सम्राट अशोक का जीवन परिचय, जीवनी, जयंती कब है, प्रेमिका, जीवनसाथी (Samrat Ashok History in Hindi) (Biography, Story, Jayanti 2023)
प्राचीन समय के सबसे प्राचीन वंश मौर्य वंश के तीसरे राज्य अशोक मौर्य विश्वप्रसिद और सबसे शक्तिशाली राजाओं में से एक थे. सम्राट मौर्य ने 269 से 232 ई.पू तक शासन किया था. मौर्य वंश का यह राजा ही एक ऐसा राजा था जिसने अखंड भारत पर राज किया था. भारत में मौर्य वंश की नींव रखने वाले इस राजा ने भारत के उत्तर में हिन्दुकुश से लेकर गोदावरी नदी तक राज्य का विस्तार किया था इसके साथ ही उनका राज्य बांग्लादेश से लेकर पश्चिम में अफगानिस्तान और ईरान तक राज्य विस्तार था. सम्राट अशोक एक महान राजा होने के साथ धार्मिक सहिष्णु भी थे. वे बौद्ध धर्म के अनुयायी थे.
नाम | सम्राट अशोक |
जन्म और स्थान | 304 ई. पू पाटलिपुत्र |
शासन का समय | 269 ई.पू से 232 ई.पू |
पहचान | महान राजा के रूप में |
पत्नी का नाम | देवी, कारुवाकी, पद्मावती, तिष्यरक्षिता |
पिता एवं माता | बिन्दुसार एवं शुभाद्रंगी |
मृत्यु | 232 ई पु |
चक्रवर्ती सम्राट अशोक का 304 ई.पू वर्तमान बिहार के पाटलिपुत्र में हुआ था. सम्राट बिन्दुसार के पुत्र और मौर्य वंश के तीसरे राजा के रूप में जाने गये थे. चन्द्रगुप्त मौर्य की तरह ही उनका पोता भी काफी शक्तिशाली था. पाटलिपुत्र नामक स्थान पर जन्म लेने के बाद उन्होंने अपने राज्य को पुरे अखंड भारतवर्ष में फेलाया और पुरे भारत पर एकछट राज किया.
सम्राट अशोक चन्द्रगुप्त मौर्य का वंशज था. सम्राट अशोक का एक पुत्र था बिन्दुसार और सम्राट उसी बिन्दुसार का बेटा था, जो की मौर्य वंश का तीसरा राजा और एक महान शासक था. सम्राट अशोक की माता का नाम शुभाद्रंगी था.
सम्राट अशोक की 4 पत्नियां थी उनके नाम देवी, कारुवाकी, पद्मावती, तिष्यरक्षिता थे.
सम्राट अशोक के 4 पुत्र थे उनके नाम महेंद्र, संघमित्रा, तीवल, कनाल, और एक पुत्री चारुमती थी.
सम्राट अशोक जन्म से ही एक महान शासक थे, उसके साथ ही वे ज्ञानी और महान शक्तिशाली शासक भी थे. महान सम्राट अशोक अर्थशास्त्र और गणित के महान ज्ञाता थे. सम्राट अशोक ने शिक्षा के प्रचार के लिए कई स्कूल और कॉलेज की स्थापना भी की थी. सम्राट अशोक ने 284 ई.पू बिहार में एक उज्जैन अध्ययन केंद्र की स्थापना की थी. इतना ही नहीं इन सबके अलावा भी उन्होंने कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की थी. सम्राट स्वयं शिक्षा के क्षेत्र में भी कई महान कार्य किये थे जिनकी वजह से उन्हें एक महान शासक के नाम से जाना जाता है.
सम्राट अशोक के साम्राज्य विस्तार की बात करे तो सम्राट अशोक का साम्राज्य अखंड भारत में विस्तृत था. उत्तर से दक्षिण हिस्से तक केवल सम्राट अशोक का ही राज था. उत्तर से हिन्दुकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण तक और पूर्व में बांग्लादेश से पश्चिम में इराक और अफगानिस्तान तक अशोक का राज्य विस्तार था. सम्राट अशोक का राज्य वर्तमान के भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार और ईराक तक फेला हुआ था. तत्कालीन समय में भारत काफी फैला हुआ था. आज के पाकिस्तान, अफगानिस्तान, म्यांमार, नेपाल और भूटान उस समय भारत का ही हिस्सा थे.
