भारतीय रेलवे के महत्वपूर्ण नियम और भारतीय रेल्वे की विकल्प योजना | Indian Railway (train) important rules and regulation, Vikalp Scheme of Indian railway in hindi
रोजाना कई लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचने में भारतीय रेलवे उनकी मदद करती है. रेलवे का जाल पूरे भारत में फैला हुआ है. जिसके चलते भारत के 29 राज्य आपस में जुड़े हुए हैं. भारत में लगभग हर इंसान ने रेलवे के द्वारा सफर किया हुआ है, क्योंकि रेलवे के माध्यम से आप भारत के किसी भी शहर या कोने तक आसानी से जा सकते हैं. वहीं काफी लोगों को भारतीय रेलवे द्वारा यात्रा की टिकट और यात्रा से जुड़े बनाए गए नियमोँ के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है. जानकारी ना होने के चलते उन्हें कई दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है. वहीं आज हम अपने इस लेख में आपको भारतीय रेलवे द्वारा बनाए गए कुछ महत्वपूर्ण नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं. ताकि जब भी आप अगली बार भारतीय रेलवे द्वारा कोई सफर तय करें, तो आपको किसी नियम कोकर कोई परेशानी ना उठानी पड़े
भारतीय रेलवे के इतिहास पर अगर नजर डाली जाए ,तो भारत की प्रथम रेल गाड़ी साल 1853 में शुरू की गई थी. इस तारीख को पहली बार भारत की धरती पर रेल गाड़ी मुंबई से थाने के बीच चलाई गई थी. जिसके बाद धीरे-धीरे करते हुए रेलवे को पूरे भारत में शुरू किया गया और आज के समय में भारत के हर राज्य मे रेलवे की सुविधा पहुंच गई है.
हम सभी पीएनआर से परिचित हैं जैसे कि हम भारतीय रेल्वे से परिचित हैं. पीएनआर का पूरा नाम पैसेंजर नेम रिकॉर्ड हैं, और यह आपके टिकट बुक होने के बाद सिस्टम द्वारा स्वचालित रूप से जेनरेट किया गया 10 अंकों का नंबर होता है. यह रेल्वे स्टेशनों से बुक क्लासिक रेल्वे टिकटों पर होता है, यह बुक किये गए रेल्वे टिकट के ऊपर बाएँ कोने पर पाया जा सकता है. रेल्वे सिस्टम को सीआरएस के रूप में जाना जाता है जिसे सेंट्रल रिजर्वेशन सिस्टम यानि केन्द्रीय आरक्षण प्रणाली कहा जाता है. इसके डेटाबेस में यात्री का रिकॉर्ड होता है.
रेल्वे में एस एल का मतलब स्लीपर क्लास होता है. यह स्लीपर क्लास भारतीय रेल्वे पर सबसे आम कोच होता है. आमतौर पर स्लीपर क्लास के 10 या उससे अधिक कोच ट्रेन रेक से जोड़े जा सकते हैं. यह नियमित रूप से सोने के कोच हैं, जिसमें 3 बर्थ होती हैं. ब्रॉड गेज में, 72 यात्रियों को प्रति कोच में लिया जा सकता है. इस कोच में एयर कंडीशनिंग की सुविधा नहीं होती है.
रेल्वे में यात्रियों की सुविधाओं के लिए कुछ एयर कंडीशनिंग कोच भी होते हैं, जिसकी टिकट आम तौर पर सामान्य स्लीपर कोच की तुलना में थोड़ी अधिक होती है. किन्तु इसमें भी कई क्लास होती हैं जोकि इस प्रकार हैं –
आरएसी का पूरा नाम रिजर्वेशन अगेंस्ट कैंसलेशन हैं. यदि किसी उपयोगकर्ता को आरएसी टिकट जारी की गई है तो संभवतः चार्ट टिकट तैयार करते समय उसकी टिकट कनफर्म्ड हो जाएगी, और उसे बर्थ मिल जाएगी. यदि चार्ट तैयार होने के बाद भी टिकट आरएसी बना रहता है तो उपयोगकर्ता को आधा बर्थ आवंटित किया जाता है. यानि आरएसी टिकट की स्थिति वाले दो व्यक्ति को एक तरफ का निचला बर्थ आवंटित किया जाता है. इन आरएसी यात्रियों को चार्ट तैयार करने के बाद रद्द कर दिये गये बर्थ आवंटित करने के लिए टीटीई से कहा जाता है.
