इंटीरियर डिज़ाइनर कैसे बने Interior designer kaise bane in hindi क्या आप हमेशा अपने इंटीरियर के डिज़ाइन के लिए तारीफें बटोरते हैं? क्या आपको कमरों और फर्नीचर को सजाना अच्छा लगता हैं? अगर आपके लिए इन प्रश्नों का उत्तर ‘हाँ’ हैं, तो आप इंटीरियर डिज़ाइनर के रूप में अपना करियर बना सकते हैं.
चूँकि आप अपनी जिंदगी में क्या बनना चाहते हैं, यह एक बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न हैं और साथ ही इसका सही या गलत होना, दोनों ही परिस्थितियां जीवन को बदलकर रख देती हैं, अतः इंटीरियर डिज़ाइनर के रूप में अपना करियर बनाने का निर्णय लेने से पहले डिज़ाइन वर्ल्ड के बारे में जानकारी प्राप्त करना बहुत ज़रूरी हैं.
एक इंटीरियर डिज़ाइनर के रूप में आपको प्रतिदिन एक नयी चुनौती [Challenge] का सामना करना पड़ता हैं और इनमे से कुछ आपको बहुत अच्छी लगेंगी और कुछ आपको उबाऊ भी प्रतीत होंगी. इसलिए इसे अपने करियर की तरह अपनाने से पहले आवश्यक हैं कि आप कुछ बातों को जान ले, जिनका वर्णन नीचे किया जा रहा हैं -:
इंटीरियर डिज़ाइनर और इंटीरियर डेकोरेटर में क्या अंतर हैं ? अगर एक शब्द में कहा जाये तो वह हैं– ‘शिक्षा’.
हर वो व्यक्ति जिसे रंगों, कपड़ों आदि के साथ प्रयोग करना पसंद हैं, वह आसानी से इंटीरियर डेकोरेटर बन सकता हैं क्योंकि इसमें किसी अतिरिक्त ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती, परन्तु इंटीरियर डिज़ाइनर बनने के लिए आतंरिक खूबी के अलावा विधिवत् ज्ञानार्जन की भी आवश्यकता होती हैं.
इंटीरियर डिज़ाइनर बनने के लिए शिक्षा ग्रहण की जाती हैं, परन्तु सफल इंटीरियर डिज़ाइनर वहीँ बन सकता हैं, जिसमें विभिन्न जगहों के अनुसार और वहाँ की जरूरतों के अनुसार डिज़ाइन करने की क्षमता हो. कम साधनों में कैसे किसी स्थान को सुन्दर बनाया जा सकता हैं, इसका कौशल उस व्यक्ति में होना चाहिए.
इंटीरियर डिज़ाइनिंग में रंग, फेब्रिक और फ़र्निचर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं, परन्तु इंटीरियर डिज़ाइनर का काम केवल यहीं तक सीमित नहीं हैं. पेशेवर रूप में यहाँ मस्ती मजाक कम और काम ज्यादा हैं.
यदि आप ये सोचकर इस कोर्स को जॉइन करते हैं कि इस क्षेत्र में कमाई अच्छी हैं तो आप गलत विकल्प चुन रहे हैं. परन्तु इसका मतलब ये भी नहीं हैं कि इंटीरियर डिज़ाइनर बनने के बाद आपकी कोई कमाई ही नहीं होगी. वास्तव में इस क्षेत्र में आय कितनी होगी, ये विभिन्न बातों पर निर्भर करता हैं, जैसेकि आपने यह कोर्स कहाँ से किया हैं, आप किस कंपनी या फर्म के लिए काम कर रहे हैं, आपके प्रोजेक्ट का साइज़ क्या हैं, आप किस जगह काम कर रहे हैं अर्थात् आपकी लोकेशन क्या हैं, आदि. उदाहरण के तौर पर घर को सजाने वाले फर्नीचर आदि के क्षेत्र में इंटीरियर डिज़ाइन करने पर होने वाली आय और किसी आर्किटेक्चर फर्म के लिए इंटीरियर डिज़ाइन करने पर होने वाली आय में बहुत फर्क होगा. परन्तु आप अपने कार्य क्षेत्र को बढ़ाकर अपनी आय को भी बढ़ा सकते हैं.