सम्राट अशोक ने अपने राज्याभिषेक के 7 वे वर्ष ही कलिंग पर आक्रमण किया था, जिसमें बहुत खून खराबा हुआ. सम्राट अशोक के तेरहवें शिलालेख के अनुसार यह बताया गया हैं की इस युद्ध में दोनों तरफ से करीब 1 लाख लोगो की मौत हुई थी और कई लोग इसमें घायल भी हुए थे. सम्राट अशोक ने इस नरसंहार को अपनी आंखों से देख काफी दुखी हुए. इस युद्ध से दुखी होकर सम्राट अशोक ने अपने राज्य में सामाजिक और धार्मिक प्रचार करना आरम्भ किया. इस घटना के बाद सम्राट अशोक का मन मानव और जीव के प्रति दया के भाव से भर गया. इस घटना के बाद सम्राट अशोक ने युद्ध न करने का प्रण लिया और लोगो ने शांति का प्रचार किया.
कलिंग के युद्ध की घटना के बाद सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को अपना लिया और इस धर्म के अनुयायी बन गये, अपने राज्य में इस धर्म का प्रचार किया और लोगों को जीव और मानव के प्रति दया भाव रखने का संदेश दिया.
सम्राट अशोक का शासन तकरीबन पूरे तत्कालीन भारत मे था और सम्राट अशोक मौर्य भी अपने दादा चन्द्रगुप्त मौर्य की तरह ही जैन धर्म का अनुयायी था, उसने अपने जीवनकाल में कई भवन, स्तूप, मठ और स्तंभ का निर्माण करवाया। सम्राट अशोक द्वारा बनवाये गये मठ और स्तूप राजस्थान के बैराठ में मिलते हैं इसके साथ ही साँची का स्तूप भी काफी प्रसिद्ध है और यह भी सम्राट अशोक द्वारा ही बनाया गया था.
भारत के महान शासक सम्राट अशोक मौर्य ने अपने जीवन में कई निर्माण कार्य कराए थे. सम्राट अशोक ने अपने जीवन में कई शिलालेख भी खुदवाये जिन्हें इतिहास में सम्राट अशोक के शिलालेखों के नाम से जाना जाता है. मौर्य वंश की पूरी जानकारी उनके द्वारा स्थापित इन्ही मौर्य वंश के शिलालेखों में मिलती है। सम्राट अशोक ने इन शिलालेखो को ईरानी शासक की प्रेरणा से खुदवाए थे. सम्राट अशोक के जीवनकाल के करीब 40 शिलालेख इतिहासकारों को मिले हैं जिसमे से कुछ शिलालेख तो भारत के बाहर जैसे अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल, वर्तमान बांग्लादेश व पाकिस्तान इत्यादि देशों में मिले हैं. भारत में मौजूद सम्राट अशोक के शिलालेख एवं उनके नाम निम्नलिखित हैं –
शिलालेख | स्थान |
रूपनाथ | जबलपुर ज़िला, मध्य प्रदेश |
बैराट | राजस्थान के जयपुर ज़िले में, यह शिला फलक कलकत्ता संग्रहालय में भी है। |
मस्की | रायचूर ज़िला, कर्नाटक |
येर्रागुडी | कर्नूल ज़िला, आंध्र प्रदेश |
जौगढ़ | गंजाम जिला, उड़ीसा |
धौली | पुरी जिला, उड़ीसा |
गुजर्रा | दतिया ज़िला, मध्य प्रदेश |
राजुलमंडगिरि | बल्लारी ज़िला, कर्नाटक |
गाधीमठ | रायचूर ज़िला, कर्नाटक |
ब्रह्मगिरि | चित्रदुर्ग ज़िला, कर्नाटक |
पल्किगुंडु | गवीमट के पास, रायचूर, कर्नाटक |
सहसराम | शाहाबाद ज़िला, बिहार |
सिद्धपुर | चित्रदुर्ग ज़िला, कर्नाटक |
जटिंगा रामेश्वर | चित्रदुर्ग ज़िला, कर्नाटक |
