Chapter 4 उपभोक्ता अधिकार
प्रश्न अभ्यास पाठ्यपुस्तक से
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिएप्रश्न
1. बाज़ार में नियमों तथा विनियमों की आवश्यकता क्यों पड़ती है? कुछ उदाहरणों के द्वारा समझाएँ।
उत्तर बाजार में नागरिक की सुरक्षा के लिए नियम एवं नियंत्रण की आवश्यकता होती है क्योंकि जब उपभोक्ताओं का शोषण होता है तो उपभोक्ता प्राय: स्वयं को कमजोर स्थिति में पाते हैं। खरीदी गई वस्तु या सेवा के बारे में जब भी कोई शिकायत होती है तो विक्रेता सारे उत्तरदायित्व क्रेता पर डालने का प्रयास करता है। विक्रेता कई तरीकों से उपभोक्ता का शोषण कर सकता है। ऐसी स्थिति से उपभोक्ता को बचाने के लिए उपभोक्ता आंदोलन चलाए गए जिससे बाजार में सुरक्षा मिले। बाज़ार में शोषण कई रूपों में होता है, जैसे—कभी-कभी व्यापारी अनुचित व्यापार करने लग जाते हैं, कम तौलने लगते हैं। या मिलावटी वस्तुएँ बेचने लगते हैं। उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए समय-समय पर मीडिया और अन्य स्रोतों से गलत सूचना देते हैं। अतः उपभोक्ताओं की सुरक्षा निश्चित करने के लिए नियम और नियंत्रण की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 2. भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत किन कारणों से हुई? इसके विकास के बारे में पता लगाएँ।
उत्तर उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत उपभोक्ताओं के असंतोष के कारण हुई क्योंकि विक्रेता कई अनुचित व्यवसायों में शामिल होते थे। बाजार में उपभोक्ता को शोषण से बचाने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था उपलब्ध नहीं थी। यह माना जाता था कि एक उपभोक्ता की जिम्मेदारी है कि वह एक वस्तु या सेवा को खरीदते समय सावधानी बरते । संस्थाओं को लोगों में जागरूकता लाने में भारत और पूरे विश्व में कई वर्ष लग गए। इन्होंने वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी विक्रेताओं पर भी डाल दी।
भारत में सामाजिक बल के रूप में उपभोक्ता आंदोलन का जन्म, अनैतिक और अनुचित व्यवसाय कार्यों में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता के फलस्वरूप हुआ। अत्यधिक खाद्य कमी, जमाखोरी, कालाबाजारी, खाद्य पदार्थों एवं खाद्य तेल में मिलावट की वजह से 1960 के दशक में व्यवस्थित रूप में उपभोक्ता आंदोलन का उदय हुआ। 1970 तक उपभोक्ता संस्थाएँ बड़े पैमाने पर उपभोक्ता अधिकार से संबंधित आलेखों के लेखन और प्रदर्शन का आयोजन करने लगीं। इसके लिए उपभोक्ता दल बनाए गए। भारत में उपभोक्ता दलों की संख्या में भारी वृद्धि हुई ।
इन सभी प्रयासों के परिणामस्वरूप यह आंदोलन वृहत्त स्तर पर उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ और अनुचित
व्यवसाय शैली को सुधारने के लिए व्यवसायिक कंपनियों और सरकार दोनों पर दबाव डालने में सफल हुआ।
प्रश्न 3. दो उदाहरण देकर उपभोक्ता जागरूकता की जरूरत का वर्णन करें।
उत्तर उपभोक्ता जागरूकता की कई कारणों से आवश्यकता है
प्रश्न 4. कुछ ऐसे कारकों की चर्चा करें जिनसे उपभोक्ताओं का शोषण होता है।
उत्तर व्यापारी, दुकानदार और उत्पादक कई तरीकों से उपभोक्ताओं का शोषण करते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख तरीके निम्नलिखित हैं
प्रश्न 5. उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 के निर्माण की जरूरत क्यों पड़ी?