अगर आप किसी अनुभवी इंटीरियर डिज़ाइनर से उसके अनुभवों के बारे में पूछेंगे, तो वो आपको अपने काम के साथ–साथ उसके क्लाइंट्स [Clients] के बारे में भी बताएगा, क्योंकि उसका काम लोगों के मन से और उनकी ख़ुशी से जुड़ा होता हैं. जैसे कुछ लोग किस प्रकार का डिज़ाइन चाहते हैं, वे साफ – साफ बता देते हैं, जबकि कुछ लोग ऐसे होते हैं कि उन्हें लगता हैं कि इंटीरियर डिज़ाइनर अपना सारा काम, उनके मन- मुताबिक करें और जब बात अपने घर की हो तो लोग बहुत छोटी–छोटी बातों का भी ध्यान रखते हैं, इसलिए इंटीरियर डिज़ाइनर को कभी–कभी मनः स्थिति जानने वाला [Mind Reader] भी बनना पड़ता हैं. इंटीरियर डिज़ाइनर को क्लाइंट की मनचाही डिज़ाइन के साथ–साथ, उसके बजट और अपने काम में सुगढ़ता और क्वालिटी वर्क का भी ध्यान रखना पड़ता हैं. ऐसा न हो कि जब काम पूरा हो तो क्लाइंट को ऐसा लगे कि उसने इंटीरियर डिज़ाइनर को काम देकर बिना मतलब धन खर्च किया. इसलिए जरुरी हैं कि आपके काम से क्लाइंट को अपने धन खर्च करने के प्रति अफसोस नहीं बल्कि ख़ुशी होनी चाहिए. अतः इसके लिए जरुरी हैं कि आपने यह कोर्स तो किया हो, परन्तु साथ ही साथ आप के अन्दर भी इसे सफलता पूर्वक करने की खूबी होना चाहिए.
आप किसी चीज़ के बारे में चाहे जितना कह ले, परन्तु दुसरे व्यक्ति को वो चीज़ तभी अच्छी तरह समझ आती हैं, जब वह उसे स्वयं देखें या उसकी प्रतिकृति (blueprint) देख सके. अतः आवश्यक हैं कि आप स्वयं के द्वारा किये गये प्रोजेक्ट्स का पोर्टफोलियो तैयार करें. पोर्टफोलियो के बिना इंटीरियर डिज़ाइनर के डिज़ाइन अधूरे से लगते हैं.
परन्तु ये तभी संभव हैं, जब आपने कोई प्रोजेक्ट किया हो. अगर आप अभी–अभी कोर्स पूरा करके मार्केट में खुद को जमाने [Establish] के लिए उतरे हैं, तो शुरुआत में आप अपनी आय पर नहीं, बल्कि अपने काम पर ध्यान लगाइए और शुरूआती प्रोजेक्ट्स में अपने क्लाइंट्स को अपनी सेवाओं के लिए कम चार्ज कीजिये, क्योंकि ये खुद की मार्केटिंग का अच्छा तरीका बन सकता हैं. साथ ही आपका पोर्टफोलियो भी तैयार हो जाएगा, जो आगे भविष्य में आपके भावी क्लाइंट्स पर आपका अच्छा प्रभाव डालेगा. इसके अलावा इसके पीछे एक तथ्य यह भी हैं कि एक महँगा प्रोजेक्ट करने से अच्छा हैं कि हम कम चार्ज करके, एक से अधिक प्रोजेक्ट पर काम करें, क्योंकि यदि एक बार हमारा काम लोगों को पसंद आने लगा तो फिर हमे एक के बाद एक प्रोजेक्ट तो मिलते ही जाएँगे और आय अपने आप ही बढ़ने लगेगी.
इंटीरियर डिजाइनिंग के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा [Competition is Fierce in Interior Design ] -: इंटीरियर डिज़ाइनर के रूप में व्यवसाय करने में भीषण प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए भी तैयार रहना आवश्यक हैं और इस प्रतिस्पर्धा में सबसे आगे निकलने के लिए आवश्यक हैं कि आपके कार्य को नोटिस किया जाये, आपके द्वारा किया गया कार्य लोगों को पसंद आये. इसमें आपके द्वारा तैयार किया गया पोर्टफोलियो आपकी मदद कर सकता हैं. अभी इस क्षेत्र में क्या नयापन आया हैं, कौनसा डिज़ाइन ज्यादा डिमांड में हैं, आदि सभी बातों में अपडेट रहकर आप आगे निकल सकते हैं. इसके साथ ही डिज़ाइन पब्लिकेशन पढ़कर, नये और पुराने डिज़ाइनर के संपर्क में रहकर, डिज़ाइन वेब – साईट, जैसे – Freshome, आदि को नियमित रूप से विज़िट करके, आप इस प्रतिस्पर्धा में बराबरी से खड़े हो सकते हैं और अपने हुनर और काबिलियत के सहारे सबसे आगे निकल सकते हैं.
