साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का जीवन परिचय (Sadhvi Pragya Thakur Biography, story in hindi)
वर्तमान में भारत की राजनीति में कई ऐसे चेहरे सामने आये, जिनका राजनीति से कभी कोई रिश्ता नहीं रहा हैं, लेकिन उनकी स्वतंत्र पहचान रही हैं, ऐसे ही कई फिल्म-स्टार, खिलाड़ियों और उद्योगपतियों के साथ साधू-संतों को भी राजनीति में शामिल किया गया हैं, इस सूचि में ही मध्य-प्रदेश की साध्वी प्रज्ञा का नाम भी शामिल हैं. हालांकि साध्वी राजनीति की मुख्य धारा में 2019 के लोकसभा चुनावों से आई हैं, लेकिन गत 10-12 वर्षों से वो कई कारणों से चर्चा का विषय रही हैं.
Table of Contents
क्र. म.(s.No.) | परिचय बिंदु (Introduction Points) | परिचय (Introduction) |
1. | पूरा नाम ((Full Name) | साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर |
2. | जन्म दिन (Birth Date) | 2 फरवरी 1970 |
3. | जन्म स्थान (Birth Place) | मध्य प्रदेश के भिंड जिले में |
4. | पेशा (Profession) | साध्वी और लोकसभा उम्मीदवार |
5. | राजनीतिक पार्टी (Political Party) | भारतीय जनता पार्टी |
6. | अन्य राजनीतिक पार्टी से संबंध (Other Political Affiliations) | – |
7. | राष्ट्रीयता (Nationality) | भारतीय |
8. | उम्र (Age) | 49 वर्ष |
9. | गृहनगर (Hometown) | भोपाल |
10. | धर्म (Religion) | हिन्दू |
11. | जाति (Caste) | राजपूत |
12. | वैवाहिक स्थिति (Marital Status) | अविवाहित |
13. | राशि (Zodiac Sign) | – |
साध्वी प्रज्ञा का बचपन और प्रारम्भिक जीवन (Sadhvi Pragya :Childhood and Early Life)
- साध्वी का जन्म मध्यम वर्ग परिवार में हुआ था, उन के पिता आयुर्वेद डॉक्टर थे और साथ ही एग्रीकल्चर विभाग में डेमोनस्ट्रेटर भी थे. पिताजी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से भी जुड़े हुए थे. उनके पिता नित्य गीता का पाठ करते थे, तब वो उनके पास बैठकर सुनती थी, जिससे बचपन से भी वो आध्यात्म से जुडी हुई थी.
- प्रज्ञा ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा मध्यप्रदेश के भिंड से पूरी की. साध्वी प्रज्ञा ने इतिहास में स्नातक की डिग्री ली थी और वो आल इंडिया स्टूडेंट काउंसिल में भी सक्रिय थी. भोपाल से उन्होंने इतिहास में पोस्ट ग्रेज्युएशन किया हैं.
साध्वी प्रज्ञा का परिवार और उनसे जुडी निजी जानकारियाँ (Sadhvi Pragya: Family and personal Information)
साध्वी को ट्रेवल करना, मोटर बाईक चलाना और किताबे पढना पसंद हैं और उनके माता-पिता के अनुसार साध्वी ने एक भी मूवी नही देखी हैं. प्रज्ञा ने विवाह नहीं करके आजीवन संत बने रहने का निश्चय किया और उन्होंने सूरत में अपना आश्रम बनाया और पुरे देश में वहां से यात्रा की.
पिता (Father) | सी.पी. ठाकुर |
माता (Mother) | सरला देवी |
साध्वी का राजनैतिक करियर (Sadhvi Pragya’s Political Carrier)
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आने के बाद साध्वी ने संन्यास ले लिया था, प्रज्ञा बहुत अच्छी वक्ता थी और उनके वाक्-कौशल ने ही उन्हें प्रसिद्धि दिलाई थी. बहुत जल्द वो भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारक बन गयी थी. वो महिलाओं पर गहन प्रभाव डालती थी. वो इस्लामिक आतंकवाद पर सीधा प्रहार करती थी, और कश्मीर के मुद्दों पर भी सख्ती से बेहद स्पष्ट शब्दों में बोलती थी, इसलिए बहुत जल्द विपक्षी पार्टी एवं विरोधियों के निशाने पर भी आ जाती थी.
- 2002 में साध्वी ने जय वन्दे मातरम जन कल्याण समिति का निर्माण किया. इसके बाद वो स्वामी अवधेशानंद जी के सम्पर्क में आई. उन्होंने नेशनल जागरण मंच भी बनाया.
- 29 सितम्बर 2008 को मालेगांव में हुए बम धमाके में 100 से ज्यादा लोग घायल हो गये थे, ये धमाका एक मस्जिद में मोटरबाइक में रखे बम की वजह से हुआ था, और ये मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा के नाम से रजिस्टर थी. इसके बाद ही यूपीए सरकार ने भगवा आतंकवाद का मुद्दा उठाया, जिसमे साध्वी प्रज्ञा को मुख्य आरोपी बनाया गया. साध्वी इस आरोप के कारण पुरे 10 साल जेल में रही और 2017 को रिहा हुयी, साध्वी ने बताया कि पुलिस कस्टडी में उन्हें बेहद यातनाएं दी गयी थी, उनकी मर्जी के विपरीत नार्को टेस्ट और लाइ-डिटेक्टर का टेस्ट किया गया था. पुलिस कस्टडी में उन पर पुरुषों द्वारा थर्ड डिग्री टॉर्चर किया जाता था. उनके वकील गणेश सिवानी थे और अभी माननीय बोम्बे हाई कोर्ट से मिली जमानत के कारण वो जेल से बाहर हैं.
