ओर झुक जाता है। परन्तु, जब प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करता है तो अभिलम्ब से दूर हट जाता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 5.1
    अपवर्तन का कारण-दोनों माध्यमों में प्रकाश का वेग अलग-अलग होने के कारण ही प्रकाश का अपवर्तन होता है।
    अपवर्तन के नियम-

    1. प्रथम नियम-आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा दोनों माध्यमों को पृथक् करने वाले पृष्ठ के आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं।
    2. द्वितीय नियम (स्नेल का अपवर्तन नियम)-प्रकाश की किसी निश्चित रंग तथा निश्चित माध्यमों के युग्म के लिए आपतन् कोण की ज्या (sin i) एवं अपवर्तन कोण की ज्या (sin r) का अनुपात निश्चित रहता है।

    \frac { sini }{ sinr }  = नियतांक
    यह अपवर्तन का दूसरा नियम है, जिसे स्नेल का नियम कहते हैं। इसे माध्यम 2 का माध्यम 1 के सापेक्ष अपवर्तनांक μ21 कहते हैं।
    { \mu }_{ 21 }=\frac { sini }{ sinr }

    प्रश्न 6.
    उत्तल लेंस व अवतल लेंस के विभिन्न प्रकार बताइये।
    उत्तर-
    उत्तल लेंस के प्रकार-उत्तल लेंस तीन प्रकार के होते हैं

    1. उभयोत्तल लेंस (Double convex Lens)-इनके दोनों पृष्ठ उत्तल होते हैं।
    2. समतलोत्तल लेंस (Plano convex Lens)-इनका एक पृष्ठ उत्तल एवं एक पृष्ठ समतल होता है।
    3. अवतलोत्तल लेंस (Concave convex Lens)–इनका एक पृष्ठ अवतल एवं एक पृष्ठ उत्तल होता है।

    गोलीय पृष्ठ की वक्रता लगभग बराबर होने की अवस्था में एक उभयोत्तल लेंस की फोकसन क्षमता दूसरे दोनों लेंस से ज्यादा होती है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 6
    अवतल लेंस के प्रकार-अवतल लेंस भी तीन प्रकार के होते हैं

    1. उभयावतल लेंस (Double Concave Lens)-इनके दोनों पृष्ठ अवतल होते हैं।
    2. समतलावतल लेंस (Plano Concave Lens)-इनका एक पृष्ठ समतल एवं दूसरा पृष्ठ अवतल होता है।
    3. उत्तलावतल लेंस (Convexo Concave Lens)-इनका एक पृष्ठ उत्तल एवं दूसरा पृष्ठ अवतल होता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 6.1

    प्रश्न 7.
    गोलीय लेंस के लिये मुख्य फोकस एवं प्रकाशिक केन्द्र को परिभाषित कीजिये।
    उत्तर-
    मुख्य फोकस-मुख्य अक्ष के समान्तर लेंस पर आपतित किरणें अपवर्तन के पश्चात् जिस बिन्दु पर जाकर मिलती हैं अथवा मिलती हुई प्रतीत होती हैं, उसे मुख्य फोकस कहते हैं। लेंस के दोनों ओर दो मुख्य फोकस होते हैं। परिपाटी के अनुसार बाईं ओर से किरणें आपतित होती हैं। बाईं ओर के फोकस को F1 व दाईं ओर के फोकस को F2 से निरूपित किया जाता है।

    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 7
    प्रकाशिक केन्द्र-किसी लेंस के मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिन्दु जहाँ से गुजरने वाली प्रकाश किरण बिना मुड़े ही सीधी अपवर्तित हो जाती है, लेंस का प्रकाशिक केन्द्र कहलाता है। यदि लेंस की दोनों वक्रता त्रिज्यायें समान हों (R1 = R2) तो प्रकाश केन्द्र मुख्य अक्ष पर ठीक लेंस के बीच में होगा।

    प्रश्न 8.
    गोलीय लेंस के लिये वक्रता त्रिज्या एवं वक्रता केन्द्र किसे कहते
    उत्तर-

    • वक्रता त्रिज्या- लेंस के वक्र पृष्ठों की त्रिज्यायें हैं, इन्हें हम प्रथम व द्वितीय पृष्ठों की वक्रता त्रिज्यायें कहते हैं। लेंस के जिस पृष्ठ पर प्रकाश आपतित होता है, उसे प्रथम पृष्ठ और जिस पृष्ठ से प्रकाश बाहर निकलता है, उसे द्वितीय पृष्ठ कहते हैं।
    • वक्रता केन्द्र (Centre of Curvature)- हम लेंस के वक्र पृष्ठों को खोखले गोले का छोटा भाग मान सकते हैं। उन गोलों के केन्द्र को वक्रता केन्द्र कहते हैं। यदि लेंस के दोनों पृष्ठ वक्र हैं तो उसके वक्रता केन्द्र भी दो होंगे। चित्र में C1 व C2 वक्रता केन्द्र हैं।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 8

    प्रश्न 9.
    गोलीय लेंस से अपवर्तन के नियम लिखिये।
    उत्तर-
    गोलीय लेंस से अपवर्तन नियम-

    1. मुख्य अक्ष के समान्तर गुजरने वाली किरणें उत्तल लेंस से अपवर्तन के पश्चात् मुख्य फोकस से गुजरती हैं। जब ये समान्तर किरणें अवतल लेंस पर आपतित होती हैं तो अपवर्तन के पश्चात् अपसारित हो जाती हैं, जिन्हें पीछे की ओर बढ़ाने पर वे मुख्य फोकस पर मिलती हैं अर्थात् अपवर्तन के पश्चात् ऐसी किरणें मुख्य फोकस से निकलती हुई प्रतीत होती हैं।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 9
    2. ऐसी प्रकाश किरणें जो उत्तले लेंस के मुख्य फोकस से होते हुए लेंस पर आपतित होती हैं तो अपवर्तन के पश्चात् वे किरणें मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती हैं। यदि प्रकाश किरणें अवतल लेंस पर मुख्य फोकस की ओर आती हुई प्रतीत होती हैं तो वे किरणे अपवर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती हैं। [चित्र (अ) तथा (ब) में देखें]
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 9.1
    3. प्रकाश किरण जब लेंस के प्रकाशिक केन्द्र से गुजरती है तो अपवर्तन के पश्चात् उसकी दिशा में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 9.2

    प्रश्न 10.
    अवतल लेंस से प्रतिबिम्ब निर्माण को किरण चित्रों द्वारा समझाइये।
    उत्तर-

    • जब बिम्ब अनन्त पर हो-अनन्त से आने वाली समान्तर किरणें अवतल लेंस से अपवर्तन के पश्चात् अपसारित हो जाती हैं, जिन्हें पीछे बढ़ाने पर बिम्ब का आभासी, अत्यधिक छोटा एवं सीधा प्रतिबिम्ब फोकस अथवा फोकस तल पर बनता है। यदि किरणें मुख्य के समान्तर आती हैं तो प्रतिबिम्ब फोकस पर बनता है। यदि समान्तर किरणें मुख्य अक्ष से कुछ झुकी हुई आती हैं तो प्रतिबिम्ब फोकस तल पर बनता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 10
    • जब बिम्ब सीमित दूरी पर स्थित हो–यदि बिम्ब अवतल लेंस से किसी सीमित दूरी पर हो (अनन्त व प्रकाशिक केन्द्र के बीच) तो बिम्ब का आभासी, सीधा एवं बिम्ब से छोटा प्रतिबिम्ब बनता है। जैसे-जैसे बिम्ब को लेंस के पास लाते जायेंगे, तब प्रतिबिम्ब का आकार बढ़ता जायेगा किन्तु उसका आकार हमेशा बिम्ब (वस्तु) से छोटा ही होगा।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 10.1

    प्रश्न 11.
    लेंस की क्षमता से आप क्या समझते हैं?
    उत्तर-
    लेंस की क्षमता—किसी लेंस द्वारा प्रकाश किरणों को अभिसरण या अपसरण करने की मात्रा (Degree) को उसकी क्षमता के रूप में व्यक्त किया जाता है। इसे P से व्यक्त करते हैं।
    किसी f फोकस दूरी के लेंस की क्षमता,
    P=\frac { 1 }{ f }
    लेंस की क्षमता का SI मात्रक ‘डाइऑप्टर’ (Dioptre) है। इसे D से व्यक्त करते हैं। यदि f को मीटर में व्यक्त करें तो क्षमता को डाइऑप्टर में व्यक्त किया जाता है। इस प्रकार 1 डाइऑप्टर उस लेंस की क्षमता है, जिसकी फोकस दूरी 1 मीटर हो।
    अतः
    1D = 1m-1
    उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक तथा अवतल लेंस की क्षमता ऋणात्मक होती हैं।

    प्रश्न 12.
    निकट दृष्टि दोष से आप क्या समझते हैं? इसे कैसे दूर किया जाता है?
    उत्तर-
    निकट दृष्टि दोष में व्यक्ति को निकट की वस्तुयें तो स्पष्ट दिखाई देती हैं किन्तु दूर की वस्तुयें धुंधली दिखाई देने लगती हैं। इस दृष्टि दोष का मुख्य कारण नेत्र लेंस की वक्रता का बढ़ जाना है। इस दोष से पीड़ित व्यक्ति के नेत्र में दूर रखी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब रेटिना से पहले ही बन जाता है जबकि कुछ दूरी पर रखी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनता है। एक प्रकार से उस व्यक्ति को दूर बिन्दु अनन्त पर न होकर पास आ जाता है। इस दोष के निवारण के लिए उचित क्षमता का अवतल लेंस नेत्र के आगे लगाया जाता है। वर्तमान में लेजर तकनीक का उपयोग करके भी इस दोष का निवारण किया जाता है।

    प्रश्न 13.
    दूर दृष्टि दोष क्या है? इसका निवारण कैसे किया जाता है? .
    उत्तर-
    दूर दृष्टि दोष में व्यक्ति को दूर की वस्तुयें तो स्पष्ट दिखाई देती हैं। परन्तु पास की वस्तुयें स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं। इस दोष में व्यक्ति को सामान्य निकट बिन्दु (25 cm) से वस्तुयें धुंधली दिखती हैं, लेकिन जैसे-जैसे वस्तु को 25 cm से दूर ले जाते हैं, वस्तु स्पष्ट होती जाती है। एक प्रकार से दीर्घ दृष्टि दोष में व्यक्ति का निकट बिन्दु दूर हो जाता है। इसके निवारण के लिए उचित क्षमता का उत्तल लेंस नेत्र के आगे लगाया जाता है।

    प्रश्न 14.
    जरा-दृष्टि दोष एवं दृष्टि वैषम्य दोष क्या हैं?
    उत्तर-
    जरा दृष्टि दोष-इस दोष में निकट और दूर दोनों प्रकार की वस्तुयें। साफ दिखाई नहीं देती हैं। इसे दूर करने के लिए द्विफोकसी (Bifocal) लेंस का उपयोग किया जाता है। इन लेंसों का ऊपरी भाग अवतल एवं नीचे का भाग उत्तल होता है।

    दृष्टि वैषम्य दोष-दृष्टि वैषम्य दोष या अबिन्दुकता दोष कॉर्निया की गोलाई में अनियमितता के कारण होता है। इसमें व्यक्ति को समान दूरी पर रखी ऊर्ध्वाधर व क्षैतिज रेखायें एक साथ स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं। इसके निवारण के लिए बेलनाकार लेंस का उपयोग किया जाता है।

    प्रश्न 15.
    नेत्र की समंजन क्षमता व दृष्टि परास से क्या अभिप्राय है?
    उत्तर-
    आँख की समंजन क्षमता-नेत्र लेंस की फोकस दूरी उससे सम्बद्ध मांसपेशियों द्वारा आसानी से बदली जा सकती है। अतः अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित कर लेता है, समंजन क्षमता कहलाती है।

    दृष्टि परास-स्वस्थ नेत्र का दूर बिन्दु अनन्त पर होता है तथा निकटतम बिन्दु 25 सेमी. पर होता है। निकटतम तथा दूर बिन्दु के बीच की दूरी को दृष्टि परास {ratige of vision) कहते हैं ।

    प्रश्न 16.
    एक बिम्ब उत्तल लेंस के मुख्य अक्ष पर अनन्त व 2F1 के बीच रखा है। प्रतिबिम्ब की स्थिति किरण चित्र द्वारा समझाइये।
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 16
    इस स्थिति में प्रतिबिम्ब की स्थिति F2 व 2F2 के बीच में स्थित होगी। प्रतिबिम्ब का स्वरूप व आकार वास्तविक व उल्टा और बिम्ब से छोटा होगा।

    निबन्धात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    एक अवतल दर्पण के लिये बिम्ब की निम्न स्थितियों में प्रतिबिम्ब की स्थिति व प्रकृति के बारे में किरण चित्र बनाकर समझाइये–

    1. जब बिम्ब अनन्त व वक्रता केन्द्र के बीच हो
    2. जब बिम्ब वक्रता केन्द्र पर हो
    3. जब बिम्ब वक्रता केन्द्र व फोकस के बीच हो
    4. जब बिम्ब फोकस पर हो
    5. जब बिम्ब फोकस व ध्रुव के बीच हो।

    उत्तर-

    1. जब बिम्ब अनन्त व वक्रता केन्द्र के बीच हो-इस स्थिति में प्रतिबिम्ब फोकस F व वक्रता केन्द्र C के बीच में बनता है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप वास्तविक व उल्टा होता है और प्रतिबिम्ब का आकार छोटा होता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1
    2. जब बिम्ब वक्रता केन्द्र पर हो- इस स्थिति में प्रतिबिम्ब वक्रता केन्द्र C पर बनता है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप वास्तविक व उल्टा होता है और प्रतिबिम्ब का आकार बिम्ब के समान आकार का होता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1.1
    3. जब बिम्बे वक्रता केन्द्र व फोकस के बीच हो-इस स्थिति में प्रतिबिम्ब वक्रता केन्द्र C से दूर बनता है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप वास्तविक व उल्टा बनता है और प्रतिबिम्ब का आकार बिम्ब के आकार से बड़ा बनता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1.2
    4. जब बिम्ब फोकस पर हो-इस स्थिति में प्रतिबिम्ब अनन्त पर बनता है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप वास्तविक व उल्टा बनता है और प्रतिबिम्ब का आकार बहुत बड़ा बनता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1.3
    5. जब बिम्ब फोकस व ध्रुव के बीच हो-इस स्थिति में प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनता है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप आभासी व सीधा बनता है और इसका स्वरूप को आकार बड़ा बनता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1.4

    प्रश्न 2.
    अपवर्तन से आप क्या समझते हैं? अपवर्तन के नियम लिखिये एवं कांच के स्लैब की सहायता से प्रकाश किरण के अपवर्तन को समझाइये।
    उत्तर-
    अपवर्तन-जब प्रकाश किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो दोनों माध्यमों को पृथक् करने वाले धरातल पर वह अपने मार्ग से विचलित हो जाती है। प्रकाश की इस क्रिया को अपवर्तन कहते हैं। अपवर्तन प्रकाश के एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे में प्रवेश करने पर प्रकाश की चाल में परिवर्तन के कारण होता है। अपवर्तन का कारणं-दोनों माध्यमों में प्रकाश का वेग अलग-अलग होने के कारण ही प्रकाश का अपवर्तन होता है।।
    अपवर्तन के नियम–

    • प्रथम नियम-आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा दोनों माध्यमों को पृथक् करने वाले पृष्ठ के आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं।
    • द्वितीय नियम (स्नेल का अपवर्तन नियम)-प्रकाश की किसी
      निश्चित रंग तथा निश्चित माध्यमों के युग्म के लिए आपतन कोण की ज्या (sini) एवं अपवर्तन कोण की ज्या (sin r) का अनुपात स्थिर रहता है।
      \frac { sini }{ sinr }  = नियतांक

    यह अपवर्तन का दूसरा नियम है, जिसे स्नेल का नियम कहते हैं। इसे माध्यम 2 का माध्यम 1 के सापेक्ष अपवर्तनांक 2i कहते हैं।
    { \mu }_{ 21 }=\frac { sini }{ sinr }

    काँच की स्लैब की सहायता से प्रकाश किरण का अपवर्तन-
    अपवर्तन के प्रथम नियम की पुष्टि के लिये चित्रानुसार काँच की एक आयताकार सिल्ली ABCD लेते हैं। सिल्ली को सफेद कागज पर रखते हैं।

    PQ प्रकाश की एक किरण है जो सिल्ली के एक फलक AB पर (कागज के तल को स्पर्श करती हुई) आपतित है। जब बिन्दु Q पर यह काँच में प्रवेश करती है। तब अपनी मूल दिशा से विचलित होकर OR दिशा में अपवर्तित हो जाती है, तदुपरान्त RS दिशा में सिल्ली से बाहर निकल जाती है। QR और RS को क्रमशः अपवर्तित एवं निर्गत किरण कहते हैं। हम देखते हैं कि आपतित किरण PO, अपवर्तित किरण OR तथा अभिलम्ब ON तीनों विभिन्न तल में न होकर कागज के एक तल में ही हैं। अर्थात् आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं। यही अपवर्तन का पहला नियम है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 2
    चित्र-काँच की आयताकार सिल्ली से प्रकाश को अपवर्तन
    Q को R से मिलाने पर अपवर्तित किरण QR प्राप्त होती है। अब सिल्ली की सतह पर Q बिन्दु से अभिलम्ब खींचकर आपतन कोण i और अपवर्तन कोण r का मान ज्ञात करते हैं। सिल्ली पर प्रकाश की किरण अलग-अलग कोण पर आपतित करते हुए। और r के विभिन्न मान ज्ञात करते हैं। गणना करने पर हम देखते हैं कि  \frac { sini }{ sinr }  का मान सदैव निश्चित रहता है। इसे स्थिरांक µ लिखते हैं। यही अपवर्तन का दूसरा नियम है, जिसे स्नेल का नियम कहते हैं। इसे माध्यम 2 का माध्यम 1 के सापेक्ष अपवर्तनांक μ21 कहते हैं।
    { \mu }_{ 21 }=\frac { sini }{ sinr }
    यदि प्रकाश निर्वात से किसी माध्य में प्रवेश करता है तो उस माध्यम के निर्वात के सापेक्ष अपवर्तनांक को निरपेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं। इसी प्रकार किसी माध्यम के हवा के सापेक्ष अपवर्तनांक को प्रकाश के हवा में वेग एवं प्रकाश के उस माध्यम में वेग के अनुपात से भी दर्शाया जाता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 2.1
    अपवर्तनांक माध्य की प्रकृति घनत्व एवं प्रकाश के रंग (तरंगदैर्घ्य) पर भी निर्भर करता है। यह ध्यान रहे कि बैंगनी रंग के प्रकाश के लिए अपवर्तनांक सबसे अधिक होता है व लाल रंग के प्रकाश के लिए अपवर्तनांक सबसे कम होता है।

    प्रश्न 3.
    एक उत्तल दर्पण के लिये बिम्ब की निम्न स्थितियों में प्रतिबिम्ब की स्थिति व प्रकृति के बारे में किरण चित्र बनाकर समझाइये

    • जब बिम्ब अनन्त पर हो
    • जब बिम्ब किसी निश्चित दूरी पर हो।

    उत्तर-

    • जब बिम्ब अनन्त पर हो-
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 3
      बिम्ब की इस स्थिति में प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे फोकस पर बनता है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप आभासी व सीधा होता है। प्रतिबिम्ब का आकार अत्यधिक छोटा बिन्दुवत होता है।
    • जब बिम्ब किसी निश्चित दूरी पर हो-बिम्ब की इस स्थिति में प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे ध्रुव व फोकस के बीच बनता है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप आभासी व सीधा होता है। प्रतिबिम्ब का आकार बिम्ब से काफी छोटा होता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 3.1

    प्रश्न 4.
    किरण चित्रों की सहायता से एक अवतल लेंस में प्रतिबिम्ब की स्थिति व स्वरूप को समझाइये जबकि बिम्ब

    • लेंस के फोकस बिन्दु पर हो
    • फोकस F1 वे 2F1 के बीच हो
    • 2F1 से अनन्त के बीच हो।

    उत्तर-

    • बिम्ब लेंस के फोकस बिन्दु पर हो
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 4
      प्रतिबिम्ब का स्वरूप आभासी व सीधा है और प्रतिबिम्ब का आकार बिम्ब से छोटा है।
    • बिम्ब फोकस F1 वे 2F1 के बीच हो-प्रतिबिम्ब का स्वरूप आभासी व सीधा है और प्रतिबिम्ब का आकार बिन्दु (i) के आकार से छोटा है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 4.1
    • बिम्ब 2F1 से अनन्त के बीच हो
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 4.2
      प्रतिबिम्ब का स्वरूप आभासी व सीधा है और प्रतिबिम्ब का आकार बिन्दु (ii) की तुलना में छोटा है।
      नोट-बिम्ब जितना अवतल लेंस से दूर होगा उसका प्रतिबिम्ब उतना ही छोटा व फोकस की तरफ होगा।

    प्रश्न 5.
    किरण चित्र बनाते हुए उत्तल लेंस द्वारा बनने वाले प्रतिबिम्ब की प्रकृति एवं स्थिति बताइये जबकि बिम्ब

    1. फोकस एवं प्रकाशिक केन्द्र के मध्य हो
    2. फोकस पर हो
    3. फोकस F1 व 2F1 के बीच हो
    4. 2F1 पर हो
    5. 2F1 एवं अनन्त के बीच हो

    उत्तर-

    1. फोकस एवं प्रकाशिक केन्द्र के मध्य हों
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 5
      इस स्थिति में प्रतिबिम्ब की स्थिति लेंस के उसी तरफ बिम्ब की ओर बनती है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप आभासी व सीधा बनता है और प्रतिबिम्ब का आकार बिम्ब से बड़ा बनता है।
    2. फोकस पर हो
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 5.1
      इस स्थिति में प्रतिबिम्ब की स्थिति अनन्त पर बनती है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप वास्तविक व उल्टा बनता है। प्रतिबिम्ब का आकार अत्यधिक आवर्धित होता है।
    3. फोकस F1 व 2F1 के बीच हो
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 5.2
      इस स्थिति में प्रतिबिम्ब की स्थिति 2F2 व अनन्त के बीच बनती है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप वास्तविक व उल्टा बनता है। प्रतिबिम्ब का आकार बिम्ब से बड़ा होता है।
    4. 2F1 पर हो
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 5
      इस स्थिति में प्रतिबिम्ब की स्थिति 2F2 पर बनती है। प्रतिबिम्ब का स्वरूप वास्तविक व उल्टा बनता है। प्रतिबिम्ब का आकार बिम्ब के आकार के बराबर बनता है।
    5. 2F1 एवं अनन्त के बीच हो
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 5.1

    प्रश्न 6.
    नेत्र दृष्टि दोषों के बारे में विस्तार से समझाते हुए उन्हें दूर करने के उपाय बताइए।
    उत्तर-
    नेत्र दृष्टि दोष एवं उनका निराकरण-उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों में समंजन क्षमता कम होने से, चोट लगने से, नेत्रों पर अत्यधिक तनाव आदि अनेक कारणों से नेत्रों की समंजन क्षमता में कमी आ जाती है या उनकी ये क्षमता खत्म हो जाती है अर्थात् नेत्र की दृष्टि परास अर्थात् समंजन सीमायें 0.25 मीटर से अनन्त तक नहीं होती हैं, तो उस नेत्र को दोषयुक्त नेत्र कहते हैं। नेत्र में दृष्टि सम्बन्धी निम्न प्रकार के दोष होते हैं

    (1) निकट दृष्टि दोष (Myopia or short-sightedness)—इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की आँख निकट की वस्तु को साफ देख सकती है, लेकिन दूर की। वस्तु को स्पष्ट नहीं देख सकती है। इस दोष से पीड़ित आँख में बिम्ब दृष्टिपटल के पूर्व ही बन जाता है। इस दोष के उत्पन्न होने के कारण हैं

    • अभिनेत्र लेंस की वक्रता का अत्यधिक होना अथवा
    • नेत्र गोलक का लम्बा होना।।

    इस दोष के निवारण के लिए उचित क्षमता का अवतल लेंस नेत्र के आगे लगाया जाता है। अवतल लेंस अनन्त पर स्थित वस्तु से आने वाली समान्तर किरणों को इतना अपसारित करता है जिससे वे किरणें उस बिन्दु से आती हुई प्रतीत हों जो दोषयुक्त नेत्रों के स्पष्ट देखने को दूर बिन्दु है। आजकल लेजर तकनीक का उपयोग करके भी इस दोष का निवारण किया जाता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 6
    चित्र-(a) निकट-दृष्टि दोषयुक्त नेत्र, (b) निकट-दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का दूर| बिन्दु (c) अवतल लेंस के उपयोग द्वारा निकट-दृष्टि दोष का संशोधन

    (2) दूर दृष्टि दोष (Hypermetropia or long-sightedness)-इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की आँख दूर की वस्तु को स्पष्ट देख सकती है लेकिन निकट की वस्तु को साफ नहीं देख सकती है। इस दोष में व्यक्ति को सामान्य निकट बिन्दु (25 cm) से वस्तुयें धुंधली दिखती हैं, लेकिन जैसे-जैसे वस्तु को 25 cm से दूर ले जाते हैं, वस्तु स्पष्ट होती जाती है। एक प्रकार से दीर्घ दृष्टि दोष में व्यक्ति को निकट बिन्दु दूर हो जाता है। दीर्घ दृष्टि दोष के निवारण के लिए उचित क्षमता का उत्तल लेंस नेत्र के आगे लगाया जाता है। यह लेंस पास की वस्तु का आभासी प्रतिक्रिया उतना दूर बनाता है, जितना कि दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का निकट बिन्दु है। इससे पुनः नेत्र की निकट की वस्तुयें स्पष्ट दिखाई देने लगती हैं।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 6.1
    चित्र–(a), (b) दीर्घ दृष्टि दोषयुक्त नेत्र तथा (c) दीर्घ-दृष्टि दोष को संशोधन

    (3) जरा दृष्टि दोष (Presbyopia)-आयु में वृद्धि के साथ नेत्र के लेंस को लचीलापन कम हो जाता है तथा नेत्र की समंजन क्षमता भी घटती जाती है। इस कारण से दूर एवं पास दोनों ही वस्तुएँ स्पष्ट नहीं दिखाई देती हैं। इस दोष को जरा दृष्टि दोष कहते हैं। नेत्र के इस दोष को दूर करने के लिए द्विफोकसी लेंस (bifocal lens) प्रयुक्त किए जाते हैं। सामान्य प्रकार के द्विफोकसी लेंसों में नीचे का भाग उत्तल लेंस (पास की वस्तुओं को देखने के लिए) एवं ऊपरी भाग अवतल लेंस (दूर की वस्तुओं को देखने के लिए) होता है।

    (4) दृष्टि वैषम्य दोष (Astigmatism)-दृष्टि-वैषम्य दोष या अबिन्दुकता दोष कॉर्निया की गोलाई में अनियमितता के कारण होता है। इसमें व्यक्ति को समान दूरी पर रखी ऊर्ध्वाधर व क्षैतिज रेखाएं एक साथ स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं। बेलनाकार लेंस का उपयोग करके इस दोष का निवारण किया जाता है।

    (5) मोतियाबिन्द (Cataract)-व्यक्ति की आयु बढ़ने के साथ नेत्र लेंस की पारदर्शिता खत्म होने लगती है एवं उसका लचीलापन कम होने लगता है। इस कारण यह प्रकाश का परावर्तन करने लगता है। इससे प्रभावित व्यक्ति को वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है। इस दोष को मोतियाबिन्द कहते हैं।

    इस दोष को दूर करने के लिए नेत्र लेंस को हटाना पड़ता है। पहले शल्य चिकित्सा द्वारा मोतियाबिन्द को निकाल दिया जाता था। नेत्र लेंस को निकाल देने से व्यक्ति को मोटा व गहरे रंग का चश्मा लगाना पड़ता था। आधुनिक विधि में मोतियाबिन्द युक्त नेत्र लेंस को हटाकर एक कृत्रिम लेंस लगा दिया जाता है जिसे इन्ट्रा आक्युलर लेंस (Intraocular lens) कहते हैं। इससे व्यक्ति को सही दिखाई देने लगता है।

    आंकिक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    एक अवतल दर्पण की फोकस दूरी 30 cm. है। यदि एक बिम्ब 40 cm. पर रखा है तो प्रतिबिम्ब की स्थिति बताइये। प्रतिबिम्ब का आवर्धन भी ज्ञात कीजिये।
    हल-
    दिया हैदर्पण की फोकस दूरी f= – 30 cm, (∴ अवतल दर्पण है)
    बिम्ब की दूरी u= – 40 cm.
    प्रतिबिम्ब की स्थिति v = ?
    m = ?
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1
    अतः प्रतिबिम्ब दर्पण के सामने उसी ओर 120 cm. दूरी पर बनेगा और प्रतिबिम्ब वास्तविक होगा।
    आवर्धनता
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1.1
    अर्थात् प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा होगा व बिम्ब से 3 गुना होगा।

    प्रश्न 2.
    एक बिम्ब का उत्तल दर्पण से प्रतिबिम्ब दर्पण से 8 cm. पर दिखाई देता है। यदि दर्पण की फोकस दूरी 16 cm. हो तो दर्पण से बिम्ब की दूरी ज्ञात कीजिये।
    हल-
    दिया है
    फोकस दूरी।
    f = 16 cm.
    ∵उत्तल दर्पण की फोकस दूरी धनात्मक होती है।
    प्रतिबिम्ब की दूरी v = 8 cm.
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 2
    अतः बिम्ब दर्पण से बायीं ओर 16 cm. की दूरी पर है।

    प्रश्न 3.
    एक 30 cm. फोकस दूरी के उत्तल लेंस से बिम्ब 60 cm. दूरी पर रखा है। यदि बिम्ब की ऊँचाई 3 cm. है तो प्रतिबिम्ब की स्थिति तथा स्वरूप ज्ञात कीजिये।
    हल-
    दिया है
    फोकस दूरी f = + 30 cm
    चूँकि उत्तल लेंस की फोकस दूरी धनात्मक होती है।
    बिम्ब की दूरी u = – 60 cm.
    बिम्ब की ऊँचाई h = 3 cm.
    प्रतिबिम्ब की दूरी v = ?
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 3
    प्रतिबिम्ब वास्तविक एवं उल्टा है। प्रतिबिम्ब का आकार बिम्ब के समान 3 cm. का बनेगा।

    प्रश्न 4.
    एक बिम्ब उत्तल लेंस से 10 cm दूरी पर रखा है। यदि लेंस की फोकस दूरी 40 cm, हो तो प्रतिबिम्ब की स्थिति व स्वरूप ज्ञात कीजिये।
    हल-
    बिम्ब की दूरी u = – 10 cm.
    फोकस दूरी f= + 40 cm.
    ∵उत्तल लेंस की फोकस दूरी धनात्मक ली जाती है।
    प्रतिबिम्ब की स्थिति v = ? लेंस सूत्र से
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 4
    अतः प्रतिबिम्ब की दूरी  13\frac { 1 }{ 3 }  cm. है एवं प्रतिबिम्ब लेंस के बाईं ओर बनता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 4.1
    यहाँ धनात्मक चिह्न दर्शाता है कि प्रतिबिम्ब आभासी व सीधा है। प्रतिबिम्ब बिम्ब का 1.33 गुना आकार का है।

    प्रश्न 5.
    एक अवतल दर्पण की फोकस दूरी 30 cm. है। यदि एक बिम्ब 20 cm. पर रखा जाता है तो प्रतिबिम्ब की स्थिति व स्वरूप ज्ञात कीजिये।
    हल-
    दिया है
    अवतल दर्पण की फोकस दूरी f= – 30 cm.
    बिम्ब दूरी u = – 20 cm.
    प्रतिबिम्ब दूरी v = ?
    आवर्धनता m = ?
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 5
    अर्थात् प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा एवं बिम्ब से बड़ा (3 गुना) होगा।

    प्रश्न 6.
    अवतल लेंस के सम्मुख रखे बिम्ब का प्रतिबिम्ब 10 cm. पर बनता है। यदि अवतल लेंस की फोकस दूरी 15 cm. हो तो लेंस से बिम्ब की दूरी ज्ञात कीजिये।
    हल-
    दिया है v = – 10 cm.
    फोकस दूरी f = – 15 cm.
    u = ?
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 6
    अतः लेंस से बिम्ब की दूरी u = – 30 cm, होगी।

    प्रश्न 7.
    10 cm फोकस दूरी वाले उत्तल लेंस की आवर्धनता ज्ञात कीजिये जबकि लेंस से वस्तु का सीधा प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बने।
    हल-
    दिया है
    फोकस दूरी f = + 10 cm.
    चूँकि उत्तल लेंस में फोकस दूरी धनात्मक ली जाती है।
    m = ?
    न्यूनतम दूरी के लिए (v) = 25 cm.
    अर्थात् लेंस से प्रतिबिम्ब की दूरी v = – 25 cm.
    चूँकि लेंस से वस्तु का सीधा प्रतिबिम्ब बन रहा है इसलिए v व u के चिह्न समान होंगे।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 7
    अतः लेंस की आवर्धनता (m) = 3.5 Ans.

    अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

    वस्तुनिष्ठ प्रश्न
    1. किसी बिंब का अवतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा बिंब से बड़ा पाया गया। वस्तु की स्थिति कहाँ होनी चाहिए?
    (अ) मुख्य फोकस तथा वक्रता केन्द्र के बीच
    (ब) वक्रता केन्द्र पर
    (स) वक्रता केन्द्र से परे
    (द) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच

    2. किसी बिंब का वास्तविक तथा समान साइज का प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए बिंब को उत्तल लेंस के सामने कहाँ रखें?
    (अ) लेंस के मुख्य फोकस पर
    (ब) फोकस दूरी की दोगुनी दूरी पर
    (स) अनंत पर
    (द) लेंस के प्रकाशिक केन्द्र तथा मुख्य फोकस के बीच

    3. किसी गोलीय दर्पण तथा किसी पतले गोलीय लेंस दोनों की फोकस दूरियाँ – 15cm हैं। दर्पण तथा लेंस संभवतः हैं
    (अ) दोनों अवतल
    (ब) दोनों उत्तल
    (स) दर्पण अवतल तथा लेंस उत्तल
    (द) दर्पण उत्तल तथा लेंस अवतल

    4. किसी समतल दर्पण पर प्रकाश की किरण अभिलम्बवत् आपतित होती है तो परावर्तन कोण का मान होता है
    (अ) 90°
    (ब) 180°
    (स) 0°
    (द) 45°

    5. अवतल लेंस के सामने रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब सदैव होता है
    (अ) आभासी व सीधा
    (ब) वास्तविक एवं सीधा
    (स) काल्पनिक एवं उल्टा
    (द) वास्तविक एवं उल्टा

    6. डायप्टर मात्रक है
    (अ) फोकस दूरी का
    (ब) आवर्धन का
    (स) लेंस की शक्ति का
    (द) विभेदन क्षमता का

    7. एक जरा दृष्टि दोष वाला मनुष्य दो लेंसों वाला चश्मा लगाता है, इनमें–
    (अ) ऊपर वाला उत्तल लेंस एवं नीचे वाला अवतल लेंस होगा।
    (ब) नीचे वाला उत्तल लेंस एवं ऊपर वाला अवतल लेंस होगा।
    (स) दोनों उत्तल लेंस लेकिन भिन्न-भिन्न फोकस दूरी के।।
    (द) दोनों अवतल लेंस लेकिन भिन्न-भिन्न फोकस दूरी के।।

    8. आँख का वह भाग जहाँ वस्तु का प्रतिबिम्ब बनता है, वह है
    (अ) रक्तक पटल
    (ब) कॉर्निया
    (स) दृष्टि पटल
    (द) श्वेत पटल

    9. तारों के टिमटिमाने का कारण है
    (अ) वायुमण्डलीय अपवर्तन
    (ब) वायुमण्डलीय परावर्तन
    (स) वायुमण्डलीय प्रकीर्णन
    (द) वायुमण्डलीय प्रक्षेपण

    10. मानव आँख विभिन्न दूरियों पर स्थित वस्तुओं के प्रतिबिम्ब नेत्र लेंस की फोकस दूरी बदल कर रैटिना पर स्पष्ट बता सकती है। यह कार्य सम्पन्न किया जाता है
    (अ) दूर दृष्टि द्वारा
    (ब) निकट दृष्टि द्वारा
    (स) दृष्टि स्थिरता
    (द) समंजन द्वारा

    उत्तरमाला-
    1. (द)
    2. (ब)
    3. (अ)
    4. (स)
    5. (अ)
    6. (स)
    7. (ब)
    8. (स)
    9. (अ)
    10. (द)।

    अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    वस्तु और वस्तु के रंग हमें किस प्रकार से दिखाई पड़ते हैं ?
    उत्तर-
    जब प्रकाश किसी वस्तु पर गिरता है तो वस्तु प्रकाश के कुछ रंगों का अवशोषण कर लेती है एवं कुछ रंगों को परावर्तित कर देती है। इस परावर्तित प्रकाश के रंग से ही हमें वस्तु एवं वस्तु के रंग दिखाई देते हैं।

    प्रश्न 2.
    दैनिक जीवन में प्रकाश का परावर्तन कितने प्रकार से होता है? उनके नाम भी लिखिए।
    उत्तर-
    दैनिक जीवन में हम सभी दो प्रकार के परावर्तन देखते हैं

    • नियमित परावर्तन
    • विसरित परावर्तन।

    प्रश्न 3.
    यदि कोई आपतित किरण अभिलम्ब के साथ 40° का कोण बनाती है, तो परावर्तित किरण अभिलम्ब के साथ कितने डिग्री का कोण बनायेगी?
    उत्तर-
    40°

    प्रश्न 4.
    उत्तल दर्पण किसे कहते हैं ?
    उत्तर-
    ऐसे गोलीय पृष्ठ जिनका बाहरी भाग दर्पण के परावर्तक पृष्ठ की तरह उपयोग में लिया जाता है, उन्हें उत्तल दर्पण कहते हैं।

    प्रश्न 5.
    किस दर्पण द्वारा आवर्धन धनात्मक परन्तु 1 से कम होता है?
    उत्तर-
    उत्तल दर्पण द्वारा।

    प्रश्न 6.
    कार्तीय चिह्न परिपाटी के कोई दो बिन्दु लिखिए।
    उत्तर-

    • मुख्य अक्ष के समान्तर सभी दूरियाँ दर्पण के ध्रुव (मूल बिन्दु) से मापी जाती हैं।
    • बिम्ब दर्पण के बायीं ओर रखा जाता है अर्थात् बिम्ब पर आने वाली किरणें दर्पण पर सदैव बायीं ओर से आपतित होती हैं।

    प्रश्न 7.
    अवतल दर्पण के मुख्य फोकस की परिभाषा लिखिए।
    उत्तर-
    अवतल दर्पण के मुख्य अक्ष पर स्थित ऐसा बिन्दु जहाँ पर दर्पण के मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली किरणें परावर्तन के पश्चात् मिलती हैं, अवतल दर्पण का मुख्य फोकस कहलाता है। इसे F से प्रदर्शित करते हैं।

    प्रश्न 8.
    एक गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या 20 cm है। इसकी फोकस दूरी क्या होगी?
    उत्तर-
    दिया गया है-वक्रता त्रिज्या R = 20 सेमी.
    ∵ R = 2f होता है।
    ∴ फोकस दूरी  f=\frac { R }{ 2 } =\frac { 20 }{ 2 } =10  सेमी.

    प्रश्न 9.
    एक समतल दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन + है, इसका क्या अर्थ है ?
    उत्तर-
    m=\frac { { h }^{ I } }{ h } =+1  से तात्पर्य है कि बने प्रतिबिम्ब का आकार बिम्ब के आकार के बराबर है। धनात्मक चिह्न यह प्रदर्शित करता है कि प्रतिबिम्ब आभासी एवं सीधा बनेगा।

    प्रश्न 10.
    उस दर्पण का नाम बताइये जो बिंब का सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिम्ब बना सके?
    उत्तर-
    अवतल दर्पण।

    प्रश्न 11.
    हम वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में वरीयता क्यों देते हैं ?
    उत्तर-
    क्योंकि

    • यह सदैव वस्तु का सीधा प्रतिबिम्ब बनाता है।
    • यह वस्तु का अपेक्षाकृत छोटा प्रतिबिम्ब बनाते हैं, जिससे इनका दृष्टि क्षेत्र बढ़ जाता है। इससे चालक छोटे से दर्पण में सड़क का सम्पूर्ण क्षेत्र आसानी से देख पाता है।

    प्रश्न 12.
    उपग्रहों से प्राप्त संकेतों को एकत्रित करके अभिग्राही (Receiver) तक किसके द्वारा पहुँचाया जाता है ?
    उत्तर-
    अवतल दर्पण द्वारा।।

    प्रश्न 13.
    परावर्तक टेलिस्कोप में कौनसा दर्पण प्रयोग किया जाता है?
    उत्तर-
    अवतल दर्पण।।

    प्रश्न 14.
    कोई अवतल दर्पण अपने सामने 10 cm दूरी पर रखे किसी बिंब का तीन गुणा आवर्धित (बड़ा) वास्तविक प्रतिबिंब बनाता है। प्रतिबिंब दर्पण से कितनी दूरी पर है?
    उत्तर-
    दिया गया है-m = -3
    (वास्तविक प्रतिबिम्ब के लिए ऋणात्मक चिह्न)
    ∵ m=\frac { -v }{ u }
    ∴ -3=\frac { -v }{ u }  या -3u = -v
    ∵u = 10 cm. दिया गया है।
    ∴v = 3 × 10 = 30 cm
    अतः प्रतिबिम्ब दर्पण से 30 cm. की दूरी पर उसके सामने बनेगा।

    प्रश्न 15.
    हम वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्च दृश्य दर्पण के रूप में वरीयता क्यों देते हैं?
    उत्तर-
    उत्तल दर्पण द्वारा वस्तु का सीधा प्रतिबिम्ब बनता है। साथ ही इनका दृष्टि क्षेत्र अधिक होता है क्योंकि ये बाहर की ओर वक्रित होते हैं।

    प्रश्न 16.
    आवर्धन किसे कहते हैं?
    उत्तर-
    प्रतिबिम्ब की ऊँचाई एवं बिम्ब की ऊँचाई के अनुपात को आवर्धन कहा जाता है। सामान्यतः इसे m से दर्शाया जाता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 16

    प्रश्न 17.
    आपको किरोसिन, तारपीन को तेल तथा जल दिए गए हैं। इनमें से किसमें प्रकाश सबसे अधिक तीव्र गति से चलता है?
    उत्तर-
    जल का अपवर्तनांक 1.33, मिट्टी के तेल का अपवर्तनांक 1.44 तथा तारपीन तेल का अपवर्तनांक 1.47 होता है। स्पष्ट है कि पानी का अपवर्तनांक सबसे कम है। अतः पानी में प्रकाश का वेग मिट्टी के तेल तथा तारपीन के तेल से अधिक होगा।

    प्रश्न 18.
    हीरे का अपवर्तनांक 2.42 है। इस कथन का क्या अभिप्राय है?
    उत्तर-
    इसका अभिप्राय यह है कि हीरे में प्रकाश की चाल, निर्वात में प्रकाश की चाल की 5 गुनी होगी।

    प्रश्न 19.
    किसी लेंस की 1 डाइऑप्टर क्षमता को परिभाषित कीजिये।
    उत्तर-
    1 डाइऑप्टर उसे लेंस की क्षमता है, जिसकी फोकस दूरी 1 मीटर हो (1D = 1m-1)। अतः
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 19

    प्रश्न 20.
    2 मीटर फोकस दूरी वाले किसी अवतल लेंस की क्षमता ज्ञात कीजिए।
    उत्तर-
    दिया है- f = – 2 मीटर
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 20
    P = – 0.5 डाइऑप्टर

    प्रश्न 21.
    मुख्य अक्ष को परिभाषित कीजिए।
    उत्तर-
    लेंस के दोनों वक्र पृष्ठों के वक्रता केन्द्रों C1 व C2 को मिलाने वाली सरल रेखा मुख्य अक्ष कहलाती है।

    प्रश्न 22.
    फोकस दूरी को परिभाषित कीजिए।
    उत्तर-
    किसी लेंस के मुख्य फोकस बिन्दु एवं प्रकाशीय केन्द्र के बीच की दूरी को फोकस दूरी कहते हैं।

    प्रश्न 23.
    वाहनों के साइड मिरर के रूप में कौनसा दर्पण प्रयोग होता है?
    उत्तर-
    उत्तल दर्पण।

    प्रश्न 24.
    नीचे दिए गए आरेख को अपनी उत्तर-पुस्तिका में खींचकर किरण पथ की पूर्ति कीजिए
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 24
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 24.1

    प्रश्न 25.
    यदि प्रकाश की किरण काँच की पट्टिका पर लम्बवत् आपतित होती है तो अपवर्तन कोण का मान कितना होगा ?
    उत्तर-
    अपवर्तन कोण का मान शून्य होगा।

    प्रश्न 26.
    प्रकाश की किरणों को फैलाने वाले लेंस का नाम बताओ।
    उत्तर-
    अवतल लेंस।।

    प्रश्न 27.
    उस दर्पण का नाम लिखिये जो वस्तु का बड़ा एवं कल्पित प्रतिबिम्ब बनाता है?
    उत्तर-
    अवतल दर्पण।

    प्रश्न 28.
    यदि कोई वस्तु उत्तल दर्पण के ध्रुव तथा अनन्त के मध्य रखी जाये तब उसका प्रतिबिम्ब कहाँ बनेगा?
    उत्तर-
    दर्पण के फोकस तथा ध्रुव के मध्य तथा दर्पण के पीछे।

    प्रश्न 29.
    उस दर्पण का क्या नाम है जिसका प्रयोग दन्त चिकित्सक अपने रोगी के दाँत देखने के लिए करता है?
    उत्तर-
    अवतल दर्पण।।

    प्रश्न 30.
    अवतल दर्पण के मुख्य अक्ष पर कोई वस्तु किस स्थान पर रखी जाये जिससे इस वस्तु का वास्तविक प्रतिबिम्ब प्राप्त हो सके, जिसकी माप वस्तु की लम्बाई के बराबर है?
    उत्तर-
    वस्तु को अवतल दर्पण के वक्रता केन्द्र पर रखना चाहिये।

    प्रश्न 31.
    किसी लेंस की दोनों फोकस दूरियाँ कब बराबर होती हैं?
    उत्तर-
    लेंस के दोनों ओर एकसमान माध्यम तथा दोनों वक्रता त्रिज्यायें समान होने पर लेंस की दोनों फोकस दूरियाँ समान होंगी।

    प्रश्न 32.
    अपवर्तन का प्रथम नियम लिखो।
    उत्तर-
    आपतित किरण, अपवर्तित किरण एवं अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं। यह अपवर्तन का प्रथम नियम है।

    प्रश्न 33.
    जब आप एक पारदर्शी काँच के पेपर वेट को किसी लिखित पृष्ठ पर रखते हैं तो क्या अनुभव पाते हैं?
    उत्तर-
    पृष्ठ पर लिखे अक्षर ऊपर उठे से लगते हैं। इस घटना का कारण प्रकाश का अपवर्तन है।

    प्रश्न 34.
    प्रकाश की किरणों को केन्द्रित करने के लिए कौनसा लेंस प्रयुक्त किया जाता है?
    उत्तर-
    अभिसारी या उत्तल लेंस।

    प्रश्न 35.
    प्रकाश की किरण का सघन से विरल माध्यम में प्रवेश करने पर उसके वेग पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
    उत्तर-
    प्रकाश किरण का वेग बढ़ जाता है।

    प्रश्न 36.
    जब प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाती है। तब आपतन और अपवर्तन कोण में से किस कोण का मान अधिक होता है?
    उत्तर-
    आपतन कोण का।।

    प्रश्न 37.
    सघन व विरल माध्यम में क्या अन्तर है?
    उत्तर-
    सघन माध्यम में प्रकाश वेग, निर्वात की अपेक्षा कम जबकि विरल माध्यम में, सघन की अपेक्षा अधिक होता है।

    प्रश्न 38.
    अपवर्तन किसे कहते हैं?
    उत्तर-
    प्रकाश की किरण का एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करते समय पृथक्कारी तल पर इसकी दिशा में विचलन की क्रिया को अपवर्तन कहते हैं।

    प्रश्न 39.
    एक उत्तल लेंस किसी वस्तु का वास्तविक तथा बहुत बड़ा प्रतिबिम्ब बनाता है। मुख्य अक्ष पर वस्तु की क्या स्थिति होनी चाहिये?
    उत्तर-
    वस्तु लेंस के फोकस पर स्थित होनी चाहिये।

    प्रश्न 40.
    उस भौतिक राशि का नाम बताइये जो प्रकाश के एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करने पर अपरिवर्तित रहती है।
    उत्तर-
    प्रकाश की आवृत्ति

    प्रश्न 41.
    अभिसारी लेंस की क्षमता धनात्मक होती है या ऋणात्मक?
    उत्तर-
    अभिसारी लेंस की क्षमता धनात्मक होती है क्योंकि उत्तल लेंस की फोकस दूरी धनात्मक होती है।

    प्रश्न 42.
    प्रकाश तन्तु (optical fibre) किस घटना के प्रभाव से संचार में प्रयुक्त होते हैं ?
    उत्तर-
    प्रकाश तन्तु पूर्ण आन्तरिक परावर्तन की घटना के प्रभाव से संचार में प्रयुक्त होते हैं।

    प्रश्न 43.
    क्रान्तिक कोण से आप क्या समझते हैं ?
    उत्तर-
    आपतन कोण का वह मान जिस कोण से आपतित किरण के लिए अपवर्तन कोण का मान 90° होता है, क्रान्तिक कोण कहलाता है।

