Categories: ScienceUncategorized

Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 12 प्रमुख प्राकृतिक संसाधन

0
(0)

Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 12 प्रमुख प्राकृतिक संसाधन

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
खेजड़ली के बलिदान से सबंधित है
(क) बाबा आमटे
(ख) सुन्दरलाल बहुगुणा
(ग) अरुन्धती राय
(घ) अमृता देवी

प्रश्न 2.
भू-जल संकट के कारण हैं
(क) जल-स्रोतों का प्रदूषण
(ख) भू-जल का अतिदोहन
(ग) जल की अधिक मांग
(घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 3.
लाल आंकड़ों की पुस्तक सम्बन्धित है
(क) संकटग्रस्त वन्य जीवों से
(ख) दुर्लभ वन्य जीवों से
(ग) विलुप्त जातियों से
(घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4.
सरिस्का अभयारण्य स्थित है
(क) अलवर में
(ख) जोधपुर में
(ग) जयपुर में
(घ) अजमेर में

प्रश्न 5.
सर्वाधिक कार्बन की मात्रा उपस्थित होती है
(क) पीट में
(ख) लिग्नाइट में
(ग) एन्थेसाइट में
(घ) बिटुमिनस में

उत्तरमाला-
1. (घ)
2. (घ)
3. (घ)
4. (क)
5. (ग)।

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 6.
संकटापन्न जातियों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
वे जातियाँ जिनके संरक्षण के उपाय नहीं किये गये तो निकट भविष्य में समाप्त हो जायेंगी।

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय उद्यान क्या है?
उत्तर-
राष्ट्रीय उद्यान वे प्राकृतिक क्षेत्र हैं, जहाँ पर पर्यावरण के साथ-साथ वन्य जीवों एवं प्राकृतिक अवशेषों का संरक्षण किया जाता है।

प्रश्न 8.
सिंचाई की विधियों के नाम बताइये।
उत्तर-
सिंचाई फव्वारा विधि व टपकन विधि से की जाती है।

प्रश्न 9.
उड़न गिलहरी किस वन्य जीव अभयारण्य में पायी जाती है?
उत्तर-
सीतामाता तथा प्रतापगढ़ अभयारण्यh

प्रश्न 10.
पेट्रोलियम के घटकों के नाम लिखो।
उत्तर-
पेट्रोल, डीजल, केरोसीन, प्राकृतिक गैस, वेसलीन, स्नेहक आदि पेट्रोलियम के घटक होते हैं, जिन्हें आसवन विधि द्वारा पृथक् किया जाता है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 11.
जल संरक्षण व प्रबंधन के तीन सिद्धांत बताइये।
उत्तर-
जल संरक्षण व प्रबंधन के तीन महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त निम्न प्रकार से

  • जल की उपलब्धता बनाए रखना।
  • जल को प्रदूषित होने से बचाना।
  • संदूषित जल को स्वच्छ करके उसका पुनर्चक्रण करना।

प्रश्न 12.
सामाजिक वानिकी क्या है?
उत्तर-
सामाजिक वानिकी के अन्तर्गत वनों के क्षेत्र में विस्तार किया जाता है। ताकि गाँव वालों को चारा, जलाऊ लकड़ी व गौण वनोत्पाद प्राप्त हो सके। तात्पर्य यह है कि वनों से समाज के व्यक्तियों को उनकी आवश्यकता की पूर्ति हो सके।
सामाजिक वानिकी के निम्न तीन प्रमुख घटक हैं

  • कृषि वानिकी (Agro-Forestry)
  • वन विभाग द्वारा नहरों, सड़कों, अस्पताल आदि सार्वजनिक स्थानों पर सामुदायिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वृक्षारोपण करना।
  • ग्रामीणों द्वारा सार्वजनिक भूमि पर वृक्षारोपण।

प्रश्न 13.
कोयले के प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर-
नमीरहित कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयले को निम्नलिखित चार प्रकारों में बाँटा गया है

  1. एन्थ्रेसाइट (94-98%)
  2. लिग्नाइट (28-30%)
  3. बिटूमिनस (78-86%)
  4. पीट (27%)

प्रश्न 14.
सतत् पोषणीय विकास से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
किसी भी संसाधन का प्रयोग सतर्क होकर करना चाहिए ताकि उस वस्तु का प्रयोग न केवल हम कर सकें बल्कि जिसका प्रयोग आने वाले समय की पीढ़ी भी अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कर सके।

प्रश्न 15.
वन्य जीव संरक्षण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
वन्य जीव-जन्तुओं के लिए प्रयुक्त होता है जो प्राकृतिक आवास में निवास करते हैं, जैसे हाथी, शेर, गैंडा, हिरण इत्यादि । किन्तु व्यापक रूप से ‘वन्य जीव’ प्रकृति में पाये जाने वाले सभी जीव-जन्तुओं एवं पेड़-पौधों की जातियों हेतु प्रयुक्त किया जाता है। वर्तमान में मानव के द्वारा ऐसे कारण उत्पन्न कर दिये गये हैं, जिससे वन्य जीवों का अस्तित्व समाप्त हो रहा है। इसलिए वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए 1972 में वन्य जीवन सुरक्षा अधिनियम बनाया गया है। वन्य जीवों की पूर्ण सुरक्षा तथा विलुप्त होने वाले जन्तुओं को संरक्षण प्रदान करना इसका मुख्य उद्देश्य है।

निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 16.
जल संरक्षण व प्रबंधन के उपाय लिखिए।
उत्तर-
जल एक चक्रीय संसाधन है। यदि इसका युक्तियुक्त उपयोग किया जाए तो इसकी कमी नहीं होगी। जल का संरक्षण जीवन का संरक्षण है। जल संरक्षण हेतु निम्नलिखित उपाय किये जाने चाहिए

  • जल को बहुमूल्य राष्ट्रीय सम्पदा घोषित कर उसका समुचित नियोजन किया जाना चाहिए।
  • वर्षा जल संग्रहण विधियों द्वारा जल का संग्रहण किया जाना चाहिए।
  • घरेलू उपयोग में जल की बर्बादी को रोका जाना चाहिए।
  • भू-जल का अतिदोहन नहीं किया जाना चाहिए।
  • जल को प्रदूषित होने से रोकना चाहिए।
  • जल को पुनर्चक्रित कर उपयोग में लिया जाना चाहिए।
  • बाढ़ नियंत्रण व जल के समुचित उपयोग हेतु नदियों को परस्पर जोड़ा जाना चाहिए।
  • सिंचाई फव्वारा विधि व टपकन विधि से की जानी चाहिए।
    इस दिशा में समाकलित जल संभर प्रबन्धन द्वारा जल संसाधनों का वैज्ञानिक प्रबंधन करना चाहिए व इसके साथ-साथ वर्षा जल का संग्रहण करके भू-जल का स्तर बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए।

प्रश्न 17.
वन संरक्षण के उपायों पर प्रकाश डालिये।
उत्तरे-
वन इस पृथ्वी पर जीवन का आधार हैं । वनों की अंधाधुंध कटाई से पर्यावरण व प्राकृतिक संसाधनों का क्षेय, मृदा अपरदन, वनीय जीवन का विनाश, जलवायु में परिवर्तन, मरुस्थलीकरण, प्रदूषण में वृद्धि हो रही है। अतः वनों के संरक्षण हेतु निम्न उपाय अपनाये जा सकते हैंht

  • वनों की एक निश्चित सीमा तक कटाई की जानी चाहिए, वन काटने व वृक्षारोपण की दरों में समान अनुपात होना चाहिए।
  • वनों की आग से सुरक्षा की जानी चाहिए। अतः इसके लिए निरीक्षण गृह व अग्नि रक्षा पथ बनाने चाहिए।
  • वनों को हानिकारक कीटों से दवा छिड़ककर तथा रोगग्रस्त वृक्षों को हटाकर रक्षा की जानी चाहिए।
  • विविधतापूर्ण वनों को एकरूपतापूर्ण वनों से अधिक प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
  • कृषि व आवास के लिए वन उन्मूलन एवं झूम पद्धति की कृषि पर रोक लगाई जानी चाहिए।
  • वनों की कटाई को रोकने के लिए ईंधन व इमारती लकड़ी के नवीन वैकल्पिक स्रोतों को काम में लिया जाना चाहिए।
  • वनों के महत्त्व के विषय में जनचेतना जागृत की जाये। चिपको आंदोलन, शांत घाटी क्षेत्र आदि इसी जागरूकता के परिणाम हैं। वन संरक्षण में सामाजिक व स्वयंसेवी संस्थाओं की महती भूमिका है।
  • बाँधों एवं बहुउद्देशीय योजनाओं को बनाते समय वन संसाधन संरक्षण का ध्यान रखना चाहिए।
  • सामाजिक वानिकी को प्रोत्साहन देना चाहिए तथा वन संरक्षण के नियमों एवं कानूनों की सख्ती से अनुपालना होनी चाहिए।

प्रश्न 18.
वन्य जीवों के विलुप्त होने के कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
वर्तमान में मानव के द्वारा ऐसे कारण उत्पन्न कर दिये गये हैं, जिससे वन्य जीवों का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है। मानव के अतिरिक्त कुछ प्राकृतिक कारण भी हैं, जिससे वन्य जीव संकटग्रस्त हैं। वन्य जीवों के विलुप्त होने के निम्नलिखित कारण हैं
(अ) प्राकृतिक आवासों का नष्ट होना-वन्य जीवों के प्राकृतिक आवासों के नष्ट होने के अनेक कारण हैं, उनमें प्रमुख कारण निम्न प्रकार से हैंh

  • जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि होने के फलस्वरूप मानव की आवश्यकतायें बढ़ती गईं । मानव ने आवास, कृषि, उद्योगों हेतु वन भूमि का उपयोग किया जिससे जीवों के प्राकृतिक आवास पर संकट उत्पन्न हो गया।
  • बहुत बड़ी जल परियोजनाओं जैसे भाखड़ा नांगल, टिहरी बाँध, व्यास परियोजना इत्यादि से वन भूमि पानी में डूबती गई, जिससे वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास नष्ट होने लगे।
  • जंगलों में खनन कार्य, पर्यावरण प्रदूषण से उत्पन्न अम्लीय वर्षा आदि से भी प्राकृतिक आवास नष्ट हुए।
  • समुद्रों में तेल टैंकरों से तेल का रिसाव समुद्री जीवों के आवास को नष्ट कर रहा है।
  • ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण पृथ्वी के आसपास वातावरण गर्म होता जा रहा है जिससे जैव विविधता नष्ट हो रही है।

