भाई दूज 2022 महत्व मुहूर्त, कथा एवम बधाई शायरी | Bhai Dooj festival in hindi

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भाई दूज 2022 महत्व (मुहूर्त, कथा एवम बधाई शायरी, कब है, क्यूँ मनाते है, कहानी) (Bhai Dooj  significance, Katha History, Shayari In Hindi)

भारत देश के त्यौहार प्रेम के रिश्ते से ही बनते हैं, कई पौराणिक कथाओं से सिद्ध हुआ हैं, कि भाई बहन का रिश्ता सदैव एक दुसरे में प्राण न्यौछावर के लिए तैयार रहता हैं. भाई दूज की कथा में भी कुछ ऐसी ही रोचक कहानी हैं, जिसमे बहन अपने भाई की सारी विपत्तियों को पहले स्वयं पर लेती हैं. बहना हमेशा ही अपने भाई की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की प्रार्थना करती हैं और बदले में उससे कुछ नहीं मांगती. ऐसा ही हैं यह भाई दूज का पर्व. इसलिए इस दिन को यम द्वितीया भी कहते है.

भाई बहन के प्यार के रिश्ते इन त्यौहारों से और भी अधिक गहरे हो जाते हैं. ऐसा ही त्यौहार हैं भाई दूज का त्यौहार. यह त्यौहार दीपावली पर्व के दो दिन बाद मनाया जाता हैं. कई लोग होली त्यौहार के दुसरे दिन भी भाई दूज का त्यौहार मनाते हैं.

भाई दूज 2022 महत्व (मुहूर्त, कथा एवम बधाई शायरी, कब है, क्यूँ मनाते है, कहानी) (Bhai Dooj  significance, Katha History, Shayari In Hindi)

भाई दूज और यम द्वितीया 2022 में कब हैं (Bhai Dooj / Yam Dwitiya Date Date and timing )

भाई दूज कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की दूज को और चैत माह की कृष्णा द्वितीया को मनाया जाता हैं. यह भाई बहन के प्रेम का त्यौहार है, यह दिवाली पर्व का सबसे अंतिम दिन होता हैं, वहोली के दूसरे दिन मनाया जाता है.

2022 होली के बाद भाई दूज कब है (Bhai Dooj after holi)

त्यौहार दिनांक मुहूर्त समय
होली भाई दूज 20 मार्च14:44 से 15:26 तक

2022 दिवाली के बाद भाई दूज कब है ?  (Bhai Dooj after Diwali)

त्यौहार दिनांक मुहूर्त समय
दीवाली भाई दूज 26 अक्टूबर13:12 से 15:27

भाई दूज महत्व एवम विधि (Bhai Dooj Significance, Puja Vidhi)

यह भाई बहन के प्रेम का त्यौहार हैं. इसमें बहन अपने भाई को घर बुलाती हैं, उसे तिलक करती हैं, भोजन करवाती हैं और उसकी मंगल कामना करती हैं. इस दिन भाई बहन यमुना नदी में स्नान कर यमराज की पूजा करते हैं, तो उनका भय समाप्त होता हैं. कहा जाता हैं इस दिन अगर यमुना नदी में स्नान किया हो और अगर सांप भी काट ले, तो कोई असर नहीं होता.

कैसे की जाती हैं भाईदूज की पूजा (Bhai Dooj Puja Vidhi and Celebration)

  1. इस दिन बहने जल्दी से स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनती हैं. फिर ऐपन बनाकर उससे अपने हाथो के छापे बनाकर उनकी पूजा करती हैं.
  2. कुछ बहने प्रथानुसार ऐपन से सात बहनों एवम एक भाई की आकृति बनाती हैं, इसके साथ ही एक तरफ सांप, बिच्छु आदि विपत्ति के रूप में बनाती हैं. फिर कथा पढ़ कर मुसल से भाई पर आने वाली विपत्ति को मार कर उसकी रक्षा करते हैं. इस प्रकार अपने भाई की खुशहाली के लिए बहने भगवान से प्रार्थना करती हैं.
  3. पूजा के बाद बहने अपने भाई को तिलक कर आरती उतारती हैं, इसके बाद ही स्वयं कुछ खाती हैं.

भाई दूज क्यों मनाया जाता है (why we celebrate bhai dooj)

भाई दूज का यह दिन किस तरह शुरू हुआ इसके पीछे की कहानी :

यमराज एवम यमुना दोनों भाई बहन सूर्य देव और छाया की संताने हैं. दोनों में बहुत प्रेम था. बहन हमेशा अपने भाई को मिलने बुलाती, लेकिन कार्य की अधिकता के कारण भाई बहन से मिलने नहीं जा पाता. एक दिन यमराज नदी के तट पर गया, वही उसकी मुलाकात अपनी बहन यमुना से हुई. उससे मिलकर बहन बहुत खुश हुई. ख़ुशी में बहन ने अपने भाई का स्वागत किया, उसे मिष्ठान खिलायें. वह दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया का दिन था. तब ही यमी ने कहा कि भाई यमराज आज के बाद प्रति वर्ष आप मुझसे इसी दिन मिलने आओगे. तभी से यह दिन भाईदूज के नाम से जाना जाता हैं.