    प्रश्न 44.
    प्रकाश स्पेक्ट्रम में पाये जाने वाले वर्षों को क्रम में लिखिए।
    उत्तर-
    बैंगनी (violet), जामुनी (indigo), नीला (blue), हरा (green), पीला (yellow), नारंगी (orange), लाल (red) ।।

    प्रश्न 45.
    सप्तवर्णी स्पेक्ट्रम प्राप्त होने का मुख्य कारण क्या है?
    उत्तर-
    सप्तवर्णी स्पेक्ट्रम प्राप्त होने का मुख्य कारण यह है कि विभिन्न रंगों की किरणें किसी माध्यम में भिन्न-भिन्न वेग से गति करती हैं।

    प्रश्न 46.
    अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित कर लेता है, क्या कहलाती है?
    उत्तर-
    नेत्र लेंस की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित करके निकट तथा दूरस्थ वस्तुओं को फोकसित कर लेता है, नेत्र की समंजनं क्षमता कहलाती है। सामान्य अवस्था में नेत्र की समंजन क्षमता 4 डॉयोप्टर होती है।

    प्रश्न 47.
    निकट दृष्टि दोष का कोई व्यक्ति दूरी पर रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख सकता। इस दोष को दूर करने के लिए प्रयुक्त संशोधक लेंस किस प्रकार का होना चाहिये?
    उत्तर-
    अवतल लेंस की सहायता से उस व्यक्ति को इस रोग से मुक्ति दिलायी जा सकती है।

    प्रश्न 48.
    मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिये दूर बिन्दु तथा निकट बिन्दु नेत्र से कितनी दूरी पर होते हैं?
    उत्तर-
    सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिन्दु अनन्त पर तथा निकट बिन्दु नेत्र से 25 cm की दूरी पर होता है।

    प्रश्न 49.
    निकट बिन्दु से क्या तात्पर्य है?
    उत्तर-
    नेत्र के अधिकतम दूरी पर स्थित वह बिन्दु जिस पर रखी वस्तु का नेत्र के रैटिना पर स्पष्ट प्रतिबिम्ब बन सके, यह बिन्दु निकट बिन्दु कहलाता है।

    प्रश्न 50.
    न्यूनतम दूरी किसे कहते हैं?
    उत्तर-
    एक सामान्य आँख के लिये निकट बिन्दु की आँख से दूरी 25 सेमी. होती है। इस दूरी को स्पष्ट दृष्टि के लिये न्यूनतम दूरी कहते हैं।

    प्रश्न 51.
    दृष्टि परास किसे कहते हैं?
    उत्तर-
    किसी आँख के निकट बिन्दु तथा दूर बिन्दु (far point) के बीच की दूरी को दृष्टि परास कहते हैं। सामान्य आँख के लिये यह 25 सेमी. से अनन्त तक है।

    प्रश्न 52.
    एक विद्यार्थी कक्षा में अन्तिम पंक्ति में बैठा हुआ है, जिसे अध्यापक द्वारा बोर्ड पर लिखा संदेश स्पष्ट दिखाई नहीं पड़ता है, तो बताइये कि विद्यार्थी किस दोष से पीड़ित है?
    उत्तर-
    निकट दृष्टि दोष।।

    लघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    अवतल दर्पण के मुख्य फोकस को परिभाषित कीजिए। उत्तल दर्पण के दो उपयोग लिखिए।
    उत्तर-
    अवतल दर्पण के मुख्य अक्ष पर स्थित ऐसा बिन्दु जहां पर दर्पण के मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली प्रकाश किरणें, परावर्तन के पश्चात् मिलती हैं, अवतल दर्पण का मुख्य फोकस कहलाता है। इसे F से प्रदर्शित करते हैं।
    उत्तल दर्पण के उपयोग–

    • वाहनों के पश्च-दृश्य (Wing) दर्पणों के रूप में यह उपयोगी है।
    • वर्तमान में नये ATM मशीनों के पास सुरक्षा की दृष्टि से लगाये जाते हैं। ताकि ग्राहक को पीछे का पूरा दृश्य दिखाई दे सके।

    प्रश्न 2.
    वाहन की हैडलाइट में कैसे दर्पण का प्रयोग किया जाता है?
    उत्तर-
    वाहन की हैडलाइये में अवतल दर्पण प्रयुक्त होता है। बल्ब दर्पण के मुख्य फोकस पर स्थित होता है तथा बल्बे से निकलने वाली किरणें परावर्तन के पश्चात् दर्पण से समानान्तर होकर सड़क पर पड़ती हैं, जिससे वाहन के सामने का पथ प्रकाशित हो जाता है।

    प्रश्न 3.
    प्रकाश के परावर्तन से क्या तात्पर्य है? इस नियम को चित्र की सहायता से लिखिए।
    उत्तर-
    प्रकाश का परावर्तन-जब कोई प्रकाश की किरण एक माध्यम से चलकर दूसरे माध्यम की सतह से टकराकर वापस उसी माध्यम में लौट जाती है, तो इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।
    प्रकाश के परावर्तन के नियम निम्न प्रकार से हैं-

    • आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा दर्पण के आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब एक ही तल में होते हैं।
    • आपतन कोण ∠i, परावर्तन कोण ∠r के बराबर होता है।
    • परावर्तित किरण की आवृत्ति एवं चाल अपरिवर्तित रहती है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 3

    प्रश्न 4.
    वाहनों में पीछे का दृश्य देखने के लिए कौनसा दर्पण प्रयोग में लाया जाता है और क्यों?
    उत्तर-
    वाहनों में पीछे का दृश्य देखने के लिए उत्तल दर्पण का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि

    • यह सदैव वस्तु का सीधा प्रतिबिम्ब बनाता है।
    • यह वस्तु का अपेक्षाकृत छोय प्रतिबिम्ब बनाता है, जिससे इसका दृष्टि क्षेत्र बढ़ जाता है और चालक छोटे से दर्पण में सड़क का सम्पूर्ण क्षेत्र देख पाता है।

    प्रश्न 5.
    (A) किसी एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाने पर प्रकाश की किरण क्यों मुड़ जाती है?
    (B) एक लेंस की शक्ति – 4.0D है। इस लेंस की प्रकृति क्या होगी?
    उत्तर-
    (A) एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाने पर प्रकाश की किरण अपवर्तन के कारण मुड़ जाती है।
    (B) लेंस की क्षमता/शक्ति ऋणात्मक है। अतः इस लेंस की फोकस दूरी भी ऋणात्मक होगी, इस कारण लेंस की प्रकृति अवतल होगी।

    प्रश्न 6.
    एक उत्तल लेंस की फोकस दूरी 20 सेमी. है। लेंस की क्षमता कितनी होगी?
    उत्तर-
    दिया गया है| उत्तल लेंस की फोकस दूरी f = 20 सेमी.
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 6

    प्रश्न 7.
    अवतल एवं उत्तल दर्पण में भिन्नता बताइए। अवतल एवं उत्तल दर्पणों को एक-एक उपयोग लिखिए।
    उत्तर-
    (क) उत्तल दर्पण-वह गोलीय दर्पण, जिसका परावर्तक पृष्ठ बाहर की ओर वक्रित होता है, उत्तल दर्पण कहलाता है।
    (ख) अवतल दर्पण-वह गोलीय दर्पण, जिसका परावर्तक पृष्ठ अंदर की ओर अर्थात् गोले के केन्द्र की ओर वक्रित होता है, अवतल दर्पण कहलाता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 7
    अवतल दर्पण का उपयोग-इनका उपयोग सामान्यतः शेविंग दर्पण के रूप में, पॅर्च, सर्चलाइट तथा वाहनों के अग्रदीपों (Headlights) में प्रकाश का शक्तिशाली समान्तर किरण पुंज प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

    उत्तल दर्पण का उपयोग-इनका उपयोग सामान्यतः वाहनों के पश्च दृश्य (wing) दर्पणों के रूप में किया जाता है। वर्तमान में नये ATM मशीनों के पास भी सुरक्षा की दृष्टि से ऐसे उत्तल दर्पण लगाये जा रहे हैं ताकि ग्राहक को पीछे का पूरा दृश्य दिख सके।

    प्रश्न 8.
    गोलीय दर्पण द्वारा परावर्तन के नियमों का उल्लेख कीजिए।
    उत्तर-
    गोलीय दर्पण द्वारा परावर्तन के नियम

    • मुख्य अक्ष के समान्तर कोई भी प्रकाश किरण गोलीय दर्पण पर आपतित होती है तो परावर्तन के पश्चात् मुख्य फोकस से जाती है या जाती हुई प्रतीत होती है।
    • गोलीय दर्पण पर कोई किरण वक्रता केन्द्र से गुजरती हुई आपतित होती है। तो परावर्तन के बाद अपने ही मार्ग में लौट आती है।
    • गोलीय दर्पण में फोकस में से होती हुई कोई किरण आपतित होती है तो परावर्तन के पश्चात् वह मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती है।
      इन नियमों के आधार पर किरणें खींच कर दर्पण द्वारा किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब बनाया जाता है।

    प्रश्न 9.
    वास्तविक तथा कल्पित (आभासी) प्रतिबिम्ब में अन्तर लिखिये।
    अथवा
    वास्तविक एवं आभासी प्रतिबिम्ब में क्या अन्तर है?
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 9

    प्रश्न 10.
    गोलीय दर्पणों से संबंधित निम्न को परिभाषित कीजिये( कोई तीन )

    1. ध्रुव
    2. मुख्य अक्ष
    3. मुख्य फोकस
    4. फोकस दूरी।

    उत्तर-

    1. ध्रुव-गोलीय दर्पण के परावर्तक तल का मध्य बिन्दु गोलीय दर्पण का ध्रुव (Pole) कहलाता है।
    2. मुख्य अक्ष-गोलीय दर्पण के वक्रता केन्द्र C तथा ध्रुव P को मिलाने वाली रेखा, मुख्य अक्ष कहलाती है।
    3. मुख्य फोकस-मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिन्दु जहाँ पर मुख्य अक्ष के समानान्तर चलने वाला किरण पुंज दर्पण से परावर्तन के उपरान्त मिलता है या मिलता हुआ प्रतीत होता है, उसे मुख्य फोकस कहते हैं। इसे F के द्वारा निरूपित किया जाता है।
    4. फोकस दूरी-किसी गोलीय दर्पण के ध्रुव P तथा फोकस F के बीच की दूरी दर्पण की फोकस दूरी कहलाती है। इसे f से निरूपित करते हैं। इसको दर्पण का नाम्यान्तर भी कहते हैं।

    प्रश्न 11.
    किसी गोलीय दर्पण की वक्रता केन्द्र और वक्रता त्रिज्या तथा द्वारक को परिभाषित कीजिये।
    उत्तर-
    वक्रता केन्द्र-गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ एक गोले का भाग है, इस गोले का केन्द्र गोलीय दर्पण का वक्रता केन्द्र कहलाता है। इसको C से निरूपित किया जाता है। वक्रेता केन्द्र दर्पण का भाग नहीं होता है। यह तो परावर्तक पृष्ठ के बाहर स्थित होता है। अवतल दर्पण का वक्रता केन्द्र परावर्तक पृष्ठ के सामने स्थित होता है जबकि उत्तल दर्पण की स्थिति में यह परावर्तक पृष्ठ के पीछे स्थित होता है।

    वक्रता त्रिज्या-गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ जिस गोले का भाग है। उसकी त्रिज्या दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहलाती है। इसे अक्षर R से प्रदर्शित करते हैं।

    द्वारक-गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ अधिकांशतः गोलीय ही होता है। इस पृष्ठ की एक वृत्ताकार सीमा रेखा होती है। गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ की इस वृत्ताकार सीमा रेखा का व्यास दर्पण का द्वारक कहलाता है।

    प्रश्न 12.
    अवतल दर्पणों के उपयोग लिखिये।
    उत्तर-

    1. इसका उपयोग सामान्यतः टॉर्च, सर्चलाइट तथा वाहनों के अग्रदीपों (Headlights) में प्रकाश का शक्तिशाली समान्तर किरण पुंज प्राप्त करने के लिये किया जाता है।
    2. दंत विशेषज्ञ इसका उपयोग मरीजों के दाँतों का बड़ा प्रतिबिम्ब देखने के लिये करते हैं।
    3. सौर भट्टियों में इसको उपयोग सूर्य के प्रकाश को केन्द्रित करने में किया जाता है।
    4. चेहरे का बड़ा प्रतिबिम्ब देखने के लिये शेविंग दर्पणों के रूप में भी इनका उपयोग करते हैं।

    प्रश्न 13.
    लेंस किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार के होते हैं?
    उत्तर-
    लेंस-दो पृष्ठों से घिरा हुआ कोई पारदर्शी माध्यम, जिसका एक या दोनों पृष्ठ गोलीय हैं, लेंस कहलाता है। इसका अर्थ यह है कि लेंस का कम-से-कम एक पृष्ठ गोलीय होता है, ऐसे लेंसों में दूसरा पृष्ठ समतल हो सकता है।
    लेंसों के प्रकार-लेंस निम्न दो प्रकार के होते हैं

    1. उत्तल लेंस अथवा अभिसारी लेंस–वह लेंस जिसके दोनों तल गोलीय तल हों अथवा एक तल समतल तथा दूसरा तल गोलीय हो तथा जो किनारों पर पतला तथा मध्य से मोटा हो, उसे उत्तल लेंस कहते हैं। उत्तल लेंस आवर्धन लेंस के रूप में कार्य करता है।
    2. अवतल लेंस अथवा अपसारी लेंस-वह लेंस जिसके दो पृष्ठ गोलीय हों अथवा एक पृष्ठ गोलीय तथा दूसरा पृष्ठ समतल हो तथा जो किनारे से मोटा तथा मध्य में पतला हो उसे अवतल लेंस कहते हैं।
      आगे दिये गये चित्रों में उत्तल लेंस प्रकाश किरणों को अभिसरित और अवतल लेंस प्रकाश किरणों को अपसरित करता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 13

    प्रश्न 14.
    लेंस से संबंधित निम्न को परिभाषित कीजिये

    1. लेंस का वक्रता केन्द्र
    2. वक्रता त्रिज्या
    3. मुख्य अक्ष
    4. मुख्य फोकस
    5. फोकस दूरी
    6. फोकस तल दूरी।

    उत्तर-

    1. लेंस का वक्रता केन्द्र-किसी लेंस में चाहे वह उत्तल हो अथवा अवतल, दो गोलीय पृष्ठ होते हैं। इनमें से प्रत्येक पृष्ठ एक गोले का भाग होता है। इन गोलों के केन्द्र लेंस के वक्रता केन्द्र कहलाते हैं। इसे प्रायः ‘C’ से दर्शाते हैं। चूंकि लेंस के दो वक्रता केन्द्र होते हैं, इसलिए इन्हें C1 व C2 द्वारा निरूपित किया जाता है।
    2. वक्रता त्रिज्या-लेंस के वक्र पृष्ठों की त्रिज्याओं को लेंस की वक्रता त्रिज्या कहते हैं। जिस पृष्ठ से प्रकाश लेंस के भीतर प्रवेश करता है उसे प्रथम पृष्ठ एवं जिस पृष्ठ से वह लेंस के बाहर निकलता है, उसे द्वितीय पृष्ठ कहते हैं।
    3. मुख्य अक्ष-किसी लेंस के दोनों वक्रता केन्द्रों C1 एवं C2 को मिलाने वाली काल्पनिक सीधी रेखा को लेंस की मुख्य अक्ष कहते हैं।
    4. मुख्य फोकस-मुख्य अक्ष के समान्तर प्रकाश की किरणें लेंस पर आपतित होती हैं तो अपवर्तन के पश्चात् जिस बिन्दु पर जाकर मिलती हैं या मिलती हुई प्रतीत होती हैं, उसे मुख्य फोकस कहते हैं। मुख्य फोकस F लेंस के दोनों ओर मुख्य अक्ष पर होता है।
    5. फोकस दूरी-प्रकाश केन्द्र व मुख्य फोकस बिन्दु के मध्य की दूरी को फोकस दूरी कहते हैं। इसे f से व्यक्त करते हैं।
    6. फोकस तल दूरी-मुख्य अक्ष के लम्बवत् ऐसा तल जो फोकस बिन्दु से गुजरता है, फोकस तल कहलाता है।

    प्रश्न 15.
    दो लेंसों की संयुक्त क्षमता एवं फोकस दूरी को समझाइये।
    उत्तर-
    माना दो लेंसों की फोकस दूरी क्रमशः f1 तथा f2 है। जब इन लेंसों को आपस में जोड़ कर रखा जाता है तब यह संयोजन एक लेंस के रूप में कार्य करने लगता है जिसकी फोकस दूरी F है। इस फोकस दूरी (F) को तुल्य फोकस दूरी कहते हैं, जो निम्नलिखित है
    \frac { 1 }{ F } =\frac { 1 }{ { f }_{ 1 } } +\frac { 1 }{ { f }_{ 2 } }
    चूँकि  \frac { 1 }{ f }=P  जबकि P लेंस की क्षमता है। अत: दो लेंसों की संयोजन क्षमता
    अग्रवत् है
    P = P1 + P2
    जबकि  P=\frac { 1 }{ F }
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 15
    यदि P1, P2, P3, P4……. क्षमताओं के लेंसों को एक-दूसरे से मिलाकर रख दिया जाये तब संयुक्त लेंस की क्षमता निम्नवत् होगी
    P = P1 + P2 + P3 + P4 +….

    प्रश्न 16.
    क्या कारण है कि पानी में आंशिक डूबी हुई वस्तु मुड़ी हुई दिखाई देती है?
    उत्तर-
    वस्तु के पानी में डूबे हुए भाग से जो प्रकाश हम तक पहुँचता है, वह वस्तु के पानी के बाहर के भाग से आने वाले प्रकाश से भिन्न दिशा से आता हुआ प्रतीत होता है। इसलिए वस्तु का पानी के भीतर वाला भाग थोड़ा ऊपर उठा हुआ दिखाई देता है।

    प्रश्न 17.
    आप एक बीकर अथवा कटोरीनुमा छोटे बर्तन में एक सिक्का रखें। अब उस बर्तन एवं अपने नेत्रों को इस प्रकार व्यवस्थित करें कि सिक्का दृष्टि से ठीक ओझल हो जाये। जैसे ही आप पानी डालते हैं सिक्का तुरन्त दिखाई देने लग जाता है। इसका क्या कारण है?
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 17
    जब प्रकाश किसी एक माध्यम से दूसरे माध्यम में गमन करता है तो दोनों माध्यम को पृथक् करने वाले पृष्ठ पर प्रकाश किरणों की दिशा में परिवर्तन होता है। यह प्रभाव अपवर्तन कहलाता है। इस अपवर्तन के प्रभाव के कारण ही हमें सिक्का दिखाई देने लगता है।

    अपवर्तन के लिये यह आवश्यक है कि प्रकाश की आपतित किरण दोनों माध्यम को पृथक् करने वाले पृष्ठ के अभिलम्ब न हो अन्यथा आपतित किरण की दिशा में कोई परिवर्तन नहीं होगा।

    प्रश्न 18.
    सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट क्यों नहीं देख पाते?
    उत्तर-
    25 cm से कम दूरी पर रखी हुई वस्तु से आने वाली प्रकाश की। किरणों की दृष्टिपटल पर फोकस करने के लिए मानव नेत्र की क्षमता में जितनी वृद्धि होनी चाहिए, उतनी नहीं हो पाती है, क्योंकि मानव नेत्र की फोकस दूरी 25 cm से कम नहीं हो सकती है। इस कारण नेत्र लेंस वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर नहीं बना पाता है, जिससे वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है।

    प्रश्न 19.
    पानी में डूबी हुई पेन्सिल मुड़ी हुई क्यों दिखाई देती है?
    उत्तर-
    पेन्सिल के पानी में डूबे हुए भाग से जो प्रकाश हम तक पहुँचता है। वह पेन्सिल के पानी के बाहर के भाग से आने वाले प्रकाश से भिन्न दिशा से आता हुआ प्रतीत होता है। इसलिए पेन्सिल का पानी के भीतर वाला भाग थोड़ा उठा हुआ दिखाई देता है।

    प्रश्न 20.
    गिलास के पानी में डूबी हुई स्ट्रा को गिलास के पार्श्व से देखने पर वह कुछ बड़ी क्यों दिखाई देती है? प्रयोग द्वारा समझाइये।
    उत्तर-
    हम एक साधारण सा प्रयोग करते हैं। एक गिलास में पानी भरकर उसमें एक स्ट्रा रख देते हैं, जो पानी में पूर्णरूप से डूबी हुई होती है। अब हम पूर्णरूप से डूबी हुई स्ट्रा को गिलास के पाश्र्व से देखते हैं तो हम पाते। हैं कि वस्तु के पानी में डूबे हुए भाग से जो प्रकाश हम तक पहुँचता है, तो वह वस्तु के पानी के बाहर के भाग से आने वाले प्रकाश से भिन्न-भिन्न दिशा से आता हुआ प्रतीत होता है। इसलिए वस्तु का पानी के भीतर वाला भाग थोड़ा ऊपर उठा हुआ और कुछ बड़ी दिखाई देती है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 20

    प्रश्न 21.
    तारे क्यों टिमटिमाते हैं?
    उत्तर-
    तारों से आने वाला प्रकाश हमारी आँख तक पहुँचने से पहले वायुमण्डल की विभिन्न परतों से गुजरता है। इन परतों का घनत्व, ताप में परिवर्तन के कारण अनियमित रूप से बदलता रहता है, जिस कारण से अपवर्तनांक भी परिवर्तित होता रहता है। अपवर्तनांक परिवर्तन के कारण तारों से आने वाली किरणें लगातार अपना मार्ग बदलती रहती हैं तथा हमारी आँख तक पहुँचने वाले प्रकाश की मात्रा भी बदलती रहती है, जिस कारण तारे टिमटिमाते हुए दिखाई देते हैं।

    प्रश्न 22.
    व्याख्या कीजिये कि ग्रह क्यों नहीं टिमटिमाते?
    उत्तर-
    ग्रह तारों की अपेक्षा पृथ्वी के बहुत करीब हैं और इसलिये उन्हें विस्तृत स्रोत की तरह माना जा सकता है। यदि हम ग्रह को बिन्दु आकार के अनेक प्रकाश स्रोतों का संग्रह मान लें तो सभी बिन्दु आकार के प्रकाश-स्रोतों से हमारे नेत्रों में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा में कुल परिवर्तन का औसत मान शून्य होगा, इसी कारण वे टिमटिमाते प्रतीत नहीं होते।

    प्रश्न 23.
    सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है?
    उत्तर-
    जब सूर्य सिर से ठीक ऊपर होता है तो सूर्य से आने वाला प्रकाश अपेक्षाकृत कम दूरी चलता है। दोपहर के समय सूर्य श्वेत प्रतीत होता है; क्योंकि नीले तथा बैंगनी वर्ण का बहुत थोड़ा भाग ही प्रकीर्ण हो पाता है। सूर्योदय के समय सूर्य क्षैतिजीय अवस्था में होता है। इस समय सूर्य से आने वाला प्रकाश हमारे नेत्रों तक पहुँचने से पहले पृथ्वी के वायुमण्डल में वायु की मोटी परतों से होकर गुजरता है। क्षितिज के समीप नीले तथा कम तरंगदैर्घ्य के प्रकाश का अधिकांश भाग कणों द्वारा प्रकीर्ण हो जाता है। इसलिये हमारे नेत्रों तक पहुँचने वाला प्रकाश अधिक तरंगदैर्घ्य का होता है। इससे सूर्योदय या सूर्यास्त के समय सूर्य रक्ताभ प्रतीत होता है।

    प्रश्न 24.
    किसी अंतरिक्ष यात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है?
    उत्तर-
    वायुमण्डल में प्रकीर्णन के कारण फैले हुए नीले प्रकाश के कारण, पृथ्वी तल पर खड़े किसी व्यक्ति को आकाश का रंग नीला दिखाई देता है।

    परन्तु जब कोई अन्तरिक्ष यात्री पृथ्वी के वायुमण्डल से बाहर निकल जाता है, तब वहाँ निर्वात में सूर्य के प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं हो पाता है, जिस कारण अन्तरिक्ष यात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला प्रतीत होता है।

    निबन्धात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    विशिष्ट आपतित किरणों के उपयोग द्वारा गोलीय दर्पण से प्रतिबिम्ब निर्माण का वर्णन कीजिए।
    उत्तर-
    किसी भी प्रतिबिम्ब के बनने के लिए कम से कम दो परावर्तित किरणों का प्रतिच्छेदन होना आवश्यक है। प्रतिबिम्ब के स्थान के निर्धारण के लिए हम दोनों ही प्रकार के दर्पणों के लिए कुछ विशिष्ट आपतित किरणों का उपयोग करते हैं।

    1. अक्ष के समान्तर किरण-अवतल दर्पण में मुख्य अक्ष के समान्तर आपतित किरण AL दर्पण से परावर्तन के पश्चात् फोकस बिन्दु (F) से होती हुई LA’ दिशा में गमन करती है। चित्र (a) और उत्तल दर्पण में किरण AL परावर्तन के पश्चात् अपसारित होती है, जिसे पीछे की ओर बढ़ाने पर फोकस बिन्दु (F) पर मिलती है। ऐसा लगता है कि परावर्तित किरण LA’ फोकस से अपसारित हो रही है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1
    2. फोकसीय किरण-अवतल दर्पण के फोकस बिन्दु से गुजरने वाली किरण BM चित्र (a) परावर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के समान्तर गमन करती है। इसी तरह उत्तल दर्पण के मुख्य फोकस की ओर जाने वाली किरण BM परावर्तन के पश्चात् MB’ दिशा में मुख्य अक्ष के समान्तर गमन करती है। चित्र (b)
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1.1
    3. अभिलम्ब किरण-दोनों ही प्रकार के दर्पणों में वक्रता केन्द्र से गुजरने वाली किरण अथवा वक्रता केन्द्र की ओर आपतित किरण परावर्तन के पश्चात् पुनः उसी दिशा में गमन कर जाती है। जैसा कि चित्र (a) तथा (b) में दर्शाया गया है। इसका कारण यह है कि वक्रता केन्द्र से दर्पण के प्रत्येक बिन्दु को मिलाने वाली रेखा दर्पण के उस बिन्दु पर अभिलम्ब होती है। इस स्थिति में आपतन कोण और परावर्तन कोण के मान शून्य होते हैं।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1.2
    4. तिर्यक किरण-दोनों ही प्रकार के दर्पणों के लिए दर्पण के पृष्ठ पर आपतित तिर्यक किरण परावर्तन के पश्चात् परावर्तन के नियम से दूसरी तिर्यक दिशा में गमन कर जाती है। तिर्यक रेखा दर्पण के जिस बिन्दु पर आपतित होती है तो उस बिन्दु से वक्रता त्रिज्या को मिलाने वाली रेखा से तिर्यक रेखा जो कोण बनाती हैं, वह आपतन कोण है। उसी के संगत परावर्तन कोण पर उस तिर्यक किरण का परावर्तन हो जाएगा। जैसा कि चित्र (a) तथा (b) में दर्शाया गया है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1.3

    प्रश्न 2.
    दर्पण सूत्र की स्थापना कीजिए।
    अथवा
    गोलीय दर्पण के लिए बिम्ब की दूरी u, प्रतिबिम्ब की दूरी v एवं फोकस दूरी f में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
    उत्तर-
    एक गोलीय दर्पण में

    1. ध्रुव से बिम्ब की दूरी u कहलाती है,
    2. ध्रुव से प्रतिबिम्ब की। दूरी v कहलाती है, एवं
    3. ध्रुव से फोकस की दूरी f कहलाती है।

    ये तीनों राशियाँ एक समीकरण द्वारा सम्बद्ध हैं जिसे दर्पण सूत्र कहा जाता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 2

    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 2.1
    प्रतिबिम्ब की ध्रुव से दूरी v = – b
    फोकस की ध्रुव से दूरी f = – c
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 2.2
    उपरोक्त समीकरण दर्पण सूत्र है। ये सूत्र उत्तल दर्पण पर भी लागू होता है।

    प्रश्न 3.
    आवर्धनता को परिभाषित कीजिए और इसका मान ज्ञात करने का सूत्र निकालिये।
    उत्तर-
    प्रतिबिम्ब की ऊँचाई एवं बिम्ब की ऊँचाई के अनुपात को आवर्धन कहा जाता है। सामान्यतः इसे m से प्रदर्शित किया जाता है। इससे हमें यह ज्ञात होता है कि किसी बिम्ब का प्रतिबिम्ब बिम्ब से कितना गुना आवर्धित है । दर्पण द्वारा किसी बिम्ब को आवर्धित करने की क्षमता ही आवर्धनता कहलाती है।

    यदि बिम्ब की ऊँचाई h हो एवं प्रतिबिम्ब की ऊँचाई h’ हो तो गोलीय दर्पण से उत्पन्न आवर्धनता
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 3
    सामान्यतः बिम्ब मुख्य अक्ष के ऊपर रखा जाता है अतः बिम्ब की ऊँचाई धनात्मक ली जाती है। यदि प्रतिबिम्ब सीधा हो, जैसे कि आभासी प्रतिबिम्ब, तो प्रतिबिम्ब की ऊँचाई धनात्मक ली जाती है। यदि वास्तविक उल्टा प्रतिबिम्ब हो तो प्रतिबिम्ब की ऊँचाई ऋणात्मक ली जाती है।
    यदि

    • m ऋणात्मक है एवं v > u है तो प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा तथा आवर्धित होगा।
    • m ऋणात्मक है एवं v = u है तो प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा तथा बिम्ब के समान आकार का होगा।
    • m ऋणात्मक है एवं v < u है तो प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा एवं छोटा होगा।
    • m धनात्मक है तो प्रतिबिम्ब आभासी एवं सीधा होगा। इस अवस्था में प्रतिबिम्ब आवर्धित होगा (∵ v > u)

    प्रश्न 4.
    अपवर्तन के निम्न उदाहरणों को विस्तार से समझाइये

    1. अग्रिम सूर्योदय तथा विलम्बित सूर्यास्त
    2. पूर्ण आन्तरिक परावर्तन
    3. वर्ण विक्षेपण।

    उत्तर-

    1. अग्रिम सूर्योदय तथा विलम्बित सूर्यास्त–जब सूर्योदय होने लगता है तो उससे पूर्व ही सूर्य से आने वाली किरणें वायुमण्डल की विभिन्न घनत्व की परतों से अपवर्तित होती हैं। हम जानते हैं कि जैसे-जैसे हम पृथ्वी की सतह से ऊपर उठते हैं वायुमण्डल का घनत्व कम होता जाता है। अतः सूर्य की किरणें पृथ्वी के वायुमण्डल में बाहर से आते हुए उत्तरोत्तर सघन माध्यम की ओर गमन करती हैं। एवं परिणामस्वरूप ये किरणें अभिलम्ब की ओर झुक जाती हैं। इसी कारण जब सूर्य क्षितिज से थोड़ा नीचे होता है तभी हमें दिखाई देने लग जाता है। ठीक इसी कारण से सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक सूर्य दिखाई देता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 4
    2. पूर्ण आन्तरिक परावर्तन (Total Internal Reflection)– जब प्रकाश किरणें सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती हैं तो वे अपवर्तन के पश्चात् अभिलम्ब से दूर होती जाती हैं (r > i) यदि किरणों के आपतन कोण । के मान को बढ़ाते जाएं तो आपतन कोण के एक विशिष्ट मान, जिसे उस माध्यम का क्रान्तिक कोण भी कहा जाता है, पर अपवर्तित किरण दोनों माध्यमों के पृथक्कारी पृष्ठ के समान्तर से गुजरती है। इस अवस्था में अपवर्तन कोण r = 90° होता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 4.1
      अब यदि प्रकाश किरणों के आपतन कोण को और बढ़ाया जाए तो प्रकाश की किरण विरल माध्यम में अपवर्तित होने के स्थान पर सघन माध्यम में ही परावर्तित हो जाती है। इसे पूर्ण आन्तरिक परावर्तन कहते हैं। प्रकाश तन्तु (optical fiber) द्वारा संचार में इसी प्रभाव का उपयोग किया जाता है।
    3. वर्ण विक्षेपण-सूर्य का प्रकाश जब कांच के प्रिज्म में से होकर गुजरता है। तो उससे निकलने वाला प्रकाश सप्त वर्ण प्रतिरूप में प्राप्त होता है, जिसे हम पर्दे पर लेकर देख सकते हैं। प्रयोगशाला में सफेद प्रकाश बल्ब का उपयोग करके भी सप्त वर्ण प्रतिरूप प्राप्त किया जा सकता है। सूर्य की तरफ या उससे आने वाले प्रकाश को आंखों से सीधा नहीं देखना चाहिए अन्यथा आंखों की रोशनी जा सकती है।
      पर्दे पर प्राप्त होने वाले इस प्रतिरूप को स्पेक्ट्रम कहते हैं। वैज्ञानिक न्यूटन ने सर्वप्रथम यह सिद्ध किया था कि श्वेत प्रकाश में स्पेक्ट्रम के वर्ण विद्यमान होते हैं। इस सप्त वर्णी प्रतिरूप के प्राप्त होने का मुख्य कारण यह है कि भिन्न-भिन्न रंगों की किरणें किसी माध्यम में अलग-अलग वेग से गति करती हैं। निर्वात के अतिरिक्त किसी भी माध्यम में लाल रंग के प्रकाश का वेग बैंगनी रंग के प्रकाश से अधिक होता है। अतः अपवर्तन के पश्चात् बैंगनी रंग की किरण अभिलम्ब की तरफ सबसे ज्यादा मुड़ जाती है। रंगों के विक्षेपण के क्रम को (VIBGYOR) बे नी आ ह पी ना ला से भी जाना जाता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 4.2

    प्रश्न 5.
    मानव के नेत्र का नामांकित चित्र बनाकर इसके विभिन्न भागों को समझाओ।
    अथवा
    मानव आँख का नामांकित चित्र बनाइये। कॉर्निया, नेत्र लेंस एवं दृष्टि पटल के कार्यों को समझाइए।
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 5
    मनुष्य की आँख के प्रमुख भाग निम्न होते हैं

    1. श्वेत पटल (Sclera)- यह आँख के गोले (eyeball) के ऊपरी सतह पर एक मोटी सख्त, सफेद एवं अपारदर्शक तह के रूप में होता है। इसका कार्य आँख के गोले की आकृति को बनाये रखना एवं आँख की बाहरी चोट से रक्षा करना होता है।
    2. कॉर्निया या स्वच्छमण्डल (Cornea)- यह श्वेत पटल के सामने का कुछ उभरा हुआ भाग होता है। इसे श्वेत पटल के ऊपरी एवं नीचे के भागों को जोड़ने वाली पारदर्शक तह भी कह सकते हैं। प्रकाश इसी पतली झिल्ली से होकर नेत्र में प्रवेश करता है।
    3. परितारिका या आइरिस (Iris)- यह कॉर्निया के पीछे एक अपारदर्शक परदा होता है। यह गुहरा पेशीय डायफ्राम होता है, जो पुतली के साइज को नियंत्रित करता है।
    4. तारा या पुतली (Pupil)- आइरिस के बीच वाले छिद्र को तारा कहते हैं। इसकी विशेषता यह है कि मांसपेशियों की सहायता से अधिक प्रकाश में स्वत: ही छोटी और अँधेरे में स्वतः ही बड़ी हो जाती है जिससे आँख में आवश्यक प्रकाश ही प्रवेश कर सके। अतः यह नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करती है।
    5. नेत्र लेंस (Eye lens)- आइरिस के पीछे एक मोटा उत्तल लेंस होता है। जिसे नेत्र लेंस कहते हैं। यह लेंस मुलायम एवं पारदर्शक पदार्थ का बना होता है तथा मांसपेशियों की सहायता से अपने निश्चित स्थान पर टिका रहता है। सामान्यतया इस उत्तल लेंस के तल की वक्रता त्रिज्या 1 सेमी. तथा पीछे के तल की त्रिज्या लगभग 6 मिमी. होती है। मांसपेशियों पर तनाव को परिवर्तित कर इस लेंस की वक्रता त्रिज्या को परिवर्तित किया जा सकता है। इसी लेंस से देखने वाली वस्तु का उल्टा, छोटा एवं वास्तविक प्रतिबिम्ब बनता है।
    6. जलीय द्रव (Aqueous humour)- नेत्र लेंस एवं स्वच्छ मण्डल के ‘बीच के स्थान में एक पारदर्शक पतला द्रव भरा रहता है जिसे जलीय द्रव कहते हैं। इसमें कुछ साधारण नमक घुला रहता है तथा इसका अपवर्तनांक 1.337 होता है।
    7. रक्त पटल या कॉरोइड (Choroid)- यह श्वेत पटल के नीचे अन्दर की ओर एक काले रंग की झिल्ली होती है। काली होने के कारण यह आपतित प्रकाश का शोषण कर लेती है जिससे आँख के गोले के भीतर प्रकाश का परावर्तन नहीं हो पाता है। इसके पृष्ठ भाग में बहुत-सी रक्त की धमनी एवं शिराएँ होती हैं, जो नेत्र का पोषण करती हैं।
    8. दृष्टिपटल या रेटिना (Retina)- यह रक्तपटल के नीचे एक कोमल सूक्ष्म झिल्ली होती है, जिसमें वृहत् संख्या में प्रकाश सुग्राही कोशिकाएँ होती हैं। प्रदीप्ति होने पर प्रकाश सुग्राही कोशिकाएँ सक्रिय हो जाती हैं तथा विद्युत सिग्नल उत्पन्न करती हैं। ये सिग्नल दृक् तंत्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क तक पहुँचा दिए जाते हैं। मस्तिष्क सिग्नलों की व्याख्या करता है तथा अंततः इस सूचना को संसाधित करता है, जिससे कि हम किसी वस्तु को जैसी है, वैसी ही देख लेते हैं। दृष्टिपटल के लगभग बीच में एक वृत्ताकार स्थान होता है जिसे पीत बिन्दु (Yellow spot) कहते हैं। जब वस्तु का प्रतिबिम्ब पीत ब्रिन्दु पर बनता है तो सबसे स्पष्ट दिखाई देता है।
    9. काचाभ द्रव (Vitreous humour)- नेत्र लेंस एवं रेटिना के बीच जो पारदर्शक द्रव भरा रहता है उसे काचाभ द्रव कहते हैं। इसका अपवर्तनांक भी 1.337 होता है।

    प्रश्न 6.

    1. मानव नेत्र की संरचना का नामांकित चित्र बनाइये।
    2. निकट दृष्टि, दूरदृष्टि एवं जरादृष्टि दोष के कारण लिखिए एवं इन दोषों को दूर करने के उपाय लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18 )

    उत्तर-

    1. मानव नेत्र की संरचना-मानव नेत्र की संरचना का चित्र प्रश्न संख्या 5 में देखें।
    2. छात्र इसका उत्तर पाठ्यपुस्तक के निबन्धात्मक प्रश्न संख्या 6 में देखें।

    प्रश्न 7.

    1. जब एक बिम्ब अवतल दर्पण की वक्रता केन्द्र एवं फोकस के बीच में रखा जाता है तो किरण चित्र द्वारा प्रतिबिम्ब की स्थिति दर्शाइये।
    2. प्रकाश के अपवर्तन की परिभाषा लिखिए।
    3. अपवर्तन के नियम लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18)

    उत्तर-

    1. .
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 7
      इस स्थिति में प्रतिबिम्ब की स्थिति वक्रता केन्द्र C से दूरी होगी और प्रतिबिम्ब का स्वरूप व आकार वास्तविक व उल्टा और प्रतिबम्ब से बड़ा होगा।
    2. अपवर्तन-जब प्रकाश किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो दोनों माध्यमों को पृथक् करने वाले धरातल पर वह अपने मार्ग से विचलित हो जाती है। प्रकाश की इस क्रिया को अपवर्तन कहते हैं। अपवर्तन प्रकाश के एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे में प्रवेश करने पर प्रकाश की चाल में परिवर्तन के कारण होता है।
    3. अपवर्तन के नियम-(1) प्रथम नियम-आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा दोनों माध्यमों को पृथक् करने वाले पृष्ठ के आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं।
      (2) द्वितीय नियम ( स्नेल का अपवर्तन नियम)-प्रकाश की किसी निश्चित रंग तथा निश्चित माध्यमों के युग्म के लिए आपतन कोण की ज्या (sin i) एवं अपवर्तन कोण की ज्या (sin r) का अनुपात निश्चित रहता है।
      \frac { sini }{ sinr }  = नियतांक
      यह अपवर्तन का दूसरा नियम है, जिसे स्नेल का नियम कहते हैं। इसे माध्यम 2 का माध्यम 1 के सापेक्ष अपवर्तनांक μ21 कहते हैं।
    4. μ21 =  \frac { sini }{ sinr }

    प्रश्न 8.
    (अ) सूर्योदय से कुछ समय पहले एवं सूर्यास्त के कुछ समय पश्चात् तक सूर्य दिखाई देता है, कारण स्पष्ट कीजिए। (माध्य, शिक्षा बोर्ड, 2018)
    (ब) श्वेत प्रकाश के वर्ण विक्षेपण से क्या अभिप्राय है? (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    (स) प्रकाश के पूर्ण आन्तरिक परावर्तन से क्या तात्पर्य है? (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    (द) एक अवतल लेंस से प्रतिबिम्ब का बनना, दर्शाने का किरण चित्र बनाइये, जबकि बिम्ब अनन्त एवं इसके प्रकाशिक केन्द्र ‘O’ के मध्य स्थित हो? (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    उत्तर-
    (अ) अग्रिम सूर्योदय तथा विलम्बित सूर्यास्त-
    जब सूर्योदय होने लगता है तो उससे पूर्व ही सूर्य से आने वाली किरणें वायुमण्डल की विभिन्न घनत्व की परतों से अपवर्तित होती हैं। हम जानते हैं कि जैसे-जैसे हम पृथ्वी की सतह से ऊपर उठते हैं वायुमण्डल का घनत्व कम होता जाता है। अतः सूर्य की किरणें पृथ्वी के वायुमण्डल में बाहर से आते हुए उत्तरोत्तर सघन माध्यम की ओर गमन करती हैं। एवं परिणामस्वरूप ये किरणें अभिलम्ब की ओर झुक जाती हैं। इसी कारण जब सूर्य क्षितिज से थोड़ा नीचे होता है तभी हमें दिखाई देने लग जाता है। ठीक इसी कारण से सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक सूर्य दिखाई देता है।
    (ब) वर्ण विक्षेपण-
    सूर्य का प्रकाश जब कांच के प्रिज्म में से होकर गुजरता है तो उससे निकलने वाला प्रकाश सप्त वर्ण प्रतिरूप में प्राप्त होता है, जिसे हम पर्दे पर लेकर देख सकते हैं। श्वेत प्रकाश में स्पेक्ट्रम के वर्ण विद्यमान होते हैं। इस सप्त वर्णी प्रतिरूप के प्राप्त होने का मुख्य कारण यह है कि भिन्न-भिन्न रंगों की किरणें किसी माध्यम में अलग-अलग वेग से गति करती हैं। निर्वात के अतिरिक्त किसी भी माध्यम में लाल रंग के प्रकाश का वेग बैंगनी रंग के प्रकाश से अधिक होता है। अतः अपवर्तन के पश्चात् बैंगनी रंग की किरण अभिलम्ब की तरफ सबसे ज्यादा मुड़ जाती है। रंगों के विक्षेपण के क्रम को (VIBGYOR) बे नी आ ह पी ना ला से भी जाना जाता है।
    (स) पूर्ण आन्तरिक परावर्तन-
    यदि प्रकाश किरण के आपतन कोण को इतना बढ़ाया जाये कि प्रकाश की किरण विरल माध्यम में अपवर्तित होने के स्थान पर सघन माध्यम में ही परावर्तित हो जाती है। इसे पूर्ण आन्तरिक परावर्तन कहते हैं। प्रकाश तन्तु (optical fiber) द्वारा संचार में इसी प्रभाव का उपयोग किया जाता है।
    (द) जब बिम्ब सीमित दूरी पर स्थित हो-
    यदि बिम्ब अवतल लेंस से किसी सीमित दूरी पर हो (अनन्त व प्रकाशिक केन्द्र के बीच) तो बिम्ब का आभासी, सीधा एवं बिम्ब से छोटा प्रतिबिम्ब बनता है। जैसे-जैसे बिम्ब को लेंस के पास लाते जायेंगे, तब प्रतिबिम्ब का आकार बढ़ता जायेगा किन्तु उसका आकार हमेशा बिम्ब (वस्तु) से छोटा ही होगा।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 8

    प्रश्न 9.
    (अ) पानी से भरे काँच के पात्र में आंशिक डूबी हुई कोई पेंसिल तिरछी दिखाई देती है, क्यों?
    (ब) लेंस की क्षमता से क्या अभिप्राय है?
    (स) मानव नेत्र में दृष्टि वैषम्य दोष क्या है?
    (द ) एक अवतल दर्पण से प्रतिबिम्ब का बनना, दर्शाने का किरण चित्र बनाइये, जबकि बिम्ब इसके वक्रता केन्द्र ‘C’ व फोकस ‘F’ के मध्य स्थित हो। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    उत्तर-
    (अ) पेन्सिल के पानी में डूबे हुए भाग से जो प्रकाश हम तक पहुँचता है, वह पेन्सिल के पानी के बाहर के भाग से आने वाले प्रकाश से भिन्न दिशा से आता हुआ प्रतीत होता है। इसलिए पेन्सिल का पानी के भीतर वाला भाग थोड़ा उठा हुआ दिखाई देता है।
    (ब) लेंस की क्षमता-किसी लेंस द्वारा प्रकाश किरणों को अभिसरण या अपसरण करने की मात्रा को उसकी क्षमता के रूप में व्यक्त किया जाता है। इसे अक्षर P द्वारा निरूपित करते हैं। किसी f फोकस दूरी के लेंस की क्षमता
    P=\frac { 1 }{ f }
    लेंस की क्षमता का SI मात्रक डाइऑप्टर है,इसे अक्षर D द्वारा दर्शाया जाता है। उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक एवं अवतल लेंस की क्षणता ऋणात्मक होती है।
    (स) दृष्टि-वैषम्य दोष-दृष्टि-वैषम्य दोष या अबिन्दुकता दोष कॉर्निया की। गोलाई में अनियमितता के कारण होता है। इसमें व्यक्ति को समान दूरी पर रखी ऊर्ध्वाधर व क्षैतिज रेखायें एक साथ स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं। बेलनाकार लेंस का उपयोग करके इस दोष का निवारण किया जाता है।
    (द)
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 9
    इस स्थिति में प्रतिबिम्ब की स्थिति वक्रता केन्द्र C तथा अनन्त के मध्य होगी। और प्रतिबिम्ब का स्वरूप व आकार वास्तविक व उल्टा और प्रतिबम्ब से बड़ा होगा।

    आंकिक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    5 cm लंबा कोई बिंब 10 cm फोकस दूरी के किसी अभिसारी लेंस से 25 cm दूरी पर रखा जाता है। प्रकाश किरण-आरेख खींचकर बनने वाले प्रतिबिंब की स्थिति, साइज तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
    हल-
    प्रश्नानुसार दिया गया है
    बिंब की दूरी u = -25 cm
    फोकस दूरी f = +10 cm
    (अभिसारी लेंस अर्थात् उत्तल लेंस में फोकस दूरी धनात्मक ली जाती है।)
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1
    प्रतिबिम्ब की ऊँचाई h = 5 cm
    तो प्रतिबिम्ब की दूरी v = ?
    प्रतिबिम्ब की ऊँचाई h’ = ?
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 1.1
    अतः प्रतिबिम्ब की स्थिति  \frac { 50 }{ 3 }  सेमी. दूर, प्रतिबिम्ब का साइज  \frac { 10 }{ 3 }  सेमी. तथा प्रकृति वास्तविक होगी।

    प्रश्न 2.
    5D क्षमता के अभिसारी लेंस को 3D क्षमता के अपसारी लेंस से सटाकर रखा गया है। संयुक्त लेंस की फोकस दूरी का मान ज्ञात कीजिये।
    हल-
    अभिसारी लेंस या उत्तल लेंस की क्षमता
    P1 = 5 D
    अपसारी लेंस (अवतल लेंस) की क्षमता
    P2 = – 3 D
    संयुक्त लेंस की क्षमता P = P1 + P2 से
    = 5 D – 3 D = 2 D
    लेंस की फोकस दूरी
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 2
    संयुक्त लेंस उत्तल लेंस की तरह से कार्य करेगा।

    प्रश्न 3.
    किसी चश्मे को लेंस दूर से आने वाले प्रकाश को 25 cm. दूरी पर स्थित दीवार पर प्रक्षेपित करता है तो लेंस की क्षमता ज्ञात कीजिए।
    हल-
    लेंस की फोकस दूरी
    f = + 25 cm = 0.25 m
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 3
    अतः चश्मे में उत्तल लेंस है।

    प्रश्न 4.
    काँच के सापेक्ष अपवर्तनांक  \frac { 3 }{ 2 }  है तथा वायु के सापेक्ष जल का अपवर्तनांक  \frac { 4 }{ 3 }  है। यदि वायु में प्रकाश की चाल 3 x 108 m/s है, तो
    (a) काँच में
    (b) जल में, प्रकाश की चाल ज्ञात कीजिए।
    हल-
    दिया हुआ है–ng =  \frac { 3 }{ 2 }  तथा nw =  \frac { 4 }{ 3 }  व (c) वायु में प्रकाश की चाल = 3 x 108 m/s है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 4
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 4.1

