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Chapter 13. विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

Chapter 13 Magnetic Effects of Electric Current.

पाठगत हल प्रश्न

खंड 13.1 ( पृष्ठ संख्या 250)

प्रश्न 1.
चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सुई विक्षेपित क्यों हो जाती है?
उत्तर
हम जानते हैं कि दिक्सूचक की सूई एक छोटे छड़ चुंबक की तरह है, जिसमें उत्तर तथा दक्षिण ध्रुव होते हैं। इसलिए दिक्सूचक की सूई चुंबक के निकट लाने पर आकर्षण या प्रतिकर्षण के कारण विक्षेपित हो जाती है, क्योंकि समान ध्रुवों के बीच प्रतिकर्षण और विपरीत ध्रुवों के बीच आकर्षण बल लगता है।

खंड 13.2 ( पृष्ठ संख्या 255 )।

प्रश्न 1.
किसी छड़ चुंबक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचिए।
उत्तर
Chapter 13. विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 2.
चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए।
उत्तर
चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के निम्नलिखित गुण हैं

  1. चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ चुंबक के उत्तरी (N) ध्रुव से प्रारंभ होकर दक्षिणी (S) ध्रुव पर समाप्त होती है तथा एक बंद वक्र का निर्माण करती हैं। परंतु चुंबक के अंदर क्षेत्र रेखाओं की दिशा दक्षिण ध्रुव से उत्तर ध्रुव की ओर होती है।
  2. किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र रेखा उस बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा दर्शाती है।
  3. जहाँ पर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ अधिक निकट होती हैं, वहाँ चुंबकीय क्षेत्र अधिक प्रबल होते हैं। इसलिए ध्रुवों पर क्षेत्र रेखाएँ निकट होती हैं।
  4. कोई दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ किसी भी बिंदु पर एक-दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती हैं।

प्रश्न 3.
दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं?
उत्तर
यदि दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद करेंगी तब उस बिंदु पर दिक्सूची को रखने पर उसकी सूई दो दिशाओं की ओर संकेत करेगी। चूंकि किसी एक बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ असंभव होती हैं। अत: क्षेत्र रेखाएँ प्रतिच्छेद नहीं कर सकतीं।

खंड 13.3 ( पृष्ठ संख्या 256-257)

प्रश्न 1.
मेज़ के तल में पड़े तार के वृत्ताकार पाश पर विचार कीजिए। मान लीजिए इस पाश में दक्षिणावर्त विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाश के भीतर तथा बाहर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर
दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम के अनुसार यदि आप चालक तार को पकड़े हुए हैं तब अँगूठा विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करता है, जबकि अँगुलियाँ चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशी को निरूपित करता है।

स्पष्टत: वृत्ताकार पाश (लूप) के अंदर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा कागज़ के तल (मेज़ के तल) के लंबवत् अंदर की ओर होगी तथा पाश के बाहर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा पाश (मेज़) के तल के लबंवत् ऊपर की ओर होगी।

प्रश्न 2.
किसी दिए गए क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र एक समान हैं। इसे निरूपित करने के लिए आरेख खींचिए।
उत्तर

एक समान चुंबकीय क्षेत्र परस्पर समान्त और बराबर दूरी वाले चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किए जाते हैं जैसा कि निम्न चित्र में दर्शाया गया है।

प्रश्न 3.
सही विकल्प चुनिए
किसी विद्युत धारावाही सीधी लंबी परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र-
(a) शून्य होता है।
(b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है।
(c) इसके सिरे की ओर जाने पर बढ़ता है।
(d) सभी बिंदुओं पर समान होता है।
उत्तर
(d) सभी बिंदुओं पर समान होता है।

खंड 13.4 (पृष्ठ संख्या 259)

प्रश्न 1.
किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन-सा गुण किसी चुंबकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समय परिवर्तित हो जाता है? (यहाँ एक से अधिक सही उत्तर हो सकते हैं।)
(a) द्रव्यमान
(b) चाल
(c) वेग
(d) संवेग
उत्तर
(c) वेग तथा (d) संवेग में परिवर्तन होगा क्योंकि प्रोटॉन धनावेशित होते हैं, जिन पर चुंबकीय क्षेत्र के कारण बल लगेगा और इसकी दिशा बदल जाएगी। चूँकि गति की दिशा परिवर्तित होने पर वेग बदलता है तथा वेग बदलने पर संवेग, परंतु इसके द्रव्यमान और चाल अपरिवर्तित रहेंगे।