(ब) वन्य जीवों का अवैध शिकार।
(स) प्रदूषण।
(द) मानव तथा वन्य जीवों में संघर्ष।
उपरोक्त कारणों के अतिरिक्त प्राकृतिक, आनुवांशिक एवं मानव जनित अनेक कारण भी वन्य जीवों के विनाश हेतु उत्तरदायी हैं।

प्रश्न 19.
राजस्थान में पारम्परिक जल संग्रहण की विभिन्न पद्धतियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
राजस्थान में जल संग्रहण की निम्नलिखित पारम्परिक पद्धतियों का प्रचलन है

  1. खडीन-
    यह एक मिट्टी का बना हुआ अस्थायी तालाब होता है, इसे किसी ढाल वाली भूमि के नीचे बनाते हैं। इसके दोनों ओर मिट्टी की दीवार (धोरा) तथा तीसरी ओर पत्थर से बनी मजबूत दीवार होती है। जल की अधिकता पर खडीन भर जाता है तथा जल आगे वाली खडीन में चला जाता है। खडीन में जल के सूख जाने पर, इसमें कृषि की जाती है।
  2. तालाब-
    राजस्थान में प्रायः वर्षा के जल का संग्रहण तालाब में किया जाता है। यहाँ स्त्रियों व पुरुषों के नहाने के पृथक् से घाट होते हैं। तालाब की तलहटी में कुआं बना होता है, जिसे बेरी कहते हैं। जल संचयन की यह प्राचीन विधि आज भी अपना महत्व रखती है। इससे भूमि जल का स्तर बढ़ता है।
  3. झील-
    राजस्थान में प्राकृतिक व कृत्रिम दोनों प्रकार की झीलें पाई जाती हैं। इसमें वर्षा का जल संग्रहित किया जाता है। झीलों में से पानी रिसता रहता है। जिससे आसपास के कुओं, बावड़ी, कुण्ड आदि का जलस्तर बढ़ जाता है।
  4. बावड़ी-
    राजस्थान में बावड़ियों का अपना स्थान है। यह जल संग्रहण करने का प्राचीन तरीका है। यह गहरी होती है व इसमें उतरने के लिए सीढ़ियाँ एवं तिबारे होते हैं तथा यह कलाकृतियों से सम्पन्न होती है।
  5. टोबा-
    थार के मरुस्थल में टोबा वर्षा के जल संग्रहण का मुख्य पारम्परिक स्रोत है। यह नाडी की जैसा होता है परन्तु नाडी से गहरा होता है।

प्रश्न 20.
चिपको आन्दोलन पर लेख लिखिए।
उत्तर-
इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य वृक्षों को काटने से रोकना था। अतः चिपको आन्दोलन वनों की सुरक्षा में उठाया गया एक प्रगतिशील कदम था। इस आन्दोलन को प्रारम्भ राजस्थान के जोधपुर जिले के खेजड़ली गाँव से हुआ था जहाँ अमृता देवी के साथ 363 बिश्नोई स्त्री, पुरुषों एवं बच्चों ने अपना बलिदान दिया था।

1730 AD में जोधपुर के तत्कालीन महाराजा के महल निर्माण के लिए लकड़ियों की आवश्यकता हुई तो उनके सेवक खेजड़ली गाँव के खेजड़ी वृक्षों की कटाई करने लगे । गाँव की अमृता देवी ने इस कटाई का विरोध किया तथा अमृतादेवी व उनकी तीन पुत्रियाँ पेड़ों से चिपक गईं। सैनिकों ने वृक्षों की कटाई के साथ अमृतादेवी व उनकी तीनों पुत्रियों को भी काट दिया। इस घटना को देखकर गाँव के अन्य व्यक्ति भी पेड़ों से आकर चिपकते रहे और अपना बलिदान देते रहे। इस प्रकार वृक्षों की रक्षा करते हुए 363 लोगों ने अपना बलिदान दे दिया। महाराजा को इस प्रकार के बलिदान की जानकारी होने पर तुरन्त वृक्षों की कटाई को रोक दिया गया। आज भी बिश्नोई समाज पेड़-पौधों व वन्य प्राणियों के संरक्षण हेतु दृढ़ संकल्पित है।

वृक्षों की कटाई के विरोध में वृक्षों से चिपकने के कारण ही इस आन्दोलन का नाम चिपको रखा गया। खेजड़ली का बलिदान आज वनों की सुरक्षा हेतु आदर्श है। खेजडी के वृक्ष आज भी बलिदान की याद दिलाते हैं एवं प्रेरणा प्रदान करते हैं। खेजड़ी को राजस्थान का सागवान वे थार का कल्पवृक्ष माना जाता है।

खेजड़ली के बलिदान पश्चात् 1973 में उत्तराखण्ड में भी महिलाओं ने वृक्षों की सुरक्षा के लिए ‘चिपको आन्दोलन चलाया। यह आन्दोलन 8 वर्षों तक चला व बाद में सरकार ने 1981 में हरे वृक्षों की कटाई पर प्रतिबन्ध लगा दिया। इस आन्दोलन की बागडोर सुन्दरलाल बहुगुणा के हाथों में थी। इसी प्रकार का आन्दोलन कर्नाटक में भी चला जिसका नाम ‘एप्पिको’ था।

प्रश्न 21.
प्राकृतिक संसाधन किसे कहते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
अथवा
प्राकृतिक संसाधनों को कितनी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है? विस्तार से. समझाइए।
उत्तर-
मानव के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उपयोग में आने वाली हर वस्तु संसाधन कहलाती है। जो संसाधन हमें प्रकृति से प्राप्त होते हैं तथा जिनका प्रयोग हम सीधा अर्थात् उसमें कोई भी बदलाव किये बिना करते हैं, प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं।
प्राकृतिक संसाधनों को निम्न प्रकारों में बाँटा जा सकता है

