NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 8 कन्यादान

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 8 कन्यादान

BoardRBSE
BoardCBSE
TextbookNCERT
ClassClass 10
SubjectHindi Kshitiz
ChapterChapter 8
Chapter Nameकन्यादान
Number of Questions Solved14
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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 8 कन्यादान

प्रश्न 1.
आपके विचार से माँ ने ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसा मत दिखाई देना?
उत्तर-
मेरे विचार से लड़की की माँ ने ऐसा इसलिए कहा होगा कि लड़की होना पर लड़की जैसी मत दिखाई देना ताकि लड़की अपने नारी सुलभ गुणों सरलता, निश्छलता, विनम्रता आदि गुणों को तो बनाए रखे परंतु वह इतनी कमजोर भी न होने पाए। कि लड़की समझकर ससुराल के लोग उसका शोषण न करने लगे। इसके अलावा वह भावी जीवन की कठिनाइयों का साहसपूर्वक मुकाबला कर सके।

प्रश्न 2.
‘आग रोटियाँ सेंकने के लिए है।
जलने के लिए नहीं।
(क) इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की किस स्थिति की ओर संकेत किया गया है?
(ख) माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों जरूरी समझा?
उत्तर-
(क) इन पंक्तियों में समाज में स्त्रियों की कमज़ोर स्थिति और ससुराल में परिजनों द्वारा शोषण करने की ओर संकेत किया गया है। कभी-कभी बहुएँ इस शोषण से मुक्ति पाने के लिए स्वयं को आग के हवाले करके अपनी जीवनलीला समाप्त कर लेती है।

(ख) माँ ने बेटी को इसलिए सचेत करना उचित समझा क्योंकि उसकी बेटी अभी भोली और नासमझ थी जिसे दुनियादारी और छल-कपट का पता न था। वह लोगों की शोषण प्रवृत्ति से अनजान थी। इसके अलावा वह शादी-विवाह को सुखमय एवं मोहक कल्पना का साधन समझती थी। वह ससुराल के दूसरे पक्ष से अनभिज्ञ थी।

प्रश्न 3.
‘पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की’
इन पंक्तियों को पढ़कर लड़की की जो छवि आपके सामने उभरकर आ रही है उसे शब्दबद्ध कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त काव्य पंक्तियों को पढ़कर हमारे मन में लड़की की जो छवि उभरती है वह कुछ इस प्रकार है

  • लड़की अभी सयानी नहीं है।
  • लड़की को दुनिया के उजले पक्ष की जानकारी तो है पर दूसरे पक्ष छल-कपट, शोषण आदि की जानकारी नहीं है।
  • लड़की विवाह की सुखद कल्पना में खोई है।
  • उसे केवल सुखों का अहसास है, दुखों का नहीं।
  • उसे ससुराल की प्रतिकूल परिस्थितियों का ज्ञान नहीं है।

प्रश्न 4.
माँ को अपर्च, बेटी ‘अंतिम पूँजी’ क्यों लग रही थी?
उत्तर-
माँ को अपनी बेटी अंतिम पूँजी इसलिए लग रही थी क्योंकि कन्यादान के बाद माँ एकदम अकेली रह जाएगी। उसकी बेटी ही उसके दुख-सुख की साथिन थी, जिसके साथ वह अपनी निजी बातें बाँट लिया करती थी। इसके अलावा बेटी माँ के लिए सबसे प्रिय वस्तु (पूँजी) की तरह थी जिसे अब वह दूसरे के हाथ में सौंपने जा रही थी। इसके बाद वह नितांत अकेली रह जाएगी।

प्रश्न 5.
माँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी?
उत्तर-
माँ ने कन्यादान के बाद अपनी बेटी को विदा करते समय निम्नलिखित सीख दी

  • वह ससुराल में दूसरों द्वारा की गई प्रशंसा से अपने रूप-सौंदर्य पर आत्ममुग्ध न हो जाए।
  • आग का उपयोग रोटियाँ पकाने के लिए करना। उसका दुरुपयोग अपने जलने के लिए मत करना।
  • वस्त्र-आभूषणों के मोह में फँसकर इनके बंधन में न बँध जाना।
  • नारी सुलभ गुण बनाए रखना पर कमजोर मत पड़ना।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 6.
आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना कहाँ तक उचित है?
उत्तर-
मेरी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना उचित नहीं है। दान तो किसी वस्तु का किया जाता है। कन्या कोई वस्तु तो है नहीं। उसका अपना एक अलग व्यक्तित्व, रुचि, पसंद, इच्छा अनिच्छा आदि है। वह किसी वस्तु की भाँति निर्जीव नहीं है। दान देने के बाद दानदाता का वस्तु से कोई संबंध नहीं रह जाता है, परंतु कन्या का संबंध आजीवन माता-पिता से बना रहता है। कन्या एक वस्तु जैसी कभी भी नहीं हो सकती है, इसलिए कन्या को दान देने जैसी बात करना पूर्णतया अनुचित है।

अन्य पाठेतर हल प्रश्न

प्रश्न 1.
वैवाहिक संस्कार में कन्यादान खुशी का अवसर माना जाता है, पर यहाँ माँ दुखी क्यों थी?
उत्तर-
वैवाहिक संस्कार की रस्मों में कन्यादान पवित्र एवं महत्त्वपूर्ण रस्म है। यह खुशी का अवसर होता है परंतु ‘कन्यादान’ कविता में माँ इसलिए दुखी थी क्योंकि विवाह के उपरांत वह बिलकुल अकेली पड़े जाएगी। वह अपने सुख दुख की बातें अब किससे करेगी। इसके अलावा वह बेटी को पूँजी समझती थी जो आज उससे दूर हो रही है।