- कहा जाता हैं कि बीजेपी के विधायक सुनील जोशी ने प्रज्ञा के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा था, लेकिन दिसम्बर 2007 में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी, ऐसे में साध्वी के अतिरिक्त 7 लोगों पर सुनील जोशी की हत्या का केस लगा था और 2017 में उन्हें सभी चार्ज से मुक्त कर दिया गया.
- 2019 में प्रयागराज में हुए कुंभ में साध्वी ने भारत भक्ति अखाड़ा बनाया और वो स्वयं इस अखाड़े की महामण्डलेश्वर बनी.
- साध्वी प्रज्ञा और 2019 के लोकसभा चुनाव : साध्वी प्रज्ञा के जेल से रिहा होने के बाद बीजेपी ने खुले दिल से स्वागत किया और भोपाल में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के बीच में साध्वी प्रज्ञा ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. इसके बाद साध्वी ने घोषणा की, कि वो चुनावी मैदान में उतरेगी. भोपाल की सीट वैसे भी बीजेपी के लिए जीतना मुश्किल नहीं रही हैं, यहाँ आखिरी बार 1984 में कांग्रेस जीती थी, उसके बाद लगातार बीजेपी ही जीत रही हैं. कांग्रेस की आंतरिक राजनीति के चलते दिग्विजय सिंह को इस चुनावी जंग में साध्वी प्रज्ञा के सामने खड़ा किया गया. साध्वी ने भी दिग्विजय सिंह को जीत की खुली चुनौती दी, क्योंकि कहा जाता हैं कि भगवा आतंकवाद शब्द का आविष्कार दिग्विजय सिंह ने ही किया था और साध्वी प्रज्ञा को उस केस में फंसाने के पीछे उन्ही का योगदान था.
साध्वी प्रज्ञा से जुड़े विवाद (Sadhvi Pragya and Its Controversy)
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- मालेगांव बम ब्लास्ट के अतिरिक्त भी कई ऐसे छोटे-बड़े विवाद हैं, जिनसे साध्वी प्रज्ञा गिरी रहती हैं. इसका मुख्य कारण ये हैं कि साध्वी ने अब राजनीति में प्रवेश कर लिया हैं, इसलिए उनके बयानों को बारीकी से देखा-सुना जाता हैं. लेकिन इससे पहले 2018 में साध्वी तब भी विवादों में उलझी थी, जब उन्होंने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को इटली वाली बाई कहा था.
- 2019 में चुनाव अभियान में चुनाव आयोग ने साध्वी पर 72 घंटे का प्रतिबन्ध लगाया था, क्योंकि उन्होंने लोगों को धर्म के आधार पर वोट देने की अपील की थी, जिससे मोडल कोड ऑफ़ कंडक्ट भी टुटा था. उन्होंने बाबरी मस्जिद के ध्वस्त होने पर भी कमेंट किया था, कि हमने देश पर से एक धब्बा हटाया हैं, हम इस पर गर्व करते हैं और भगवान ने हमे ऐसा करने का मौका दिया, इसलिए हम भाग्यशाली हैं, वहां जल्द ही राम-मन्दिर बनेगा.
- 19 अप्रैल 2019 को साध्वी ने 26/11 के हीरो हेमंत करकरे पर विवादित बयान दिया था, उन्होंने कहा था कि हेमंत की मृत्यु साध्वी के श्राप के कारण हुयी हैं. साध्वी के अनुसार जब उन्हें मालेगांव बम ब्लास्ट के लिए गिरफ्तार किया गया था, तब कोई सबूत नहीं मिलने के कारण हेमंत को कहा गया था, कि वो उन्हें छोड़ दे, लेकिन हेमंत ने ऐसा नहीं किया, तब साध्वी ने उन्हें श्राप दिया और हेमंत की 26/11 में मृत्यु हो गयी. हालांकि इस बात पर साध्वी को सार्वजनिक माफी भी मांगनी पड़ी थी, लेकिन बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने उनका परोक्ष समर्थन किया था.
- 16 मई 2019 को साध्वी प्रज्ञा ने एक और विवादित बयान दिया था, जिसकी जिम्मेदारी उनकी पार्टी बीजेपी ने भी नहीं ली, कमल हासन ने नाथूराम गोडसे को देश का पहला आतंकवादी कहा था, जिसके जवाब में प्रज्ञा ने कहा था, गोडसे देशभक्त थे, गोडसे देशभक्त हैं और देशभक्त ही रहेंगे, उन पर ऊँगली उठाने वाले अपने गिरेबान में झांककर देखे. लेकिन इस बार बीजेपी के किसी नेता और स्वयं प्रधानमंत्री ने भी उनका पक्ष नहीं लिया और साध्वी ने इस बयान पर भी सार्वजनिक माफ़ी मांगी.
इस तरह साध्वी प्रज्ञा ने अब तक अपने संत जीवन से लेकर राजनीति में प्रवेश तक की जो यात्रा तय की हैं, उसे देखकर भविष्य में एक राजनेता के रूप में उनसे उम्मीदें बढ़ जाती हैं.