आप एक इंटीरियर डिजाइनर हैं और आपको इस क्षेत्र में क्लाइंट से ज्यादा अनुभव हैं, इसका ये मतलब नहीं होता कि आप क्लाइंट के अनुसार काम करने की बजाय अपनी मर्जी और अपने काम का तरीका उन पर थोपने लगे. आप जहाँ काम कर रहें हैं, आप वहाँ से काम करके चले जाएँगे, परन्तु क्लाइंट को वहाँ हमेशा रहना हैं या काम करना हैं, इसलिए उसकी सुविधा के अनुसार काम होना जरुरी हैं और अपनी राय मनवाने से आपका ही नुकसान होगा क्योंकि हो सकता हैं कि वो क्लाइंट आपके हाथ से ही निकल जाये. आप अपने अनुभव और शिक्षा के आधार पर अपनी राय अवश्य दीजिये, परन्तु आप ऐसा ही काम कराने के लिए क्लाइंट को बाध्य नहीं कर सकते.
यदि आप उपरोक्त वर्णित बातों को पूरा कर पाते हैं तो आप इंटीरियर डिजाइनर बन सकते हैं.
इस चरण को पूरा करने के बाद इच्छुक व्यक्ति ये जानना चाहेंगे कि इंटीरियर डिजाइनर का काम आखिर होता क्या हैं ? सरल और सीधे शब्दों में कहा जाये तो घर या अपने व्यवसायिक स्थल को सजाना ही इंटीरियर डिजाइनर का काम हैं. वैसे तो यह बिल्कुल सही हैं, परन्तु इस कार्य को करने के लिए और क्या–क्या काम करने पड़ते हैं, ये भी इंटीरियर डिजाइनिंग के अंतर्गत ही आता हैं.
इंटीरियर डिजाइनर के काम को विस्तृत रूप से समझने के लिए निम्न बिन्दुओं को पढ़ना, कुछ मददगार साबित हो सकता हैं -:
काम के शौक के अलावा आखिरकार हम इसलिए काम करते हैं कि इससे हम कुछ कमा पाए. इस क्षेत्र में विभिन्न स्तरों पर आय भी बदलती जाती हैं -:
वही अगर हम भारत में इंटीरियर डिज़ाइनर की आय की बात करे तो, यह न्यूनतम रूप से रूपये 1,10,000/- तक होती हैं और अधिकतम यह रुपये 6,10,000/- तक जाती हैं और कम्पनी के पेय स्केल के अनुसार इसमें घट बढ़ संभव हैं. साथ ही कभी – कभी कमीशन आदि भी प्राप्त होते हैं.प्रवेश के लिए योग्यता [ Entry Requirements ] -:
एक सफल इंटीरियर डिजाइनर बनने के लिए आपके अन्दर उच्च स्तर की डिज़ाइन स्किल [Skill] होना चाहिए. इस खूबी को निखारने के लिए आपको कला [Art] अथवा डिज़ाइन संबधी विषयों में शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए. इसे प्राप्त करने पर आप एक प्रारंभिक चरण पार कर लेते हैं और आपको इसकी Foundation Degree मिल जाती हैं.
विभिन्न संस्थानों द्वारा इंटीरियर डिजाइनिंग कोर्स कराया जाता हैं और इनमें से कुछ संस्थान तो डिस्टेंस लर्निंग की सुविधा भी देते हैं. विभिन्न आवश्यकताओं के अनुरूप विभिन्न कोर्स होते हैं, जैसे -: फ़ाईन आर्ट, 3D डिज़ाइन, स्पेशल डिज़ाइन, इंटीरियर आर्कीटेक्चर, आदि. हर कोर्स के लिए अपनी अलग – अलग आवश्यकता होती हैं, जिसे आप सम्बंधित संस्थान या कॉलेज से पता कर सकते हैं.