प्रश्न 2.
क्रियाकलाप 13.7 में हमारे विचार से छड़ AB का विस्थापन किस प्रकार प्रभावित होगा यदि
(i) छड़ AB में प्रवाहित विद्युत धारा में वृद्धि हो जाए।
(ii) अधिक प्रबल नाल चुंबक प्रयोग किया जाए और
(iii) छड़ AB की लंबाई में वृद्धि कर दी जाए?
उत्तर

हम जानते हैं कि
अतः प्रत्येक स्थिति में छड़ AB का विस्थापन बढ़ेगा।

प्रश्न 3.
पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेशित कण (अल्फा-कण) किसी चुंबकीय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
(a) दक्षिण की ओर
(b) पूर्व की ओर
(c) अधोमुखी
(d) उपरिमुखी
उत्तर
(d) उपरिमुखी।

खंड 13.5 ( पृष्ठ संख्या 261)

प्रश्न 1.
फ्लेमिंग का वामहस्त नियम लिखिए।
उत्तर
फ्लेमिंग का वामहस्त नियम-इस नियम के अनुसार अपने बाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा और अँगूठे को इस प्रकार फैलाइए कि ये तीनों एक-दूसरे के परस्पर लंबवत् हों। यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और मध्यमा चालक में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा प्रदर्शित करें तो अँगूठा चालक की गति की दिशा अथवा चालक पर आरोपित बल की दिशा की ओर संकेत करेगा।

प्रश्न 2.
विद्युत मोटर का क्या सिद्धांत है?
उत्तर
एक विद्युत मोटर इस सिद्धांत पर कार्य करती है कि जब एक धारावाही चालक को किसी चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तो उस चालक पर एक यांत्रिक बल लगता है। चालक पर आरोपित बल की दिशा फ्लेमिंग के वामहस्त नियम द्वारा प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 3.
विद्युत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है?
उत्तर
विद्युत मोटर में विभक्त वलय दिक्परिवर्तक का कार्य करता है। यह एक ऐसी युक्ति है जो धारा के प्रवाह की दिशा उत्क्रमित कर देती है। यद्यपि बैट्री से आने वाली विद्युत धारा की दिशा अपरिवर्तित रहती है लेकिन विभक्त वलय के कारण प्रत्येक आधे घूर्णन के बाद विद्युत धारा के उत्क्रमित होने का क्रम दोहराता रहता है, जिसके कारण कुंडली तथा धुरी का निरंतर घूर्णन होता रहता है। परंतु यदि विद्युत मोटर में विभक्त वलय न लगे हों तो मोटर आधा चक्कर घूमकर रुक जाएगी।

खंड 13.6 (पृष्ठ संख्या 264)

प्रश्न 1.
किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग निम्नलिखित हैं-

  1. किसी स्थिर कुंडली के पास या उससे दूर चुंबक ले जाकर।
  2. किसी स्थिर चुंबक के पास कुंडली लाकर या उससे दूर ले जाकर।
  3. एक कुंडली के समीप रखी किसी दूसरी कुंडली में विद्युत धारा में परिवर्तन करके पहली कुंडली में धारा प्रेरित की जा सकती है।
  4. कुंडली के फेरों की संख्या में वृद्धि करके।

खंड 13.7 ( पृष्ठ संख्या 265-266 )

प्रश्न 1.
विद्युत जनित्र का सिद्धांत लिखिए।
उत्तर
विद्युत जनित्र में यांत्रिक ऊर्जा का उपयोग चुंबकीय क्षेत्र में रखे किसी चालक को घूर्णी गति प्रदान करने में किया जाता है, जिसके फलस्वरूप विद्युत धारा उत्पन्न होती है। यह मूलत: विद्युत चुंबकीय प्रेरणा के सिद्धांत पर कार्य करता है। प्रेरित धारा की दिशा फ्लेमिंग के दाएँ-हाथ नियम द्वारा ज्ञात की जाती है।

प्रश्न 2.
दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर
दिष्ट धारा के कुछ स्रोत निम्नलिखित हैं-शुष्क सेल, सेलों की बैट्री तथा दिष्ट धारा जनित्र (De generator or DC dynamo)।