    प्रश्न 5.
    सिद्ध कीजिये कि दर्पण में प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है जितनी दूरी पर बिम्ब दर्पण के सामने है।
    हल-
    चित्र में MM’ एक परावर्तक तल है जिस पर बिम्ब P से PO एवं PO’ किरण आपतित हो रही है जो क्रमशः OQ एवं O’Q’ दिशा में परावर्तित हो। रही है। इन किरणों को पीछे की ओर बढ़ाने पर P’ बिन्दु पर बिम्ब P का आभासी प्रतिबिम्ब बनता है। ON व O’N’ दर्पण पर अभिलम्ब है।
    त्रिभुज POO’ एवं P’OO’ में भुजा OO’ उभयनिष्ठ है।
    परावर्तन के नियम से ∠1 = ∠3
    अतः ∠1 = ∠4 = ∠9
    180° – ∠1 = 180° – ∠9
    ∠POO’ = ∠P’OO’
    इसी प्रकार ∠PO’O= ∠P’O’O
    अतः त्रिभुज POO’ व त्रिभुज P’OO’ समरूप है।
    इसलिए PO = P’O
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 5
    एवं PO’= P’O’
    इसी तरह त्रिभुज PO’M एवं PO’M में हम देखते हैं कि
    ∠PO’M = ∠P’OM
    एवं PO’ = P’O’
    तथा भुजा MO’ उभयनिष्ठ है।
    अतः त्रिभुज PO’M एवं त्रिभुज PO’M सर्वांगसम है।
    अतः PM = P’M
    अर्थात् बिम्ब P दर्पण से जितनी दूर आगे है उसका प्रतिबिम्ब P’ दर्पण से पीछे उतनी ही दूरी पर है।
    यहाँ पर यह भी देखा गया है कि सरल रेखा PP’ दर्पण के समतल के अभिलम्ब है।

    प्रश्न 6.
    सिद्ध कीजिये कि छोटे द्वारक के अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या फोकस दूरी से दो गुनी होती है।
    हल-
    सामने चित्र में अवतल दर्पण से परावर्तन को दिखाया गया है। समतल दर्पण के जो परावर्तन के नियम हैं, वे गोलीय दर्पण पर भी पूर्ण रूप से लागू होते हैं। चित्र में RP एक अवतल दर्पण पर आपतित किरण है, जो मुख्य अक्ष के समान्तर है और अवतल दर्पण से परावर्तन के पश्चात् PQ दिशा में गमन करती है और मुख्य अक्ष को F पर काटती है । CP रेखा बिन्दु P पर अभिलम्ब है अतः CP इस अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या होगी।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 6
    परावर्तन के नियम से
    आपतन कोण i = परावर्तन कोण r
    ∠RPC = ∠QPC
    चूंकि आपतित किरण RP मुख्य अक्ष के समान्तर है अतः
    ∠RPC = ∠PCF (एकान्तर कोण) अतः
    ∠PCF = ∠QPC = ∠FPC
    इसलिये त्रिभुज PCF में ।
    PF = FC
    यदि दर्पण का द्वारक छोटा हो तो बिन्दु P दर्पण के ध्रुव 0 के समीप होगा। अतः
    PF = OF
    FC ~ OF
    अथवा
    OF =  \frac { 1 }{ 2 } OC
    OC = 2OF
    अर्थात् जब द्वारक छोटा है तो वक्रता त्रिज्या OC = R, फोकस दूरी OF = f से दुगुनी है एवं फोकस बिन्दु F दूरी OC का मध्य बिन्दु है।
    R = 2f

    प्रश्न 7.
    एक व्यक्ति का चेहरा शेविंग दर्पण से 20 cm. दूर है, यदि शेविंग दर्पण की फोकस दूरी 80 cm. है तो बनने वाले प्रतिबिम्ब की दर्पण से दूरी एवं आवर्धनता ज्ञात कीजिये।
    हल-
    दिया है–फोकस दूरी f = – 80 cm.
    ∵अवतल दर्पण की फोकस दूरी ऋणात्मक होती है।
    बिम्ब की दूरी u = – 20 cm.
    प्रतिबिम्ब की दूरी v = ?
    आवर्धनता m = ?
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 7
    अर्थात् प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा एवं बिम्ब से बड़ा (1.33 गुना) होगा।

    प्रश्न 8.
    एक उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 30 cm. है। यदि एक बिम्ब का आभासी प्रतिबिम्ब दर्पण से 20 cm. दूरी पर बनता है तो दर्पण से बिम्ब की दूरी ज्ञात कीजिए।
    हल-
    दिया है–
    फोकस दूरी f = + 30 cm.
    ∵ उत्तल दर्पण की फोकस दूरी धनात्मक होती है।
    प्रतिबिम्ब की दूरी v = + 20 cm.
    बिम्ब दूरी u = ?
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 8
    अतः विम्ब दर्पण से बायीं ओर 60 cm. पर है।

    प्रश्न 9.
    एक मोटर साइकिल के पार्श्व में लगे दर्पण से एक कार 4 मीटर की दूरी पर है। यदि दर्पण की फोकस दूरी 1 मीटर हो तो दर्पण में दिखने वाले कार के प्रतिबिम्ब की स्थिति एवं प्रकृति ज्ञात कीजिये।
    हल-
    गाड़ियों के पार्श्व दर्पण व पश्च दर्पण उत्तल दर्पण होते हैं।
    ∴ दर्पण की फोकस दूरी f = + 1 m
    (∵ उत्तल दर्पण की फोकस दूरी धनात्मक होती है।)
    दर्पण से बिम्ब की दूरी u = – 4 m
    दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी v = ?
    आवर्धनता m = ?
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 9
    अर्थात् प्रतिबिम्ब दर्पण से 0.8 m दूरी पर बनेगा। प्रतिबिम्ब आभासी एवं बिम्ब का पाँचवाँ हिस्सा (0.2 गुणा) ही होगा।

    प्रश्न 10.
    एक उत्तल दर्पण से 25 सेमी. दूर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब वस्तु की लम्बाई का आधा बनता है। दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए।
    हल-
    प्रश्नानुसार,
    वस्तु की उत्तल दर्पण से दूरी u = – 25 सेमी.।
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    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 10.1

    प्रश्न 11.
    एक मोमबत्ती तथा पर्दे के बीच की दूरी 90 सेमी. है। इसके मध्य 20 सेमी. फोकस दूरी वाला उत्तल लेंस कहाँ रखा जाये कि मोमबत्ती का वास्तविक, उल्टा प्रतिबिम्ब पर्दे पर बने?
    हल-
    दिया गया है
    मोमबत्ती और पर्दे के बीच की दूरी u + v = 90 सेमी.
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 11
    90x – x² = 1800
    x² – 90x + 1800 = 0
    x² – 60x – 30x + 1800 = 0
    (x – 60) – 30(x – 60) = 0
    (x – 60) (x – 30) = 0
    x – 60 = 0 ⇒ x = 60
    अतः उत्तल लेंस से मोमबत्ती की दूरी 60 सेमी. होनी चाहिए।

    प्रश्न 12.
    यदि पानी का अपवर्तनांक 1.33 हो एवं कांच का अपवर्तनांक 1.5 हो तो पानी के सापेक्ष कांच का अपवर्तनांक ज्ञात कीजिये।
    हल-
    µw (पानी) = 1.33
    µg (कांच) = 1.50
    पानी के सापेक्ष कांच का अपवर्तनांक
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 12
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 12.1

    प्रश्न 13.
    एक 3.0 cm, लम्बा बिम्ब 20 cm. फोकस दूरी के उत्तल लेंस के मुख्य अक्ष पर लम्बवत् रखा है। यदि वास्तविक प्रतिबिम्ब लेंस से 60 cm. दूरी पर बनता है तो बिम्ब की लेंस से दूरी व आवर्धन ज्ञात कीजिये।
    हल-
    दिया है
    बिम्ब की ऊँचाई h = + 3.0 cm.
    प्रतिबिम्ब दूरी v = + 60 cm.
    फोकस दूरी f = + 20 cm.
    (∵ उत्तल लेंस की फोकस दूरी धनात्मक ली जाती है ।)
    बिम्ब की दूरी u = ?
    आवर्धन m = ?
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 13
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 13.1
    प्रतिबिम्ब वास्तविक एवं उलटा है। प्रतिबिम्ब का आकार बिम्ब को दोगुना है।

    प्रश्न 14.
    किसी अवतल लेंस की फोकस दूरी 30 cm. है। यदि बिम्ब लेंस से 15cm. दूरी पर हो तो प्रतिबिम्ब की स्थिति एवं लेंस द्वारा उत्पन्न आवर्धन ज्ञात कीजिये।
    हल-
    दिया हैबिम्ब की दूरी u = – 15 cm.
    फोकस दूरी f = – 30 cm.
    (∵ अवतल लेंस की फोकस दूरी ऋणात्मक ली जाती है।)
    प्रतिबिम्ब की दूरी v = ?
    आवर्धन m = ?
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 14
    यहाँ धनात्मक चिह्न दर्शाता है कि प्रतिबिम्ब आभासी व सीधा है। प्रतिबिम्ब बिम्ब का दो-तिहाई आकार का है।

    प्रश्न 15.
    एक उत्तल लेंस की फोकस दूरी 50 cm. है। यदि एक बिम्ब इससे 30 cm, दूरी पर रखा हो तो प्रतिबिम्ब की स्थिति एवं प्रकृति ज्ञात कीजिये।
    हल-
    दिया है
    फोकस दूरी f = + 50 cm
    (∵ उत्तल लेंस की फोकस दूरी धनात्मक ली जाती है।)
    बिम्ब की दूरी u = – 30 cm
    प्रतिबिम्ब की दूरी v = ?
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 15
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 15.1
    प्रतिबिम्ब बिम्ब से 2.5 गुना आवर्धित होगा।

    प्रश्न 16.
    एक विद्यार्थी 100 सेमी से अधिक दूरी की वस्तु को नहीं देख सकता है। गणना करके बताइए कि सही दृष्टि पाने के लिए वह विद्यार्थी किस फोकस दूरी वाले चश्मे का प्रयोग करेगा?
    हल-
    दिया है- v = 100 सेमी.
    u = ∞, f = ?
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 16
    अतः लेंस की फोकस दूरी f = – 100 सेमी. (अवतल लेंस) .

    प्रश्न 17.
    एक दीर्घ दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का निकट बिन्दु 1 मीटर है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की क्षमता क्या होगी? यह मान लीजिए कि सामान्य नेत्र का निकट बिन्दु 25 सेमी. है।
    हल-
    दिया है- u = – 25 सेमी.
    v = – 100 सेमी.
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 प्रकाश 17

  • Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक

    Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक

    पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

    बहुचयनात्मक प्रश्न

    1. मेथेन में बन्ध कोण का मान होता है
    (क) 109°28
    (ख) 120°
    (ग) 180°
    (घ) 105°

    2. C5H10 हाइड्रोकार्बन है
    (क) पेन्टेन
    (ख) पेन्टीन
    (ग) पेन्टाइन
    (घ) पेन्टा डाइईन

    3. फ्रियॉन-11 का अणुसूत्र है
    (क) CFCl3
    (ख) C2F2Cl4
    (ग) CF2Cl2
    (घ) C2F4Cl

    4. प्राकृतिक रबर किसका बहुलक होता है ?
    (क) नियोप्रीन
    (ख) 1,3-ब्युटाडाइईन
    (ग) आइसोप्रीन
    (घ) ब्युना–N

    5. कार्बन का कौनसा अपररूप विद्युत का सुचालक होता है?
    (क) हीरा
    (ख) ग्रेफाइट
    (ग) फुलरीन
    (घ) कोक

    6. प्राकृतिक रबर की गुणवत्ता एवं तनन सामर्थ्य बढ़ाने के लिए इसे सल्फर (S) के साथ गर्म करते हैं। इस क्रिया को कहते हैं
    (क) बहुलकीकरण
    (ख) साबुनीकरण
    (ग) वल्कनीकरण
    (घ) समानीकरण

    7. यदि कार्बन में कार्बन परमाणु की संख्या 3 है तो पूर्वलग्न होगा
    (क) ऐथ
    (ख) प्रोप
    (ग) ब्युट
    (घ) पेन्ट

    8. CH2 = CH – CH2– Cl का IUPAC नाम है
    (क) 1-क्लोरो-2-प्रोपीन
    (ख) प्रोप-1-क्लोरो-2-ईन
    (ग) 3-क्लोरो-2-प्रोपीन
    (घ) 3-क्लोरो-1-प्रोपीन ।

    उत्तरमाला-
    1. (क)
    2. (ख)
    3. (क)
    4. (ग)
    5. (ख)
    6. (ग)
    7. (ख)
    8. (घ)

    प्रश्न 9.
    एल्केन, एल्कीन एवं एल्काइन श्रेणी का सामान्य सूत्र लिखिए।
    उत्तर-
    एल्केन CnH2n+2, एल्कीन CnH2n, एल्काइन CnH2n-2

    प्रश्न 10.
    हाइड्रोकार्बन कौनसे दो तत्वों से निर्मित होते हैं ?
    उत्तर-
    हाइड्रोकार्बन, कार्बन तथा हाइड्रोजन तत्वों से निर्मित होते हैं।

    प्रश्न 11.
    IUPAC का पूरा नाम लिखिए।
    उत्तर-
    IUPAC का पूरा नाम International Union of Pure and Applied Chemistry (शुद्ध एवं अनुप्रयुक्त रसायन का अन्तर्राष्ट्रीय संघ) होता है।

    प्रश्न 12.
    वल्कनीकरण की परिभाषा दीजिए।
    उत्तर-
    प्राकृतिक रबर की गुणवत्ता, तनन सामर्थ्य एवं प्रत्यास्थता बढ़ाने के लिए इसे सल्फर (S) के साथ गर्म करते हैं, इस प्रक्रिया को वल्कनीकरण कहते हैं ।

    प्रश्न 13.
    फुलरीन में कार्बन परमाणुओं की संख्या कितनी हो सकती है?
    उत्तर-
    फुलरीन में 60-70 या अधिक कार्बन परमाणु हो सकते हैं।

    प्रश्न 14.
    कार्बन परमाणु की ज्यामिति कैसी होती है?
    उत्तर-
    कार्बन परमाणु की ज्यामिति समचतुष्फलकीय होती है।

    प्रश्न 15.
    फ्रियॉन की परिभाषा दीजिए।
    उत्तर-
    पॉली क्लोरो-फ्लुओरो एल्केनों को फ्रियॉन कहते हैं।

    प्रश्न 16.
    सबसे पहले कार्बनिक यौगिक का निर्माण करने वाला वैज्ञानिक कौन था?
    उत्तर-
    प्रथम कार्बनिक यौगिक यूरिया का निर्माण 1828 में हृवोलर ने किया था।

    प्रश्न 17.
    CNG का पूरा नाम लिखिए।
    उत्तर-
    CNG का पूरा नाम संपीडित प्राकृतिक गैस (Compressed | Natural Gas) है।

    प्रश्न 18.
    आरलॉन किन अणुओं के बहुलकीकरण से बनता है?
    उत्तर-
    आरलॉन, एक्रिलो नाइट्राइल (विनाइल सायनाइड) CH2 = CH-CN के बहुलकीकरण से बनता है।

    प्रश्न 19.
    कार्बन के अपररूपों के नाम लिखिये।।
    उत्तर-

    • क्रिस्टलीय अपररूप-हीरा, ग्रेफाइट तथा फुलरीन।।
    • अक्रिस्टलीय अपररूप-कोल, कोक, काष्ठ चारकोल, जन्तु चारकोल, काजल, गैस कार्बन।

    प्रश्न 20.
    आइसोब्युटेन का IUPAC नाम लिखिये।
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 20

    प्रश्न 21.
    PAN का पूरा नाम लिखिये ।
    उत्तर-
    PAN का पूरा नाम पॉली एक्रिलो नाइट्राइल (Poly Acrylo Nitrile) है।।

    प्रश्न 22.
    PVC किसके बहुलकीकरण से बनता है?
    उत्तर-
    PVC (Poly Vinyl Chloride), विनाइल क्लोराइड CH2=CH-Cl के बहुलकीकरण से बनता है।

    लघूत्तरात्मक प्रश्न

    प्रश्न 23.
    हीरा एवं ग्रेफाइट के गुणों में कोई तीन अन्तर बताइये।
    उत्तर-
    हीरा तथा ग्रेफाइट के गुणों में अन्तर निम्न हैं

    • हीरा कठोर होता है जबकि ग्रेफाइट मुलायम व चिकना होता है।
    • हीरा विद्युत का कुचालक होता है जबकि ग्रेफाइट विद्युत को सुचालक होता है।
    • हीरे की संरचना चतुष्फलकीय होती है जबकि ग्रेफाइट षट्कोणीय परतों के रूप में व्यवस्थित होता है।

    प्रश्न 24.
    कार्बन परमाणु की ‘ श्रृंखलन’ (Catenation) प्रवृत्ति से आप क्या समझते हैं?
    उत्तर-
    कार्बन परमाणु में एक विशेष गुण पाया जाता है जिसके अनुसार कार्बन के परमाणु आपस में जुड़कर अशाखित, शाखित तथा चक्रीय यौगिकों का निर्माण करते हैं। इस गुण को श्रृंखलन कहते हैं। कार्बन के परमाणु आपस में एकल, द्वि या त्रिआबन्ध द्वारा जुड़ सकते हैं।

    प्रश्न 25.
    निम्न के IUPAC नाम एवं संरचना सूत्र लिखिए
    (i) C5H12
    (ii) C4H8
    (iii) C3H4
    उत्तर-
    (i) C5H12
    CH3-CH2-CH2-CH2-CH2 पेन्टेन
    (ii) C4H8
    CH3-CH2-CH = CH2
    1-ब्यूटीन
    या
    ब्यूट-1-ईन
    (iii) C3H4
    CH3-C ≡ CH प्रोपाइन

    प्रश्न 26.
    फ्रियॉन के दो उपयोग लिखिए।
    उत्तर-
    फ्रियॉन के उपयोग निम्नलिखित हैंh

    • फ्रियॉन अक्रिय विलायक के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
    • ये रेफ्रिजरेटरों, एयरकंडीशनर, शीत संग्रहागारों में प्रशीतक के रूप में प्रयुक्त होते हैं।

    प्रश्न 27.
    CNG ईंधन के रूप में LPG से श्रेष्ठ क्यों है?
    उत्तर-
    CNG ईंधन के रूप में LPG से अधिक श्रेष्ठ एवं सुरक्षित है। क्योंकि इसके दहन से CO तथा CO2 बहुत कम मात्रा में निकलती है अतः यह पर्यावरण के लिए कम हानिकारक है। इसके अतिरिक्त CNG, LPG से हल्की होती है, अतः यदि इसका रिसाव भी हो जाता है तो यह वायु में फैल जाती है। जबकि LPG भारी होती है इसलिए नीचे की सतह में एकत्रित हो जाती है, जिससे दुर्घटना होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

    प्रश्न 28.
    हीरा कठोर एवं ग्रेफाइट मुलायम होता है। क्यों?
    उत्तर-
    हीरे में प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य चार कार्बन परमाणुओं के साथ बन्ध बनाकर एक दृढ़ त्रिआयामी चतुष्फलकीय संरचना बनाता है तथा इसमें प्रबल सहसंयोजक बन्धों का त्रिविम जाल होता है अतः यह अत्यधिक कठोर होता है। जबकि ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन अन्य तीन कार्बन परमाणुओं के साथ एक ही तल में बन्ध बनाकर षट्कोणीय वलय संरचना का निर्माण करता है। ये षट्कोणीय वलय, एक-दूसरे पर व्यवस्थित होकर परत संरचना बनाती है। इन परतों के मध्य दुर्बल वान्डरवाल बल पाया जाता है तथा इन परतों के मध्य दूरी भी अधिक होती है अतः ये परतें एक-दूसरे पर फिसल जाती हैं इसी कारण ग्रेफाइट मुलायम होता है।

    प्रश्न 29.
    फुलरीन की कोई चार विशेषताएँ बताइये।
    उत्तर-
    फुलरीन की विशेषताएँ निम्न हैं

    • फुलरीन की संरचना एक फुटबॉल के समान होती है तथा ये गोल गुम्बद के समान लगते हैं।
    • फुलरीन में 60-70 या अधिक कार्बन परमाणु पाए जाते हैं, जिनमें से C60 सर्वाधिक स्थायी फुलरीन है जिसे बकमिन्सटर फुलरीन भी कहते हैं।
    • C60 की संरचना में 32 फलक होते हैं जिसमें 20 फलक षट्कोणीय तथा 12 फलक पंचकोणीय होते हैं तथा इसे ‘बकीबॉल’ भी कहते हैं।
    • (iv) C60 विद्युत का कुचालक होता है एवं इसमें कार्बन-कार्बन बंध लम्बाई 1.40Å होती है।

    प्रश्न 30.
    हाइड्रोकार्बन के वर्गीकरण का रेखाचित्र बनाइये।
    उत्तर-
    हाइड्रोकार्बन का वर्गीकरण अग्र प्रकार किया जाता है
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 30

    प्रश्न 31.
    ग्रेफाइट के उपयोग लिखिये।
    उत्तर-
    ग्रेफाइट के प्रमुख उपयोग निम्न हैं–

    • ग्रेफाइट को पेन्सिल बनाने में प्रयुक्त किया जाता है।
    • यह इलेक्ट्रॉड बनाने में काम आता है।
    • ग्रेफाइट स्नेहक के रूप में भी प्रयुक्त होता है।
    • इससे लोहे की वस्तुओं पर पॉलिश की जाती है।
    • ग्रेफाइट को नाभिकीय परमाणु भट्टी में मंदक के रूप में भी प्रयुक्त किया जाता है।

    प्रश्न 32.
    कार्बन परमाणु की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
    उत्तर-
    कार्बन परमाणु की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

    • कार्बन परमाणु का परमाणु क्रमांक 6 है तथा इसका प्रतीक C है।
    • कार्बन परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s²2s²2p² होता है।
    • कार्बन की संयोजकता चार होती है तथा इन्हें चार एकल बन्ध, दो एकल बन्ध व एक द्विबन्ध, एक एकल बन्ध व एक त्रिबन्ध तथा दो द्विबन्धों द्वारा संतुष्ट किया जा सकता है।
    • कार्बन की ज्यामिति समचतुष्फलकीय होती है जिसकी चारों संयोजकताएँ एक समचतुष्फलक के चारों कोनों की ओर निर्देशित होती हैं। कार्बन परमाणु समचतुष्फलक के केन्द्र में स्थित होता है तथा इसमें बन्धों के मध्य बन्ध कोण 109°28′ होता है।

    प्रश्न 33.
    निम्न के IUPAC नाम लिखिए
    (i) आइसो आक्टेन
    (ii)
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 33
    (iii) नियोपेन्टेन
    (iv)
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 33.1
    उत्तर-
    (i) आइसो आक्टेन
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 33.2

    प्रश्न 34.
    प्लास्टिक किसे कहते हैं? प्रमुख प्लास्टिक बहुलकों के नाम लिखिए।
    उत्तर-
    वह कृत्रिम कार्बनिक बहुलक जिसे मुलायम अवस्था में किसी भी संरचना में ढाला जा सकता है तथा ठण्डा होने पर यह दृढ़ या आंशिक प्रत्यास्थ हो जाता है,उसे प्लास्टिक कहते हैं। प्रमुख प्लास्टिक बहुलक-पॉलीथीन पॉलीविनाइल क्लोराइड, पॉली स्टाइरीन तथा पॉलीएक्रिलो नाइट्राइल प्रमुख प्लास्टिक बहुलक हैं।

    प्रश्न 35.
    हीरा एवं फुलरीन की उपयोगिता बताइए।
    उत्तर-
    (a) हीरा के उपयोग निम्नलिखित हैं

    • कांच को काटने में कटर के रूप में।
    • चट्टानों एवं पत्थर काटने की मशीन में।
    • फोनोग्राम की सूई बनाने में।
    • रत्नों तथा आभूषणों के निर्माण में।

    (b) फुलरीन के उपयोग निम्नलिखित हैं

    • प्राकृतिक गैस के शुद्धिकरण में
    • आणविक बेयरिंग में।
    • उच्च ताप पर अतिचालक होने के कारण तकनीकी रूप से महत्त्वपूर्ण।

    प्रश्न 36.
    फ्रियॉन के नामकरण को समझाइये।
    उत्तर-
    फ्रियॉन का नाम देते समय इसके अणुसूत्र में उपस्थित कार्बन हाइड्रोजन तथा फ्लुओरीन परमाणुओं की संख्या का निम्नानुसार प्रयोग करते हैं
    फ्रियॉन-XYZ
    यहाँ X = फ्रियॉन अणु में उपस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या -1 अर्थात् (C – 1)
    Y = फ्रियॉन अणु में उपस्थित हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या + 1 अर्थात् (H + 1)
    Z = फ्रियॉन अणु में उपस्थित फ्लुओरीन परमाणुओं की संख्या
    उदाहरण-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 36

    निबन्धात्मक प्रश्न
    प्रश्न 37.
    संश्लेषित बहुलक क्या हैं? इनके निर्माण की प्रक्रिया एवं उपयोग लिखिए।
    उत्तर-
    संश्लेषित बहुलक-
    मानव निर्मित बहुलकों को कृत्रिम बहुलक या संश्लेषित बहुलक कहते हैं। संश्लेषित बहुलकों को तीन भागों में वर्गीकृत किया जाता है—
    (a) कृत्रिम रेशे
    (b) प्लास्टिक
    (c) संश्लेषित रबर।
    (a) कृत्रिम रेशे- नाइलॉन-66, टेरीलीन तथा रेयॉन इसके मुख्य उदाहरण हैं।

    1. नाइलोन-66-यह एडिपिक अम्ल (6 कार्बन) तथा हेक्सामेथिलीन डाईएमीन (6 कार्बन) के संघनन बहुलकीकरण से बनता है अतः इसे नाइलोन-66 कहते हैं।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 37
      नाइलोन-66 के उपयोग
      (i) मशीनों के गियर, बियरिंग बनाने में।
      (ii) टायर, कपड़े, रेशे, रस्सियाँ, ब्रश आदि बनाने में।
    2. टेरीलीन-यह ऐथिलीन ग्लाइकॉल तथा टेरेफ्थैलिक अम्ल के संघनन बहुलकीकरण से बनता है। इसे डेक्रॉन भी कहते हैं।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 37.1
      टेरीलीन के उपयोग-यह कपड़े, नावों की पॉल, बेल्ट, चुम्बकीय टेप तथा फिल्म बनाने में काम आता है।
    3. रेयॉन-कागज (सेल्युलोज) को सोडियम हाइड्रोक्साइड के विलयन में भिगोकर साफ किया जाता है फिर इसे कार्बनडाई सल्फाइड (CS) में घोलते हैं। तो सेल्युलोज का विलयन प्राप्त होता है। इस विलयन को महीन छिद्र में से प्रवाहित करके तनु सल्फ्युरिक अम्ल में छोड़ा जाता है जिससे रेयॉन के महीन चमकदार रेशे प्राप्त होते हैं।
      रेयॉन के उपयोग– रेयॉन वस्त्र, धागे तथा दरियाँ आदि बनाने के काम आता है।

    (b) प्लास्टिक-

    1. पॉलीथीन-उच्च ताप एवं दाब पर उत्प्रेरक की उपस्थिति में एथीन के बहुलीकरण से पॉलीथीन प्राप्त होता है। यह लचीला एवं मजबूत प्लास्टिक है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 37.2
      उपयोग-पॉलीथीन थैलियाँ, सांचे में ढली वस्तुएँ, पाइप तथा ट्यूब आदि बनाने के काम आता है।
    2. पॉली विनाइल क्लोराइड (PVC)-PVC, विनाइल क्लोराइड (CH= CH – Cl) के बहुलीकरण से प्राप्त होता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 37
      उपयोग-PVC पाइप, जूते, चप्पल, थैले, बरसाती कपड़े, खिलौने, फोनोग्राम के रिकार्ड, विद्युतरोधी परतें इत्यादि बनाने के काम आता है।
    3. पॉली एक्रिलो नाइट्राइल या ऑरलॉन (PAN)-यह विनाइल सायनाइड के बहुलीकरण से प्राप्त होता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 37.1
      उपयोग-ऑरलॉन से स्वेटर, ऊन जैसे तन्तु बनाए जाते हैं जिससे तकिया, गद्दे आदि बनते हैं।
    4.  पॉली-स्टाइरीन-विनाइल बेंजीन (स्टाइरीन) के बहुलीकरण से पॉलीस्टाइरीन प्राप्त होता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 37.2
      पॉलीस्टाइरीन । उपयोग-पॉलीस्टाइरीन चाय के कप, बोतलों के ढक्कन, रेफ्रिजरेटर के भाग, दीवारों की टाइल्स तथा पैकिंग सामग्री बनाने के काम आता है।

    (c) संश्लेषित रबर- ये मुख्यतया दो प्रकार के होते हैं

    1. ब्युना –S (ब्युटाडाइईन एवं स्टाइरीन के बहुलीकरण से निर्मित)
    2. ब्युना –N (ब्युटाडाइईन एवं एक्रिलोनाइट्राइल के बहुलीकरण से निर्मित)
      संश्लेषित रबर बनाने के लिए 2,3-डाई मेथिल -1,3-ब्युटाडाइईन को CO2 की उपस्थिति में सोडियम द्वारा उत्प्रेरित कर रबर जैसा उत्पाद प्राप्त किया गया था जिसे ब्युना (Buna) कहा गया। इसमें Bu ब्युटाडाइईन तथा Na सोडियम उत्प्रेरक को दर्शाता है।
      उपयोग–यह तेल की टंकियाँ, टायर-ट्यूब, चिकित्सा के उपकरण, पेट्रोल के नल, जूतों के तले इत्यादि बनाने के काम आता है।

    प्रश्न 38.
    निम्न पर टिप्पणी लिखिए

    1. फ्रियॉन
    2. सी.एन.जी.
    3. प्राकृतिक रबर

    उत्तर-

    1. फ्रियॉन-(क्लोरोफ्लुओरो कार्बन)-एल्केन के पॉली क्लोरोफ्लुओरो व्युत्पन्नों को फ्रियॉन कहा जाता है। इन्हें क्लोरो-फ्लुओरो कार्बन (CFC) भी कहा जाता है क्योंकि कार्बन परमाणु के साथ क्लोरीन तथा फ्लुओरीन परमाणुओं के जुड़ने से इन यौगिकों का निर्माण होता है।
      फ्रियॉन का निर्माण-SbCl5 की उपस्थिति में कार्बन टेट्राक्लोराइड (CCl4) की अभिक्रिया हाइड्रोजनफ्लुओराइड (HF) से करवाने पर फ्रियॉन-11 प्राप्त होता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 38
    2. सी.एन.जी.-संपीडित प्राकृतिक गैस (Compressed Natural Gas) को CNG कहते हैं। इसमें मुख्यतः मेथेन तथा कुछ अन्य उच्च हाइड्रोकार्बन होते हैं । सी.एन.जी. में कार्बन की प्रतिशत मात्रा कम होती है, अतः इसके दहन से CO (कार्बन मोनो ऑक्साइड) एवं CO2 (कार्बन डाई ऑक्साइड) कम मात्रा में बनती है। इसलिए यह अन्य पेट्रोलियम उत्पादों की तुलना में पर्यावरण के लिए कम हानिकारक है।
      पृथ्वी की गहराई में पेट्रोलियम के ऊपर परत के रूप में पाई जाने वाली गैसों को प्राकृतिक गैस कहते हैं। जब पेट्रोलियम का खनन किया जाता है तो उसके साथ ही प्राकृतिक गैसें भी बाहर आ जाती हैं। इन प्राकृतिक गैसों को उच्च ताप पर संपीडित किया जाता है अतः इसे संपीडित प्राकृतिक गैस कहा जाता है।
    3. प्राकृतिक रबर-प्राकृतिक रबर एक वृक्ष से द्रव के रूप में प्राप्त होता है जिसे रबर क्षीर या लेटेक्स कहते हैं। यह आइसोप्रीन का बहुलक होता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 38.1
      लेटेक्स में ऐसिटिक अम्ल मिलाकर उसे ठोस अवस्था में परिवर्तित किया जाता है। इस प्रकार प्राप्त रबर अत्यन्त प्रत्यास्थ तथा कम तनन सामर्थ्य युक्त होता है। अतः इससे परिष्कृत उत्पाद नहीं बनाए जा सकते हैं। रबर की तनन सामर्थ्य एवं प्रत्यास्थता बढ़ाने के लिए इसमें सल्फर (s) मिलाकर गर्म किया जाता है, इस प्रक्रिया को वल्कनीकरण कहते हैं। इस प्रकार प्राप्त रबर कम घिसने वाला, मजबूत, कठोर एवं प्रत्यास्थ होता है।

    प्रश्न 39.
    (क) एल्केन के नामकरण में प्रयुक्त मुख्य नियमों को लिखिये।
    (ख) निम्न के सूत्र लिखिए
    (i) नियोपेन्टेन
    (ii) आइसोपेन्टेन
    (iii) 1,3-डाईक्लोरोप्रोपेन
    (iv) 3-एथिल-4-मेथिल हेक्सेन
    (v) 3-मेथिल-1-ब्यूटीन।
    उत्तर-
    (क) एल्केन के नामकरण के नियम- एल्केनों के नामकरण के लिए निम्नलिखित नियम प्रयुक्त होते हैं
    (i) सर्वप्रथम सर्वाधिक लम्बी श्रृंखला का चयन किया जाता है, जिसे मुख्य श्रृंखला कहते हैं। मुख्य श्रृंखला के बाहर रहे समूहों को प्रतिस्थापी कहते हैं।
    (ii) यदि समान लम्बाई की दो या दो से अधिक सर्वाधिक लम्बी श्रृंखलायें हों तो अधिक प्रतिस्थापी युक्त श्रृंखला का चयन किया जाता है।
    (iii) यौगिकों का नाम लिखते समय सबसे पहले प्रतिस्थापियों का नाम उनके ‘पूर्वलग्न’ का प्रयोग करते हुए अंग्रेजी वर्णमाला क्रम में लिखा जाता है।
    (iv) यदि समान प्रतिस्थापी एक से अधिक हों तो उनकी संख्या दर्शाने के लिए अग्रलिखित शब्द प्रयुक्त किए जाते हैं
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 39
    (v) प्रतिस्थापियों का अंकन-अंकन करते समय प्रतिस्थापियों को न्यूनतम अंक दिये जाते हैं। यदि दो प्रतिस्थापियों को समान अंक मिल रहे हैं तो अंग्रेजी वर्णमाला क्रम में पहले आने वाले प्रतिस्थापी को न्यूनतम अंक दिया जाता है।
    (vi) यौगिक का नाम लिखते समय अंकों के मध्य ‘कोमा’ (,) तथा अंक व शब्द के मध्य ‘हाइफन’ (-) का प्रयोग करते हैं।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 39.1
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 39.2

    अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

    वस्तुनिष्ठ प्रश्न
    1. एथेन का आण्विक सूत्र -C2H6 है। इसमें
    (अ) 6 सहसंयोजक आबंध हैं
    (ब) 7 सहसंयोजक आबंध हैं।
    (स) 8 सहसंयोजक आबंध हैं
    (द) 9 सहसंयोजक आबंध हैं।

    2. खाना बनाते समय यदि बर्तन की तली बाहर से काली हो रही है तो इसका अर्थ है कि
    (अ) भोजन पूरी तरह नहीं पका है।
    (ब) ईंधन पूरी तरह से नहीं जल रहा है।
    (स) ईंधन आर्द्र है।।
    (द) ईंधन पूरी तरह से जल रहा है।

    3. प्रोपेन है
    (अ) असंतृप्त हाइड्रोकार्बन
    (ब) एलिसाइक्लिक यौगिक
    (स) संतृप्त हाइड्रोकार्बन
    (द) एक एल्काइन ।

    4. CH3-CH2-CH2-OH का व्युत्पन्न पद्धति में नाम है
    (अ) कार्बिनॉल
    (ब) मेथिल कार्बिनॉल
    (स) डाइमेथिल कार्बिनॉल
    (द) एथिल कार्बिनॉल

    5. दलदल (मार्शी स्थान) से प्राप्त यौगिक है
    (अ) काष्ठ स्प्रिट :
    (ब) मार्श गैस
    (स) कार्बिनॉल
    (द) उपरोक्त में से कोई नहीं

    6. CH3-C ≡ C-CH3 का IUPAC नाम है
    (अ) प्रोपाइन
    (ब) 1-ब्यूटाइन
    (स) 2-ब्यूटाइन
    (द) 2-ब्यूटीन

    7. हीरे का विशिष्ट घनत्व, ग्रेफाइट से होता है
    (अ) कम।
    (ब) अधिक
    (स) समान
    (द) कुछ नहीं कहा जा सकता जा सकता

    8. कृत्रिम रेशा है
    (अ) नाइलॉन-66
    (ब) टेरीलीन
    (स) रेयॉन
    (द) उपरोक्त सभी

    9. विद्युतरोधी परतें बनाने में काम आने वाला बहुलक है
    (अ) नाइलॉन-66
    (ब) PAN
    (स) PVC
    (द) टेरीलीन

    10. कार्बन के जिस अपररूप में मुक्त इलेक्ट्रॉन पाए जाते हैं, वह है
    (अ) हीरा
    (ब) कोयला
    (स) ग्रेफाइट।
    (द) कोक

    उत्तरमाला–
    1. (ब)
    2. (ब)
    3. (स)
    4. (द)
    5. (ब)
    6. (स)
    7. (ब)
    8. (द)
    9. (स)
    10. (स)

    अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    एल्काइन श्रेणी का सामान्य सूत्र लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    उत्तर-
    CnH2n-2

    प्रश्न 2.
    एल्कीन श्रेणी का सामान्य सूत्र लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18)
    उत्तर-
    CnH2n

    प्रश्न 3.
    CNG का प्रमुख घटक होता है
    उत्तर-
    मेथेन (CH4) गैस।।

    प्रश्न 4.
    एक कार्बनिक यौगिक कालिख ज्वाला के साथ जलता है तो यह यौगिक है, संतृप्त या असंतृप्त?
    उत्तर-
    संतृप्त।।

    प्रश्न 5.
    मेथेन (CH4) की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना क्या होती है?
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 5

    प्रश्न 6.
    मेथिल एसीटिलीन का सूत्र क्या होता है?
    उत्तर-
    मेथिल एसीटिलीन का सूत्र CH3—C ≡ CH है। इसे IUPAC में प्रोपाइन कहते हैं।

    प्रश्न 7.
    CH4 (मेथेन) का क्या उपयोग है?
    उत्तर-
    CH4 ईंधन के रूप में प्रयुक्त होती है तथा यह संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) का प्रमुख घटक है।

    प्रश्न 8.
    ऐल्केन, एल्कीन तथा एल्काइन किसे कहते हैं?
    उत्तर-
    संतृप्त हाइड्रोकार्बन को ऐल्केन (C-C), (C=C) द्विआबन्ध युक्त असंतृप्त हाइड्रोकार्बन को एल्कीन एवं (C≡C) त्रिआबन्ध युक्त असंतृप्त हाइड्रोकार्बन को एल्काइन कहते हैं।

    प्रश्न 9.
    हेलोजनों के पूर्वलग्न क्या होते हैं ?
    उत्तर-
    हेलोजनों का पूर्वलग्न हेलो होता है, जैसे—F (फ्लुओरो), Cl (क्लोरो), Br (ब्रोमो) तथा I (आयोडो)

    प्रश्न 10.
    प्राकृतिक बहुलक किसे कहते हैं?
    उत्तर-
    प्राकृतिक बहुलक-वे बहुलक जो प्रकृति से सीधे प्राप्त होते हैं, उन्हें प्राकृतिक बहुलक कहते हैं। जैसे प्राकृतिक रबर, स्टार्च, सेल्युलोज, रेजिन इत्यादि।

    प्रश्न 11.
    एक ऐसा यौगिक बताइए जिसमें कार्बन पर एक एकल बन्ध तथा एक त्रिबन्ध हो।
    उत्तर-
    H-C ≡ N हाइड्रोजन सायनाइड

    प्रश्न 12.
    एलिसाइक्लिक यौगिक का एक उदाहरण दीजिए।
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 12

    प्रश्न 13.
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 13
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 13.1

    प्रश्न 14.
    शाखित एल्कीन में न्यूनतम कितने कार्बन होंगे ?
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 14

    प्रश्न 15.
    लेक्टिक अम्ल का सूत्र क्या होता है तथा इसका नाम लेक्टिक अम्ल क्यों दिया गया?
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 15
    यह अम्ल दूध (लेक्टम) के फटने (खट्टे होने)
    पर बनता है अतः इसका नाम लेक्टिक अम्ल दिया गया।

    प्रश्न 16.
    आइसो प्रोपिल एसीटिक अम्ल का सूत्र लिखिए।
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 16

    प्रश्न 17.
    अपररूप किसे कहते हैं ?
    उत्तर-
    किसी तत्व के दो या दो से अधिक रूप जिनके भौतिक गुण भिन्न होते हैं, उन्हें अपररूप कहते हैं तथा इस गुण को अपररूपता कहते हैं।

    प्रश्न 18.
    बहुलक किसे कहते हैं?
    उत्तर-
    छोटे-छोटे समान या भिन्न अणु (एकलक) मिलकर एक उच्च अणुभार युक्त लम्बी श्रृंखला का बड़ा अणु बनाते हैं, तो इसे बहुलक कहते हैं तथा इस प्रक्रिया को बहुलकीकरण कहते हैं।

    प्रश्न 19.
    पॉली एक्रिलो नाइट्राइल बहुलक के निर्माण में प्रयुक्त एकलक कौनसा होता है ?
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 19
    विनाइल सायनाइड या एक्रिलो नाइट्राइल

    प्रश्न 20.
    ब्युना-N (BuNa-N) में Na किसको दर्शाता है?
    उत्तर-
    ब्युना-N में Na सोडियम उत्प्रेरक को दर्शाता है।

    प्रश्न 21.
    फुलरीन का नाम किस आधार पर दिया गया?
    उत्तर-
    अमेरिका के प्रसिद्ध वास्तुकार बकमिन्सटर फुलर के नाम पर कार्बन के इस अयस्क का नाम फुलरीन दिया गया।

    प्रश्न 22.
    संतृप्त हाइड्रोकार्बन को जलाने पर कैसी ज्वाला प्राप्त होती है?
    उत्तर-
    स्वच्छ नीली ज्वाला।

    सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न

    प्रश्न 1.
    निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए
    (i) एथेन (A) एलिसाइक्लिक यौगिक
    (ii) बेन्जीन (B) संतृप्त हाइड्रोकार्बन
    (iii) साइक्लोहेक्सेन (C) एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन
    उत्तर-
    (i) (C)
    (ii) (A)
    (iii) (B)

    प्रश्न 2.
    अग्रलिखित को सुमेलित कीजिए
    (i) फ्रेऑन (A) —C ≡ C—
    (ii) यूरिया (B) प्रशीतक
    (iii) ऐसीटिलीन (C) व्होलर
    उत्तर-
    (i) (C)
    (ii) (A)
    (iii) (B)

    लघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 1
    (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    उत्तर-
    (a) 2-मेथिल-1-प्रोपीन
    (b) 2-ब्यूटीन
    (c) 2-क्लोरो ब्यूटेन

    प्रश्न 2.
    निम्न के I.U.P.A.C. नाम लिखिए
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 2
    (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18)
    उत्तर-
    (i) ब्यूटेन
    (ii) एथाइन
    (iii) प्रोपीन

    प्रश्न 3.
    पेन्टेन के कितने समावयवी होते हैं? इनके सूत्र लिखकर IUPAC नाम भी लिखिए।
    उत्तर-
    पेन्टेन (C5H12) के तीन समावयवी होते हैं, जिनके सूत्र तथा IUPAC नाम निम्न प्रकार हैं
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 3
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 3.1

    प्रश्न 4.
    (a) ऐल्कीन तथा एल्काइन श्रेणी के प्रथम चार सदस्यों के नाम तथा सूत्र लिखिए।
    (b) सरलतम एल्काइन का नाम तथा इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना लिखिए।
    उत्तर-
    (a) ऐल्कीन श्रेणी के प्रथम चार सदस्य एथिलीन (CH2=CH2) या एथीन, प्रोपीन (CH3-CH = CH2), 1-ब्यूटीन (CH3-CH2-CH = CH2) तथा 1-पेन्टीन (CH3-CH2-CH2-CH = CH2) हैं।

    एल्काइन श्रेणी के प्रथम चार सदस्य एथाइन (CH ≡ CH), प्रोपाइन (CH3-C ≡ CH), 1-ब्यूटाइन (CH3-CH2-C = CH) तथा 1-पेन्टाइन (CH3-CH2CH2-C ≡ CH) हैं।
    (b) सरलतम एल्काइन या एल्काइन श्रेणी का प्रथम सदस्य एथाइन (HC ≡ CH) है। इसका इलेक्ट्रॉनिक सूत्र निम्न है
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 4

    प्रश्न 5.
    निम्न को समझाइए

    1. जैव शक्ति सिद्धान्त
    2. कार्बनिक रसायन
    3. समचतुष्फलक।

    उत्तर-

    1. जैव शक्ति सिद्धान्त-बर्जीलियस (1815) के अनुसार कार्बनिक यौगिक केवल सजीवों से ही प्राप्त हो सकते हैं तथा इनका प्रयोगशाला में संश्लेषण सम्भव नहीं है, इसे जैव शक्ति सिद्धान्त कहते हैं ।
    2. कार्बनिक रसायन-कार्बनिक (Organic) शब्द की उत्पत्ति सजीव से हुई है क्योंकि organic का अर्थ है Living organism (सजीव)। इसी कारण कार्बन के यौगिकों को कार्बनिक यौगिक कहा गया तथा कार्बनिक यौगिकों के अध्ययन को कार्बनिक रसायन कहते हैं।
    3. समचतुष्फलक-ऐसा चतुष्फलक जिसमें चार त्रिभुजाकार फलक उपस्थित हों, इनमें से एक को आधार मानते हुए इसके तीन कोनों को एक शीर्ष पर मिलाने पर यदि तीन त्रिभुजाकार फलक बनते हैं तो इस सम्पूर्ण त्रिविम ज्यामिति को समचतुष्फलक कहते हैं।

    प्रश्न 6.

    1. जैव शक्ति सिद्धान्त का खण्डन कैसे हुआ?
    2. हृवोलर द्वारा यूरिया के निर्माण के समीकरण लिखिए।

    उत्तर-

    1. हृवोलर (1828) द्वारा सर्वप्रथम अकार्बनिक यौगिकों द्वारा प्रयोगशाला में प्रथम कार्बनिक यौगिक यूरिया के प्राप्त करने से जैव शक्ति सिद्धान्त का खण्डन हुआ।
    2. अमोनियम सल्फेट तथा पोटेशियम सायनेट को गर्म करने पर यूरिया प्राप्त होता है।
      (NH4)2SO4 + 2KCNO → 2NH4CNO + K2SO4
      अमोनियम सल्फेट पोटेशियम सायनेट अमोनियम सायनेट
      NH4CNO →∆→ NH2 – CO – NH2 यूरिया (कार्बनिक यौगिक)

    प्रश्न 7.
    (a) ऐसा यौगिक बताइए
    (i) जिसमें कार्बन की चारों संयोजकताएँ एकल संयोजी परमाणुओं से संतुष्ट हों।
    (ii) जिसमें कार्बन पर एक द्विबन्ध तथा दो एकल बन्ध हों।
    (iii) जिसमें कार्बन पर दो द्विबन्ध हों।
    (b) कार्बन σ बन्ध के साथ-साथ π बन्ध भी बनाता है। इसका क्या कारण है?
    उत्तर-
    (a) (i) CCl4 कार्बन टेट्राक्लोराइड
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 7
    (ii) फार्मेल्डिहाइड
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 7.1
    (iii) कार्बन डाईऑक्साइड O = C = O
    (b) कार्बन अपने छोटे आकार के कारण σ बन्ध के साथ-साथ π बन्ध भी बनाता है।

    प्रश्न 8.