  • विकास एवं प्रयोग के आधार पर
  • उद्गम या उत्पत्ति के आधार पर
  • भण्डारण या वितरण के आधार पर
  • नव्यकरणीयता के आधार पर।

इनका विस्तृत वर्णन निम्न प्रकार है

  1. विकास एवं प्रयोग के आधार पर-इन्हें भी दो भागों में विभक्त किया जा सकता है
    (अ) वास्तविक संसाधन-
    ये वे संसाधन हैं जिनकी मात्रा हमें ज्ञात है तथा जिनका उपयोग अभी वर्तमान में हम कर रहे हैं, ये वस्तुएँ वास्तविक संसाधन कहलाती हैं। उदाहरण-पश्चिम एशिया में खनिज तेल की मात्रा, जर्मनी में कोयले की मात्रा तथा महाराष्ट्र में काली मिट्टी की मात्रा इत्यादि।
    (ब) सम्भाव्य संसाधन-
    ये वे संसाधन हैं जिनकी मात्रा का अनुमान नहीं लगा सकते व जिनका उपयोग अभी नहीं किया जा रहा है परन्तु आगे आने वाले समय में कर सकते हैं। इन्हें सम्भाव्य संसाधन कहते हैं। उदाहरणार्थ 20 वर्ष पहले तेजी से चलने वाली पवन चक्कियाँ एक सम्भाव्य संसाधन थीं परन्तु आधुनिक समय में तकनीकी प्रगति के कारण ही हम पवन चक्कियों का प्रयोग आज कर पा रहे हैं। लद्दाख में उपलब्ध यूरेनियम भी एक सम्भाव्य संसाधन है जिसका प्रयोग हम आने वाले समय में कर सकते हैं।
  2. उद्गम या उत्पत्ति के आधार पर-इसे भी दो भागों में बाँटा जा सकता है-
    (अ) जैव संसाधन-
    सजीव या जीवित वस्तुएँ जैव संसाधन हैं। उदाहरण-जीव-जन्तु, पेड़-पौधे, मानव आदि।
    (ब) अजैव संसाधन-
    निर्जीव वस्तुएँ अजैव संसाधन हैं। उदाहरण-वायु, मृदा, प्रकाश आदि।
  3. भण्डारण या वितरण के आधार पर-इन्हें भी दो भागों में बाँटा गया
    (अ) सर्वव्यापक-
    वे वस्तुएँ जो सभी स्थानों पर सुलभता से उपलब्ध हों, उन्हें सर्वव्यापक संसाधन कहते हैं, जैसे-वायु ।
    (ब) स्थानिक संसाधन-
    वे वस्तुएँ जो कुछ ही स्थानों पर उपलब्ध होती हैं, उन्हें स्थानिक संसाधन कहते हैं, जैसे-ताँबा, लौह अयस्क आदि।
  4. नव्यकरणीयता के आधार पर-इस आधार पर संसाधन दो प्रकार के होते हैं
  • नवीकरणीय संसाधन-वे वस्तुएँ जिनका निर्माण तथा प्रयोग दुबारा किया जा सकता है तथा जिन वस्तुओं की पूर्ति दुबारा आसानी से हो सकती है, वे वस्तुएँ नवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं। नवीकरणीय संसाधन असीमित होते हैं। उदाहरण-सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा ।।
  • अनवीकरणीय संसाधन-वे वस्तुएँ जिनका भण्डार सीमित होता है। तथा जिनके निर्माण होने की आशा बिल्कुल नहीं रहती या निर्माण होने में बहुत अधिक समय लगता है, अनवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं। उदाहरण-पेट्रोलियम, कोयला, प्राकृतिक गैस ।।

हमें किसी भी संसाधन का लापरवाही से प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि लगातार और अधिक प्रयोग करने से ये जल्दी समाप्त हो जाते हैं और आने वाली पीढ़ियाँ इनका प्रयोग नहीं कर पायेंगी।

प्रश्न 22.
IUCN द्वारा वर्गीकृत जातियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
वन्य-जीवन संरक्षण के अन्तर्गत विश्वव्यापी चेतना के कारण अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर 1948 में प्रकृति संरक्षण हेतु अन्तर्राष्ट्रीय संस्था IUCN (International Union for Conservation of Nature) का गठन हुआ। IUCN के द्वारा विलुप्ती के कगार पर पहुँच गई जातियों को लाल आँकड़ों की पुस्तक में प्रकाशित किया गया। IUCN ने निम्न पाँच जातियों को परिभाषित किया है, जिन्हें संरक्षण प्रदान करना है