येर्रागुडी | कर्नूल ज़िला, आंध्र प्रदेश |
अहरौरा | मिर्ज़ापुर ज़िला, उत्तर प्रदेश |
दिल्ली | अमर कॉलोनी, दिल्ली |
सम्राट अशोक स्वयं एक महान धार्मिक सहिष्णु शासक थे. सम्राट अशोक बौद्ध धर्म के अनुयायी थे. सम्राट अशोक पशु हत्या के बिलकुल खिलाफ थे. सम्राट अशोक जनता को हमेशा जियो और जीने दो का ज्ञान देते थे. सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने दूत यानी प्रचारकों को श्रीलंका, नेपाल, सीरिया, अफगानिस्तान इत्यादि जगहों पर भी भेजा था. सम्राट अशोक ने अपने पुत्र और पुत्री को भी इन देशों की यात्रा पर भेजा था, ताकि वे इन देशों में बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार कर सके और लोगों को धार्मिक बना सके. बौद्ध धर्म का प्रचार करने में सबसे ज्यादा सफलता उनके सबसे बड़े पुत्र महेंद्र को मिली थी. उसने श्रीलंका राज्य के राजा तिस्स को बौद्ध धर्म अपनाने के लिए विवश कर दिया था ज्सिएक बाद राजा तिस्स ने बौद्ध धर्म को राजधर्म में परिवर्तित कर लिया. अशोक से प्रेरित हो कर तिस्स ने स्वयं को ‘देवनामप्रिय’ की उपाधि दी।
ऐसा माना जाता है की सम्राट अशोक के जीवन का अंतिम समय पाटलिपुत्र, पटना में ही बीता था। 40 वर्षो के शासन के बाद उनकी मृत्यु हो गई। सम्राट अशोक ने अपने जीवन काल में कई महान कार्य किये और उन्ही महान कार्यो के लिए उन्हें जाना जाता हैं.
सम्राट अशोक के जीवन से आज हर कोई परिचित हैं. सम्राट अशोक के जीवन के बारे में बताने के लिए साल 1992 में एक मूवी आई थी जिसे सम्राट अशोका के नाम से प्रचारित किया गया था. इस मूवी ने एन.टी रामा राव निर्देशित किया था. इसके अलावा सम्राट अशोक के जीवन पर आधारित एक सीरियल भी टीवी पर आता हैं इस टीवी सीरियल को कलर्स चैनल द्वारा चलाया जाता है और इस चैनल का नाम चक्रवर्ती सम्राट अशोक है, वर्तमान में यह सीरियल चलन में नहीं है इस सीरियल का आखिरी शो 7 अक्टूबर 2016 को आया था.
सम्राट अशोक को मौर्य वंश के तीसरे शासक थे। सम्राट अशोक का कार्यकाल 304 ई.पू से 232 ई.पू के मध्य माना जाता है। सम्राट अशोक का जन्म पाटलिपुत्र में हुआ था जो की वर्तमान में पटना में है। सम्राट अशोक ने अपने जीवनकाल में केवल एक ही युद्ध लड़ा था जिसे इतिहास में ‘‘कलिंग युद्ध’’ के नाम से जाना जाता है। उम्मीद करते है आपको यह लेख पसंद आया होगा। होम पेज
Ans : सम्राट अशोक भारत का प्रमुख शासक था जो की मौर्य वंश से संबंधित था।
Ans : सम्राट अशोक बौद्व धर्म का अनुयायी था।
Ans : सम्राट अशोक ने अपने जीवन में केवल एक की युद्ध लडा था।
Ans : ऐसा माना जाता है की सम्राट अशोक ने अपनी अंतिम साँस पाटलिपुत्र मे ली।
Ans : सम्राट अशोक का साम्राज्य उत्तर भारत के साथ पश्चिम अफ़ग़ानिस्तान तक फैला था।
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