डब्लूएल जिसे वेटिंग लिस्ट कहा जाता है. किसी व्यक्ति द्वारा टिकट बुक करने पर यात्रियों के स्टेटस को डब्लूएल से मार्क किया जाता है तो इसका मतलब है कि वह यात्री वेटलिस्टेड स्टेटस में है. यह टिकट केवल तभी कनफर्म्ड हो सकती है जब आपके पहले किसी यात्री ने कनफर्म्ड टिकट बुक की हो और वो उसे रद्द कराना चाहता है. उसके स्थान पर आपकी वेटिंग लिस्ट क्लियर हो जाएगी. उदाहरण के लिए, यदि आपका स्टेटस WL 5 बता रहा है तो इसका मतलब है कि आपके पहले 5 यात्रियों की टिकट कनफर्म्ड हो जाने के बाद आपका नंबर आएगा. वेटिंग लिस्ट के भी कई प्रकार हैं जैसे जनरल वेटिंग लिस्ट, रिमोट वेटिंग लिस्ट, पूल्ड कोटा वेटिंग लिस्ट, रिमोट लोकेशन जनरल वेटिंग लिस्ट, रिक्वेस्ट वेटिंग लिस्ट एवं तत्काल वेटिंग लिस्ट आदि.
भारतीय रेलवे के नियमों की सूची काफी लंबी और बढ़ी है. इस सूची में रेलवे में सफर करने से लेकर उसकी टिकट बुक करवाने के नियमों के बार में बताया गया है. वहीं हमने इन्हीं नियमों में से कुछ महत्वपूर्ण नियमों का उल्लेख नीचे किया है, जो कि इस प्रकार हैं.
रेलवे में सफर करने के लिए आप अपनी टिकट की बुकिंग रेलवे स्टेशन में जाकर करवा सकते हैं. इसके अलावा आप कंप्यूटर की मदद से भी ऑनलाइन टिकट बुक करवा सकते हैं.
ट्रेन की टिकट रद्द करवाने को लेकर रेलवे के कुछ नियम हैं और उन नियमों के मुताबिक अगर टिकट कन्फर्म होने पर किसी व्यक्ति द्वारा उस टिकट को ट्रेन रवाना होने से पहले रद्द करवाया जाता है. तो आपकी टिकट में से कुछ पैसे काट लिए जायेंगे. नीचे इन्हीं नियमों के बारे में बताया गया है.
रेलवे के नियमों के तहत ट्रेन का टिकट अगर किसी व्यक्ति द्वारा ट्रेन के स्टेशन छोड़ने के बाद से 48 घंटे पहले रद्द करवा लिया जाता है, तो इस सूरत में उस व्यक्ति की टिकट राशि में से 240 रुपए काट दिए जाएंगे और उसको बचे हुए पैसे वापस मिल जाएंगे.
वहीं अगर किसी व्यक्ति द्वारा AC 2 टायर या फर्स्ट क्लास की टिकट बुक करवाई जाती है और किसी कारण से अगर वो व्यक्ति इस ट्रेन की टिकट को रदद् कर देता है, तो उस व्यक्ति की टिकट में से 200 रुपए की राशि काट ली जाएगी.
इस क्लास की टिकट अगर आप ऊपर बताई गई समय सीमा के अंदर रद्द करवाते हैं, तो आपकी टिकट राशि में से 180 रुपये काट लिए जाएंगे और बची हुई राशि आपको मिल जाएगी.
अगर कोई व्यक्ति स्लीपर क्लास और सेकंड क्लास की अपनी टिकट को रद्द करवाता है, तो उसको स्लीपर क्लास की टिकट रद्द करवाने की सूरत में 120 रुपये का चार्ज देना होगा. वहीं सेंकड क्लास के लिए ये राशि 60 रुपये तय की गई है.
वहीं नियम के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति अपनी कन्फर्म टिकट को ट्रेन रवाना होने से 48 से 12 घंटे पहले रद्द करवाता हैं, तो उसकी टिकट में से 25% रुपये को काट लिया जाएगा. वहीं अगर 12 से 4 घंटे की समय सीमा के बीच आप ऐसा करते हैं, तो आपकी टिकट की आधी राशि काट ली जाएगी.
किसी कारण के अगर ट्रेन अपने तय समय से तीन घंटे से ज्यादा देरी पर है और आप अगर इस सूरत में अपनी टिकट को रद्द करवाते हैं, तो आपकी पूरी राशि आपको मिल जाएगी. यानी आप से टिकट को रद्द करवाने पर किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया जाएगा. वहीं इसके अलावा वेटिंग लिस्ट टिकट को ट्रेन रवाना होने के 30 मिनट पहले रद्द करवाने पर आपको पूरे रुपए दे दिए जाएंगे.