    1. बन्ध कोण किसे कहते हैं? मेथेन की ज्यामिति तथा बन्ध कोण भी बताइए।
    2. हाइड्रोकार्बन कैसे बनते हैं?
    3. फुलरीन की संरचना बनाइए।

    उत्तर-

    1. किसी यौगिक में दो निकटवर्ती बन्धों के मध्य कोण को बन्ध कोण कहते हैं। CH4 में बन्ध कोण 109°28′ का होता है एवं इसकी ज्यामिति समचतुष्फलकीय होती है।
    2. कार्बन परमाणु की विद्युत ऋणता हाइड्रोजन परमाणु के लगभग समान होने के कारण यह हाइड्रोजन परमाणु के साथ इलेक्ट्रॉन की समान साझेदारी करके सहसंयोजक बंध का निर्माण कर हाइड्रोकार्बन बनाता है। इस प्रक्रिया में कार्बन का अष्टक एवं हाइड्रोजन का हीलियम गैस जैसा द्विक विन्यास प्राप्त हो जाता है।
    3. RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 8

    प्रश्न 9.
    (a) एलिसाइक्लिक तथा एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन यौगिकों में अन्तर बताइए।
    (b) कार्बन के अपररूपों के गुणों में अन्तर का क्या कारण है?
    (c) कार्बन के क्रिस्टलीय अपररूप क्या होते हैं?
    उत्तर-
    (a) एलिसाइक्लिक यौगिक एलिफैटिक होते हैं तथा इन्हें जलाने पर बिना धुएं की ज्वाला के साथ जलते हैं। जैसे-साइक्लोहेक्सेन
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 9
    जबकि एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन को जलाने पर ये काले धुएं के साथ जलते हैं तथा ये अन्य एरोमैटिक गुण दर्शाते हैं। जैसे—बेन्जीन
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 9.1
    (b) कार्बन के अपररूपों के गुणों में अन्तर का कारण कार्बन परमाणुओं के परस्पर आबन्धन में भिन्नता है।
    (c) कार्बन के वे अपररूप जिनमें कार्बन परमाणु एक निश्चित व्यवस्था में रहते हुए एक निश्चित ज्यामिति से निश्चित बन्धकोण का निर्माण करते हैं, उन्हें क्रिस्टलीय अपररूप कहते हैं।

    प्रश्न 10.
    (a) कार्बनिक यौगिकों के नामकरण की आवश्यकता क्यों हुई। तथा इनके नामकरण की कितनी पद्धतियाँ होती हैं ? नाम बताइए।
    (b) नामकरण की रूढ़ पद्धति क्या होती है? समझाइए।
    उत्तर-
    (a) कार्बनिक यौगिकों की संख्या बहुत अधिक है अतः इन्हें पहचानने तथा समझने के लिए इनके नामकरण की आवश्यकता हुई।
    कार्बनिक यौगिकों के नामकरण की प्रमुख पद्धतियाँ निम्न हैं

    1. रूढ़ पद्धति (Trival system)
    2. व्युत्पन्न पद्धति (Derived system)
    3. आई.यू.पी.ए.सी. (IUPAC) पद्धति

    (b) नामकरण की रूढ़ पद्धति- इस पद्धति में कार्बनिक यौगिकों का नाम उनके प्राकृतिक स्रोत अथवा गुणों के आधार पर दिया जाता है। जैसे

    1. CH3OH-काष्ठ स्प्रिट-लकड़ी के भंजक आसवन से।
    2. CH3COOH-एसिटिक अम्ल-सिरके के लेटिन नाम ऐसिटम से लिया गया है।
    3. HCOOH-फॉर्मिक अम्ल-फॉर्मिका (चींटी) से प्राप्त।

    प्रश्न 11.
    नामकरण की रूढ़ पद्धति में नार्मल, आइसो तथा नियो का प्रयोग कब किया जाता है? उदाहरण सहित बताइए।
    उत्तर-
    (i) नामकरण की रूढ़ पद्धति में अशाखित हाइड्रोकार्बनों के नाम में ‘नॉर्मल’ (n-) शब्द का प्रयोग किया जाता है।
    जैसे-n-पेंटेन-CH3-CH2-CH2-CH2-CH3
    (ii) यौगिक के एक किनारे पर
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 11
    समूह हो तथा शेष कार्बन श्रृंखला सीधी हो तो उसके नाम में आइसो शब्द का प्रयोग किया जाता है। जैसे आइसो पेंटेन
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 11.1
    (iii) यौगिक के एक किनारे पर
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 11.2
    समूह होने तथा शेष कार्बन श्रृंखला सीधी होने पर Neo (नियो) शब्द का प्रयोग किया जाता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 11.3

    प्रश्न 12.
    कार्बनिक यौगिकों के नामकरण की व्युत्पन्न पद्धति की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
    उत्तर-
    नामकरण की व्युत्पन्न पद्धति में कार्बनिक यौगिकों का नामकरण उस श्रेणी के सरलतम यौगिक के व्युत्पन्न के रूप में किया जाता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 12
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 12.1

    प्रश्न 13.
    हाइड्रोकार्बनों के IUPAC नामकरण के सामान्य नियम क्या हैं?
    उत्तर-
    हाइड्रोकार्बनों (एल्केन, एल्कीन तथा एल्काइन) का नामकरण निम्नानुसार किया जाता है
    (i) यौगिंक के अणु में उपस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या के आधार पर उसका पूर्वलग्न (prefix) लिखा जाता है।
    (ii) अणु में उपस्थित बन्ध के आधार पर उसका अनुलग्न (suffix) लिखा जाता है। जैसे-≡C-C≡ के लिए ऐन (-ane), >C = C< के लिए ईन (-ene) तथा – C ≡ C – के लिए आइन (-yne)।
    (iii) पूर्वलग्न तथा अनुलग्न को जोड़कर हाइड्रोकार्बन का पूरा नाम लिखा जाता है।
    (iv) अणु में उपस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या के आधार पर पूर्वलग्न
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 13

    प्रश्न 14.
    हीरे की संरचना तथा गुण बताइए।
    उत्तर-
    (i) हीरे में प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य चार कार्बन परमाणुओं के साथ बन्ध बनाकर एक दृढ़ त्रिआयामी चतुष्फलकीय संरचना बनाता है।
    (ii) इसमें कार्बन-कार्बन बन्ध लम्बाई 1.54Å होती है।
    (iii) हीरा कार्बन का अतिशुद्ध रूप होता है तथा यह रंगहीन व पारदर्शी होता
    (iv) हीरा विद्युत का कुचालक होता है क्योंकि इसमें मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होते।
    (v) हीरे की संरचना में प्रबल सहसंयोजक बंधों का त्रिविम जाल होता है, अतः यह अत्यधिक कठोर होता है। यह अब तक का ज्ञात सर्वाधिक कठोर पदार्थ है।
    (vi) हीरे का गलनांक 3843 K तथा विशिष्ट घनत्व 3.51 होता है।
    (vii) कोयले की परतों पर चट्टानों का दाब पड़ने से हीरा पारदर्शक हो जाता है।
    (viii) शुद्ध कार्बन पर उच्च दाब तथा ताप लगाकर हीरे को संश्लेषित किया जा सकता है।

    प्रश्न 15.
    हीरे की संरचना का चित्र बनाइए।
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 15

    प्रश्न 16.
    (a) निम्नलिखित में से ऐल्कीन एवं ऐल्काइन की पहचान कीजिए ।
    (i) C2H6
    (ii) C3H4
    (iii) C3H6
    (iv) C3H8
    (b) एथीन की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना बनाइए।
    उत्तर-
    (a)
    (i) C2H6 एल्केन
    (ii) C3H4 ऐल्काइन
    (iii) C3H6 ऐल्कीन
    (iv) C3H8 एल्केन

    (b) एथीन (C2H4)-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 16

    प्रश्न 17.
    (a) कार्बन के दो विशिष्ट लक्षण लिखिए जिनके कारण वह बड़ी संख्या में यौगिक बनाता है। कार्बनिक यौगिकों में आबंध की प्रकृति लिखिए।
    (b) एथेन के दो उत्तरोत्तर सदस्यों के सूत्र लिखिए।
    (c) एथेन की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना बनाइए।
    उत्तर-
    (a) कार्बन के छोटे आकार तथा श्रृंखलन के गुण के कारण यह बड़ी संख्या में यौगिक बनाता है।
    कार्बन अन्य कार्बन परमाणुओं तथा अन्य तत्वों के परमाणुओं से संयोजकता इलेक्ट्रॉनों का साझा करके सहसंयोजी बन्ध बनाते हैं।
    (b) एथेन के दो उत्तरोत्तर सदस्य
    (i) C3H8 (प्रोपेन)
    (ii) C4H10 (ब्यूटेन)
    (c) एथेन की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना
    एथेन (C2H6)
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 17

    प्रश्न 18.
    (a) निम्न यौगिकों के IUPAC नाम दीजिए
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 18
    (b) एल्कीनों को ऑलिफिन्स भी कहते हैं, क्यों?
    उत्तर-
    (a) (i) 2-ब्रोमो-3-क्लोरो ब्यूटेन
    (ii) साइक्लो ब्यूटेन
    (iii) 3-एथिल-2-मेथिल पेन्टेन
    (b) एल्कीन, ब्रोमीन जल से अभिक्रिया करके तैलीय द्रव (oily liquid) बनाते हैं अतः इन्हें ऑलिफिन्स भी कहते हैं।

    प्रश्न 19.
    (a) द्रवित पेट्रोलियम गैस क्या होती है?
    (b) CNG के दो उपयोग बताइए।
    उत्तर-
    (a) पेट्रोलियम का प्रभाजी आसवन करने पर पेट्रोलियम के कई अवयवों के साथ कुछ गैसें मुक्त होती हैं, इन गैसों को पेट्रोलियम गैसें कहते हैं। इन गैसों को उच्च दाब पर संपीडित करके द्रव में बदला जाता है तो इसे द्रवित पेट्रोलियम गैस (LPG) कहा जाता है।
    (b) CNG के दो उपयोग निम्न हैं

    • CNG ईंधन के रूप में काम आती है।
    • आजकल यातायात के लिए चलने वाले वाहनों में पेट्रोल तथा डीजल के स्थान पर CNG का प्रयोग किया जाने लगा है।

    प्रश्न 20.
    ग्रेफाइट की संरचना तथा गुण बताइए।
    उत्तर-

    • ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन अन्य तीन कार्बन परमाणुओं के साथ एक ही तल में बन्ध बनाकर षट्कोणीय वलय संरचना का निर्माण करता है। ये षट्कोणीय वलये, एक-दूसरे पर व्यवस्थित होकर परत संरचना बनाते हैं।
    • ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन का चतुर्थ इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र रहता है लेकिन एक बन्ध में द्विबन्ध के गुण पाए जाते हैं। इन्हीं स्वतंत्र इलेक्ट्रॉनों तथा दो परतों के मध्य उपस्थित रिक्त स्थान के कारण ही यह विद्युत का सुचालक होता है।
    • ग्रेफाइट चमकीला, अपारदर्शी तथा काले धूसर रंग का मुलायम पदार्थ होता है, जिसका विशिष्ट घनत्व 2.25 है।
    • ग्रेफाइट में दो परतों के मध्य दुर्बल वान्डरवाल बल होने तथा उनके मध्य अधिक दूरी होने के कारण एक परत दूसरी परत पर आसानी से फिसल सकती है। इसी कारण ग्रेफाइट को शुष्क स्नेहक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।

    प्रश्न 21.
    ग्रेफाइट की संरचना को चित्रित कीजिए।
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 21

    प्रश्न 22.
    नाइलॉन-66 तथा टेरीलीन किस प्रकार बनता है?
    उत्तर-
    (i) नाइलॉन-66-यह एडिपिक अम्ल (6 कार्बन) तथा हेक्सा मेथिलीन डाईएमीन (6 कार्बन) के संघनन बहुलीकरण से बनता है अतः इसे नाइलॉन-66 कहते हैं।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 22

    प्रश्न 23.
    (a) पॉलीथीन बनाने की विधि, गुण तथा उपयोग बताइए।
    (b) पॉली-स्टाइरीन बहुलक किस एकलक से बनता है? इसके उपयोग भी बताइए।
    उत्तर-
    (a) पॉलीथीन-उच्च ताप एवं दाब पर उत्प्रेरक की उपस्थिति में एथीन के बहुलीकरण से पॉलीथीन बनता है। यह लचीला एवं मजबूत प्लास्टिक है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 23
    उपयोग-पॉलीथीन थैलियाँ, सांचे में ढली वस्तुएँ, पाइप, ट्यूब आदि बनाने के काम आता है।
    (b) पॉली-स्टाइरीन, विनाइल बेंजीन (स्टाइरीन) के बहुलीकरण से प्राप्त होता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 23.1
    उपयोग-चाय के कप, बोतलों के ढक्कन, रेफ्रिजरेटर के भाग, दीवारों की टाइल्स, पैकिंग सामग्री इत्यादि बनाने में पॉली–स्टाइरीन का प्रयोग किया जाता है।

    प्रश्न 24.
    (a) PVC के उपयोग बताइए।
    (b) संश्लेषित रबर कितने प्रकार के होते हैं? ये किनसे बनते हैं तथा इनके उपयोग भी बताइए।
    उत्तर-
    (a) PVC पाइप, जूते, चप्पल, थैले, बरसाती कपड़े, खिलौने, फोनोग्राम के रिकार्ड तथा विद्युतरोधी परतें इत्यादि बनाने के काम आता है।
    (b) संश्लेषित रबर-संश्लेषित रबर मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं

    • ब्युना-S (ब्युटाडाइईन एवं स्टाइरीन के बहुलीकरण से निर्मित)
    • ब्युना-N (ब्युटाडाइईन एवं एक्रिलोनाइट्राइल के बहुलीकरण से निर्मित)

    उपयोग-संश्लेषित रबर तेल की टंकियाँ, टायर-ट्यूब, चिकित्सा के उपकरण, पेट्रोल के नल, जूतों के तले इत्यादि बनाने के काम आता है।

    निबन्धात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    (अ) बेन्जीन का अणुसुत्र लिखिए।
    (ब) बेन्जीन का संरचना सूत्र बनाइए तथा इसमें उपस्थित त्रिबन्धों की संख्या लिखिए।
    (स) निम्नलिखित में से एथेन कौनसी है? इसमें उपस्थित सहसंयोजक बन्धों की संख्या लिखिए
    (i) C2H2
    (ii) C2H4
    (iii) C2H6
    उत्तर-
    (अ) बेन्जीन का अणुसूत्र-C2H6 होता है।
    (ब) बेन्जीन को संरचना सूत्र निम्न है–
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 1
    बेन्जीन में उपस्थित त्रिबन्धों की संख्या शून्य होती है अर्थात् इसमें कोई त्रिबन्ध उपस्थित नहीं है।
    (स) C2H6 (एथेन)
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 1.1
    एथेन में सहसंयोजक बन्धों की संख्या 7 होती है।

    प्रश्न 2.
    (अ) साइक्लोहेक्सेन का अणुसूत्र लिखिए।
    (ब) साइक्लोहेक्सेन का संरचना सूत्र बनाइए तथा इसमें उपस्थित सहसंयोजक बंधों की संख्या लिखिए।
    (स) निम्नलिखित में ऐथीन कौनसी है? इसमें उपस्थित द्विबन्ध की संख्या लिखिए
    (i) C2H2
    (ii) C2H4
    (iii) C2H6
    उत्तर-
    (अ) साइक्लोहेक्सेन का अणुसूत्र C6H12 होता है।
    (ब) साइक्लोहेक्सेन का संरचना सूत्र निम्न है
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 2
    इसमें 18 सहसंयोजक बन्ध होते हैं।
    (स) C2H4 (ऐथीन)-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 2.1
    ऐथीन में एक द्विबन्ध उपस्थित होता है।

    प्रश्न 3.
    संतृप्त हाइड्रोकार्बन किसे कहते हैं? इस श्रेणी का विशेष नाम बताइए तथा इस श्रेणी के प्रथम पाँच सदस्यों की संरचना लिखिए।
    उत्तर-
    संतृप्त हाइड्रोकार्बन-कार्बन तथा हाइड्रोजन से बने कार्बनिक यौगिक, जिनमें कार्बन परमाणुओं के मध्य एकल आबन्ध (≡C-C≡) पाया जाता है, उन्हें संतृप्त हाइड्रोकार्बन कहते हैं।

    ऐसे संतृप्त हाइड्रोकार्बन ऐल्केन कहलाते हैं। इनका सामान्य रासायनिक सूत्र CnH2n+2 होता है, जहाँ n = 1, 2, 3, 4….. है। ऐल्केनों में प्रबल सहसंयोजक बन्ध होता है अतः इनकी क्रियाशीलता बहुत कम होती है।
    ऐल्केन श्रेणी के प्रथम पाँच सदस्य निम्नलिखित हैं
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 3
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 3.1

    प्रश्न 4.
    एल्कीनों तथा एल्काइनों का IUPAC नामकरण उदाहरण सहित समझाइए।
    उत्तर-
    (a) एल्कीन

    • सर्वप्रथम कार्बन की द्विबन्ध युक्त सबसे लम्बी श्रृंखला का चयन किया जाता है, जिसे मुख्य श्रृंखला कहते हैं।
    • मुख्य श्रृंखला का अंकन उस सिरे से करते हैं जिधर से द्विबन्ध को न्यूनतम अंक मिले।
    • एल्कीन में > C = C< का अनुलग्न ईन होता है।
    • अन्य नियम एल्केन के नामकरण के अनुसार ही होते हैं।
      उदाहरण-
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 4
    • जब यौगिक में एक से अधिक द्विबन्ध उपस्थित होते हैं तो उनकी संख्या दर्शाने के लिए डाई, ट्राई इत्यादि शब्द का प्रयोग करते हैं। जैसे
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 4.1

    (b) एल्काइन

    • सर्वप्रथम कार्बन की त्रिबन्ध युक्त सबसे लम्बी श्रृंखला का चयन किया जाता है जिसे मुख्य श्रृंखला कहते हैं।
    • मुख्य श्रृंखला का अंकन उस सिरे से करते हैं जिधर से त्रिबन्ध को न्यूनतम अंक मिले।।
    • एल्काइन में – C ≡ C – के लिए आईन अनुलग्न का प्रयोग होता है।
    • जब यौगिक की कार्बन श्रृंखला में एक से अधिक त्रिबन्ध होते हैं तो डाई, ट्राई इत्यादि शब्दों के प्रयोग द्वारा उनकी संख्या को दर्शाया जाता है।
      उदाहरण-
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 8 कार्बन एवं उसके यौगिक 4.2

  • Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती

    Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म

    पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

    बहुचयनात्मक प्रश्न
    1. रदरफोर्ड के प्रयोग में किन विकिरणों का प्रयोग किया गया था?
    (क) α
    (ख) β
    (ग) γ
    (घ) X

    2. पदार्थ का सबसे छोटा कण होता है–
    (क) अणु
    (ख) परमाणु
    (ग) तत्व
    (घ) यौगिक

    3. तत्वों का प्रथम आवर्ती वर्गीकरण दिया था–
    (क) डोबराइनर ने
    (ख) मोजले ने
    (ग) न्यूलैंड ने
    (घ) मैन्डेलीफ ने

    4. आधुनिक आवर्त सारणी पदार्थ के किस गुण पर आधारित है?
    (क) परमाणु संरचना
    (ख) परमाणु भार
    (ग) परमाणु क्रमांक
    (घ) संयोजकता

    5. आधुनिक आवर्त सारणी में आवर्त तथा वर्गों की संख्या है
    (क) 7 एवं 18
    (ख) 9 एवं 18
    (ग) 7 एवं 20
    (घ) 9 एवं 20

    6. आवर्त सारणी में परमाणु आकार, वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर
    (क) घटता है।
    (ख) स्थिर रहता है।
    (ग) अनियमित रहता है।
    (घ) बढ़ता है।

    7. वाण्डरवाल त्रिज्या सहसंयोजक त्रिज्या से होती है
    (क) छोटी
    (ख) बड़ी
    (ग) समान
    (घ) कोई नहीं

    8. एक लघु आवर्त में तत्वों की संख्या होती है
    (क) 2
    (ख) 8
    (ग) 18
    (घ) 32

    9. उदासीन परमाणु से इलेक्ट्रॉन पृथक् करने के लिए दी जाने वाली ऊर्जा होती है
    (क) इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी
    (ख) विद्युतऋणता
    (ग) आयनन एन्थैल्पी
    (घ) उत्तेजन ऊर्जा

    10. किस तत्व की विद्युतऋणता सर्वाधिक होती है?
    (क) H
    (ख) Na
    (ग) Ca
    (घ) F

    11. सर्वाधिक धात्विक गुण किस वर्ग के सदस्य रखते हैं ?
    (क) 1
    (ख) 2
    (ग) 5
    (घ) 6

    उत्तरमाला-
    1. (क)
    2. (ख)
    3. (घ)
    4. (ग)
    5. (क)
    6. (घ)
    7. (ख)
    8. (ख)
    9. (ग)
    10. (घ)
    11. (क)

    अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 12.
    थॉमसन के मॉडल का नाम बताइए।
    उत्तर-
    थॉमसन के परमाणु मॉडल को प्लम पुडिंग मॉडल कहते हैं।

    प्रश्न 13.
    बोर की कक्षाओं को क्या कहते हैं ?
    उत्तर-
    बोर की कक्षाओं को कोश या ऊर्जा स्तर कहते हैं।

    प्रश्न 14.
    आधुनिक आवर्त नियम क्या है?
    उत्तर-
    आधुनिक आवर्त नियम-मोजले के अनुसार, “तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं।”

    प्रश्न 15.
    मेण्डेलीफ का आवर्त नियम लिखें।
    उत्तर-
    मेण्डेलीफ के अनुसार, ”तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुण उनके परमाणु भारों के आवर्ती फलन होते हैं।” इसे मेण्डेलीफ का आवर्त नियम कहते हैं।

    प्रश्न 16.
    मैण्डेलीफ ने तत्वों को उनके किस गुण के आधार पर आवर्ती क्रम में रखा?
    उत्तर-
    मैण्डेलीफ ने तत्वों को उनके परमाणु भार के आधार पर आवर्ती क्रम में रखा।

    प्रश्न 17.
    18 वें वर्ग के सदस्यों को क्या नाम दिया गया है?
    उत्तर-
    आवर्त सारणी में 18वें वर्ग के सदस्यों (तत्वों) को उत्कृष्ट गैस या निष्क्रिय गैस कहा जाता है।

    प्रश्न 18.
    d-ब्लॉक तथा -िब्लॉक तत्वों का अन्य नाम क्या है?
    उत्तर-
    d-ब्लॉक के तत्वों को संक्रमण तत्व तथा f-ब्लॉक के तत्वों को अंतः संक्रमण तत्व कहा जाता है।

    लघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 19.
    धातु, अधातु एवं उपधातु का आधुनिक आवर्त सारणी में स्थान बताइए।
    उत्तर-
    आवर्त सारणी में एक टेढ़ी-मेढ़ी रेखा होती है जो कि तत्वों को दो भागों में बाँटती है, धातु तथा अधातु । यह रेखा B, Si, As, Te तथा At के नीचे होती है। इस रेखा के बायीं तरफ धातु तथा दायीं तरफ अधातु होते हैं तथा इस रेखा के समीप स्थित तत्व उपधातु हैं, जो कि बोरोन, सिलिकन, जर्मेनियम, आर्सेनिक, एन्टिमनी, टेल्यूरियम एवं पोलोनियम हैं।

    प्रश्न 20.
    इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी की एक वर्ग में आवर्तिता समझाइए।
    उत्तर-
    आवर्त सारणी के किसी वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर सामान्यतः इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान कम होता है क्योंकि परमाणु आकार बढ़ता है, इससे प्रभावी नाभिकीय का मान कम होता है अतः इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति कम होती जाती है, लेकिन इस क्रम में अनियमितता भी पायी जाती है, जिसके कई कारण होते हैं।

    प्रश्न 21.
    वाण्डरवाल त्रिज्या एवं सहसंयोजक त्रिज्या से आप क्या समझते हैं?
    उत्तर-
    वाण्डरवाल त्रिज्या–ठोस अवस्था में एक ही पदार्थ के दो पास-पास स्थित अनाबंधित अणुओं के परमाणुओं के बीच की दूरी का आधा वाण्डरवाल त्रिज्या कहलाती है। वाण्डरवाल त्रिज्या हमेशा सहसंयोजक त्रिज्या से अधिक होती है।
    सहसंयोजक त्रिज्या-एक ही तत्व के दो समान परमाणु सहसंयोजक बन्ध से जुड़े हों तो दोनों परमाणुओं के नाभिकों के बीच की दूरी के आधे को उस परमाणु की सहसंयोजक क्रिज्या कहते हैं।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म 21

    प्रश्न 22.
    धनायन उदासीन परमाणु से छोटा तथा ऋणायन उदासीन परमाणु से बड़ा होता है। क्यों?
    उत्तर-

    • धनायन का आकार हमेशा उसके उदासीन परमाणु से छोटा होता है क्योंकि धनायन बनने पर इलेक्ट्रॉनों की संख्या कम हो जाती है लेकिन प्रोटॉनों की संख्या उतनी ही रहती है अतः प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता है इसलिए नाभिकीय आकर्षण बल बढ़ जाता है।
    • ऋणायन का आकार हमेशा उसके उदासीन परमाणु से बड़ा होता है। क्योंकि ऋणायन बनने पर इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ती है लेकिन प्रोटॉनों की संख्या उतनी ही रहती है अतः प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान कम हो जाता है, जिससे नाभिकीय आकर्षण बल कम हो जाता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म 22

    प्रश्न 23.
    प्रभावी नाभिकीय आवेश से क्या समझते हैं? यह वर्ग एवं आवर्त में किस प्रकार परिवर्तित होता है?
    उत्तर-
    प्रभावी नाभिकीय आवेश-किसी परमाणु में बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉनों पर नाभिक के द्वारा लगने वाले आकर्षण बल को प्रभावी नाभिकीय आवेश कहते हैं। यह हमेशा वास्तविक नाभिकीय आवेश से कम होता है क्योंकि बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों के प्रतिकर्षण से नाभिकीय आकर्षण बल कुछ मात्रा में संतुलित हो जाता है। एक आवर्त में बायें से दायें जाने पर परमाणु आकार कम होता है अतः प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान बढ़ता है। एक वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु क्रमांक बढ़ता है लेकिन कोशों की संख्या बढ़ती है अर्थात् परमाणु आकार बढ़ता है अतः प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान कम होता है।

    प्रश्न 24.
    संयोजकता एक ही आवर्त में बायें से दायें किस प्रकार का आवर्ती गुणधर्म प्रदर्शित करती है?
    उत्तर-
    आवर्त में बायें से दायें जाने पर संयोजकता 1 से 4 तक बढ़ती है तथा फिर 1 तक घटकर उत्कृष्ट गैस की स्थिति में शून्य हो जाती है। यदि तत्व ऑक्सीजन के साथ संयोग करता है तो संयोजकता 1 से 7 तक बढ़ती जाती है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म 24

    प्रश्न 25.
    डाल्टन का परमाणु संरचना सिद्धांत लिखें।
    उत्तर-
    डाल्टन (1808) ने रासायनिक संयोजन, द्रव्यमान संरक्षण तथा निश्चित अनुपात के नियमों के आधार पर परमाणु सिद्धान्त दिया जिसके मुख्य अभिगृहीत निम्न हैं

    • प्रत्येक पदार्थ छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना होता है, जिन्हें परमाणु कहते हैं।
    • परमाणु अविभाज्य कण होते हैं।
    • एक ही तत्व के सभी परमाणु; भार, आकार तथा रासायनिक गुणों में समान होते हैं।
    • भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु; भार, आकार तथा रासायनिक गुणों में भिन्न-भिन्न होते हैं।
    • एक से अधिक प्रकार के तत्वों के परमाणु सदैव छोटी-छोटी पूर्ण संख्याओं के सरल अनुपात में संयोग कर यौगिक बनाते हैं।
    • रासायनिक अभिक्रियाओं में परमाणु केवल पुनर्व्यवस्थित होते हैं, लेकिन इन्हें रासायनिक अभिक्रिया के द्वारा न तो बनाया जा सकता है, न ही नष्ट किया जा सकता है।

    निबन्धात्मक प्रश्न
    प्रश्न 26.
    मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी के गुण एवं दोषों को सूचीबद्ध करें।
    उत्तर-
    मेण्डेलीफ ने एक आवर्त नियम दिया, जिसके अनुसार तत्वों के गुणधर्म उनके परमाणु भारों के आवर्ती फलन होते हैं। इसके आधार पर उन्होंने आवर्त सारणी को 8 वर्ग (ऊर्ध्वाधर स्तम्भ) तथा 6 आवर्ती (क्षैतिज पंक्तियाँ) में विभाजित किया। वर्गों को पुनः A तथा B उपवर्गों में विभाजित किया। मेण्डेलीफ के समय तक उत्कृष्ट गैसें ज्ञात नहीं थीं, बाद में इन्हें एक नया वर्ग (शून्य वर्ग) बनाकर सारणी में रखा गया।

    मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी में निम्न गुण थे-

    • मेण्डेलीफ ने तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु भारों के क्रम में व्यवस्थित किया तथा उन्होंने सुनिश्चित किया कि एक ही प्रकार के भौतिक एवं रासायनिक गुणों वाले तत्व एक ही वर्ग में आएँ ताकि तत्वों की आवर्तिता बनी रहे।
    • मेण्डेलीफ को कहीं-कहीं परमाणु भार के क्रम को तोड़ना भी पड़ा। जैसे आयोडीन (I) को (परमाणु भार 126.9) टेल्यूरियम (Te) (परमाणु भार 127.6) के बाद रखा गया क्योंकि इसके गुण वर्ग VII के तत्वों के समान हैं।
    • आवर्त सारणी में कुछ तत्वों के लिए रिक्त स्थान छोड़ा तथा उनके गुणधर्मों के बारे में भविष्यवाणी भी की।
    • उन तत्वों के नाम एका-बोरॉन, एका-एल्यूमिनियम तथा एका-सिलिकॉन रखे एवं इनके गुणों का अनुमान भी लगाया जो कि बाद में सही सिद्ध हुए।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म 26
    • बाद में इन तत्वों को क्रमशः स्कैण्डियम, गैलियम तथा जरमेनियम कहा गया।
    • मेण्डेलीफ द्वारा आवर्त सारणी का निर्माण तत्वों के वर्गीकरण तथा अध्ययन में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण तथा उपयोगी रहा।

    मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी में निम्नलिखित दोष थे-

    • सारणी में कुछ स्थानों पर परमाणु भार के बढ़ते क्रम का पालन नहीं किया गया।
    • कुछ समान गुण वाले तत्व अलग-अलग वर्ग में तथा असमान गुण वाले तत्व एक ही वर्ग में रखे गये।
    • सारणी में हाइड्रोजन को निश्चित स्थान नहीं दिया गया।
    • इस सारणी में समस्थानिकों को भी कोई स्थान नहीं दिया गया।

    प्रश्न 27.
    तत्वों के निम्नलिखित गुण आवर्त सारणी में किस प्रकार आवर्तिता दर्शाते हैं?
    (i) परमाणु त्रिज्या
    (ii) आयनन एन्थैल्पी
    (iii) विद्युत ऋणात्मकता।
    उत्तर-
    (i) परमाणु त्रिज्या- किसी परमाणु के नाभिक से बाह्यतम कोश के बीच की दूरी को परमाणु त्रिज्या कहते हैं ।

    • आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बायें से दाये जाने पर परमाणु क्रिज्या घटती है क्योंकि नाभिकीय आवेश (प्रोटॉनों की संख्या) बढ़ने के कारण बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों पर नाभिकीय आकर्षण बल बढ़ता है।
    • वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु त्रिज्या बढ़ती है क्योंकि नया कोश जुड़ता जाता है जिससे प्रभावी नाभिकीय आवेश कम होता है अतः नाभिकीय आकर्षण बल कम होता जाता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म 27

    (ii) आयनन एन्थैल्पी- गैसीय अवस्था में किसी तत्व के एक उदासीन परमाणु से इलेक्ट्रॉन को निकालने के लिए दी जाने वाली ऊर्जा को आयनन एन्थैल्पी कहते हैं।

    • आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बायें से दायें जाने पर परमाणु आकार कम होता है तथा प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान बढ़ता है जिसके कारण परमाणु से इलेक्ट्रॉन को पृथक् करना कठिन होता है। अतः आवर्त में आयनन एन्थैल्पी का मान बढ़ता है।
    • आवर्त सारणी के किसी वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर कोशों की संख्या बढ़ती है जिससे परमाणु आकार बढ़ता है तथा प्रभावी नाभिकीय आवेश कम होने के कारण बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों पर नाभिकीय आकर्षण बल कम होता जाता है। अतः उदासीन परमाणु से इलेक्ट्रॉन को पृथक् करना सरल होता है। इसी कारण वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर तत्वों की आयनन एन्थैल्पी का मान कम होता है।

    (iii) विद्युत ऋणता या विद्युत ऋणात्मकता- सहसंयोजक यौगिकों में दो असमान परमाणुओं के मध्य बने हुए बंध के इलेक्ट्रॉन युग्म को परमाणु द्वारा अपनी ओर आकर्षित करने की प्रवृत्ति को ही विद्युतऋणता कहते हैं। तत्वों का यह एक सापेक्ष गुण है।

    • किसी आवर्त में बायें से दायें जाने पर परमाणु आकार छोटा होता जाता है। अतः नाभिकीय आकर्षण बल बढ़ता है इसलिए तत्वों की विद्युत ऋणता भी बढ़ती जाती है।
    • वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु आकार बढ़ने के कारण नाभिकीय आकर्षण बल कम होता है अतः विद्युत ऋणता का मान घटता जाता है।

    फ्लुओरीन की विद्युतऋणता आवर्त सारणी में अधिकतम होती है।

    प्रश्न 28.
    आधुनिक आवर्त सारणी के द्वारा तत्वों के वर्गीकरण को समझाइए।
    उत्तर-
    आधुनिक आवर्त सारणी-मैण्डेलीफ की आवर्त सारणी के समय अवपरमाणुक कणों जैसे इलेक्ट्रॉन, न्यूट्रॉन तथा प्रोटॉन की व्यवस्था ज्ञात नहीं थी अतः उन्होंने तत्वों के परमाणु भार को वर्गीकरण का आधार माना था। लेकिन बीसवीं सदी में इन कणों की खोज के पश्चात् 1913 में हेनरी मोजले ने आवर्त सारणी को पुनः व्यवस्थित किया तथा देखा कि परमाणु भार की तुलना में परमाणु क्रमांक द्वारा तत्वों के गुणों की अच्छी तरह व्याख्या की जा सकती है। इस आधार पर उन्होंने आधुनिक आवर्त नियम दिया जिसके अनुसार तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुणधर्म उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं।

    आधुनिक आवर्त सारणी के आधार पर तत्वों के वर्गीकरण के मुख्य बिन्दु निम्न हैं—

    • आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों को बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक के आधार पर रखा गया है।
    • उदासीन परमाणु में परमाणु क्रमांक, नाभिक में उपस्थित प्रोटोन की संख्या अथवा उसमें उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होती है। अतः यह आवर्त सारणी स्वतः ही तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास का प्रतिनिधित्व करती है।
    • आवर्त सारणी का यह रूप बहुत ही सरल तथा मैण्डेलीफ की आवर्त सारणी की तुलना में अधिक विस्तृत है अतः इसे आवर्त सारणी का दीर्घ रूप या विस्तृत रूप कहते हैं।
    • आधुनिक आवर्त सारणी में क्षैतिज पंक्तियाँ आवर्त (Period) तथा ऊध्र्वाधर स्तम्भ वर्ग (Group) कहलाते हैं।
    • वर्गों की संख्या 18 तथा आवर्गों की संख्या 1 से 7 तक होती है। आवर्त मुख्य ऊर्जा स्तर अर्थात् कोश को प्रदर्शित करते हैं।
    • प्रथम आवर्त में दो तत्व होते हैं, इसे अतिलघुआवर्त कहते हैं। द्वितीय तथा तृतीय आवर्त में 8-8 तत्व हैं, इन्हें लघु आवर्त कहते हैं।
    • चतुर्थ तथा पंचम आवर्त में d कक्षक भी प्रारम्भ हो जाते हैं। इन दोनों आवर्ती में 18-18 तत्व होते हैं, इन्हें दीर्घ आवर्त कहते हैं। छठे तथा सातवें आवर्त में f-कक्षक भी प्रारंभ हो जाते हैं अतः इनमें 32-32 तत्व होते हैं, इन्हें अतिदीर्घ आवर्त कहते हैं।
    • f-ब्लॉक के एक-एक प्रारूपिक तत्व को मुख्य आवर्त सारणी में रखकर शेष तत्वों को दो क्षैतिज पंक्तियों में अलग से आवर्त सारणी के नीचे 14-14 तत्वों की दो पंक्तियों में दर्शाया जाता है। पहली पंक्ति के तत्व लेन्थेनाइड तथा दूसरी पंक्ति के तत्व एक्टिनॉइड कहलाते हैं।
    • आधुनिक आवर्त सारणी से यह स्पष्ट है कि एक ही वर्ग के सभी तत्वों के बाह्यतम कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होता है अर्थात् संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है। लेकिन वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर कोशों की संख्या बढ़ती जाती है।
    • बाह्यतम कोश में भरे गये अंतिम इलेक्ट्रॉन के आधार पर आवर्त सारणी को चार ब्लॉकों में वर्गीकृत किया गया है। वर्ग 1 व 2 के तत्वों को 5 ब्लॉक तत्व, वर्ग 13 से 18 तक के तत्वों को 2 ब्लॉक तत्व, वर्ग 3 से 12 तक के तत्व d ब्लॉक तत्व तथा आवर्त सारणी के नीचे स्थित दोनों क्षैतिज पंक्तियों को f ब्लॉक के तत्व कहा जाता है।
    • क्षैतिज पंक्तियों में पहली पंक्ति के तत्व (4f श्रेणी) लैंथेनम के बाद आते हैं अतः इन्हें लैन्थेनाइड तथा दूसरी पंक्ति के तत्व (5f श्रेणी) एक्टीनियम के बाद आते हैं अतः इन्हें एक्टिनाइड कहा जाता है।
    • s ब्लॉक के तत्वों को क्षारीय (वर्ग 1) एवं क्षारीय मृदा धातु (वर्ग 2), p ब्लॉक के तत्वों को निरूपक तत्व या मुख्य तत्व, d-ब्लॉक के तत्वों को संक्रमण तत्व तथा f-ब्लॉक के तत्वों को अंतः संक्रमण तत्व कहा जाता है।
    • आवर्त सारणी में यूरेनियम के बाद आने वाले तत्वों को परायूरेनियम तत्व कहा जाता है।

    प्रश्न 29.
    रदरफोर्ड के स्वर्ण पत्र प्रयोग का वर्णन करें। इस प्रयोग का परिणाम तथा निकाले गये निष्कर्षों का भी उल्लेख करें।
    उत्तर-
    रदरफोर्ड का स्वर्ण पत्र प्रयोग- रदरफोर्ड के इस प्रयोग को α- प्रकीर्णन प्रयोग भी कहते हैं। रदरफोर्ड ने सोने की बहुत पतली पन्नी (100 nm या 10-7 मीटर मोटी) पर उच्च ऊर्जा युक्त α कणों (He के नाभिक) की बमबारी की। उन्होंने पन्नी (झिल्ली) के चारों तरफ जिंक सल्फाइड से लेपित वृत्ताकार पर्दा रखा जिससे कि बमबारी के बाद α-कण इस पर्दे से टकरा कर फ्लैश (स्फुरदीप्ति) उत्पन्न करते हैं। इससे α-कणों की दिशा ज्ञात हो जाती है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म 29
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म 29.1
    स्वर्ण धातु के नाभिक द्वारा α-कणों का प्रकीर्णन
    रदरफोर्ड के इस प्रयोग के प्रेक्षण निम्न हैं

    • अधिकांश α-कण सोने की पन्नी में से सीधे ही निकल गये अर्थात् उनका विक्षेपण नहीं हुआ।
    • बहुत कम α-कण कुछ अंश कोण से विक्षेपित हुए।
    • 20,000 α-कणों में से एक α-कण का विक्षेपण 180° के कोण से हुआ।

    ये सभी प्रेक्षण अनअपेक्षित थे तथा इनके आधार पर रदरफोर्ड ने कहा कि ये प्रेक्षण उतने ही अविश्वसनीय थे जैसे अगर आप एक 14″ मोटे तोप के गोले को टिशू पेपर के टुकड़े पर मारें और वह लौटकर आपको ही चोट पहुँचाये। इन प्रेक्षणों के आधार पर रदरफोर्ड ने परमाणु के बारे में निम्नलिखित निष्कर्ष निकाले

    • परमाणु का अधिकांश भाग रिक्त और आवेशहीन होता है इसलिए अधिकांश α-कण स्वर्ण पत्र में से सीधे ही निकल जाते हैं।
    • कुछ α-कण विक्षेपित हो जाते हैं क्योंकि उन पर प्रबल प्रतिकर्षण बल लगा होता है। अतः समस्त धनावेश परमाणु के अंदर एक ही स्थान पर केन्द्रित होना चाहिए।
    • परमाणु में धनावेशित भाग का आयतन उसके कुल आयतन की तुलना में बहुत कम होता है। इस धनावेशित भाग को नाभिक कहा गया। परमाणु का व्यास लगभग 10-10 मीटर तथा नाभिक का व्यास लगभग 10-15 मीटर होता है।

    अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

    वस्तुनिष्ठ प्रश्न
    1. मुख्य क्वाण्टम संख्या n का मान बढ़ने पर कक्ष की ऊर्जा
    (अ) कम होती है
    (ब) बढ़ती है।
    (स) स्थिर रहती है
    (द) कुछ नहीं कहा जा सकता

    2. M किस ऊर्जा स्तर को दर्शाता है?
    (अ) प्रथम
    (ब) द्वितीय
    (स) तृतीय
    (द) चतुर्थ

    3. परमाणु का धनावेश स्थित होता है
    (अ) नाभिक में
    (ब) कक्षों में
    (स) नाभिक तथा कक्षों के मध्य
    (द) सम्पूर्ण परमाणु में

    4. सिलिकॉन है
    (अ) धातु
    (ब) अधातु
    (स) उपधातु
    (द) उपर्युक्त में से कोई नहीं

    5. L कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या होती है
    (अ) 2
    (ब) 18
    (स) 8
    (द) 32

    6. आवर्त सारणी में किसी समूह (वर्ग) के सभी तत्वों में समान होते हैं
    (अ) परमाणु संख्या
    (ब) परमाणु द्रव्यमान
    (स) इलेक्ट्रॉनों की संख्या
    (द) संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या

    7. आवर्त सारणी में बाईं से दाईं ओर जाने पर, प्रवृत्तियों के बारे में कौनसा कथन असत्य है?
    (अ) तत्वों की धात्विक प्रकृति घटती है।
    (ब) संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ती है।
    (स) परमाणु आसानी से इलेक्ट्रॉन को त्याग करते हैं।
    (द) इनके ऑक्साइड अधिक अम्लीय होते जाते हैं।

    8. धातुओं के ऑक्साइडों की प्रकृति सामान्यतः होती है
    (अ) अम्लीय
    (ब) उदासीन
    (स) उभयधर्मी
    (द) क्षारीय

    उत्तरमाला-
    1. (ब)
    2. (स)
    3. (अ)
    4. (स)
    5. (स)
    6. (द)
    7. (स)
    8. (द)।

    अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    क्लोरीन के समस्थानिकों के परमाणु भार लिखिए।
    उत्तर-
    Cl35 और Cl37

    प्रश्न 2.
    आवर्त सारणी में आवर्त (Periods) तथा वर्ग (Group) किसे कहते हैं?
    उत्तर-
    आवर्त सारणी में क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त और ऊर्ध्वाधर स्तम्भों को वर्ग कहते हैं।

    प्रश्न 3.
    सोडियम, क्लोरीन तथा सिलिकॉन में से कौनसी उपधातु है?
    उत्तर-
    सिलिकॉन

    प्रश्न 4.
    न्यूलैण्ड का अष्टक नियम क्या है?
    उत्तर-
    न्यूलैण्ड का अष्टक नियम-जब तत्वों को उनके बढ़ते भार के आरोही क्रम में व्यवस्थित किया जाता है तो प्रत्येक आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के गुणों के समान होते हैं। जैसे–संगीत में आठवाँ स्वर पहले स्वर से मिलता है।

    प्रश्न 5.
    किसी कोश में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या किस सूत्र से ज्ञात की जाती है?
    उत्तर-
    किसी कोश में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या = 2n²
    n = कोश की संख्या ।

    प्रश्न 6.
    तीसरे आवर्त में स्थित तत्वों में धातु कौनसे हैं?
    उत्तर-
    तीसरे आवर्त में Na, Mg तथा Al धातु हैं।

    प्रश्न 7.
    आवर्त सारणी के तीसरे समूह में एक तत्व Y है तो इसके ऑक्साइड का सूत्र क्या होगा?
    उत्तर-
    तत्व तीसरे समूह का है अत: इसकी संयोजकता 3 है तथा ऑक्सीजन की संयोजकता 2 है। इसलिए ऑक्साइड का सूत्र Y2O3 होगा।

    प्रश्न 8.
    किसी समूह में उपस्थित तत्वों की संयोजकता क्या होगी?
    उत्तर-
    किसी समूह में उपस्थित तत्वों की संयोजकता = समूह संख्या या 8 – समूह संख्या।।

    प्रश्न 9.
    क्लोरीन, ब्रोमीन तथा आयोडीन में से किसकी क्रियाशीलता हाइड्रोजन के प्रति न्यूनतम है?
    उत्तर-
    हेलोजन वर्ग में F2 से I2 तक क्रियाशीलता कम होती है। अतः हाइड्रोजन के प्रति आयोडीन की क्रियाशीलता न्यूनतम है।

    प्रश्न 10.
    समूह 1 के तत्वों का नाम क्या है?
    उत्तर-
    समूह 1 के तत्वों को क्षार धातु कहते हैं।

    प्रश्न 11.
    तीसरे आवर्त में तत्वों के ऑक्साइडों के क्षारीय गुण में क्या परिवर्तन होता है?
    उत्तर-
    तीसरे आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर तत्वों के ऑक्साइडों का क्षारीय गुण कम होता है।

    प्रश्न 12.
    डॉबेराइनर के त्रिक् का एक उदाहरण लिखिए।
    उत्तर-
    Cl, Br तथा I डॉबेराइनर के त्रिक् का उदाहरण है।

    प्रश्न 13.
    आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर तत्वों में इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति कम होती है। क्यों?
    उत्तर-
    आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर जैसे-जैसे संयोजकता कोश के इलेक्ट्रॉनों पर लगने वाला प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता है, अतः इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति कम होती जाती है।

    प्रश्न 14.
    धातु, विद्युत धनात्मक होती हैं, क्यों?
    उत्तर-
    आबंध बनाते समय धातु में इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति होती है अतः ये विद्युत धनात्मक होती हैं।

    प्रश्न 15.
    किसी समूह के कौनसे भाग में तत्वों में धात्विक गुण तथा परमाणु आकार अधिक होगा?
    उत्तर-
    किसी समूह में नीचे की तरफ स्थित तत्वों का धात्विक गुण तथा । परमाणु आकार अधिक होगा।

    प्रश्न 16.
    प्रथम परमाणु सिद्धान्त किस वैज्ञानिक ने दिया था?
    उत्तर-
    डाल्टन।

    प्रश्न 17.
    परमाणु में ऊर्जा स्तरों को दर्शाने के लिए क्या संकेत दिए गए हैं?
    उत्तर-
    K, L, M, N, O…. (n = 1, 2, 3, 4, 5, ….)

    प्रश्न 18.
    बोर के अनुसार परमाणु की कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन के कोणीय संवेग का सूत्र क्या है?
    उत्तर-
    mvr =  \frac { nh }{ 2\pi }

    प्रश्न 19.
    बोर के परमाणु मॉडल की एक कमी बताइए।
    उत्तर-
    बोर के परमाणु मॉडल द्वारा एक से अधिक इलेक्ट्रॉन युक्त परमाणुओं की व्याख्या नहीं होती।

    प्रश्न 20.
    आवर्त सारणी के द्वितीय वर्ग के तत्वों को क्या कहा जाता है?
    उत्तर-
    क्षारीय मृदा धातु।।

    प्रश्न 21.
    परमाणु त्रिज्या किसे कहते हैं?
    उत्तर-
    किसी परमाणु के बाह्यतम कोश में उपस्थित अन्तिम इलेक्ट्रॉन की नाभिक से दूरी को परमाणु त्रिज्या कहते हैं ।

    प्रश्न 22.
    आवर्त सारणी में अधिकतम विद्युतऋणता वाला तत्व कौनसा है?
    उत्तर-
    फ्लु ओरीन।।

    प्रश्न 23.
    Li+, Na+, K+ आयनों को त्रिज्या के घटते क्रम में लिखिए।
    उत्तर-
    K> Na+ > Li+

    प्रश्न 24.
    किस वर्ग के तत्वों की आयनन एन्थैल्पी उच्चतम होती है ?
    उत्तर-
    उत्कृष्ट गैस।।

    प्रश्न 25.
    प्रथम समूह के तत्वों को क्षारीय धातु कहा जाता है, क्यों?
    उत्तर-
    प्रथम समूह के तत्व जल के साथ अभिक्रिया करके क्षार बनाते हैं, अतः इन्हें क्षारीय धातु कहा जाता है।

    सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
    प्रश्न 1.
    निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए
    (i) शून्य समूह के तत्व। (A) बोरॉन समूह (13वाँ वर्ग)
    (ii) यूरेनियम (B) उत्कृष्ट गैस
    (iii) एल्युमिनियम (C) रेडियोएक्टिव तत्व
    उत्तर-
    (i) (C)
    (ii) (A)
    (iii) (B)

    प्रश्न 2.
    निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए
    (i) सोना (A) न्यूलैण्ड
    (ii) ऑक्सीजन (B) सिक्का धातु
    (iii) अष्टक नियम (C) 16वाँ वर्ग
    उत्तर-
    (i) (C)
    (ii) (A)
    (iii) (B)

    लघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    न्यूलैंड के अष्टक नियम को लिखिए तथा निम्नलिखित से समान गुणधर्म रखने वाले तत्त्व को नाम लिखिए

    1. नाइट्रोजन
    2. लिथियम।।

    उत्तर-
    न्यूलैंड का अष्टक नियम-न्यूलैंड ने सन् 1865 में ज्ञात तत्वों को परमाणु द्रव्यमान (परमाणु भार) के बढ़ते क्रम में रखा तो उन्होंने देखा कि प्रत्येक आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के गुण के समान हैं। उन्होंने इसकी तुलना संगीत के अष्टक से की, जिसके अनुसार संगीत में (सा रे गा मा प ध नि सा) सात स्वरों के बाद आठवाँ स्वर पहले जैसा ही आता है और इसलिए इसे ‘न्यूलैंड का अष्टक नियम’ कहा जाता है। न्यूलैंड के अष्टक में

    1. नाइट्रोजन के गुण फॉस्फोरस के समान थे तथा
    2. लीथियम के गुणधर्म सोडियम के समान थे। परन्तु यह अष्टक सिद्धान्तं केवल Ca तत्व तक ही लागू हो पाया। इस प्रकार, यह सिद्धान्त केवल हल्के तत्वों के लिए ही ठीक से लागू हो पाया।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म 1

    प्रश्न 2.
    आवर्त सारणी में किसी आवर्त में बायें से दाये जाने पर निम्नलिखित में क्या परिवर्तन होता है?

