Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 13 अपशिष्ट एवं इसका प्रबंधन
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट के निस्तारण हेतु कौनसी तकनीक उपयुक्त है–
(क) भूमि भराव
(ख) भस्मीकरण
(ग) पुनर्चक्रण
(घ) जल में निस्तारण
प्रश्न 2.
पुनर्चक्रण किस प्रकार के अपशिष्ट हेतु उत्तम उपचार है
(क) धात्विक अपशिष्ट
(ख) चिकित्सकीय अपशिष्ट
(ग) कृषि अपशिष्ट
(घ) घरेलू अपशिष्ट
प्रश्न 3.
निम्न में से प्रमुख ग्रीन हाउस गैस है
(क) हाइड्रोजन
(ख) कार्बन मोनो ऑक्साइड
(ग) कार्बन डाई ऑक्साइड
(घ) सल्फर डाई ऑक्साइड
प्रश्न 4.
भारत के बड़े नगरों में प्रति व्यक्ति औसत कूड़ा निकलता है
(क) 1-2 किग्रा
(ख) 1 से 2 किग्रा.
(ग) 2-4 किग्रा.
(घ) 4 से 6 किग्रा.
प्रश्न 5.
जैविक खाद बनाई जा सकती है
(क) घरेलू कचरे से
(ख) कृषि अपशिष्ट से
(ग) दोनों से
(घ) कोई नहीं
उत्तरमाला-
1. (ख)
2. (क)
3. (ग)
4. (घ)
5. (ग)
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 6.
बायोगैस कैसे बनाई जाती है?
उत्तर-
ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू उपयोग के लिए अपशिष्टों, जीव-जन्तुओं के उत्सर्जी पदार्थों, जैसे-गोबर और मानव मलमूत्र के उपयोग से बायोगैस बनाई जाती है।
प्रश्न 7.
अपशिष्ट क्या है?
उत्तर-
किसी भी प्रक्रम के अन्त में बनने वाले अनुपयोगी पदार्थ या उत्पाद अपशिष्ट कहलाते हैं।
प्रश्न 8.
ग्रीन हाउस गैसों के नाम लिखें।
उत्तर-
कार्बन डाईऑक्साइड, जलवाष्प, मैथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरो कार्बन आदि ग्रीन हाउस गैसें हैं।
प्रश्न 9.
वर्मी कम्पोस्ट किसे कहते हैं ?
उत्तर-
कृषि सम्बन्धी कूड़ा-कचरा, सब्जियों के शेष भाग, पशु मल-मूत्र, गोबर आदि का ढेर कर उन पर केंचुए छोड़ दिये जाते हैं। ये केंचुए इन पदार्थों को खाने के बाद जो मल त्यागते हैं यही जैविक खाद या वर्मी कम्पोस्ट कहलाती है।
प्रश्न 10.
नालियों में जल के रुकने से कौन-कौनसे रोग हो सकते हैं ?
उत्तर-
नालियों में जल एकत्रित हो जाने से कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, डाईऑक्सींस जैसी विषैली गैसें उत्सर्जित होने से श्वसन, मलेरिया, डेंगू, फाइलेरिया आदि से सम्बन्धित रोगों की आशंका बढ़ जाती है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 11.
अपशिष्ट प्रबन्धन समझाइए।
उत्तर-
प्रक्रम के अन्त में बनने वाले अनुपयोगी पदार्थ या उत्पाद अपशिष्ट कहलाते हैं। ये ठोस, द्रव व गैसीय प्रवृत्ति के होते हैं। सामान्य भाषा में इन्हें कूड़ा कहते हैं । अपशिष्ट की समस्या भारत में ही नहीं अपितु यह एक वैश्विक समस्या है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कूड़ा प्रबंधन के प्रति सावधानी रखने की आवश्यकता पर चिंतन होने लगा है। अपशिष्ट पदार्थों से वातावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के प्रति चिन्ता प्रकट की गई है। भारत के समस्त शहरों, नगरपालिका क्षेत्र व गाँवों से प्रतिदिन लगभग एक लाख टन अपशिष्ट पदार्थ निकलते हैं। भारत में नगरों के सौन्दर्य को बिगाड़ने में यह कूड़ा अहम भूमिका निभाता है। कूड़ा प्रबंधन के प्रति लापरवाही, कोष की कमी, ठेकेदारों का अभाव, समय पर भुगतान न होना इत्यादि। इस समस्या को और अधिक गम्भीर बनाती है। स्थानीय लोगों को अपने-अपने क्षेत्रों से निस्तारित कूड़े को अलग कर कूड़े से जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट बनाने का रास्ता और आवश्यक प्रबंधन विकसित करना अधिक आसान है। कूड़े का प्रबंधन व्यक्तिगत सावधानी से सम्भव है। अपशिष्ट प्रबंधन परिवहन, संसाधन पुनःचक्रण या अपशिष्ट के काम में प्रयोग की जाने वाली सामग्री का संग्रह है।
प्रत्येक अपशिष्ट के प्रबंधन के तरीके अलग-अलग हैं। इनका निस्तारण करना उचित प्रबन्धन द्वारा सम्भव है। इसमें सरकारी तंत्र, स्वयंसेवी संस्थाओं और नागरिकों से सहयोग लिया जा सकता है। भारत सरकार ने 1975 में शिवरामन समिति का गठन इस कार्य के लिए किया था, जिसके सुझाव थे-बड़े-बड़े कूड़ेदानों की स्थापना, मानव द्वारा अपशिष्ट मल-मूत्र निष्कासन की उचित व्यवस्था, नगरों में कूड़ा उठाने की समुचित । व्यवस्था, कूड़े के ढेरों को जलाकर भस्म करना इत्यादि। प्रबन्धन के अन्तर्गत भूमिभराव, भस्मीकरण, पुनर्चक्रण विधि व रासायनिक क्रिया का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 12.