  • विलुप्त जातियाँ-वे जातियाँ जो संसार से विलुप्त हो गई हैं तथा जीवित नहीं हैं, विलुप्त जातियों की श्रेणी में रखी हुई हैं, जैसे-डायनोसोर, रायनिया आदि।
  • संकटग्रस्त जातियाँ-ये वे जातियाँ हैं जिनके संरक्षण के उपाय नहीं किए गए तो वे निकट भविष्य में समाप्त हो जायेंगी, जैसे-गैण्डा, गोडावन, बब्बर शेर आदि।
  • सभेद्य जातियाँ-ये वे जातियाँ हैं जो शीघ्र ही संकटग्रस्त होने की स्थिति में हैं।
  • दुर्लभ जातियाँ-ये वे जातियाँ हैं जिनकी संख्या विश्व में बहुत कम है। तथा निकट भविष्य में संकटग्रस्त हो सकती हैं। ये सीमित क्षेत्रों में पाई जाती हैं। उदाहरण-हिमालय भालू, विशाल पाण्डा आदि।
  • अपर्याप्त ज्ञात जातियाँ-ये वे जातियाँ हैं जो पृथ्वी पर हैं किन्तु इनके वितरण के विषय में अधिक ज्ञान नहीं है।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सर्वव्यापक संसाधन है
(अ) जिंक
(ब) लोहा
(स) वायु
(द) लौह अयस्क

प्रश्न 2.
अनवीकरणीय संसाधन हैं
(अ) कोयला
(ब) पेट्रोलियम
(स) प्राकृतिक गैस
(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 3.
IUCN का गठन हुआ था
(अ) 1952 में
(ब) 1972 में
(स) 1948 में।
(द) 1986 में

प्रश्न 4.
विलुप्त जाति है
(अ) विशाल पाण्डा
(ब) रायनिया
(स) गोडावन
(द) गैण्डा

प्रश्न 5.
गिर राष्ट्रीय उद्यान स्थित है
(अ) असम में
(ब) गुजरात में
(स) उत्तराखण्ड में
(द) राजस्थान में

प्रश्न 6.
उत्तराख़ण्ड का राष्ट्रीय उद्यान है
(अ) सतपुड़ा
(ब) काजीरंगा
(स) कार्केट
(द) सुन्दरबन

प्रश्न 7.
जवाहर सागर, कोटा अभयारण्य में संरक्षण होता है
(अ) रीछ का
(ब) गोडावन का
(स) बघेरे का
(द) घड़ियाल का

Related Post

प्रश्न 8.
वह राज्य जिसमें काजीरंगा व मानस जैवमण्डल स्थित हैं
(अ) उत्तर प्रदेश
(ब) कर्नाटक
(स) असम
(द) केरल

प्रश्न 9.
एप्पिको’ आन्दोलन किस राज्य में हुआ था?
(अ) राजस्थान
(ब) उत्तर प्रदेश
(स) केरल
(द) कर्नाटक

प्रश्न 10.
वर्षा जल संग्रहण से सम्बन्धित है
(अ) ट्रोला
(ब) टोबा
(स) टीबा
(द) टीका

उत्तरमाला-
1. (स)
2. (द)
3. (स)
4. (ब)
5. (ब)
6. (स)
7. (द)
8. (स)
9. (द)
10. (ब)

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रकृति के अंधाधुंध दोहन के क्या दुष्परिणाम घट रहे हैं?
उत्तर-
अंधाधुंध दोहन के कारण हम अनेक प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा, भूस्खलन, महामारियाँ, भूकम्प, सुनामी को भोग रहे हैं।

प्रश्न 2.
थार का कल्पवृक्ष किसे कहते हैं ?
उत्तर-
खेजड़ी वृक्ष को थार का कल्पवृक्ष कहते हैं।

प्रश्न 3.
संरक्षण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
संसाधनों का अधिकाधिक समय तक अधिकाधिक मनुष्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अधिकाधिक उपयोग।

प्रश्न 4.
वन उन्मूलन का एक कारण बताइये।
उत्तर-
झूम खेती।

प्रश्न 5.
हमारे देश में किन राज्यों में झूम खेती की जाती है?
उत्तर-
नागालैण्ड, मिजोरम, मेघालय, अरुणाचल, त्रिपुरा तथा आसाम राज्य में झूम खेती की जाती है।

प्रश्न 6.
वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए किस वर्ष में वन्य जीवन सुरक्षा अधिनियम बनाया गया था?
उत्तर-
1972 में।

प्रश्न 7.
IUCN का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर-
International Union for Conservation of Nature.

प्रश्न 8.
संकटग्रस्त जातियों के दो उदाहरण बताइए।
उत्तर-
गैण्डा एवं गोडावन।।

प्रश्न 9.
भारत में अभी तक कितने जीवमण्डल निचय क्षेत्र घोषित किये जा चुके हैं?
उत्तर-
18 क्षेत्र।।

प्रश्न 10.
राजस्थान में पाये जाने वाले किन्हीं दो वन्य जीव अभयारण्य के नाम लिखिए।
उत्तर-

  • सरिस्का, अलवर तथा
  • कैलादेवी, करौली।

प्रश्न 11.
दो नवीकरणीय संसाधनों के नाम लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18 )
उत्तर-

  • सौर ऊर्जा
  • पवन ऊर्जा।

प्रश्न 12.
मनाली अभयारण्य किस राज्य में स्थित है? (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
उत्तर-
हिमाचल प्रदेश राज्य में स्थित है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संसाधनों के संरक्षण से क्या आशय है? समझाइए।
उत्तर-
संपदाओं या संसाधनों का योजनाबद्ध, समुचित और विवेकपूर्ण उपयोग ही उनका संरक्षण है। लेकिन संरक्षण का यह अर्थ कदापि नहीं है कि

  • प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग न कर उनकी रक्षा की जाए, अथवा
  • उनके उपयोग में कंजूसी की जाए, अथवा
  • उनकी आवश्यकता के बावजूद उन्हें भविष्य के लिए बचाकर रखा जाए।