    1. धात्विक गुण
    2. संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या।

    उत्तर-

    1. धात्विक गुण-आवर्त में जैसे-जैसे संयोजकता कोश के इलेक्ट्रॉनों पर लगने वाली प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता है, तत्वों की इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति कम होती है, अतः धात्विक गुण कम होता जाता है।
    2. संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या-आवर्त में बायें से दाये जाने पर संयोजकता इलेक्ट्रॉन की संख्या पहले बढ़ती है फिर कम होती है।।

    प्रश्न 3.
    डोबराइनर के त्रिक क्या हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
    उत्तर-
    सन् 1829 में डोबराइनर ने समान गुणधर्मों वाले तत्वों को समूहों में व्यवस्थित करने का प्रयास किया। उन्होंने तीन-तीन तत्वों वाले कुछ समूहों को चुना जिनके भौतिक व रासायनिक गुण समान थे एवं इन समूहों को त्रिक् कहा। डोबराइनर के अनुसार त्रिक के तीनों तत्वों को उनके परमाणु भार के आरोही क्रम में रखने पर बीच वाले तत्व का परमाणु भार, अन्य दो तत्वों के परमाणु भार का लगभग औसत होता है तथा इसके गुण भी दोनों तत्वों के गुणों के बीच के थे। डोबराइनर ऐसे तीन त्रिक ही ज्ञात कर सके।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म 3

    प्रश्न 4.
    क्या डोबराइनर के त्रिक्, न्यूलैंड के अष्टक के स्तम्भ में भी पाए जाते हैं? तुलना करके पता कीजिए।
    उत्तर-
    हाँ, डोबराइनर के त्रिक, न्यूलैण्ड के अष्टक के स्तम्भ में भी पाए जाते हैं। उदाहरण के लिए लीथियम (Li), सोडियम (Na) तथा पोटैशियम (K) डोबराइनर का एक त्रिक बनाते हैं। यदि Li को पहला तत्व मानें तो उससे आठवें स्थान पर Na आता है और यदि Na को पहला तत्व मानें तो उसके आठवें स्थान पर K आता है।

    प्रश्न 5.
    गैलियम के अतिरिक्त अब तक कौन-कौनसे तत्वों का पता चला है जिनके लिए मैन्डेलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में खाली स्थान छोड़ दिया था? दो उदाहरण दीजिए।
    उत्तर-
    मैन्डेलीफ की आवर्त सारणी में छोड़े गए खाली स्थानों में गैलियम के अतिरिक्त स्कैडियम तथा जर्मेनियम थे जिनकी खोज बाद में हुई थी। स्कैडियम, गैलियम तथा जर्मेनियम के गुण क्रमशः एका-बोरॉन, एका-ऐलुमिनियम तथा एकासिलिकॉन के समान थे।

    प्रश्न 6.
    आपके मतानुसार उत्कृष्ट गैसों को अलग समूह में क्यों रखा गया?
    उत्तर-
    सभी तत्वों में से उत्कृष्ट गैसें, जैसे-हीलियम (He), नीऑन (Ne), आर्गन (Ar), क्रिप्टॉन (Kr) तथा जीनॉन (Xe) सबसे अधिक अक्रिय हैं अतः ये अन्य तत्वों से अभिक्रिया नहीं करती इसलिए मेण्डेलीफ ने उन्हें अलग वर्ग में रखा, जिसे शून्य वर्ग कहा गया।

    इन गैसों का पता भी देर से चला क्योंकि ये अक्रिय हैं तथा वायुमण्डल में इनकी मात्रा भी बहुत कम है। इसलिए जब इन गैसों को पता चला तब मेण्डलीफ ने पिछली व्यवस्था को छेड़े बिना ही इन्हें नए समूह में रखा।

    प्रश्न 7.
    निम्न के नाम बताइए
    (a) तीन तत्व जिनके बाह्यतम कोश में एक इलेक्ट्रॉन उपस्थित हो।
    (b) दो तत्व जिनके बाह्यतम कोश में दो इलेक्ट्रॉन उपस्थित हों।
    (c) तीन तत्व जिनका बाह्यतम कोश पूर्ण भरा हो।
    उत्तर-
    (a) Li, Na तथा K ऐसे तत्व हैं, जिनके बाह्यतम कोश में एक इलेक्ट्रॉन उपस्थित है। होता है तथा इसके गुण भी दोनों तत्वों के गुणों के बीच के थे। डोबराइनर ऐसे तीन त्रिक ही ज्ञात कर सके।
    (b) Mg तथा Ca ऐसे तत्व हैं, जिनके बाह्यतम कोश में दो इलेक्ट्रॉन उपस्थित
    (c) Ne, Ar तथा Kr ऐसे तत्व हैं, जिनका बाह्यतम कोश पूर्ण भरा है।

    प्रश्न 8.
    किस तत्व में
    (a) दो कोश हैं तथा दोनों इलेक्ट्रॉनों से पूर्ण पूरित हैं?
    (b) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 है?
    (c) कुल तीन कोश हैं तथा संयोजकता कोश में चार इलेक्ट्रॉन हैं?
    (d) कुल दो कोश हैं तथा संयोजकता कोश में तीन इलेक्ट्रॉन हैं?
    (e) दूसरे कोश में पहले कोश से दोगुने इलेक्ट्रॉन हैं?
    उत्तर-
    (a) Ne (2, 8) में दो कोश हैं तथा दोनों ही इलेक्ट्रॉन से पूर्ण पूरित हैं।
    (b) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 वाला तत्व मैग्नीशियम (Mg) है तथा इसका परमाणु क्रमांक 12 है।
    (c) कुल तीन कोश तथा संयोजकता कोश में चार इलेक्ट्रॉन वाला तत्व सिलिकॉन (Si) है। ISi = 2, 8, 4
    (d) कुल दो कोश तथा संयोजकता कोश में तीन इलेक्ट्रॉन वाला तत्व बोरॉन (B) है। इB = 2, 3
    (e) कार्बन (C) में दूसरे कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या पहले कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या की दोगुनी है। C = 2, 4

    प्रश्न 9.
    (a) आवर्त सारणी में बोरॉन के स्तम्भ के सभी तत्वों के कौनसे गुणधर्म समान हैं?
    (b) आवर्त सारणी में फ्लुओरीन के स्तम्भ के सभी तत्वों के कौनसे गुणधर्म समान हैं?
    उत्तर-
    (a) (i) बोरॉन की भाँति बोरॉन के स्तम्भ के सभी तत्वों का बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान है अर्थात् इन सभी तत्वों के बाह्यतम कोश में तीन इलेक्ट्रॉन हैं।
    (ii) B (बोरॉन) के स्तम्भ के सभी तत्व + 3 संयोजकता (ऑक्सीकरण अवस्था) दर्शाते हैं।

    (b) (i) आवर्त सारणी में फ्लुओरीन के स्तम्भ के सभी तत्वों का बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होता है तथा इन सभी के बाह्यतम कोश में सात इलेक्ट्रॉन हैं, अतः इन सभी की संयोजकता 1 होती है।
    (ii) ये सभी तत्व अधातु हैं तथा द्विपरमाणुक अणु बनाते हैं।

    प्रश्न 10.
    एक परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 7 है।
    (a) इस तत्व की परमाणु-संख्या क्या है? .
    (b) निम्न में किस तत्व के साथ इसकी रासायनिक समानता होगी? (परमाणु-संख्या कोष्ठक में दी गई है)।
    N(7) F(9) P(15) Ar(18)
    उत्तर-
    (a) इस तत्व की परमाणु संख्या 17 है तथा यह तत्व क्लोरीन है।
    (b) इस तत्व की रासायनिक समानता F(9) फ्लुओरीन से है क्योंकि ये एक ही वर्ग के तत्व हैं।

    प्रश्न 11.
    आवर्त सारणी में तीन तत्व A, B तथा C की स्थिति निम्न प्रकार है
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म 11
    अब बताइए कि
    (a) A धातु है या अधातु।
    (b) A की अपेक्षा C अधिक अभिक्रियाशील है या कम?
    (c) C का आकार B से बड़ा होगा या छोटा?
    (d) तत्व A, किस प्रकार का आयन ( धनायन या ऋणायन) बनाएगा?
    उत्तर-
    आवर्त सारणी में वर्ग 16 तथा 17 को देखने पर ज्ञात होता है कि
    (a) A अधातु है। (क्योंकि आवर्त सारणी में बाएँ से दाएँ जाने पर धात्विक गुण कम होता है।)
    (b) A की अपेक्षा C कम अभिक्रियाशील है।
    (c) C का आकार B से छोटा होगा।
    (d) A मुख्यतः ऋणायन बनाता है क्योंकि यह अधातु है।

    प्रश्न 12.
    तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास का आधुनिक आवर्त सारणी में तत्व की स्थिति से क्या सम्बन्ध है?
    उत्तर-
    आधुनिक आवर्त सारणी परमाणु क्रमांक के आधार पर बनाई गई है तथा परमाणु क्रमांक के आधार पर ही तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखा जाता है। तत्वों के रासायनिक गुण, इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पर निर्भर करते हैं, अतः जिन तत्वों के बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है, उन्हें समान समूह में रखा जाता है। किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर संयोजकता कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 1 इकाई बढ़ जाती है क्योंकि परमाणु क्रमांक 1 इकाई बढ़ जाता है।

    प्रश्न 13.
    आधुनिक आवर्त सारणी में कैल्सियम (परमाणु संख्या 20 ) के चारों ओर परमाणु संख्या 12, 19, 21 तथा 38 वाले तत्व स्थित हैं। इनमें से किन तत्वों के रासायनिक गुणधर्म कैल्सियम के समान हैं?
    उत्तर-
    इन तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास अग्र प्रकार हैं
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म 13
    स्पष्ट है कि परमाणु संख्या 12 एवं 38 वाले तत्वों के बाह्यतम कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान है तथा इनके बाह्यतम कोश में दो इलेक्ट्रॉन हैं। इसलिए इनके रासायनिक गुणधर्म भी समान होते हैं।

    प्रश्न 14.
    आधुनिक आवर्त सारणी एवं मैन्डेलीफ की आवर्त सारणी में तत्वों की व्यवस्था की तुलना कीजिए।
    उत्तर-
    आधुनिक आवर्त सारणी एवं मैन्डेलीफ की आवर्त सारणी में तत्वों की व्यवस्था की तुलना

    • मैन्डेलीफ की आवर्त सारणी में तत्वों के वर्गीकरण का आधार परमाणु भार था जबकि आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों का वर्गीकरण परमाणु संख्या के आधार पर किया गया है।
    • मैन्डेलीफ के अनुसार तत्वों के गुणधर्म, परमाणु भार के आवर्ती फलन होते हैं जबकि आधुनिक आवर्त नियम के अनुसार तत्वों के गुणधर्म परमाणु संख्या के आवर्ती फलन होते हैं।
    • मैन्डेलीफ की आवर्त सारणी में आठ समूह (वर्ग) थे जबकि आधुनिक आवर्त सारणी में 18 समूह हैं।
    • मैन्डेलीफ के अनुसार तत्वों को परमाणु भार के आरोही क्रम में रखने पर समान भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म वाले तत्व एक निश्चित अन्तराल के बाद पुनः आ जाते हैं अर्थात् उनका समान समूह होता है। आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों को परमाणु संख्या के आरोही क्रम में रखने पर समान गुण वाले तत्व एक वर्ग (समूह) में आते हैं।

    प्रश्न 15.

    1. संयोजकता क्या होती है?
    2. s तथा p ब्लॉक के तत्वों की संयोजकता कैसे ज्ञात होती है?
    3. किसी समूह (वर्ग) में संयोजकता में क्या परिवर्तन होता है?

    उत्तर-

    1. किसी तत्व की संयोजकता उसके परमाणु के बाह्यतम कोश में उपस्थित संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या द्वारा निर्धारित की जाती है।
      किसी तत्व के एक परमाणु से संयोग करने वाले हाइड्रोजन परमाणुओं या ऑक्सीजन परमाणुओं की संख्या के आधे को उसकी संयोजकता कहते हैं।
    2. s ब्लॉक (वर्ग 1 व वर्ग 2) के तत्वों के बाह्यतम कोश में क्रमशः 1 व 2 इलेक्ट्रॉन होते हैं अतः इनकी संयोजकता भी क्रमशः 1 व 2 ही होती है।
      p ब्लॉक अर्थात् वर्ग 13 से 17 तक के तत्वों की संयोजकता उसके बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या या 8 में से बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉन की संख्या को घटाने से प्राप्त होती है।
    3. एक ही वर्ग के सभी सदस्यों की संयोजकता समान होती है क्योंकि इनके बाह्यतम कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास भी समान होता है।

    प्रश्न 16.
    दो तत्व X तथा Y जिनके परमाणु क्रमांक क्रमशः 11 तथा 17
    (क) ये तत्व आवर्त सारणी के किस वर्ग में हैं?
    (ख) इन तत्वों में से कौनसी धातु तथा कौनसी अधातु है?
    (ग) ये तत्व आवर्त सारणी के किस आवर्त में हैं?
    उत्तर-
    (क) तत्व X वर्ग 1 में एवं तत्व Y 17 वें वर्ग में आता है।
    (ख) तत्व X धातु तथा तत्व Y अधातु है।
    (ग) दोनों तत्व (X व Y) आवर्त सारणी के तीसरे आवर्त में हैं।

    प्रश्न 17.
    एक तत्व Y आवर्त सारणी के दूसरे आवर्त और वर्ग 16 में है
    (a) क्या वह धातु है या अधातु?
    (b) उसकी संयोजकता कितनी है?
    उत्तर-
    (a) तत्व Y अधातु है।
    (b) तत्व Y ऑक्सीजन है, जिसकी परमाणु संख्या 8 है, अतः इसकी संयोजकता 2 है।।

    प्रश्न 18.
    (अ) समस्थानिक किसे कहते हैं?
    (ब) किन्हीं दो उत्कृष्ट गैसों के नाम लिखिए।
    (स) एक तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 है। इसकी वर्ग संख्या तथा संयोजकता क्या होगी?
    उत्तर-
    (अ) एक ही तत्व के भिन्न-भिन्न परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान होती है लेकिन द्रव्यमान संख्या भिन्न-भिन्न होती है, समस्थानिक कहलाते हैं। जैसे Cl35 तथा Cl37
    (ब) (i) हीलियम (He) (ii) नीऑन (Ne)
    (स) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 वाला तत्व मैग्नीशियम (Mg) है। इसकी वर्ग संख्या 2 तथा संयोजकता भी 2 है।

    प्रश्न 19.
    परमाणु के बारे में विभिन्न दार्शनिकों के क्या मत थे?
    उत्तर-

    • प्राचीन भारतीय दार्शनिक महर्षि कणाद ने बताया कि पदार्थ को छोटे-छोटे टुकड़ों में लगातार विभाजित करने पर अंत में उसके सूक्ष्मतम कण प्राप्त होते हैं, उन्हें परमाणु कहते हैं। परमाणु को और अधिक विभाजित करना संभव नहीं है।
    • भारतीय दार्शनिक पकुघा काव्यायाम ने बताया कि पदार्थों के भिन्नभिन्न रूप इन कणों के संयुक्त होने से प्राप्त होते हैं।
    • ग्रीक दार्शनिक डेमोक्रिट्स एवं ल्यूसीपस ने इन सूक्ष्मतम अविभाज्य कणों को atoms कहा। यह ग्रीक भाषा के शब्द atomio से लिया गया है जिसका अर्थ होता है न काटा जाने वाला अर्थात् अविभाज्य ।।

    प्रश्न 20.
    थॉमसन का परमाणु प्रतिरूप (मॉडल ) क्या था? समझाइए।
    उत्तर-
    इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन की खोज के बाद परमाणु के बारे में सन् 1898 में जे.जे. थॉमसन ने एक मॉडल प्रस्तुत किया जिसके अनुसार परमाणु एक धनावेशित गोला है जिसमें समान मात्रा में ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन वितरित होते हैं। इसे प्लम पुडिंग मॉडल भी कहा जाता है। यह एक प्रकार का क्रिसमस केक है जिसमें धनावेश को पुडिंग की तरह तथा इलेक्ट्रॉन को प्लम की तरह माना गया है। भारतीय परिप्रेक्ष्य में इसे बूंदी के लड्डू या तरबूज की तरह भी माना जा सकता है। तरबूज का लाल भाग धनावेश की तरह तथा बीच में लगे बीज इलेक्ट्रॉन की तरह होते हैं। इस मॉडल के अनुसार परमाणु में धनावेश तथा ऋणावेश की मात्रा समान होती है अतः परमाणु विद्युत उदासीन होता है।
    थॉमसन के परमाणु मॉडल से रदरफोर्ड के स्वर्ण पत्र प्रयोग की व्याख्या नहीं होती है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म 20

    प्रश्न 21.
    रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के निष्कर्ष बताइए।
    उत्तर-
    रदरफोर्ड ने अपने स्वर्ण पत्र प्रयोग के आधार पर परमाणु का निम्न मॉडल दिया.

    • परमाणु का सम्पूर्ण धनावेश तथा द्रव्यमान (भार) उसके मध्य छोटे से भाग में स्थित होता है, उसे नाभिक कहते हैं।
    • परमाणु का अधिकांश भाग रिक्त होता है जिसके चारों ओर इलेक्ट्रॉन वृत्ताकार पथों में तीव्र गति से घूमते हैं, इन वृत्ताकार पथों को कक्षा या कक्ष (orbit) कहते हैं।
    • परमाणु विद्युत उदासीन होता है, अतः परमाणु में जितने इलेक्ट्रॉन होते हैं, उतनी ही संख्या में नाभिक में प्रोटॉन भी उपस्थित होते हैं।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म 21

    प्रश्न 22.
    (a) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की सौर मॉडल से तुलना कीजिए।
    (b) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की कमियाँ बताइए।
    उत्तर-
    (a) रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल सौर मॉडल को प्रतिरूप माना जाता है। इसमें इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर भिन्न-भिन्न कक्षाओं में इस प्रकार घूमते हैं। जैसे विभिन्न ग्रह सूर्य के चारों ओर विभिन्न कक्षाओं में घूमते हैं। इस प्रकार यह मॉडल परमाणु संरचना की व्याख्या करने का मूलभूत आधार बना।
    (b) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल में निम्न कमियाँ थीं

    • यह मॉडल परमाणु के स्थायित्व की व्याख्या नहीं कर सका।।
    • यह परमाणु की इलेक्ट्रॉनिक संरचना को स्पष्ट नहीं कर पाया।
    • मैक्सवेल के सिद्धांत के अनुसार वृत्ताकार कक्ष में गति करता हुआ इलेक्ट्रॉन विकिरण उत्सर्जित करेगा, जिससे उसकी ऊर्जा कम होती जाएगी। इस प्रकार वह नाभिक के चारों ओर सर्पिलाकार गति करता हुआ अंततः उसमें जाकर गिर जाएगा परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं होता है।
    • यह मॉडल परमाणु के स्पेक्ट्रम तथा एक कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या एवं उनकी व्यवस्था को स्पष्ट नहीं कर पाया।

    प्रश्न 23.
    तत्वों के वर्गीकरण की आवश्यकता क्यों हुई?
    उत्तर-
    तत्वों के वर्गीकरण की आवश्यकता-प्रकृति में उपस्थित तत्वों की संख्या बहुत अधिक है तथा कुछ तत्व मानव निर्मित भी हैं। आज तक 114 तत्व ज्ञात हैं। इन सभी तत्वों को अलग-अलग याद करना, उनके रासायनिक एवं भौतिक गुण तथा इनसे बनने वाले यौगिकों के गुणों का अध्ययन करना एक बहुत ही कठिन कार्य है, अतः तत्वों के वर्गीकरण की आवश्यकता हुई। विभिन्न वैज्ञानिकों ने कुछ गुणों के आधार पर इन तत्वों को एक क्रम में व्यवस्थित करने का प्रयास किया, जिससे इनका अध्ययन सरल एवं तर्कसंगत तरीके से किया जा सके। इस प्रकार के वर्गीकरण से भविष्य में खोजे जाने वाले नये तत्वों का अध्ययन भी सुव्यवस्थित तरीके से किया जा सकेगा।

    प्रश्न 24.
    तत्वों के गुणों में आवर्तिता क्या होती है? समझाइए।
    उत्तर-
    तत्वों के गुणों में आवर्तिता-आवर्त सारणी में वर्ग में ऊपर से नीचे या आवर्त में बायें से दायें जाने पर तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणों के बढ़ने या घटने का एक निश्चित क्रम दिखाई देता है। तत्वों के गुणों में यह नियमित परिवर्तन उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पर निर्भर करता है। आवर्त सारणी में तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में क्रमिक परिवर्तन होता है इसी कारण तत्वों के गुणों में भी क्रमिक परिवर्तन होता है। तत्वों के गुणों में इस क्रमिक परिवर्तन को ही गुणों में आवर्तिता कहते हैं। तथा इन गुणों को आवर्ती गुण कहा जाता है। जैसे-परमाणु त्रिज्या, गलनांक, क्वथनांक, आयनन एन्थैल्पी तथा संयोजकता आदि।

    प्रश्न 25.

    1. धनायन तथा ऋणायन कैसे बनते हैं तथा इनकी त्रिज्या परमाणु से कम होती है या अधिक?
    2. s खण्ड के तत्वों के धनायनों का आकार संगत परमाणु से बहुत छोटा होता है, क्यों?

    उत्तर-

    1. जब परमाणु इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है या त्यागता है तो आयन बनते हैं। इन आयनों की त्रिज्या को ही आयनिक त्रिज्या कहा जाता है। किसी परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन त्यागने से धनायन बनता है तथा परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने से ऋणायन बनता है। धनायन की त्रिज्या परमाणु से कम तथा ऋणायन की त्रिज्या परमाणु से अधिक होती है।
    2. s खण्ड के तत्वों में धनायन बनते समय बाह्यतम कोश ही पूर्ण रूप से समाप्त हो जाता है अतः इनके धनायनों का आकार संगत परमाणु से बहुत छोटा होता है।

    प्रश्न 26.

    1. किसी एकल परमाणु की त्रिज्या ज्ञात नहीं की जा सकती, क्यों?
    2. धात्विक त्रिज्या किसे कहते हैं?

    उत्तर-

    1. किसी एकल परमाणु की त्रिज्या ज्ञात करना सम्भव नहीं है। क्योंकि ये या तो अणुओं के रूप या परमाणुओं के समूह के रूप में पाए जाते हैं। अर्थात् एक विलगित परमाणु मिलना बहुत दुर्लभ है।
    2. धातु के क्रिस्टल जालक में पास-पास स्थित दो परमाणुओं के नाभिकों के बीच की दूरी के आधे को धात्विक त्रिज्या कहते हैं।

    प्रश्न 27.

    1. निम्न को परिभाषित कीजिए
      (a) परिवर्ती संयोजकता
      (b) ऑक्सीकरण अवस्था।
    2. संयोजी कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या के आधार पर विभिन्न तत्वों के हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के साथ बने यौगिकों की सारणी बनाइए।

    उत्तर-

    1. (a) परिवर्ती संयोजकता–d ब्लॉक तत्व, लैन्थेनॉइड एवं एक्टीनॉइड तत्व एक से अधिक संयोजकता प्रदर्शित करते हैं, इसे परिवर्ती संयोजकता कहते हैं। यह इन तत्वों का एक विशेष लक्षण है।
      (b) ऑक्सीकरण अवस्था-विद्युतऋणता के अनुसार किसी तत्व का एक परमाणु, दूसरे तत्व के परमाणु से जितनी संख्या में आवेश ग्रहण करता है, वह उसकी ऑक्सीकरण अवस्था कहलाती है।
    2. तत्वों के संयोजकता कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या तथा उनके H व O के साथ बने यौगिक निम्न हैं
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म 27

    प्रश्न 28.
    इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी किसे कहते हैं? आवर्त सारणी के किसी आवर्त तथा वर्ग में इसकी आवर्तिता भी समझाइए।
    उत्तर-
    गैसीय अवस्था में किसी तत्व के उदासीन परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋणायन बनाने पर मुक्त ऊर्जा को इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी या इलेक्ट्रॉन बंधुता कहते हैं। इसका मान धनात्मक या ऋणात्मक हो सकता है तथा यह तत्व की प्रकृति पर निर्भर करता है।
    उदासीन परमाणु(g) + e → ऋणायन(g) + मुक्त ऊर्जा (इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी)

    आवर्त में बायें से दाये जाने पर परमाणु आकार छोटा होने एवं प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ने के कारण इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान बढ़ता है।

    वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान कम होता है। क्योंकि परमाणु आकार बढ़ने के कारण प्रभावी नाभिकीय आवेश कम होता है।

    प्रश्न 29.
    आयनन एन्थैल्पी क्या होती है? समझाइए।
    उत्तर-
    आयनन एन्थैल्पी-गैसीय अवस्था में किसी तत्व के एक उदासीन परमाणु से इलेक्ट्रॉन को निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा को आयनन एन्थैल्पी कहते हैं। यह किलो कैलोरी/मोल या किलो जूल/मोल या इलेक्ट्रॉन वोल्ट/मोल में मापी जाती है। इस प्रक्रिया में ऊर्जा दी जाती है अतः आयनन एन्थैल्पी का मान हमेशा धनात्मक होता है।
    उदासीन परमाणु(g) + आयनन एन्थैल्पी → धनायन(g) + e

    किसी उदासीन परमाणु में से प्रथम इलेक्ट्रॉन को पृथक् करने के लिए दी जाने वाली ऊर्जा प्रथम आयनन एन्थैल्पी तथा धनायन से एक और इलेक्ट्रॉन पृथक् करने के लिए दी जाने वाली ऊर्जा को द्वितीय आयनन एन्थैल्पी कहते हैं। इसी प्रकार तृतीय इलेक्ट्रॉन को पृथक् करने के लिए दी जाने वाली ऊर्जा तृतीय आयनन एन्थैल्पी कहलाती है। किसी तत्व के लिए प्रथम आयनन एन्थैल्पी (IE) < द्वितीय आयनन एन्थैल्पी < तृतीय आयन एन्थैल्पी।

    प्रश्न 30.
    बोर के परमाणु मॉडल की कमियाँ बताइए।
    उत्तर-
    बोर का परमाणु मॉडल, रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल से अधिक विकसित था तथा इसके द्वारा परमाणु के रैखिक स्पेक्ट्रम एवं उसके स्थायित्व की व्याख्या की जा सकती है। इसके बावजूद इसमें निम्न कमियाँ पायी गयीं

    1. एक से अधिक इलेक्ट्रॉनयुक्त परमाणु प्रतिरूप को इस मॉडल द्वारा स्पष्ट नहीं किया जा सका।
    2. उच्चभेदन क्षमता वाले उपकरणों से देखने पर ज्ञात हुआ कि परमाणु का रैखिक स्पेक्ट्रम एक से अधिक रेखाओं में बँटा होता है, जिसका कारण भी बोर मॉडल से स्पष्ट नहीं होता।
    3. यह मॉडल परमाणुओं द्वारा रासायनिक बंध बनाकर अणुओं के निर्माण की प्रक्रिया को स्पष्ट नहीं कर सका।

    निबन्धात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    (अ) आवर्त सारणी में किस ब्लॉक के तत्त्व परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करते हैं?
    (ब) ऋणायन का आकार अपने संगत परमाणु से बड़ा होता है, क्यों?
    (स) CaH2, NaH, SiH4, A/H3
    उपरोक्त यौगिकों में Ca, Na, Si तथा Al की संयोजकता बताइए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    अथवा
    (अ) किन्हीं दो उपधातुओं के नाम लिखिए।
    (ब) किसी आवर्त में बायें से दायें जाने पर परमाणु आकार किस प्रकार परिवर्तित होता है? कारण सहित समझाइए।
    (स) निम्नलिखित तत्त्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु आकार के क्रम में व्यवस्थित कीजिए Na, Cs, Li, K (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    उत्तर-
    (अ) आवर्त सारणी में मुख्यतः d-ब्लॉक के तत्त्व परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करते हैं।
    (ब) ऋणायन का आकार हमेशा उसके संगत परमाणु से बड़ा होता है क्योंकि ऋणायन बनने पर इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ती है लेकिन प्रोटॉनों की संख्या उतनी ही रहती है। अतः प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान कम हो जाता है, जिससे नाभिकीय आकर्षण बल बढ़ जाता है।
    (स) दिए गए यौगिकों (CaH2), NaH, SiH4, A/H3) में Ca, Na, Si तथा Al की संयोजकता क्रमशः 2, 1, 4 तथा 3 है।
    अथवा
    (अ) सिलिकन (Si) तथा आरसेनिक (As) उपधातु है।।
    (ब) किसी आवर्त में बायें से दायें जाने पर परमाणु आकार कम होता है। क्योंकि प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ने के कारण यह इलेक्ट्रॉनों को नाभिक की ओर अधिक मात्रा में आकर्षित करता है।
    (स) Na, Cs, Li तथा K के परमाणु आकार का बढ़ता क्रम निम्नलिखित है|
    Li < Na < K < Cs

    प्रश्न 2.

    1. मेंडेलीफ की आवर्त सारणी के तीन गुण एवं तीन दोष लिखिए।
    2. निम्न तत्वों को उनकी परमाणु त्रिज्या के बढ़ते क्रम में लिखिए F, C, Li, Be

    अथवा

    1. (i) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की व्याख्या करने वाले तीन बिन्दु लिखिए।
      (ii) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल को ‘सौर मण्डल का प्रतिरूप’ क्यों माना जाता है?
      (iii) रदरफोर्ड मॉडल की दो कमियाँ लिखिए।
    2. निम्न तत्वों को उनके धात्विक गुणों के बढ़ते क्रम में लिखिए Li, Fr, Na, K (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18 )

    उत्तर-

    1. पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर निबन्धात्मक प्रश्न संख्या 26 का उत्तर देखें।
    2. F < C < Be < Li

    अथवा

    1. (i) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की व्याख्या के तीन बिन्दु निम्नलिखित हैं
      (a) परमाणु का सम्पूर्ण धनावेश तथा द्रव्यमान (भार) उसके मध्य छोटे से भाग में स्थित होता है, उसे नाभिक कहते हैं।
      (b) परमाणु का अधिकांश भाग रिक्त होता है जिसके चारों ओर इलेक्ट्रॉन वृत्ताकार पथों में तीव्र गति से घूमते हैं । इन वृत्ताकार पथों को कक्षा या कक्ष कहते हैं ।
      (c) परमाणु विद्युत उदासीन होता है, अतः परमाणु में जितने इलेक्ट्रॉन होते हैं, उतनी ही संख्या में नाभिक में प्रोटॉन भी उपस्थित होते हैं।
      (ii) रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल सौर मंडल का प्रतिरूप भी माना जाता है। क्योंकि इसमें इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर भिन्न-भिन्न कक्षाओं में इस प्रकार घूमते हैं जैसे विभिन्न ग्रह सूर्य के चारों ओर विभिन्न कक्षाओं में घूमते हैं।
      (iii) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल में अग्र दो कमियाँ थीं
      (a) यह मॉडल परमाणु के स्थायित्व की व्याख्या नहीं कर सका।
      (b) यह परमाणु की इलेक्ट्रॉनिक संरचना को स्पष्ट नहीं कर पाया।
    2. Li < Na < K< Fr

    प्रश्न 3.
    बोर के परमाणु मॉडल की परिकल्पनाएँ क्या हैं? वर्णन कीजिए।
    अथवा
    नील्स बोर का परमाणु मॉडल किन परिकल्पनाओं पर आधारित है?
    उत्तर-
    बोर ने क्वाण्टम सिद्धान्त का प्रयोग कर हाइड्रोजन परमाणु की संरचना तथा उसके स्पेक्ट्रम की व्याख्या करने के लिए एक परमाणु मॉडल दिया जो कि निम्न परिकल्पनाओं पर आधारित है
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म 3

    • परमाणु के केन्द्र में नाभिक स्थित होता है जिसमें धनावेशित कण प्रोटॉन उपस्थित होते हैं।
    • परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर निश्चित त्रिज्या एवं निश्चित ऊर्जा वाले पथों में गति करते हैं। ये निश्चित ऊर्जा वाले पथ कक्षा, कोश या ऊर्जा स्तर (Orbit or Energy level) कहलाते हैं।
    • परमाणु में कक्षाएं नाभिक के चारों ओर संकेन्द्रीय रूप से व्यवस्थित होती हैं, जिन्हें n से दर्शाया जाता है। इनका मान हमेशा पूर्णांक जैसे 1, 2, 3, 4, 5, …… तथा इन्हें क्रमश: K, L, M, N, O……. द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
    • n का मान बढ़ने पर कक्षों की नाभिक से दूरी बढ़ती है अतः उनकी ऊर्जा भी बढ़ती है। प्रथम कोश अर्थात् n = 1 या K कक्ष की ऊर्जा सबसे कम होती है।
    • इन कक्षाओं में गतिशील इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग  mvr=\frac { h }{ 2\pi }   या इसका पूर्ण गुणक होता है। यहाँ h = प्लांक स्थिरांक, m = इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान, v = इलेक्ट्रॉन का वेग, r = कक्ष की त्रिज्या है। इसका अर्थ है कि इलेक्ट्रॉन केवल उन्हीं कक्षाओं में गति करता है जिनका कोणीय संवेग  \frac { nh }{ 2\pi }   के बराबर हो।
    • बोर के अनुसार परमाणु में एक निश्चित कक्षा में गतिशील इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता है अर्थात् उसकी ऊर्जा निश्चित होती है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म 3
    • इलेक्ट्रॉन जब ऊर्जा का अवशोषण करता है तो यह उत्तेजित होकर उच्च ऊर्जा स्तर में चला जाता है, लेकिन इसके विपरीत जब इलेक्ट्रॉन ऊर्जा का उत्सर्जन करता है तो यह उच्च ऊर्जा स्तर से निम्न ऊर्जा स्तर में आ जाता है। परमाणु में इलेक्ट्रॉन द्वारा ऊर्जा के अवशोषण तथा उत्सर्जन से रैखिक स्पैक्ट्रम का निर्माण होता है।

    प्रश्न 4.
    तत्वों के धात्विक तथा अधात्विक गुण क्या होते हैं? इनकी आवर्त सारणी में आवर्तिता की व्याख्या भी कीजिए।
    उत्तर-
    धात्विक गुण-किसी तत्व के परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन त्यागकर धनायन बनाने की प्रवृत्ति को धात्विक गुण कहते हैं। अतः धातु विद्युत धनी होते हैं। जैसे कि वर्ग 1 के क्षार धातु सबसे अधिक विद्युत धनी तत्व होते हैं क्योंकि ये | सरलता से इलेक्ट्रॉन त्याग कर धनायन बना लेते हैं।

    अधात्विक गुण-किसी तत्व के परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति को अधात्विक गुण कहते हैं। जैसे कि वर्ग 17 के हैलोजेन सरलता से इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋणायन बना लेते हैं, अतः इनमें प्रबल अधात्विक गुण होता है।
    धात्विक तथा अधात्विक गुणों में आवर्तिता-

    • किसी वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणुओं का आकार बढ़ता है। तथा प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान कम होता है, अतः आयनन एन्थैल्पी का मान घटता जाता है और धनायन का निर्माण सरलता से होता है इसी कारण धात्विक गुण बढ़ता है।
    • एक आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर परमाणु आकार कम तथा प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान बढ़ता है, अतः आयनन एन्थैल्पी का मान बढ़ता जाता है। इसलिए धनायन का निर्माण मुश्किल से होता है। इसी कारण तत्वों के धात्विक गुणों । में कमी होती है।
    • एक आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर परमाणु आकार कम एवं प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान बढ़ने के कारण इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान बढ़ता है। अतः तत्वों की ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति बढ़ती है अतः अधात्विक गुण में वृद्धि होती है।
    • एक वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के मान में कमी होती है अतः अधात्विक गुण में भी कमी होती है।
    • आवर्त सारणी के बायें भाग के तत्व धातु होते हैं तथा जैसे-जैसे दाहिनी ओर बढ़ते हैं, धात्विक गुण में कमी तथा अधात्विक गुण में वृद्धि होती है।
    • अधातुएँ विद्युत ऋणात्मक होती हैं अर्थात् इनमें विद्युतऋणी गुण होता है।
    • आवर्त सारणी में एक टेढ़ी-मेढी रेखा धातु तथा अधातु को पृथक करती है, जिसके समीप स्थित तत्व दोनों प्रकार के गुण प्रदर्शित करते हैं। इन तत्वों को उपधातु कहते हैं। इस रेखा पर आने वाले तत्व-बोरोन, सिलिकन, जर्मेनियम, आर्सेनिक, एन्टिमनी, टेल्यूरियम एवं पोलोनियम उपधातु हैं।
    • सामान्यतया धातुओं के ऑक्साइड क्षारकीय तथा अधातुओं के ऑक्साइड अम्लीय होते हैं।
    • आवर्त सारणी में धातुओं की क्रियाशीलता वर्ग में बढ़ती है। जैसे प्रथम समूह (Li, Na, K, Rb, Cs) लेकिन अधातुओं की क्रियाशीलता वर्ग में कम होती। है जैसे हेलोजेन समूह (E, CI, Br, I)
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म 1
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 7 परमाणु सिद्धान्त, तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण एवं गुणधर्म 2

  • Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 6 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं उत्प्रेरक

    Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 6 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं उत्प्रेरक

    पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

    बहुचयनात्मक प्रश्न
    1. FeCl3 का FeCl2 में परिवर्तन कहलाता है
    (क) ऑक्सीकरण
    (ख) अपचयन
    (ग) अपघटन।
    (घ) संयुग्मन

    2. एक पदार्थ दो छोटे सरल अणुओं में टूटता है तो अभिक्रिया होगी|
    (क) अपघटनीय
    (ख) विस्थापन
    (ग) ऑक्सीकरण
    (घ) संयुग्मन

    3. इलेक्ट्रॉन त्यागने वाले पदार्थ कहलाते हैं
    (क) ऑक्सीकारक
    (ख) उत्प्रेरक
    (ग) अपचायक
    (घ) कोई नहीं

    4. दोनों दिशाओं में होने वाली अभिक्रियाएँ हैं|
    (क) ऑक्सीकरण
    (ख) अपचयन
    (ग) अनुक्रमणीय
    (घ) उत्क्रमणीय

    5. अभिक्रिया के वेग को बढ़ाने वाले होते हैं
    (क) उत्प्रेरक
    (ख) ऑक्सीकारक
    (ग) अपचायक
    (घ) कोई नहीं

    6. एन्जाइम होते हैं
    (क) ऋणात्मक उत्प्रेरक
    (ख) धनात्मक उत्प्रेरक
    (ग) स्वतः उत्प्रेरक
    (घ) जैव उत्प्रेरक

    7. 2Mg + O2 → 2 MgO
    इस अभिक्रिया में मैग्नीशियम धातु हो रहा है
    (क) ऑक्सीकृत।
    (ख) अपचयित
    (ग) अपघटित
    (घ) विस्थापित

    8. उत्क्रमणीय अभिक्रियाओं के लिए किस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है
    (क) →
    (ख) ↑
    (ग) ↓
    (घ) ⇔

    9. वह अभिक्रिया जो बनने वाले उत्पाद से ही उत्प्रेरित हो जाती है, कहलाती
    (क) जैव रासायनिक
    (ख) उत्क्रमणीय
    (ग) स्वतः उत्प्रेरित
    (घ) अनुत्क्रमणीय

    10. ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया में ऊष्मा
    (क) निकलती है।
    (ख) अवशोषित होती है।
    (ग) विलेय होती है।
    (घ) इनमें से कोई नहीं

    उत्तरमाला-
    1. (ख)
    2. (क)
    3. (ग)
    4. (घ)
    5. (क)
    6. (घ)
    7. (क)
    8. (घ)
    9. (ग)
    10. (क)

    अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

    प्रश्न 11.
    रासायनिक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं ?
    उत्तर-
    वह परिवर्तन जिसमें पदार्थ के रासायनिक गुण तथा संघटन में परिवर्तन होकर नया पदार्थ बनता है, उसे रासायनिक परिवर्तन कहते हैं।

    उदाहरण- कोयले को जलाने पर CO2 गैस का बनना।
    C(s) + O2(g) → CO2(g)

    प्रश्न 12.
    वनस्पति तेल को वनस्पति घी में परिवर्तित करने वाले उत्प्रेरक का नाम बताइये।।
    उत्तर-
    वनस्पति तेल को वनस्पति घी में परिवर्तित करने के लिए निकेल (Ni) उत्प्रेरक का प्रयोग किया जाता है।

    प्रश्न 13.
    उत्प्रेरण कितने प्रकार का होता है? नाम लिखें।
    उत्तर-
    उत्प्रेरण मुख्यतः चार प्रकार का होता है-

    • धनात्मक उत्प्रेरण
    • ऋणात्मक उत्प्रेरण
    • स्वतः उत्प्रेरण
    • जैव उत्प्रेरण।

    प्रश्न 14.
    Zn + CuSO4 → ZnSO4 + Cu
    यह किस प्रकार की अभिक्रिया का उदाहरण है?
    उत्तर-
    यह एक विस्थापन तथा रेडॉक्स अभिक्रिया है।

    प्रश्न 15.
    रेडॉक्स अभिक्रिया का एक उदाहरण दें।
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 6 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं उत्प्रेरक 15

    प्रश्न 16.
    उत्क्रमणीय अभिक्रिया किसे कहते हैं ?
    उत्तर-
    वह अभिक्रिया जो दोनों दिशाओं में होती है अर्थात् जिसमें अभिकारक से उत्पाद तथा उत्पाद से पुनः अभिकारक का निर्माण होता है, उसे उत्क्रमणीय अभिक्रिया कहते हैं। उदाहरण
    Na2(g) + 3H2(g) ⇔ 2NH3(g)

    प्रश्न 17.
    उत्प्रेरक वर्धक व उत्प्रेरक विष का क्या कार्य है?
    उत्तर-
    उत्प्रेरक वर्धक, उत्प्रेरक की क्रियाशीलता बढ़ाते हैं जबकि उत्प्रेरक विष से उत्प्रेरक की क्रियाशीलता कम हो जाती है।

    प्रश्न 18.
    अम्ल व क्षार की परस्पर अभिक्रिया कौनसी अभिक्रिया कहलाती है?
    उत्तर-
    अम्ल व क्षार की परस्पर अभिक्रिया से लवण तथा जल बनता है तथा इस अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं।

    प्रश्न 19.
    वेग के आधार पर अभिक्रिया कितने प्रकार की होती है?
    उत्तर-
    वेग के आधार पर अभिक्रिया दो प्रकार की होती है-

    • तीव्र अभिक्रियाएँ
    • मंद अभिक्रियाएँ।

    प्रश्न 20.
    ताप अपघटन अभिक्रिया का उदाहरण दें।
    उत्तर-
    कैल्सियम कार्बोनेट का विघटन एक ताप अपघटन या ऊष्मीय अपघटन अभिक्रिया है।
    CaCOकैल्सियम कार्बोनेट →Δ→ CaO + CO2↑ कैल्सियम ऑक्साइड

    प्रश्न 21.
    किसी अभिक्रिया में उत्प्रेरक का क्या कार्य होता है?
    उत्तर-
    उत्प्रेरक रासायनिक अभिक्रिया के वेग में वृद्धि या कमी कर देते हैं। लेकिन स्वयं अपरिवर्तित रहते हैं।

    प्रश्न 22.
    रासायनिक अभिक्रिया के संतुलन का आधारभूत सिद्धांत क्या है?
    उत्तर-
    रासायनिक अभिक्रिया के समीकरण का संतुलन द्रव्यमान संरक्षण के नियम के आधार पर किया जाता है, जिसके अनुसार किसी रासायनिक अभिक्रिया में न तो द्रव्यमान का निर्माण होता है और न ही नष्ट। अतः सम्पूर्ण अभिक्रिया में द्रव्यमान संरक्षित रहता है।

    प्रश्न 23.
    रेडॉक्स अभिक्रिया किसे कहते हैं ?
    उत्तर-
    वह अभिक्रिया जिसमें एक पदार्थ ऑक्सीकृत तथा दूसरा पदार्थ अपचयित होता है अर्थात् ऑक्सीकरण व अपचयन अभिक्रियाएँ साथ-साथ चलती हैं, उसे रेडॉक्स या उपापचयी अभिक्रिया कहते हैं।

    प्रश्न 24.
    कोयले का दहन कौन सी अभिक्रिया है?
    उत्तर-
    कोयले का दहन एक संयुग्मन अभिक्रिया है, किन्तु इस अभिक्रिया में कोयले का ऑक्सीकरण भी हो रहा है। अतः यह एक ऑक्सीकरण अभिक्रिया भी है।

    प्रश्न 25.
    प्रबल अम्ल व प्रबल क्षार के मध्य अभिक्रिया कराने पर विलयन की pH कितनी होगी?
    उत्तर-
    समान सान्द्रता के प्रबल अम्ल व प्रबल क्षार के मध्य अभिक्रिया कराने पर विलयन की pH 7 होगी क्योंकि विलयन उदासीन हो जाएगा।

    लघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 26.
    भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन में अंतर लिखें।
    उत्तर-
    भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन में निम्नलिखित अन्तर हैं
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 6 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं उत्प्रेरक 26

    प्रश्न 27.
    संयुग्मन व अपघटनीय अभिक्रियाओं को एक-एक उदाहरण के साथ लिखें।
    उत्तर-
    (i) संयुग्मन अभिक्रियाएँ- वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें दो या दो से अधिक अभिकारक आपस में संयोग करके एक ही उत्पाद बनाते हैं, उन्हें संयुग्मन अभिक्रियाएँ कहते हैं। इन अभिक्रियाओं में अभिकारकों के मध्य नये बंधों का निर्माण होता है।

    इन अभिक्रियाओं में अभिकारकों का साधारण योग होता है अतः इन्हें योगात्मक या संयोजन अभिक्रिया कहा जाता है।

    उदाहरण- कैल्सियम ऑक्साइड (बिना बुझा चूना) का जल के साथ तीव्रता से अभिक्रिया करके कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड (बुझा हुआ चूना) बनाना।।
    CaO(s) + H2O(l) → Ca(OH)2(aq)

    (ii) अपघटनीय अभिक्रियाएँ-वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें एक अभिकारक अपघटित होकर (टूट कर) दो या दो से अधिक उत्पाद बनाता है, उन्हें अपघटनीय अभिक्रियाएँ कहते हैं। इनमें अभिकारकों के मध्य बने हुए बंध टूटते हैं। जिससे छोटे अणुओं का निर्माण होता है।

    उदाहरण- CaCO3 (कैल्सियम कार्बोनेट) को गर्म करने पर CaO तथा CO2 गैस बनती है।
    CaCO3(s)(चूना पत्थर) → CaO(s) + CO2(g)(कैल्सियम ऑक्साइड)

    प्रश्न 28.
    AgNO3 + KCl → AgCI + KNO3
    उपरोक्त अभिक्रिया किस प्रकार की है? नाम लिखें तथा समझाएँ।
    उत्तर-
    यह एक द्विविस्थापन अभिक्रिया है जिसमें दोनों अभिकारकों के परमाणु या परमाणुओं का समूह आपस में विस्थापित होते हैं तथा नये यौगिक बनते हैं। अभिक्रिया–
    AgNO3 + KCl → AgCl + KNO3
    में AgNO3, के NO3 आयन KCl के Cl आयनों को विस्थापित कर रहे हैं जिससे सिल्वर क्लोराइड (AgCl) तथा पोटेशियम नाइट्रेट (KNO3) बन रहे हैं।

    प्रश्न 29.
    ऑक्सीकरण व अपचयन को इलेक्ट्रॉनिक आदान-प्रदान के आधार पर समझाइए।
    उत्तर-
    ऑक्सीकरण-ऐसी अभिक्रिया जिसमें परमाणु, आयन या अणु इलेक्ट्रॉन त्यागता है, उसे ऑक्सीकरण कहते हैं। इसमें इलेक्ट्रॉनों की संख्या कम होती है। उदाहरण
    K → K+ + e
    Fe2+ → Fe3+ + e
    2Cl → Cl2 + 2e
    यहाँ पोटेशियम परमाणु एक e त्याग कर K+ धनायन में, फेरस (Fe2+)

    आयन एक और e त्याग कर (Fe3+) फेरिक आयन में तथा क्लोराइड (Cl) आयन e त्याग कर उदासीन क्लोरीन परमाणु में ऑक्सीकृत होता है। इन अभिक्रियाओं से ज्ञात होता है कि ऑक्सीकरण की क्रिया में उदासीन परमाणु धनायन बनाता है या धनायन पर आवेश बढ़ता है या ऋणायन से उदासीन परमाणु बनता है।

    अपचयन-वह अभिक्रिया जिसमें परमाणु, आयन या अणु द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण किया जाता है, उसे अपचयन कहते हैं। इसमें इलेक्ट्रॉनों की संख्या में वृद्धि होती है। उदाहरण
    Br + e → Br
    MnO4 + e → MnO4-2
    Mg+2 + 2e → Mg
    यहाँ ब्रोमीन परमाणु एक e ग्रहण कर ब्रोमाइड आयन (Br), मैग्नेट आयन (MnO4), एक e ग्रहण कर परमैंग्नेट आयन (MnO4-2) तथा मैग्नीशियम आयन (Mg+2) दो e ग्रहण कर उदासीन Mg परमाणु में अपचयित हो रहे हैं। अतः अपचयन अभिक्रिया में उदासीन परमाणु से ऋणायन बनता है या ऋणायन पर आवेश बढ़ता है या धनायन से उदासीन परमाणु बनता है।