प्रश्न 2.
लड़की की माँ की चिंता के क्या कारण थे?
उत्तर-
लड़की की माँ की चिंता के निम्नलिखित कारण थे

  • लड़की अभी समझदार नहीं थी।
  • लड़की को ससुराल के सुखों की ही समझ थी दुखों की नहीं।
  • लड़की दुनिया की छल-कपट एवं शोषण की मनोवृत्ति से अनभिज्ञ थी।
  • लड़की को ससुराल एवं जीवन पथ पर आनेवाली कठिनाइयों का ज्ञान न था।

प्रश्न 3.
कुछ तुकों और लयबद्ध पंक्तियों के आधार पर कन्या की मनोदशा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
कन्यादान कविता में विवाह योग्य कन्या को विवाह एवं ससुराल के सुखों का ही आभास था। वह जानती थी कि ससुराल में सभी उसके रूप सौंदर्य की प्रशंसा करेंगे, उसे वस्त्राभूषणों से लाद दिया जाएगा जिससे उसका रूप और भी निखर उठेगा। इससे ससुराल के सभी लोग उसे प्यार करेंगे। इसके अलावा विवाह को वह ऐसा कार्यक्रम मानती है जो हँसी-खुशी के गीत गायन से पूरा हो जाता है।

प्रश्न 4.
‘कन्यादान’ कविता में ऐसा क्यों कहा गया है कि लड़की को दुख बाँचना नहीं आता?
उत्तर-
कन्यादान कविता में ऐसा इसलिए कहा गया है कि लड़की को दुख बाँचना नहीं आता क्योंकि लड़की अभी सयानी नहीं हुई है। उसे दुनियादारी का अनुभव नहीं है। उसे जीवन के एक ही पक्ष का ज्ञान है। वह दुखों से अनभिज्ञ है क्योंकि माँ के घर पर दुखों से उसका कभी सामना नहीं हुआ था। अब तक वह सुखमय परिस्थितियों में ही जीती आई थी।

प्रश्न 5.
‘आग रोटियाँ सेंकने के लिए है जलने के लिए नहीं’ कहकर कवयित्री ने समाज पर क्या व्यंग्य किया है?
उत्तर-
माँ द्वारा अपनी बेटी को सीख देते हुए यह कहना ‘आग रोटियाँ सेंकने के लिए होती है, जलने के लिए नहीं’ के माध्यम से कन्या को सीख तो दिया ही है पर समाज पर कठोर व्यंग्य किया है। समाज में कुछ लोग बहुओं को इतना प्रताड़ित करते हैं कि उस प्रताड़ना से मुक्ति पाने के लिए या तो लड़की स्वयं को आग के हवाले कर देती है या ससुराल के लोग उसे जला देते हैं।

प्रश्न 6.
‘कन्यादान’ कविता में नारी सुलभ किन कमजोरियों की ओर संकेत किया गया है?
उत्तर-
‘कन्यादान’ कविता में कवयित्री ने नारी सुलभ जिन कमजोरियों की ओर संकेत किया है वे हैं

  • नारी दूसरों की प्रशंसा सुनकर अपने ही रूप सौंदर्य पर मुग्ध हो जाती है।
  • उसे सुंदर वस्त्र और आभूषणों से विशेष लगाव होता है, जो अंतत: उसके लिए बंधन सिद्ध होते हैं।
  • वह आग का दुरुपयोग करके आत्महत्या करने जैसा कदम उठा लेती है।
  • वह कमज़ोर दिखती है जिसकी कमज़ोरी का अनुचित फायदा दूसरे उठाते हैं।

प्रश्न 7.
‘कन्यादान’ कविता में माँ द्वारा जो सीख दी गई हैं, वे वर्तमान परिस्थितियों में कितनी प्रासंगिक हैं, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘कन्यादान’ कविता में माँ द्वारा अपनी बेटी को जो सीख दी गई है वह उसके अनुभव की उपज है। माँ को दुनियादारी और ससुराल वालों द्वारा किए गए व्यवहार का अनुभव है। उन्हें ध्यान में रखकर भावी जीवन के लिए सीख देती है। आज जब समाज में छल-कपट, शोषण, दहेज प्रथा आदि बुराइयाँ बढ़ी हैं तथा ससुराल में अधिक सजग रहने की जरूरत बढ़ गई है तब माँ द्वारा बेटी को दी गई सीख की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है।

प्रश्न 8.
‘कन्यादान’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर-
‘कन्यादान’ कविता में माँ द्वारा बेटी को स्त्री के परंपरागत ‘आदर्श’ रूप से हटकर सीख दी गई है। कवि का मानना है। कि सामाजिक-व्यवस्था द्वारा स्त्रियों के आचरण संबंधी जो प्रतिमान गढ़ लिए जाते हैं वे आदर्श होकर भी बंधन होते हैं। कोमलता’ में कमजोरी का उपहास, लड़की जैसा न दिखाई देने में आदर्श का प्रतिकार है। माँ की बेटी से निकटता के कारण उसे अंतिम पूँजी कहा गया है। इस कविता में माँ की कोरी भावुकता नहीं, बल्कि माँ के संचित अनुभवों की प्रामाणिक अभिव्यक्ति है।

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