वरन् संसाधनों के संरक्षण से तात्पर्य है कि संसाधनों का अधिकाधिक समय तक अधिकाधिक मनुष्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अधिकाधिक उपयोग सुनिश्चित किया जाये।

प्रश्न 2.
प्राकृतिक संसाधनों को कितने भागों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर-
प्राकृतिक संसाधनों को चार भागों में बाँटा जा सकता है

  1. विकास एवं प्रयोग के आधार पर-
    (a) वास्तविक संसाधन
    (b) संभाव्य संसाधन।
  2. उद्गम या उत्पत्ति के आधार पर-
    (a) जैव संसाधन
    (b) अजैव संसाधन
  3. भण्डारण या वितरण के आधार पर-
    (a) सर्वव्यापक संसाधन
    (b) स्थानिक संसाधन।
  4. नव्यकरणीयता के आधार पर-
    (a) नवीकरणीय संसाधन
    (b) अनवीकरणीय संसाधन।

प्रश्न 3.
खेजड़ली के चिपको आन्दोलन से प्रेरणा लेकर हमारे देश में और कहाँ पर इस प्रकार का आन्दोलन चला?
उत्तर-
खेजड़ली आन्दोलन की प्रेरणा से सन् 1973 में उत्तराखण्ड में महिलाओं ने वृक्षों की सुरक्षा हेतु ‘चिपको आन्दोलन चलाया। यह आन्दोलन 8 वर्षों तक चला, इस आन्दोलन के कारण सरकार ने 1981 में 1000 मीटर से ऊँचाई वाले क्षेत्रों में हरे पेड़ों की कटाई पर प्रतिबन्ध लगा दिया। इस आन्दोलन की बागडोर सुन्दरलाल बहुगुणा के पास थी। इसी प्रकार का आन्दोलन कर्नाटक में भी चला जिसका नाम ‘एप्पिको’ था। एप्पिको कन्नड़ भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है। चिपकना।

प्रश्न 4.
संसाधनों के संरक्षण की क्या आवश्यकता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
मानव अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विभिन्न संसाधनों का उपयोग करता आ रहा है। खाद्यान्नों एवं अन्य पदार्थों को प्राप्त करने के लिए उसने भूमि को जोता है, सिंचाई व शक्ति के विकास के लिए उसने वन्य पदार्थों तथा खनिजों का शोषण व उपयोग किया है। गत दो शताब्दियों में जनसंख्या तथा औद्योगिक उत्पादनों की वृद्धि तीव्र गति से हुई है। हमारी भोजन, वस्त्र, आवास, परिवहन के साधन, विभिन्न प्रकार के यंत्र, औद्योगिक कच्चे माल की खपत कई गुना बढ़ गयी है। इस कारण हम प्राकृतिक संसाधनों का तेजी से गलत व विनाशकारी ढंग से शोषण करते जा रहे हैं, जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने लगा है। यदि यह संतुलन नष्ट हुआ तो मानव का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जायेगा। अतः मानव के अस्तित्व एवं प्रगति के लिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण व प्रबंधन आवश्यक हो चला है।

प्रश्न 5.
झूम खेती किसे कहते हैं वे यह कहाँ पर की जाती है?
उत्तर-
वनों के विनाश में झूम खेती का अहम योगदान है। इस प्रकार की खेती आदिवासी करते हैं। झूम खेती के अन्तर्गत किसी क्षेत्र विशेष की वनस्पति को जलाकर राख कर दी जाती है, जिससे वहाँ की भूमि की उर्वरता बढ़ जाती है तथा आदिवासी दो-तीन वर्षों तक अच्छी फसल प्राप्त कर लेते हैं । उर्वरता कम होने पर उस स्थान को छोड़ देते हैं तथा यही विधि अन्य स्थान पर फिर से अपनाई जाती है। हमारे देश में नागालैण्ड, मिजोरम, मेघालय, अरुणाचल, त्रिपुरा तथा आसाम में आदिवासी झूम खेती को अपनाते हैं ।

प्रश्न 6.
समाकलित जल संभर प्रबंधन को समझाइए।
उत्तर-
जल संभर प्रबंधन के अन्तर्गत किसी क्षेत्र विशेष की भूमि व जल प्रबंधन हेतु कृषि, वानिकी, तकनीकों का सम्मिलित प्रयोग होता है। जल संभर एक ऐसा क्षेत्र है जिसका जल एक बिन्दु की ओर प्रवाहित होता है। यह एक भू-आकृति इकाई है, सहायक नदी का बेसिन है, जिसका उपयोग सुविधानुसार छोटे प्राकृतिक क्षेत्रों में समन्वित विकास हेतु किया जा सकता है। वस्तुतः जल संभर प्रबंधन समग्र विकास की सोच है, इससे मिट्टी और आर्द्रता का संरक्षण, बाढ़ नियंत्रण, जल संग्रहण, वृक्षारोपण, उद्यान चरागाह विकास, सामाजिक वानिकी आदि कार्यक्रम सम्मिलित हैं। भारत में जल संभर विकास कार्यक्रम कृषि, ग्रामीण विकास तथा पर्यावरण वन मंत्रालय के सहयोग से संचालित है।

प्रश्न 7.
बायोडीजल पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
बायोडीजल जैविक स्रोतों से प्राप्त तथा डीजल के समतुल्य ईंधन है। इसका निर्माण नवीकरणीय स्रोतों से होता है। परम्परागत डीजल, इंजनों को बिना परिवर्तन किये चला सकता है। यह परम्परागत ईंधनों का एक स्वच्छ विकल्प है अतः इसे भविष्य का ईंधन माना जा रहा है। यह विषैला नहीं होता तथा जैवनिम्नीकरणीय है। बायोडीजल अन्य जीवाश्मी ईंधनों की जैसे पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं है। राजस्थान सरकार ने प्रदेश में बायोडीजल की व्यावसायिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए बायोफ्यूल मिशन और बायोफ्यूल अथॉरिटी का गठन किया है।

प्रश्न 8.