ठोस अपशिष्ट से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
अपशिष्ट ठोस, द्रव व गैस रूप में होते हैं। जैसे खदानों का मलबा, जैव चिकित्सा अपशिष्ट, रुई, पट्टियाँ, सिरिंज, प्लास्टिक की बोतलें, काँच, इलेक्ट्रॉनिक सामग्री, सीडी, फ्लॉपी, रबड़, टायर, नट-बोल्ट, एल्यूमीनीयम एवं धातु के टुकड़े, कागज, गत्ता, कपड़ा, लकड़ी, उड़न राख, रबड़, रेशा, भवन निर्माण की शेष रही सामग्री, उर्वरक उद्योग की आमंक, कूड़ा-करकट, हड्डियाँ इत्यादि सभी ठोस श्रेणी के अपशिष्ट हैं अर्थात् पूर्ण रूप से ठोस होते हैं, उन्हें ठोस अपशिष्ट कहते हैं।
प्रश्न 13.
जैव निम्नीकरण व अजैव निम्नीकरण अपशिष्ट में अन्तर लिखिए।
उत्तर-
जैव निम्नीकरणीय एवं अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्टों में अन्तर
(Differences between Biodegradable and Non-biodegradable Wastage’s)
जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट(Biodegradable Wastage) | अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्टNon-biodegradable Wastage) |
1. वे पदार्थ जो जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटित हो जाते हैं, जैव निम्नी करणीय कहलाते हैं। | ऐसे पदार्थ जो जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटित नहीं होते हैं, अजैव निम्नी करणीय कहलाते हैं। |
2. इनकी उत्पत्ति जैविक होती है। | ये सामान्यतः मानव द्वारा निर्मित होते हैं। |
3. ये संक्रमण के स्रोत हो सकते हैं। | इनसे संक्रमण नहीं होता है। |
4. ये पदार्थ प्रकृति में इकट्टे नहीं होते हैं। | इनका ढेर लग जाता है एवं प्रकृति में इकट्टे हो जाते हैं। |
5. जैव निम्नीकरणीय पदार्थ जैव आवर्धन (Bio magnification) प्रदर्शित नहीं करते हैं। | घुलनशील अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करते हैं अर्थात् जैव आवर्धन प्रदर्शित करते हैं। |
6. प्रकृति में इनका पुनः चक्रण सम्भव है। | प्रकृति में इन पदार्थों का पुनः चक्रण सम्भव नहीं है। |
7. दुर्गन्ध व ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन कर सकते हैं। | प्रायः दुर्गन्धकारी नहीं होते हैं। |
8. उदाहरण-मलमूत्र, कागज, शाक, फल, कपड़ा आदि। | उदाहरण-प्लास्टिक, डी.डी.टी., ऐलुमिनियम के डिब्बे आदि। |
प्रश्न 14.
भूमिभराव से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
यह एक अपशिष्ट प्रबंधन की विधि है। ‘भूमिभराव अक्सर गैर उपयोग की खानों, खनन रिक्तियों इत्यादि क्षेत्रों में बनाये जाते हैं। यह अपशिष्ट निपटान का एक बहुत ही साफ और अपेक्षाकृत कम खर्च वाला तरीका है तथा अधिकतर देशों में यह आम चलन है। लेकिन पुराने और गलत तरीके से भूमिभराव करने से पर्यावरण पर उल्टे प्रभाव हो सकते हैं। जैसे हवा से कचरे के उड़ने, कीटों को आकर्षित करना, तरल का उत्पादन आदि। इसके अलावा कार्बनिक अपशिष्ट के अपघटन से मेथेन गैस बनती है जो बदबू पैदा कर सकती है, यह वनस्पति को नष्ट कर सकती है, और एक ग्रीन हाऊस गैस भी है। आधुनिक भूमिभराव में नियोजित तरीकों से अपशिष्ट का निष्पादन किया जाता है। गड्ढों को मिट्टी से भर देते हैं। और भूमिभराव गैस निकासी के लिए भूमिभराव गैस प्रणाली स्थापित की जा सकती है। इस गैस को एकत्रित कर विद्युत उत्पादन भी किया जा सकता है। निसन्देह अपशिष्ट प्रबन्धन की यह एक उचित व्यवस्था है तथा लम्बे समय पश्चात् इन क्षेत्रों को पार्क के रूप में विकसित किया जा सकता है।
प्रश्न 15.
पुनर्चक्रण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
अपशिष्ट से संसाधनों को या किसी भी मूल्य की चीज को निकालना पुनर्चक्रण के नाम से जाना जाता है। जिसका अर्थ है पुनः मिलना, जिससे अपशिष्ट पदार्थ का पुनर्नवीकरण होता है। इनसे कच्चा माल निकालकर पुनः प्रक्रम किया जाता है या अपशिष्ट की कैलोरी सामग्री बिजली में परिवर्तित की जा सकती है। अधिकतर विकसित देशों में पुनर्चक्रण का लोकप्रिय अर्थ व्यापक संग्रह व रोजाना अपशिष्ट पदार्थों का पुनः प्रयोग करने को सन्दर्भित है।
पुनर्नवीनीकरण के लिए सबसे आम उपभोक्ता उत्पादों में एल्युमीनियम पेय के डिब्बे, इस्पात, भोजन और एयरोसोल के डिब्बे, प्लास्टिक वे कांच की बोतलें, गत्ते के डिब्बे, पत्रिकाएँ, प्लास्टिक के सामान आदि हैं। प्राकृतिक जैविक अपशिष्ट पदार्थ जैसे पौधे की सामग्री, बचा हुआ भोजन, कागज, ऊन आदि का प्रयोग कम्पोस्ट खाद, वर्मी कम्पोस्ट, जैविक खाद बनाने में किया जा सकता है, साथ ही इस प्रक्रिया से गैस उत्पादन कर विद्युत बनाई जा सकती है।
प्रश्न 16.