    प्रश्न 30.
    उत्प्रेरक कितने प्रकार के होते हैं? लिखें।
    उत्तर-
    (a) क्रिया के आधार पर उत्प्रेरक चार प्रकार के होते हैं

    • धनात्मक उत्प्रेरक-उत्प्रेरक जो रासायनिक अभिक्रिया के वेग को बढ़ाते हैं, उन्हें धनात्मक उत्प्रेरक कहते हैं।
      2SO2 + O→NO→ 2SO3
    • ऋणात्मक उत्प्रेरक-उत्प्रेरक जो रासायनिक अभिक्रिया के वेग को कम करते हैं, उन्हें ऋणात्मक उत्प्रेरक कहते हैं।
      2H2O2 →ग्लिसरॉल→ 2H2O + O2
    • स्वतः उत्प्रेरक-जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में बना उत्पाद ही उत्प्रेरक का कार्य करता है अर्थात् अभिक्रिया के वेग को बढ़ा देता है तो उस उत्पाद को स्वतः उत्प्रेरक कहते हैं।
      उदाहरण
      CH3COOC2H5 एथिल एसीटेट + H2O ⇔ CH3COOH एसीटिक अम्ल + C2H5OH एथेनॉल
      इस अभिक्रिया में CH3COOH स्वतः उत्प्रेरक है।
    • जैव उत्प्रेरक-वे पदार्थ जो जैव रासायनिक अभिक्रियाओं के वेग को बढ़ाते हैं, उन्हें जैव उत्प्रेरक कहते हैं। इन्हें एन्जाइम भी कहते हैं।
      उदाहरण
      NH2CONH2 यूरिया + H2O → यूरिएज → 2NH3 + CO2

    (b) भौतिक अवस्था के आधार पर उत्प्रेरक दो प्रकार के होते हैं

    • समांगी उत्प्रेरक-जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में उत्प्रेरक, अभिकारक एवं उत्पाद तीनों की भौतिक अवस्था समान होती है तो उत्प्रेरक समांगी उत्प्रेरक कहलाता है।
      उदाहरण-
      CH3C00CH3(l) मेथिल एसीटेट + H2O(l) →HCl(aq)→ CH3COOH(aq) एसीटिक अम्ल + CH3OH(aq) मेथिल एल्कोहॉल
      2SO2(g) + O2(g) सल्फर डाईऑक्साइड → NO(g)→ 2SO3(g) सल्फर ट्राईऑक्साइड
    • विषमांगी उत्प्रेरक-जब किसी रासायनिक अभिक्रियाओं में अभिकारक एवं उत्प्रेरक की भौतिक अवस्था भिन्न-भिन्न होती है तो इस अवस्था में उत्प्रेरक को विषमांगी उत्प्रेरक कहते हैं।
      उदाहरण-
      N2(g) + 3H2(g) →Fe(s) →2NH3(g)
      वनस्पति तेल(l) + H2(g) →Ni(s)→ वनस्पति घी(s)
      सूक्ष्म विभाजित निकल धातु (Ni) की उपस्थिति में वनस्पति तेलों का हाइड्रोजनीकरण करके वनस्पति घी बनाया जाता है। इस अभिक्रिया में तेल द्रव अवस्था में, H2 गैसीय अवस्था में, Ni तथा घी ठोस अवस्था में है।

    प्रश्न 31.
    अपघटनीय अभिक्रियाएँ कितने प्रकार की होती हैं? वर्णन करें।
    उत्तर-
    अपघटनीय अभिक्रियाओं में एक अभिकारक अपघटित होकर दो या दो से अधिक उत्पाद बनाता है। अपघटनीय अभिक्रियाएँ तीन प्रकार की होती
    (i) विद्युत अपघटन
    (ii) ऊष्मीय अपघटन
    (iii) प्रकाशीय अपघटन

    (i) विद्युत अपघटन- जब किसी यौगिक की गलित या द्रव अवस्था में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो वह अपघटित होकर कैथोड तथा एनोड पर भिन्नभिन्न उत्पाद बनाता है, तो इस अभिक्रिया को विद्युत अपघटन कहते हैं। उदाहरणजल का विद्युत अपघटन करने पर हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन गैस बनती है।
    2H2O(l) →विद्युत धारा→ 2H2(g) + O2(g)
    2NaCl(aq) →विद्युत धारा→ 2Na(aq) + Cl2(ag)↑
    (ii) ऊष्मीय अपघटन- इस अभिक्रिया में यौगिक को ऊष्मा देने पर वह छोटे अणुओं में टूट जाता है। उदाहरण-कैल्शियम कार्बोनेट को 473K ताप तक गर्म करने पर अपघटित होकर कैल्शियम ऑक्साइड तथा CO2 बनाता है।
    CaCO→Δ→ CaO + CO2 ↑
    (iii) प्रकाशीय अपघटन- प्रकाशीय अपघटन में यौगिक प्रकाश से ऊर्जा प्राप्त करके छोटे-छोटे अणुओं में टूट जाता है।
    उदाहरण-
    2HBr → H2↑ + Br2

    प्रश्न 32.
    क्लोरोफार्म में कुछ मात्रा में एथिल एल्कोहॉल मिलाकर क्यों रखा जाता है?
    उत्तर-
    क्लोरोफार्म वायु की ऑक्सीजन से स्वतः ही ऑक्सीकृत होकर विषैली गैस फॉस्जीन बनाता है। इस अभिक्रिया के वेग को कम करने के लिए इसमें थोड़ी मात्रा में एथेनॉल (C2H5OH) मिला दिया जाता है।
    2CHCl3 क्लोरोफॉर्म + O→C2H5OH→ 2COCl2 फॉस्जीन + 2HCl
    यहाँ एथेनॉल अल्प मात्रा में बनी फॉस्जीन (COCl2) से क्रिया करके डाइएथिल कार्बोनेट तथा HCl बनाता है, जिससे अभिक्रिया धीमी हो जाती है।
    2C2H5OH + COCl2 → (C2H5)2CO3 अविषाक्त + 2HCl

    प्रश्न 33.
    दुर्बल अम्ल व प्रबल क्षार से बने लवण का जलीय विलयन क्षारीय होता है। क्यों?
    उत्तर-
    दुर्बल अम्ल तथा प्रबल क्षार से बने लवण के जलीय विलयन में उपस्थित दुर्बल अम्ल पूर्णतः आयनित नहीं होता अर्थात् कुछ मात्रा में अवियोजित अवस्था में भी रहता है। अतः विलयन में अम्ल व क्षार के समान मोल होने पर भी प्रबल क्षार से प्राप्त OH- अधिक मात्रा में रहते हैं। अतः विलयन क्षारीय होता है। जिसकी pH 7 से अधिक होती है। उदाहरण
    CH3COONa सोडियम एसीटेट + H2O → CH3COOH दुर्बल अम्ले (अल्प आयनित) + NaOH प्रबल क्षार (पूर्ण आयनित)

    प्रश्न 34.
    क्या ये अभिक्रियाएँ संभव हैं? उत्तर कारण सहित लिखें।
    (i) Cu + ZnSO4 → CuSO4 + Zn
    (ii) Fe + CuSO4 → FeSO4 + Cu
    उत्तर-
    ये दोनों ही विस्थापन अभिक्रियाओं के उदाहरण हैं। विस्थापन अभिक्रियाओं में अधिक क्रियाशील तत्व, तुलनात्मक रूप से कम क्रियाशील तत्वों को विस्थापित करते हैं, लेकिन इसके विपरीत नहीं होता।
    (i) यह अभिक्रिया सम्भव नहीं है क्योंकि Cu, Zn से कम क्रियाशील धातु है अतः यह Zn को विस्थापित नहीं कर सकता।
    Cu + ZnSO4 → CuSO4 + Zn
    (ii) यह अभिक्रिया सम्भव है क्योंकि Fe, Cu से अधिक क्रियाशील है। अतः यह Cu को विस्थापित करके FeSO4 तथा Cu बनाता है।
    Fe + CuSO4 → FeSO4 + Cu

    प्रश्न 35.
    निम्नलिखित अभिक्रियाओं में ऑक्सीकरण-अपचयन को पहचाहिए

    1. C + O→ CO2
    2. Mg + Cl2 → MgCl2
    3. ZnO + C → Zn + CO
    4. Fe2O3 + 3CO → 2Fe + 3CO2

    उत्तर-

    1. C + O → CO2– इस अभिक्रिया में कार्बन का ऑक्सीजन के साथ संयोग हो रहा है अतः इसका ऑक्सीकरण हो रहा है, लेकिन O2 का अपचयन हो रहा है।
    2. Mg + Cl2 → MgCl2 -इस अभिक्रिया में मैग्नीशियम (Mg) का अधिक विद्युतऋणी तत्व क्लोरीन (Cl2) के साथ संयोग हो रहा है अतः इसका ऑक्सीकरण हो रहा है, लेकिन (Cl2) का अपचयन हो रहा है।
    3. ZnO + C → Zn + CO-इस अभिक्रिया में ZnO में से ऑक्सीजन निकल रही है अतः इसका अपचयन हो रहा है, लेकिन कार्बन का कार्बन मोनोऑक्साइड में ऑक्सीकरण हो रहा है।
    4. Fe2O3 + 3CO → 2Fe + 3CO2-इस अभिक्रिया में फेरिक ऑक्साइड (Fe2O3) का आयरन में अपचयन तथा कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) का CO2 में ऑक्सीकरण हो रहा है।

    उपरोक्त सभी अभिक्रियाओं में एक पदार्थ का ऑक्सीकरण तथा दूसरे का अपचयन हो रहा है अतः इन्हें रेडॉक्स अभिक्रियाएँ कहते हैं।

    निबन्धात्मक प्रश्न
    प्रश्न 36.
    रासायनिक अभिक्रियाएँ कितने प्रकार की होती हैं? वर्णन करें।
    उत्तर-
    रासायनिक अभिक्रिया-वह अभिक्रिया जिसमें उत्पाद का रासायनिक गुण तथा संघटने मूल पदार्थ से भिन्न होता है अर्थात् किसी पदार्थ में रासायनिक परिवर्तन होना रासायनिक अभिक्रिया कहलाता है। रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारकों से उत्पादों का निर्माण होता है परन्तु पदार्थ का कुल द्रव्यमान संरक्षित रहता है।
    उदाहरण- मैग्नीशियम के फीते का दहन
    2Mg(s) + O2(g) → 2MgO(s) मैग्नीशियम ऑक्साइड (श्वेत चूर्ण)

    रासायनिक अभिक्रियाएँ मुख्यतः चार प्रकार की होती हैं
    (i) संयुग्मन अभिक्रियाएँ
    (ii) विस्थापन अभिक्रियाएँ।
    (iii) द्विविस्थापन अभिक्रियाएँ
    (iv) अपघटनीय अभिक्रियाएँ

    (i) संयुग्मन अभिक्रियाएँ या योगात्मक अभिक्रियाएँ- वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें दो या दो से अधिक अभिकारक आपस में संयोग करके एक ही उत्पाद बनाते हैं उन्हें संयुग्मन अभिक्रियाएँ कहते हैं। इन अभिक्रियाओं में अभिकारकों के मध्य नये बंधों का निर्माण होता है।
    उदाहरण- एथीन का हाइड्रोजनीकरण
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 6 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं उत्प्रेरक 36

    (ii) विस्थापन अभिक्रियाएँ- वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें एक अभिकारक में उपस्थित परमाणु या परमाणुओं का समूह दूसरे अभिकारक के परमाणु या परमाणुओं के समूह द्वारा विस्थापित होता है, उन्हें विस्थापन अभिक्रियाएँ कहते हैं। इन अभिक्रियाओं में अभिकारकों के बंध टूटते हैं तथा नये बंधों का निर्माण होता है।
    उदाहरण- CuSO4 नीला (कॉपर सल्फेट) + Zn जिंक → ZnSO4 रंगहीन (जिंक सल्फेट) + Cu

    (iii) द्विविस्थापन अभिक्रियाएँ- वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें दोनों अभिकारकों के परमाणु या परमाणुओं के समूह आपस में विस्थापित होकर नये यौगिकों का निर्माण होता है, उन्हें द्विविस्थापन अभिक्रियाएँ कहते हैं। इनमें दोनों अभिकारकों के कुछ भाग आपस में विस्थापित होकर नए उत्पाद बनाते हैं।
    उदाहरण-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 6 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं उत्प्रेरक 36.1

    (iv) अपघटनीय अभिक्रियाएँ- वे अभिक्रियाएँ जिनमें एक अभिकारक अपघटित होकर दो या दो से अधिक उत्पाद बनाते हैं, उन्हें अपघटनीय अभिक्रियाएँ कहते हैं। अपघटनीय अभिक्रियाएँ तीन प्रकार की होती हैं
    (a) विद्युत अपघटन
    (b) ऊष्मीय अपघटन
    (c) प्रकाशीय अपघटन
    उदाहरण- 2NaCl(ag) →विद्युत अपघटन→ 2NaOH(aq) + Cl2(g)↑

    प्रश्न 37.
    ऑक्सीकरण-अपचयन से क्या समझते हैं? उदाहरणों के साथ व्याख्या करें।
    उत्तर-
    ऑक्सीकरण तथा अपचयन को विभिन्न आधारों पर परिभाषित किया जाता है

    • ऑक्सीजन के संयोग एवं विलोपन (वियोजन ) के आधार पर-किसी पदार्थ के साथ ऑक्सीजन का जुड़ना ऑक्सीकरण तथा ऑक्सीजन का निकलना अपचयन कहलाता है।
      उदाहरण- ऑक्सीकरण
      2Mg + O2 → 2MgO
      S + O2 → SO2 सल्फर डाईऑक्साइड
      अपचयन-
      2KClO3 → 2KCl + 3O2
    • हाइड्रोजन के संयोग तथा विलोपन के आधार पर-किसी पदार्थ में से हाइड्रोजन का निकलना ऑक्सीकरण तथा हाइड्रोजन का जुड़ना अपचयन कहलाता है।
      उदाहरण- ऑक्सीकरण
      2H2S + O2 → 2H2O + 2S
      इस अभिक्रिया में H2S (हाइड्रोजन सल्फाइड) गैस सल्फर (S) में ऑक्सीकृत हो रही है।
      CH3CH2OH एथेनैल →[O]→ CH3CHO + H2 एथेनॉल
      अपचयन-
      H2 + Cl2 → 2HCl
      यहाँ क्लोरीन का HCl में अपचयन हो रहा है।
    • विद्युत धनी तत्त्वों के संयोग तथा विलोपन के आधार पर-वह अभिक्रिया जिसमें किसी पदार्थ में से विद्युत धनी तत्व (धन विद्युती तत्व) का निष्कासन होता है, उसे ऑक्सीकरण तथा विद्युत धनी तत्व का योग होता है, उसे अपचयन कहते हैं।
      उदाहरण- ऑक्सीकरण
      2KI + Cl2 → 2KCl + I2
      H2S + Cl2 → 2HCl + S
      इन अभिक्रियाओं में पोटेशियम आयोडाइड (KI) का आयोडीन (I2) में तथा H2S का सल्फर (S) में ऑक्सीकरण हो रहा है।
      अपचयन-
      Cl2 + Mg → MgCl2
      यहाँ क्लोरीन (Cl2) का मैग्नीशियम क्लोराइड (MgCl2) में अपचयन हो रहा है।
    • विद्युतऋणी तत्वों के संयोग तथा विलोपन के आधार पर-वे अभिक्रियाएँ जिनमें किसी पदार्थ का विद्युतऋणी.तत्व के साथ संयोग होता है, उन्हें ऑक्सीकरण तथा जब किसी पदार्थ में से विद्युतऋणी तत्व निकलता है तो उन्हें अपचयन अभिक्रियाएँ कहते हैं ।
      उदाहरण- ऑक्सीकरण
      Ca + Cl2 → CaCl2
      यहाँ कैल्सियम (Ca) का अधिक विद्युतऋणी तत्व क्लोरीन (Cl2) के साथ संयोग हो रहा है अतः यह एक ऑक्सीकरण अभिक्रिया है।
      अपचयन-
      2FeCl3 + H2 → 2FeCl2 + 2HCl
      इस अभिक्रिया में FeCl3 में से ऋण विद्युत तत्व Cl के निकलने के कारण इसका अपचयन हो रहा है।
      सारांश के रूप में ऑक्सीकरण वे अभिक्रियाएँ होती हैं जिनमें किसी पदार्थ के साथ ऑक्सीजन या किसी अन्य ऋणविद्युती तत्व का योग होता है। अथवा हाइड्रोजन या किसी अन्य धनविद्युती तत्व का निष्कासन होता है।
      इसी प्रकार अपचयन वे अभिक्रियाएँ हैं जिनमें किसी पदार्थ के साथ हाइड्रोजन या किसी अन्य धनविद्युती तत्व का योग होता है अथवा ऑक्सीजन या किसी अन्य ऋणविद्युती तत्व का निष्कासन होता है।
      आजकल ऑक्सीकरण तथा अपचयन की परिभाषा इलेक्ट्रॉन के आदान-प्रदान के आधार पर दी गई है।
    • इलेक्ट्रॉन के आदान-प्रदान के आधार पर ऑक्सीकरण-वे अभिक्रियाएँ जिनमें परमाणु, आयन या अणु इलेक्ट्रॉन त्यागता है, उन्हें ऑक्सीकरण अभिक्रियाएँ कहते हैं।
      Na → Na+ + e
      Fe2+ → Fe3+ + e
      2Cl → Cl2 + 2e
      अतः ऑक्सीकरण की क्रिया में उदासीन परमाणु धनायन बनाता है या धनायन पर आवेश बढ़ता है या ऋणायन पर आवेश में कमी होती है।
      अपचयन-वे अभिक्रियाएँ जिनमें परमाणु, आयन या अणु इलेक्ट्रॉन (e) ग्रहण करता है, अपचयन कहलाती है।
      Cl+e → Cl
      MnO4-1 + e परमैंग्नेट आयन → MnO4-2 मैंग्नेट आयन
      Mg+2+2e → Mg
      अतः अपचयन अभिक्रयाओं में उदासीन परमाणु से ऋणायन बनता है या ऋणायन पर आवेश बढ़ता है या धनायन पर आवेश में कमी होती है।
      उपापचयी अभिक्रिया-
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 6 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं उत्प्रेरक 37
      उपरोक्त अभिक्रिया में Zn का ZnSO4 में ऑक्सीकरण (Zn → Zn+2 + 2e) तथा कॉपर सल्फेट का Cu में अपचयन (Cu+2 + 2e → Cu) हो रहा है।

    प्रश्न 38.
    उत्प्रेरक की विशेषताएँ तथा उत्प्रेरक के प्रकारों के बारे में आप क्या जानते हैं?
    उत्तर-
    उत्प्रेरक-वे पदार्थ जो रासायनिक अभिक्रिया के वेग को परिवर्तित कर देते हैं किन्तु स्वयं अपरिवर्तित रहते हैं, उत्प्रेरक कहलाते हैं।
    उत्प्रेरक की विशेषताएँ अथवा गुण निम्न प्रकार हैं

    • उत्प्रेरक केवल रासायनिक अभिक्रिया के वेग में परिवर्तन के लिए उत्तरदायी होते हैं लेकिन उनके स्वयं के रासायनिक संघटन तथा मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
    • अभिक्रिया मिश्रण में उत्प्रेरक की सूक्ष्म मात्रा ही आवश्यक होती है।
    • प्रत्येक अभिक्रिया के लिये एक विशिष्ट उत्प्रेरक आवश्यक होता है अतः एक ही उत्प्रेरक सभी अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित नहीं कर सकता।
    • उत्प्रेरक अभिक्रिया को प्रारम्भ नहीं करता है केवल उसके वेग को बढ़ाता है।
    • उत्क्रमणीय अभिक्रियाओं में उत्प्रेरक अग्र तथा प्रतीप दोनों अभिक्रियाओं के वेग को समान रूप से प्रभावित करता है।
    • उत्प्रेरक एक निश्चित ताप पर ही अत्यधिक क्रियाशील होते हैं तथा ताप में परिवर्तन से इनकी क्रियाशीलता प्रभावित होती है।

    उत्प्रेरकों के प्रकार-उत्प्रेरकों को भौतिक अवस्था तथा क्रिया के आधार पर निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाता है।

    1. भौतिक अवस्था के आधार पर
      (a) समांगी उत्प्रेरक- जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में उत्प्रेरक, अभिकारक एवं उत्पाद तीनों समान भौतिक अवस्था में होते हैं तो इस स्थिति में उत्प्रेरक को समांगी उत्प्रेरक तथा इस क्रिया को समांगी उत्प्रेरण कहते हैं। उदाहरण
      2SO2(g) + O2(g) सल्फर डाईऑक्साइड →NO(g)→ 2SO3(g) सल्फरट्राईऑक्साइड
      (b) विषमांगी उत्प्रेरक- जब रासायनिक अभिक्रियाओं में अभिकारक एवं उत्प्रेरक की भौतिक अवस्था भिन्न-भिन्न होती है तो इस स्थिति में उत्प्रेरक को विषमांगी उत्प्रेरक तथा इस क्रिया को विषमांगी उत्प्रेरण कहते हैं। उदाहरण
      N2(g) + 3H2(g) →Fe(S)→ 2NH3(g)
    2. क्रिया के आधार पर
      (a) धनात्मक उत्प्रेरक- वे उत्प्रेरक जो रासायनिक अभिक्रिया के वेग को बढ़ाते हैं, उन्हें धनात्मक उत्प्रेरक कहते हैं। उदाहरण
      2KClO3 →MnO2→ 2KCl + 3O2
      (b) ऋणात्मक उत्प्रेरक- वे उत्प्रेरक जो रासायनिक अभिक्रिया के वेग को कम करते हैं, उन्हें ऋणात्मक उत्प्रेरक कहते हैं।
      उदाहरण-ग्लिसरॉल की उपस्थिति में H2O2 के अपघटन की दर कम हो जाती है। अतः हाइड्रोजन परॉक्साइड को संग्रहित करने के लिए इसमें सूक्ष्म मात्रा में ग्लिसरॉल मिलाते हैं।
      2H2O2 →ग्लिसरॉल → 2H2O + O2
      (c) स्वतः उत्प्रेरक- जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में बना उत्पाद ही उत्प्रेरक का कार्य करता है, तो इसे स्वतः उत्प्रेरक कहते हैं। उदाहरण
      CH3COOC2H5 + H2O ⇔ CH3COOH + C2H5OH
      यहाँ प्रारम्भ में अभिक्रिया का वेग कम होता है परन्तु एसीटिक अम्ल (CH3COOH) के कुछ मात्रा में बनने के पश्चात् अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है। अतः इस अभिक्रिया में एसीटिक अम्ल स्वतः उत्प्रेरक है।
      (d) जैव उत्प्रेरक- वे पदार्थ जो जैव रासायनिक अभिक्रियाओं के वेग को बढ़ाते हैं, उन्हें जैव उत्प्रेरक (एन्जाइम) कहते हैं।
      उदाहरण- माल्टोज →माल्टेज→ ग्लूकोज

    प्रश्न 39.
    रासायनिक समीकरण को लिखने के चरण व इसकी विशेषताएँ लिखें।
    उत्तर-
    रासायनिक समीकरण-जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में पदार्थों को अणुसूत्रों एवं प्रतीकों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है तो उसे रासायनिक समीकरण कहते हैं। जैसे कार्बन को ऑक्सीजन की उपस्थिति में गर्म करने पर कार्बन डाईऑक्साइड गैस बनती है।
    C + O2 → CO2
    रासायनिक समीकरण को लिखने के चरण

    • रासायनिक अभिक्रिया को लिखने के लिए समीकरण में सर्वप्रथम क्रियाकारकों को बायीं ओर लिखकर तीर का निशान (→) लगाया जाता है, तत्पश्चात् दायीं ओर उत्पादों को लिखा जाता है।
    • क्रियाकारकों और उत्पादों की संख्या एक से अधिक होने पर उनके बीच धन का चिन्ह (+) लगाया जाता है। जैसे
      C + O2 → CO2
    • अभिकारकों तथा उत्पादों की भौतिक अवस्था को बताने के लिए उनके साथ कोष्ठक में ठोस के लिए (s), द्रव के लिए (l) तथा गैस के लिए (g) लिख देते हैं।
      C(s) + O2(g) → CO2(g)
    • अभिकारक तथा उत्पाद जब जलीय विलयन के रूप में होते हैं तो उसके लिए (aq) लिखते हैं।
      CaO(s) + H2O(l) → Ca(OH)2(aq).
    • अभिक्रिया उत्क्रमणीय होने अर्थात् दोनों दिशाओं में होने पर तीर का निशान ⇔ इस प्रकार लगाया जाता है।
    • अभिक्रिया सम्पन्न होने के लिये आवश्यक ताप तथा दाब को तीर के निशान के ऊपर लिखते हैं।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 6 39
    • ऊष्माक्षेपी तथा ऊष्माशोषी अभिक्रिया के लिए उत्पाद के साथ क्रमशः धनचिन्ह (+) तथा ऋण चिन्ह (-) लगाकर ऊष्मा की मात्रा को भी लिखा जाता है। ऊष्मा को चिन्ह Δ से भी लिखा जाता है।
      N2 + 3H2 → 2NH3 + 10.5 kcal/mole
      N2 + 2O2 → 2NO2 – 21.6 kcal/mole
    • अभिक्रिया में प्रयुक्त उत्प्रेरक को तीर के निशान के ऊपर लिखा जाता है।
      RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 6 39.1
      रासायनिक समीकरण की विशेषताएँ-रासायनिक समीकरण के द्वारा अभिक्रिया के बारे में एक संक्षिप्त जानकारी मिल जाती है। इसकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
    1. क्रियाकारक और उत्पाद के बारे में अणुओं की संख्या, द्रव्यमान आदि की सम्पूर्ण जानकारी मिलती है।
    2. पदार्थों की भौतिक अवस्था के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
    3. रासायनिक अभिक्रिया के लिये आवश्यक परिस्थितियों जैसे ताप, दाब तथा उत्प्रेरक आदि के बारे में ज्ञात हो जाता है।
    4. अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी है या ऊष्माशोषी यह भी स्पष्ट हो जाता है।
    5. रासायनिक समीकरण से अभिक्रिया की उत्क्रमणीयता की जानकारी भी हो जाती है।

    प्रश्न 40.
    निम्नलिखित में अंतर बताइए
    (a) उत्क्रमणीय-अनुत्क्रमणीय अभिक्रिया
    (b) उत्प्रेरक वर्धक-उत्प्रेरक विष
    (c) समांगी-विषमांगी उत्प्रेरण
    (d) ऑक्सीकरण-अपचयन।
    उत्तर-
    (a) उत्क्रमणीय-अनुत्क्रमणीय अभिक्रिया
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 6 40
    (b) उत्प्रेरक वर्धक-उत्प्रेरक विषउत्प्रेरक वर्धक ।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 6 40.1
    (c) समांगी-विषमांगी उत्प्रेरण
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 6 40.2
    (d) ऑक्सीकरण-अपचयनक्र.सं. ऑक्सीकरण
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 6 40.3

    (अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर)

    वस्तुनिष्ठ प्रश्न
    1. जब पोटेशियम धातु की जल से क्रिया करवाते हैं तो इसका
    (अ) ऑक्सीकरण होता है
    (ब) अपचयन होता है।
    (स) अप्रभावित रहता है।
    (द) जल अपघटन होता है।

    2. ऊष्माशोषी अभिक्रिया है
    (अ) CaO का जल में घुलना
    (ब) NH4Cl का जलीय विलयन बनाना
    (स) NaOH का जलीय विलयन बनाना
    (द) उपरोक्त सभी

    3. H2 +Cl2 → 2HCl में
    (अ) H2 का अपचयन हो रहा है
    (ब) H2 का ऑक्सीकरण हो रहा है।
    (स) Cl2 का ऑक्सीकरण हो रहा है।
    (द) उपरोक्त सभी

    4. नीचे दी गयी अभिक्रिया के संबंध में कौनसा कथन असत्य है?
    2PbO(s) + C(s) → 2Pb(s) + CO2(g)
    (i) सीसा अपचयित हो रहा है।
    (ii) कार्बन डाइऑक्साइड ऑक्सीकृत हो रही है।
    (iii) कार्बन ऑक्सीकृत हो रहा है।
    (iv) लेड ऑक्साइड अपचयित हो रहा है।
    (अ) (i) एवं (ii)
    (ब) (i) एवं (iii)
    (स) (i), (ii) एवं (iii)
    (द) उपरोक्त सभी

    5. अभिक्रिया Fe2O3 + 2Al → Al2O3 + 2Fe किस प्रकार की है?
    (अ) संयोजन अभिक्रिया
    (ब) द्विविस्थापन अभिक्रिया
    (स) वियोजन अभिक्रिया
    (द) विस्थापन अभिक्रिया

    6. लौह-चूर्ण पर तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल डालने से क्या होता है?
    (अ) हाइड्रोजन गैस एवं आयरन क्लोराइड बनता है।
    (ब) क्लोरीन गैस एवं आयरन हाइड्रॉक्साइड बनता है।
    (स) कोई अभिक्रिया नहीं होती है।
    (द) आयरन लवण एवं जल बनता है।

    7. अभिक्रिया-वनस्पति तेल + H2 →Ni→ वनस्पति घी, में उत्प्रेरक वर्धक है
    (अ) Fe
    (ब) Mo
    (स) Cu
    (द) Co

    8. अभिक्रिया Zn + CuSO4 → ZnSO4 + Cu में किस पदार्थ का ऑक्सीकरण हो रहा है?
    (अ) CuSO4
    (ब) Zn
    (स) ZnSO4
    (द) उपरोक्त में से कोई नहीं

    9. NH4Cl के विलयन की pH होगी
    (अ) 7
    (ब) 7 से कम
    (स) 7 से अधिक
    (द) कुछ नहीं कहा जा सकता।

    10. निम्न में से कौनसा भौतिक परिवर्तन नहीं है?
    (अ) लोहे का चुम्बक बनना
    (ब) कार्बन के जलने पर CO2 का बनना
    (स) नौसादर (NH4Cl) का उर्ध्वपातन
    (द) शक्कर का जल में विलेय होना ।

    उत्तरमाला-
    1. (अ)
    2. (ब)
    3. (ब)
    4. (अ)
    5. (द)
    6. (अ)
    7. (स)
    8. (ब)
    9. (ब)
    10. (ब)

    अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    निम्नलिखित रासायनिक समीकरण को संतुलित रूप में लिखिए
    Pb(NO3)2(s) →ऊष्मा→ PbO(s) + NO2(g) + O2(g)
    उत्तर-
    Pb(NO3)2(S) →ऊष्मा→ PbO(s) + 2NO2(g) + O2(g)

    प्रश्न 2.
    चिप्स की थैली में कौनसी गैस भरी जाती है ताकि उनका ऑक्सीकरण न हो सके?
    उत्तर-
    नाइट्रोजन गैस

    प्रश्न 3.
    अपघटनीय अभिक्रिया के लिए उत्तरदायी कारक बताइए।
    उत्तर-
    ताप, विद्युत तथा प्रकाश।

    प्रश्न 4.
    पोटेशियम क्लोरेट को गर्म करने पर कौनसी गैस निकलती है?
    उत्तर-
    पोटेशियम क्लोरेट को गर्म करने पर ऑक्सीजन गैस निकलती है।
    2KClO3 (s) →गर्भ→2KCl(s) + 3O2(g)↑

    प्रश्न 5.
    Pb(s) + CuCl2(aq) → PbCl2(aq) + Cu(s) किस प्रकार की अभिक्रिया है?
    उत्तर-
    विस्थापन एवं रेडॉक्स (उपापचयी) अभिक्रिया।

    प्रश्न 6.
    मैग्नीशियम रिबन को वायु में जलाने पर क्या बनता है?
    उत्तर-
    श्वेत मैग्नीशियम ऑक्साइड।

    प्रश्न 7.
    मैग्नीशियम रिबन को वायु में जलाने पर मैग्नीशियम ऑक्सीकृत होता है या अपचयित? (2Mg + O2 →2 MgO)
    उत्तर-
    मैग्नीशियम ऑक्सीकृत होता है।

    प्रश्न 8.
    CH4(g) + O→ CO2(g) + H2O का संतुलित रासायनिक समीकरण क्या होगा?
    उत्तर-
    CH4(g) + 2O2(g) → CO2(g) + 2H2O (l)

    प्रश्न 9.
    N2 तथा H2 की अभिक्रिया का संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए।
    उत्तर-
    N2(g) + 3H2(g) → 2NH3(g)

    प्रश्न 10.
    कैल्सियम ऑक्साइड को जल में घोलने पर ऊष्मा में क्या परिवर्तन होता है?
    उत्तर-
    कैल्सियम ऑक्साइड (CaO) को जल में घोलने पर ऊष्मा उत्सर्जित होती है।

    प्रश्न 11.
    कॉपर से अधिक सक्रिय तीन धातुओं के नाम लिखिए।
    उत्तर-
    आयरन (Fe), जिंक (Zn) तथा मैग्नीशियम (Mg)

    प्रश्न 12.
    अभिक्रिया H2S + Br2 → 2HBr + S में किस पदार्थ का अपचयन हो रहा है?
    उत्तर-
    Br2 (ब्रोमीन) का।

    प्रश्न 13.
    संगमरमर (Marble) का रासायनिक सूत्र क्या है?
    उत्तर-
    CaCO3 (कैल्सियम कार्बोनेट)।

    प्रश्न 14.
    Zn, Pb तथा Cu की क्रियाशीलता का क्रम लिखिए।
    उत्तर-
    Zn > Pb > Cu

    प्रश्न 15.
    एन्जाइमों का संघटन तथा विशेषता बताइए।
    उत्तर-
    एन्जाइम जटिल नाइट्रोजन युक्त कार्बनिक यौगिक होते हैं जो कि भिन्न-भिन्न जैव रासायनिक क्रियाओं के लिए विशिष्ट होते हैं।

    प्रश्न 16.
    उत्क्रमणीय अभिक्रियाओं में कौनसी दो अभिक्रियाएँ साथ-साथ चलती हैं ?
    उत्तर-
    उत्क्रमणीय अभिक्रियाओं में अग्र अभिक्रिया तथा प्रतीप अभिक्रिया साथ-साथ चलती हैं।

    प्रश्न 17.
    एक जैव रासायनिक उत्क्रमणीय अभिक्रिया का उदाहरण बताइए।
    उत्तर-
    रक्त में हीमोग्लोबिन द्वारा कार्बन डाईऑक्साइड तथा ऑक्सीजन का वहन एक जैव रासायनिक उत्क्रमणीय अभिक्रिया है।

    प्रश्न 18.
    उत्प्रेरक वर्धक का एक उदाहरण दीजिए।
    उत्तर-
    अभिक्रिया-वनस्पति तेल + H2 →Ni/Cu→ वनस्पति घी, में Ni उत्प्रेरक तथा Cu उत्प्रेरक वर्धक है।

    प्रश्न 19.
    सक्रियता श्रेणी किसे कहते हैं ?
    उत्तर-
    तत्वों को उनकी क्रियाशीलता के घटते क्रम में रखने पर प्राप्त श्रेणी को सक्रियता श्रेणी कहते हैं।

    प्रश्न 20.
    भौतिक परिवर्तन किसे कहते हैं ?
    उत्तर-
    वह परिवर्तन जिसमें पदार्थ के भौतिक गुण तथा अवस्था में परिवर्तन होता है लेकिन रासायनिक गुणों में कोई परिवर्तन नहीं होता है, उसे भौतिक परिवर्तन कहते हैं।

    प्रश्न 21.
    दूध से दही बनना तथा तैयार सब्जी का कुछ घण्टों बाद खराब होना किस प्रकार के परिवर्तन हैं ?
    उत्तर-
    रासायनिक परिवर्तन।

    प्रश्न 22.
    कॉपर सल्फेट नीले रंग के विलयन में जिंक के टुकड़े डालने पर नीला रंग विलुप्त हो जाता है, क्यों ?
    उत्तर-
    ZnSO4 तथा Cu बनने के कारण।

    प्रश्न 23.
    ऑक्सीकरण तथा अपचयन की इलेक्ट्रॉनिक परिभाषा लिखिए।
    उत्तर-
    वह अभिक्रिया जिसमें कोई स्पीशीज (तत्व, परमाणु, आयन या अणु) इलेक्ट्रॉन का त्याग करता है, उसे ऑक्सीकरण तथा इन स्पीशीज द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण किया जाता है तो उसे अपचयन कहते हैं।

    प्रश्न 24.
    अपचायक किसे कहते हैं ?
    उत्तर-
    वे पदार्थ जिनका ऑक्सीकरण होता है तथा इलेक्ट्रॉन का त्याग करते हैं, उन्हें अपचायक कहते हैं।

    प्रश्न 25.
    ऑक्सीकारक किसे कहते हैं ?
    उत्तर-
    वे पदार्थ जिनका अपचयन होता है तथा इलेक्ट्रॉन ग्रहण करते हैं, उन्हें ऑक्सीकारक कहते हैं।

    सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
    प्रश्न 1.
    निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए
    (i) बर्फ का पिघलना (A) एन्जाइम
    (ii) उपापचयी (रेडॉक्स) अभिक्रिया (B) भौतिक परिवर्तन
    (iii) जैव उत्प्रेरक (C) CuO(s) + H2(g) → Cu(s) + H2O(l)
    उत्तर-
    (i) (B)
    (ii) (C)
    (iii) (A)

    प्रश्न 2.
    निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए
    (i) संयुग्मन अभिक्रिया (A) इलेक्ट्रॉन दाता पदार्थ N;
    (ii) अपचायक (B) वनस्पति तेल(l) + H2(g) →Ni(s)→ वनस्पति घी(s)
    (iii) विषमांगी उत्प्रेरण (C) 2Mg(s) + O2(g) → 2MgO(s)
    उत्तर-
    (i) (C)
    (ii) (A)
    (iii) (B)

    लघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    निम्नलिखित में कोई एक अन्तर लिखिए
    (अ) धनात्मक एवं ऋणात्मक उत्प्रेरक
    (ब) ऊष्मीय-अपघटन एवं विद्युत-अपघटन
    (स) संकलन एवं विस्थापन अभिक्रिया (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    उत्तर-
    (अ) वे उत्प्रेरक जो रासायनिक अभिक्रिया के वेग को बढ़ाते हैं, उन्हें धनात्मक उत्प्रेरक कहते हैं जबकि ऋणात्मक उत्प्रेरक रासायनिक अभिक्रिया के वेग को कम करते हैं।
    धनात्मक उत्प्रेरक- 2SO2 + O2 →NO→ 2SO3
    ऋणात्मक उत्प्रेरक- 2H2O2 →ग्लिसरील→ 2H2O + O2

    (ब) ऊष्मीय अपघटन में यौगिक को ऊष्मा देने पर वह छोटे अणुओं में टूट जाता है जबकि विद्युत अपघटन में किसी यौगिक की गलित या द्रव अवस्था में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर वह अपघटित होकर कैथोड तथा एनोड पर भिन्न-भिन्न उत्पाद बनाता है।

    (स) संकलन (योगात्मक या संयुग्मन) अभिक्रिया में दो या दो से अधिक अभिकारक आपस में संयोग करके एक ही उत्पाद बनाते हैं जबकि विस्थापन अभिक्रिया में एक अभिकारक में उपस्थित परमाणु या समूह दूसरे अभिकारक के परमाणु या समूह द्वारा विस्थापित होता है।

    प्रश्न 2.
    संयुग्मन, विस्थापन एवं अपघटनीय अभिक्रियाओं को दर्शाने वाली एक-एक रासायनिक समीकरण लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18 )
    उत्तर-

    1. संयुग्मन अभिक्रिया
      C(s) + O2(g)→CO2(g)
    2. विस्थापन अभिक्रिया
      CuSO4(aq) + Zn(s) → ZnSO4(aq) + Cu(s)
    3. अपघटनीय अभिक्रिया
      2H2O(l) →विद्युत धारा→ 2H2(g) + O2(g)

    प्रश्न 3.
    रेडॉक्स अभिक्रियाएँ किसे कहते हैं? अभिक्रिया ZnO + C → Zn + CO में किस पदार्थ का ऑक्सीकरण एवं किसका अपचयन हो रहा है?
    उत्तर-
    रेडॉक्स अभिक्रिया-ऐसी रासायनिक अभिक्रिया, जिसमें एक अभिकारक ऑक्सीकृत तथा दूसरा अभिकारक अपचयित होता है अर्थात् जिसमें ऑक्सीकरण तथा अपचयन अभिक्रियाएँ एक साथ होती हैं, उसे रेडॉक्स अभिक्रिया कहते हैं।
    उपरोक्त अभिक्रिया में ZnO का अपचयन तथा C का ऑक्सीकरण हो रहा है।

    प्रश्न 4.
    अभिक्रिया CuO + H2 → Cu + H2O में किस पदार्थ का ऑक्सीकरण एवं किस पदार्थ का अपचयन हो रहा है? इस प्रकार की अभिक्रिया का एक अन्य उदाहरण दीजिए।
    उत्तर-
    अभिक्रिया CuO + H2 → Cu + H2O में H2 का ऑक्सीकरण तथा CuO का अपचयन हो रहा है।”
    अन्य उदाहरण- 4Na + O2 → 2 Na2O

    प्रश्न 5.
    (अ) रेडॉक्स अभिक्रिया का एक उदाहरण दीजिए।
    (ब) निम्न अभिक्रियाओं में A को पहचानिए
    (i) Zn + CuSO4 → A + Cu
    (ii) Na2SO4 + BaCl2 → A + 2NaCl
    उत्तर-
    (अ) CuO + H →Δ→ Cu+ H2O
    (ब) (i) Zn + CuSO4 → ZnSO4 + Cu (जिंक सल्फेट)
    (ii) Na2SO4 + BaCl2 → BaSO4 + 2NaCl (बेरियम सल्फेट)
    अतः अभिक्रिया (i) में (A) ZnSO4 है तथा (ii) में (A) BaSO4 है।

    प्रश्न 6.
    निम्न समीकरणों में X, Y व Z को पहचानिए
    (i) Cu + CO2 →नमी→ हरा पदार्थ (X)
    (ii) Ag + Y →हेवा→ काला पदार्थ (Ag2S)
    (iii) FeSO4 →ऊष्मा→ Fe2O3 + SO3 + Z
    उत्तर-
    X = CuCO3, Y = H2S, Z = SO2

    प्रश्न 7.
    निम्नलिखित अभिक्रियाओं के उत्पाद लिखिए
    (i) CuSO4 (aq) + Fe (S) →
    (ii) Zn (s) + H2SO4 (l) →
    (iii) 4Na (s) + O2 (g) →
    उत्तर-
    (i) CuSO4 (aq) + Fe (s) → FeSO4 (aq) + Cu (s)
    (ii) Zn (s) + H2SO4 (l) → ZnSO4 (aq) + H2 (g)
    (iii) 4Na (s) + O2 (g) → 2Na2O (s)

    प्रश्न 8.
    निम्न अभिक्रियाओं के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए
    (अ) कैल्सियम हाइड्रोक्साइड + कार्बन डाइऑक्साइड → कैल्सियम कार्बोनेट + जल
    (ब) जिंक + सिल्वर नाइट्रेट → जिंक नाइट्रेट + सिल्वर
    (स) ऐलुमिनियम + कॉपर क्लोराइड → ऐलुमिनियम क्लोराइड + कॉपर
    (द) बेरियम क्लोराइड + पोटैशियम सल्फेट → बेरियम सल्फेट + पोटैशियम क्लोराइड
    उत्तर-
    संतुलित रासायनिक समीकरण
    (अ) Ca(OH)2(aq) + CO2(g) → CaCO3(s) + H2O(l)
    (ब) Zn(s) + 2AgNO3 (aq) → Zn(NO3)2(aq) + 2Ag(s)
    (स) 2Al(s) + 3CuCl2(aq) → 2AlCl3(aq) + 3Cu(S)
    (द) BaCl2(aq) + K2SO4(aq) → BaSO4(s) + 2KCl(aq)

    प्रश्न 9.
    निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिए उनकी अवस्था के संकेतों के साथ संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए
    (i) जेल में बेरियम क्लोराइड तथा सोडियम सल्फेट के विलयन अभिक्रिया करके सोडियम क्लोराइड का विलयन तथा अघुलनशील बेरियम सल्फेट का अवक्षेप बनाते हैं।
    (ii) सोडियम हाइड्रोक्साइड का विलयन (जल में ) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के विलयन (जल में) से अभिक्रिया करके सोडियम क्लोराइड का विलयन तथा जल बनाते हैं।
    उत्तर-
    (i) BaCl2(aq) + Na2SO4(aq) → 2NaCl(aq) + BaSO4(s)
    (ii) NaOH(aq) + HCl(aq) → NaCl(aq) + H2O(l)

    प्रश्न 10.
    किसी पदार्थ ‘x’ के विलयन का उपयोग सफेदी करने के लिए होता है।
    (i) पदार्थ ‘X’ का नाम तथा रासायनिक सूत्र लिखिए।
    (ii) पदार्थ ‘X’ की जल के साथ अभिक्रिया लिखिए।
    उत्तर-
    (i) पदार्थ ‘X’ कैल्सियम ऑक्साइड है। जिसका उपयोग सफेदी करने के लिए होता है। इसे चूना या बिना बुझा हुआ चूना भी कहते हैं। इसका रासायनिक सूत्र CaO है।
    (ii) CaO(s) + H2O(l)(बिना बुझा हुआ चूना) → Ca(OH)2(aq) (बुझा हुआ चूना) (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड)

    प्रश्न 11.
    जब लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के विलयन में डुबोया जाता है तो विलयन का रंग क्यों बदल जाता है?
    उत्तर-
    जब लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के विलयन में डुबोया जाता है। तो निम्नलिखित अभिक्रिया होती है। इसमें लोहा (आयरन), कॉपर सल्फेट के विलयन से कॉपर को विस्थापित कर देता है।
    Fe(s) (आयरन) + CuSO4 (aq) (कॉपर सल्फेट) → FeSO4 (aq) (आयरन सल्फेट) + Cu(s) (कॉपर)
    इस अभिक्रिया में लोहे की कील का रंग भूरा हो जाता है तथा कॉपर सल्फेट के विलयन का नीला रंग धीरे-धीरे गायब होने लगता है।

    प्रश्न 12.
    (a) किसी रासायनिक समीकरण की सीमाएँ बताइए।
    (b) उत्प्रेरण किसे कहते हैं? उदाहरण भी दीजिए।
    उत्तर-
    (a) बहुत सी विशेषताओं के बाद भी रासायनिक समीकरण की निम्न सीमाएँ हैं

    • यह अभिक्रिया की पूर्णता की जानकारी नहीं देता है।
    • इससे क्रियाकारक तथा उत्पाद की सान्द्रता के बारे में स्पष्ट नहीं होता है।

    (b) उत्प्रेरण-वे पदार्थ जो रासायनिक अभिक्रिया के वेग में परिवर्तन कर देते हैं, परन्तु स्वयं अपरिवर्तित रहते हैं, उन्हें उत्प्रेरक कहते हैं तथा इस क्रिया को उत्प्रेरण कहते हैं।
    उदाहरण-
    2KClO3 →MnO2→ 2KCl + 3O2

    प्रश्न 13.
    प्रमुख तत्त्वों की सक्रियता श्रेणी लिखिए।
    उत्तर-
    प्रमुख तत्त्वों की सक्रियता श्रेणी
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 6 13

    प्रश्न 14.
    रासायनिक समीकरण किसे कहते हैं? समझाइए।
    उत्तर-
    किसी रासायनिक अभिक्रिया में उपस्थित सभी अभिकारकों एवं उत्पादों को तथा प्रतीकों के रूप में उनकी भौतिक अवस्था को प्रदर्शित करने को रासायनिक समीकरण कहते हैं।

    वाक्य के रूप में किसी रासायनिक अभिक्रिया का विवरण बहुत लम्बा हो जाता है अतः इसे संक्षिप्त रूप में लिखा जाता है। इसकी सबसे सरल विधि शब्द समीकरण होती है। जैसे-मैग्नीशियम की ऑक्सीजन से क्रिया होने पर मैग्नीशियम ऑक्साइड बनता है। अतः इसका शब्द समीकरण इस प्रकार होगा
    मैग्नीशियम (अभिकारक) + ऑक्सीजन → मैग्नीशियम ऑक्साइड (उत्पाद)

    इस अभिक्रिया में मैग्नीशियम तथा ऑक्सीजन ऐसे पदार्थ हैं जिनमें रासायनिक परिवर्तन होता है, इन्हें अभिकारक कहते हैं तथा एक नया पदार्थ मैग्नीशियम ऑक्साइड बनता है, इसे उत्पाद कहते हैं।

    प्रश्न 15.
    संतुलित रासायनिक समीकरण क्या है? रासायनिक समीकरण को संतुलित करना क्यों आवश्यक है?
    उत्तर-
    संतुलित रासायनिक समीकरण-संतुलित रासायनिक समीकरण वह होता है, जिसके दोनों पक्षों (अभिकारक एवं उत्पाद) में प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या बराबर होती है।