प्रश्न 3.
प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करने वाले स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर
प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करने वाले स्रोत हैं-प्रत्यावर्ती विद्युत धारा जनित्र (ac जनित्र) तथा बैट्री आधारित उत्क्रमक (इनवर्टर)।

प्रश्न 4.
सही विकल्प का चयन कीजिए-
ताँबे के तार की एक आयताकार कुंडली किसी चुंबकीय क्षेत्र में घूर्णी गति कर रही है। इस कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा में कितने परिभ्रमण के पश्चात् परिवर्तन होता है?
(a) दो।
(b) एक
(c) आधे
(d) चौथाई
उत्तर
(c) आधे

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खंड 13.8 ( पृष्ठ संख्या 267)

प्रश्न 1.
विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए।
उत्तर
विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यत: उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपाय हैं-

  1. विद्युत फ्यूज़
  2. भू-सम्पर्क तार (earthing wire) का उपयोग

प्रश्न 2.
2kW शक्ति अनुमतांक की विद्युत तंदूर किसी घरेलू विद्युत परिपथ (220V) में प्रचालित किया जाता है, जिसका विद्युत अनुमतांक 5A है। इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
दिया है-


परिपथ का अनुमतांक 5A है, परंतु विद्युत तंदूर द्वारा 9.09A की धारा ली जा रही है। अतः अनुमतांक से बहुत ज्यादा विद्युत धारा लिए जाने के कारण तार गर्म हो जाएगा तथा अतिभारण (overloading) के कारण फ्यूज का तार पिघल जाएगा, जिससे परिपथ टूट जाएगा और आग भी लग सकती है।

प्रश्न 3.
घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर
घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए हमें निम्नलिखित सावधानियाँ बरतनी चाहिए-

  1. एक ही सॉकेट से बहुत से विद्युत साधित्रों को नहीं जोड़ना चाहिए।
  2. घरो में दो पृथक-पृथक परिपथों में विद्युत आपूर्ति की जानी चाहिए। इसके लिए 15A विद्युत धारा अनुमतांक वाले तथा 5A विद्युत धारा अनुमतांक वाले दो पृथक-पृथक परिपथों में क्रमशः उच्च शक्ति वाले साधित्रों जैसे गीजर, कूलर आदि तथा निम्न शक्ति वाले साधित्रों; जैसे-पंखे, बल्ब आदि चलाने चाहिए।
  3. उचित धारा अनुमतांक वाले पृथक-पृथक फ्यूज़ लगवाने चाहिए।
  4. उत्तम गुणवत्ता वाले तार, विद्युतरोधी टेप का उपयोग करना चाहिए।

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न

[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED]

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन किसी लंबे विद्युत धारावाही तार के निकट चुंबकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है?
(a) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लंबवत होती हैं।
(b) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समांतर होती हैं।
(c) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ अरीय होती हैं जिनका उद्भव तार से होता है।
(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तारे होता है।
उत्तर
(a) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।

प्रश्न 2.
वैद्युत चुंबकीय प्रेरणा की परिघटना
(a) किसी वस्तु को आवेशित करने की प्रक्रिया है।
(b) किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने की प्रक्रिया है।
(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।
(d) किसी विद्युत मोटर की कुंडली को घूर्णन कराने की प्रक्रिया है।।
उत्तर
(a) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।

प्रश्न 3.
विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं-
(a) जनित्र
(b) गैल्वनोमीटर
(c) ऐमीटर
(d) मोटर
उत्तर
(d) जनित्र

प्रश्न 4.
किसी ac जनित्र तथा dc जनित्र में एक मूलभूत अंतर यह है कि
(a) ac जनित्र में विद्युत चुंबक होता है जबकि dc मोटर में स्थायी चुंबक होता है।
(b) dc जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(c) ac जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(d) ac जनित्र में सर्दी वलय होते हैं जबकि dc जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।
उत्तर
(d) ac जनित्र में सर्दी वलय होते हैं जबकि dc जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।