भस्मीकरण विधि किस हेतु उपयोग में ली जाती है?
उत्तर-
इस विधि में अपशिष्ट पदार्थ के निष्पादन हेतु दहन किया जाता है, जिससे अपशिष्ट ताप, गैस व राख में परिवर्तित हो जाता है। भस्मीकरण छोटे पैमाने पर व्यक्तियों द्वारा तथा बड़े पैमाने पर उद्योगों द्वारा किया जाता है। इसका प्रयोग तरल, ठोस और गैसीय अपशिष्ट के निष्पादन के लिए किया जाता है। इसे खतरनाक कचरा जैसे जैविक चिकित्सा अपशिष्ट निष्पादन के लिए व्यावहारिक पद्धति के रूप में मान्यता प्राप्त है। परन्तु गैसीय प्रदूषकों के उत्सर्जन के कारण भस्मीकरण अपशिष्ट निष्पादन एक विवादास्पद पद्धति है, किन्तु छोटे देशों के लिए यह विधि अधिक उपयुक्त है। भस्मीकरण जापान जैसे देशों में ज्यादा प्रचलित है क्योंकि इसमें कम भूमि की जरूरत पड़ती है। और इस हेतु भूमिभराव के जितने बड़े क्षेत्र की आवश्यकता नहीं होती है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 17.
अपशिष्ट के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
अपशिष्ट को इसकी प्रकृति के आधार पर ठोस, तरल व गैसीय अपशिष्ट में वर्गीकृत कर सकते हैं परन्तु अपघटनीय क्रियाओं के आधार पर अपशिष्ट को दो वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है-जैव-निम्नीकरणीय और अजैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट।
प्रश्न 18.
अपशिष्ट प्रबंधन परे लेख लिखिए।
उत्तर-
वर्तमान में अपशिष्ट एक वैश्विक समस्या है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कूड़ा प्रबंधन के प्रति असावधानी को आज गम्भीरता से लिया गया है और इससे वातावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के प्रति चिंता प्रकट की गई है। भारत में अनेक नगर हैं जिसमें से कुछ महानगर हैं तथा प्रथम व द्वितीय श्रेणी के नगरों के अलावा अनेक कस्बे व गाँव हैं।
भारत में इन नगरों से प्रतिदिन लगभग एक लाख टन अपशिष्ट पदार्थ निकलते हैं। यह कूड़ा हमारे नगरों का सौन्दर्य बिगाड़ता है। गाँवों के व्यक्ति शहरी जीवन की ओर आकर्षित होकर शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं परन्तु ये सभी कूड़े के प्रति लापरवाह होते हैं। छोटे नगरों में कोष की कमी या अनुपयुक्तता के कारण प्रबंधन होने में कठिनाई होती है। ठेकेदारों का अभाव होता है। उनका समय पर भुगतान नहीं होने से भी यह समस्या उत्पन्न होती है। स्थानीय लोगों को अपने-अपने क्षेत्रों से निस्तारित कूड़े को अलग कर कूड़े से जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट बनाने का रास्ता और आवश्यक प्रबंधन विकसित करना अधिक सरल है।
रासायनिक खादों के बढ़ते दुष्प्रभाव व महंगे होने से इनके स्थान पर जैविक खाद का उपयोग किया जाना चाहिए। कूड़े का प्रबंधन व्यक्तिगत सावधानी से सम्भव है। यह सामाजिक कर्तव्य न होकर जीवन और पर्यावरण के अन्योन्याश्रय सम्बन्ध का निर्धारक जैविक कर्तव्य भी है। अपशिष्ट प्रबंधन परिवहन, संसाधन पुनर्चक्रण या अपशिष्ट के काम में प्रयोग की जाने वाली सामग्री का संग्रह है। अपशिष्ट प्रबंधन में ठोस, द्रव, गैस व रेडियोधर्मी पदार्थ होते हैं। प्रत्येक पदार्थ के साथ अलग-अलग तरीकों और विशेषज्ञता का प्रयोग किया जाता है। अपशिष्ट प्रबंधन का तरीका विकसित और विकासशील देशों में, गाँव और शहरों में आवासीय और औद्योगिक निर्माताओं के लिए अलग-अलग होता है।
अपशिष्ट पदार्थों के एकत्रीकरण एवं विस्तार की समस्या एक गम्भीर समस्या है। आज यह बड़े नगरों में है, कल छोटे नगरों में होगी। यही नहीं अपितु नगरीय विकास के साथ-साथ यह और विकट होती जाएगी। विकास एक नैसर्गिक प्रक्रिया है जिसे रोका नहीं जा सकता। आवश्यकता है उसे एक उचित दिशा देने की जिससे ‘अपशिष्ट रहित विकास’ की कल्पना को मूर्तरूप दिया जा सके। यह कार्य उचित प्रबंधन द्वारा सम्भव है जिसे सरकारी तंत्र, स्वयंसेवी संस्थाओं और नागरिकों के सहयोग से किया जा सकता है।
भारत सरकार ने 1975 में शिवरामन समिति का गठन इस कार्य हेतु किया था जिसके सुझाव थे-बड़े-बड़े कूड़ेदानों की स्थापना, मानव द्वारा अपशिष्ट मल-मूत्र निष्कासन की उचित व्यवस्था, नगरों में कूड़ा-करकट उठाने की समुचित व्यवस्था, कूड़े के ढेरों को जलाकर भस्म करना आदि।
प्रश्न 19.