उत्तर बाजार में उपभोक्ता को शोषण से बचाने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था उपलब्ध नहीं थी। लंबे समय तक उपभोक्ताओं का शोषण उत्पादकों तथा विक्रेताओं के द्वारा किया जाता रहा। इस शोषण से उपभोक्ताओं को बचाने के लिए सरकार पर उपभोक्ता आंदोलनों के द्वारा दबाव डाला गया। यह वृहत् स्तर पर उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ और अनुचित व्यवसाय शैली को सुधारने के लिए व्यावसायिक कंपनियों और सरकार दोनों पर दबाव डालने में सफल हुआ। 1986 में भारत सरकार द्वारा एक बड़ा कदम उठाया गया। यह उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम 1986 कानून का बनना था, जो कोपरा (COPRA) के नाम से प्रसिद्ध है।
प्रश्न 6. अपने क्षेत्र के बाज़ार में जाने पर उपभोक्ता के रूप में अपने कुछ कर्तव्यों का वर्णन करें।
उत्तर एक उपभोक्ता के रूप में यदि हम अपने अधिकारों को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो हमें कुछ कर्तव्यों को भी पूरा करना । होगा। ऐसे कुछ मुख्य कर्तव्य निम्नलिखित हैं
प्रश्न 7. मान लीजिए, आप शहद की एक बोतल और बिस्किट का एक पैकेट खरीदते हैं। खरीदते समय आप कौन-सा लोगो या शब्द चिह्न देखेंगे और क्यों?
उत्तर शहद की बोतल और बिस्किट का पैकेट खरीदते समय हमें उस पर एगमार्क का चिह्न देखना होगा । एगमार्क कृषि उत्पादनों का मानक चिह्न है। खाद्य पदार्थों की खरीद के समय इसे देखना जरूरी है क्योंकि ये चिह्न अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मदद करते हैं। उपभोक्ता संगठनों द्वारा नियंत्रित और जारी किए जानेवाले इन प्रमाण चिह्नों के इस्तेमाल की अनुमति उत्पादकों को तभी दी जाती है जब वे निश्चित गुणवत्ता मानकों का पालन करते हैं।
प्रश्न 8. भारत में उपभोक्ताओं को समर्थ बनाने के लिए सरकार द्वारा किन कानूनी मापदंडों को लागू करना चाहिए?
उत्तर भारत में उपभोक्ताओं को समर्थ बनाने के लिए सरकार द्वारा कानूनी मापदंडों को लागू किया जाना चाहिए। 1986 के उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम द्वारा उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए। राष्ट्रीय, राज्य तथा जिला स्तर पर तीन स्तरीय उपभोक्ता अदालतों का निर्माण किया गया। सरकार के लिए जरूरी है कि वह इन अदालतों में आए मुकदमों की शीघ्र सुनवाई करे और दोषी उत्पादक या व्यापारी के खिलाफ कार्रवाई करे। पीड़ित उपभोक्ता को उचित मुआवजा दिलवाया जाए। उपभोक्ताओं की शिकायतों का शीघ्र निपटारा करवाने के लिए इन कानूनों को सख्ती से लागू किया जाना जरूरी है। सरकार कोशिश करे कि भारत में बननेवाली विभिन्न चीजों की गुणवत्ता की जाँच की जाए और उन्हें आई०एस०आई० या एगमार्क की मोहर लगाकर ही बाजार में बिकने के लिए भेजा जाए। सरकार बाजार में बिकनेवाली विभिन्न चीजों की जाँच करे कि वे सुरक्षा के मापदंड पूरे करती हैं या नहीं। ऐसी चीजों की बिक्री पर रोक लगा दी जाए जो सुरक्षा के मापदंड पूरे न करती हों। सरकार को कानून बनाकर जमाखोरी, कालाबाजारी आदि पर रोक लगाकर उपभोक्ताओं को शोषण से बचाना होगा। गरीब वर्ग के लोगों को कम कीमत पर आवश्यक वस्तुएँ उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इन विभिन्न कानूनी मापदंडों का प्रयोग करके सरकार उपभोक्ताओं को अधिकारों को प्राप्त
कराने में समर्थ बना सकती है।
प्रश्न 9. उपभोक्ताओं के कुछ अधिकारों को बताएँ और प्रत्येक अधिकार पर कुछ पंक्तियाँ लिखें।
उत्तर उपभोक्ताओं के अधिकारों का वर्णन 1986 के उपभोक्ता सुरक्षा कानून में तथा 1997 और 1993 के संशोधनों में किया गया है। उपभोक्ताओं के मुख्य अधिकार निम्नलिखित हैं
प्रश्न 10. उपभोक्ता अपनी एकजुटता का प्रदर्शन कैसे कर सकते हैं?
