धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जीवन परिचय, जीवनी, बागेश्वर धाम, महाराज, भागवत कथा, ताज़ा न्यूज़,आयु, उम्र, भजन, विवाद, परिवार, शादी किससे हुई, धर्म, जाति (Dhirendra Krishna Shastri Biography in Hindi) (Bageshwar Dham, Kahan hai, Maharaj, Date of Birth, Age, Latest News, Wife, Family, Net Worth, Katha, Location, Temple, Caste, Religion)
आजकल सोशल मीडिया पर जो एक सन्यासी छाया हुआ है वो है महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री। मध्य प्रदेश के बागेश्वर धाम में अपना दरबार लगाने वाले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने इंटरनेट की दुनिया में तहलका मचाया हुआ है। लाखों लोग उनके भक्त हैं और उनकी शेयर की हुई वीडियो देखते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वो लोगों के मन की बात बिना बताए जो जान जाते हैं। उनकी यही खास बात लोगों को काफी पसंद आती है जिसके कारण उनके भक्त उन्हें हनुमान जी का अवतार मानते हैं। देशभर के इसी चहीते महाराज के जीवने के बारे में आज हम आपको बताएगे कि कैसे बने महाराज धीरेन्द्र कृष्ण चमत्कारी बाबा।
नाम | श्री धीरेन्द्र कृष्ण जी |
उपनाम | बागेश्वर धाम महाराज |
प्रसिद्ध नाम | बालाजी महाराज, बागेश्वर महाराज, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री |
जन्म | 4 जुलाई 1996 |
जन्म स्थान | गड़ा, छतरपुर, मध्य प्रदेश |
धर्म | हिन्दू |
पिता का नाम | राम कृपाल गर्ग |
माता का नाम | सरोज गर्ग |
दादाजी का नमा | भगवान दास गर्ग |
भाई-बहन | शालिग्राम गर्ग जी महाराज (छोटा भाई), एक बहन |
जाति | पंडित |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
शैक्षिक योग्यता | कला वर्ग में स्नातक |
भाषा | बुंदेली, संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी |
व्यवसाय | सनातन धर्म प्रचारक, कथावाचक, दिव्य दरबार, प्रमुख बागेश्वर धाम, यूट्यूबर |
गुरू | श्री दादा जी महाराज सन्यासी बाबा |
नेटवर्थ | 19.5 करोड़ |
महाराज धीरेन्द्र कृष्ण का जन्म 4 जुलाई 1996 को मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के गड़ा पंज गांव में एक ब्राह्मण घर में हुआ। उनके पिता राम कृपाल गर्ग औऱ मां सरोज गर्ग है। उनके घर में दादाजी उनकी एक बहन और एक छोटा भाई भी है। महाराज धीरेन्द्र कृष्ण ने अपना शुरूआती जीवन गांव में बिताया। आपको बता दें कि, उनका परिवार काफी गरीब था। जिसके कारण उन्हें सुख-सुविधाओं से वंचित रहना पड़ा। महाराज धीरेन्द्र कृष्ण को बचपन से आध्यात्मिक चीजें का काफी शौक रहा है। जिसकी शिक्षा उन्होंने अपने दादाजी से प्राप्त की है।
महाराज धीरेन्द्र कृष्ण ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव के एक स्कूल से प्राप्त की। लेकिन बड़ी कक्षा में आने के बाद उन्हें गांव से 5 किलोमीटर दूर एक सरकारी स्कूल में पढ़ने जाना पड़ा। इसके बाद उन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया और वहां से बीए कंप्लीट की। लेकिन पढ़ाई में ज्यादा मन ना लगने के कारण उन्होंने अपने दादाजी से महाभारत, रामायण, भागवत कथा और पुराण महाकाव्य की शिक्षा ली और दरबार लगाना शुरू किया। जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने हनुमान जी की साधना करनी शुरू कर दी और कम उम्र में ही सिद्धि प्राप्त कर ली।