अपशिष्ट के स्रोतों पर निबंध लिखिए।
उत्तर-
वातावरण में अपशिष्ट अनेकों स्रोतों द्वारा निस्तारित किये जाते हैं जैसे घरेलू स्रोत, नगरपालिका, उद्योग एवं खनन कार्य, कृषि और चिकित्सा क्षेत्र।
(i) घरेलू स्रोत (Household source)-
घरों में प्रतिदिन सफाई के पश्चात् गन्दगी निकलती है जिसमें धूल-मिट्टी के अतिरिक्त कागज, गत्ता, कपड़ा, प्लास्टिक, लकड़ी, धातु के टुकड़े, सब्जियों व फलों के छिलके, सड़े-गले पदार्थ, सूखे फल, पत्तियाँ आदि सम्मिलित हैं।
यदा-कदा होने वाले समारोह तथा पार्टियों में इनकी मात्रा अधिक हो जाती है। ये सभी पदार्थ घरों से बाहर, सड़कों अथवा निर्धारित स्थानों पर डाल दिये जाते हैं, जहाँ इनके सड़ने से अनेक रोगाणु उत्पन्न होते हैं जो न केवल प्रदूषण बल्कि अनेक रोगों का कारण भी है।
(ii) नगरपालिका स्रोत (Municipal source)-
इससे तात्पर्य नगर में एकत्र सम्पूर्ण कूड़ा-करकट एवं गंदगी से है। इसमें घरेलू अपशिष्ट के अतिरिक्त मल-मूत्र, विभिन्न संस्थानों, बाजारों, सड़कों से एकत्रित गंदगी, मृत जानवरों के अवशेष, मकानों के तोड़ने से निकले पदार्थ तथा वर्कशॉप आदि से फेंके गए पदार्थ सम्मिलित होते हैं। वास्तव में कस्बे की सम्पूर्ण गन्दगी इसमें सम्मिलित है। इसकी मात्रा नगर की जनसंख्या एवं विस्तार पर निर्भर है। एक अनुमान के अनुसार भारत के 45 बड़े नगरों में कुल मिलाकर प्रतिदिन लगभग 50,000 टन नगरपालिका अपशिष्ट निकलता है।
(iii) उद्योग एवं खनन कार्य स्रोत (Industry & Mining work source)-
उद्योगों से बड़ी मात्रा में कचरा एवं उपयोग में लाए गए पदार्थों के अपशिष्ट बाहर फेंके जाते हैं। इनमें धातु के टुकड़े, रासायनिक पदार्थ, अनेक विषैले ज्वलनशील पदार्थ, तैलीय पदार्थ, अम्लीय तथा क्षारीय पदार्थ, जैव अपघटनीय पदार्थ, राख आदि सम्मिलित होते हैं। ये सभी पदार्थ तथा खनन क्षेत्रों में खानों से निकले अपशिष्ट पदार्थों के विशाल ढेर पर्यावरण को हानि पहुँचाते हैं व पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनते हैं। कुछ उद्योगों के अपशिष्ट निम्न सारणी में दर्शाये गये हैं
सारणी-औद्योगिक अपशिष्ट
उद्योग के प्रकार | अपशिष्ट | लक्षण |
1. औषधि निर्माण उद्योग | सूक्ष्म जीव, कार्बनिक रसायन | निलंबित एवं घुलित कार्बनिक पदार्थ |
2. कपड़ा उद्योग | रेशा एवं व्यर्थ कपड़ा | क्षारीय निलंबित पदार्थ |
3. रासायनिक उद्योग | कच्चा माल, मध्यक एवं अन्तिम उत्पाद | विषैला, अम्लीय, क्षारीय, ज्वलनशील (उद्योग की प्रकृति पर निर्भर) |
4. पेट्रोलियम उद्योग | शोध रसायन | तैलीय व अम्लीय |
5. उर्वरक उद्योग | आमंक के रूप में ठोस अपशिष्ट | कैल्सियम एवं कैल्सियम सल्फेट |
6. तापीय ऊर्जा संयंत्र | उड़न राख | सिलिकेट, लौह ऑक्साइड, अधजले कार्बन |
7. रबड़ एवं रबड़ उत्पाद | रबड़ | उच्च क्लोराइड, रबड़ आचूर्ण |
(iv) कृषि स्रोत (Agriculture source)-
कृषि के उपरान्त बचा भूसा, घास-फूस, पत्तियाँ, डंठल आदि एक स्थान पर एकत्रित कर दिये जाते हैं या फैला दिये जाते हैं। ये कृषि अपशिष्ट बरसात के पानी से सड़ने लगते हैं तथा जैविक क्रिया होने से प्रदूषण का कारण बन जाते हैं।
(v) चिकित्सा क्षेत्र स्रोत (Medical area source)-
अस्पतालों से निकले अपशिष्ट जैसे काँच, प्लास्टिक की बोतलें, ट्यूब, सीरिंज आदि अजैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट हैं। इसके अलावा जैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट जैसे रक्त, मांस के टुकड़े संक्रमित ऊतक व अंग अनेक रोगों के संक्रमण हेतु माध्यम प्रदान करते हैं।
भारत के नगरों में राख, मिश्रित पदार्थ एवं कार्बन के रूप में लगभग 90 प्रतिशत कूड़ा-करकट होता है। विकसित देशों में इसकी प्रकृति भिन्न होती है। स्पष्ट है कि नगरीय अपशिष्ट आज पर्यावरण अपकर्षण का प्रमुख कारण है, जिसमें उत्तरोत्तर वृद्धि होती जा रही है।
प्रश्न 20.