  1. झूम-खेती किस प्रकार वन उन्मूलन को बढ़ावा देती है? समझाइये।
  2. विलुप्ति के कगार पर पहुँच गई जातियों का संकलन जिस पुस्तक में किया गया है, उसका नाम क्या है?(माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18 )

उत्तर-

  1. झूम खेती वन उन्मूलन को बढ़ावा देती है। इस प्रकार की खेती में किसी क्षेत्र विशेष की वनस्पति जलाकर राख कर दी जाती है, जिससे वहाँ की भूमि में उर्वरता की वृद्धि होने से दो-तीन वर्ष अच्छी फसल ली जाती है। उर्वरता कम होने पर अन्य क्षेत्र में यही विधि अपनाई जाती है। इस प्रकार बार-बार स्थान बदल-बदल कर वनस्पति को जलाने से झूम खेती वन-उन्मूलन को बढ़ावा देती है।
  2. विलुप्ति के कगार पर पहुँच गई जातियों का संकलन जिस पुस्तक में किया गया है, उसका नाम है-लाल आँकड़ा पुस्तक (Red Data Book)।

प्रश्न 9.
झूम खेती से क्या तात्पर्य है? सामाजिक वानिकी के दो प्रमुख घटकों के नाम लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
उत्तर-
इस प्रकार की खेती में किसी क्षेत्र विशेष की वनस्पति को जलाकर राख कर दी जाती है जिसमें वहाँ की भूमि की उर्वरता में वृद्धि होने से दो-तीन वर्ष अच्छी फसल ली जाती है। उर्वरता कम होने पर अन्य क्षेत्र में यही विधि अपनाई जाती है।

कृषि वानिकी तथा वन विभाग द्वारा नहरों, सड़कों, अस्पताल आदि सार्वजनिक स्थानों पर सामुदायिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वृक्षारोपण करना इत्यादि सामाजिक वानिकी के दो प्रमुख घटक हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वन्य जीव संरक्षण हेतु क्या-क्या उपाय किये गये हैं? समझाइए।
उत्तर-
वन्य जीवों के संरक्षण के लिए भारत में सन् 1972 में वन्य जीवन सुरक्षा अधिनियम बनाया गया है। वन्य जीवन के संरक्षण की दृष्टि से कुछ सुरक्षित क्षेत्र स्थापित किये गये। इनमें राष्ट्रीय पार्क, वन्य जीव अभयारण्य, बायोस्फियर रिजर्व प्रमुख हैं।

राष्ट्रीय पार्क (National park)-राष्ट्रीय पार्क वे प्राकृतिक क्षेत्र हैं जहाँ पर पर्यावरण के साथ-साथ वन्य जीवों का संरक्षण किया जाता है। इनमें पालतू पशुओं की चराई पर पूर्ण प्रतिबंध होता है व प्राइवेट संस्था द्वारा निजी कार्यों के लिए प्रवेश निषेध है। यद्यपि इनका कुछ भाग पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए विकसित किया जा सकता है। इनका नियंत्रण, प्रबंधन एवं नीति निर्धारण केन्द्र सरकार के अधीन होता है। भारत में अभी तक 166 राष्ट्रीय उद्यान स्थापित किये जा चुके हैं।

भारत के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान

नामराज्य
1. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यानअसम
2. गिर राष्ट्रीय उद्यानगुजरात
3. ग्रेट हिमालय राष्ट्रीय उद्यानहिमाचल प्रदेश
4. बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यानकर्नाटक
5. सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यानमध्यप्रदेश
6. सुन्दरबन राष्ट्रीय उद्यानपश्चिम बंगाल
7. रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यानराजस्थान
8. केवला देवी राष्ट्रीय उद्यानराजस्थान
9. कार्बेट राष्ट्रीय उद्यानउत्तरांचल

अभयारण्य (Sanctuary)-अभयारण्य भी संरक्षित क्षेत्र हैं, इनमें वन्य जीवों के शिकार एवं आखेट पर पूर्ण प्रतिबंध होता है। इनमें निजी संस्थाओं को उसी स्थिति में प्रवेश दिया जाता है, जब उनके क्रियाकलाप रचनात्मक हों एवं इससे वन्य जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता हो। भारत में अब तक 515 वन्य जीव अभयारण्य स्थापित किये जा चुके हैं। भारत में स्थित कुछ अभयारण्य हैं—नार्गाजुन सागर (आन्ध्रप्रदेश), हजारी बाग प्राणी विहार (बिहार), नाल सरोवर प्राणी विहार (गुजरात), मनाली अभयारण्य (हिमाचल प्रदेश), चन्द्रप्रभा प्राणी विहार (उत्तरप्रदेश), केदारनाथ प्राणी विहार (उत्तराखण्ड)। राजस्थान में स्थित कुछ अभयारण्य निम्नलिखित हैं