    रासायनिक समीकरण को संतुलित करने का महत्त्व-द्रव्यमान संरक्षण नियम के अनुसार किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में द्रव्य का न तो निर्माण होता है न ही विनाश अर्थात् किसी भी रासायनिक अभिक्रिया के उत्पाद तत्वों का कुल द्रव्यमान अभिकारक तत्वों के कुल द्रव्यमान के बराबर होता है। अतः रासायनिक अभिक्रिया के पहले एवं बाद में प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या समान होती है। इसलिए कंकाली समीकरण को संतुलित करना आवश्यक है।
    जैसे- Fe + H2O → Fe3O4 + 4H2 (कंकाली समीकरण)
    3Fe + 4H2O → Fe3O4 + 4H2 (संतुलित समीकरण)

    प्रश्न 16.
    अपचायक तथा ऑक्सीकारक क्या होते हैं? समझाइए।
    उत्तर-
    वे पदार्थ जिनका ऑक्सीकरण होता है तथा ये इलेक्ट्रॉन त्यागकर दूसरे पदार्थ को अपचयित करते हैं, उन्हें अपचायक कहते हैं। वे पदार्थ जिनका अपचयन होता है तथा इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर दूसरे पदार्थ को ऑक्सीकृत करते हैं, उन्हें ऑक्सीकारक कहते हैं। अतः अपचायक इलेक्ट्रॉनदाता तथा ऑक्सीकारक इलेक्ट्रॉनग्राही होता है।

    प्रश्न 17.
    क्या होता है जब? ( केवल रासायनिक समीकरण दीजिए)
    (i) चूने के पानी में कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित की जाती है।
    (ii) जिंक धातु की सोडियम हाइड्रॉक्साइड से क्रिया की जाती है।
    (iii) बुझे हुए चूने के साथ क्लोरीन की क्रिया करवाई जाती है।
    उत्तर-
    (i) Ca(OH)2(aq) चूने का पानी। (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड) + CO2(g) → CaCO3(s) (कैल्सियम कार्बोनेट) + H2O(l)
    (ii) Zn (जिंक) + 2NaOH (सोडियम हाइड्रॉक्साइड) → Na2ZnO2(सोडियम जिंकेट) + H2
    (iii) Ca(OH)2 (बुझा हुआ चूना) कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड + Cl2 → CaOCl2 (ब्लीचिंग पाउडर) + H2O

    प्रश्न 18.
    ऊष्माक्षेपी एवं ऊष्माशोषी अभिक्रिया का क्या अर्थ है? उदाहरण सहित समझाइए।
    उत्तर-
    ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया- वह अभिक्रिया, जिसमें उत्पाद के साथसाथ ऊर्जा/ऊष्मा भी उत्पन्न होती है, उसे ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया कहते हैं।
    उदाहरण-
    (i) प्राकृतिक गैस का दहन
    CH4 (g) + 2O2(g) → CO2(g) + 2H2O(g) + ऊर्जा
    (ii) श्वसन भी एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।

    ऊष्माशोषी अभिक्रिया- वह अभिक्रिया, जिसमें ऊष्मा को अवशोषण होता है, उसे ऊष्माशोषी अभिक्रिया कहते हैं।
    उदाहरण-
    (i) N2(g) + O2(g) → 2NO(g)
    (ii) शर्करा का जल में विलयन बनाना।

    प्रश्न 19.
    वियोजन (अपघटनीय) अभिक्रिया को संयोजन (संयुग्मन) अभिक्रिया के विपरीत माना जाता है, क्यों? उदाहरण सहित समझाइए।
    उत्तर-
    वियोजन अभिक्रिया संयोजन अभिक्रिया की विपरीत होती है क्योंकि वियोजन अभिक्रिया में एक अभिकारक टूटकर छोटे-छोटे एक से अधिक उत्पाद बनाता है जबकि संयोजन अभिक्रिया में दो या दो से अधिक पदार्थ (तत्व या यौगिक) मिलकर एक नया पदार्थ बनाते हैं।

    संयोजन अभिक्रिया-
    उदाहरण-
    2H2(g) + O2(g) → 2H2O(l)
    वियोजन अभिक्रिया-
    2FeSO4(s) फेरस सल्फेट (हरा रंग) → Fe2O3(s) फेरिक ऑक्साइड + SO2(g) + SO3(g)

    प्रश्न 20.
    ऑक्सीजन के संयोग तथा विलोपन के आधार पर निम्न पदों की व्याख्या कीजिए। प्रत्येक के लिए दो उदाहरण भी दीजिए
    (a) ऑक्सीकरण
    (b) अपचयन।
    उत्तर-
    (a) ऑक्सीकरण-
    वह अभिक्रिया, जिसमें किसी पदार्थ के साथ
    ऑक्सीजन का संयोग होता है अर्थात् ऑक्सीजन की वृद्धि होती है, उसे ऑक्सीकरण कहते हैं।
    ऑक्सीकरण के उदाहरण

    • 2Cu(s) + O2(g) → 2CuO(s) कॉपर ऑक्साइड (काला रंग)
    • C(s) + O2(g) → CO2(g)

    (b) अपचयन-
    वह अभिक्रिया, जिसमें किसी पदार्थ में से ऑक्सीजन निकलती है अर्थात् ऑक्सीजन की कमी होती है, अपचयन अभिक्रिया कहलाती है।
    अपचयन के उदाहरण

    • CuO(s) + H2(g) →ताप→ Cu(s) भूरा रंग + H2O(l)
    • ZnO(s) + C(s) → Zn (S) + CO (g)

    प्रश्न 21.
    विस्थापन एवं द्विविस्थापन अभिक्रियाओं में क्या अंतर है? इन अभिक्रियाओं के उदाहरण भी दीजिए।
    उत्तर-
    विस्थापन एवं द्विविस्थापन अभिक्रियाओं में अन्तर—
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 6 21

    प्रश्न 22.
    उत्क्रमणीय अभिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
    उत्तर-
    अभिक्रिया–A + B ⇔ C + D (उत्क्रमणीय)
    उत्क्रमणीय अभिक्रिया एक साथ दोनों दिशाओं (अग्र व प्रतीप) में होती है। सर्वप्रथम अभिकारकों (A+ B) से उत्पादों (C+ D) का निर्माण होता है। उपयुक्त मात्रा में उत्पाद बनते ही प्रतीप अभिक्रिया प्रारम्भ होकर पुनः अभिकारकों का निर्माण होने लगता है। उत्क्रमणीय अभिक्रिया कभी भी पूर्ण नहीं होती है तथा हर समय अभिक्रिया मिश्रण में अभिकारक एवं उत्पाद दोनों उपस्थित होते हैं । सामान्यतः उत्क्रमणीय अभिक्रिया बन्द पात्र में होती है।

    उदाहरण
    (i) N2 + 3H2 ⇔ 2NH3
    (ii) H2O + H2CO3 ⇔ H3O+ + HCO3

    प्रश्न 23.
    भौतिक परिवर्तन की प्रमुख विशेषताएँ अथवा गुण बताइए।
    उत्तर-
    भौतिक परिवर्तन के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं

    • भौतिक परिवर्तन में पदार्थ के केवल भौतिक गुणों जैसे अवस्था, रंग, गंध आदि में परिवर्तन होता है।
    • इसमें परिवर्तन का कारण हटाने पर पुनः प्रारम्भिक पदार्थ प्राप्त हो जाता है।
    • यह परिवर्तन अस्थायी होता है।
    • इस परिवर्तन में नए पदार्थ का निर्माण नहीं होता है।

    प्रश्न 24.
    रासायनिक अभिक्रिया से क्या आशय है? उदाहरण सहित समझाइए।
    उत्तर-
    रासायनिक अभिक्रिया-वह अभिक्रिया जिसमें प्राप्त उत्पाद मूल पदार्थ से रासायनिक गुणों एवं संघटन में भिन्न होता है, उसे रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं। रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारकों से उत्पादों का निर्माण होता है परन्तु पदार्थ का कुल द्रव्यमान संरक्षित रहता है। रासायनिक अभिक्रिया को रासायनिक समीकरण से व्यक्त किया जाता है। उदाहरण

    2 Mg(s) + O→ 2MgO(s)
    मैग्नीशियम के फीते को ऑक्सीजन में जलाने पर मैग्नीशियम ऑक्साइड का श्वेत रंग का चूर्ण प्राप्त होता है।
    अन्य उदाहरण-
    C(s) + O2(g) → CO2(g)
    इस प्रकार रासायनिक अभिक्रियाओं में यौगिकों के परमाणुओं के मध्य उपस्थित बंध टूटते हैं तथा नये बंधों का निर्माण होता है।

    प्रश्न 25.
    रासायनिक समीकरण को किस प्रकार संतुलित किया जाता है, समझाइए।
    उत्तर-
    रासायनिक समीकरण को अनुमान विधि द्वारा संतुलित किया जाता है। जिसमें अभिक्रिया को दोनों ओर, अणुओं की संख्या को घटाया या बढ़ाया जाता है।

    रासायनिक समीकरण को संतुलित करने के लिए सर्वप्रथम ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन को छोड़कर अन्य परमाणुओं को संतुलित करते हैं। जैसे
    C3H8 प्रोपेन + O2 → CO2 + H2O
    C3H8 + O2 → 3CO2 + H2O
    यहाँ C को संतुलित किया गया। अब हाइड्रोजन को संतुलित करते हैं तथा अन्त में ऑक्सीजन को संतुलित किया जाता है।
    C3H8 + O2 → 3CO2 + 4H2O
    C3H8 + 5O2 → 3CO2 + 4H2O

    निबन्धात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    अभिक्रियाओं के वेग के आधार पर रासायनिक अभिक्रियाओं के वर्गीकरण को समझाइए।
    उत्तर-
    वेग के आधार पर रासायनिक अभिक्रियाएँ दो प्रकार की होती हैं
    (a) तीव्र अभिक्रिया
    (b) मंद अभिक्रिया

    (a) तीव्र अभिक्रिया- ये अभिक्रियाएँ अत्यन्त तेजी से सम्पन्न होती हैं। सामान्यतया ऐसी अभिक्रियाएँ आयनिक होती हैं जैसे-प्रबल अम्ल व प्रबल क्षार के मध्य अभिक्रिया 10-10 सेकण्ड में ही सम्पन्न हो जाती है।
    NaOH प्रबल क्षार + HCl प्रबल अम्ल → NaCl + H2O (10-10sec)
    AgNO3 + HCl → AgCl श्वेत अवक्षेप + HNO3

    सिल्वर नाइट्रेट विलयन तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल विलयन को मिलाते ही सिल्वर क्लोराइड (AgCl) का श्वेत अवक्षेप बन जाता है। पौधों में प्रकाश संश्लेषण अभिक्रिया भी बहुत तेज होती है तथा इस अभिक्रिया का अर्द्धआयु काले (tip) 10-12 सेकण्ड होता है।

    (b) मंद अभिक्रिया- वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनको पूर्ण होने में कई घंटे, दिन या वर्ष तक लग जाते हैं, उन्हें मंद रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं। ये अभिक्रियाएँ बहुत धीमी गति से होती हैं, जैसे लोहे पर जंग लगने की क्रिया वर्षों तक चलती रहती है।
    4Fe + 3O2 + 6H2O → 2Fe2O3.3H2O
    अन्य उदाहरण-
    2KClO→Δ→ 2KCl + O2
    CH3COOH एसीटिक अम्ल + C2H5OH एथेनॉल → CH3COOC2H5 एथिल एसीटेट + H2O

    प्रश्न 2.
    सिद्ध कीजिए कि किसी अभिक्रिया में उत्पादों तथा अभिकारकों का द्रव्यमान हमेशा समान रहता है।
    उत्तर-
    अभिक्रिया-2Mg(s) + O2(g) →Δ→2MgO(s) में मैग्नीशियम के फीते को जलाने पर मैग्नीशियम ऑक्साइड का श्वेत चूर्ण बनता है। इस अभिक्रिया में अभिकारकों में मैग्नीशियम (Mg) के परमाणुओं की संख्या 2 है तथा ऑक्सीजन के परमाणुओं की संख्या भी 2 है और उत्पाद बनने के पश्चात् भी इनकी संख्या उतनी ही रहती है। अतः अभिक्रिया से पूर्व एवं अभिक्रिया के पश्चात् Mg तथा 0, का द्रव्यमान समान रहता है।

    अन्य उदाहरण-
    अभिक्रिया-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 6 2
    में ऑक्सीजन की उपस्थिति में कोयले का दहन हो रहा है। यहाँ कोयला (C) तथा ऑक्सीजन (O2) अभिकारक हैं । इस अभिक्रिया में 12 ग्राम कार्बन 32 ग्राम ऑक्सीजन से क्रिया करके 44 ग्राम कार्बन डाई ऑक्साइड बनाता है। इससे सिद्ध होता है कि अभिकारकों का कुल द्रव्यमान उत्पादों के कुल द्रव्यमान के समान रहता है।

    प्रश्न 3.
    अम्ल तथा क्षार के मध्य अभिक्रिया को क्या कहते हैं ? विभिन्न प्रकार के अम्लों एवं क्षारों के मध्य अभिक्रिया का वर्णन करते हुए विलयन की pH बताइए।
    अथवा
    उदासीनीकरण अभिक्रिया किसे कहते हैं? उदाहरण सहित विस्तार से समझाइए।
    उत्तर-
    जब अम्ल एवं क्षार अभिक्रिया करते हैं और लवण तथा जल बनता है, तो इस अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं। इस अभिक्रिया में अम्ल के हाइड्रोजन आयन (H+) क्षार के हाइड्रॉक्सिल आयन (OH-) से अभिक्रिया करके जल का निर्माण करते हैं।
    अम्ल + क्षार → लवण + जल

    (a) प्रबल अम्ल तथा प्रबल क्षार के मध्य अभिक्रिया- जब समान सान्द्रता के प्रबल अम्ल एवं प्रबल क्षार क्रिया करते हैं तो प्राप्त विलयन की pH 7 होती है। क्योंकि अम्ल एवं क्षार मिलाने पर विलयन उदासीन होता है। इस अभिक्रिया में अम्ल से प्राप्त एक मोल H+ आयन क्षार के एक मोल OH- आयनों से क्रिया कर जल बनाते हैं अतः विलयन उदासीन हो जाता है। प्रबल अम्ल एवं प्रबल क्षार पूर्णतः आयनित होते हैं।
    उदाहरण-
    HCl + NaOH → NaCl + H2O
    H+ + Cl + Na+ + OH → Na+ + Cl + H2O
    कुल अभिक्रिया इस प्रकार होती है
    H+ + OH → H2O

    (b) दुर्बल अम्ल तथा प्रबल क्षार के मध्य अभिक्रिया- दुर्बल अम्ल तथा प्रबल क्षार के मध्य होने वाली उदासीनीकरण अभिक्रिया में दुर्बल अम्ल पूर्णतः आयनित नहीं होता है अतः अम्ल एवं क्षार के समान मोल लेने पर भी OH- आयनों की मात्रा H+ आयनों से अधिक होती है अतः उदासीनीकरण अभिक्रिया के पश्चात् भी विलयन में OH- आयन स्वतंत्र अवस्था में पाए जाते हैं अतः विलयन की pH 7 से अधिक होती है।
    उदाहरण-
    CH3COOH दुर्बल अम्ल + NaOH प्रबल क्षार ⇔ CH3COONa + H2O
    CH3COOH + Na+ OH ⇔ CH3COONa+ + H2O
    CH3COOH + OH ⇔ CH3COO + H2O

    (c) प्रबल अम्ल तथा दुर्बल क्षार के मध्य अभिक्रिया- प्रबल अम्ल तथा दुर्बल क्षार के मध्य उदासीनीकरण अभिक्रिया में दुर्बल क्षार पूर्णतः आयनित नहीं होता है। अतः विलयन में अम्ल तथा क्षार के समान मोल लेने पर भी H+ आयनों की मात्रा OH- आयनों की मात्रा से अधिक होती है अतः उदासीनीकरण अभिक्रिया के पश्चात् भी विलयन में H+ आयन स्वतंत्र अवस्था में पाए जाते हैं इसलिए विलयन की pH 7 से कम होती है।
    HCl प्रबल अम्ल + NH4OH दुर्बल क्षार → NH4Cl + H2O
    H+Cl + NH4OH + NH4+Cl + H2O
    H+ + NH4OH + NH4+ + H2O

  • Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन

    Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन

    (पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर)

    बहुचयनात्मक प्रश्न
    1. क्षार का जलीय विलयन
    (क) नीले लिटमस को लाल कर देता है।
    (ख) लाल लिटमस को नीला कर देता है।
    (ग) लिटमस विलयन को रंगहीन कर देता है।
    (घ) लिटमस विलयन पर कोई प्रभाव नहीं डालता है।

    2. अम्ल व क्षार के विलयन होते हैं विद्युत के–
    (क) कुचालक
    (ख) सुचालक
    (ग) अर्द्धचालक
    (घ) अप्रभावित

    3. pH किन आयनों की सान्द्रता का ऋणात्मक लघुगणक होती है?
    (क) [H2O]
    (ख) [OH-]
    (ग) [H+]
    (घ) [Na+]

    4. किसी अम्लीय विलयन की pH होगी
    (क) 7
    (ख) 14
    (ग) 11
    (घ) 4

    5. हमारे उदर में भोजन की पाचन क्रिया किस माध्यम में होती है
    (क) अम्लीय
    (ख) क्षारीय
    (ग) उदासीन
    (घ) परिवर्तनशील

    6. अग्निशामक यंत्र बनाने में निम्न पदार्थ का प्रयोग किया जाता है
    (क) सोडियम कार्बोनेट
    (ख) सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट
    (ग) प्लास्टर ऑफ पेरिस
    (घ) सोडियम क्लोराइड

    7. धावन सोडा होता है..
    (क) NaHCO3
    (ख) NaCl
    (ग) CaSO4.½H2O
    (घ) Na2CO3.10 H2O

    8. विरंजक चूर्ण वायु में खुला रखने पर कौन सी गैस देता है?
    (क) H2
    (ख) O2
    (ग) Cl2
    (घ) CO2

    9. साबुन कार्य करता है
    (क) मृदु जल में
    (ख) कठोर जल में
    (ग) कठोर व मृद दोनों में
    (घ) इनमें से कोई नहीं

    10. मिसेल निर्माण में हाइड्रोकार्बन पूंछ होती है
    (क) अंदर की तरफ
    (ख) बाहर की तरफ
    (ग) परिवर्तनशील
    (घ) किसी भी तरफ

    11. प्रोटॉन [H+] ग्रहण करने वाले यौगिक होते हैं
    (क) अम्ल
    (ख) लवण
    (ग) इनमें से कोई नहीं
    (घ) क्षार

    उत्तरमाला-
    1. (ख)
    2. (ख)
    3. (ग)
    4. (घ)
    5. (क)
    6. (ख)
    7. (घ)
    8. (ग)
    9. (क)
    10. (क)
    11. (घ)।

    अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 12.
    लाल चींटी के डंक में कौनसा अम्ल पाया जाता है?
    उत्तर-
    लाल चींटी के डंक में फार्मिक अम्ल (HCOOH) पाया जाता है।

    प्रश्न 13.
    प्रोटॉन त्यागने वाले यौगिक क्या कहलाते हैं ?
    उत्तर-
    प्रोटॉन त्यागने वाले यौगिक अम्ल कहलाते हैं।

    प्रश्न 14.
    उदासीनीकरण से क्या समझते हैं ?
    उत्तर-
    अम्ल क्षारों से अभिक्रिया करके अपने गुण खो देते हैं तथा उदासीन हो जाते हैं। यह क्रिया उदासीनीकरण कहलाती है। इसमें लवण तथा जल बनते हैं।
    उदाहरण- NaOH + HCl → NaCl + H2O

    प्रश्न 15.
    पेयजल को जीवाणुमुक्त कैसे किया जा सकता है?
    उत्तर-
    पेयजल को विरंजक चूर्ण (CaOCl2) द्वारा जीवाणुमुक्त किया जा सकता है।

    प्रश्न 16.
    अम्ल से धात्विक ऑक्साइड की अभिक्रिया किस प्रकार होती है? समीकरण दें।
    उत्तर-
    अम्ल, धात्विक ऑक्साइड से क्रिया करके लवण व जल बनाते हैं।
    उदाहरण- 2HCl अम्ल + MgO धात्विक ऑक्साइड → MgCl2 लवण + H2Oh

    प्रश्न 17.
    pH में p एवं H किसको सूचित करते हैं?
    उत्तर-
    pH में p एक जर्मन शब्द पुसांस अर्थात् शक्ति तथा H, हाइड्रोजन आयनों का सूचक है।

    प्रश्न 18.
    हमारे उदर में उत्पन्न अत्यधिक अम्लता से राहत पाने के लिए क्या उपचार लेंगे?
    उत्तर-
    हमारे उदर में उत्पन्न अत्यधिक अम्लता से राहत पाने के लिए दुर्बल। क्षार जैसे मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड [Mg(OH)2] जिसे मिल्क ऑफ मैग्नीशिया भी कहते हैं, का प्रयोग किया जाता है जो कि एन्टएसिड होता है।

    प्रश्न 19.
    सोडियम के दो लवणों का नाम लिखें।
    उत्तर-

    • धावन सोडा (सोडियम कार्बोनेट)-Na2CO2.10H2O
    • साधारण नमक (सोडियम क्लोराइड)-NaCl

    प्रश्न 20.
    लुइस के अनुसार क्षार की परिभाषा दें।
    उत्तर-
    इलेक्ट्रॉन धनी या एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म युक्त यौगिक इलेक्ट्रॉन युग्म त्यागते हैं, इन्हें लुइस क्षार कहते हैं। जैसे NH3

    प्रश्न 21.
    साबुनीकरण किसे कहते हैं ?
    उत्तर-
    उच्च वसा अम्लों को सोडियम हाइड्रॉक्साइड या पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड के जलीय विलयन के साथ गर्म करने पर साबुन बनता है। इस प्रक्रिया को साबुनीकरण कहते हैं।

    प्रश्न 22.
    अपमार्जक की क्या विशेषता है?
    उत्तर-
    अपमार्जक कठोर जल तथा मृदु दोनों ही प्रकार के जल में सफाई का कार्य करते हैं।

    प्रश्न 23.
    हड्डी टूट जाने पर प्लास्टर चढ़ाने में किस यौगिक का प्रयोग किया जाता है?
    उत्तरे-
    प्लास्टर ऑफ पेरिस (CaSO4.½H2O)

    प्रश्न 24.
    एक विलयन में हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता 1 x 10-4 gm mole L-1 है। विलयन का pH मान ज्ञात करें। बताइए कि यह विलयन अम्लीय होगा या क्षारीय?
    उत्तर-
    pH = – log [H+]
    pH = – log [1 x 10-4]
    pH = – (log 1 + log 10-4)
    pH = – (0 – 4 log 10)
    pH = 4
    यह विलयन अम्लीय होगा क्योंकि अम्लीय विलयन की pH, 7 से कम होती है।

    लघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 25.
    दो प्रबल अम्ल एवं दो प्रबल क्षारों के नाम तथा उपयोग लिखें।
    उत्तर-
    (a) प्रबल अम्ल-

    • हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl)-यह अम्लराज बनाने में प्रयुक्त होता है जो कि सोने जैसी धातु को भी विलेय कर देता है। अम्लराज बनाने के लिए इसे HNO3 के साथ मिलाया जाता है।
    • सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4)-यह सेल, कार बैटरी तथा उद्योगों में काम आता है।

    (b) प्रबल क्षार-

    • सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH)-इसे बॉक्साइट के धातुकर्म तथा पेट्रोलियम के शोधन में प्रयुक्त किया जाता है।
    • पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH)-इसे साबुन तथा अन्य उद्योगों में प्रयुक्त किया जाता है।

    प्रश्न 26.
    साबुन एवं अपमार्जक में अंतर बताइए।
    उत्तर-
    साबुन और अपमार्जक में अन्तर
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन 26

    प्रश्न 27.
    आरेनियस के अनुसार अम्ल एवं क्षार की परिभाषाएं लिखिए।
    उत्तर-
    आरेनियस के अनुसार अम्ल वे पदार्थ हैं जो जलीय विलयन में H+
    या H3O+ देते हैं। जलीय विलयन में H+ स्वतंत्र नहीं रहता। यह H2O से क्रिया करके H3O+ बना लेता है। जैसे-HCl, HNO3 इत्यादि।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन 27
    क्षारक वे पदार्थ हैं जो जलीय विलयन में OH- (हाइड्रॉक्साइड). आयन देते हैं। जैसे-NaOH, KOH इत्यादि।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन 27.1

    प्रश्न 28.
    pH किसे कहते हैं? अम्लीय एवं क्षारीय विलयनों की pH परास को स्पष्ट करें।
    उत्तर-
    pH स्केल किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता को मापता है।

    अर्थात् हाइड्रोजन आयनों की सान्द्रता के ऋणात्मक लागेरिथ्म (लघुगणक) को pH कहते हैं।
    pH = – log10 [H+]
    H+ जल से क्रिया करके [H3O+] हाइड्रोनियम आयन बनाते हैं। अतः pH को निम्न प्रकार भी दिया जाता है
    pH = – log10 [H3O+]
    [H+] आयनों की सान्द्रता जितनी अधिक होगी pH का मान उतना ही कम होगा। जल उदासीन होता है जिसके उदासीन लिए [H+] तथा [-OH] आयनों की सान्द्रता 1 x 10-7 मोल/लिटर होती हैं। अतः इसकी pH 7 होगी।

    इस प्रकार
    pH = 0 से < 7 तक विलयन अम्लीय,
    pH = 7 विलयन उदासीन,
    pH > 7 से 14 तक विलयन क्षारीय होता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन 28

    प्रश्न 29.
    क्रिस्टलन जल किसे कहते हैं? उदाहरण दें।
    उत्तर-
    किसी लवण के इकाई सूत्र में उपस्थित जल के अणुओं की निश्चित संख्या को क्रिस्टलन जल कहते हैं। जैसे-Na2CO3.10H2O

    यहाँ सोडियम कार्बोनेट लवण में 10 अणु जल के क्रिस्टलन जल के रूप में हैं। अन्य उदाहरण –
    CaSO4.2H2O, (जिप्सम) K2SO4.Al2(SO4)3.24H2O.(फिटकरी)

    प्रश्न 30.
    क्या होता है जब

    1. दही या खट्टे पदार्थों को धातु के बर्तनों में रखा जाता है?
    2. रात्रि में भोजन के पश्चात् दाँतों को साफ नहीं किया जाता है?

    उत्तर-

    1. दही एवं खट्टे पदार्थ अम्लीय होते हैं। अतः जब इन्हें पीतल एवं ताँबे जैसी धातुओं के बर्तनों में रखा जाता है, तो ये अम्लों की उपस्थिति के कारण पीतल एवं ताँबा की सतह से क्रिया कर विषैले यौगिकों का निर्माण करते हैं, जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक होते हैं।
    2. रात्रि में भोजन के पश्चात् दाँतों को साफ नहीं करने पर मुख में उपस्थित बैक्टीरिया दाँतों में लगे अवशिष्ट भोजन से क्रिया करके अम्ल उत्पन्न करते हैं, ‘जिससे मुख की pH कम हो जाती है तथा pH का मान 5.5 से कम होने पर दाँतों के इनैमल का क्षय होने लगता है।

    प्रश्न 31.
    एक यौगिक A अम्ल H2SO4, से क्रिया करता है तथा बुदबुदाहट के साथ गैस B निकालता है। गैस B जलाने पर फट-फट ध्वनि के साथ जलती है। A व B का नाम बताइए तथा अभिक्रिया का समीकरण दें।
    उत्तर-
    तत्व A, जिंक (Zn) है तथा गैस B, हाइड्रोजन है, जिसे जलाने पर यह फट-फट की ध्वनि के साथ जलती है।
    समीकरण- Zn(s) जिंक + H2SO4(aq) सल्फ्यूरिक अम्ल, → ZnSO4(aq) जिंक सल्फेट + H2(g) हाइड्रोजनhttps:/

    निबन्धात्मक प्रश्न
    प्रश्न 32.
    ब्रांस्टेड-लोरी तथा लुइस के अनुसार अम्ल एवं क्षार को स्पष्ट करें।
    उत्तर-
    ब्रांस्टेड-लोरी संकल्पना–ब्रांस्टेड-लोरी के अनुसार ‘अम्ल प्रोटॉन दाता होते हैं तथा क्षार प्रोटॉन ग्राही होते हैं।” उन्होंने संयुग्मी अम्ल एवं संयुग्मी क्षारक की अवधारणा भी दी।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन 32
    (HA – A) को अम्ल-संयुग्मी क्षार युग्म तथा (B – HB+) को क्षारसंयुग्मी अम्ल युग्म कहते हैं।
    उदाहरण-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन 32.1
    यहाँ जल प्रोटॉन दाता है अतः यह अम्ल है, यह प्रोटॉन देकर संगत संयुग्मी क्षार (OH) में परिवर्तित हो जाता है। अमोनिया (NH3) प्रोटॉन ग्राही है, अतः यह क्षार है और यह प्रोटॉन ग्रहण करके संगत संयुग्मी अम्ल (NH4+) अमोनियम आयन में परिवर्तित हो जाता है। NH4+ – NH3 तथा H2O – OH युग्मों को संयुग्मी अम्ल-क्षार युग्म कहते हैं। अतः संयुग्मी अम्ल-क्षार युग्म में केवल एक प्रोटॉन (H+) का अन्तर होता है।
    अन्य उदाहरण
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन 32.3
    लुइस संकल्पना-लुइस के अनुसार अम्ल वे पदार्थ हैं जो इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण करते हैं तथा क्षार वे पदार्थ होते हैं जो इलेक्ट्रॉन युग्म त्यागते हैं। अतः अम्ल इलेक्ट्रॉन युग्म ग्राही तथा क्षार इलेक्ट्रॉन युग्म दाता होते हैं।
    जैसे- BE3, अम्ल + :NH3, क्षार → F3B ← NH3

    लुइस अम्ल तथा लुइस क्षार आपस में मिलकर उपसहसंयोजक बन्ध द्वारा योगात्मक यौगिक बनाते हैं। उपरोक्त उदाहरण में BF3, अपना अष्टक पूर्ण करने के लिए अमोनिया से एक इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण कर रहा है।

    इस संकल्पना के अनुसार इलेक्ट्रॉन की कमी वाले यौगिक अम्ल का कार्य करते हैं। साधारणतया धनायन, या वे यौगिक जिनका अष्टक अपूर्ण होता है, लुइस अम्ल होते हैं। जैसे-BF3, AlCl3, Mg+2, Na+ आदि।

    इलेक्ट्रॉन धनी या एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म रखने वाले यौगिक लुइस क्षार का कार्य करते हैं। उदाहरण-H2O::, :NH3, OH, Cl आदि।।

    अतः केवल H+ या OH- युक्त पदार्थ ही अम्ल एवं क्षार नहीं होते हैं। इन संकल्पनाओं के आधार पर हाइड्रोजन रहित यौगिको के अम्लीय तथा क्षारीय गुणों की व्याख्या भी की जा सकती है।

    प्रश्न 33.
    pH के सामान्य जीवन में उपयोग बताइए।
    उत्तर-
    हमारे सामान्य जीवन (दैनिक जीवन) में pH के उपयोग निम्नलिखित हैं

    1. उदर में अम्लता- हमारे पाचन तंत्र में pH का बहुत महत्त्व होता है। हमारे उदर के जठर रस में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) होता है। यह उदर को हानि पहुँचाए बिना भोजन के पाचन में सहायक होता है। उदर में अम्लता की स्थिति में, उदर अत्यधिक मात्रा में अम्ल उत्पन्न करता है, जिसके कारण उदर में दर्द एवं जलन का अनुभव होता है। इसके लिए ऐन्टैसिड का उपयोग किया जाता है। यह ऐन्टैसिड अम्ल की आधिक्य मात्रा को उदासीन कर देता है। इसके लिए मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड (मिल्क ऑफ मैगनीशिया) [Mg(OH)2] जैसे दुर्बल क्षारकों को उपयोग किया जाता है।
    2. दंत क्षय- मुख की pH साधारणतया 6.5 के करीब होती है। खाना खाने के पश्चात् मुख में उपस्थित बैक्टीरिया दाँतों में लगे अवशिष्ट भोजन (शर्करा एवं खाद्य पदार्थ) से क्रिया करके अम्ल उत्पन्न करते हैं, जो कि मुख की pH कम कर देते हैं। pH का मान 5.5 से कम होने पर दाँतों का इनैमल, जो कि कैल्सियम फास्फेट का बना होता है, का क्षय होने लग जाता है। अतः भोजन के पश्चात् दंतमंजन या क्षारीय विलयन से मुख की सफाई अवश्य करनी चाहिए, जिससे अम्ल की आधिक्य मात्रा उदासीन हो जाती है, इससे दंतक्षय पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
    3. कीटों का डंक- मधुमक्खी, चींटी तथा मकोड़े जैसे कीटों के डंक अम्ल स्रावित करते हैं, जो हमारी त्वचा के सम्पर्क में आता है। जिसके कारण ही त्वचा पर जलन तथा दर्द होता है। दुर्बल क्षारकीय लवणों जैसे सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट (NaHCO3) का प्रयोग उस स्थान पर करने पर अम्ल का प्रभाव नष्ट हो जाता है।
    4. अम्ल वर्षा- वर्षा के जल को सामान्यतः शुद्ध माना जाता है लेकिन जब वर्षा के जल की pH 5.6 से कम हो जाती है तो इसे अम्लीय वर्षा कहते हैं। इस वर्षा जल से नदी तथा खेतों की मिट्टी प्रभावित होती है, जिससे फसलों, जीवों तथा पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान होता है। अतः प्रदूषकों को नियंत्रित करके अम्ल वर्षा को कम किया जा सकता है।
    5. मृदा की pH- अच्छी उपज के लिए पौधों को एक विशिष्ट pH की आवश्यकता होती है। अतः विभिन्न स्थानों की मिट्टी की pH ज्ञात करके उसमें बोई जाने वाली फसलों का चयन किया जा सकता है तथा आवश्यकता अनुसार उसका उपचार किया जाता है। जब मिट्टी अधिक अम्लीय होती है तो उसमें चूना (CaO) मिलाया जाता है तथा मिट्टी के क्षारीय होने पर उसमें कोई अम्लीय पदार्थ मिलाकर उचित pH पर लाया जाता है। pH के अनुसार ही उपयुक्त उर्वरक का प्रयोग किया जाता है, जिससे अच्छी फसल प्राप्त होती है।

    प्रश्न 34.
    निम्नलिखित के नाम, बनाने की विधि तथा उपयोग लिखिए

    (i) NaOH
    (ii) NaHCO3
    (iii) Na2CO3.10H2O
    (iv) CaOCl2,
    (v) CaSO4.½H2O

    उत्तर-

    (i) NaOH-इसका नाम सोडियम हाइड्रॉक्साइड है तथा इसे कास्टिक सोडा भी कहते हैं।

    बनाने की विधि-औद्योगिक स्तर पर सोडियम हाइड्रॉक्साइड का उत्पादन सोडियम क्लोराइड के विद्युत अपघटन द्वारा किया जाता है। इस प्रक्रिया में एनोड पर क्लोरीन गैस तथा कैथोड पर हाइड्रोजन गैस बनती है। इसके साथ ही कैथोड पर विलयन के रूप में सोडियम हाइड्रॉक्साइड भी प्राप्त होता है।

    2NaCl(aq) + 2H2O → 2NaOH(aq) + Cl2(g) + H(g)

    उपयोग- NaOH के उपयोग निम्न हैं

    • साबुन, कागज, सिल्क उद्योग तथा अन्य रसायनों के निर्माण में
    • बॉक्साइट के धातुकर्म में
    • पेट्रोलियम के शोधन में
    • वसा तथा तेलों के निर्माण में
    • प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में

    (ii) NaHCO3-इसे बेकिंग सोडा या खाने का सोडा कहते हैं। इसका रासायनिक नाम सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट है।

    बनाने की विधि-
    (a) NaCl की NH3 तथा CO2 गैस से अभिक्रिया द्वारा NaHCO3 का निर्माण किया जाता है।
    NaCl + H2O + CO2 + NH3 → NH4Cl अमोनियम क्लोराइड + NaHCO3
    (b) सोडियम कार्बोनेट के जलीय विलयन में कार्बन डाईऑक्साइड गैस प्रवाहित करने से भी NaHCO3 का निर्माण होता है।
    Na2CO3 सोडियम कार्बोनेट + CO2 + H2O → 2NaHCO3 सोडियम हाइड्रोजन ,कार्बोनेट

    उपयोग-NaHCO3 के उपयोग निम्न प्रकार हैं

    • खाद्य पदार्थों में बेकिंग पाउडर के रूप में, जो कि बेकिंग सोडा तथा टार्टरिक अम्ल का मिश्रण होता है।
    • सोडा वाटर तथा सोडायुक्त शीतल पेय बनाने में,
    • पेट की अम्लता को दूर करने में एन्टा एसिड के रूप में,
    • मंद पूतिरोधी के रूप में,
    • अग्निशामक यंत्र में,
    • प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में।

    (iii) Na2CO3.10H2O-इसे कपड़े धोने का सोडा ( धावन सोडा) कहते हैं। इसका रासायनिक नाम सोडियम कार्बोनेट है।

    बनाने की विधि-
    (a) सोडियम कार्बोनेट का निर्माण साल्वे विधि से किया जाता है, जिसमें सोडियम क्लोराइड प्रयुक्त किया जाता है।
    (b) बेकिंग सोडा को गर्म करने पर भी सोडियम कार्बोनेट प्राप्त होता है। इसका पुनः क्रिस्टलीकरण करने पर कपड़े धोने का सोडा प्राप्त होता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन 34

    उपयोग- धावन सोडा के उपयोग निम्न हैं

    • धुलाई एवं सफाई में,
    • कास्टिक सोडा, बेकिंग पाउडर, काँच, साबुन तथा बोरेक्स के निर्माण में,
    • अपमार्जक के रूप में,
    • कागज, पेन्ट तथा वस्त्र उद्योग में,
    • प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।

    (iv) CaOCl2– इसे विरंजक चूर्ण कहते हैं तथा इसका रासायनिक नाम कैल्सियम ऑक्सीक्लोराइड है।

    बनाने की विधि-शुष्क बुझे हुए चूने पर क्लोरीन गैस प्रवाहित करने से विरंजक चूर्ण बनता है।
    Ca(OH)2 + Cl2 → CaOCl2 + H2O

    कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड

    उपयोग-विरंजक चूर्ण के उपयोग निम्न हैं

    • वस्त्र उद्योग तथा कागज उद्योग में विरंजक के रूप में,
    • पेयजल को शुद्ध करने में,
    • रोगाणुनाशक एवं ऑक्सीकारक के रूप में,
    • प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।

    (v) CaSO4.½H2O-इसे प्लास्टर ऑफ पेरिस (P.O.P) कहते हैं। इसका रासायनिक नाम कैल्सियम सल्फेट अर्धहाइड्रेट (हेमी हाइड्रेट) है। फ्रांस की राजधानी पेरिस में सर्वप्रथम जिप्सम को गर्म करके इसे बनाया गया था अतः इसका नाम प्लास्टर ऑफ पेरिस रख दिया गया।

    बनाने की विधि
    जिप्सम (CaSO4.2H2O) को 393K ताप पर गर्म करने पर प्लास्टर ऑफ पेरिस प्राप्त होता है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन 34.1
    P.O.P. को और अधिक गर्म करने पर सम्पूर्ण क्रिस्टलन जल बाहर निकल जाता है और मृत तापित प्लास्टर [CaSO4] प्राप्त होता है।

    उपयोग- प्लास्टर ऑफ पेरिस के उपयोग निम्न हैं

    • टूटी हुई हड्डियों को सही स्थान पर स्थिर करने तथा जोड़ने के लिए प्लास्टर चढ़ाने में,
    • अग्निसह पदार्थ के रूप में,
    • भवन निर्माण में,
    • दंत चिकित्सा में,
    • मूर्तियाँ तथा सजावटी सामान बनाने में।

    प्रश्न 35.
    मिसेल कैसे बनते हैं? क्रियाविधि भी दें।
    उत्तर-
    साबुन तथा अपमार्जक, मिसेल बनाकर ही शोधन की क्रिया करते हैं। सर्वप्रथम साबुन (जैसे सोडियम स्टिएरेट) के अणुओं का जल में आयनन होता है।
    C17H35COONa → C17H35COO + Na+
    सोडियम स्टिएरेट
    इसे सामान्य सूत्र के रूप में इस प्रकार भी लिख सकते हैं|
    R COONa → R COO + Na+
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन 35
    इसमें हाइड्रोकार्बन पूंछ (R) जल विरोधी तथा ध्रुवीय सिरा जल स्नेही होता है। ये दोनों भाग इस प्रकार व्यवस्थित होते हैं कि हाइड्रोकार्बन भाग चिकनाई के अंदर की तरफ तथा ऋणावेशित ध्रुवीय सिरा बाहर की तरफ होता है। इसे मिसेल कहते हैं ।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन 35.1
    क्रियाविधि-अधिकांश गंदगी, तेल की बूंद तथा चिकनाई जल में अघुलनशील परन्तु हाइड्रोकार्बन में घुलनशील होती है। साबुन के द्वारा सफाई की प्रक्रिया में चिकनाई के चारों तरफ साबुन के अणु मिसेल बनाते हैं। इसमें जल विरोधी हाइड्रोकार्बन भाग चिकनाई को अपनी ओर आकर्षित करता है तथा जलस्नेही ध्रुवीय भाग बाहर की तरफ रहता है। इस प्रकार यह चिकनाई को चारों ओर से घेर कर मिसेल बना लेता है। बाहरी सिरे पर उपस्थित ध्रुवीय सिरे जल से आकर्षित होते हैं, इससे सम्पूर्ण चिकनाई जल की तरफ खिंचकर बाहर निकल जाती है।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन 35.2
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन 35.3
    शोधन क्रिया-साबुन के द्वारा घिरी चिकनाई की बूंद (मिसेल)
    सभी मिसेल ऋणावेशित (समान आवेशित) होते हैं अतः इनका अवक्षेपण नहीं होता है तथा ये मिसेल, विलयन में कोलॉइडी अवस्था में रहते हैं। इस प्रकार जब गंदे कपड़े को साबुन लगाने के पश्चात् पानी में डालकर निकाला जाता है तो गंदगी कपड़े से पृथक् होकर पानी में आ जाती है तथा कपड़ा साफ हो जाता है।

    ( अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर )

    वस्तुनिष्ठ प्रश्न
    1. दाँत साफ करने के लिए प्रयुक्त टूथपेस्ट की प्रकृति किस प्रकार की होती है?
    (अ) क्षारीय
    (ब) अम्लीय
    (स) उदासीन
    (द) संक्षारकीय

    2. पीने के पानी को जीवाणुओं से मुक्त करने के लिए निम्न में से किसका उपयोग किया जाता है?
    (अ) बेकिंग सोडा
    (ब) विरंजक चूर्ण
    (स) धोने का सोडा
    (द) उपरोक्त में से कोई नहीं

    3. आसुत जल की pH का मान होता है
    (अ) 9
    (ब) 7
    (स) 5
    (द) 3

    4. हमारे रुधिर की प्रकृति होती है
    (अ) अम्लीय
    (ब) क्षारीय
    (स) उदासीन
    (द) कुछ अम्लीय व कुछ क्षारीय

    5. अधातुओं के ऑक्साइडों की प्रकृति होती है
    (अ) क्षारीय
    (ब) अम्लीय
    (स) उदासीन
    (द) अक्रिय

    6. बेकिंग सोडा को गर्म करने पर निम्न में से कौनसा यौगिक बनता है?
    (अ) NaNO3
    (ब) Na2CO3
    (स) NH4Cl
    (द) NaHCO3

    7. कोई विलयन अंडे के पिसे हुए कवच से अभिक्रिया कर एक गैस उत्पन्न करता है जो चूने के पानी को दूधिया कर देती है तो इस विलयन में निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक होगा?
    (अ) NaCl
    (ब) HCl
    (स) LiCl
    (द) KCl

    8. तनु सल्फ्यूरिक अम्ल की क्रिया निम्न में से किससे कराने पर हाइड्रोजन गैस निकलती है?
    (अ) Zn
    (ब) Mg
    (स) Fe
    (द) उपरोक्त सभी

    9. साबुन बनाने की प्रक्रिया में सहउत्पाद है
    (अ) NaOH
    (ब) ग्लिसरॉल
    (स) वसा व अम्ल
    (द) ऐल्कोहॉल

    10. अपमार्जक सामान्यतः होते हैं
    (अ) RCOONa
    (ब) RCOOK
    (स) RSO4Na .
    (द) RCOOR

    उत्तरमाला-
    1. (अ)
    2. (ब)
    3. (ब)
    4. (ब)
    5. (ब)
    6. (ब)
    7. (ब)
    8. (द)
    9. (ब)
    10. (स)।

    अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    बेकिंग पाउडर के निर्माण में प्रयुक्त प्रमुख घटक लिखिए।
    उत्तर-

    • NaCl (सोडियम क्लोराइड)
    • CO2, NH3 इत्यादि।

    प्रश्न 2.
    दो अम्लीय ऑक्साइडों के नाम लिखिए जिनके द्वारा अम्ल वर्षा होती
    उत्तर-

    • SO2,
    • NO2

    प्रश्न 3.
    ऐसे दो यौगिकों के नाम बताइए जिनमें हाइड्रोजन है, लेकिन वे अम्ल नहीं हैं तथा उनके विलयन में विद्युत का चालन नहीं होता।
    उत्तर-
    ऐल्कोहॉल (C2H5OH) तथा ग्लुकोज (C6H12O6

    प्रश्न 4.
    हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता मापने की विधि किस वैज्ञानिक द्वारा दी गई थी?
    उत्तर-
    सोरेन्सन

    प्रश्न 5.
    टमाटर के रस का pH कितना होता है?
    उत्तर-
    टमाटर का रस अम्लीय होता है तथा इसके pH का मान 4.0-4.4 होता है।

    प्रश्न 6.
    मनुष्य के मूत्र के pH का मान बताइए।
    उत्तर-
    pH = 5.5-7.5

    प्रश्न 7.
    Zn की NaOH विलयन से क्रिया करवाने पर H2 गैस प्राप्त होती है। इस अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
    उत्तर-
    Zn(s) + 2NaOH(aq) → Na2ZnO2(aq) सोडियम जिंकेट + H2

    प्रश्न 8.
    धातुओं के ऑक्साइड की प्रकृति सामान्यतः कैसी होती है? दो उदाहरण दीजिए।
    उत्तर-
    धातुओं के ऑक्साइड सामान्यतः क्षारीय प्रकृति के होते हैं, जैसे CaO, MgO.