अपने चारों ओर के वातावरण से विभिन्न अपशिष्ट पदार्थों की सूची बनाकर उन्हें वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर-
जैसा कि पूर्व में बताया गया है कि अपशिष्टों की दो श्रेणी होती हैं-जैव निम्नीकरणीय तथा अजैव निम्नीकरणीय। वे अपशिष्ट पदार्थ जिनका जैविक कारकों द्वारा अपघटन हो जाता है, उन्हें जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट कहते हैं किन्तु जिन अपशिष्टों का जैविक कारकों द्वारा अपघटन नहीं होता, उन्हें अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट कहते हैं। हमारे चारों ओर के वातावरण में निम्न प्रकार के अपशिष्ट पाये जाते हैं, जिनकी वर्गीकृत सूची निम्न प्रकार से है
प्रश्न 21.
अपने मोहल्ले या गाँव में अपशिष्ट प्रबंधन हेतु आप क्या करेंगे?
उत्तर-
प्रायः अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य गाँव में ग्राम पंचायत तथा कस्बों में नगरपालिका करती है। वैसे अपशिष्ट प्रबंधन सम्बन्ध में व्यक्तिगत जिम्मेदारी होती है। हमारे देश के प्रधानमंत्री निरन्तर स्वच्छता के अभियान के प्रति अधिक प्रयासशील हैं।
हमें हमारे घर का प्रतिदिन का कचरा एक पात्र में एकत्रित करना चाहिए परन्तु जो कचरा (रोटी, सब्जी के भाग व फल के छिलके आदि) पशुओं के खाने योग्य हैं, उसे पृथक् से रखकर गाय व अन्य जन्तु को खिला देना चाहिए। कचरे में से ऐसी सामग्री को भी इकट्ठा करना चाहिए, जिसका पुनर्चक्रण किया जा सकता है, जैसे अखबार, रद्दी, धातु, एल्यूमीनियम के पात्र, पीतल व ताँबे के टूटे भाग, प्लास्टिक व कांच की सामग्री आदि, इन्हें प्रतिमाह किसी कबाड़ी या गली में फेरी लगाने वाले को बेच देना चाहिए। ये कबाड़ी उक्त सामग्री को छाँटकर उद्योगों में बेचकर अच्छा मूल्य प्राप्त करते हैं। उद्योग वाले इन टूटी सामग्री को पुनः गलाकर नई सामग्री बना लेते हैं।
दैनिक कचरा जिसे पात्र में एकत्रित करते हैं, उन्हें निश्चित स्थान पर डालना चाहिए। वर्तमान में नगरपालिका क्षेत्र में प्रतिदिन हर गली व मोहल्ले में कचरा गाड़ी आती है, उक्त कचरे को गली में न डालकर गाड़ी में डालना चाहिए। कचरे से नालियों की सफाई भी रखना जरूरी है। नगरपालिका की गाड़ी सम्पूर्ण कचरे को कस्बे व गाँव के बाहर एकत्रित कर इसका सही व उचित निष्पादन करती है।
गाँव या नगरपालिका द्वारा अपशिष्ट प्रबंधन की ‘मास्टर योजना’ बनानी चाहिए। व्यक्तियों को अपशिष्ट प्रबंधन के मूल मंत्र ‘री-यूज, री-ड्यूज व री-साइकिल (Reuse, Reduce and Recycle) से अवगत कराना, प्रभात फेरी, दीवारों पर लिखना, पेम्फलेट आदि से जानकारी करवाना चाहिए। पॉलीथीन की थैलियों का उपयोग न कर कपड़े के थैले का उपयोग करने की बाध्यता करनी चाहिए।
(अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर)
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण होता है|
(अ) केंचुओं से
(ब) कवक से
(स) मछलियों द्वारा
(द) जीवाणुओं द्वारा
प्रश्न 2.
निम्न में से जैव विघटनीय है
(अ) डी.डी.टी.
(ब) प्लास्टिक
(स) धातुओं के ऑक्साइड
(द) मल-मूत्र
प्रश्न 3.
अपशिष्ट प्रबंधन की विधियाँ हैं
(अ) भूमिभराव
(ब) भस्मीकरण
(स) पुनर्चक्रण
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4.
भस्मीकरण पद्धति किस देश में ज्यादा प्रचलित है?
(अ) अमेरिका
(ब) रूस
(स) भारत
(द) जापान
प्रश्न 5.
अपशिष्ट पदार्थों की निरन्तर वृद्धि का कारण है
(अ) औद्योगीकरण
(ब) नगरीकरण
(स) जनसंख्या वृद्धि
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 6.
अपशिष्ट की मात्रा में कमी लाने हेतु उपयुक्त है
(अ) पुनः उपयोग
(ब) कम उपयोग।
(स) पुनर्चक्रण
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 7.
कूड़े-करकट को अत्यधिक दाब से किसमें बदला जाना सम्भव है
(अ) पत्थर
(ब) ईंट
(स) रेशे
(द) बजरी
प्रश्न 8.
हड्डियों, वसा, पंख, रक्त आदि पशु अवशेषों को पकाकर प्राप्त किया जाता
(अ) ईंट
(ब) चारा
(स) चर्बी
(द) तेल
प्रश्न 9.
जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट है
(अ) फसलों के बचे भाग
(ब) काँच
(स) प्लास्टिक
(द) सुइयाँ
प्रश्न 10.
अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट हैं
(अ) काँच
(ब) सुइयाँ
(स) पॉलीथीन थैलियाँ
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला-
1. (अ)
2. (द)
3. (द)
4. (द)
5. (द)
6. (द)
7. (ब)
8. (स)
9. (अ)
10. (द)।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वे कौनसे कारक हैं जिनसे अपशिष्ट पदार्थों की वृद्धि हो रही है?