क्रमांक | कोर्स का नाम | डिग्री |
1. | क्रिएटिव टेक्नीक – इंटीरियर | लेवल 2 सर्टिफिकेट / डिप्लोमा |
2. | इंटीरियर डिज़ाइन स्किल | लेवल 2/3 सर्टिफिकेट |
3. | डिज़ाइन एंड क्राफ्ट – इंटीरियर डेकोर | लेवल 2/3 सर्टिफिकेट |
4. | स्पेशल डिज़ाइन [ इंटीरियर्स ] | लेवल 3 डिप्लोमा |
5. | प्रोफेशनल इंटीरियर डिज़ाइन स्किल | लेवल 3 डिप्लोमा |
प्रशिक्षण और विकास [Training & Development] -:
यदि एक बार आपने इंटीरियर डिज़ाइनर या डिज़ाइन असिस्टेंट के रूप में काम करना प्रारंभ कर दिया, तो फिर आप अपनी योग्यता को और निखार सकते हैं और इस क्षेत्र में तरक्की कर सकते हैं. अगर आपने इस क्षेत्र में कोई विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया, तो इस प्रकार की ट्रेनिंग से आपका विकास संभव हैं, साथ ही आप इस ट्रेनिंग के साथ सम्बंधित कोर्स भी जॉइन कर सकते हैं, वह कोई डिग्री या डिप्लोमा कोर्स कुछ भी हो सकता हैं.
व्यवसायिक मेलों [Trade Fairs] में जाना, प्रोफेशनल संस्थान, जैसे ब्रिटिश इंस्टीटयूट ऑफ़ इंटीरियर डिज़ाइन और चार्टर्ड सोसाइटी ऑफ़ डिज़ाइनर, आदि से जुड़कर अपने व्यवसायिक संबंध बनाना और इनके अनुसार अपडेट रहना, विकास की राह से जुड़ने का माध्यम हो सकता हैं. इस प्रकार के संस्थानों से जुड़ना बहुत फायदेमंद होता हैं और इनसे कैसे लाभ प्राप्त किया जाये, ये जानकारी इनकी वेबसाइट पर उपलब्ध होती हैं.
अगर आप इंटीरियर डिज़ाइनर बनना चाहते हैं तो आपमें निम्न बातें होनी चाहिए -:
इंटीरियर डिज़ाइनर बनने हेतु प्रक्रिया [ Steps to becoming an Interior Designer ]-:
इंटीरियर डिज़ाइनर बनने के लिए निम्न चरणों को पूरा करना जरुरी हैं -:
यह लाइसेंस प्राप्त करने के लिए एक परीक्षा उत्तीर्ण करना होती हैं, जिसका नाम हैं “नेशनल काउन्सिल फॉर डिज़ाइन क्वालिफिकेशन [NCIDQ] एग्जाम”. इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने हेतु, विद्यार्थी के पास शिक्षा और अनुभव का कोम्बिनेशन होना जरुरी हैं. इसके अंतर्गत विद्यार्थी के पास बेचलर डिग्री और 2 साल की जॉब ट्रेनिंग का अनुभव होना चाहिए.
इंटीरियर डिजाइनर डेकोरेशन से जुड़ी सेवाएँ प्रदान करते हैं जैसे मकान, इमारत, भवन आदि को एक खुबसूरत लुक देना, इंटीरियर डिज़ाइनर का प्रमुख काम होता है। इसके अलावा इंटीरियर डिज़ाइनर की डिमांड अब केवल बड़े शहरो तक सिमित नही रह गया है बल्कि छोटे शहरो, गावं आदि में भी इंटीरियर डिज़ाइनर का डिमांड बहुत अधिक हो गया है।
इंटीरियर डिजाइनिंग लिए एक से तीन साल के अलग – अलग कोर्सेज होते हैं. इसमें आप अपनी सुविधा के अनुसार डिप्लोमा या डिग्री कोर्स कर सकते हैं.
Interior Designer बनने के लिए क्वालिफिकेशन किसी भी स्ट्रीम से 12वीं पास है। इसके बाद आप किसी अच्छे कॉलेज से Interior Designing course करें। आप एंटीरियर डिजाइनिंग में डिप्लोमा, डिग्री और मास्टर डिग्री जैसे कोर्स कर इस फील्ड में प्रवेश कर सकते हैं। कोर्स के बाद आप किसी एंटीरियर डिज़ाइन कंपनी में इंटर्नशिप करें।
समकालीन आंतरिक डिजाइन शैली । पारंपरिक इंटीरियर डिजाइनिंग स्टाइल । इंटीरियर डिजाइन की आधुनिक शैली । औद्योगिक इंटीरियर डिजाइन शैली ।
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