महाराज धीरेन्द्र कृष्ण जिस परिवार में जन्म थे। वो बागेश्वर धाम को काफी माना करते थे। उनके दादाजी बागेश्वर धाम में ही रहा करते थे। यहीं पर उनके दादाजी गुरू सन्यासी बाबा की समाधि भी मौजूद है। आपको बता दें कि, सन्यासी बाबा भी इनके वंश के थे। जिन्होंने करीबन 320 साल पहले समाधि ली थी। धीरेन्द्र के दादाजी बहुत समय से बागेश्वर धाम में दरबार लगाया करते थे। जिसको देखकर उनके अंदर भी इसकी आस्था जागी और उन्होंने दादाजी के दरबार में अर्जी लगाई। उन्होंने परिवार की हालत देखकर उनसे इससे छुटकारा मांगा। जिसके बाद उनके दादा जी ने उन्हें अपना शिष्य बना लिया। वहीं से उन्होंने इन सिद्धियों की शिक्षा प्राप्त की और बाग्शेवर धाम की सेवा करनी शुरू कर दी।
बागेश्वर धाम एक हनुमान जी का मंदिर है जो मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के गड़ा में मौजूद है। यह वही गांव है जहां महाराज धीरेन्द्र कृष्ण का जन्म हुआ था। यहीं पर उनके दादाजी ने समाधि भी ली थी। दुनियाभर के लोग यहां आते हैं और अपने नाम की अर्जी लगाते हैं। यहां पर मंगलवार के अलावा कभी और अर्जी नहीं लगाई जाती। मंगलवार का दिन अर्जी के लिए इसे चुना गया है क्योंकि ये दिन हनुमान जी का दिन होता है। आपको बता दें कि, जो लोग भी यहां आकर अर्जी लगाते हैं वो एक नारियल को लाल कपड़े में बांधकर जरूर लाते हैं। ऐसी मान्यता है कि, अगर जो कोई भी इस नारियल को उस मंदिर में बांधकर जाता है उनकी मनोकामना जरूरत पूर्ण होती है। जिसके कारण लाखों लोग यहां मंगलवार को नारियल बांधने आते हैं। यहीं पर लगता है महाराज धीरेन्द्र कृष्ण का भव्य दरबार। जहां आकर लोग अपनी समस्या का समाधान पाते हैं।
अगर कोई व्यक्ति यहां दर्शन के लिए आता है तो उसे इस बात पर गौर करना चाहिए कि, यहां पर सेवा समिति की तरफ से टोकन जारी किए जाते हैं। अगर आप पहली बार मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं तो आपको टोकन लेना होगा। जिसपर आपका मोबाइल नंबर और आपके नाम की जानकारी दर्ज होगी।
बागेश्वर धाम में जो टोकन दिए जाते हैं उसमे दर्शन का महीना और तारीख लिखी जाती है। उसके अनुसार ही आपको वहां दर्शन प्राप्त होते हैं जिसके बाद आपकी अर्जी इस धाम में लगाई जाती है। इसके बिना आप कभी भी दर्शन नहीं कर सकते।
ये जानकारी उन भक्तों के लिए है जो बागेश्वर धाम नहीं आ पाते। वो अपनी अर्जी घर बैठे दे सकते हैं बस उन्हें इतना करना होगा कि, एक लाल कपड़े में नारियल को बांधना होगा और ओम बागेश्वराय नम: का जाप करना होगा। इसके बाद जो भी आपके मन में प्रश्न है उन्हें बोलना होगा। इससे आपकी अर्जी बाबा तक पहुंच जाएगी और जल्द ही आपकी मनोकामना भी पूरी हो जाएगी।
बागेश्वर धाम पहुंचने के लिए आप ट्रेन से रिजेरवेशन कराकर जा सकते हैं। इसके लिए आपको खजुराहे स्टेशन का टिकट लेना होगा। उसके बाद 20 किमी और आगे जाना होगा। क्योंकि रेल वहां तक नहीं जाती है। इसके लिए आप बस, ऑटो जैसे साधन ले सकते हैं जो आपको मंदिर तक आसानी से पहुंचा देंगे। इससे आप आसानी से वहां तक पहुंकर दर्शन कर पाएंगे।
महाराज धीरेन्द्र कृष्ण बचपन से ही की गरीबी में पले बड़े हैं। उन्हें कई चीजे पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा है। जिसके कारण वो एक ऐसा जरिया ढ़ूंढना चाहते थे। जिससे उनके परिवार की गरीबी दूर हो सके। इसलिए उन्होंने आगे बढ़कर काम करना शुरू किया। उसके बाद वो सत्यनारायण भगवान की कथा सुनाने लगे। जिसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आने लगा। जिसके बाद वो जगह-जगह जाकर कथावाचन करने लगे।
महाराज धीरेन्द्र कृष्ण अपने दादाजी के साथ बागेश्वर धाम में गद्दी लगाते थे। लेकिन दादाजी के समाधि लेने के बाद वो ही एक अकेले थे जो उसे संभाल सकते थे। इसलिए उन्हें वहां का पीठाधीश्वर बना दिया गया। अब वही यहां का सारा कार्यभार देखते हैं। हर मंगलवार को वो ही यहां पर हनुमान जी की आराध्ना और लोगों के संकट दूर करते हैं।