उत्तर-
औद्योगीकरण, नगरीकरण एवं तीव्र जनसंख्या।
प्रश्न 2.
कुछ ठोस अपशिष्टों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
कागज, कपड़ा, प्लास्टिक, काँच, रबड़ आदि।
प्रश्न 3.
अस्पतालों से निकले अपशिष्टों का उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
प्लास्टिक बोतलें, सीरिंज, पट्टियाँ, रुई, रक्त, मांस आदि।
प्रश्न 4.
अपशिष्ट निष्पादन प्रबंधन हेतु भारत सरकार ने किस समिति का गठन किया?
उत्तर-
भारत सरकार ने 1975 में शिवरामन समिति का गठन इस कार्य हेतु किया था।
प्रश्न 5.
किन्हीं दो e-अपशिष्टों के नाम लिखिए।
उत्तर-
प्रश्न 6.
तापीय ऊर्जा संयंत्र से निकलने वाले एक मुख्य अपशिष्ट का नाम लिखिए।
उत्तर-
फ्लाई एश (Fly ash) या उड़न राख।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अपशिष्ट प्रबंधन में आपके विचार के अनुसार सर्वाधिक आवश्यक क्या है?
उत्तर-
सामान्य नागरिकों के व्यवहार में सुधार आवश्यक है। यदि हम में से प्रत्येक अपने घर के अपशिष्ट पदार्थों को स्वयं या दूसरों के घरों अथवा नालियों में फेंकना बन्द कर उसको उचित स्थान पर एकत्र करें तो यह समस्या स्वतः कम हो जाएगी। इसी प्रकार नगरपालिकाओं को भी अपनी उदासीनता त्यागनी होगी और सफाई कर्मचारियों के कार्यों में कुशलता एवं कर्त्तव्यपरायणता लानी होगी। अपशिष्ट पदार्थों से पर्यावरण प्रदूषित न हो और हमारे स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव न हो, इसके लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है क्योंकि पर्यावरण एक साझी विरासत है जिसे हमें सुरक्षित रखना है।
प्रश्न 2.
3R सिद्धांत क्या है?
उत्तर-
3R सिद्धांत-Reduce, Recycle, Reuse
अर्थात् कम उपयोग, पुन:चक्रण व पुनः उपयोग, यह तीन आर (3R) का सिद्धान्त है। इसको अपनाने से अपशिष्ट समस्या का बड़े स्तर पर समाधान किया जा सकता है।
प्रश्न 3.
क्या कारण है कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं और कुछ अजैव निम्नीकरणीय?
उत्तर-
जैव निम्नीकरणीय-वे पदार्थ जिनका जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटन हो जाता है, जैव निम्नीकरणीय कहलाते हैं। यह कार्य जीवाणुओं तथा मृतजीवियों द्वारा किया जाता है। इन सूक्ष्म जीवों का असर सभी पदार्थों पर नहीं होता है अतः कुछ पदार्थ ही जैव निम्नीकरणीय होते हैं। उदाहरण के लिए शाक-सब्जियों, फलों आदि के अवशेष तथा मल-मूत्र आदि पदार्थों को सूक्ष्म जीवों द्वारा अपघटित कर दिया जाता है।
अजैव निम्नीकरणीय-वे पदार्थ जिनका जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटन नहीं होता है, अजैव निम्नीकरणीय कहलाते हैं। ये पदार्थ सामान्यतः अक्रिय (inert) होते हैं तथा लम्बे समय तक पर्यावरण में बने रहते हैं अथवा पर्यावरण के अन्य सदस्यों को हानि पहुँचाते हैं। प्लास्टिक, डी.डी.टी. मानव निर्मित बहुत से ऐसे पदार्थ हैं जो सूक्ष्म जीवों से अप्रभावित रहते हैं अतः इनका अपघटन नहीं होता है।
प्रश्न 4.
ऐसे दो तरीके सुझाइए जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर-
निम्न दो तरीके हैं, जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं
प्रश्न 5.
अपशिष्ट प्रबंधन की विधियों के अतिरिक्त अपशिष्ट निस्तारण के अन्य उपाय बताइए।
उत्तर-
अपशिष्ट निस्तारण के अन्य उपाय इस प्रकार हैं
प्रश्न 6.
आप कचरा निपटान की समस्या कम करने में क्या योगदान कर सकते हैं? किन्हीं दो तरीकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
कचरा निपटान की समस्या कम करने के कोई दो तरीके दीजिए।
उत्तर-
कचरा निपटान की समस्या कम करने में हम निम्न योगदान कर सकते हैं
प्रश्न 7.
डिस्पोजेबल प्लास्टिक कप की अपेक्षा कागज के डिस्पोजेबल कप के इस्तेमाल के क्या लाभ हैं?
उत्तर-
कागज के डिस्पोजेबल कपों का निस्तारण आसानी से हो जाता है। तथा इन्हें पुनः चक्रण कर उपयोग कर सकते हैं। कागज से बने कप जैव निम्नीकरणीय अपशिष्टों की श्रेणी के होते हैं, अतः इनसे पर्यावरण प्रदूषण का खतरा नहीं होता है।
प्रश्न 8.
पॉलीथीन की थैलियों के उपयोग पर प्रतिबंध आवश्यक क्यों है?