प्रश्न 5.
लघुपथन के समय परिपथ में विद्युत धारा का मान-
(a) बहुत कम हो जाता है।
(b) परिवर्तित नहीं होता।
(c) बहुत अधिक बढ़ जाती है।
(d) निरंतर परिवर्तित होता है।
उत्तर
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रकथनों में कौन सत्य है तथा कौन असत्य? इसे प्रकथन के सामने अंकित कीजिए
(a) विद्युत मोटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करता है।
(b) विद्युत जनित्र वैद्युतचुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है।
(c) किसी लंबी वृत्ताकर विद्युत धारावाही कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र समांतर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होती हैं।
(d) हरे विद्युतरोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है।
उत्तर
(a) असत्य
(b) सत्य
(c) सत्य
(d) असत्य

प्रश्न 7.
चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने के दो तरीकों की सूची बनाइए।
उत्तर
चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने के दो तरीके निम्न हैं

  1. किसी चुंबक द्वारा; जैसे-छड़ चुंबक, नाल चुंबक आदि।
  2. किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक तार द्वारा; विद्युत धारावाही पाश (लूप) द्वारा इत्यादि।

प्रश्न 8.
परिनालिका चुंबक की भाँति कैसे व्यवहार करती है? क्या आप किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं?
उत्तर
पास-पास लिपटे विद्युतरोधी ताँबे के तार की बेलन की आकृति की अनेक फेरों वाली कुंडली को परिनालिका कहते हैं। जब इस परिनालिका से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो इसमें छड़ चुंबक की तरह ही चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं का पैटर्न बनता है, जिसका एक सिरा N ध्रुव तथा दूसरा सिरा S ध्रुव की भाँति व्यवहार करता है। परिनालिका के अंदर क्षेत्र रेखाएँ समांतर सरल रेखाओं की भाँति होती हैं, जो यह दर्शाता है कि परिनालिका के भीतर एक समान चुंबकीय क्षेत्र है। हाँ, हम किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण छड़ चुंबक की सहायता से कर सकते हैं। इसके लिए किसी ज्ञात N ध्रुव वाले छड़ चुंबक को परिनालिका के एक सिरे के समीप लाते हैं। यदि प्रतिकर्षण हुआ तो सिरा N-ध्रुव तथा आकर्षण होने पर S-ध्रुव होगा। इसी प्रकार, परिनालिका के दूसरे सिरे के ध्रुव भी ज्ञात किए जा सकते हैं, क्योंकि समान ध्रुवों के बीच प्रतिकर्षण तथा असमान ध्रुवों के बीच आकर्षण होता है।

प्रश्न 9.
किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है?
उत्तर
फ्लेमिंग के वामहस्त नियम द्वारा किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल अधिकतम होता है, जब चालक को चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत् रखा जाए। अर्थात् विद्युत धारा की दिशा तथा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा परस्पर लंबवत् हो।

प्रश्न 10.
मान लीजिए आप किसी चैम्बर में अपनी पीठ को किसी एक दीवार से लगाकर बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार से सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिजतः गमन करते हुए किसी प्रबल चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आपके दाई ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
उत्तर
स्पष्टत: फ्लेमिंग के वामहस्त नियम द्वारा, चुंबकीय क्षेत्र की दिशा उर्ध्वाधरत: नीचे (Vertically downward) होगी।

प्रश्न 11.
विद्युत मोटर का नामांकित आरेख खींचिए। इसका सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। विद्युत मोटर में विभक्त वलय का क्या महत्व है?
उत्तर
विद्युत मोटर का आरेख आकृति में दर्शाया गया है:

सिद्धांत-किसी धारावाही चालक को किसी चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत् दिशा में रखने पर वह चालक यांत्रिक बल का अनुभव करता है। इस बल के कारण चालक बल की दिशा में घूर्णन करता है। विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल की दिशा फ्लेमिंग के वामहस्त नियम से ज्ञात करते हैं।
कार्य विधि-चित्र में दर्शाए अनुसार विद्युत धारा चालक ब्रुश X से होते हुए कुंडली ABCD में प्रवेश करती है तथा चालक ब्रुश Y से होते हुए बैट्री के दूसरे टर्मिनल पर वापस आ जाती है।
स्पष्टतः भुजा AB में विद्युत धारा A से B की ओर तथा भुजा CD में C से D की ओर प्रवाहित होती है। अतः धारा की दिशाएँ इन भुजाओं में परस्पर विपरीत होती हैं, इसलिए फ्लेमिंग के वामहस्त नियम द्वारा AB आरोपित बल उसे अधोमुखी धकेलता है जबकि भुजा CD पर आरोपित बल उपरिमुखी धकेलता है। अतः इस बल युग्म के कारण कुंडली तथा धुरी अक्ष पर वामावर्त घूर्णन करते हैं।
विभक्त वलय का कार्य-विद्युत मोटर में विभक्त वलय दिक्परिवर्तक का कार्य करता है। चित्रानुसार विभक्त वलय P तथा Q का संपर्क क्रमशः ब्रुश X तथा Y से है, परंतु आधे घूर्णन के बाद Q का संपर्क ब्रुश X से होता है तथा P का संपर्क Y से होता है, जिसके फलस्वरूप कुंडली में धारा उत्क्रमित होकर पथ DCBA के अनुदिश प्रवाहित होती है। फ्लेमिंग के नियम से अब भुजा AB पर उपरिमुखी तथा भुजा CD पर अधोमुखी बल लगता है, जिसके कारण कुंडली तथा धुरी उसी दिशा में अब आधा घूर्णन और पूरा कर लेती हैं। अतः प्रत्येक आधे घूर्णन के बाद धारा के उत्क्रमित होने का क्रम दोहराता रहता है, जिसके कारण कुंडली तथा धुरी निरंतर घूर्णन करते रहते हैं।

प्रश्न 12.
ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत मोटर उपयोग किए जाते हैं।
उत्तर
विद्युत मोटर एक ऐसी युक्ति है, जिसमें विद्युत ऊर्जा का यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरण होता है। इसके कुछ उदाहरण निम्न हैं-विद्युत पंखे, ए०सी०, वाशिंग मशीन, मिक्सर ग्राईन्डर, कूलर, कंप्यूटर, जल पंप, गेहूँ पीसने वाली चक्की इत्यादि।

प्रश्न 13.
कोई विद्युत रोधी ताँबे के तार की कुंडली किसी गैल्वनोमीटर से संयोजित है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुंबकः
(i) कुंडली में धकेला जाता है।
(ii) कुंडली के भीतर से बाहर खींचा जाता है।
(iii) कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाता है।
उत्तर

  1. कुंडली में एक प्रेरित धारा उत्पन्न होता है, जिसके कारण गैल्वनोमीटर में विक्षेप होता है।
  2. प्रेरित धारा उत्पन्न होगी और गैल्वनोमीटर में विक्षेप प्रदर्शित होगा, परंतु विक्षेप की दिशा पहले के विपरीत होगी।
  3. चूंकि चुंबक स्थिर है इसलिए कोई प्रेरित धारा उत्पन्न नहीं होगी। अतः गैल्वनोमीटर में कोई विक्षेप नहीं होती है।

प्रश्न 14.
दो वृत्ताकार कुंडली A तथा B एक-दूसरे के निकट स्थित हैं। यदि कुंडली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन करें तो क्या कुंडली B में कोई विद्युत धारा प्रेरित होगा? कारण लिखिए।
उत्तर
हाँ, कुंडली B में विद्युत धारी प्रेरित होगी।
जब कुंडली A में प्रवाहित विद्युत धारा में परिवर्तन होता है, तो इसके चुंबकीय क्षेत्र में भी परिवर्तन होता है। चूंकि कुंडली B कुंडली A के निकट है इसलिए कुंडली B के चारों ओर भी. चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं में परिवर्तन होता है, जिसके कारण कुंडली B में प्रेरित धारा उत्पन्न होती है।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करने वाली नियम लिखिए-
(i) किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र।
(ii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लंबवत् स्थित, विद्युत धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल।
(iii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली के घूर्णन करने पर उस कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा।
उत्तर