बागेश्वर धाम के महाराज 1 जून से 15 जून तक ब्रिटेन यात्रा पर गए थे। जब वो लंदन पहुंचे तो उनका भव्य स्वागत किया गया। जिसके बाद उन्होंने लंदन और लेस्टर शहर में जाकर श्रीमत भागवत कथा और हनुमत कथा का वाचन किया। जिसके कारण उन्हें ब्रिटिश संसद की ओर से तीन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ये तीन पुरस्कार हैं संत शिरोमणि, वर्ल्ड बुक ऑफ लंदन और वर्ल्ड बुक ऑफ यूरोप। इस पुरस्कार से सम्मानित होना अपने में ही काफी गर्व की बात है। ये पुरस्कार पाकर उन्होंने श्रीराम के जयकारे लगाए
महाराज धीरेन्द्र कृष्ण एक कथावाचक हैं। वो बागेश्वर धाम में मंगलवार को अपनी गद्दी लगाते हैं। वो लोगों को ये बताते हैं कि, जिस परेशानी में आप हैं उससे कैसे छुटकारा पाया जाए। लेकिन लोगों ने उनके लिए धारणा बनाई है कि, वो बिना बताए लोगों के मन की बात जानकर उसका समाधान कर देते हैं जो कि, सच है। जिसके कारण लोग उन्हें चमत्कारी बाबा भी कहने लगे हैं। लाखों लोग उनके पास जाकर अपनी परेशानी बताकर उनका हल जानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो भी यहां हाजरी लगाता है वो कभी खाली हाथ वापस नहीं लौटता है। ये हाजरी एक पर्ची के द्वारा लगाई जाती है। जिसपर भक्त सिर्फ अपना नाम लिखता है और बॉक्स में इस पर्ची को डाल देता है। जिसके बाद पर्ची निकाली जाती है और उसे बुलाया जाता है। महाराज उसके बारे में नाम पढ़कर ही सब बता देते हैं। लोगों का कहना है कि, जो भी महाराज कहते हैं अगर वो किया जाए तो कभी आपके कोई भी काम नहीं रूक सकते।
महाराज धीरेन्द्र कृष्ण पर कई लोगों ने अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाया है। अभी हाल ही में सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ एक कैंपेन देखने को मिला। जिसमें उनके विरोध में बाते लिखी गई और लोगों को बताया गया कि, वो उनकी भावना के साथ कैसे खिलवाड़ कर रहे हैं। ये आरोप नागपुर की एक संस्था द्वारा लगाया गया है। जिन्होंने उनपर आरोप लगाया है उनका नाम है श्याम मानव। श्याम मानव संस्था अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के सदस्य हैं। उन्होंने महाराज धीरेन्द्र कृष्ण को चुनौती दी है कि, वह नागपुर आकर अपना चमत्कार दिखाएं। उन्होंने कहा की अगर महाराज धीरेन्द्र कृष्ण ऐसा करने में सफल हो जाते हैं तो उन्हें 30 लाख रूपये का इनाम दिया जाएगा। लेकिन महाराज धीरेन्द्र कृष्ण ने उनकी चुनौती को स्वीकार नहीं किया है।
महाराज धीरेन्द्र कृष्ण का विवाद पर बयान जारी करते हुए कहा है कि, हाथी चले बाजार, कुत्ते भोंके हजार। इसका मतलब ये है कि, बोलता ही है जिसमें कुछ करने का दम नहीं होता। हम सालों से बोल रहे हैं कि, हम चमत्कारी नहीं हैं, ना ही कोई गुरू हैं। हम सिर्फ बागेश्वर धाम सरकार बालाजी के सेवक हैं। अगर कोई हमें चुनौती दे रहा है तो वो खुद यहां आकर हमारे काम को देख सकता है। हम अपनी जगह छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले।
महाराज धीरेन्द्र कृष्ण के पास कई सारी पर्सनल कारे हैं। जो अक्सर बाहर जाने के लिए काम आती हैं। जिसमें से एक है टाटा मोटर की फेवरिट एसयूवी टाटा सफारी जिसमें सवार होकर अक्सर वो मंदिर या आसपास प्रवचन देने के लिए जाते हैं। इनके पास जितनी भी गाड़ियां है वो काफी कीमती हैं।
महाराज धीरेन्द्र कृष्ण वैसे तो काफी गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। लेकिन आजकल काफी पैसे कमा रहे हैं। आपको बता दें कि, उनके प्रतिदिन की कमाई 8 हजार रूपये है। वहीं प्रतिमाह वो 3.5 लाख रूपये कमा लेते हैं। जिसके कारण उनका नेटवर्थ करीबन 19.5 करोड़ के आसपास पहुंच गया है।
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