    प्रश्न 9.
    प्रबल अम्लों तथा प्रबल क्षारों के दो-दो उदाहरण दीजिए।
    उत्तर-
    प्रबल अम्ल-HCl (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल), H2SO4 (सल्फ्यूरिक अम्ल)।
    प्रबल क्षार-NaOH (सोडियम हाइड्रॉक्साइड), KOH (पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड)।

    प्रश्न 10.
    दुर्बल अम्ल तथा दुर्बल क्षारों के दो-दो उदाहरण लिखिए।
    उत्तर-
    दुर्बल अम्ल- CH3COOH, HCN
    दुर्बल क्षार- NH4OH, Mg(OH)2

    प्रश्न 11.
    निम्न में से किसका pH अधिक होता है
    (i) रक्त अथवा आसुत जल
    (ii) जठर रस अथवा नींबू का रस?
    उत्तर-
    (i) रक्त
    (ii) जठर रस।।

    प्रश्न 12.
    जठर रस की pH कितनी होती है?
    उत्तर-
    जठर रस की pH लगभग 1.2 होती है।

    प्रश्न 13.
    टमाटर में कौनसा अम्ल पाया जाता है?
    उत्तर-
    टमाटर में ऑक्सैलिक अम्ल पाया जाता है।

    प्रश्न 14.
    सोडियम वर्ग के चार लवण बताइए।
    उत्तर-
    सोडियम सल्फेट (Na2SO4), सोडियम क्लोराइड (NaCl), सोडियम नाइट्रेट (NaNO3), सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3)

    प्रश्न 15.
    सोडियम एसीटेट का जलीय विलयन क्षारीय होता है, क्यों?
    उत्तर-
    सोडियम एसीटेट (CH3COONa), दुर्बल अम्ल (CH3COOH) तथा प्रबल क्षार (NaOH) से बना लवण है अतः इसका जलीय विलयन क्षारीय होता है।

    प्रश्न 16.
    सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन में विद्युत प्रवाहित करने पर कैथोड तथा एनोड पर कौनसी गैस प्राप्त होती है?
    उत्तर-
    सोडियम क्लोराइड (NaCl) के जलीय विलयन में विद्युत प्रवाहित करने पर कैथोड पर H, तथा एनोड पर Cl) गैस बनती है।

    प्रश्न 17.
    बेकिंग सोडा के निर्माण में प्रयुक्त समीकरण लिखिए।
    उत्तर-
    NaCl + H2O + CO2 + NH3 → NH4Cl अमोनियम क्लोराइड + NaHCO3 बेकिंग सोडा

    प्रश्न 18.
    CuSO4. 5H2O का विशिष्ट नाम क्या है?
    उत्तर-
    CuSO4. 5H2O को नीला थोथा कहते हैं।

    प्रश्न 19.
    संतरे में कौनसा अम्ल उपस्थित होता है?
    उत्तर-
    एस्कार्बिक अम्ल ।।

    प्रश्न 20.
    जिप्सम का रासायनिक नाम क्या है?
    उत्तर-
    जिप्सम (CaSO4. 2H2O) का रासायनिक नाम कैल्सियम सल्फेट डाइहाइड्रेट है।

    प्रश्न 21.
    कैल्सियम कार्बोनेट (CaCO3) के विभिन्न रूप कौनसे होते हैं?
    उत्तर-
    चूना पत्थरे (Lime Stone), खड़िया (Chalk) एवं संगमरमर (Marble) ।।

    प्रश्न 22.
    मिल्क ऑफ मैग्नीशिया [Mg(OH)2] की pH कितनी होती है?
    उत्तर-
    pH = 10

    प्रश्न 23.
    विरंजक चूर्ण का रासायनिक सूत्र लिखिए।
    उत्तर-
    CaOCl2

    प्रश्न 24.
    धोवन सोडा का जलीय विलयन अम्लीय होता है अथवा क्षारीय?
    उत्तर-
    क्षारीय।

    प्रश्न 25.
    ताजे दूध का pH मान 6 होता है। इससे दही बन जाने पर इसका pH मान घटेगा या बढ़ेगा तथा क्यों ?
    उत्तर-
    दूध से दही बन जाने पर pH मान घटेगा क्योंकि दही में लैक्टिक अम्ल उपस्थित होता है।

    प्रश्न 26.
    यदि आप लिटमस पत्र (लाल एवं नीला) से साबुन की जाँच करें तो आपका प्रेक्षण क्या होगा?
    उत्तर-
    साबुन का विलयन क्षारीय होता है क्योंकि यह दुर्बल अम्ल एवं प्रबल क्षार से बना लवण है। अतः यह लाल लिटमस को नीला करता है, लेकिन नीले । लिटमस पर कोई प्रभाव नहीं होता।

    प्रश्न 27.
    सोडियम स्टिएरेट का सूत्र क्या होता है ?
    उत्तर-
    C17H35COONa+ (सोडियम स्टिएरेट)।

    सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
    प्रश्न 1.
    निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए
    (i) ब्लीचिंग पाउडर (A) CaSO4. 2H2O
    (ii) जिप्सम (B) (NH4)2CO3
    (iii) अमोनियम कार्बोनेट (C) CaOCl2
    उत्तर-
    (i) (C)
    (ii) (A)
    (iii) (B)

    प्रश्न 2.
    निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए
    (i) लेक्टिक अम्ल (A) संतरा में
    (ii) एसीटिक अम्ल (B) दही में
    (iii) एस्कार्बिक अम्ल (C) सिरका में
    उत्तर-
    (i) (B)
    (ii) (C)
    (iii) (A)

    लघूत्तरात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    (अ) pH पैमाने को चित्र द्वारा समझाइये।
    (ब) (i) कीटों के डंक मारने पर त्वचा पर जलन क्यों होती है?
    (ii) उदर में अम्लता बढ़ने पर राहत पाने के लिए दुर्बल क्षारकों का उपयोग क्यों किया जाता है? (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18 )
    उत्तर-
    (अ) pH पैमाने का चित्र
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन 1
    (ब) (i) कीट डंक से अम्ल स्रावित करते हैं, जैसे लाल चींटी फार्मिक अम्ल स्रावित करती है, जिसके सम्पर्क में आने पर त्वचा पर जलन होती है।
    (ii) उदर में अम्लता बढ़ने पर राहत पाने के लिए दुर्बल क्षारकों जैसे Mg(OH)2, का उपयोग किया जाता है क्योंकि ये उदर में अम्ल की अधिक मात्रा को उदासीन कर देते हैं।

    प्रश्न 2.
    निम्नलिखित में से कौन प्रबल अम्ल एवं प्रबल क्षार है?
    (अ) ऐसीटिक अम्ल अथवा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल
    (ब) सोडियम हाइड्रॉक्साइड अथवा कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड।
    उत्तर-
    (अ) प्रबल अम्ल-हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl)
    (ब) प्रबल क्षार-सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH)

    प्रश्न 3.
    pH स्केल किसे कहते हैं? स्पष्ट करो कि मुँह का pH परिवर्तन दन्त क्षय का कारण है।
    उत्तर-
    pH स्केल-किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयनों की सान्द्रता के ऋणात्मक लघुगणक को pH स्केल कहते हैं।

    pH स्केल से शून्य (अधिक अम्लता) से 14 (अधिक क्षारीय) तक pH को ज्ञात कर सकते हैं। उदासीन विलयन का pH मान 7 होता है। यदि किसी विलयन का pH मान 7 से कम हो तो विलयन अम्लीय एवं pH को मान 7 से ज्यादा हो तो विलयन क्षारीय प्रकृति का होगा। ।

    मुँह की pH का मान 5.5 से कम होने पर दन्त क्षय होना शुरू हो जाता है, क्योंकि मुँह में उपस्थित बैक्टीरिया दाँतों में लगे अवशिष्ट भोजन के कणों से क्रिया करके अम्ल उत्पन्न करते हैं जिससे मुख की pH कम हो जाती है तथा यही दन्त क्षय का कारण है।

    प्रश्न 4.
    (अ) सोडियम हाइड्राक्साइड की जिंक धातु से होने वाली क्रिया से निकलने वाली गैस का नाम लिखिए। अभिक्रिया का समीकरण भी लिखिए।
    (ब) निम्नलिखित में किसका उपयोग किया जाता है?
    (i) पीने के जल को जीवाणुओं से मुक्त करने के लिए
    (ii) रसोईघर में स्वादिष्ट खस्ता पकौड़े बनाने में।
    (iii) जल की स्थाई कठोरता दूर करने में ।
    (iv) खिलौने तथा सजावट का सामान बनाने में।
    उत्तर-
    (अ) सोडियम हाइड्रॉक्साइड की जिंक धातु से क्रिया होने पर हाइड्रोजन (H2) गैस निकलती है।
    2 NaOH + Zn → Na2ZnO2 (सोडियम जिंकेट) + H2

    (ब) (i) विरंजक चूर्ण ।
    (ii) बेकिंग सोडा ।
    (iii) धोने का सोडा।
    (iv) प्लास्टर ऑफ पेरिस।

    प्रश्न 5.
    स्तम्भ A से B को सुमेलित कीजिए
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन 5
    उत्तर-
    (i) = f
    (ii) = e.
    (iii) = h
    (iv) = d
    (v) = g
    (vi) = a
    (vii) = b
    (viii) = c

    प्रश्न 6.
    विज्ञान की प्रयोगशाला में उपस्थित हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl), सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4), नाइट्रिक अम्ल (HNO3), ऐसीटिक अम्ल (CH3COOH), सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH), कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड [Ca(OH)2], पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH), मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड [Mg(OH)2] एवं अमोनियम हाइड्रॉक्साइड (NH4OH) में से अम्ल तथा क्षार छाँटिए।
    उत्तर-
    उपरोक्त यौगिकों में से अम्ल तथा क्षार निम्न प्रकार हैं

    अम्ल-HCl, H2SO4, HNO3, CH3COOH
    क्षार-NaOH, Ca(OH)2, KOH, Mg(OH)2, NH4OH

    प्रश्न 7.
    आपको तीन परखनलियाँ दी गई हैं। इनमें से एक में आसवित जल एवं शेष दो में से एक में अम्लीय विलयन तथा दूसरे में क्षारीय विलयन है। यदि आपको केवल लाल लिटमस पत्र दिया जाता है तो आप प्रत्येक परखनली में रखे गए पदार्थों की पहचान कैसे करेंगे?
    उत्तर-
    तीनों परखनलियों में स्थित विलयन की क्रिया लाल लिटमस पत्र से करवाते हैं। जिस विलयन द्वारा यह लिटमस पत्र नीला हो जाएगा, वह विलयन क्षारीय होगा। अब इस नीले लिटमस पत्र की क्रिया शेष दोनों विलयनों से करवाते हैं। जिस विलयन द्वारा यह लिटमस पत्र पुनः लाल हो जाएगा, वह विलयन अम्लीय होगा तथा तीसरी परखनली में स्थित विलयन आसवित जल है क्योंकि आसवित जल उदासीन होता है अतः यह किसी भी लिटमस पत्र से कोई क्रिया नहीं करता।

    प्रश्न 8.
    कोई धातु यौगिक ‘A’ तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करता है तो बुदबुदाहट उत्पन्न होती है। इससे उत्पन्न गैस जलती हुई मोमबत्ती को बुझा देती है। यदि उत्पन्न यौगिकों में एक कैल्सियम क्लोराइड है तो इस अभिक्रिया के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए।
    उत्तर-
    धातु यौगिक ‘A’ कैल्सियम कार्बोनेट होगा। अभिक्रिया में उत्पन्न एक यौगिक कैल्सियम क्लोराइड है अतः यौगिक कैल्सियम युक्त होगा तथा उत्पन्न गैस जलती हुई मोमबत्ती को बुझा देती है जो कि CO2, होती है अतः यौगिक ‘A’ जो कि CaCOहै, की तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया इस प्रकार होगी|

    CaCO3(s) + 2HCl(aq) → CaCl2(aq)(कैल्सियम क्लोराइड) + H2O(l) + CO2(g)↑

    प्रश्न 9.
    HCl, HNO3 आदि जलीय विलयन में अम्लीय अभिलक्षण क्यों प्रदर्शित करते हैं, जबकि ऐल्कोहॉल एवं ग्लूकोज जैसे यौगिकों के विलयनों में अम्लीयता के अभिलक्षण प्रदर्शित नहीं होते हैं?
    उत्तर-
    HCl, HNO3 आदि जलीय विलयन में आयनित होकर H+ आयन देते हैं अतः ये अम्लीय गुण दर्शाते हैं क्योंकि अम्ल वे होते हैं जो जलीय विलयन में H+ आयन देते हैं। लेकिन ऐल्कोहॉल एवं ग्लुकोज के जलीय विलयन में H+ आयन नहीं बनते क्योंकि इनमें सहसंयोजी गुण होता है अतः ये अम्लीयता प्रदर्शित नहीं

    प्रश्न 10.
    शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को क्यों नहीं बदलती है?
    उत्तर-
    शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस का आयनन नहीं होता अतः यह H+ नहीं देगी अर्थात् अम्लीय गुण प्रदर्शित नहीं होगा। अतः H+ आयनों की अनुपस्थिति अर्थात् अम्लीय गुण की अनुपस्थिति के कारण शुष्क लिटमस पत्र के रंग में परिवर्तन नहीं होगा।

    प्रश्न 11.
    अम्ल को तनुकृत करते समय यह क्यों अनुशंसित करते हैं कि अम्ल को जल में मिलाना चाहिए, न कि जल को अम्ल में?
    उत्तर-
    अम्ल को तनुकृत करते समय अम्ल को जल में मिलाना चाहिए, न कि जल को अम्ल में, क्योंकि जल में अम्ल या क्षारक के घुलने की प्रक्रिया अत्यंत ऊष्माक्षेपी होती है। इसलिए जल में किसी सान्द्र अम्ल को सावधानीपूर्वक मिलाना चाहिए। अम्ल को हमेशा धीरे-धीरे तथा विलयन को लगातार हिलाते हुए जल में मिलाना चाहिए।

    इसके विपरीत सान्द्र अम्ल में जल मिलाने पर उत्पन्न ऊष्मा के कारण मिश्रण उछलकर बाहर आ सकता है। इससे समीप खड़े व्यक्ति को हानि भी पहुँच सकती है। इससे स्थानीय ताप भी बढ़ जाता है, जिसके कारण उपयोग किया जाने वाला कॉच का पात्र भी टूट सकता है।

    प्रश्न 12.
    सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट के विलयन को गर्म करने पर क्या होगा? इस अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।
    उत्तर-
    सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट के विलयन को गर्म करने पर Na2CO3 H2O तथा CO2 गैस प्राप्त होते हैं।
    अभिक्रिया का समीकरण

    2NaHCO3 सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट → Na2CO3 सोडियम कार्बोनेट + H2O + CO2

    प्रश्न 13.
    क्या क्षारकीय विलयन में H+(aq) आयन होते हैं? अगर हाँ, तो यह क्षारकीय क्यों होता है?
    उत्तर-
    हाँ, क्षारकीय विलयन में H+(aq) आयन होते हैं लेकिन क्षारकीय विलयन में H+(aq) स्वतंत्र अवस्था में नहीं होते। क्षारकीय विलयन में H+ तथा OH- के मध्य साम्य होता है तथा H+(aq) की तुलना में OH- (aq) आयन अधिक मात्रा में होते हैं। अतः विलयन क्षारीय होता है।

    प्रश्न 14.
    कोई किसान खेत की मृदा की किस परिस्थिति में उसके उपचार के लिए बिना बुझा हुआ चूना (कैल्सियम ऑक्साइड), बुझा हुआ चूना (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड) या चॉक (कैल्सियम कार्बोनेट) का उपयोग करेगा?
    उत्तर-
    किसान अपने खेत की मिट्टी को बिना बुझा हुआ चूना (कैल्सियम ऑक्साइड), बुझा हुआ चूना (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड) या चॉक (कैल्सियम कार्बोनेट) से उस समय उपचारित करेगा, जब मिट्टी में अम्ल की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो जाती है, क्योंकि ये सभी पदार्थ क्षारकीय प्रकृति के हैं, जो मिट्टी की अम्लीयता को समाप्त कर देते हैं।

    प्रश्न 15.
    निम्न अभिक्रियाओं के लिए पहले शब्द-समीकरण तथा संतुलित समीकरण लिखिए
    (a) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल दानेदार जिंक के साथ अभिक्रिया करता है।
    (b) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मैग्नीशियम के फीते के साथ अभिक्रिया करता है।
    (c) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल ऐलुमिनियम चूर्ण के साथ अभिक्रिया करता है।
    (d) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल लौह चूर्ण के साथ अभिक्रिया करता है।
    उत्तर-
    (a) जिंक + तनु सल्फ्यूरिक अम्ल – जिंक सल्फेट + हाइड्रोजन गैस
    Zn(s) + H2SO4(aq) → ZnSO4(aq) + H2(g) ↑
    (b) मैग्नीशियम + तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल → मैग्नीशियम क्लोराइड + हाइड्रोजन गैस
    Mg(s) + 2HCl(aq) → MgCl2(aq) + H2(g) ↑
    (c) ऐलुमिनियम + तनु सल्फ्यूरिक अम्ल → ऐलुमिनियम सल्फेट + हाइड्रोजन गैस
    2Al(s) + 3 H2SO4(aq) + Al2(SO4)3(aq) + 3H2(g) ↑
    (d) लोहा + तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल → फेरस क्लोराइड + हाइड्रोजन गैस
    Fe(s) + 2HCl(aq) → FeCl2(aq) + H2(g) ↑

    प्रश्न 16.
    आसवित जल विद्युत का चालक नहीं होता जबकि वर्षा का जल होता है, क्यों?
    उत्तर-
    आसवित जल पूर्ण रूप से शुद्ध होता है तथा इसमें H+ आयन नहीं होते। अतः यह उदासीन होता है, इस कारण इसमें विद्युत को चालन नहीं होता जबकि वर्षा जल अम्लीय होता है अतः इसमें हाइड्रोजन आयन (H+) होते हैं। इसी कारण वर्षा जल विद्युत का चालन करता है।

    प्रश्न 17.
    जल की अनुपस्थिति में अम्ल अपना अम्लीय व्यवहार प्रदर्शित नहीं करता, क्यों?
    उत्तर-
    जलं की अनुपस्थिति में कोई भी अम्ल आयनित नहीं होता, अतः अम्ल से हाइड्रोजन आयन (H+) पृथक् नहीं हो पाते। चूँकि हाइड्रोजन आयन ही अम्ल के अम्लीय व्यवहार के लिए उत्तरदायी होते हैं, अतः जल की अनुपस्थिति में अम्ल, अम्लीय व्यवहार प्रदर्शित नहीं करता।

    प्रश्न 18.
    पाँच विलयनों A, B, C, D तथा E की जब सार्वत्रिक सूचक से जाँच की जाती है तो pH के मान क्रमशः 4,1, 11, 7 एवं 9 प्राप्त होते हैं, तो कौन-सा विलयन-
    (a) उदासीन है?
    (b) प्रबल क्षारीय है?
    (c) प्रबल अम्लीय है?
    (d) दुर्बल अम्लीय है?
    (e) दुर्बल क्षारीय है?
    pH के मानों को हाइड्रोजन आयन की सांद्रता के आरोही क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
    उत्तर-
    (a) उदासीन– pH 7 वाला विलयन D उदासीन है।
    (b) प्रबल क्षारीय- pH 11 वाला विलयन C प्रबल क्षारीय है।
    (c) प्रबल अम्लीय– pH 1 वाला विलयन B प्रबल अम्लीय है।
    (d) दुर्बल अम्लीय- pH 4 वाला विलयन A दुर्बल अम्लीय है।
    (e) दुर्बल क्षारीय– pH 9 वाला विलयन E दुर्बल क्षारीय है।।

    इन विलयनों की हाइड्रोजन आयन सान्द्रता का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार होगाविलयन C< विलयन E< विलयन D < विलयन A< विलयन B
    अर्थात् pH 11 < pH 9< pH 7 < pH 4 < pH 1

    प्रश्न 19.
    परखनली ‘A’ एवं ‘B’ में समान लंबाई का मैग्नीशियम का फीता लेकर परखनली ‘A’ में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) तथा परखनली B’ में ऐसिटिक अम्ल (CH3COOH) डालने पर किस परखनली में अधिक तेजी से बुदबुदाहट होगी तथा क्यों?
    उत्तर-
    परखनली ‘A’ में अधिक तेजी से बुदबुदाहट होगी क्योंकि Mg से HCl तथा CH3COOH दोनों ही क्रिया करके H2 गैस देते हैं। लेकिन CH3COOH की तुलना में HCl अधिक तेजी से क्रिया करता है क्योंकि यह प्रबल अम्ल है, अर्थात् HCl में हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता अधिक होती है।

    प्रश्न 20.
    ताजे दूध के pH का मान 6 होता है। दही बन जाने पर इसके pH के मान में क्या परिवर्तन होगा?
    उत्तर-
    ताजे दूध के pH का मान 6 होता है अर्थात् यह हल्का-सा अम्लीय होता है। जब इसका किण्वन होकर यह दही बन जाता है तो pH का मान 6 से कम हो जाता है क्योंकि दही में अम्लीय गुण अधिक होता है तथा अम्लीय गुण बढ़ने पर pH के मान में कमी आती है।

    प्रश्न 21.
    एक ग्वाला ताजे दूध में थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाकरे
    (a) ताजा दूध के pH मान को 6 ( अम्लीय) से बदलकर थोड़ा क्षारीय बना देता है, क्यों?
    (b) इस दूध को दही बनने में अधिक समय क्यों लगता है?
    उत्तर-
    (a) ताजा दूध में थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाने पर दूध का pH मान 6 (अम्लीय) से बदलकर थोड़ा क्षारीय हो जाता है अर्थात् pH का मान बढ़ जाता है। क्योंकि बेकिंग सोडा (NaHCO3) क्षारीय होता है। बेकिंग सोडा दुर्बल अम्ल तथा प्रबल क्षार का लवण है। क्षारीय प्रकृति के कारण दूध के परिरक्षण के दौरान बनने वाला अम्ले उदासीन हो जाता है, जिससे दूध जल्दी खराब नहीं होता।
    (b) बेकिंग सोडायुक्त दूध को दही बनने में अधिक समय लगता है क्योंकि दूध से दही बनना किण्वन की प्रक्रिया है, जो कि एक निश्चित pH मान पर ही होती है, जो कि लगभग 7 (उदासीन माध्यम) होना चाहिए जबकि NaHCO3 (बेकिंग सोडा) मिलाने पर pH बढ़ जाती है। इससे दूध से दही बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है अर्थात् दूध को क्षारीय से अम्लीय होने में अधिक समय लगता है।

    प्रश्न 22.
    प्लास्टर ऑफ पेरिस को नमी-रोधी बर्तन में क्यों रखा जाना चाहिए?
    उत्तर-
    प्लास्टर ऑफ पेरिस नमी के सम्पर्क में आकर जल (H2O) के अणुओं से क्रिया करके शीघ्रता से कठोर ठोस पदार्थ जिप्सम में बदल जाता है। इस कारण इसे नमीरोधी बर्तन में रखा जाना चाहिए।

    2CaSO4.½H2O प्लास्टर ऑफ पेरिस + 3H2O → 2CasO4 जिप्सम.2H2O

    प्रश्न 23.
    धातुओं की अम्ल तथा क्षार से अभिक्रिया कैसे होती है? क्या यह सभी धातुओं की सभी अम्लों से होती है? उदाहरण सहित समझाइए।
    उत्तर-
    धातुएँ अम्ल से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस देती हैं तथा अम्ल के शेष भाग के साथ मिलकर धातु एक यौगिक बनाता है, जिसे लवण कहते हैं। अम्ल के साथ धातु की अभिक्रिया को इस प्रकार व्यक्त कर सकते हैं| अम्ल + धातु → लवण + हाइड्रोजन गैस
    Mg(s) + H2SO4(aq) → MgSO4(s) + H2

    केवल सक्रिय धातुएँ ही हाइड्रोजन अम्लों से क्रिया करके H2 देती हैं। कुछ धातुएँ क्षारों से भी क्रिया करके H2 गैस देती हैं तथा लवण भी बनाती हैं, जैसे Zn, Al इत्यादि।

    Zn(s) + 2 NaOH(aq) → Na2ZnO2 सोडियम जिंकेट (लवण) + H2
    किन्तु ऐसी अभिक्रियाएँ सभी धातुओं के साथ नहीं होती हैं।

    प्रश्न 24.
    धातु कार्बोनेट (Na2CO3) तथा धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट (NaHCO3) की तनु HCl से क्रिया करवाने पर कौनसी गैस बनती है तथा इसे चूने के पानी में प्रवाहित करने पर क्या होता है? समीकरण सहित समझाइए।
    उत्तर-
    धातु कार्बोनेट तथा धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट की तनु HCl से क्रिया करवाने पर CO2 गैस निकलती है तथा लवण व जल बनता है।

    Na2CO3(s) + 2HCl(aq) → 2NaCl(aq) + H2O(l) + CO2(g)
    NaHCO3(s) + HCl(aq) → NaCl(aq) + H2O(l) + CO2(g)

    प्राप्त CO2 गैस को चूने के पानी में प्रवाहित करने पर CaCO3 का श्वेत अवक्षेप (दूधिया विलयन) बनता है लेकिन अत्यधिक मात्रा में CO2 गैस प्रवाहित करने पर कैल्सियम हाइड्रोजन कार्बोनेट [Ca(HCO3)2] बनने के कारण विलयन पुनः रंगहीन हो जाता है।

    Ca(OH)2(aq) चूने का पानी + CO2(g) → CaCO3(s) कैल्सियम कार्बोनेट + H2O(l)
    CaCO3(s) + H2O(l) + CO2(g) → Ca(HCO3)2(aq)(जले में विलेय)

    प्रश्न 25.
    धात्विक ऑक्साइड की प्रकृति अम्लीय होती है या क्षारीय? इनकी अम्ल से क्रिया कराने पर क्या होगा? उदाहरण सहित समझाइए।
    उत्तर-
    धात्विक ऑक्साइड सामान्यतः क्षारीय प्रकृति के होते हैं। ये अम्लों से क्रिया करके लवण तथा जल बनाते हैं, जैसे-धातु ऑक्साइड + अम्ल → लवण + जल
    CuO(s) कॉपर ऑक्साइड + 2HCl(aq) →CuCl2(aq) (नील हरित रंग) कॉपर (II) क्लोराइड + H2O(l)

    क्षार एवं अम्ल की अभिक्रिया के समान ही धात्विक ऑक्साइड अम्ल के साथ अभिक्रिया करके लवण तथा जल बनाते हैं। अतः धात्विक ऑक्साइडों को क्षारीय ऑक्साइड भी कहते हैं।

    प्रश्न 26.
    CO2 जो कि कार्बन (अधातु ) को ऑक्साइड है, क्षार Ca(OH)2 से क्रिया करके लवण व जल बनाता है। इससे क्या सिद्ध होता है?
    उत्तर-
    CO2 (कार्बन डाइऑक्साइड) Ca(OH)2 (क्षार) से क्रिया करके लवण व जल बनाता है। इससे यह सिद्ध होता है कि CO2 अम्लीय प्रकृति की होती है। यह क्षार एवं अम्ल के मध्य होने वाली अभिक्रिया के समान है। अतः अधातुओं के ऑक्साइड अम्लीय प्रकृति के होते हैं।

    CO2(g) + Ca(OH)2(aq) →CaCO3(s) + H2O(l)

    प्रश्न 27.
    अम्ल एवं क्षार की शक्ति किस पर निर्भर करती है? प्रबल एवं दुर्बल अम्ल तथा प्रबल एवं दुर्बल क्षार से क्या अभिप्राय है?
    उत्तर-
    अम्ल एवं क्षार की शक्ति जलीय विलयन में क्रमशः H+ आयन तथा OH- आयन की संख्या पर निर्भर करती है।

    प्रबल एवं दुर्बल अम्ल-जलीय विलयन में अधिक मात्रा में H+ आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल, प्रबल अम्ल कहलाते हैं, जैसे-हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl); जबकि कम H+ आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल, दुर्बल अम्ल कहलाते हैं, जैसे-ऐसीटिक अम्ल [CH3COOH]

    प्रबल एवं दुर्बल क्षार-जलीय विलयन में अधिक मात्रा में OH- आयन देने वाले क्षार, प्रबल क्षार कहलाते हैं, जैसे-NaOH, KOH आदि; जबकि कम मात्रा में OH- आयन उत्पन्न करने वाले क्षार, दुर्बल क्षार कहलाते हैं, जैसे-NH4OH, Mg(OH)2 आदि।।

    प्रश्न 28.
    प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होने वाले कुछ अम्लों की सूची बनाइए।
    उत्तर-
    प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होने वाले अम्ल निम्न हैं
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन 28

    प्रश्न 29.
    (a) हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता ज्ञात करने में प्रयुक्त स्केल का नाम लिखिए।
    (b) अम्ल वर्षा का कारण तथा इसके दो कुप्रभावों को लिखिए।
    उत्तर-
    (a) हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता ज्ञात करने में प्रयुक्त स्केल को pH स्केल कहते हैं।
    (b) अम्ल वर्षा-जब वर्षा के जल की pH का मान 5.6 से कम हो जाता है, तो इसे अम्ल वर्षा कहते हैं।

    अम्ल वर्षा के कुप्रभाव-

    • अम्ल वर्षा का जल जब नदी में प्रवाहित होता है तो नदी के जल का pH मान भी कम हो जाता है। ऐसे जल में जलीय जीवधारियों का जीवन कठिन हो जाता है।
    • अम्ल वर्षा के सम्पर्क में आने पर चर्म रोग हो सकता है।

    प्रश्न 30.
    Zn धातु की तनु H2SO4, से होने वाली रासायनिक अभिक्रिया का नामांकित चित्र बनाइए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    उत्तर-
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन 30

    प्रश्न 31.
    अम्ल-क्षार की ब्रांस्टेड-लोरी संकल्पना की कमी बताइए।
    उत्तर-
    अम्ल-क्षार की ब्रांस्टेड-लोरी संकल्पना अप्रोटिक अम्लों एवं क्षारों जैसे CO2SO2, BF3, Cl- इत्यादि के बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं करती है। अतः अम्ल-क्षार की नई इलेक्ट्रॉनिक संकल्पना दी गई।

    प्रश्न 32.
    बेकिंग सोडा (NaHCO3) के गुण बताइए।
    उत्तर-
    बेकिंग सोडा के गुण निम्नलिखित हैं
    (i) बेकिंग सोडा श्वेत क्रिस्टलीय ठोस है।
    (ii) यह जल में अल्प विलेय है।।
    (iii) इसका जलीय विलयन क्षारीय होता है।
    (iv) NaHCO3 को गर्म करने पर कार्बन डाईऑक्साइड गैस निकलती है। तथा Na2CO3 बनता है।
    2NaHCO3 गर्म करने पर → Na2CO3 + H2O + CO

    प्रश्न 33.
    (a) विरंजक चूर्ण की तनु अम्लों से क्रिया के समीकरण लिखिए।
    (b) विरंजक चूर्ण का सूत्र लिखिए। इसकी विरंजन क्रिया को समझाइए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
    उत्तर-
    (a) विरंजक चूर्ण तनु अम्लों से क्रिया करके क्लोरीन गैस देता है।
    CaOCl2 +H2SO4 → CaSO+ H2O + Cl2
    CaOCl2 +2 HCl → CaCl2 + H2O + Cl2

    (b) विरंजक चूर्ण का सूत्र CaOCl2, (कैल्सियम ऑक्सीक्लोराइड) होता है। यह वायु में क्लोरीन गैस देता है जो कि जल से क्रिया कर नवजात ऑक्सीजन [O] देती है। यह ऑक्सीजन ही विरंजन क्रिया करती है और ऑक्सीकारक की भाँति व्यवहार करती है।
    Cl2 + H2O → 2HCl + [O] परमाण्विक ऑक्सीजन
    रंगीन पदार्थ + [O] → रंगहीन पदार्थ

    प्रश्न 34.
    धावन सोडा के गुण बताइए।
    उत्तर-
    (i) धावन सोडा सफेद क्रिस्टलीय ठोस है।
    (ii) यह जल में विलेय होता है।
    (iii) इसका जलीय विलयन क्षारीय होता है।
    (iv) धावन सोडा को गर्म करने पर यह क्रिस्टलन जल त्याग कर सोडा एश। बनाता है।

    Na2CO3.10H2O →373k→ Na2CO3 +10H2O

    प्रश्न 35.
    बेकिंग सोडा को खाद्य पदार्थों में मिलाकर गर्म करने पर ये फूलकर हल्के हो जाते हैं, क्यों?
    उत्तर-
    बेकिंग सोडा को खाद्य पदार्थों में मिलाकर गर्म करने पर कार्बनडाइ ऑक्साइड गैस बुलबुलों के रूप में बाहर निकलती है। इससे केक जैसे खाद्य पदार्थ फूलकर हल्के हो जाते हैं और उनमें छिद्र भी पड़ जाते हैं।

    प्रश्न 36.
    क्या आप डिटरजेंट का उपयोग कर बता सकते हैं कि कोई जल कठोर है अथवा नहीं?
    उत्तर-
    डिटरजेंट के उपयोग से यह ज्ञात नहीं कर सकते कि जल कठोर है। अथवा नहीं क्योंकि डिटरजेंट कठोर जल के साथ भी झाग उत्पन्न करता है तथा कोई अवक्षेप भी नहीं देता।

    प्रश्न 37.
    लोग विभिन्न प्रकार से कपड़े धोते हैं। सामान्यतः साबुन लगाने के बाद लोग कपड़े को पत्थर पर पटकते हैं, डंडे से पीटते हैं, ब्रश से रगड़ते हैं या वाशिंग मशीन में कपड़े रगड़े जाते हैं। कपड़ा साफ करने के लिए उसे रगड़ने की आवश्यकता क्यों होती है?
    उत्तर-
    साबुन से कपड़े साफ करने के लिए उन्हें रगड़ने की आवश्यकता इसलिए पड़ती है ताकि साबुन के अणु तेल के धब्बों, मैल के कण आदि को हटने के लिए मिसेल बना सके । मिसेल गन्दे मैल या तेल के धब्बों को हयने में सहायक होता है। अतः कपड़ों को विभिन्न प्रकार से रगड़ने से इनसे गंदगी के कणों को निकालने में सहायता मिलती है।

    प्रश्न 38.
    कास्टिक सोडा के गुण बताइए।
    उत्तर-
    (i) कास्टिक सोडा श्वेत चिकना ठोस पदार्थ होता है।
    (ii) इसका गलनांक 591 K होता है।
    (iii) यह जल में शीघ्र विलेय हो जाता है।
    (iv) यह प्रबल क्षार है तथा अपने जलीय विलयन में आयनित रूप में (Na (aq) + OH (aq)) रहता है। अतः यह एक प्रबल विद्युत अपघट्य भी है।
    (v) इसके क्रिस्टल प्रस्वेद्य होते हैं।

    प्रश्न 39.
    (i) क्या साबुन एथेनॉल में मिसेल का निर्माण करता है, यदि नहीं तो क्यों?
    (ii) अपमार्जक का प्रयोग कठोर जल में भी किया जा सकता है, क्यों?
    उत्तर-
    (i) साबुन, एथेनॉल (एथिल ऐल्कोहॉल) में मिसेल का निर्माण नहीं करता क्योंकि यह एथेनॉल में घुल जाता है।
    (ii) अपमार्जक लम्बी कार्बन श्रृंखला युक्त सोडियम ऐल्किल सट तथा सोडियम ऐल्किल बेन्जीन सल्फोनेट होते हैं। इन अपमार्जकों के सोडियम आयन, कठोर जल में उपस्थित Ca2+ या Mg+2 आयनों से प्रतिस्थापित होकर कैल्सियम या मैग्नीशियम सल्फोनेट बनाते हैं जो कि जल में घुलनशील है। अतः ये साबुन के समान अवक्षेपित नहीं होते। इस प्रकार ये कठोर जल में भी प्रयुक्त किए जा सकते हैं। तथा सफाई क्रिया में कोई बाधा नहीं आती है।

    प्रश्न 40.
    साबुन कठोर जल में सफाई का कार्य नहीं करते हैं, क्यों?
    उत्तर-
    साबुन मृदु जल में सफाई का कार्य करते हैं, कठोर जल में नहीं क्योंकि कठोर जल में उपस्थित Ca2+ तथा Mg2+ आयन, साबुन के सोडियम आयनों (Na+) को प्रतिस्थापित कर उच्च वसीय अम्लों के कैल्सियम एवं मैग्नीशियम । लवण बनाते हैं जो कि जल में अविलेय होते हैं। अतः ये अवक्षेपित हो जाते हैं अतः सफाई की क्रिया आसानी से नहीं हो पाती तथा झाग उत्पन्न करने के लिए अधिक मात्रा में साबुन का उपयोग करना पड़ता है।

    प्रश्न 41.
    जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में रसायनों के उपयोग का वर्णन कीजिए।
    उत्तर-
    रसायनों का उपयोग जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में किया जाता है। हमारी सभी जैविक क्रियाओं का संचालन भी रसायनों द्वारा ही होता है। साबुन, अपमार्जक, वस्त्र, घरेलू उपयोग के अनेकों सामान भी रासायनिक पदार्थ ही हैं। भवन निर्माण में प्रयुक्त सीमेन्ट, विद्युत उपकरण, उपग्रह, मोटर वाहन से लेकर कृषि के क्षेत्र में रसायनों तथा रसायन विज्ञान के सिद्धान्तों का उपयोग किया जाता है। विभिन्न बीमारियों में प्रयुक्त औषधियाँ भी रसायन ही हैं। अनेकों प्रकार के खाद्य पदार्थ, खाद्य पदार्थों के परिरक्षक आदि भी रसायनों का मिश्रण ही है। अतः यह कहा जा सकता है। कि रसायनों के बिना दैनिक जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

    प्रश्न 42.
    (a) तनु तथा सान्द्र अम्ल या क्षार क्या होते हैं?
    (b) विभिन्न प्रकार के लवणों की अम्लीय तथा क्षारीय प्रकृति बताइए।
    उत्तर-
    (a) अम्ल और क्षार जल में विलेय होते हैं। जब इनमें जल की मात्रा अधिक होती है तो ये तनु कहलाते हैं और जब जल की तुलना में अम्ल या क्षार की मात्रा अधिक होती है तो ये सान्द्र कहलाते हैं।
    (b) प्रबल अम्ल तथा प्रबल क्षार से बने लवण उदासीन होते हैं। लेकिन प्रबल अम्ल तथा दुर्बल क्षार से बने लवण अम्लीय तथा दुर्बल अम्ल व प्रबल क्षार से बने लवण क्षारीय होते हैं।

    प्रश्न 43.
    (i) अम्ल-क्षार की आरेनियस संकल्पना की कमियाँ बताइए।
    (ii) संयुग्मी अम्ल-क्षार युग्म किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
    उत्तर-
    (i) आरेनियस की संकल्पना उन अम्लों एवं क्षारों के लिए उपयुक्त है। जिनमें क्रमशः H+ व OH आयन होते हैं परन्तु इससे हाइड्रोजन आयन विहीन अम्लों तथा हाइड्रॉक्सिल आयन विहीन क्षारों की प्रकृति का स्पष्टीकरण नहीं होता।
    (ii) जब किसी अम्ल तथा क्षार के युग्म में एक प्रोटॉन का अन्तर होता है, तो इसे संयुग्मी अम्ल क्षार युग्म कहते हैं, जैसे
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन 43

    प्रश्न 44.
    कुछ प्रमुख विलयनों की pH परास बताइए।
    उत्तर-
    प्रमुख विलयनों की pH परास निम्न प्रकार है
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन 44

    प्रश्न 45.
    प्लास्टर ऑफ पेरिस के गुण बताइए।
    उत्तर-
    प्लास्टर ऑफ पेरिस श्वेत ठोस चिकना पदार्थ होता है। इसमें जल मिलाने पर यह 15 से 20 मिनट में जमकर ठोस तथा कठोर हो जाता है। इस अभिक्रिया में जिप्सम बनता है।
    2CaSO4.½H2O प्लास्टर ऑफ पेरिस + 3H2O → 2CaSOजिप्सम .2H2O

    निबन्धात्मक प्रश्न
    प्रश्न 1.
    अम्ल व क्षार की आरेनियस संकल्पना को विस्तार से समझाइए।
    उत्तर-
    आरेनियस (1887) के अनुसार जलीय विलयन में आयनित होकर हाइड्रोजन आयन देने वाले पदार्थ अम्ल तथा हाइड्रॉक्सिल आयन देने वाले पदार्थ क्षार कहलाते हैं।
    अम्ले के उदाहरण–
    HCl(aq) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल → H+(aq) +Cl(aq)
    CH3COOH(aq) एसीटिक अम्ल → CH3COO(aq) + H+(aq)
    HNO3(aq) नाइट्रिक अम्ल → H+(aq) + NO3(aq)

    यहाँ प्राप्त प्रोटॉन (H+) अत्यधिक क्रियाशील होता है अतः यह जल से क्रिया करके हाइड्रोनियम आयन बना लेता है। |
    H+ +H2O →H3O+(aq)
    वे अम्ल जो जलीय विलयन में पूर्णतः आयनित हो जाते हैं, उन्हें प्रबल अम्ल कहते हैं जैसे-HCl, H2SO4, HNO3, इत्यादि जबकि वे अम्ल जो जलीय विलयन में पूर्णतः आयनित नहीं होते तथा कुछ मात्रा में अवियोजित अवस्था में भी रहते हैं, उन्हें दुर्बल अम्ल कहते हैं जैसे-CH3COOH, H2CO3, इत्यादि।
    क्षार के उदाहरण-
    NaOH सोडियम हाइड्रॉक्साइड → Na+(aq) + OH (aq)
    NH4OH अमोनियम हाइड्रॉक्साइड → NH4+ (aq) + OH– (aq)

    अम्लों के समान वे क्षार जिनका जलीय विलयन में पूर्ण आयनन हो जाता है. उन्हें प्रबल क्षार कहते हैं, जैसे-NaOH, KOH इत्यादि तथा वे क्षार जिनका जलीय विलयन में पूर्ण आयनने नहीं होता, उन्हें दुर्बल क्षार कहते हैं, जैसे– NH4OH, Mg(OH)2 इत्यादि।

    वे अम्ल जिनमें H+ नहीं होता तथा वे क्षार जिनमें OH- नहीं होता, उनका स्पष्टीकरण आरेनियस की धारणा से नहीं होता है।

    प्रश्न 2.
    सोडियम क्लोराइड के बनाने की विधि, गुण तथा उपयोग लिखिए।
    उत्तर-
    बनाने की विधि-सोडियम क्लोराइड को साधारण नमक कहते हैं। यह प्रबल अम्ल तथा प्रबल क्षार से बना लवण है अतः इसके विलयन की pH 7
    होती है, अर्थात् यह उदासीन प्रकृति का होता है। सोडियम क्लोराइड व्यापारिक तौर पर समुद्र के जले या खारे पानी को सुखा कर बनाया जाता है। इस प्रकार प्राप्त नमक में कई अशुद्धियाँ जैसे मैग्नीशियम क्लोराइड (MgCl2), कैल्शियम क्लोराइड (CaCl2) होती हैं। अतः इसे शुद्ध रूप में प्राप्त करने के लिए NaCl के संतृप्त विलयन से भरी बड़ी-बड़ी टंकियों में हाइड्रोजन क्लोराइड गैस (HCl) प्रवाहित की जाती है, जिससे शुद्ध नमक (NaCl) अवक्षेपित हो जाता है, जिसे एकत्रित कर लिया जाता है।

    NaCl के गुण-

    1. यह श्वेत ठोस पदार्थ है।
    2. इसका गलनांक उच्च (1081 K) होता है।
    3. NaCl जल में अत्यधिक विलेय होता है।
    4. जलीय विलयन में यह आयनित होकर Na+ तथा Cl- देता है।

    उपयोग-

    • NaCl का उपयोग साधारण नमक के रूप में भोजन में किया जाता है।
    • इसका खाद्य परिरक्षण में भी प्रयोग किया जाता है।
    • इससे हिमीकरण मिश्रण बनाया जाता है।
    • NaOH, Na2CO3, NaHCO3 तथा विरंजक चूर्ण बनाने में कच्चे पदार्थ के रूप में भी NaCl को प्रयुक्त किया जाता है।

    प्रश्न 3.
    दैनिक जीवन में विभिन्न अम्लों, क्षारों तथा लवणों के उपयोगों पर टिप्पणी लिखिए।
    उत्तर-
    दैनिक जीवन में अम्लों, क्षारों तथा लवणों का उपयोग बहुत व्यापक है, जिसका वर्णन निम्न प्रकार है|

    (a) अम्लों के उपयोग

    • H2SO4, HCl तथा HNO3 को खनिज अम्ल कहा जाता है, जबकि पौधों तथा जन्तुओं में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले अम्लों को कार्बनिक अम्ल कहते हैं। जैसे-सिट्रिक अम्ल, टार्टरिक अम्ल, एसिटिक अम्ल, लैक्टिक अम्ल आदि। खनिज अम्ल विभिन्न उद्योग-धन्धों जैसे औषधि, पेन्ट तथा उर्वरक आदि में प्रयुक्त होते हैं।
    • हाइड्रोक्लोरिक अम्ल अनेक उद्योगों में, बॉयलर को साफ करने में, सिंक तथा सेनिटरी को साफ करने में विशेष रूप से प्रयुक्त किया जाता है।
    • नाइट्रिक अम्ल उर्वरक बनाने, चाँदी व सोने के गहनों को साफ करने में। काम आता है। एक भाग HNO3, तथा तीन भाग HCl को मिलाने पर अम्लराज (Aqua regia) बनता है जो कि एक अत्यन्त महत्वपूर्ण मिश्रण है। अम्लराज सोने जैसे धातु को भी विलेय कर देता है।
      सल्फ्यूरिक अम्ल सेल, कार बैटरी तथा उद्योगों में काम आता है। सल्फ्यूरिक अम्ल को अम्लों का राजा (King of acids) भी कहा जाता है।
    • कार्बनिक अम्ल जैसे एसीटिक अम्ल सिरके के रूप में खाद्य पदार्थों तथा अचार आदि को संरक्षित करने में एवं लकड़ी के फर्नीचर आदि को साफ करने में काम आता है।

    (b) क्षारों के उपयोग

    • विभिन्न क्षारों का भी उपयोग उद्योगों में प्रमुखता से होता है। साबुन, अपमार्जक, कागज उद्योग तथा वस्त्र उद्योगों में सोडियम हाइड्रॉक्साइड का उपयोग होता है।
    • कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड का उपयोग मिट्टी की अम्लता को दूर करने में किया जाता है। Ca(OH)2; सफेदी अर्थात् चूना तथा कीटनाशक का एक घटक भी है।
    • मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड [Mg(OH)2] को मिल्क ऑफ मैग्नीशिया भी कहा जाता है। यह एन्टएसिड के रूप में पेट की अम्लता और कब्ज दूर करने में उपयोग में लिया जाता है।

    (c) लवणों के उपयोग

    • दैनिक जीवन में लवणों के भी महत्वपूर्ण उपयोग हैं-कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) को संगमरमर के रूप में फर्श बनाने में, धातुकर्म में लोहे के निष्कर्षण में तथा सीमेन्ट बनाने में उपयोग में लिया जाता है।
    • सिल्वर नाइट्रेट (AgNO3) को फोटोग्राफी में, अमोनियम नाइट्रेट उर्वरक व विस्फोटक बनाने में तथा फिटकरी (K2SO4. Al2 (SO4)3. 24H2O) को जल के शोधन में प्रयुक्त किया जाता है।

    प्रश्न 4.
    साबुन एवं अपमार्जक क्या होते हैं तथा इन्हें किस प्रकार बनाया जाता है?
    उत्तर-
    अपमार्जक लैटिन भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है स्वच्छ करने वाला। इसमें साबुन तथा अपमार्जकों को लिया जाता है।

    साबुन (Soap)-साबुन सबसे पुराना अपमार्जक है। ये दीर्घ श्रृंखलायुक्त (12 से 18 कार्बन परमाणु) वसा अम्लों जैसे स्टियरिक अम्ल, पामिटिक अम्ल तथा
    ओलिक अम्लों के सोडियम अथवा पोटैशियम लवण होते हैं। इन्हें वसा अम्लों को सोडियम हाइड्रॉक्साइड या पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के जलीय विलयन के साथ गर्म करके बनाया जाता है। इस क्रिया को साबुनीकरण कहते हैं।
    RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 5 दैनिक जीवन में रसायन 4
    प्राप्त विलयन में NaCl मिलाने पर साबुन अवक्षेपित हो जाता है। केवल उच्च वसीय अम्लों के सोडियम और पोटैशियम लवणों से बने साबुन ही जल में विलेय होते हैं। पोटैशियम साबुन सोडियम साबुन से अधिक मृदु होते हैं, अतः इन्हें शेविंग साबुन तथा शैम्पू आदि बनाने में काम लेते हैं। पारदर्शी साबुन बनाने के लिए ग्लिसरीन का प्रयोग किया जाता है।

    अपमार्जक (Detergent)-अपमार्जक साबुन के समान ही होते हैं परन्तु ये कठोर तथा मृदु दोनों ही प्रकार के जल में कार्य करते हैं। अतः अपमार्जकों को सफाई के लिए व्यापक रूप से प्रयुक्त किया जाता है।

    अपमार्जक दीर्घ श्रृंखलायुक्त सोडियम एल्किल सल्फेट  R-O-\overset { \ominus }{ { SO }_{ 3 } } \overset { \oplus }{ Na }   तथा सोडियम एल्किल बेंजीन सल्फोनेट  R-{ C }_{ 6 }{ H }_{ 4 }-\overset { \ominus }{ { SO }_{ 3 } } \overset { \oplus }{ Na }   होते हैं।

    संश्लेषित अपमार्जकों के द्वारा जल प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है क्योंकि जीवाणुओं द्वारा इनको आसानी से विघटन नहीं हो पाता है।

    यदि हाइड्रोकार्बन श्रृंखला (R समूह) कम शाखित हो तो इनका जीवाणुओं द्वारा विघटन या निम्नीकरण आसानी से हो जाता है। अतः लंबी तथा कम शाखित हाइड्रोकार्बन श्रृंखला युक्त बेंजीन सल्फोनेट अपमार्जक का प्रयोग किया जाता है। आजकल अपमार्जकों की क्षमता एवं गुणवत्ता बढ़ाने के लिए इनमें अकार्बनिक फॉस्फेट, सोडियम परऑक्सीबोरेट तथा कुछ प्रतिदीप्त यौगिक भी मिलाये जाते हैं। साबुन एवं अपमार्जक के द्वारा सफाई की क्रिया मिसेल बनाकर की जाती है।

    प्रश्न 5.
    अम्लों एवं क्षारों के सामान्य गुणों का वर्णन कीजिए।
    उत्तर-
    अम्लों एवं क्षारों में निम्नलिखित गुण पाए जाते हैं

    (i) अम्ल नीले लिटमस को लाल करते हैं तथा क्षार लाल लिटमस को नीला कर देते हैं।
    (ii) अम्ल धातुओं के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन गैस देते हैं।

    Zn धातु (जिंक) + H2SO4 सल्फ्यूरिक अम्ल → ZnSO4 + H2 ↑

    इसी कारण खट्टे अम्लीय पदार्थों को धातु के बर्तनों में नहीं रखा जाता है।

    Zn धातु की NaOH (क्षार) के साथ अभिक्रिया से भी लवण तथा हाइड्रोजन गैस बनती है।
    Zn + 2NaOH — Na2ZnO2 सोडियम जिंकेट + H2 ↑

    परन्तु सभी धातुओं की क्षारों के साथ अभिक्रिया में H2 गैस नहीं बनती है।

    (iii) अम्लों के साथ धातु ऑक्साइड की अभिक्रिया से लवण और जल बनते हैं।

    धातु ऑक्साइड + अम्ल → लवण + जल ।
    CuO + 2HCl → CuCl2 + H2O

    अतः ये क्षारीय प्रवृत्ति के होते हैं। क्षारों की अधात्विक ऑक्साइड के साथ अभिक्रिया से लवण और जल बनते हैं अतः ये अम्लीय प्रवृत्ति के होते हैं।

    अधातु ऑक्साइड + क्षार → लवण + जल
    CO2 + Ca(OH)2 → CaCO3 + H2O

    (iv) सभी अम्लों एवं क्षारों के जलीय विलयन विद्युत के सुचालक होते हैं। अतः इनका उपयोग विद्युत अपघट्य के रूप में भी किया जाता है।

    (v) सभी अम्ल क्षारों के साथ अभिक्रिया करके अपने गुण को खोकर उदासीन हो जाते हैं। यह अभिक्रिया उदासीनीकरण कहलाती है।

    अम्ल + क्षार → लवण + जल
    HCl + NaOH → NaCl + H2O