उत्तर उपभोक्ताओं को अपनी एकता को बनाने के लिए तथा उसका प्रदर्शन करने के लिए उपभोक्ताओं के संगठनों के निर्माण
को प्रेरित किया गया है जिन्हें सामान्यतः उपभोक्ता अदालत या उपभोक्ता सुरक्षा परिषद के नाम से जाना जाता है। ये संस्थाएँ उपभोक्ताओं को बताती हैं कि कैसे उपभोक्ता अदालत में मुकदमा दर्ज किया जाए। बहुत से अवसरों पर ये उपभोक्ता अदालत में उपभोक्ता का प्रतिनिधित्व भी करती हैं। ये संगठन जागरूकता पैदा करने के लिए सरकार से वित्तीय
सहयोग भी प्राप्त करते हैं। भारत में उपभोक्ता आंदोलन ने संगठित समूहों की संख्या और कार्यविधि में तरक्की की है।
प्रश्न 11. भारत में उपभोक्ता आंदोलन की प्रगति की समीक्षा करें।
उत्तर भारत में उपभोक्ता आंदोलन का जन्म अनैतिक और अनुचित व्यवसाय कार्यों से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता के फलस्वरूप हुआ। अत्यधिक खाद्य कमी, जमाखोरी, कालाबाजारी, खाद्य पदार्थों एवं खाद्य तेल में मिलावट की वजह से 1960 के दशक में व्यवस्थित रूप में उपभोक्ता आंदोलन का उदय हुआ। 1970 के दशक तक उपभोक्ता संस्थाएँ वृहत् स्तर पर उपभोक्ता अधिकार से संबंधित आलेखों का लेखन और प्रदर्शनियों को आयोजन करने लगी थीं। यह आंदोलन वृहत् स्तर पर उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ और अनुचित व्यवसाय शैली को सुधारने के लिए व्यावसायिक कंपनियों और सरकार दोनों पर दबाव डालने में सफल हुआ।
प्रश्न 12. निम्नलिखित को सुमेलित करें –
1. एक उत्पाद के घटकों का विवरण
2. एगमार्क
3. स्कूटर में खराब इंजन के कारण हुई दुर्घटना
4. जिला उपभोक्ता अदालत विकसित करने वाली एजेंसी
5. उपभोक्ता इंटरनेशनल
6. भारतीय मानक ब्यूरो
(क) सुरक्षा का अधिकार
(ख) उपभोक्ता मामलों में संबंध
(ग) अनाजों और खाद्य तेलों का प्रमाण
(घ) उपभोक्ता कल्याण संगठनों की अंर्तराष्ट्रीय संस्था
(ङ) सूचना का अधिकार ।
(च) वस्तुओं और सेवाओं के लिए मानक
उत्तर 1. (ङ), 2. (ग), 3. (क), 4. (ख), 5. (घ), 6. (च) ।
प्रश्न 13. सही या गलत बताएँ।
(क) कोपरा केवल सामानों पर लागू होता है।
(ख) भारत विश्व के उन देशों में से एक है, जिसके पास उपभोक्ताओं की समस्याओं के निवारण के लिए विशिष्ट अदालते हैं।
(ग) जब उपभोक्ता को ऐसा लगे कि उसका शोषण हुआ है, तो उसे जिला उपभोक्ता अदालत में निश्चित रूप से मुकदमा दायर करना चाहिए।
(घ) जब अधिक मूल्य का नुकसान हो, तभी उपभोक्ता अदालत में जाना लाभप्रद होता है।
(ङ) हॉलमार्क, आभूषणों की गुणवत्ता बनाए रखनेवाला प्रमाण-पत्र है।
(च) उपभोक्ता समस्याओं के निवारण की प्रक्रिया अत्यंत सरल और शीघ्र होती है।
(छ) उपभोक्ता को मुआवजा पाने का अधिकार है, जो क्षति की मात्रा पर निर्भर करती है।
उत्तर (क) गलत, (ख) सही, (ग) सही, (घ) गलत, (ङ) सही, (च) सही, (छ) सही।
अतिरिक्त परियोजना/कार्यकलाप