  1. किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की दिशा निर्धारित करने के लिए दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम” का प्रयोग किया जाता है, जो इस प्रकार है किसी विद्युत धारावाही चालक को अपने दाहिने हाथ से पकड़ने पर अँगूठा विद्युत धारा की दिशा को संकेत करता है तथा अँगुलियाँ चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाओं की दिशा में लिपटी होंगी। इसे मैक्सवेल का कार्कस्कू नियम भी कहते हैं।
  2. किसी चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लंबवत् स्थित, विद्युत धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल की दिशा ‘‘फ्लेमिंग
    के वामहस्त नियम” द्वारा ज्ञात करते हैं, जो इस प्रकार है
    संकेत-‘महत्त्वपूर्ण तथ्य’ के अंतर्गत पृष्ठ संख्या-208 देखें।
  3. चुंबकीय क्षेत्र में गतिशील चालक में उत्पन्न प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात करने के लिए फ्लेमिंग के दक्षिण-हस्त के नियम का प्रयोग किया जाता है।
    संकेत-‘महत्त्वपूर्ण तथ्य’ (Point 14) देखें।’

प्रश्न 16.
नामांकित आरेख खींचकर किसी विद्युत जनित्र का मूल सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। इनमें ब्रुश का क्या कार्य है?
उत्तर
विद्युत जनित्र का नामांकित आरेख-

मूल सिद्धांत-विद्युत जनित्र मूलत: विद्युत-चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करती है। विद्युत जनित्र में यांत्रिक ऊर्जा का उपयोग चुंबकीय क्षेत्र में रखे किसी चालक को घूर्णी गति प्रदान करने में किया। जाता है जिसके कारण प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न होती है, जिसकी दिशा फ्लेमिंग के दक्षिण-हस्त वलय नियम द्वारा ज्ञात की जाती है।

कार्य विधि-मान लीजिए कि प्रारंभिक अवस्था में एक कुंडली ABCD चुंबक के ध्रुवों के बीच उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र में दक्षिणावर्त घुमाया जाता है। भुजा AB ऊपर की ओर तथा भुजा CD नीचे। की ओर गति करती है। फ्लेमिंग का दक्षिण-हस्त नियम लागू करने पर कुंडली में AB तथा CD दिशाओं के अनुदिश प्रेरित विद्युत धाराएँ प्रवाहित होने लगती हैं। बाह्य परिपथ में B2 से B1 की दिशा में विद्युत धारा प्रवाहित होती है।
अब आधे घूर्णन के बाद CD ऊपर की ओर तथा AB नीचे की ओर जाने लगती है। स्पष्टतः कुंडली के अंदर प्रेरित विद्युत धारा की दिशा बदलकर DCBA के अनुदिश हो जाती है और बाह्य परिपथ में B, से B, की दिशा में प्रवाहित होती है। इस तरह हम देखते हैं कि प्रत्येक आधे घूर्णन के बाद विद्युत धारा की दिशा बदल जाती है।

ब्रुश के कार्य-ब्रुश B1 और B2 वलयों R1 तथा R2 पर दबाकर रखा जाता है, जो कुंडली में प्रेरित धारा को बाह्य परिपथ में पहुँचाने में सहायक होते हैं।

प्रश्न 17.
किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है?
उत्तर
जब विद्युन्मय तार (धनात्मक तार) तथा उदासीन तार (ऋणात्मक तार) सीधे संपर्क में आ जाते हैं, तब विद्युत परिपथ | में अकस्मात् बहुत अधिक विद्युत धारा हो जाती है और लघुपथन हो जाता है। ऐसा तब होता है जब तारों के विद्युतरोधी आवरण क्षतिग्रस्त हो जाए या साधित्र में कोई दोष हो।

प्रश्न 18.
भूसंपर्क तार का क्या कार्य है? धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भूसंपर्कत करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर
भूसंपर्क तार किसी विद्युत परिपथ में सुरक्षा उपाय के रूप में प्रयुक्त होते हैं। खासकर उन साधित्रों में जिनका आवरण धात्विक होता है; जैसे-विद्युत इस्तरी, टोस्टर, मेज़ का पंखा, रेफ्रिजरेटर, कूलर, गीजर आदि। धातु के आवरणों से संयोजित भूसंपर्क तार विद्युत धारा के लिए अल्प प्रतिरोध का चालन पथ प्रस्तुत करता है। इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि साधित्र के धात्विक आवरण में विद्युत धारा का कोई क्षरण होने पर उस साधित्र का विभेव भूमि के विभव के बराबर हो जाएगा। फलस्वरूप इस साधित्र को उपयोग करने वाला व्यक्ति तीव्र विद्युत आघात से सुरक्षित बचा रहता है।

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Aman Singh

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