राजस्थान के वन्य जीव अभयारण्य एवं प्रमुख वन्य जीव

वन्य जीव अभयारण्यप्रमुख वन्य जीव
1. सरिस्का, अलवरहिरण, गोडावन
2. दर्रा, कोटाबघेरा
3. माउंट आबू, सिरोहीजंगली मुर्गे
4. तालछापर, चूरूकाला हिरण
5. जवाहर सागर, कोटाघड़ियाल
6. सीता माता, प्रतापगढ़उड़न गिलहरी
7. कैला देवी, करौलीरीछ
8. नाहरगढ़, जयपुरतेंदुआ, सियार

जीवमण्डल निचय या बायोस्फियर रिजर्व (Biosphere reserve)-ये वे प्राकृतिक क्षेत्र हैं जो वैज्ञानिक अध्ययन हेतु शांत क्षेत्र घोषित हैं। अब तक 128 देशों में 669 बायोस्फियर रिजर्व स्थापित किये जा चुके हैं जिनमें से भारत में 18 क्षेत्र हैं। भारत में प्रथम बायोस्फियर रिजर्व 1986 में नीलगिरी में अस्तित्व में आया।

उदाहरण-राजस्थान-थार रेगिस्तान, मध्य प्रदेश-कान्हा, प. बंगाल-सुन्दरबन, उत्तर प्रदेश-नन्दा देवी, असम-काजीरंगा एवं मानस तथा अण्डमान निकोबार द्वीप समूह-ग्रेट, निकोबार इत्यादि।

प्रश्न 2.
जीवाश्म ईंधन का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कोयला एवं पेट्रोलियम दोनों जीवाश्म ईंधन हैं।
(अ) कोयला-
यह एक ठोस कार्बनिक पदार्थ है। यह ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। कुल प्रयुक्त ऊर्जा का 35-40 प्रतिशत भाग कोयले से प्राप्त होता है। विभिन्न प्रकार के कोयले में कार्बन की मात्रा अलग-अलग होती है। कोयले से अन्य दहनशील व उपयोगी पदार्थ भी प्राप्त किये जाते हैं। वर्षों पूर्व वनस्पति के भूमि के नीचे दबने के कारण कालान्तर में कोयले का निर्माण हुआ। भूगर्भ में उच्च ताप व दबाव के कारण ये जीवावशेष कोयले में परिवर्तित हो गए। कोयले में कार्बन के अंतिरिक्त हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, फॉस्फोरस तथा गंधक भी होता है। नमीरहित कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयले को चार श्रेणियों में बाँटा गया हैएन्थ्रेसाइट (94-98%), बिटूमिनस (78-86%), लिग्नाइट (28-30%) तथा पीट (27%) । हवा की अनुपस्थिति में 1000-1400 डिग्री सेल्सियस पर गर्म करने पर कोलतार, कोल गैस, अमोनिया प्राप्त होता है। भारत में कोयला मुख्यतः झारखण्ड, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल व आन्ध्रप्रदेश में पाया जाता है।

(ब) पेट्रोलियम-
इसका निर्माण भी कोयले की भाँति वनस्पतियों एवं जीव-जन्तुओं के पृथ्वी के नीचे दबने तथा कालान्तर में उनके ऊपर उच्चदाब तथा ताप के आपतन के कारण हुआ। प्राकृतिक रूप में पाये जाने वाले पेट्रोलियम को अपरिष्कृत तेल, कच्चा तेल, चट्टानों का तेल आदि कहा जाता है। यह काले रंग का गाढ़ा द्रव होता है, जिसमें विभिन्न अवयवों को प्रभाजी आसवन विधि द्वारा पृथक् किया जाता है। प्रभाजी आसवन से पेट्रोल, डीजल, केरोसीन, प्राकृतिक गैस, वेसलीन, स्नेहक इत्यादि प्राप्त होते हैं।

ये दोनों ही जीवाश्म ईंधन हैं जो प्रकृति के अनवीकरणीय संसाधन हैं। इनके निर्माण में सैकड़ों वर्ष लगते हैं और प्रकृति में इनकी मात्रा सीमित है। इनका उपयोग बहुत ही विवेकपूर्ण, न्यायोचित तरीकों से करने की आवश्यकता है।

How useful was this post?

Aman

Recent Posts

HNGU Result 2023 Declared: Direct Link to Download UG and PG Result PDF

Hemchandracharya North Gujarat University (HNGU) has announced the results for various UG and PG courses,…

5 hours ago

Indian Army Ordnance Corps (AOC) Salary, Allowances, and Job Profile 2024: Complete Details

Are you interested in learning about the Indian Army Ordnance Corps (AOC) Salary, Allowances, and…

3 days ago

RMLAU Result 2024 Declared: Check UG and PG Odd Semester Results at rmlau.ac.in

RMLAU Result 2024 Declared: Check UG and PG Odd Semester Results at rmlau.ac.in The Dr.…

1 week ago

Rupal Rana: The Inspiring Journey to UPSC AIR 26 with Family Support

Rupal Rana's achievement of securing All India Rank 26 in the UPSC exams is not…

1 week ago

UPSC Calendar 2025 Released at upsc.gov.in

UPSC Calendar 2025 Released at upsc.gov.in: Check CSE, NDA, CDS, and Other Exam Notification, Application,…

1 week ago

JSSC Teacher Admit Card 2024 Released at jssc.nic.in

JSSC Teacher Admit Card 2024 Released at jssc.nic.in: Download JPSTAACCE Call Letter Here The Jharkhand…

1 week ago