कहते हैं इस दिन जो भी भाई यमुना नदी का स्नान करता हैं, उसे उस दिन मृत्यु का भागी नहीं बनना पड़ता. इस दिन उसके सारे संकट टल जाते हैं.

भाई दूज की रोचक कथा / कहानी (Bhai Dooj Katha/ Story)

एक बूढी औरत के सात बेटे और एक बेटी थी. बेटो पर सर्प की कुदृष्टि थी. जैसे ही उसके बेटे की शादी का सातवा फैरा होता सर्प उसे डस लेता. इस प्रकार बुढ़िया के छ: बेटे मर गए. अब उसने एक बेटे की शादी नहीं की. लेकिन बेटे को इस तरह से अकेला देख, उसकी बहन को बहुत दुःख हुआ. उसने उपाय करने की सोची, जिसके लिए वो एक ज्योतिष के पास गई. ज्योतिष ने उससे कहा तेरे भाईयों पर सर्प की कुदृष्टि हैं. अगर तू उसकी सारी बलाये अपने पर लेले तो उसकी जान बच सकती हैं. बहन ने यह बात सुनते ही रोद्र रूप सा ले लिया. अपने मायके आकर बैठ गई और भाई कुछ भी करे उसके पहले उसे करना होता था. अगर कोई ना माने तो जोर-जोर से लड़ती और भाई को गलियाँ देती. ऐसे में सब डरकर उसकी बात मान लेते. सभी उसकी निंदा करने लगे. पर उसने भी भाई की रक्षा की ठान रखी थी.

अब उसके भाई की शादी का वक्त निकट आया, जैसे ही भाई को सेहरा बांधने को जीजा उठा. बहन चिल्लाने लगी कि पहले मेरा मान करो. मैं सहरा पहनूंगी. सबने उसे सेहरा दे दिया. उसके अंदर एक सांप था, जिसे बहन ने फेंक दिया. अब भाई घोड़े पर बैठा तो बोली की पहले मैं बैठूंगी वहाँ भी उसकी सुनी, जैसे ही वो बैठी घोड़े पर एक सांप था उसे भगाया. फिर बारात आगे निकली. जब दुल्हे का स्वागत हुआ. तब भी इसने कहा पहले मेरा स्वागत करो जैसे ही उसके गले में माला डाली उसमे भी सांप था. उसने उसे भी फेका. अब शादी शुरू हुई उस वक्त सांपो का राजा खुद डसने आया. तब बहन ने उसे पकड़ कर टोकनी में ढक दिया. फेरे होने लगे. तब नागिन बहन के पास आई बोली मेरे पति को छोड़. तब बहन बोली पहले मेरे भाई से अपनी कुदृष्टि हटाओ तब तेरे पति को छोडूंगी. नागिन ने ऐसा ही किया. इस प्रकार बहन ने दुनियाँ के सामने अपने आप को कर्कश साबित किया, लेकिन अपने भाई के प्राणों की रक्षा की.

भाई दूज की बधाई शायरी एवं कविता (Bhai Dooj Shayari and Poem)

बहन करती हैं भाई का दुलार

उसे चाहिये बस उसका प्यार

नहीं करती किसी तौहफे की चाह

बस भाई को मिले खुशियाँ अथाह

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न सोना न चांदी

न कोई हाथी की पालकी

बस मेरे से मिलने आओ भाई

प्रेम से बने पकवान खाओ भाई

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हे ईश्वर बहुत प्यारा हैं मेरा भाई

मेरी माँ का दुलारा हैं मेरा भाई

न देना उसे कोई कष्ट भगवन

जहाँ भी हो ख़ुशी से बीते उसका जीवन

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थाल सजा कर बैठी हूँ अँगना

तू आजा अब इंतजार नहीं करना

मत डर अब तू इस दुनियाँ से

लड़ने खड़ी हैं तेरी बहन सबसे

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प्रेम से सजा हैं ये दिन

कैसे कटे भाई तेरे बिन

अब ये मुस्कान बोझ सी लगती हैं

तू आजा अब ये सजा नहीं कटती हैं

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खुशियों की शहनाई आँगन में बजे

मेरे भाई के द्वारा सदा दीपक से सजे

न हो कोई दुःख उसके जीवन में

बस कृपा हो तेरी भगवन सदा जीवन में

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भाई दूज की पूजा कर,
करती हूँ उसका इंतज़ार.

कब आएगा मुझसे मिलने ,
कब सजेगा मेरा द्वार.

सजा कर थाल बैठी हूँ भाई,
मिष्ठान और मेवे लाई हूँ भाई.

मत खेल मुझसे आँख  मिचौली,
प्यार से भर दे मेरी झोली.

कब आएगा मेरे द्वार ,
कब खत्म होगा ये इन्तजार.

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