उत्तर-
पॉलीथीन एक अजैव निम्नीकरण पदार्थ है जिसका अपघटन नहीं हो पाता है। यह उद्योगों में विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थों से तैयार होती है। उपयोग के बाद इन्हें फेंक दिया जाता है, जिससे मिट्टी के माध्यम से ये पदार्थ आहार श्रृंखलाओं में प्रवेश कर जाते हैं।
चूँकि ये पदार्थ अजैव निम्नीकृत हैं, इसलिए ये प्रत्येक पोषी स्तर पर उत्तरोत्तर संग्रहित होते रहते हैं अतः ये खाद्य श्रृंखला में मिलकर जैव आवर्धन करते हैं और पर्यावरण, विशेषकर मानव को विभिन्न प्रकार से क्षति पहुँचाते हैं। अपशिष्ट भरकर फेंकी गई पॉलीथीन की थैलियाँ गायों व अन्य पशुओं द्वारा खा ली जाती हैं, जिससे उनकी आहार नाल अवरुद्ध हो जाती है। पॉलीथीन, नालियों में फँसकर जल प्रवाह को रोक देती हैं, जिसके कारण स्थिर जल में मच्छर, मक्खी जैसे रोगवाहक कीट पनपने लगते हैं।
प्रश्न 9.
हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से कौन-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं?
उत्तर-
हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से निम्न समस्याएँ उत्पन्न होती हैं
प्रश्न 10.
यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो तो क्या इनका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा?
उत्तर-
यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो तो इनका निपटान आसानी से हो जाएगा। जैव निम्नीकरण पदार्थ सरलता से सूक्ष्म जीवों द्वारा अपघटित कर दिए जाते हैं। यह अपशिष्ट लम्बे समय तक नहीं रहते हैं। अतः इनका हानिकारक प्रभाव वातावरण पर पड़ता तो है लेकिन यह कुछ समय के लिए ही रहता है। ये पदार्थ लाभदायक पदार्थों में बदले जा सकते हैं तथा सरल पदार्थों में तोड़े जा सकते हैं। चूँकि इनके अपघटन से दुर्गन्ध एवं विषाक्त गैसें निकलती हैं, इसलिए पर्यावरण पर इनका प्रभाव तो पड़ता है परन्तु वह केवल कुछ समय तक ही रहता है।
प्रश्न 11.
जल में उपस्थित अपद्रव्य पदार्थों को कितनी श्रेणियों में बाँटा गया है? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
जल में उपस्थित अपद्रव्य पदार्थों को निम्न श्रेणियों में बाँटा गया
प्रश्न 12.
रेडियोधर्मी प्रदूषण के प्रमुख कारण बताइए।
उत्तर-
ठोस, द्रव या गैसीय पदार्थों में जहाँ अनायास या अवांछनीय रेडियोधर्मी पदार्थ की उपस्थिति होती है, उसे रेडियोधर्मी प्रदूषण कहते हैं। इसके कारण जीवों में आनुवांशिकीय विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं व मृत्यु भी हो सकती है।
रेडियोधर्मी प्रदूषण का मुख्य कारण परमाणु घर निर्माण के समय होने वाली दुर्घटनाओं इत्यादि के कारण या इसी के किसी समस्थानिक के अस्थिर नाभिक के कारण भी हो सकती है, जिसके कारण उसमें क्षय होना प्रारम्भ हो जाता है। आमतौर पर इस प्रदूषण का मुख्य कारण परमाणु विस्फोट होता है। इसके अलावा रेडियोधर्मी, गैसीय, तरल या अन्य रूपों में कोई भी पदार्थ इस प्रदूषण का कारण बन सकता है। नाभिकीय चिकित्सा के दौरान कभी-कभी ध्यान न देने पर भी इस तरह की घटना हो। जाती है। यह तत्व मनुष्य के इधर-उधर चलने के साथ-साथ अन्य स्थानों में भी फैल जाता है। यह निश्चित रूप से परमाणु ईंधन के उपयोग करते समय होता है।
प्रश्न 13.
आप अपने ग्राम/मोहल्ले में अपशिष्ट प्रबंधन हेतु क्या-क्या उपाय करोगे? (कोई तीन )। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18)
उत्तर-
हम हमारे ग्राम/मोहल्ले में अपशिष्ट प्रबन्धन हेतु निम्न उपाय करेंगे
हुआ भोजन, कागज, ऊन आदि का प्रयोग कम्पोस्ट खाद, वर्मी कम्पोस्ट, जैविक खाद आदि बनाने में किया जा सकता है।
प्रश्न 14.
अपशिष्ट किसे कहते हैं? अपशिष्ट प्रबंधन के दो तरीकों को समझाइए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
उत्तर-
किसी भी प्रक्रम के अन्त में बनने वाले अनुपयोगी पदार्थ या उत्पाद को अपशिष्ट कहते हैं।
अपशिष्ट प्रबंधन के दो तरीकों के लिए अन्य महत्त्वपूर्ण निबन्धात्मक प्रश्न संख्या 3 को देखिए।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पर्यावरण को बचाने के लिए तीन प्रकार के R के विषय में आप क्या जानते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
अथवा
पर्यावरण को बचाने के लिए तीन प्रकार के ‘R’ को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
पर्यावरण को बचाने के लिए तीन प्रकार के २ अर्थात् कम उपयोग (Reduce), पुनः चक्रण (Recycle) तथा पुनः उपयोग (Reuse) को लागू करके पर्यावरण को प्रभावी ढंग से सुरक्षित रखा जा सकता है
प्रश्न 2.