रेलवे के नियमों के अनुसार ऑनलाइन के जरिए बुक करवाई गई ई-टिकट को केवल ऑनलाइन के जरिए ही रद्द करवाना होता है. वहीं टिकट रद्द करवाने पर आपकी राशि को उसी खाते में भेज दिया जाता है जिस खाते से ये टिकट बुक करवाई जाती है.
अगर आप किसी कारण ट्रेन की टिकट बुक नहीं करवा पाए हैं या फिर एक दम आपकी किसी जगह जाने की योजना बन जाती है. तो आप ऐसी सूरत में तत्काल सुविधा की मदद से टिकट प्राप्त कर सकते हैं. वहीं तत्काल बुकिंग से जुड़े नियमों की नीच बताया गया है.
जिस दिन आपको यात्रा करनी है आप उस दिन से 1 दिन पहले ही इस सुविधा के जरिए अपनी यात्रा का टिकट प्राप्त कर सकते हैं. वहीं नियमों के अनुसार अगर कोई व्यक्ति AC क्लास के जरिए सफर करना चाहता है, तो इस क्लास की बुकिंग सुबह दस बजे से चालू हो जाती है. बिना AC क्लास में सफर करने वाले के लिए ये सुविधा सुबह ग्यारह बजे शुरू की जाती है.
तत्काल सुविधा के जरिए अगर किसी को टिकट प्राप्त हो जाती है और टिकट की पुष्टि हो जाती है, तो टिकट रद्द करवाने पर एक रुपए भी वापस नहीं किया जाएगा. इसलिए तत्काल टिकट को तभी बुक करवाएं जब आपका जाना एक दम पक्का हो. वहीं अगर तत्काल ट्रेन अपने तय समय से तीन घंटे देरी से आती है और आप अपनी टिकट को रद्द करवा देते हैं, तो आपको आपकी टिकट के पूरे पैसे मिल जाएगे.
अगर आप आरक्षित डिब्बों में यात्रा कर रहें हैं, तो आपको ये पता होना चाहिए कि आप केवल रात के 10 बजे से लेकर सुबह के 6 बजे तक ही सो सकते हैं. ऐसा नियम इसलिए बनाया गया है क्योंकि अगर किसी व्यक्ति को बीच वाली सीट मिलती है, तो वो उस सीट को केवल रात के 10 बजे से लेकर 6 बजे तक ही खोल सके. ऐसा करने से ट्रेन में सवार लोगों को बैठने की जगह मिल जाती है और उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होती है.
किसी कारण से अगर आप समय पर अपनी ट्रेन को नहीं पकड़ सके तो घबराने की जरूरत नहीं है. क्योंकि रेलवे के नियमों के अनुसार अगर कोई व्यक्ति अपने स्टेशन पर लेट पहुंचता है और उसकी अपनी ट्रेन छूट जाती है, तो वो व्यक्ति अगले स्टेशन पर जाकर उस ट्रेन को पकड़ सकता है. वहीं टीटी भी उस व्यक्ति की सीट को दो स्टेशनों के गुजर जाने के बाद ही किसी अन्य यात्री को उसकी सीट दे सकता है. यानी तीसरा स्ट्रेशन आने जाने तक अगर आप अपनी ट्रेन पकड़ने में असफल रहते हैं, तो आपकी सीट किसी और यात्री को दे दी जाएगी.
अगर आप से अपनी टिकट खो जाती है. तो ऐसी स्थिति में आप जिस स्टेशन से ट्रेन पकड़ने वाले हैं, उस स्ट्रेशन में जाकर आपको एक नई टिकट लेने के लिए एक आवेदन पत्र देना होगा. जिसके बाद आपको नकली टिकट दे दी जाएगी. वहीं याद रखें कि नकली टिकट के लिए आवेदन पत्र आपको ट्रेन के रवाना होने के 24 घंटे पहले तक देना होगा.
भारतीय रेलवे कैटरिंग एवं पर्यटन कारपोरेशन (आईआरसीटीसी) ने समय – समय पर ट्रेन यात्रियों के लिए उनकी यात्रा सुखद बनाने में विभिन्न सुविधाओं की शुरुआत की है. इन्हीं में से एक है “विकल्प योजना”, जोकि वेटिंग लिस्ट वाले यात्रियों के लिए अल्टरनेट ट्रेन में कनफर्म्ड बर्थ प्रदान करने के लिए हैं. लेकिन हम में से कई लोग ऐसे हैं जो आईआरसीटीसी द्वारा शुरू की गई इस विकल्प योजना के बारे में नहीं जानते हैं, जोकि वेटिंग लिस्ट में आने वाले यात्रियों की देखरेख के लिए लागू की गई है. किन्तु यह योजना पहले से कुछ ट्रेनों में लागू की जा चुकी है.
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