प्रश्न 1. आपका विद्यालय उपभोक्ता जागरूकता सप्ताह’ का आयोजन करता है। उपभोक्ता जागरूकता फोरम के सचिव के रूप में सभी उपभोक्ता अधिकारों के बिन्दुओं को शामिल करते हुए एक पोस्टर तैयार करें। इसके लिए आप पृष्ठ 84 एवं 85 पर दिए गए विज्ञापन के विचारों और संकेतों का उपयोग कर सकते हैं। ये कार्य अपने अंग्रेजी शिक्षक के सहयोग से करें।
उत्तर इस परियोजना कार्य को विद्यार्थी स्वयं करें। इस संदर्भ में वे समाचार-पत्रों, टेलीविजन, इंटरनेट तथा अध्यापकों की सहायता ले सकते हैं।
प्रश्न 2. श्रीमती कृष्णा ने 6 महीने की वारंटी वाला रंगीन टेलीविजन खरीदा। तीन महीने बाद टी०वी० ने काम करना बंद कर दिया। जब उन्होंने उस दुकान पर शिकायत की, जहाँ से टी०वी० खरीदा था तो उसने सही करने के लिए एक इंजीनियर भेजा। टी०वी० बार-बार खराब होता रहा और श्रीमति कृष्णा का दुकानदार से शिकायतों का कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने अपने क्षेत्र के उपभोक्ता फोरम से शिकायत करने का निर्णय लिया। आप उनके लिए एक पत्र लिखिए। आप लिखने से पहले अपने सहयोगी/समूह सदस्यों से चर्चा कर सकते हैं।
उत्तर इस परियोजना कार्य को विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 3. अपने विद्यालय में उपभोक्ता क्लब स्थापित करें। बनावटी उपभोक्ता जागरूकता कार्यशाला आयोजित करें और उसमें अपने विद्यालय क्षेत्र के पुस्तक केंद्रों, भोजनालयों और दुकानों के नियंत्रण जैसे मुद्दों को शामिल करें।
उत्तर इस परियोजना कार्य को विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 4. आकर्षक नारों वाले विज्ञापन तैयार करें, जैसे
– सतर्क उपभोक्ता ही सुरक्षित उपभोक्ता है।
– ग्राहक, सावधान
– सचेत उपभोक्ता
– अपने अधिकारों को पहचानो
– उपभोक्ता के रूप में, अपने अधिकारों की रक्षा करें।
– उठो, जागो और तब तक मत रुको.. ……………(पूरा करें)
उत्तर उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक न्याय न मिले।
कुछ आकर्षक विज्ञापन
प्रश्न 5. अपने आसपास के चार-पाँच लोगों का साक्षात्कार लें, कि कैसे वे शोषण का शिकार बने और उनकी प्रतिक्रियाओं एवं विभिन्न अनुभवों को इकट्ठा करें।
उत्तर इस परियोजना कार्य को विद्यार्थी स्वयं करें ।
प्रश्न 6. निम्नलिखित प्रश्नावली को वितरित कर अपने क्षेत्र का एक सर्वेक्षण करें और जानें कि वे उपभोक्ता के रूप में कितने जागरूक हैं।
उत्तर
(क) यदि प्रश्न 5, 12, 13, 15 और 16 के लिए आपका उत्तर ‘ग’ और शेष के लिए ‘क’ है तो, आप उपभोक्ता के रूप में पूरी तरह जागरूक हैं।
(ख) अगर प्रश्न 5, 12, 13, 15 और 16 के लिए आपका उत्तर ‘क’ और शेष के लिए ‘ग’ है तो, आपको उपभोक्ता के रूप में जागरूक होने की जरूरत हैं।
(ग) यदि सभी प्रश्नों के लिए आपका उत्तर ‘ख’ है, तो आप आंशिक रूप से जागरूक हैं।
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