अपशिष्ट के प्रकार व इससे होने वाले दुष्प्रभावों को लिखिए।
उत्तर-
अपशिष्ट-किसी भी प्रक्रम के अन्त में बनने वाले अनुपयोगी पदार्थ या उत्पाद अपशिष्ट कहलाते हैं।
अपशिष्ट के प्रकार-अपशिष्टों को दो श्रेणियों में विभक्त किया गया है– जैव निम्नीकरणीय व अजैव निम्नीकरणीय।
अपशिष्टों के दुष्प्रभाव-अपशिष्ट आज भारत की ही नहीं बल्कि वैश्विक समस्या है। प्रतिदिन नगरों, छोटे नगरों व गाँवों से अधिक मात्रा में कूड़ा निकलता है। यह कूड़ा बीमारियाँ फैलाता है तथा नगरों के सौन्दर्य को बिगाड़ता है।
दहन क्रियाओं से CO2, CO, SO2 गैसें निकलती हैं जिससे वायु में प्रदूषण उत्पन्न होता है। कपड़ा उद्योग, रासायनिक उद्योग, गन्ना एवं शक्कर उद्योग से निकलने वाले अपशिष्ट भी वायु व जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं । कृषि कार्यों में निरन्तर भारी मात्रा में कीटनाशकों व उर्वरकों का उपयोग जल, वायु व भूमि का प्रदूषण उत्पन्न करते हैं। नाभिकीय विस्फोटक एवं आण्विक हथियारों के परीक्षण से रेडियोधर्मी पदार्थ उत्पन्न होकर प्रदूषण करते हैं। वाहनों से निकलने वाला धुआँ तथा मार्बल व पत्थर कटिंग मशीनों से निकलने वाले सूक्ष्म कण वायु प्रदूषण करते हैं।
वायुमण्डल में CO2 की वृद्धि के कारण तापमान में वृद्धि होती है जिससे ग्रीन हाउस प्रभाव हो रहा है। CO शरीर में जाकर रुधिर हीमोग्लोबिन के साथ संयुक्त होकर एक यौगिक कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन का निर्माण करती है जिससे शरीर में O2 की कमी से हाइपाक्सिया रोग हो जाता है। SO2 के कारण आँखों व श्वसन तंत्र में जलन उत्पन्न होती है। यही आगे जाकर H2SO4 में परिवर्तित होकर इमारतों व स्मारकों का क्षय, पादपों में ऊतक क्षय व हरिमाहीनता उत्पन्न करता है।
H2S की उपस्थिति से शरीर में विकार, उल्टी, सिरदर्द व मूर्छा आ जाती है। NO की सान्द्रता से श्वसन सम्बन्धी रोग, NO2 की मात्रा से फेफड़ों के रोग हो जाते हैं। वायुमण्डल में जस्ता, सीसा व पारे के कण विद्यमान हैं जिनका मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव होता है। सीसे की उपस्थिति के कारण RBC नष्ट हो जाती है। CFC का अधिक उपयोग अधिक नुकसानदायक है।
प्रदूषित जल से अनेक प्रकार के रोग हैजा, टाइफाइड, पेचिस, वाइरस से यकृतशोध, पीलिया, अमीबीय अतिसार, दाँतों व हड्डियों के रोग हो जाते हैं। प्रदूषित जल में O2 की मात्रा कम होने से जलीय जन्तु प्रभावित होते हैं। कृषि में उर्वरकों, रसायनों तथा कीटनाशकों, खानों, खाद्यान्नों द्वारा निकले ठोस कचरे, कागज व चीनी मिलों के अपशिष्ट, प्लास्टिक आदि अधिक हानि पहुँचाते हैं। अधिक शोर से कान का पर्दा फट जाती है, कार्यकीय दुष्प्रभाव, सरदर्द, रक्तचाप व हृदयगति बढ़ना, मिचली व चिड़चिड़ापन हो जाता है। रेडियोधर्मी अपशिष्टों का अत्यधिक हानिकारक प्रभाव होता है।
प्रश्न 3.
अपशिष्ट प्रबंधन से क्या तात्पर्य है? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
किसी भी प्रक्रम के अन्त में बनने वाले अनुपयोगी पदार्थ या उत्पाद अपशिष्ट कहलाते हैं। ऐसे अपशिष्ट पदार्थों के समुचित निस्तारण या निपटान के प्रबंधन को अपशिष्ट प्रबंधन कहते हैं। इसके अन्तर्गत अपशिष्ट के प्रकार आधार पर निस्तारण की विधि अपनाई जाती है।
अपशिष्ट प्रबन्धन की विधियाँ-अपशिष्ट प्रबंधन सामग्री के प्रकार, स्थान, उपलब्ध क्षेत्र इत्यादि के अनुसार अलग-अलग प्रकार का होता है। प्रबन्धन के अन्तर्गत सामान्यतः इसका वर्णन निम्न प्रकार से किया जाता है
पुनर्चक्रण हेतु प्रायः एल्युमीनियम पेय के डिब्बे, इस्पात, भोजन व एयरोसोल के डिब्बे, काँच की सामग्री, गत्ते के डिब्बे, पत्रिकाओं का उपयोग किया जाता है। वर्तमान में यह कचरा नई सामग्री के निर्माण में अधिक उपयोगी है। प्राकृतिक जैविक अपशिष्ट पदार्थ जैसे पौधे की सामग्री, बचा हुआ भोजन, कागज, ऊन आदि का प्रयोग कम्पोस्ट खाद, वर्मी कम्पोस्ट, जैविक खाद बनाने में किया जाता है तथा इस प्रक्रिया से उत्पन्न गैस से विद्युत बनाई जाती है।
RMLAU Result 2024 Declared: Check UG and PG Odd Semester Results at rmlau.ac.in The Dr.…
Rupal Rana's achievement of securing All India Rank 26 in the UPSC exams is not…
UPSC Calendar 2025 Released at upsc.gov.in: Check CSE, NDA, CDS, and Other Exam Notification, Application,…
JSSC Teacher Admit Card 2024 Released at jssc.nic.in: Download JPSTAACCE Call Letter Here The Jharkhand…
NCERT Class 6 English Unit 9 – What Happened To The Reptiles Exercise Questions (Page…
NCERT Class 6 English Chapter 10 A Strange Wrestling Match A STRANGE WRESTLING MATCH NCERT…